Students should regularly practice West Bengal Board Class 7 Hindi Book Solutions Chapter 3 संन्यासी to reinforce their learning.
WBBSE Class 7 Hindi Solutions Chapter 3 Question Answer – संन्यासी
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए ।
प्रश्न 1.
पालू किस राज्य का निवासी था?
(क) गुजरात
(ख) राजस्थान
(ग) पंजाब
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर :
(क) गुजरात
प्रश्न 2.
‘यह न होगा’ किसका कथन है?
(क) पालू के पिता का
(ख) बालू का
(ग) पालू का
(घ) सुचालू का
उत्तर :
(ग) पालू का
प्रश्न 3.
पालू की स्त्री किस रोग का शिकार होकर मर गई?
(क) मलेरिया
(ख) हैजा
(ग) टाइफाइड
(घ) तपेदिक
उत्तर :
(ख) हैजा
प्रश्न 4.
सुदर्शन जी का जन्म कब हुआ था ?
(क) सन् 1885
(ख) सन् 1895
(ग) सन् 1905
(घ) सन् 1915
उत्तर :
(ख) सन् 1895
प्रश्न 5.
सुदर्शन जी किस युग के कथाकार हैं ?
(क) द्विवेदीयुगीन
(ख) प्रेमचंदयुगीन
(ग) प्रेमचंदोत्तर युगीन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) प्रेमचंद्युगीन
प्रश्न 6.
पालू कितने भाई थे ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर :
(ग) तीन
प्रश्न 7.
पालू के पुत्र का क्या नाम था ?
(क) दीनदयाल
(ख) दादूदयाल
(ग) दयाराम
(घ) सुखदयाल
उत्तर :
(घ) सुखदयाल
प्रश्न 8.
पालू के गुरु कौन थे ?
(क) शंकराचार्य
(ख) वल्लभाचार्य
(ग) रामानंद
(घ) प्रकाशानंद
उत्तर :
(घ) प्रकाशानंद
प्रश्न 9.
भोलानाथ कौन था ?
(क) पालू का मित्र
(ख) पालू का भाई
(ग) पालू का गुरु
(ग) पालू का शिष्य
उत्तर :
(क) पालू का मित्र
प्रश्न 10.
पालू कितने समय बाद घर वापस लौटा ?
(क) एक वर्ष बाद
(ख) दो वर्ष बाद
(ग) तीन वर्ष बाद
(घ) चार वर्ष बाद
उत्तर :
(ख) दो वर्ष बाद
प्रश्न 11.
पालू की भाभी का क्या नाम था ?
(क) सुखमति
(ख) सुखदेवी
(ग) सुखवती
(घ) सुखरानी
उत्तर :
(ख) सुखदेवी
प्रश्न 12.
पालू किस त्योहार के दिन घर वापस आया ?
(क) होली
(ख) दीवाली
(ग) दशहरा
(घ) लोहड़ी
उत्तर :
(घ) लोहड़ी
प्रश्न 13.
सुक्खू का मुख किस प्रकार चमक रहा था ?
(क) सूर्य
(ख) चंद्रमा
(ग) तारे
(घ) आग
उत्तर :
(ख) चंद्रमा
प्रश्न 14.
शांति के लिए कौन से मार्ग की अवश्यकता है ?
(क) सेवा
(ख) कठिन
(ग) युद्ध
(घ) उपदेश
उत्तर :
(क) सेवा
प्रश्न 15.
पालू के स्थान पर कौन खड़े थे ?
(क) सुखदयाल
(ख) भोलानाथ
(ग) साधु-महात्मा
(घ) सुखदेवी
उत्तर :
(ग) साधु-महात्मा
प्रश्न 16.
कौन अंदर से निकला और रोता हुआ स्वामी जी से लिपट गया ?
(क) बालकराम
(ख) पालू
(ग) भोलानाथ
(घ) सुखदेवी
उत्तर :
(क) बालकराम
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
प्रश्न 1.
पालू किस गाँव का रहने वाला था?
उत्तर :
पालू लखनवाल गाँव का रहने वाला था।
प्रश्न 2.
