Detailed explanations in West Bengal Board Class 6 History Book Solutions Chapter 7 अर्थनीति और जीवन यात्रा (अनुमानिक ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से ईसा के सप्तम शताब्दी का प्रथम भाग) offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 6 Geography Chapter 7 Question Answer – अर्थनीति और जीवन यात्रा (अनुमानिक ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से ईसा के सप्तम शताब्दी का प्रथम भाग)
विस्तृत उत्तर वालें प्रश्न (Detailed Answer Questions) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
प्रथम नगरायण (हड़प्पा) एवं द्वितीय (महाजनपद) के मध्य किस प्रकार का अन्तर देखने को मिलता है ?
उत्तर :
प्राचीन भारत के इतिहास में पहला नगर हड़पा सभ्यता में देखा गया। उसे प्रथम नगरायण कहा जाता है। उसके प्राय: चार हजार वर्ष के बाद ही पुन: नगर बनते हुए देखा गया। यह नगरायण मूलत: उत्तर भारत में विशेषकर गंगा घाटी में बना था। ईसा पूर्व के 600 साल के लगभग बन यह नगरायण द्वितीय नगरायण के रूप में परिचित था। उस युग के लेख में ग्राम और नगर के मध्य अन्तर देखने को मिलता है। अधिकांश महाजनपदों की राजधानी ही प्रसिद्ध नगर था। वे नगर पत्थर और मिट्टी अथवा ईंट से बने और आकार में घिरे हुए होते थे।
नगर ग्रामीण बस्ती की तुलना में आकार में बड़े थे। शासन और व्यवसाय से जुड़े हुए लोग प्रधानतः नगर में रहते थे। इनमें से कोई भी स्वयं अपने लिए खाद्य उत्पादन नहीं करता था। फलस्वरूप इसके लिए नियमित खाद्य ग्राम से आता था। इसलिए तो नगर ग्रामीण इलाके के आस-पास बनता था।
प्रश्न 2.
प्राचीन भारत में जल सिंचाई व्यवस्था क्यों की गई थी? उस युग की जल सिंचाई व्यवस्था एवं आज की जल सिंचाई व्यवस्था में क्या अंतर है?
उत्तर :
प्राचीन भारतीय उपमहादेश की जल सिंचाई व्यवस्था कृषि कार्य की उत्नति के लिए जरूरी थी। प्राचीन भारतीय उपमहादेश के शासक इस ओर ध्यान देते थे। नदी का जल सिंचाई के जरिए खेतों में पहुँचाने के लिए विभिन्न प्रयास करते थे। जल सिंचाई योजना को सेतु कहा जाता था। यह सेतु दो प्रकार का होता था। एक प्रकार का सेतु प्राकृतिक जल के उत्स को आधार करके था, तो दूसरा कृत्रिम उपाय दूसरे क्षेत्र से आवश्यक जल को लाकर सेतु बनाया जाता था। सेतु जल का प्रयोग करने के लिए किसानों को जल कर भी देना पड़ता था। धनी व्यक्ति स्वयं के प्रयास से जल सिंचाई योजना तैयार करते थे।
प्राचीन काल में भारत में भी कृत्रिम जलधारा बनाकर कूप या जलाशय से सिंचाई की जाती थी। प्राचीन भारत में चाक की तरह यंत्रों की सहायता से कूप के पानी को बाहर लाकर सिंचाई की व्यवस्था की जाती थी। वर्तमान युग में आधुनिक यंत्रों एवं बिजली का प्रयोग कर सिंचाई के यंत्रों को और भी उन्नत बनाया गया है।
प्रश्न 3.
सुदर्शन झील क्या था?
उत्तर :
प्राचीन भारतीय उपमहादेश में राजकीय प्रयास से जल सिंचाई व्यवस्था का एक प्रधान उदाहरण सदुर्शन झील था। मौर्य युग से लेकर गुप्त युग तक इस झील का प्रयोग होता रहा था। चन्द्रुप्त मौर्य के शासनकाल में काठियावाड़ क्षेत्र में यह बनाया गया था। बाड़ का मतलब शहर होता है। यह एक प्रकार से नदी आधारित बड़े पैमाने सिंचाई योजना (सेतु) है। अशोक के शासन काल में इस योज़ना में खाल (नहर) को भी जोड़ा गया। शक शासक रूद्रदमन इस झील का संस्कार (150 ईसवी) में किया। बाँध को बड़ा और शक्तिशाली बनाया गया। इस पूरे कार्य का वर्णन रूद्रदामन ने जूनागढ़ के एक शिलालेख में खुदाई करके किया है। गुप्त सम्राट स्कन्दगुप्त के शासन के प्रथम वर्ष में ही पुन: झील की संस्कार की आवश्यकता हुई। ईसा पूर्व के चतुर्थ शतक से लेकर ईसा के पंचम शतक तक सुदर्शन हद का लगातार प्रयोग होता था।
प्रश्न 4.
ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से लेकर ईसा पूर्व के चतुर्थ शताब्दी तक कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन का उल्लेख करो।
उत्तर :
महाजनपद के समय भारतीय उपमहादेश की अर्थनीति और समाज भी बदल गया था। जनपद कहने से कृषि आधारित ग्रामीण क्षेत्र को समझा जाता था। फलस्वरूप जनपद और महाजनपद में कृषिजीवी लोगों की बस्तियाँ भी थी। महाजनपदों में राजकर्मचारी और योद्धाओं के भरण-पोषण की पूर्ति कृषि से ही होती थी। अधिकांश जनपद गंगा घाटी के किनारे थे।
कृषि ही उस समय की प्रधान जीविका थी। उस युग के विभिन्न लेखों में कृषि कार्य के बारे में विवरण मिलता है। उर्वरता के अनुसार जमीन को विभिन्न प्रकार से बाँटा जाता था। विभिन्न प्रकार के ॠतुओं में विभिन्न प्रकार की खेती होती थी। ॠतु अनुसार फसलों के अलग-अलग नाम भी थे। कृषि में धान ही प्रधान फसल. था। धानों में सबसे प्रमुख शालि धान था। मगध क्षेत्र में शालि धान की खेती सबसे ज्यादा होती थी। कृषि फसलों में गेहूँ, जौ और ईख की खेती भी होती थी।
प्रश्न 5.
मौर्य युग में महिलाओं की क्या स्थिति थी?
उत्तर :
महिलाओं की साधारण स्थिति मौर्य काल में भी पूर्व जैसी ही थी। लेकिन घर-गृहस्थी के कार्यों के अलावा महिलाएं कुछ पेशाओं में योगदान करने के लिए बाहर भी जाती थीं। सूत उत्पादन के कार्य में महिला श्रमिकों के बारे में जानकारी मिलती है। गुप्तचर और राज कर्मचारी के रूप में भी महिलाओं की नियुक्ति होती थी।
प्रश्न 6.
मौर्य युग में व्यापार और वाणिज्य की स्थिति कैसी थी?
उत्तर :
मौर्य युग में ग्रीस, रोम, सिंहल एवं चीन इत्यादि देशों के साथ भारत का विदेशी व्यापार होता था। मौर्य युग में अर्थनीति मूलतः कृषि के ऊपर ही निर्भर था। समाज के अधिकांश लोग कृषि कार्य के साथ जुड़े हुए थे। आबादी का क्षेत्र बढ़ाने की ओर भी उस काल में विशेष ध्यान दिया जाता था। कारीगर और व्यापांरियों के कार्यों की खोज-खबर राज्य लेता था। खादान और खनिज संपदा के ऊपर राज्य का एकाधिक अधिकार था। खदानों की देखभाल के लिए राज कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती थी।
नमक को भी खानिज द्रव्य के रूप में स्वीकार किया गया था। व्यापार के विभिन्न पहलुओं से संबंधित विषय की खोज-खबर रखने के लिए अलग से राज कर्मचारी रहते थे। मौर्य काल में राजधानी के साथ साग्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में यातायात की व्यवस्था उन्नत थी। राजपथ की नियमित देखभाल करने के लिए राज कर्मचारी रहते थे। रास्ते के किनारे दूरी और दिशा को समझने के लिए संकेत (फलक) लगाया जाता था। उनमें से अधिकांशतः आज के किलोमीटर संकेत जैसा ही था।
प्रश्न 7.
मौर्यकाल में पुरुषों एवं महिलाओं का पहनावा कैसा था?
उत्तर :
मौर्य काल में साधारण पुरुष लगभग आज की तरह धोती-चादर की तरह पोशाक पहनते थे। महिलाएँ पोशाक के ऊपर चादर और दुपट्टे का प्रयोग करती थी। धनी और राजपरिवार के सदस्य कीमती पोशाक पहनते थे। सूती कपड़ों की माँग साधारण लोगों में सबसे ज्यादा थी। पशम और रेशम के कपड़े का प्रयोग भी होता था। अधिकांश पुरुष सिर पर पगड़ी पहनते थे। धनी लोग कीमती पत्थर और सोने के बने गहने भी पहनते थे।
प्रश्न 8.
कुषाण युग में आर्थिक एवं सामाजिक जीवन कैसा था?
उत्तर :
आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से इन पाँच सौ वर्षों में काफी बदलाव देखा जाता है। विन्ध्यांचल पर्वत के दक्षिण में पहले की तरह कृषि ही प्रधान जीविका थी। धान, गेहूँ, जौ, ईख (गन्ना), कपास आदि प्रधान फसल थे। दक्षिणात्य में काली मिट्टी में रूई की अत्यधिक खेती होती थी। केरल में गोलमरीच की खेती काफी प्रसिद्ध थी।
कृषि कार्य में विभिन्न प्रकार के उपकरण का प्रयोग इस समय देखने को मिला। मिट्टी की खुदाई से लोहे की कुल्हाड़ी, कुदाल एवं दाँव इत्यादि मिला। इस समय समस्त जमीन के ऊपर सम्राट का मालिकाना हक नहीं था। बल्कि अधिकांश जमीन के मालिक निर्दिष्ट व्यक्ति हुआ करते थे।
प्रश्न 9.
मेगास्थनीज की दृष्टि में भारतीय उपमहादेश का समाज कितने भागों में बँटा हुआ था ?
