WBBSE Class 6 History Solutions Chapter 6 साम्राज्य विस्तार और शासन (अनुमानिक ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से ईसा के सातवीं शताब्दी तक)

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WBBSE Class 6 Geography Chapter 6 Question Answer – साम्राज्य विस्तार और शासन (अनुमानिक ईसा पूर्व के षष्ठ शताब्दी से ईसा के सातवीं शताब्दी तक)

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
बिम्बसार कौन था ?
उत्तर :
विम्बसार मगध में हर्यक वंश का संस्थापक था।

प्रश्न 2.
छठीं शताब्दी ई० पू॰ में उत्तर में कितने महाजनपद थे?
उत्तर :
सोलह महाजनपद थे।

प्रश्न 3.
बिम्बसार की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर :
राजगृह ।

प्रश्न 4.
नन्दवंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर :
महापद्मनन्द।

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प्रश्न 5.
नन्दवंश का अंतिम राजा कौन था ?
उत्तर :
धनानन्द।

प्रश्न 6.
मौर्य वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त मौर्य।

प्रश्न 7.
अलेक्जेण्डर कौन था ?
उत्तर :
मेसीडोनिया के शासक फिलिप का द्वितीय पुत्र था।

प्रश्न 8.
मौर्य वंश का सबसे श्रेष्ठ शासक कौन था ?
उत्तर :
सम्राट अशोक।

प्रश्न 9.
चन्द्रगुप्त मौर्य का राजतिलक कब हुआ था?
उत्तर :
ईसा पूर्व 321 में।

प्रश्न 10.
चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आने वाले यूनानी दूत का नाम बताइए।
उत्तर :
मेगास्थनीज।

प्रश्न 11.
मेगास्थनीज कौन था ?
उत्तर :
मेगास्थनीज चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आने वाला सेल्यूकस का यूनानी राजदूत था।

प्रश्न 12.
अशोक का राज्याभिषेक कब हुआ था?
उत्तर :
269 ईसा पूर्व में।

प्रश्न 13.
अशोक ने कलिंग पर कब आक्रमण किया था ?
उत्तर :
262-61 ईसा पूर्व में।

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प्रश्न 14.
अशोक का हृदय परिवर्तन करने वाले युद्ध का नाम बताइए।
उत्तर :
कलिंग का युद्ध।

प्रश्न 15.
अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा किसने दी?
उत्तर :
आचार्य उपगुप्त।

प्रश्न 16.
अशोक ने कौन-सी उपाधियाँ धारण की?
उत्तर :
देवानाम् प्रिय और प्रियदर्शी।

प्रश्न 17.
सतवाहन वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर :
सिमुक।

प्रश्न 18.
सतवाहन वंश का सबसे श्रेष्ठ शासक कौन था ?
उत्तर :
गौतमी शतकर्णी।

प्रश्न 19.
कुषाण वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर :
कुजुल कदफिस प्रथम।

प्रश्न 20.
कनिष्क की राजधानी कहाँ थी ?
उत्तर :
पुरुषपुर (आधुनिक पेशावर)।

प्रश्न 21.
विक्रमादित्य की उपाधि किसने धारण की?
उत्तर :
स्कन्दगुप्त।

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प्रश्न 22.
अर्थशास्त्र के रचयिता कौन थे?
उत्तर :
कौटिल्य।

प्रश्न 23.
इण्डिया के रचयिता का नाम बताइए।
उत्तर :
मेगास्थनीज।

प्रश्न 24.
चरक संहिता की रचना किसने की?
उत्तर :
चरक ने।

प्रश्न 25.
गुप्त शासकों की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर :
पाटलिपुत्र।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
कलिंग युद्ध के परिणाम के साथ अशोक का धम्म से क्या सम्बंध था ? धम्म उसके शासन को कितना प्रभावित किया था ?
उत्तर :
कलिंग युद्ध एवं अशोक के धम्म का संपर्क : कलिंग युद्ध के भयंकर नर-संहार को देखकर अशोक का हृदय काँप गया था। इस दृश्य को देखकर अशोक ने कभी भी किसी दूसरे राज्य पर आक्रमण नहीं करने का निर्णय लिया। उसी समय अशोक उपगुप्त नामक बौद्धभिक्षु द्वारा अहिंसा मंत्र से दीक्षित हुआ।

अशोक के शासन पर धम्म का प्रभाव : शासक के रूप में अशोक अहिंसा नीति को मानकर मौर्य शासन का संचालन करने लगा। उन्होंने युद्ध नीति के स्थान पर लोक कल्याणकारी नीति को ग्रहण किया।

प्रश्न 2.
साप्राज्य से क्या समझते हो ?
उत्तर :
साम्राज्य एक विशाल अंचल (क्षेत्र) को कहा जाता है। अनेक राज्यों को जोड़कर एक बड़ा शासन क्षेत्र होता है। वह बड़ा शासन क्षेत्र ही साम्राज्य कहलाता है।

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प्रश्न 3.
सप्राट या शासक किसे कहते हैं ?
उत्तर :
साम्राज्य में जो शासन करते है उसे ही सम्राट कहते हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय उपमहादेश में प्रथम साप्राज्य किस प्रकांर था ?
उत्तर :
जनपद से ही महाजनपद का निर्माण हुआ था। एक-एक महाजनपद ही एक-एक राज्य था। मगध महाजनपद में लगातार तीन राजवंशों ने शासन किया था। वे सब राजा ही दूसरे महाजनपदों को अधिकांशतः अपने-अपने दखल में |कया। अन्त में मगध को केन्द्र बिन्दु बनाकर ही भारत में प्रथम साम्राज्य बना और नाम मौर्य साम्राज्य पड़ा।