पालू की भाभी अवाक् क्यों रह गई?
उत्तर :
पालू की भाभी को आशंका थी कि पालू संपत्ति बाँटने के लिए झगड़ा करेगा, लेकिन पालू घर-बार छोड़ जाने को तैयार हो गया और भाभी से बोला कि अब वह घर में नहीं रहेगा। इसलिए उसके बेटे को संभालो। यह सुनकर भाभी अवाक् रह गई।
प्रश्न 3.
स्वामी विद्यानंद कौन थे?
उत्तर :
पालू सन्यास ग्रहण कर ऋषिकेश में रहने लगा और अब वही पालू ही स्वामी विद्यानंद के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
प्रश्न 4.
भोलानाथ कैसा पुरुष था?
उत्तर :
भोलानाथ हाँडा का बड़ा सज्जन पुरुष था। उसके मन में स्नेह, दया तथा परोपकार की भावना थी। पालू का वह सच्चा मित्र था। सुक्खू (सुखदयाल) के प्रति उसके मन में सच्चा स्नेह था।
प्रश्न 5.
लोहड़ी क्या है?
उत्तर :
लोहड़ी एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार बड़े समारोह के रूप में पंजाब में मनाया जाता है।
प्रश्न 6.
पालू अपने पुत्र को किसके आश्रय में छोड़ गया था?
उत्तर :
पालू अपने पुत्र को अपनी भाभी के आश्रय में छोड़ गया था।
प्रश्न 7.
पालू क्या करता था ?
उत्तर :
पालू एक दुकान चलाता था।
प्रश्न 8.
पालू का विवाह किससे हुआ ?
उत्तर :
पालू का विवाह चौधरी की बेटी से हुआ।
प्रश्न 9.
विद्यानंद के मन से क्या आवाज आती रहती थी ?
उत्तर :
विद्यानंद के मन से आवाज आती रहती थी कि वह अपने आदर्श से दूर जा रहा है।
प्रश्न 10.
विद्यानंद उर्फ पालू की अशांति का मूल कारण क्या था ?
उत्तर :
विद्यानंद की अशांति का मूल कारण उसके पुत्र के प्रति स्नेह था।
प्रश्न 11.
भोलानाथ को देखकर सुखदयाल क्या अनुभव करता था ?
उत्तर :
भोलानाथ को देखकर सुखदयाल पितृ-प्रेम का अनुभव करता था।
बोधमूलक प्रश्नोत्तर
(क) पालू किस बात में उस्ताद था?
उत्तर :
पालू बाँसुरी और घड़ा बजाने में उस्ताद था। हीर-राँझे का किस्सा पढ़ने तथा जोग सहती के प्रश्नोत्तर पढ़ने में भी वह बेजोड़ था।
(ख) पालू मन ही मन क्यों कुढ़ता था?
उत्तर :
गाँव के लोग पालू के व्यवहार, उत्सवों के प्रति उसकी तत्परता तथा कला को देख सुनकर मुग्ध होते और उसकी अतिशय प्रशंसा करते थे। पर उसके घर के लोग उसके गुणों की कदर न करते थे। घर में उसे ठंडी रोटियाँ माँ की गालियाँ, भाभियों के ताने मिलते थे। इसी कारण पालू मन ही मन कुढ़ता था।
(ग) पालू के जीवन में किस तरह का परिवर्तन आ गया?
उत्तर :
पालू की तैंतीस वर्ष की अवस्था में शादी हो गई। स्त्री के आते ही उसका संसार ही बदल गया। बाँसुरी, किस्से, कहानी सब को वह भूल गया। अब घर उसके लिए फूलों की वाटिका बन गया। कभी वह दिन के अधिकांश समय घर के बाहर रहता था किन्तु अब वह घर के बाहर ही नहीं निकलता। इस प्रकार विवाह के पश्चात् पालू के चरित्र और व्यवहार में बड़ा परिवर्तन आ गया।
(घ) स्वामी प्रकाशानंद के पास स्वामी विद्यानंद क्यों गए?
