WBBSE Class 6 History Solutions Chapter 9 भारत और समकालीन बहिर्विश्व (ईसा के बाद सप्तम् शताब्दी के प्रथम भाग तक)

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WBBSE Class 6 Geography Chapter 9 Question Answer – भारत और समकालीन बहिर्विश्व (ईसा के बाद सप्तम् शताब्दी के प्रथम भाग तक)

विस्तृत उत्तर वालें प्रश्न (Detailed Answer Questions) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
अलक्जेण्डर (सिकंदर) द्वारा भारतीय उपमहादेश के अभियान से मौर्य साप्राज्य के विस्तार में क्या प्रभाव पड़ा था?
उत्तर :
भारत उपमहादेश के कुछ भागों में ही पारसियों का शासन था। ग्रीक शासक अलक्जेण्डर पूरी दुनिया में एक विशाल साग्राज्य स्थापित करना चाहते थे। इसके लिए पारसियों के साथ उनका युद्ध हुआ। पारसिक को पराजित कर अलक्जेण्डर भारतीय उपमहादेश में पहुँचा। उपमहादेश में पारसिक का साम्राज्य अलक्जेण्डर के अभियन के कारण समाप्त हो गया। अलेक्जेण्डर अधिक दिनों तक इस उपमहादेश में नहीं था। फलस्वरूप इस अभियान का गंभीर प्रभाव भारतीय उपमहादेश में ज्यादा नहीं पड़ा। अलक्जेण्डर के अभियान के विरुद्ध कुछ शासकों ने लड़ाई की थी और कुछ शासकों ने उनकी मदद भी की। तक्षशिला का राजा आम्भीक ने उसकी मदद की थी। लेकिन अलक्जेण्डर के अभियान के फलस्वरूप छोटी-छोटी शक्तियाँ समाप्त हो गयी थी जिसके कारण मगध के लिए अपनी शक्ति का विस्तार करना सहज हो गया।

प्रश्न 2.
शक-कुषाण के आने के पहले भारतीय उपमहादेश के समाज और संस्कृति के किन विषयों की जानकारी को मिलती है?
उत्तर :
शक-कुषाण के आने के पहले भारतीय उपमहादेश के साथ बाहर के विभिन्न देशों का सांस्कृतिक विनिमय था। पारसिक साम्राज्य के अधीन क्षेत्रों में आशुमिरा भाषा एवं लिपि का प्रचलन था। पारसिक शासक ऊँचे पत्थर का स्तम्भ बनवाते थे। अलक्जेण्डर के भारत आगमुन से ग्रीक उपमहादेश की जीवनशैली और संस्कृति भारतीयों के साथ घुलमिल गई। वे बौद्ध धर्म की चर्चा करते थे, नये प्रकार की मुद्रा तैयार करते थे। विज्ञान विशेष्र कर गणित और ज्योतिष विज्ञान की चर्चा के क्षेत्र में ग्रीक और भारतीय सोच-विचार का विनिमय देखने को मिलता है। ग्रीक प्रभावित शिल्प की चर्चा भी शुरू हुआ था जिसका उदाहरण गांधार शिल्प है।

प्रश्न 3.
प्राचीन भारतीय उपमहादेश के साथ दूसरे क्षेत्र के सम्पर्क में पढ़ाई की क्या भूमिका थी?
उत्तर :
बौद्ध धर्म भारतीय उपमहादेश के साथ बाहर की दुनिया.से सम्पर्क का.एक माध्यम था। अनेक बौद्ध पण्डित एक साथ इस उपमहादेश से विभिन्न देशों में जाते थे और उन्हें शिक्षा देते थे। शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहर से भी विद्यार्थी आते थे। इन सभी देशों में से चीन देश में शिक्षा की चर्चा सबसे जनप्रिय थी। भारतीय उपमहादेश के कश्मीर क्षेत्र में शिक्षा पर चर्चा होती थी।

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प्रश्न 4.
भारत और बहिर्विश्व के बीच सम्पर्क के साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्राचीन भारतीय उपमहादेश के उत्तर-पथ्विम की ओर कुछ गिरिपथ (पर्वत पथ) हैं। उत्तर- पथ्विम में इसी गिरिपथ के जरिए ही पश्चिम और मध्य एशिया के साथ इस उपमहादेश का सम्पर्क था। दूसरी ओर हिमालय पर्वव श्रेणी के गिरि पथ से चीन और तिल्बत के साथ सम्पर्क कायम था। विशेष करके उत्तर-पश्चिम गिरिपथ के जरिए ही विदेशी यहाँ आए। इस रास्ते के जरिए ही व्यापार-वाणिज्य होता था। सांस्कृतिक आदान-पदान भी होता था। इसके अलावा समुद्र पथ से राजनैतिक, अर्थनैतिक और सांस्कृतिक विनिमय होता था।