प्रश्न 5.
अलक्जेण्डर कौन था? वह भारत उपमहादेश में कब और किसलिए आया था?
उत्तर :
अलक्जेण्डर यूनानी शासक फिलिप का द्वितीय पुत्र था।
ईसा पूर्व 300 साल के लगभग हिन्दुकुश पर्वत को पार करके भारतीय उपमहादेश में अलक्जेण्डर ने प्रवेश किया। उपमहादेश के विभिन्न छोटे बड़े शासकों के साथ उसका युद्ध हुआ था। इन युद्धों में एंडरल पोरस के साथ हुई उसकी नड़ाई प्रसिद्ध है। पोरस की पराजय हुई लेकिन उसकी वीरता की भावना को ग्रीकों ने सम्मान दिया।
अलेक्जेण्डर प्राय: 3 साल बाद एशिया होते हुए जब ग्रीस लौट रहा था तभी रास्ते में बेवीलोन में उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 6.
चन्द्रगुप्त मौर्य के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त मौर्य, मौर्य वश का संस्थापक था। उसके विषय में इतिहासकारों में मतभेद है। एक अनुश्रुति के भनुसार चन्द्रगुप्त का जन्म महापद्मनन्द की एक दासी मूरा के गर्भ से हुआ था। अनेक विद्वानों का अनुमान है कि मूरा के नाम पर ही चन्द्रगुप्त ने अपने वंश का नाम मौर्य रखा। अनेक इतिहासकारों का कहना है कि चन्द्रगुप्त अपना बाल्यकाल और किशोरावस्था अपनी माता के साथ मगध में बिताया। वह नन्द शासक धनानन्द की सेवा में था एवं अपनी योग्यता के आधार पर सेनापति के पद पर पहुँच गया था। परन्तु बाद में चन्द्रगुप्त से असंतुष्ट होकर नन्द राजा ने उसे मृत्यदण्ड दे ददया। चन्द्रगुप्त ने किसी प्रकार मगध से भागकर अपने प्राण की रक्षा की। इसी दौरान उसकी भेंट तक्षशिला के आचार्य विष्गुगुप्त या चाणक्य से हुई जो पहले से ही नन्द वंश का नाश चाहता था और दोनों ने मिलकर नन्द वंश का विनाश किया और 322 ई० पू॰ के आसपास मगध की गद्दी पर बैठा।

प्रश्न 7.
अर्थशास्त्र के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर :
कौटिल्य ने ‘अर्थशास्त’ की रचना की जो राजनैतिक दर्शन का एक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। अर्थशास्त के अनुसार गक्ष्रीय शासन कार्य का प्रधान राजा होता था। उनकी बात ही अंतिम बात होती थी। जरूरत पड़ने पर राजा को छल और नालाकी भी करना पड़ता था। राज-काज के समस्त विषयों के बारे में गम्भीरता से अर्थशास्त में जिक्र है। पुस्तक मेंभी लिखा गया है – शासक को क्या-क्या करना चाहिए। लेकिन उसके सभी उपदेशों को मौर्य शासक मानते थे, ऐसी बात नहीं है।

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प्रश्न 8.
चन्द्रगुप्त मौर्य की उपलब्धियों के विषय में क्या जानते हो ?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत का सर्वश्रेष्ठ राजा था।
मौर्य वंश की उपलब्धियाँ :-

  1. मौर्य वंश की स्थापना : चन्द्रगुप्त मौर्य ने धनानन्द को पराजित कर एवं उसे मारकर मौर्यवंश की स्थापना ई० पू० 324 में की।
  2. ग्रीक शासन को समाप्त करना : चन्द्रगुप्त मौर्य ने उत्तर-पश्चिम भारत में ग्रीक शासन को समाप्त किया।
  3. सुविशाल साप्राज्य का निर्माण : चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक सुविशाल साम्माज्य की स्थापना की।

प्रश्न 9.
अशोक कौन था ?
उत्तर :
अशोक बिन्दुसार का पुत्र था। वह अपने पितामह चन्द्रगुप्त की भाँति वीर और पराक्रमी था। पिता की मृत्यु के पश्चात् अपने निन्याबे भाइयों की हत्या कर 268 ई० पू० गद्दी पर बैठा था।

प्रश्न 10.
कलिंग युद्ध का संक्षिप्त विवरण दीजिए :
उत्तर :
मगध के पड़ोस में ओडिशा क्षेत्र के अन्तर्गत कलिंग राज़्य था, जो स्वतंत्र एवं शक्तिशाली था। 262 ई० पू० उसने कलिंग पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में लगभग सवा लाख व्यक्ति मारे गये और लगभग डेढ़ लाख बन्दी बनाए गए। भीषण नर संहार के कारण अशोक को युद्ध से घृणा हो गई। इस हिंसा के लिए अशोक को काफी दु:ख हुआ। कहा जाता है कि बौद्ध संन्यासी उपगुप्त ने अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी। बौद्ध धर्म के प्रभाव के कारण अशोक ने हिंसा को बन्द किया। युंद्ध करना भी छोड़ दिया। पशुओं को मारना भी बन्द कर दिया।