उत्तर :
स्वामी विद्यानन्द की भक्ति की सर्वत्र धूम मच गई। पर उनके मन को शांति नहीं मिली। सुख की नींद नहीं आती थी। पूजा-पाठ में मन एकाग्र नहीं होता। उनके मन में ऐसी आवाज आती थी कि वे अपने आदर्श से दूर जा रहे हैं। वे चौंक उठते, पर कारण समझ में न आता। वे घबरा कर रोने लग जाते, परंतु चित्त को शांति न मिलती। इसी अशांति के समाधान के लिए वे स्वामी प्रकाशानंद के पास गए।
(ङ) सुखदयाल का कलेजा क्यों काँप गया?
उत्तर :
भोलानाथ के घर से सुखदयाल अपने घर पहुँचा। भोलानाथ के घर उसने चिमटे से ताई द्वारा मारने की जो बात कही थी, वह ताई के कानों तक पहुँच गई। ताई के क्रोध की कोई सीमा न रही। रात अधिक बीत जाने पर मुहल्ले की स्त्रियाँ अपने-अपने घर चली गई। अब अपना क्रोध उतारने के लिए ताई सुखदयाल को पकड़ कर डाँटने लगी। उसके रौद्र रूप और व्यवहार को देखकर सुखदयाल का कलेजा काँप गया।
(च) पालू के चरित्र की प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर :
पालू अनपढ़ था, पर मूर्ख नहीं था। गुणों की खान था। बाँसुरी बजाने, किस्से-कहानी सुनाने में वह बेजोड़ था। गाँव में होली, दीपाबली तथा दशहरे में होनेवाले उत्सवों में उसी की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। उसके घर के लोग उसके गुणों की कदर नहीं करते थे। घर के बाहर वह गाँव वालों के साथ बड़ा ही व्यावहारिक था।
उसका रूप रंग सुन्दर था, शरीर भी सुडौल था। उसमें य्यार तथा सेह की भावना भरी थी। अपने नन्हें पुत्र तथा नई प्ली से वह अत्यधिक प्यार करता था। वह अपने हठ तथा सिद्धांत पर अडिग रहने वाला दृढ़ पुरुष था। उसमें कष्ट सहिष्युता भरी थी। संन्यासी बनने पर वह पर्वत पर रहता तथा पत्थरों पर सोता था। उसमें ईश्वर भक्ति तथा आत्मसयम की भावना थी। अपने गुण के पति उसमें गहरी श्रद्धा थी। वह सदाचारी था। गुरु के आदेश को स्वीकार कर ही उसने पुन: गृहस्थाश्रम को स्वीकार किया।
(छ) संन्यासी कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि गृहस्थ के उत्तरादायित्व का निर्वाह करना ही वास्तविक संन्यास है। गृहस्थ जीवन का निर्वाह किए बिना संन्यासी बनने से मन को शांति नहीं मिलती। सेवा मार्ग वन में भटकने से श्रेष्ठ होता है। पुत्र, परिवार और अपने आश्रित जनों की सेवा करने से ही शांति मिल सकती है। कर्त्तव्य पालन ही सच्चा संन्यास है।
यथा निर्देश उत्तर दीजिए :
(क) मनुष्य सब कुछ सह लेता है, पर अपमान नहीं सह सकता।
प्रश्न 1.
इस पंक्ति के लेखक का नाम लिखिए ।
उत्तर :
इस पंक्ति के लेखक का नाम सुदर्शन है।
प्रश्न 2.
सप्रसंग इस पंक्ति का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पालू अनपढ़ था, पर मूर्ख नहीं था। पिता प्रकारान्तर से उसे निर्लज्ज कहते, आलोचना करते पर वह स्वभाव से बेपरवाह था, इसलिए हैसकर टाल देता। पर भाई और भाभियाँ भी बात-बात में ताने देने और घृणा की दृष्टि से देखने लगी। पालू सब कुछ सह सकता था, पर अपना इस प्रकार का अपमान नहीं सह सकता था। इसलिए इस अपमान को देखकर उसने प्रतिकार स्वरूप पिता के पास जाकर शिकायत की।
(ख) सारे गाँव में तुम्हारी मिद्टी उड़ रही है। अब भी बताने की बात बाकी रह गई है।
प्रश्न 1.