प्रश्न 5.
भारतीय उपमहादेश और पारस के सम्पर्क के बारे में तुम क्या जानते हो? संक्षेप में लिखो।
उत्तर :
भारतीय उपमहादेश के उत्तर-पश्चिम की ओर गांधार था। गांधार के जरिए ही पारसिक साम्माज्य के साथ इस उपमहादेश का सम्पर्क स्थापित हुआ था। ई० पू० छठीं शताब्दी के द्वितीय भाग में पारस इखामनीषी शासक गांधार अभियान चलाया था। उनमें श्रेष्ठ सम्राट दरायबौष अथवा दरायुष प्रमथ था। (ईसा पू॰ 522-486 तक) उनका शासन गांधार के अलावा उपमहादेश के कुछ अन्य भागों में फैल गया था। उनके एक लेख में ‘हिदुश’ शब्द का वर्णन मिलता है। सिन्धु नदी से ही यह शब्द बना था। ऐसा लगता है कि निम्न सिंधु इलाका दरायबौष के शासन के अन्तर्गत था।

ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस के लेख से जानकारी मिलती है कि इन्दूस अथवा इण्डिया पारसिक सामाज्य का एक प्रदेश अथवा साट्राँपी था। दरायबौष निम्न सिंधु इलाकों में सम्पर्क व्यवस्था के ऊपर शासन कायम करने के लिए ही इस क्षेत्र पर जीत हासिल किए । उत्तर-पश्चिम भारत और उपमहादेश के उत्तर – पश्चिम भाग में पारसिक साप्राज्य के साथ काफी दिनों से जुड़े हुए थे।

प्रश्न 6.
भारतीय उपमहादेश और मध्य एशिया के साथ सम्पर्क कैसे स्थापित हुआ?
उत्तर :
भारतीय उपमहादेश के इतिहास में मौर्य शासनकाल के अंतिम समय में कुछ बदलाव आया। पथिम एशिया और मध्य एंशिया के साथ उपमहादेश की राजनीति और शासन से जुड़े। उपमहादेश के उत्तर और उत्तर-पथ्चिम भाग में ग्रीक, शक-पल्लवों का शासन था। पुष्यमित्र शुंग के समय ही ग्रीक राजा कुछ क्षेत्रों पर अपना अधिकार जमाये थे। इन ग्रीक राजाओं में अधिकांश बैक्ट्रिया के निवासी थे। उपमहादेश का उत्तर-पश्चिम सीमांत ही बैक्ट्रिया था। यह हिन्दुकुश पर्वतमाला के उस्तर-पश्चिम अर्थात् आज के अफगानिस्तान के उत्तर-पूर्व का क्षेत्र था। वह बैक्ट्रिया ईसा पू० के चौथी शताब्दी के अन्त तक ग्रीक शासक सेल्यूकस के अधीन था। बैक्ट्रिया ग्रीक राजा को ही पुराण साहित्य में यवन कहा जाता था। उत्तर-पथ्चिम सीमांत का क्षेत्र गांधार, तक्षशिला तक बैक्ट्रिया ग्रीक शासन था। उपमहादेश में इस ग्रीक शासक को बैक्ट्रिया ग्रीक अथवा इन्डोग्रीक शासक कहा जाता था।

प्रश्न 7.
मीनाण्डर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
मीनाण्डर प्रारम्भ में बैक्ट्रिया के यवन शासक ड्रेमेटियस का सेनापति था। अपने स्वामी की मृत्यु के बाद वह राजा बना और उसने भारत पर आक्रमण करके इसके विस्तृत भू-भाग पर अपना अधिकार कर लिया। उसने बौद्ध धर्म स्वीकर कर लिया था। नागसेन ने उससे प्रभावित होकर उसी के नाम पर और उसी के बारे में ‘मिलिन्द पहावों नामक ग्रन्थ की रचना की। वह उच्च कोटि का विद्वान और कला प्रिय शासक था। उसकी राजधानी साकल (आधुनिक सियालकोट) थी। उसने 160 ई० पू० से 140 ई० पू० तक शासन किया। उसने अनेक बौद्ध स्तूपों तथा बौद्ध विहारों का निर्माण कराया था।

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प्रश्न 8.
हूण के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
हूण मूलतः मध्य एशिया के निवासी थे। ये मंगोल जाति की सीथियनों की एक शाखा के थे। ये लोग खानावदोश, बर्बर और लुटेरे थे। हूणों ने सर्वप्रथम 456 ई० में स्कन्दगुप्त के समय भारत पर आक्रमण किया पर पराजित होकर लौट गए। पाँचवीं सदी के अन्त में हूण नेता तोरमाण ने गुप्त सम्राट भानुगुप्त को पराजित कर गांधार तथा पश्चिमी भारत के विशाल क्षेत्र पर अधिकार करके हूण शासन की स्थापना की। उसकी राजधानी साकल (स्यालकोट) थी। तोरमाण की मृत्यु के बाद उसका पुत्र मिहिरकुल राजा हुआ। उसने गुप्त सम्राट भानुगुप्त पर आक्रमण किया परन्तु सम्राट ने उसे परास्त कर बंदी बना लिया। अन्तत: बर्बर हूणों की शक्ति का अंतिम उन्मूलन मालवा के यशोवर्द्धन ने किया। 542 ई० में मिहिरकुल की मृत्यु के पश्थात् हूणों का राजनीतिक प्रभुत्व समाप्त हो गया।