प्रश्न 11.
अशोक के साप्राज्य की सीमा क्या थी?
उत्तर :
अभिलेखों द्वारा ज्ञात होता है कि अशोक का साम्राज्य सम्पूर्ण उत्तरी भारत, पथ्चिम में अफगानिस्तान तथा बलूचिस्तान, पूर्व में बंगाल एवं कलिंग और दक्षिण-पश्चिम में सौराष्ट्र तक विकसित था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार नेपाल और कश्मीर भी अशोक के राज्य में सम्मिलित थे।

प्रश्न 12.
अशोक का धम्म क्या था ?
उत्तर :
अशोक का धम्म केवल एक धर्म न होकर आदर्श जीवन-यापन की एक रूपरेखा अथवा आचार संहिता था। उसके धम्म में सभी धर्मों का निचोड़ था। उसके धम्म का मूल आधार अहिंसा और सहिष्णुता थी।

अशोक के धम्म का उद्देश्य प्राणीमात्र का उद्धार करना था। उनके ‘धम्म’ में संसार के सभी अच्छे गुणों का समावेश है। अशोक के विचार में एक सच्चा धर्म वही होता है जिसमें बड़ों का आदर, आज्ञापालन, अहिंसा, धार्मिक सहनशीलता, सत्य, दान, सच्चे रीति-रिवाज, शुद्ध जीवन आदि सभी बातों का समावेश रहता है। भारतीय इतिहास में अशोक की महानता के मूल में उसकी विजय नहीं वरन् उनका ‘धम्म’ ही है।

प्रश्न 13.
मौर्य सम्राट गुप्तचर की नियुक्ति क्यों करते थे?
उत्तर :
साप्राज्य की खोज-खबर रखने के लिए मौर्य साम्राज्य में गुप्तचर की नियुक्ति की गई थी। विदेशी अथवा अपरिचित लोगों पर गुप्तचरों का ध्यान रहता था। राज्य कर्मचारी ऐसे थे कि राजकुमार भी इनकी दृष्टि से नहीं बच पाते। साम्राज्य की सारी खबरें सम्राट के पास पहुँच जाती थीं।

प्रश्न 14.
मेगास्थनीज की दृष्टि में पाटलिपुत्र नगर का संचालन किस तरह होता था?
उत्तर :
मेगास्थनीज के लेख से पाटलिपुत्र नगर के शासन संचालन के बारे में जानकारी मिलती है। नगर संचालन के लिए छ: दल मिलकर ही पूरे नगर के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों की देख-भाल करते थे। वे मंदिर, मस्जिद, बन्दरगाह एवं वस्तुओं की कीमत को तय करते थे। नगर संचालन के कार्य के लिए सैनिक भी रहते थे।

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प्रश्न 15.
कलिंग युद्ध का क्या महत्व है?
उत्तर :
कलिंग युद्ध में हुए भीषण नरसहार को देखकर अशोक का हुदय करुणा से पसीज उठा और उसने भविष्य में कभी भी युद्ध न करने की प्रतिज्ञा की। उसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर दिग्विजय के स्थान पर धर्म विजय की नीति को अपनाया।

प्रश्न 16.
मौर्य साग्राज्य के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
मौर्य साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण थे :

  1. विशाल साम्राज्य और अयोग्य उत्तराधिकारी : मौर्य साम्राज्य इतना विशाल हो गया था कि अशोक के बाद उसके अयोग्य उत्तराधिकारी उसे सम्भाल नहीं सके जिसके कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया।
  2. अशोक की अहिंसात्मक नीति : अशोक की अहिंसा की नीति मौर्य वंश के पतन का सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कारण थी।
  3. योग्य उत्तराधिकारी का अभाव : मौर्य वंश के पतन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण योग्य उत्तराधिकारी का अभाव था। अशोक के बाद मौर्य वंश का कोई भी शासक योग्य नहीं हुआ जिसके कारण मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया।

प्रश्न 17.
मौर्यकाल में जंगल के निवासियों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर :
मौर्य शासन विभिन्न प्रकार के लोगों को एक ही स्थान के अन्तर्गत लाना चाहते थे। लेकिन जंगल के निवासियों के प्रति उनकी सोच अन्छी नहीं थी। जंगल में जो लोग रहते थे उन्हें नीच, असभ्य और बेकार समझा जाता था। अटवी का अर्थ है – जंगल/ जो जंगल में रहते हैं, वे आटवीक हैं। कहा जाता था कि वे विभिन्न प्रकार के झमेले का सूत्रपात मौर्य साग्राज्य में करते थे। वहीं दूसरा समूह जंगल के निवासी अरण्यचर था। वे बहुत ही शांत और अच्छे थे। लेकिन जंगल के निवासियों को जनपद में नहीं रखा जाता था। गुप्तचर ऋषि के रूप में उन पर नजर रखते थे। जंगल से बहुत कुछ मिलता था। इस जंगल के ऊपर अपना कब्जा जमाना जरूरी था। पेड़ काटने अथवा पशु-पक्षी को मारने पर उन्हें द्ण्ड भी मिलेगा। ऐसी घोषणा समाट अशोक ने की थी ।