उत्तर :
मेगास्थनीज भारतीय उपमहादेश के समाज के चार वर्ण की बातों के बारे में नहीं जानते थे। पेशादार और वृत्तजीवी विभिन्न जातियों को उन्होंने देखा था। उनके अनुसार भारत का जन-समाज सात जातियों में विभक्त था। जैसे ब्राह्याण अथवा पण्डित, किसान, पशुपालक और शिकारी, शिल्पी और व्यवसायी, योद्धा, गुप्तचर अथवा पर्यटक एवं सचिव अथवा मंत्री। मेगास्थनीज का कहना था कि भारत में दास प्रथा नहीं थी।
प्रश्न 10.
उपमहादेश के भीतर और बाहर वाणिज्य के विकास के क्या कारण थे?
उत्तर :
वाणिज्य की उन्नति में जल मार्ग और स्थल मार्ग की भूमिका महत्वपूर्ण थी। विदेशी बाजार में उपमहादेश के मसलीन और दूसरे कपड़े की माँग थी। इसके अलावा हीरा, वैदुर्य, मुक्ता और मशाला का विदेशी बाजार में विशेष महत्व था। चीन का रेशम आयात द्रव्यों में सबसे प्रधान था। काँच से बनी विभिन्न वस्तुओं का विदेशों से आयात किया जाता था। इस समय कारीगरी शिल्प और पेशा में विभिन्नता बढ़ी थी। वाराणसी और मथुरा कीमती कपड़ा बनाने के लिए प्रसिद्ध थे। प्राचीन बांग्ला का सूक्ष्म कपड़ा मसलीन का भी विशेष महत्व था।
प्रश्न 11.
मौर्य युग में लोग अपने अवकाश के दिनों को कैसे व्यतीत करते थे?
उत्तर :
मौर्य युग में लोग अवकाश के समय को बिताने के लिए विभित्र प्रकार के उपाय करते थे। जैसे : नृत्य, गीत, और अभिनय का भी प्रचलन था। साथ ही साथ जादू का खेल और विभिन्न प्रकार की रस्सी के कसरत से साधारण लोगों को खुशी मिलती थी। पाशा (शतरंज खेलना, शिकार, रथ का दौड़, कुश्ती इत्यादि का खेल) धनी लोगों के लिए समय बिताने का माध्यम था। बड़े-बड़े उत्सवों में समस्त लोगों के लिए बिना पैसे का भोजन और पेयजल का वितरण किया जाता था।
प्रश्न 12.
सातवाहन शासनकाल में ग्राम्य जीवन कैसा था?
उत्तर :
ग्रामवासी मूलत: कृषिजीवी थे। धान, तेल का बीज, कपास और शन प्रमुख फसल थी। ग्राम के घर-द्वार बीचाली से बना था एवं दीवार देकर घिरा रहता था। तालाब, फूलों का बगीचा और बरगद के पेड़ सभी कुछ ग्राम में देखने को मिलता था। ग्राम में विभिन्न प्रकार के पालतू पशु-पक्षी थे। ग्राम में चौड़ा और पतला दोनों प्रकार के रास्ते थे। वर्षा के समय रास्ता कीचड़ से भर जाता था। ग्राम का शासन ग्रामीणों के हाथों में ही था। चोरी-डकैती से पैसा बचाने के लिए अधिकांश लोग मिट्टी की खुदाई करके मिट्टी के नीचे पैसे रखते थे। विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्र और चित्र बनाने की प्रथा ग्रामों में थी। उत्सव के समय ग्रामीण लोग नृत्य, गीत और वाद्य यंत्रों पर झूम उठते थे। सूर्य, अग्नि इत्यादि देवताओं की पूजा मंदिर में होती थी। ग्राम में बौद्ध धर्म का भी प्रचलन था।
प्रश्न 13.
ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी से छठवीं शताब्दी तक के लोगों का खान-पान कैसा था?
उत्तर :
प्राचीन भारीय उपमहादेश में चावल, गेहूँ, जौ और शाक-सब्जी ही प्रधान भोजन था। धनी व्यक्तियों में मांस खाने का ज्यादा प्रचलन था। मध्य वर्गीय समाज में दूध और दूध से बने विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ का प्रयोग होता था। गरीब लोग घी के बदले तेल का प्रयोग करते थे। इसके अलावा मटर, तिल, मधु, गुड़, नमक इत्यादि भोज्य पदार्थों का उल्लेखभी मिलता है। कुछ क्षेत्रों में निरामिष भोज्य पादर्थ पर ज्यादा महत्व दिया जाता था। सभी प्रकार की मछलियों के खाने पर प्रतिबन्ध था। दूध एवं विभिन्न प्रकार के फलों के रस से बने पानीय जल का प्रयोग होता था।
प्रश्न 14.
गुप्त युग में किस प्रकार की मुद्राओं का प्रचलन था?