प्रश्न 9.
ताप्रलिप्त बन्दरगाह कहाँ पर अवस्थित था ? इस बन्दरगाह से कौन चीनी यात्री जहाज पर चढ़ा था।
उत्तर :
प्राचीन भारतीय उपमहादेश में ताम्मलिप्त एक प्रसिद्ध बन्दरगाह था। सुयान जांग ने कहा था, ताम्रलिप्त समुद्र एक खाड़ी के ऊपर है। वहाँ पर स्थल मार्ग और जलमार्ग आकर मिला है। संभवतः ताम्रलिप्त पूर्व मिदनापुर तमलुक के आस-पास था। बन्दरगाह से फाहियान जहाज पर चढ़े थे। स्थल मार्ग से ही ताम्रलिप्त यातायात करना सहज था। व्यापार के अलावा शिक्षा के लिए ताम्मलिप्त प्रसिद्ध था। लेकिन नदियों के सूखने के कारण बन्दरगाह नगर का महत्व कम होता गया जिससे नगर के रूप में भी उसकी ख्याति नष्ट हो गई।

प्रश्न 10.
शक शसाक की मुद्राओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
शक शासकों ने विभिन्न प्रकार की चाँदी की मुद्रा का प्रचलन शुरू किया था। कुछ मुद्रा ग्रीक और प्राकृत दोनों ही लिपियों में लिखी जाती थी। शक शासक स्वयं ही मुद्रा में राजाधिराज की उपाधि का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 11.
शक-शासन के सामाजिक जीवन का वर्णन करें।
उत्तर :
शक-कुषाण के शासन काल में उपमहादेश में विभिन्न प्रकार की पोशाक प्रचलित हुई थी। जैसे – कुर्ता, पैजामा, लंबा, जोब्बा, बेल्ट, जूता इत्यादि। शक और कुषाण के शासन काल में नगरों की दीवारें पक्की ईंट से बनाया जाती थी। इसके अलावा एक प्रकार की लाल मिट्टी का बर्तन बनाने की पद्धति मध्य एशिया से उस उपमहादेश में आया। कुषाण शिव, विष्णु और गौतम बुद्ध की उपासना करते थे।

प्रश्न 12.
व्यापार एवं वाणिज्य के संपर्क सूत्र बनाने में किसकी भूमिका थी?
उत्तर :
ईसा पूर्व के सातवीं ईस्वी से लेकर उस उपमहादेश के साथ बाहर के देशों से वाणिज्यिक सम्पर्क था। ईसा पूर्व 200 से ईसा के बाद 300 साल के मध्य ही वह वाणिज्यिक सम्पर्क सबसे अधिक बढ़ा था। दक्षिण एशिया के साथ मध्य और पथ्चिम एशिया एवं भू-मध्य सागरीय अंचल में लेन-देन चलता था। जल मार्ग और स्थल मार्ग से यह सम्पर्क होता था।

रोमन साम्राज्य और भू-मध्य सागर के पूर्व की ओर चीन और भारत में विभिन्न वस्तुओं की माँग थी। इनमे सबसे अधिक चीनी रेशम का महत्व था। वहाँ से विभिन्न रास्तों का अतिक्रमण करके रेशम भू-मध्य सागर के पूर्व की ओर के इलाकों की ओर पहुँच जाता था। रेशम इस स्थल मार्ग का प्रधान वाणिज्य द्रव्य था। लेकिन इस समय रेशम मार्ग नामक कोई भी नाम नहीं था। कुछ समय के बाद अर्थात् ईसा के बाद उन्नीसवीं शताब्दी में इस मार्ग को रेशम पथ कहा जाता था।

इस विशाल अंचल का कुछ भाग एक समय पारसियों के कब्जे में था। बाद में कुषाण बैक्ट्रिया पर कब्जा किया जिसके कारण रेशम पत्थर की एक शाखा दक्षिण एशिया के साथ जुड़ गई। रेशम वाणिज्य से कुषाण शासक काफी शुल्क की अदायगी करते थे। उस व्यापार के साथ युक्त विभिन्न क्षेत्र के लोग इस उपमहादेश के उत्तर और उत्तर-पश्चिम प्रांत में इकट्ठा होते थे।

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प्रश्न 13.
शक शासक प्रथम आय के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर :
शक शासक प्रथम आय ने एक नया वर्ष का आरंभ किया था। वह साल विक्रमी के नाम से परिचित है। कान्धार से उत्तर-पध्थिम के सीमांत क्षेत्र में प्रथम अधिकार था। धीरे-धीरे शक शासन उत्तर भारत में एवं गंगा घाटी में फैल गया।

प्रश्न 14.
फाह्यान के बारे में तुम क्या जानते हो ?
उत्तर :
फाह्यायान (399-411 ई०) : तत्कालीन चीनी यात्री फाह्यान ने भारत की राजनीति, सामाजिक एवं आर्थिक दशा का वर्णन किया है।
चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में फाह्यान नामक प्रसिद्ध चीनी यात्री भारत आया था और लगभग छः वर्ष तक यहाँ रहा। वह 399 ई० में अपने देश से चला और 414 ई० में वापस वहाँ पहुँचा। उसकी यात्रा का उद्देश्य प्रामाणिक बौद्ध ग्रन्थों को एकत्रित करना था। उसे अपनी यात्रा के मार्ग में अनेक भयकर विपत्तियों का सामना करना पड़ा था। वह चीन से स्थल मार्ग से खोतान, यारकन्द, पेशावर, तक्षशिला होता हुआ कपिलवस्तु, कुशीनगर और फिर पाटलिपुत्र पहुँचा। वहाँ कुछ वर्ष रहने के बाद वह लुम्बिनी, वैशाली तथा नालन्दा गया। वापसी में वह लंका, जावा, सुमात्रा, आदि से होता हुआ 414 ई० में वापस चीन पहुँचा। उसने भारत के बारे में जो कुछ लिखा है वह आज भी उपलब्ध है। उससे हमें तत्कालीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती हैं।