प्रश्न 18.
गंगारिदाई राज्य के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर :
ग्रीक और रोमन में मगध के पूर्व की ओर एक शक्तिशाली गंगारिदाई राज्य था। इस राज्य की राजधानी गंगा अथवा गांगे बन्दरगाह नगर था। राजा नन्द के शासनकाल में इस राज्य के साथ मगध के सम्पर्क की बाते ग्रीक लेखक तालमीर ने लिखा है। अलक्जेण्डर (सिकंदर) के आक्रमण के समय ही गंगारिदाई के सैनिक मगध सैनिकों के साथ जुड़े हुए थे। इस राज्य के हाथी वाहिनी और योद्धाओं की वीरता की कहानी को ग्रीक लेखको ने लिखा है। ऐसा लगता है कि गंगारिदाई राज्य को ही येरीप्लास के लेखक ने गंगादेश के रूप में उल्लेख किया है। इस राज्य के नाम से ही गंगा नदी के सम्बन्ध में उसकी स्थिति स्पष्ट होती है।

प्रश्न 19.
कौटिल्य (चाणक्य) ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में राजा की दिनचर्या के विषय में क्या लिखा है?
उत्तर :
कौटिल्य के अर्थशार्त के अनुसार आलसी राजा की प्रजा भी आलसी होती हैं। अगर राजा कार्य करते हैं तो प्रजा भी कार्य में व्यस्त रहेगी। इसलिए एक राजा को प्रत्येक दिन क्या-क्या करना चाहिए उसकी तालिका कौटिल्य ने नीचे दी है। 24 घण्टे को दो भागो में बाँटा गया है। प्रत्येक 12 घण्टे में आठ प्रकार के कार्य राजा को करनां चाहिए। सूर्य निकलने के बाद रात तक यह सारे कार्य संपत्न होने चाहिए।

तालिका निम्न प्रकार हैं :-

दिन रात
i) जमा एवं खर्च के हिसाब की जाँच तथा सुरक्षा व्यवस्था के बारे में खोज-खबर लेनी होगी। i) गुप्तचरों के साथ बातचीत करना।
ii) नगर और ग्राम के लोगों की सुविधा-असुविधा की बात सुनना। ii) स्नान, खाना और पढ़ाई-लिखाई करना।
iii) स्नान-खाना और पढ़ाई-लिखाई करना, आराम करना। iii) गीत सुनते-सुनते बिछावन पर सो जाना।
iv) नगद राजस्व लेना। विभित्र मंत्रियों के बीच कार्य का बंटवारा। iv) राज्य संचालन के प्रति नये-नये कार्य की रूपरेखा तैयार करना।
v) मंत्री परिषद् का परामर्श लेना, पत्र लिखना। v) सोएंगे (कुल मिलाकर 4 1/4 घण्टा सोने का समय राजा के लिए निश्चित किया गया।
vi) आराम करना अथवा अपनी इच्छानुसार कार्य करना। vi) संगीत के शब्द को सुनकर नींद से उठना। शासन की विभिन्न पद्धतियों को लेकर सोचना। क्या-क्या कार्य करना होगा, इसके बारे में भी सोच विचार करना।
vii) हाथी, घोड़ा, रथ सेना एवं सामंतों की स्थिति के बारे में जानकारी लेना। vii) मंत्रियों के साथ आलोचना करना। गुप्तचरों को विभिन्न कार्य के लिए भेजना।
viii) सेनापति के साथ युद्ध और सैनिक के बारे में आलोचना करना। viii) पुरोहितों का आशीर्वाद लेना। अपने चिकित्सक के साथ मुलाकात करना। प्रधान रसोइया एवं ज्योतिषी के साथ भी मुलाकात करना।

प्रश्न 20.
कुषाण कौन थे ?
उत्तर :
मध्य एशिया से एक यायावर समूह पश्चिम की और चले गए। वे वहाँ के अफगानिस्तान और भारतीय उपमहादेश के उत्तर-पश्चिम भाग में पहुँचे। इनमें से इडेयझी समूह सबसे महत्वपूर्ण था। इस समूह की एक शाखा कू एई सुयात थी। वे वाकट्रियार के ऊपर अधिकार कायम किए हुए थे। ये लोग ही भारतीय इतिहास में कुषाण के नाम से परिचित थे। धीरे-धीरे कुषाणों ने एक विशाल साप्राज्य का निर्माण किया।

प्रश्न 21.
कुषाण राजा कनिष्क के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
कुषाण वंश का सबसे महान शासक कनिष्क था, जो 78 ई० में शासक बना। लगभग तेईस वर्ष तक कनिष्क ने शासन किया। उसी साल से ही शताब्दी (शकाब्द) की गिनती शुरू हुई। कनिष्क के शासनकाल में कुषाण का शासन गंगा के पर्वतीय क्षेत्रों के विशाल भाग में फैल गया था। यहाँ के पाकिस्तान का प्रायः पूरा क्षेत्र ही कुषाण शासक के अन्तर्गत था। मथुरा तक भारतीय उपमहादेश में कुषाणों का शासन फैल गया था। कनिष्क की राजधानी पुरुषपुर अथवा पेशावर था। लेकिन कुषाणों का प्रधान शासन केन्द्र वाकट्रिया अथवा बलहिक प्रदेश था।