उत्तर :
गुप्त युग की अनेक सोना एवं चाँदी की मुद्राएँ पाई गई हैं। गुप्त राजाओं द्वारा आरंभ की गई सोने की मुद्रा को दीनार और सुवर्ण कहा जाता था। सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चाँदी की मुद्रा सर्वप्रथम चालू किया गया। उस मुद्रा का नाम रूपक था। सोना और चाँदी की मुद्रा व्यापार-वाणिज्य में प्रयोग होता था। रोजमर्रा के कार्यों के लिए ताँबे की मुद्राओं का प्रचलन गुप्त शासको ने आरम्भ किया था। लेकिन गुप्त शकों के समय में दक्षिण में वाकटक शासक किसी भी प्रकार के मुद्रा का प्रचलन नहीं किए। फलस्वरूप भारतीय उपमहादेश के सभी जगहों पर मुद्रा का लेन-देन एक समान नहीं था। इसके अलावा समाज में कृषि कार्य के बढ़ने से व्यापार-वाणिज्य का प्रतिशत कम हो गया था। इन सबके कारण नगर पहले की तुलना में कमजोर हो गए थे।
प्रश्न 15.
उत्तर भारत के काले चमकते हुए मिट्टी के बर्तन के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर :
गौतम बुद्ध के समय में एक प्रकार से मिट्टी का बर्तन बनाने का उद्योग काफी विकसित था। पुरातत्वकार उन सभी को उत्तर भारत के काले चमकते हुए मिट्टी का बर्तन कहते थे। इन बर्तनों में पहले के समय के धुल-धुसरित मिट्टी के बर्तनों से काफी उन्नत किस्म की मिट्टी से इन बर्तनों को बनाया जाता था। कुम्हारों के चक्के का व्यापक प्रयोग होने के कारण यह बर्तन बनाना काफी सहज था। बर्तनों को अच्छी किस्म के चूल्हे में जलाकर काला किया जाता था। जलाने के बाद बर्तनों को पालिश किया जाता था। इन मिट्टी के बर्तनों से विभिन्न प्रकार की थाली और कटोरे बनाये जाते थे।
प्रश्न 16.
ई० पूर्व षष्ठ शताब्दी में नये-नये नगरों के विकास के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर :
ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी में प्रधानत: उत्तर भारत में नगरायण हुआ था। दूसरी तरफ इस समय प्राय: पूरे उपमहादेश में नए नगर बने। तक्षशिला सिरकाय का पुरातत्वकारों ने मिट्टी खोद कर एक नगर की खोज की। इससे यह कहा जा सकता है कि ईसा पूर्व 200 से 300 ई० ईस्वी तक नगरों की काफी उन्नति हुई थी। कुषाण युग में गंगा-यमुना की कादा मिट्टी से बनी हुई ईंट और जली हुई ईंटों का प्रयोग होता था। इस समय मथुरा काफी महत्वपूर्ण राजनैतिक और वाणिज्यिक केन्द्र था। सधुरा का भास्कर्य और दूसरा उद्योग भी प्रसिद्ध था।
मौर्य युग में प्राचीन बंगाल में महास्थानगढ़ और वानगढ़ नगर होने का उल्लेख मिलता है। वहीं दूसरी तरफ इस समय ताग्रलिप्ति, चन्द्रकेतुगढ़ इत्यादि नगर भी बना था। प्राचीन ओडिशा के क्षेत्र में शिशुपालगढ़ नगर की खोज हुई। दक्षिणात्य और दक्षिण भारत में इस समय नये-नये नगर बने। कावेरी नदी एवं द्वीप पर कावेरीपट्टनम बन्दरगाह काफी प्रसिद्ध था।
प्रश्न 17.
गुप्त युग की सामाजिक अवस्था कैसी थी?
उत्तर :
समाज में वर्णाश्रम व्यवस्था चालू थी। लेकिन सभी कठोर रूप से उसे नहीं मानते थे। निम्न वर्ग के लोगों के प्रति ब्राह्मणों के मनोभाव में विशेष बदलाव नहीं आया था। एक ही अपराध के लिए राजा द्वारा बाह्मण और शूद्रों को अलगअलग सजाएं मिलती थी। उधार लेने पर शूद्रों को काफी अधिक दर पर सूद देना पड़ता था, लेकिन इस युग में शूद्र कृषि, पशुपालन और व्यापार कर सकते थे। उस समय सबसे ज्यादा खराब स्थिति चांडालों की थी। वे ग्राम अथवा शहर में नहीं रह सकते थे। ऐसा था कि ब्वाह्मण उनके द्वारा छू न लिए जाएं इससे वे हमेशा बचा करते थे।
प्रश्न 18.
गुप्त युग में पारिवारिक व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर :
गुप्त युग में परिवार के प्रधान पिता हुआ करते थे। लड़कियों की कम उम्र में शादी करने की परंपरा थी। उस समय लड़कियों की शादी के समय कुछ सम्पत्ति मिलती थी। उस सम्पत्ति के ऊपर केवल लड़कियों का ही अधिकार होता था। इन्हें स्वीधन कहा जाता था I लड़कियाँ अपनी इच्छानुसार इस सम्पत्ति का प्रयोग करती थी लेकिन स्रीधन प्रथा समस्त वर्णों के मध्य प्रचलित नहीं था।
प्रश्न 19.
बंगाल में गुप्तकाल के ताप्रलेखों से क्या जानकारी प्राप्त हुई है?