‘तुम्हारी’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? मिट्टी उड़ने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
यहाँ तुम्हारी’ शब्द का प्रयोग पालू के लिए किया गया है। मिद्टी उड़ने का तात्पर्य है बदनामी होना। पालू के पिता उसे बता रहे हैं कि समस्त गाँव में उसकी बदनामी हो रही है।
प्रश्न 2.
इस अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
पालू के पिता पालू से अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कह रहे हैं कि तुम सदा स्वी के पास ही बैठे रहते हो। तुम्हहारा अनोखा विवाह हुआ है। अपना विचार प्रकट करते हुए कहने लगे कि गाँव भर में तुम्हारी बदनामी हो रही है। सारा गाँव तुम्हारी आलोचना कर रहा है। इससे अधिक बात क्या हो सकती है। हमें कुछ बताने, कहने की जरूरत ही नहीं है।
(ग) ‘बात साधारण थी, परन्तु हददोों में गाँठ बँध गई।’
प्रश्न 1.
यह पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
उत्तर :
यह पंक्ति ‘संन्यासी’ पाठ से उद्रतत है।
प्रश्न 2.
किनके हूदयों में गाँठ बँध गई और क्यों?
उत्तर :
पालू और उसके पिता के हृदयों में गाँठ बँध गई। पल्नी को उसके घर भेज देने का पिता का प्रस्ताव स्पष्ट शब्दों में पालू ने अस्वीकार कर दिया, पिता कोधित होकर उसे घर से किनारे करने के लिए कह दिया। अब पालू ने भी कड़ा मत्तर देते हुए कहा कि वह कहीं नहीं जाएगा। इसी घर में रहेगा, खाएगा। कौन उसे निकाल सकता है। इसी बात पर दोनों के हैदयों में गाँठ बँध गई।
(घ) ‘स्वामी विद्यानंद की आँखों में आँसू आ गए।’
प्रश्न 1.
स्वामी विद्यानंद कौन थे?
उत्तर :
पालू ही स्वामी विद्यानंद थे। गृहस्थ जीवन त्याग पालू ॠषिकेश जाकर स्वामी विद्यानंद के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
प्रश्न 2.
उनकी आँखों में आँसू क्यों आ गए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
स्वामी विद्यानंद घर के अंदर गए। उन्होंने भतीजियों को चमेली के फूल की तरह खिला हुआ देखा। पर कभी मैना के समान चहकने वाला सभी को प्यारा नटखट बालक सुखदयाल उदासीनता की मूर्ति बना था। उसका मुख कुम्हलाया हुआ था। बाल रूखे थे, वस्त्र मैल-कुचेले थे। लगता था किसी भिखारी का लड़का है। अपने उस प्यारे पुत्र की इस दशा को देखकर स्वामी विद्यानंद पालू की आँखों में आँसू आ गए।
भाषा-बोध
1. निम्नलिखि शब्दों से उपसर्ग एवं मूल शब्द अलग कीजिए :
- अभिमान – अभि + मान
- असंभव – अ + संभव
- निष्ठुर – निः + ठुर
- निर्लज्ज – नि: (नि) + लज्ज
- अनपढ़ – अ (अन) + पढ़
- अपमान – अप + मान
- प्रतिक्षण – प्रति + क्षण
2. निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय पृथक् कीजिए :
- झांकियों – झाँकी + यों
- धीरता – धीर + ता
- नमता – नम + ता
- व्याकुलता – व्याकुल + ता
- प्रसन्नता – प्रसन्न + ता
- सुंदरता – सुंदर + ता
3. पर्यायवाची शब्द लिखिए :
- विधाता – बह्ला, विरंचि, चतुरानन।
- चिड़िया – खग, विहग, पक्षी।