प्रश्न 15.
कुषाण कौन थे ?
उत्तर :
कुषाण यू-ची जाति की एक शाखा था, जो चीन के पध्विमोत्तर प्रदेश कान्सू में रहते थे। यू-ची नये प्रदेश की खोज में पश्थिम की ओर बढ़े और आक्सस घाटी पर अधिकार कर रहने लगे।

प्रश्न 16.
गांधार कला क्या है ?
उत्तर :
भारतीय एवं यूनानी शिल्प कला के मेल से विकसित कला को गांधार कला कहा जाता है।

प्रश्न 17.
दूतों के आपसी सम्पर्क में क्या भूमिका होती थी ?
उत्तर :
उपमहादेश और बाहर की दुनिया के मध्य सम्पर्क का एक माध्यम दूत विनिमय भी था। मूलतः मौर्य सम्राट के समय से ही दूत विनिमय आरम्भ हुआ था। ये दूत अधिकांशत: अपनी जानकारी को लिखकर रखते थे।
ग्रीक शासक सेल्यूकस का दूत मेगास्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य की सभा में आया था। मौर्य सम्राट भी अपने दूत को विदेशी शासकों की सभा में भेजते थे। बिन्दुसार के साथ सीरिया का शासक एन्टीकास प्रथम का सम्पर्क था। पथ्चिम एशिया में ग्रीकों के साथ मौर्यों ने अच्छा सम्पर्क बरकरार रखने का प्रयास किया था। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार दूतों के माध्यम से किया था। सीरिया, मिस्र, मासीडन, सिंहल इत्यादि जगहों पर अशोक ने दूत भेजे थे। राजगृह में पाये गये लेख से हर्षवर्धन के समय चीन के साथ दूत विनिमय के विषय में जानकारी मिलती है।

प्रश्न 18.
कुमारजीव के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर :
कुमारजीव के पिता बाबा कुमारायन कूची में चले गये थे। कूची के राजा ने उसे राजगुरु का पद दिए। कुमारजीव के जन्म के बाद उसकी माँ जीव बौद्ध हो गई। फलस्वरूप नौ वर्ष के कुमारजीव( 342 ईसा पूर्व 413 ईसा पूर्व) माँ के साथ कश्मीर चले गये। वहाँ पर अपने मित्रों से बौद्ध धर्म और साहित्य विषय पर पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी होने के बाद मध्य एशिया के विभिन्न क्षेत्रों में कुमारजीव घूमे। इतने दिनों में वे पण्डित के रूप में भी काफी प्रसिद्ध हो गए।

कुछ दिनों के बाद चीनी शासक ने कूची पर आक्रमण किया। कुमारजीव उस समय कूची में ही था 1385 ई० पूर्व में कुमारजीव को कूची से कानसु प्रदेश में ले जाया गया। चीनी सम्राट के अनुरोध से 401 ईसा पूर्व में वे चीन की राजधानी गए। बाद के ग्यारह वर्ष कुमारजीव चीन की राजधानी में ही था। बौद्ध धर्म विषयक पढ़ाई में ही उनका जीवन व्यतीत हुआ था। संस्कृत और चीनी दोनों भाषाओं में कुमारजीव दक्ष थे। फलस्वरूप अनुवाद का कार्य वे सहज ही कर सकते थे। चीन में बौद्ध धर्म दर्शन प्रचार के क्षेत्र में कुमारजीव की भूमिका विख्यात है।

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प्रश्न 19.
प्राचीन विश्र की विभिन्न सभ्यताओं का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर :
मेसोपोटामिया की सभ्यता : टाइग्रिस और युफेरिस नदी के मध्य भाग के क्षेत्र को मेसोपोटामिया कहा जाता था। इस शब्द का अर्थ है दो नदियों का मध्यवर्ती देश। प्राचीन काल में इस क्षेत्र का एक भाग सुमेरीय सभ्यता का था। सुमेर की लिपि को अंग्रेजी में किउनिफर्म कहा जाता था। सुमेर के लोग गणित; ज्योतिष विज्ञान और विभिन्न ज्ञानविज्ञान की चर्चा करते थे। सुमेर के लोगों ने ही सबसे पहले लकड़ी के चक्के का प्रयोग करना आरम्भ किया। सुमेर के अलावा मेसोपोटामिया की एक प्रसिद्ध सभ्यता वेबीलोन की सभ्यता है। वेबीलोन के राजा हामूरावी ने सबसे पहले लिखित कानून आरम्भ किया था।

मिस्र की सभ्यता : उत्तर-पूर्व अफ्रीका के नील नदी के किनारे पहले से ही प्राचीन मिस्न की सभ्यता थी। ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस ने मिस्र को नील नदी का दान कहा थां। मिस्र के शासक को फराओ भी कहा जाता था। उनके मृत शरीर को रखने के लिए पिरामिड बनाया जाता था। मिस्न में पापिरस पेड़ की छाल पर लिखना शुरू हुआ था। पापिरस से ही कागज का अंग्रेजी शब्द पेपर आया। वर्ण और चित्र को मिलाकर मिस्न में एक प्रकार के लेख का प्रयोग होता था। उसे मिस्र की हायरोग्लीफ लिपि कहा जाता था। मिस्न का लापिस लाजुली पत्थर भारतीय उपमहादेश में निर्यात किया जाता था।