उत्तर :
गुप्तकाल में बंगाल में पाये जाने वाले ताम्र लेखों में जमीन खरीदने-बेचने की बातों का उल्लेख मिलता है। कुछ क्षेत्रों में एक जमीन को पहले खरीदा जाता था। उसके बाद उस जमीन को बाह्मण अथवा बौद्ध-विहार को दान दे दिया जाता था। यह दान की गई जमीन साधारण कर के अन्तर्गत नहीं आती थी। गुप्त और गुप्त के पश्चात् युग में धार्मिक उद्देश्य के कारण इस जमीन दान को अग्रहार व्यवस्था कहा जाता था। इस व्यवस्था के फलस्वरूप जमीन का व्यक्तिग्त मालिकाना काफी बढ़ा था। दान में मिली हुई जमीन में कृषि श्रमिक की नियुक्ति की जाती थी। इस जमीन के उत्पादान से धार्मिक कार्यक्रम का खर्च ब्राह्मण और बौद्ध विहार वहन करते थे। कुछ खाली जमीन को दान के रूप में भी दिया जाता था। उस जमीन में भी कृषि श्रमिकों को नियुक्त किया जाता था जिसके फलस्वरूप वे जमीन भी आबादी वाली जमीन हो गई थी।
प्रश्न 20.
बौद्ध भिक्षु सुजान जांग (फाह्यान) ने अपने लेखों में भारतीय महादेश की तात्कालिक सामाजिक व्यवस्था पर क्या प्रकाश डाला है ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में फाह्यान चीन से भारतीय उपमहादेश में आया था। उनके लेख से उपमहादेश के मनुष्य और समाज के बारे में विभिन्न प्रकार की बातों की जानकारी मिलती हैं। लेकिन उनके लेख में कहीं भी चन्द्रगुप्त द्वितीय की बातों का उल्लेख नहीं है।
फाह्यान ने लिखा है कि उपमहादेश में बहुत सारे नगर थे। मध्य देश का नगर काफी उन्नत था। वहाँ की जनता सुख से निवास करती थी। लेकिन चाण्डाल नगर के बाहर रहता था। इसकी जानकारी उन्होंने ही दी। जो दुष्ट प्रवृत्ति के लोग थे उन्हें ही चण्डाल कहा जाता था। इस देश के लोग अतिथियों का सम्मान करते थे। विदेशियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो इस ओर विशेष ध्यान देते थे। पाटलिपुत्र देश का श्रेष्ठ नगर था। वहाँ के लोग सुखी और सम्पदशाली थे। धनी विशिष्टनगरों के विभिन्न स्थानों पर दातव्य चिकित्सा की व्यवस्था करते थे। बिना मूल्य में वहाँ से दवाइयाँ दी जाती थी। गरीब के लिए रहने एवं खाने की भी व्यवस्था की गई थी।
सुयान जांग के लेख में भारतवर्ष-ईन-तु नाम से परिचित हुआ। उनके अनुसार ईन-तु-र के लोग अपने देश को विभिन्न नामों से पुकारते थे। देश के पाँच भाग – उत्तर, दक्षिण। पूर्व, पश्चिम और मध्य। ईन-तु-ते में अस्सी राज्य थे। प्रत्येक राज्य में निजी राजा होने के बावजूद वे बड़े सम्माट के अनुगत थे।
सुयान जांग ईन-तु-ते को मूलत: गर्म देश कहा गया है। वहाँ पर नियमित वर्षा होती थी। उत्तर और पूर्व के क्षेत्रों में मिट्टी काफी उर्वर है। दक्षिण क्षेत्र वन से ढंका है। पश्चिम क्षेत्र की मिट्टी पत्थर की ओर अनुर्वर है। धान और गेहूँ प्रधान फसल था। लोगों के बीच जातिगत भेद-भाव भी था।
शहर के घर ईंट और बालू से बनता था। घर का बरामदा लकड़ी से बनता था। ग्राम के घरों की दीवार और फर्श मिट्टी की थी। विभिन्न प्रकार के कीमती धातु और पत्थरों का व्यवसाय होता था। शासक वर्ग जनता की सुविधा की बातों को हमेशा ध्यान में रखते थे।
प्रश्न 21.
भोगपटिका क्या है ? ‘ब्रहोदय’ एवं ‘देवदान’ सम्पत्ति से तुम क्या समझते हो?
उत्तर :
गुप्त युग की कृषि अर्थनीति में ‘भोगपटिका’ एवं ‘बह्मदोय’ तथा ‘देवदान सम्पत्ति’ की विशेष भूमिका थी-
(i) भोगपटिका : गुप्त युग में राज्य कर्मचारियों को वेतन के बदले जमीन दान की प्रथा का प्रचलन था। इस प्रथा के अनुसार वे तीन पुश्तों तक भूमि भोग करने की रीति थी। इसी प्रकार की भूमि को ग्रहण करने वाले कोभोगपटिका कहा जाता था।
(ii) ‘ब्रहोदय’ एवं ‘देवदान’ :- राजा द्वारा किसी भूमि को एक या एक से अधिक ब्राह्मण को दान करने की प्रथा को ‘ब्रह्योदय’ सम्पत्ति कहा गया है। दूसरी तरफ जिस जमीन की राजस्व स्वामित्व मंदिर की पूजा के लिए दान किया जाता था उसे ‘देवदान’ सम्पत्ति कहा गया है।
प्रश्न 22.
प्राचीन युग में जाति प्रथा के विषय में क्या जानते हो?