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प्रश्न 22.
कुषाण की शासन व्यवस्था के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर :
प्राचीन चीन के सम्राट स्वयं को देवता का पुत्र कहते थे। कुषाण वास्तव में चीन से आए थे। इसीलिए वे चीनी सम्राट की भाँति स्वयं को देवपुत्र अर्थात् देवता के पुत्र के रूप में घोषित करते थे। विम कदफिसेस विश्व बह्माण्डकर्ता की भी उपाधि लिए थे। कनिष्क ने महाराजाधिराज देवपुत्र शाही की उपाधि धारण की। कुषाणों की मुद्रा में सिर के पीछे एक प्रकार का ज्योतिर्वलय दिखाई देता था। वैसा ही ज्योतिर्वलय देवताओं के सिर के पीछे खुदाई किया जाता था।

सम्राट और देवता दोनों को एक ही समझने के लिए शासक वर्ग विभिन्न प्रकार के प्रयास करते थे। वैसा ही एक प्रयास देवकुल की प्रतिष्ठा थी। विशाल कुषाण साम्राज्य में विभिन्न प्रकार के लोग निवास करते थे। उन सभी को एकजुट करने के लिए ही शासक को देवता के रूप में प्रचार किया जाता था। देवकल मंदिर जैसा ही एक पूजा स्थान था। वहाँ पर कुषाण की मूर्ति रखी जाती थी। मथुरा में एक देवकुल था। वहाँ पर सम्राट विम की सिंहासन पर बैठी हुई मूर्ति पाई गई है। संभवतः प्रथम कनिष्क का सिर दूटा हुआ मूर्ति इसी देवकुल का था।

WBBSE Class 6 History Solutions Chapter 6 साम्राज्य विस्तार और शासन 1

कुषाण शासन में विशेष ध्यान देने की बात यह है कि यहाँ दो लोग मिलकर राजपाट चलाते थे। कुछ क्षेत्रों में यह देखा गया है कि पिता और पुत्र दोनों एक साथ शासन के कार्य करते थे। शासन व्यवस्था की सुविधा के लिए सामाज्य को कई प्रदेशों में बाँटा जाता था। इन प्रदेशों के शासक को क्षत्रप कहा जाता था।

प्रश्न 23.
सातवाहन कौन थे ?
उत्तर :
सातवाहन शासकों की जाति और कुल के विषय में निश्चित रूप से कुछ ज्ञात नहीं है। इन्हें आंध्र जाति का माना गया है जो गोदावरी तथा कृष्णा नदियों के बीच के क्षेत्र में निवास करते थे। सातवाहनों को आंध्र भृत्य भी कहा गया है क्योंकि ये मगध में नौकरी करते थे। आंध्र जाति का एक योग्य व्यक्ति सातवाहन ने दक्षिण भारत में अपना राज्य स्थापित कर गोदावरी तट पर स्थित नगर पैठन (प्रतिष्ठान) को अपनी राजधानी बनाया। उसी के नाम पर इस वश का नाम सातवाहन वंश पड़ा।

बाद में सातवाहनों ने आंध्र पर अधिकार कर अपने राज्य का विस्तार किया। प्रसिद्ध सातवाहन शासक सिंधउक या सिमुक ने मगध के कणव वंश के शासक सुशर्मा को मारकर मगध में सातवाहन शासन स्थापित किया। अधिकार करने के उपरांत उन्हें सातवाहन कहा गया। सातवाहन शासकों में गौतमी पुत्र शातकणीं सर्वश्रेष्ठ शासक था। उसने एक शासक को पराजित करने का गौरव प्राप्त किया। सातवाहनों ने 231 वर्षो तक शासन किया।

प्रश्न 24.
गौतमी पुत्र शातकर्णी पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
गौतमी पुत्र शातकर्णी सातवहान वंश का महान एवं प्रतापी राजा था। उसने 130-106 ई० पू० तक शासन किया। गौतमी पुत्र शातकर्णी महान विजेता, महान योद्धा होने के साथ-साथ महान सुधारक भी था। उसने क्षत्रियों के अहंकार को नष्ट कर ब्राह्मणों की मर्यादा बढ़ाई। नासिक अभिलेख में गौतमी पुत्र शातकर्णी की उपलब्धियों की चर्चा की गयी है। वह अपनी माता का आज्ञाकारी पुत्र था। वह एक महान विजेता के रूप में विख्यात हुआ है। उसने शक राजा नाझाम को भी बुरी तरह पराजित किया। उसने शक-यवन, पद्मव स्निरूदम की उपाधि धारण की। गौतमी पुत्र शातकर्णी को नासिक गुहा लेख में ‘त्रि समुद्रतटीय पीत वाहनस्थ’ कहा गया है जिसका अर्थ होता है उसकी सेना के वाहन तीनों समुद्रों का जल पीते थे। इससे स्पष्ट होता है कि उसके साप्राज्य की सीमाएँ अरब सागर, हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी तक फैली थीं।