- संसार – विश्व, जगत्, दुनिया।
- चित्र- तस्वीर, आकृति, आकार।
- वस्थ्र – कपड़ा, अम्बर, वसन, पट।
- वाटिका – उद्यान, बागीचा, बाग
4. विलोम शब्द लिखिए :
- सुन्दर-असुंदर, कुरूप
- मूख्ख-विद्वान
- विष-अमृत
- चंचल – शान्त, स्थिर
- अशांति – शांति ।
5. वाक्य प्रयोग कीजिए :
- पिंजरा – पिंजरा में कैद पक्षी उड़ नहीं सकता।
- गृहस्थी – गृहस्थी संभालना हर व्यक्ति का फर्ज है।
- एकाग्र – एकाग्र चित्त होकर पढ़ना चाहिए।
- धर्मशाला – धर्मशाला में यात्री ठहरते हैं।
- समारोह – विवाह का समारोह धूम-धाम से मनाया जा रहा है।
WBBSE Class 7 Hindi संन्यासी Summary
जीवक्र फरिच्य
सुदर्शन का जन्म सन् 1895 ई० में अविभाजित पंजाब के स्यालकोट नगर में हुआ था। मुम्बई में 1967 ई० में इनका देहावसान हो गया। सुदर्शन उर्दू से हिन्दी कहानी लेखन की ओर उन्मुख हुए। आर्य समाजी विचारधारा से वे प्रभावित थे। आपने उपन्यास, कहानी, नाटक सभी क्षेत्रों में लेखनी चलाई। इनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह हैं – पुष्पलता, सुपभात, सुदर्शन सुधा, सुदर्शन सुमन, पनघट और चार कहानियाँ। परिवर्तन, भागवंती और राजकुमार इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं। अंजना, सिकदर और भाग्यचक्र इनके नाटक हैं। इनकी भाषा सीधी, सरल, सरस, प्रसाद गुण संपन्न तथा मुहावरेदार हैं। इनकी कहानियों में आदर्शवाद की झलक मिलती है।
कहानी का सारांश
कथानायक पालू गुजरात के लखनवाल का रहनेवाला था। वह गुणों का भण्डार था। उसे अशिक्षित और अकर्मण्य नहीं कह सकते। वह गाँव में होने वाली होलियों में झाँकियों का, दिवाली पर जुए का, दशहरे पर रामलीला का प्रबंध बड़े उत्साह से संपन्न करवाता था। बाँसुरी बजाने में वह उस्ताद था।
हीर-राँझे की कहानी कहने तथा जोग और सहती के प्रश्नोत्तर पढ़ने में वह बेजोड़ था। उसके घर में उसके गुणों की कदर न थी। पालू तीन भाई था। उसका एक भाई सुचालू (सुच्चालामाल) व्यायाम मास्टर था। दूसरा भाई बालू (बालकराम) दुकान चलाता था। पिता के उपदेश और भाइयों-भाभियों के निष्ठुर व्यवहार का पालू पर कोई असर नहीं पड़ता था। पालू की जीवन-दशा निराली थी। अपने घर में वह उपेक्षित तथा तिरस्कृत था, पर बाहर अपेक्षित तथा सम्मानित था।
तैंतीस वर्ष की अवस्था में पालू का विवाह हो गया। विवाह के पश्चात् पालू के चरित्र और व्यवहार में बड़ा बदलाव आ गया। पहले वह दिन में घंटों घर से बाहर रहता था, पर अब वह घर से बाहर ही नहीं निकलता। बाँसुरी और किस्से छोड़कर पत्नी के प्रेम में डूबा रहता था। घर में माता-पिता, भाई-भाभी सभी व्यंग्य करते थे। पालू ने एक दिन अपने पिता के सामने जाकर अपनी झुँझलाहट व्यक्त किया। पिता उस पर चिढ़ते थे। सारा दिन स्वी के पास बैठे रहना, पिता को भी अच्छा नहीं लगता था। पिता ने कहा कि स्त्री को मायके भेज दो। पर इस प्रस्ताव को उसने बिल्कुल स्वीकार नहीं किया। वह रात-दिन पत्नी के प्यार में डूबा रहता था। पत्नी की गोद में दो वर्ष का बालक भी खेलता था। दुर्भाग्य से पालू की स्वी हैजे से चल बसी। पालू की आनंदवाटिका उजड़ गई।