उत्तर :
प्राचीन युग में जाति प्रथा का अस्तित्व था :-
(i) मौर्य युग : मूलतः मौर्य युग से ही जातिभेद प्रथा की धारणा स्पष्ट होने लगी थी।
(ii) मौर्य परवर्ती युग : लोहा की खोज, नगरों का विकास, वाणिज्य वृद्धि होने के फलस्बरूप जातिभेद प्रथा के नियम शिथिल हो गये।
(iii) गुप्त युग :- गुप्त युग में मिस्न या शंकर जाति का अस्तित्व रहते हुए भी उन्हें समाज में असृश्य ही समझा जाता था। जैसे – चांडाल।
प्रश्न 23.
प्राचीन भारत के इतिहास में प्रथम नगर कहाँ देखा गया? संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर :
प्राचीन भारत के इतिहास में पहला नगर हड़प्पा सभ्यता में देखा गया। उसे प्रथम नगरायण कहा जाता है। उसके प्राय: चार हजार वर्ष के बाद ही पुन: नगर बनते हुए देखा गया। यह नगरायण मूलतः उत्तर भारत में विशेषकर गंगा घाटी में बना था। ईसा पूर्व के 600 साल के लगभग बने इस नगरायण को द्वितीय नगरायण के रूप में जानते हैं। उस युग के लेख में ग्राम और नगर के मध्य स्पष्ट पार्थक्य देखने को मिला। अधिकांश महजनपदों की राजधानी ही प्रसिद्ध नगर था। वे नगर पत्थर और मिट्टी अथवा ईंट से बनी दीवारों से घिरा हुआ था।
नगर ग्रामीण बस्ती की तुलना में आकार में बड़ा था। शासन और व्यवसाय से जुड़े हुए लोग प्रधानत: नगर में रहते थे। इनमें से कोई भी स्वय अपने लिए खाद्य उत्पादन नहीं करता था। फलस्वरूप कुछ नवीन जीविका के बारे में भी जानकारी मिली है। इस समय उत्तर भारत में धोबी, नाई और चिकित्सक की जीविका काफी परिचित थी।
परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति पुरुष के बाद ही थी। महिलाओं के लिए शिक्षा का अवसर क्रमश: कम हो गया था। छोटी सी उम्र में लड़कियों का विवाह करने की परपरा क्रमशः समाज में बढ़ गया लेकिन महिलाओं के प्रति बौद्ध धर्म का सोच-विचार ब्राह्मण धर्म की तुलना में कुछ उदार था।
प्रश्न 26.
कुषाण युग में कारीगर एवं व्यवसायियों के संघ की स्थिति का उल्लेख करो।
उत्तर :
ईसा पूर्व के षष्ठीं शताब्दी से ही व्यापार-वाणिज्य काफी बढ़ गया था। साथ ही साथ कारीगर और व्यवसायियों का संघ बना था। यह संघ कारीगरी और व्यापार से संबंधित विवादों को बात-चीत से निपटाते थे। इसके अलावा पेशागत सुरक्षा की और भी संघ ध्यान रखता था। वस्तुओं की गुणगत मान और कीमत ठीक रखने का दायित्व संघ के अंतर्गत आता था। यह संघ श्रेणी, गण इत्यादि नामों से परिचित था।
कुषाण युग में पेशा निजस्व के कानून के अनुसार चलते थे, लेकिन बड़ी गड़बड़ी होने पर राजा अथवा सम्राट व्यवस्था लेते थे। श्रेणी:अथवा संघ नियमित रूप से अर्थ का लेन-देन करता था। समाज के विभिन्न प्रकार के लोग वहाँ पर अपनी अमानत के धन को जमा रखते थे। नगर अर्थ के अलावा जमीन, पेड़ इत्यादि स्थायी अमानत के रूप में भी रखा जाता था। उस जमा अमानत पर सूद भी दिया जाता था। इस अमानत के धन को विभिन्न शिल्पों को मूलधन के रूप में दिया जाता था। इस तरह श्रेणी अथवा संघ एक प्रकार से बैंक जैसा ही कार्य करता था। नर्मदा नदी के उत्तर में हीरे की खान को लेकर कुषाण, सातवाहन एवं शक-क्षत्रप के बीच लड़ाई हुआ करती थी।
प्रश्न 27.
प्राचीन भारतीय उपमहादेश के लोगों के भोज्य-पदार्थ क्या-क्या थे ?
उत्तर :
प्राचीन भारतीय उपमहादेश के लोगों के भोज्य पदार्थ चावल, गेहूँ, जौ और शाक-सब्जियाँ थे। धनी व्यक्तियों में माँस खाने का ज्यादा प्रचलन था। मध्य वर्गीय समाज में दूध और दूध से बने विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थ का प्रयोग होता था। गरीब लोग घी के बदले तेल का प्रयोग करते थे। इसके अलावा मटर, तील, मधु, गुड़, नमक इत्यादि भोज्य पदार्थ का उल्लेख मिलता है। कुछ क्षेत्रों में निरामिष भोज्य-पदार्थ का ज्यादा महत्व दिया जाता था। ऐसा कि सभी प्रकार की मछली खाने पर भी निषेधाधिकार था। दूध एवं विभिन्न प्रकार के फलों के रस से बने पानीयजल का प्रयोग ही होता था।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (Multiple Choice Question & Answer) : (1 Mark)
प्रश्न 1.