प्रश्न 25.
सातवाहन शासन-व्यवस्था के बारे में तुम क्या जानते हो?
उत्तर :
सातवाहन शासन व्यवस्था में राजा ही प्रधान होता था। इतना ही नहीं वे सेना के भी प्रधान होते थे। कुषाणों की भाँति सातवाहन के शासक भी शासन व्यवस्था की सुविधा के लिए बड़े क्षेत्रों को छोटे-छोटे प्रदेशों में विभाजित किए थे। सातवाहन शासन में प्रदेश का दायित्व अमारी नामक कर्मचारी पर रहता था। ‘भाग’ और ‘बलि’ दोनों प्रकार का वर लिया जाता था। उत्पन्न फसल का 7 / 6 भाग कर के रूप में लिया जाता था। वाणिज्यिक लेन-देन से भी कर की अदायगी किया करते थे। व्यापारियों से नकद कर सातवाहन के समय लिया जाता था। सातवाहन शासक धार्मिक प्रतिष्ठान को जमीन देने पर कर नहीं लेते थे। विशेष क्षेत्रों में कभी-कभी कर में रियायत भी दी जाती थी। मौर्य सामाज्य की भाँति सातवाहन ने भी नमक पर कर लगाया था।

राजतांत्रिक शासन के साथ-साथ अराजतांत्रिक समूह का भी शासन था। मध्य भारत और पथ्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों में अराजतांत्रिक समूह टिका हुआ था। उन्होंने स्वयं ही ताँबे की मुद्रा का प्रचलन शुरू किया। राजशक्ति के साथ एवं समूहों के साथ लड़ाई भी हुआ करती थी।

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प्रश्न 26.
गुप्त कौन थे?
उत्तर :
गुप्त वंश की उत्पत्ति के विषय में निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है। बीसवीं शताब्दी के मध्य में कुषाण साम्माज्य के पतन के पश्चात् भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया। यह राजनैतिक अव्यवस्था कई वर्षो तक चलती रही। तीसरी शताब्दी के अंत तथा चौथी शताब्दी के प्रारम्भ में श्रीगुप्त का पता चलता है जो इस वंश के संस्थापक माने जाते हैं। इस वंश के सम्राट के अन्त में गुप्त लगे होने के कारण इस वंश का नाम गुप्त वंश पड़ा।

प्रश्न 27.
गुप्त साप्राज्य के राजाओं का परिचय संक्षेप में दीजिए।
उत्तर :
अनुमानत: 262 ई० के लगभग में उत्तर भारत में कुषाण शासन का अन्त हो गया। उसके भी प्रायः पचास वर्ष से भी ज्यादा समय तक उत्तर भारत में गुप्त शक्तियाँ शक्तिशाली बन रही थी।

चन्द्रगुप्त प्रथम के समय से ही गुप्त शासन की क्षमता चारों तरफ फैल गई थी। 399-330 ईस्वी में चन्द्रगुप्त प्रथम शासक बने। इस समय से ही गुप्त काल का आरंभ माना जाता है। मध्य गंगा की घाटी के आधार पर ही गुप्त साम्राज्य का विस्तार हुआ। सम्भवत: 335 ई० तक चन्द्रगुप्त प्रथम का शासन काल था।

परवर्ती शासक समुद्रगुप्त के शासनकाल में गुप्त साम्राज्य का काफी विस्तार हुआ था। आर्यावर्त के नौ शसको को समुद्र गुप्त ने पराजित किया था। जंगल अथवा आटविक राज्य भी उनके अधीन हो गया था जिसके परिणामस्वरूप पूर्व राढ़ से पथ्चिम गंगा घाटी के ऊपर के भाग तक गुप्त शासन का विस्तार हुआ। दक्षिण भाग में बारह राजाओं को समुद्रगुप्त ने पराजित किया। सुदूर दक्षिण में तमिलनाडु के उत्तर-पूर्व भाग तक गुप्त साम्राज्य का अधिकार हुआ।

समुद्रगुप्त का पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय 386 ई० के लगभग शासक बना। गुजरात क्षेत्र से शक-क्षत्रप शासको को हटाने का कार्य चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ही किया। इसलिए उन्हें शकारि कहा गया। उनके शासनकाल में ही सबसे पहले चाँदी की मुद्रा का प्रचलन आरम्भ हुआ था। चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में गुप्त साम्राज्य की परिधि का विस्तार हुआ था।

चन्द्रगुप्त द्वितीय के पश्चात् कुमार गुप्त प्रथम समाट बना। उसके शासनकाल में गुप्त साम्राज्य की परिधि और क्षमता पहले ही जैसी थी। उसने साम्राज्य में विभिन्न प्रकार की मुद्रा का प्रचलन किया। उसके समय में ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। कुमार गुप्त प्रथम का पुत्र स्कन्दगुप्त इसके बाद सम्राट बना। अनुमानतः 458 ईस्वी में उपमहादेश के उत्तरपश्चिम की ओर हूणों ने आक्रमण किया। स्कंदगुप्त इसके सफलतापूर्व इस आक्रमण का मुकाबला किया। वे ही सम्भवत: अंतिम गुप्त सम्राट थे।

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प्रश्न 28.
इलाहाबाद प्रशस्ति से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर :
इलाहाबाद दुर्ग के भीतर एक शिलालेख है। उस लेख में गुप्त युग की बाह्मी लिपि और संस्कृत भाषा में खुदाई की गई थी। इलाहाबाद के कौशाम्बी ग्राम में वह लेख था। बाद में मुगल सम्राट अकबरने उसे वहाँ से लाकर दुर्ग में रखा। इस लेख में ही प्रशस्ति की खुदाई की गई। इस लेख में सम्राट समुद्रगुप्त के युद्ध, राज-काज इत्यादि बातों को लिखा गया था।