चीन की सभ्यता : एशिया महादेश के पूर्व में ह्यागहो और ‘ईयांग-सिकियांग’ नदी की अवाहिका प्राचीन चीन की सभ्यता थी। प्रथम कागज बनाने एवं लकड़ी के अक्षर बनाकर छापे जाने का कौशल भी चीन में ही आरम्भ हुआ। बाहरी आक्रमण रोकने के लिए चीन के शासक ने दीवार से चीन को घेर कर रखा था। उस विशाल दीवार को एक साथ चीन का प्राचीर कहा जाता है। चीन में बारूद का प्रयोग होता था।

प्राचीन ग्रीक सभ्यता : पहाड़ से घिरे ग्रीक में अनेक छोटे-छोटे राष्ट्र बने। उन सभी राष्ट्रों को नगर राष्ट्र अथवा पलिस कहा जाता था। पलिसों में एथेंन और स्पार्टा प्रसिद्ध था। उसके साथ पारसी साम्राज्य का युद्ध हुआ था। उस युद्ध की बात ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस के लेख में मिलता है। एंथेन और स्पार्टा आपस में भी युद्ध किए थे। ग्रीक इतिहासकार धुकीडाइडीस ने उस युद्ध की बातों को लिखा है। प्राचीन ग्रीक सभ्यता में विज्ञान, इतिहास, गणित और विभिन्न ज्ञानविज्ञान की चर्चा होती थी। पारसिक और दूसरी सभ्यता की छाया ग्रीक सभ्यता पर भी पड़ी थी ।

रोमन सभ्यता : भू-मध्य सागर के इटली घाटी के केन्द्र पर प्राचीन रोमन सभ्यता थी। धीरे-धीरे रोमन विशाल साम्राज्य को बनाया। ग्रीस और दूसरे सभ्यता का प्रभाव रोम की सभ्यता पर पड़ा। रोम में राजनीति, कानूनी, शिल्पस्थाप्त्य इत्यादि विषयों में काफी उन्नति हुई थी। रोम के राजकर्मचारी के आदेश पर ही जेरूजालम में यीशु को ईसाई कुरा से बांधा गया था।

प्रश्न 20.
परिप्लास और मौसमी हवा के बारे में तुम क्या जानते हो ? संक्षेप में उत्तर दो।
उत्तर :
भारत महासागार, अरब सागर और पारस उपसागर को प्राचीन ग्रीक और रोमन भूगोल में इरिथियान सागर कहा जाता था। इसी इरिथ्रियान सागर में यातायात और वाणिज्य विषय पर एक पुस्तक लिखी गई थी। उसके नाम पर पेरिप्लास ऑफ द इरिथ्रियासी। पेरिप्लास का दो मतलब है- जलयान में घूमते रहना और जल मार्ग से यातायात करना । इस तरह से देखने पर पुस्तक का नाम हिन्दी के अनुसार इरिश्थियान सागर भ्रमण। पुस्तक के लेखक के बारे में जानकारी नहीं मिली है। पुस्तक ग्रीक भाषा मेंलिखी गई थी। पुस्तक का लेखक एक ग्रीक था जो मिस्र में रहता था।

पुस्तक को लेखक ने अपने अनुभव के आधार पर ही लिखा था। इसलिए पुस्तक में इरिथ्रियान सागर का बन्दरगाह और व्यापार-वाणिज्य के विभिन्न विषयों के बारे में वर्णन है। व्यापारियों की सुविधा के लिए पुस्तक को लिखा गया था। ईसा के बाद की प्रमथ शताब्दी के मध्य का समय इस पुस्तक में लिखा गया था। ऐसा प्रतीत होता है कि इसके साथ विभिन्न क्षेत्रों के मनुष्य, समाज, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी विषय की भी विभिन्न बातें भी हैं। यह पुस्तक ईसा के बाद प्रथम शताब्दी के लगभग का है जिसमें अर्थनीति; इतिहास जानना जरूरी साहित्यिक उपादान हैं। ईसा पू॰ की प्रथम शतबब्दी के अन्त में दक्षिणपथ्विम और उत्तर-पूर्व मौसमी हवा के बारे में और अधिक धारणाएँ ज्ञात हुई। इस हवा की सहायता से ही इरिथ्थियान सागर में यातायात और वाणिज्य सहज रूप से होता था।

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प्रश्न 21.
सांस्कृतिक विनिमय किस प्रकार भारतीय उपमहादेश के साथ बाहर के विभिन्न क्षेत्रों से सम्पर्क साधने का सूत्र बना?
उत्तर :
भारत उपमहादेश के साथ बाहर के विभिन्न क्षेत्रों के साथ एक और माध्यम सांस्कृतिक विनिमय था। विभिन्न जाति-उपजाति से घुलने-मिलने के माध्मय से सांस्कृतिक सम्पर्क स्थापित होता था। जिसके परिणामस्वरूप उपमहादेश की संस्कृति में विभिन्न वैचित्य तैयार हुआ था। साथ ही साथ यह जाति-उपजाति में अधिकांशतः उपमहादेश के समाज और संस्कृति में घूल-मिल गया था। ‘अलक्जेण्डर’ ने भारतीय उपमहादेश में कुछ नगर बनवाया था। मौर्य साम्राज्य के समय भी वह नगर था। धीरे-धीरे ग्रीक उपमहादेश की जीवन-यात्रा और संस्कृति के साथ घुल मिल गया।