जनपद _________ ग्रामीण इलाका था।
(क) कृषि आधारित
(ख) शिल्प आधारित
(ग) श्रमिक आधरित
उत्तर :
(क) कृषि आधारित
प्रश्न 2.
मौर्य युग में अर्थनीति मूलत: _________ के ऊपर निर्भर करती थी।
(क) शिल्प
(ख) कृषि
(ग) वाणिज्य
उत्तर :
(ख) कृषि
प्रश्न 3.
गुप्त और गुप्त-पश्चात् युग में धार्मिक उद्देश्यों के लिए जमीन दान को _________ व्यवस्था कहा जाता था।
(क) सामंत
(ख) सामंत
(ग) अग्रहार
उत्तर :
(ग) अग्रहार
प्रश्न 4.
गुप्त एवं पश्चात् गुप्तकाल में _________ प्रमुख फसल होती थी।
(क) धान
(ख) गेहूँ
(ग) जूट
उत्तर :
(क) धान
प्रश्न 5.
गाथा सप्तशती ग्रन्थ का संकलन _________ ने किया था।
(क) सप्तकणा
(ख) हॉल
(ग) नहपाहन
उत्तर :
(ख) हॉल
प्रश्न .
सोलह महाजनपद के समय वस्त्र उद्योग के रूप में _________
(क) वाराणसी
(ख) मगध प्रसिद्ध था।
उत्तर :
(क) वाराणसी
प्रश्न 7.
ई० पू० _________ सदी के बाद से ही पालतू पशुओं की बलि में कमी आयी थी।
(क) चौथा
(ख) पाँचवीं
(ग) छठवीं
उत्तर :
पाँचवीं।
प्रश्न 8.
ई० पू० _________ के समय के नगरायण को द्वितीय नगरायण कहा जाता है।
(क) 400
(ख) 600
(ग) 500
उत्तर :
(ख) 600
प्रश्न 9.
सोलह महाजनपद के समय कर्यापन बहुत ही प्रचलित एक प्रकार की _________ थी।
(क) मुद्रा
(ख) लिपि
(ग) कर
उत्तर :
(क) मुद्रा
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो (Fill in the blanks) : (1 Mark)
1. प्राचीनकाल में वस्त्र उद्योग का केन्द्र _________ था।
उत्तर : वाराणसी
2. इतिहास के अनुसार प्रथम नगरायण का समय _________ है।
उत्तर : ई० पू० 1600
3. धान _________ एवं _________ काल में मुख्य फसल थी।
उत्तर : गुप्त वंश परवर्ती गुप्त
4. प्राचीनकाल में चिकित्सक को _________ कहते थे।
उत्तर : वैद्य
5. गुप्त राजा के सोने की मुद्रा का नाम _________ था।
उत्तर : दीनार
6. इतिहास के अनुसार द्वितीय नगरायण का समय _________ माना जाता है।
उत्तर : ई० पू० 600
7. मौर्यकालीन अर्थनीति मूलत: _________ पर ही निर्भर था।
उत्तर : कृषि
8. हाल ने _________ ग्रंथ का संकलन किया था।
उत्तर : गाथा सप्तशती
9. सोलह महाजनपद काल में वाराणसी _________ के लिए प्रसिद्ध था।
उत्तर : वस्त शिल्प
10. इतिहासकारों के अनुसार सुदर्शन झील जीर्णोद्धार _________ माना गया है।
उत्तर : 150 ई०
11. ई० पू० छठवीं सदी के बाद ही _________ की बली में कमी आई।
उत्तर : पालतू पशुओं
12. मथुरा _________ दोआब अंचल का नगर है।
उत्तर : गंगा-यमुना
13. मेगास्थनीज ने पेशा के आधार _________ जातियों का उल्लेख मिलता है।
उत्तर : सात
14. मौर्य युग का प्रधान हद _________ है।
उत्तर : सुदर्शन हद
15. गुप्त युग में _________ एवं _________ पाई गई हैं।
उत्तर : सोना एवं चाँदी
सही विकल्प को चुनकर चिह्न (✓) लगाओ :
1. मौर्य युग में उत्पादित फसल का \(\frac{1}{4}\) से \(\frac{1}{6}\) भाग राजस्व के रूप में देना पड़ता था।
उत्तर : सही।
2. मौर्य युग में धनी और राजपरिवार के लोग भी धोती-चादर ही पहनते थे।
उत्तर : गलत।
3. सोलह जनपद के लोगों का प्रधान जीविका कृषि एवं पशुपालन था।
उत्तर : गलत।
4. मौर्य युग के लोगों का प्रधान जीविका कृषि एवं पशुपालन था।
उत्तर : सही।
5. मेगास्थनीज में पेशा के आधार पर हमेशा सात जातियों का उल्लेख मिलता है।
उत्तर : सही।
6. मौर्य युग में जाति भेद प्रथा का अस्तित्व बिल्कुल भी नहीं था।
उत्तर : गलत।
7. मौर्य युग में महिलाओं को सर्वाधिक अपमान सहना पड़ता था।
उत्तर : गलत।
8. मौर्य युग में स्रियों को सैनिक में भर्ती लिया गया था।
उत्तर : सही।
निम्नलिखित कथन के साथ नीचे के व्याख्याओं में कौन-सी व्याख्या उपयुक्त है ? उसे ढूढ़कर लिखो।
1. कथन : मौर्य परवर्ती युग में बहुत सारे गिल्ड बना था।
व्याख्या : 1 : राजा ने व्यापार वाणिज्य को बढ़ाने के लिए गिल्ड बनाया था।
व्याख्या : 2 : कारीगर और व्यापारी गिल्ड बनाये थे।
व्याख्या : 3 : साधारण लोगों ने पैसों के लेन-देन और एकत्रित रखने के लिए गिल्ड बनाया था।
उत्तर :
व्याख्या : 2 : कारीगर और व्यापारी गिल्ड बनाये थे।
2. कथन : दक्षिणात्य में अच्छी किस्म की रूई की खेती होती थी।
व्याख्या : 1 : दक्षिणात्य की काली मिट्टी रूई की खेती के लिये अच्छी थी।
व्याख्या : 2 : दाक्षिणात्य के सभी किसान केवल रूई की खेती करते थे।
व्याख्या : 3: दाक्षिणात्य की जमीन पर और कोई फसल नहीं होती थी।
उत्तर :
व्याख्या : 1 : दक्षिणात्य की काली मिट्टी रूई की खेती के लिये अच्छी थी।
सही मिलान करो Match the following : (1 Mark)
प्रश्न 1.