प्रश्न 29.
चंद राजा का स्तम्भ कहाँ अवस्थित है ? उसके बारे में लिखो।
उत्तर :
दिल्ली के कुतुबमीनार के पास एक ऊँचा लोहे का स्तम्भ है। उसके ऊपर एक लेख की खुदाई की गई थी। चंद नाम के एक शक्तिशाली विष्णुभक्त राजा के युद्ध का वर्णन किया गया था। उस लेख में साल, तारीख का उल्लेख नहीं है। यह चंद राजा कौन था, इसके बारे में स्पष्ट जानकारी भी नहीं मिली है। यह लेख सम्भवतः ईसा के पाँचवीं शताब्दी में ही खुदाई की गई थी। इस चंद राजा को चंद्रगुप्त द्वितीय ही माना जाता है क्योंकि लेख में उन्हीं के समकालीन असंख्य मेल होने के बावजूद जो लेख में कहा गया था कि चंद्रगुप्त द्वितीय ने सभी क्षेत्रों पर जीत हासिल नहीं की थी। यह वर्णन काफी हद तक काल्पनिक है।

प्रश्न 30.
गुप्त वंश के पतन का कारण क्या था?
उत्तर :
गुप्त साम्राज्य के पतन के लिए राज परिवार को लेकर अन्तर्द्वन्द्व एवं राजवंश की दुर्बलता एक प्रमुख कारण था। सम्राट प्रथम कुमार गुप्त की मृत्यु के बाद सम्भवतः एक संघर्ष के द्वारा स्कन्दगुप्त गद्दी पर बैठा। सत्ता को लेकर गुप्त राज्य दुर्बल हो गया जिसका लाभ उठा कर शकों और हूणों ने बार-बार गुप्त साम्राज्य पर आक्रमण किया। स्कन्द गुप्त ने विदेशी आक्रमणकर्ता को पराजित अवश्य किया परन्तु उसके बाद कोई भी योग्य और शक्तिशाली शासक नहीं हुआ जो बाहरी आक्रमणों को रोक सके, जिसके फलस्वरूप गुप्त साप्राज्य का पतन हो गया।

प्रश्न 31.
हर्षवर्द्धन कौन था?
उत्तर :
हर्षवर्द्धन पुष्यभूति वंश के शासक प्रभाकर वर्द्धन का सबसे छोटा पुत्र था। अपने बड़े भाई राजवर्द्धन की मृत्यु के बाद 16 वर्ष की आयु में वह 606 ई० में सिंहासन पर बैठा एवं 647 ई० तक शासन किया था।

प्रश्न 32.
हर्षवर्द्धन की विजय के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर :
हर्ष ने बहुत ही महत्वपूर्ण विजय प्राप्त की परन्तु वह बंगाल के गौड़ शासक शशांक को कभी पराजित नहीं कर पाया। शशांक की मृत्यु के बाद ही वह आसाम के शासक भास्कर बर्मन के साथ मिलकर बंगाल पर विजय प्राप्त कर सका जिसे सम्भवतः दोनों ने आपस में बाँट लिया। इसके पश्चात् उसने मालवा को पराजित किया और उसके राज्य के भागों को अपने राज्य में मिला लिया। उसके बाद बल्लवी शासक ध्रुवसेन द्वितीय को पराजित करके हर्ष ने सूरत तक अपने राज्य का विस्तार किया। बाद में ध्रुवसेन से हर्ष ने अपनी लड़की का विवाह करके सम्बन्ध स्थापित कर लिया था। परन्तु हर्ष को दक्षिण में चालुक्य राज्य पुल्केशिन द्वितीय के विरुद्ध पराजय का मुख देखना पड़ा।

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हर्ष का साम्राज्य विस्तार : सम्भवतः जिस समय हर्ष अपनी शक्ति एवं गौरव की चरम सीमा पर था उस समय उसका साम्राज्य पूर्व में आसाम, बंगाल, बिहार एवं ओडिशा से उत्तर में पंजाब एवं उत्तर प्रदेश तक तथा मध्य एवं पश्चिमी भारत में मालवा, सूरत एवं गंजम तक विस्तृत था। उसकी जीवनी में लेखक वाणभट्ट ने यद्यपि सिंध एवं नेपाल को भी उसके साम्राज्य के अन्तर्गत बताया है।

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प्रश्न 33.
हर्षवर्द्धन के शासन प्रबंध के बारे में लिखिए ।
उत्तर :
शासन व्यवस्था के प्रधान व्यक्ति हर्षवर्द्धन स्वयं थे। उन्हें मंत्री परिषद् सहायता करती थी। इसके अलावा अमात्यों के भी हाथों में राज-काज का दायित्व रहता था। लगातार युद्ध करने के कारण ही हर्षवर्द्धन की विशाल सेनाएँ थी। हर्षवर्द्धन की सेना में 6000 हाथी, 29000 घुड़सवार एवं 100000 पैदल सेना थे।
शासन व्यवस्था के लिए आवश्यक सम्पत्ति कर से ही आती थी। जमीन से उत्पादित फसल का 1 / 6 भाग कर के रूप में लिया जाता था। इसके अलावा व्यापारियों से भी कर की वसूली की जाती थी। धार्मिक प्रतिष्ठान में बिना कर के ही जमीन का दान दिया जाता था।