वे बौद्ध धर्म की चर्चा भी करते थे। दूसरी ओर ग्रीक से नये प्रकार की मुद्रा तैयार करना उपमहादेश के लोग सीख चुके थे। इन्डो ग्रीक उपमहादेश में सोने की मुद्रा चालू की गई। विज्ञान, गणित और ज्योतिष विज्ञान की चर्चा के क्षेत्रों में भी ग्रीक और भारतीय सोच-विचार का विनिमय देखने को मिलता है। इसके अलावा ग्रीक प्रभावित शिल्प की चर्चा भी हुई थी, जिसका प्रमुख उदाहरण गांधार कला है। शक शासक विभिन्न प्रकार के चाँदी की मुद्रा का प्रचलन शुरू किये थे। कुछ मुद्रा ग्रीक और प्राकृत दोनों ही लिपि में राजाधिराज की उपाधि का प्रयोग करते थे। शक शासक रूद्रदामन का जूनागढ़ प्रशस्ति संस्कृत भाषा में रचित पहला बड़ा लेख है। इसके पहले के सभी लेख प्राकृत भाषा में ही रचित हैं।

प्रश्न 22.
किन विदेशियों से भारतीय उपमहादेश का संपर्क स्थापित हुआ था?
उत्तर :
पारसी – उत्तर-पश्विम भाग के गिरि-पथ स्थल मार्ग से ही अधिकांश विदेशी भारत में आये थे। इनमें से सबसे प्रमुख पारसियन थे। गांधार के जरिए ही पारसियनों का भारत से संपर्क स्थापित हुआ था।
ग्रीस : ग्रीक शासक अलकजेण्डर विश्व विजेता बनने के उद्देश्य से पारसियों के साथ युद्ध किया। पारसियों को परास्त कर अलक्जेण्डर भारत पहुँचा एवं ग्रीकों का भारत से संपर्क हुआ।
शक : ईसा पूर्व 130 वर्ष के लगभग मध्य एशिया में यायावर समूह के आक्रमण से बैक्ट्रियन ग्रीक शासन समाप्त हुआ। उपमहादेश में वे शक के नाम से परिचित थे।
हूण : 458 ई० के बाद संभवतः उत्तर पश्चिम की ओर से आकर हूण जाति ने उपमहादेश का अभियान किया था।
चीन : बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार से चीन के साथ भारत का संपर्क हुआ था। ईसा के बाद चतुर्थ शताब्दी से ही चीन में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार बढ़ा।

प्रश्न 23.
गांधार शिल्पकला की विशेषताओं का उल्लेख करो।
उत्तर :
भारतीय कला पर विदेशी आक्रमणों के फलस्वरूप भी प्रभाव पड़ा। इनमें यूनानी कला ने भारत पर सबसे अधिक प्रभाव डाला। मौर्यकाल में यूनानी स्थापत्य शैली तथा भारतीय स्थापत्य शैली के मिश्रण से एक नई स्थापत्य शैली का विकास हुआ, जिसे गांधार कला कहते हैं। कुषाणों के समय में यह शैली अत्यधिक विकसित हुई। इस शैली का सूत्रपात सर्वप्रथम गांधार क्षेत्र में हुआ। इसलिए इसे गांधार कला भी कहते हैं।

गांधार अंचल में इस शैली के आधार पर अनेक भवनों का निर्माण हुआ। कनिष्क के समय में बुद्ध की मूर्तियों और बौद्ध मठों का इसी शैली के आधार पर निर्माण हुआ। यूनानी शिल्प कला पर रोमन शिल्पकला का प्रभाव था, अतः गांधार कला के द्वारा यूनानी, भारतीय तथा रोमन शिल्पकला का अभिनव रूप प्रस्तुत हुआ। कनिष्क के सिक्को, अभिलेखों और कलाकृतियों से पता चलता है कि कुषाणों ने भारतीय, यूनानी तथा ईरानी संस्कृतियों की मिली-जुली संस्कृति अपनायी। कुषाण काल में धर्म, साहित्य, कला, विज्ञान, व्यापार आदि की पर्याप्त प्रगति हुई। भारत के श्रेष्ठ सम्राटों में कनिष्क की भी गणना की जाती है।

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प्रश्न 24.
भारतीय उपमहादेश की संस्कृति को शक-कुषाणों ने किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर :
भारतीय उपमहादेश में शक-पल्लव और कुषाणों के जीवनयापन के कौशल का व्यापक प्रभाव पड़ा। वे भी इस उपमहादेश के समाज-संस्कृति, धर्म से बहुत कुछ सीखे थे। शक-कुषाण उपमहादेश में विभिन्न प्रकार के पोशाक को चालू किये। जैसे – कुर्ता, पैजामा, लंबा जोल्बा, बेल्ट, जूता इत्यादि। शक और कुषाणों के शासनकाल में नगरों की दीवार ईंट से बनाई जाती थी। इसके अलावा एक प्रकार की लाल मिट्टी का बर्तन बनाने की पद्धति मध्य एशिया से उपमहादेश में आया।