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) कावेरीपट्टनम बन्दरगाह | (क) प्राचीन ओंडिशा |
(ii) गंगा यमुना दोआब अंचल के नगर | (ख) बंगाल |
(iii) शिशुपाल गढ़ | (ग) मथुरा |
(iv) ताप्रलिप्त बन्दरगाह | (घ) तमिलनाडु |
उत्तर :
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) कावेरीपट्टनम बन्दरगाह | (घ) तमिलनाडु |
(ii) गंगा यमुना दोआब अंचल के नगर | (ग) मथुरा |
(iii) शिशुपाल गढ़ | (क) प्राचीन ओंडिशा |
(iv) ताप्रलिप्त बन्दरगाह | (ख) बंगाल |
प्रश्न 2.
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) व्यापारिक संगठन | (क) वन |
(ii) गुप्त राजा के सोने की मुद्रा का नाम | (ख) दीनार |
(iii) द्वितीय चंद्रगुप्त के समय की चाँदी की मुद्रा का नाम | (ग) व्यापारिक गाँव |
(iv) व्यापारिक संघ | (घ) रूपक |
उत्तर :
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) व्यापारिक संगठन | (ग) व्यापारिक गाँव |
(ii) गुप्त राजा के सोने की मुद्रा का नाम | (ख) दीनार |
(iii) द्वितीय चंद्रगुप्त के समय की चाँदी की मुद्रा का नाम | (घ) रूपक |
(iv) व्यापारिक संघ | (क) वन |
प्रश्न 3.
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) रूद्रदमन | (क) सातवाहन शासक |
(ii) स्कन्दगुप्त | (ख) मौर्य शासक |
(iii) अशोक | (ग) गुप्त शासक |
(iv) हाल | (घ) शक शासक |
उत्तर :
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) रूद्रदमन | (घ) शक शासक |
(ii) स्कन्दगुप्त | (ग) गुप्त शासक |
(iii) अशोक | (ख) मौर्य शासक |
(iv) हाल | (क) सातवाहन शासक |
प्रश्न 4.
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) सूदर्शन हद | (क) उत्तर भारत |
(ii) गंगा-यमुना दोआब का अंचल नगर | (ख) वेतन के बदलने जमीन |
(iii) चमकते मिट्टी के बरतन | (ग) ई० पू० छठवीं सदी |
(iv) पालतु पशुओं की बलि में कमी | (घ) एक से अधिक ब्राह्मण को दान |
(v) रेशम मार्ग | (ङ) ब्राह्मणों की प्रधानता |
(vi) भोग पटिका | (च) मथुरा |
(vii) देवदान | (छ) चीन बैक्ट्रिया होते हुए रोमन |
(viii) गुप्त युग | (ज) मौर्य युग का प्रमुख हद |
(ix) जाति भेदक अस्तित्व कायम | (झ) मौर्य युग |
(x) स्कन्दगुप्त | (স) गुप्त शासक |
उत्तर :
स्ताम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) सूदर्शन हद | (ज) मौर्य युग का प्रमुख हद |
(ii) गंगा-यमुना दोआब का अंचल नगर | (च) मथुरा |
(iii) चमकते मिट्टी के बरतन | (क) उत्तर भारत |
(iv) पालतु पशुओं की बलि में कमी | (ग) ई० पू० छठवीं सदी |
(v) रेशम मार्ग | (घ) एक से अधिक ब्राह्मण को दान |
(vi) भोग पटिका | (ख) वेतन के बदलने जमीन |
(vii) देवदान | (घ) एक से अधिक ब्राह्मण को दान |
(viii) गुप्त युग | (স) गुप्त शासक |
(ix) जाति भेदक अस्तित्व कायम | (ङ) ब्राह्मणों की प्रधानता |
(x) स्कन्दगुप्त | (झ) मौर्य युग |