पालू पत्नी के वियोग को सह न सका। तीन मास के अंदर ही उसके माता-पिता भी चल बसे। पालू का मन संसार से विरक्त हो उठा। वह अपने पुत्र सुखदयाल को भाभी को सौंप कर घर-बार छोड़ कर संन्यासी बनने के लिए निकल पड़ा।
पालू दो वर्ष वन में रहा। कठिन साधना और तपस्या से पूरे हरिद्वार में उसकी धूम मब गई। पर उसे वहाँ शांति न मिल सकी। उसके मन में सदा आग सुलगने लगी। अंत में वह अपने मन की पीड़ा को अपने गुरु पकाशानंद से व्यक्त किया। गुरु ने उससे उसकी सारी बाते पूछकर यह मालूम किया कि उसका चार वर्ष का बालक अनाथ की तरह घर पर है। गुरु को उसकी अशांति का कारण ज्ञात हो गया। इसलिए गुरु ने उसे तुरंत घर जाने का आदेश दिया।
पालू का मित्र भोलानाथ पालू के चले जाने पर उसके पुन्त सुखदयाल पर सेह दिखाने लगा। उसके बड़े भाई बालू की स्त्री सुखदयाल के साथ बड़ी ही निर्ममता का व्यवहार किया करती थी। यहाँ तक कि भोलानाथ के घर जाने पर भी उसे डाँटती और मारती थी। उसे रूख-सूखे भोजन और फटे-पुराने कपड़े देती थी। स्नेह के अभाव में बालक मुरझा गया था। एक दिन वह जैसे ही बेलन उठाकर मारना चाही, तभी उसकी बेटी ने पालू चाचा के आगमन की सूचना दी।
पालू संन्यासी विद्यानंद के रूप में घर आया। सुखदेवी और बालकराम दोनों ही उसे देखकर हैरान हो गए। पालू ने घर में भतीजियों को सुंदर वस्त्रों में चमेली के फूल की तरह चमकते हुए देखा। सुखदयाल जल के बिना सूखे-मुरझाए पौषे के समान था। बालक की यह स्थिति देखकर पालू की आँखों में आँसू आ गए। अब वह सब कुछ समझ गया। रात के
समय सोने के लिए वह अपने कमरे में पहुँचा। वहाँ उसकी वाटिका उजड़ चुकी थी। प्रेम का राज्य लुट चुका था। पालू सोचने लगा कि प्यार के बिना यह बालक धूल में मिल गया। रात के समय झपपकी आ जाने पर उसे अनुभव हुआ कि सुख और शांति के लिए सेवा मार्ग की आवश्यकता है। पुत्र की सेवा करने से ही मन को शांति प्राप्त हो सकती है। मन की शांति कर्त्तव्य पालन से ही मिल सकती है। उसने सुखदयाल को गले लगाया और उसके सूखे मुख को चूम लिया।
शब्दार्थ :-
- गुथन – समूह, भंडार
- सुध – याद, होश
- लीन – संलग्न, तत्पर
- उस्ताद – गुरु, प्रवीण
- निष्ठुर – कठोर, क्रूर
- अपमान – निरादर
- अनोखा – विचित्र
- दारुण – भीषण
- झकोरे – झोंके
- धीरता – धैर्य
- पददलित – पैरों से कुचले हुए
- लोहड़ी – एक त्योहार
- कुम्हलाया – मुरझाया
- रौनक-चमक, शोभा
- पितृवात्सल्य-पिता का प्यार
- उत्तरदायित्व – जिम्मेदारी
- प्रबंध – इंतजाम, व्यवस्था
- गँवार- मूर्ख, अनपढ़
- अभिमान – घमंड
- विधाता – ईश्वर
- अनपढ़ – अशिक्षित
- अवाक् – मौन, आश्चर्य चकित
- संकल्प – प्रण
- कंदरा – गुफा
- निमित्त – कारण
- आघात – चोट
- सदाचारी – अच्छे आचरण वाला
- जागीर – संपत्ति
- हलचल – आन्दोलन
- व्याकुलता – बेचैनी
- शिशिर – सर्दी
- हृदय बेधक- दिल को दर्द देनेवाला