मध्य एशिया से आये ये सारे शासक अधिकांशतः विष्णु के उपासक बन गये। कुछ ने बौद्ध धर्म को ग्रहण कर लिया। कुषाण शिव, विष्णु और गौतम बुद्ध की उपासना करते थे। कुषाणों की मुद्रा में ग्रीक, रोमन और भारतीय विभिन्न देवीदेवताओं की मूर्तियाँ खुदाई में मिली हैं। पहले गौतम बुद्ध का किसी भी प्रकार की मूर्ति की पूजा नहीं होती थी। बुद्ध के किसी प्रतीक और चिह्न को सामने रखकर पूजा की जाती थी।

साहित्य चर्चा के प्रति भी शक-कुषाण शासक काफी उत्साही थे। उपमहादेश के नाटक चर्चा पर भी ग्रीक का प्रभाव पड़ा है। नाटक का मंच बनाना, पर्दा का प्रयोग इत्यादि क्षेत्र में भी वही प्रभाव दिखाई पड़ता है। नाटक के पर्दा को संस्कृत में यवनिका कहा जाता था। उनके यवन नाम से ही यवनिका शब्द तैयार हुआ था।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (Multiple Choice Question & Answer) : (1 Mark)

प्रश्न 1.
हेरोडोटस के अनुसार इन्दस पारसिक साग्राज्य का एक __________ था।
(क) प्रदेश
(ख) देश
(ग) जिला
उत्तर :
(क) प्रदेश

प्रश्न 2.
इन्दो-ग्रीक को __________ कहा जाता है।
(क) शकदेव
(ख) बैक्ट्रिया अधिवासी
(ग) कुषाण
उत्तर :
(ख) वाकट्रीया अधिवासा

प्रश्न 3.
सेन्ट थामस ईसाई धर्म के प्रचार के लिए भारतीय उपमहादेश में __________ के शासनकाल में आए।
(क) अलक्जेण्डर
(ख) मीनान्द
(ग) गन्डोफारनेस
उत्तर :
(ग) गन्डोफारनेस

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प्रश्न 4.
बैक्ट्रिया त्रीक राजा को ही पुराण साहित्य में __________
(क) यवन
(ख) इन्दोग्रीक कहा जाता था।
(ग) क्षत्रप
उत्तर :
(क) यवन

प्रश्न 5.
वेबीलोन के राजा हम्मूराबी ने सबसे पहले लिखित __________
(क) कहानी
(ख) कानून
(ग) समाचार
उत्तर :
(ख) कानून

प्रश्न 6.
उपमहादेश के बाहर बौद्ध धर्म का प्रचार सम्राट __________ ने किया था।
(क) सेल्युकस
(ख) चन्द्रगुप्त
(ग) अशोक
उत्तर :
(ग) अशोक

प्रश्न 7.
पोलिस सिद्धान्त __________ से आया था।
(क) ग्रीस
(ख) रोम
(ग) मिस्र
उत्तर :
(क) ग्रीस

प्रश्न 8.
प्रथम कागज बनाने एवं लकड़ी के अक्षर बनाकर छापने का कौशल __________ में ही आरम्भ हुआ था।
(क) भारत
(ख) चीन
(ग) फारस
उत्तर :
(ख) चीन

प्रश्न 9.
भारत में सबसे अधिक चीनी __________ का महत्व था।
(क) रेंशम
(ख) चाय
(ग) हथियार
उत्तर :
(क) रेशम नदी का दान कहा था।

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प्रश्न 10.
हेरोडोटस ने मिस्र को __________
(ख) नील
(ग) यूफ्रेटिस
(क) टाइग्रिस
उत्तर :
(ख) नील

प्रश्न 11.
वृहद्रथ एक _________ बौद्ध पण्डित थे।
(क) कश्मीरी
(ख) ग्रीस
(ग) रोमन
उत्तर :
(क) कश्मीरी

प्रश्न 12.
शक शासकों ने विभिन्न प्रकार की __________ मुद्रा का प्रचलन शुरू किया था।
(क) चाँदी
(ख) सोना
(ग) ताँबा
उत्तर :
(क) चाँदी

रिक्त स्थानों की पूर्ति करो (Fill in the blanks) : (1 Mark)

1. _______ को बैक्ट्रिया अधिवासी कहा जाता है।
उत्तर : इन्दो ग्रीक

2. पहाड़ से घिरे भू-भाग में अनेक छोटे-छोटे _______।
उत्तर : राष्ट्र बने।

3. भारत में सबसे अधिक __________ का महत्व था।
उत्तर : चीनी रेशम

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4. चीन में प्रथम __________ एवं __________ का कौशल आरंभ था।
उत्तर : कागज बनाने, लकड़ी के अक्षर बनाने

5. __________ शासकों में विभिन्न प्रकार की चाँदी की मुद्रा का प्रचलन था।
उत्तर : शक

6. __________ ने मिस्र को नील नदी का दान कहा था।
उत्तर : हेरोडोट्स

7. __________ के लोगों ने ही सर्वप्रथम लकड़ी के चक्के का प्रयोग प्रारंभ किया था।
उत्तर : सुमेर

8. __________ ग्रीस से आया था।
उत्तर : पोलिस सिद्धांत

9. __________ की चर्चा की एक प्रसिद्ध पुस्तक यवन जातक है।
उत्तर : ज्योतिष विज्ञान

बेमेल शब्दों को ढूंढकर लिखिए :-

  1. भृगुकच्छ, कल्याण, सोपारा, ताम्रलिप्त।
  2. वृद्धयश, कुमारजीव, परमार्थ, सुयान जांग।
  3. अलक्जेण्डर, सेल्यूकस, कनिष्क, मीनान्दर।
  4. युद्ध, संग्राम, लड़ाई, संधि।
  5. शहर, किरात, चाण्डाल, ब्राह्मण।
  6. ब्रीहि, शलि, कुमुद भन्डिया, गोलमरीच।
  7. लगाम, लम्बा, जोब्बा, वेल्ट।
  8. ताऊ-नाम, फाहियान, सुयान जांग, कुमारायन
  9. मेगास्थनीज, डायोनिसियास, विन्दुसार।
  10. भारत महासागार, अरब सागर, फारस सागर, कृष्ण सागर।

उत्तर :

  1. सोपारा
  2. सुयान जांग
  3. कनिष्क
  4. संधि
  5. ब्राह्मण
  6. गोलमरीच
  7. लगाम
  8. कुमारायन
  9. विन्दुसार
  10. कृष्ण सागर।

नीचे दिए गए वाक्यों में कौन सही एवं कौन गलत है उसे लिखिए :-

1. बैक्ट्रिया ग्रीक राजा को ही पुराण साहित्य में ‘यवन’ कहा जाता था।
उत्तर : सही

2. मिस्र के लोगों ने ही प्रथम लकड़ी के चक्के का प्रयोग प्रारंभ किया था।
उत्तर : गलत

3. वृहद्रथ एक कश्मीरी लेखक थे।
उत्तर : गलत

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4. पोलिस सिद्धांत ग्रीस से आया था।
उत्तर :सही

5. उपमहादेश के बाहर बौद्ध धर्म का प्रचार अशोक ने किया था।
उत्तर : सही

सही मिलान करो Match the following : (1 Mark)

प्रश्न 1.

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) नक्स-ई-रूस्तम (a) सीरिया
(ii) भृगुकच्छ (b) प्रथम दरायवौष
(iii) प्रथम आन्टिकस (c) नर्मदा नदी

उत्तर :

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) नक्स-ई-रूस्तम (b) प्रथम दरायवौष
(ii) भृगुकच्छ (c) नर्मदा नदी
(iii) प्रथम आन्टिकस (a) सीरिया

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प्रश्न 2.

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) नाग सेन (a) ईसाई धर्म
(ii) पंचसिद्धांतिका (b) बौद्ध धर्म
(iii) सेंट थामस (c) वाराहमिहिर

उत्तर :

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) नाग सेन (b) बौद्ध धर्म
(ii) पंचसिद्धांतिका (c) वाराहमिहिर
(iii) सेंट थामस (a) ईसाई धर्म

प्रश्न 3.

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) गन्डोफारनेस (a) बन्दरगाह
(ii) तोरमार (b) पल्हव राजा
(iii) कल्याण (c) मिहिरकुल

उत्तर :

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) गन्डोफारनेस (b) पल्हव राजा
(ii) तोरमार (c) मिहिरकुल
(iii) कल्याण (a) बन्दरगाह

प्रश्न 4.

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) बैक्ट्रिया (a) मीनान्दार
(ii) नाग सेन (b) सेवका शक
(iii) स्काईथीयरा (c) यवन

उत्तर :

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) बैक्ट्रिया (c) यवन
(ii) नाग सेन (a) मीनान्दार
(iii) स्काईथीयरा (b) सेवका शक

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प्रश्न 5.

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) सेंट थॉमस (a) बंदरगाह
(ii) पोलिस सिद्धांत (b) गान्डोफरनेस
(iii) फराओ (c) बौद्ध धर्म
(iv) कश्मीरी बौद्ध पंडित (d) ग्रीस
(v) ज्योतिष विज्ञान की पुस्तक (e) वृहद्रथ
(vi) नील नदी का दान (f) यवन जातक
(vii) इन्दो ग्रीक (g) मिस्र के शासक
(viii) नागसेन (h) हेरोडोटस
(ix) पल्लव राजा (i) बैक्ट्रिया अधिवासी
(x) कल्याण (j) ईसाई धर्म

उत्तर :

स्ताम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) सेंट थॉमस (a) बंदरगाह
(ii) पोलिस सिद्धांत (b) गान्डोफरनेस
(iii) फराओ (c) बौद्ध धर्म
(iv) कश्मीरी बौद्ध पंडित (d) ग्रीस
(v) ज्योतिष विज्ञान की पुस्तक (e) वृहद्रथ
(vi) नील नदी का दान (f) यवन जातक
(vii) इन्दो ग्रीक (g) मिस्र के शासक
(viii) नागसेन (h) हेरोडोटस
(ix) पल्लव राजा (i) बैक्ट्रिया अधिवासी
(x) कल्याण (j) ईसाई धर्म

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