प्रादेशिक शासन के क्षेत्र में गुप्त शासन की तरह बुनियादी संरचना हर्षवर्द्धन के समय भी देखी जाती है। सम्भवतः शासन-व्यवस्था को चलाने के लिए ही मंत्रियों को लेकर गठित परिषद उनकी सहायता करते थे। दूर के प्रदेशों में सामंत राजा का कोई प्रतिनिधि शासन करता था। प्रत्येक प्रदेश जिला में विभक्त था। शासन-व्यवस्था में सबसे नीचे ग्राम था। हर्षवर्द्धन की मृत्यु के पश्चात् पुष्यभूति वंश का शासन समाप्त हो गया।

प्रश्न 34.
ह्वेनसांग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
ट्वेनसांग हर्षवर्द्धन के शासनकाल में भारत आने वाला एक चीनी यात्री था। वह चीन के चिन-ल्यू नामक नगर का निवासी था। वह बौद्ध धर्म ग्रन्थों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए चीन के राजा से अनुमति लेकर 620 ई० में भारत के लिए चल पड़ा। मार्ग में अनेक मुश्किलों का सामाना करते हुए ताशकन्द, फरगना, चारकन्द, खोतान आदि राज्यों से होते हुए 630-631 ई० में वह भारत पहुँचा। ह्लेनसांग आठ वर्षो तक कन्नौज के राजा हर्षवर्द्धन के दरबार में रहा तथा उसने नालन्दा विश्धविद्यालय में बौद्ध ग्रन्थों का अध्ययन किया।

प्रश्न 35.
वाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित के बारे में लिखिए ।
उत्तर :
वाणभट्ट हर्षवर्द्धन को लेकर हर्षचरित काव्य को लिखे थे। यह वास्तव में एक प्रशस्ति काव्य था। अर्थात् इस काव्य में केवल हर्ष का गुणगान ही किया गया था, साथ ही साथ पुष्यभूतियों के राजत्व और उसके इतिहास की आलोचना भी वाणभट्ट ने की। हर्ष का गुणगान करते हुए उनके विरोधियों को नीच दिखाया गया। जैसे राजा शशांक को छोटा करके दिखाने का प्रयास किया गया है। हर्षचरित वास्तव में हर्षवर्द्धन की संक्षिप्त जीवनी है। लेकिन केवल गुणगान करने के उद्देश्य से ही यह लिखा गया था।

प्रश्न 36.
हर्षवर्द्धन के बौद्ध सम्मेलन और प्रयाग दान के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
हर्षवर्द्धन प्रत्येक वर्ष बौद्ध सम्मेलन का आयोजन करते थे, वहाँ पर वे 21 दिन तक विचार-विमर्श करते थे। जो अच्छे कार्य करते थे, उन्हें पुरस्कृत किया जाता था। गलत कार्य करने पर उन्हें राज्य से निकाल दिया जाता था।
प्रयाग में हर्ष के महादान क्षेत्र और उत्सव को लेकर सुयान जंग ने लिखा है कि महादान के क्षेत्र में बुद्ध और शिव की मूर्ति बैठाई जाती थी। आठ दिनों तक विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का दान किया जाता था जिसके फलवस्वरूप पाँच साल तक जमा की गई सम्पत्ति समाप्त हो जाती थी। सब कुछ दान करके हर्ष केवल एक पुरानी पोशाक ही पहनते थे। इसके बाद बुद्ध की पूजा करके उत्सव समाप्त होता था।

प्रश्न 37.
अशोक को सर्वश्रेष्ठ सम्राट कहा जाने का कारण क्या था?
उत्तर :
भारत तथा विश्व के इतिहास में अशोक सर्वश्रेष्ठ शासकों में से एक है :-

  1. धर्म विजेता के रूप में :- कलिंग युद्ध के बाद अशोक बौद्ध धर्म ग्रहण किया तथा उस धर्म को विश्व धर्म के रूप में स्थापित किया।
  2. लोक कल्याणकारी शासक के रूप में :- अशोक ही विश्व का पहला शासक था जो एक कल्याणकारी राष्ट्र व्यवस्था का निर्माण किया था।
  3. मानव के प्रति प्रेम : मानव जाति के प्रति अत्यधिक प्रेम तथा लगाव ने उन्हें विश्व इतिहास में स्थायी शासन दिया।
  4. कला-संस्कृति के पृष्ठपोषक :- अशोक के प्रयास से असंख्य स्तूप, स्तंभ का निर्माण हुआ एवं बाह्मी तथा खरोष्ठी लिपियों का प्रचलन हुआ।

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प्रश्न 38.
‘अशोक धम्म’ पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर :
अशोक ने बौद्ध धर्म के साथ-साथ प्राणी मात्र के कल्याण हेतु कुछ विशेष धर्म सिद्धांतों का प्रचार किया। ये सिद्धांत सभी धर्मों के अनुकूल अर्थात् सर्व धर्म के सार रूप में थे। अशोक सभी धर्मों का आदार करता था। वह मानव के साथ-साथ समस्त-जीव-जंतुओं के सुख की कामना करता था। उसने पशुबलि पर रोक लगा दी थी। उसके राज्य में आखेट तथा मांसाहार की आज्ञा न थी। स्वयं बौद्ध होते हुए भी उसने अपनी प्रजा में सभी धर्मों के मूल तत्वों पर आधारित मानव-धर्म का प्रचार किया जिसे अशोक का धम्म कहा गया है। धम्म में नैतिक आचरण पर विशेष जोर दिया गया है।

उसमें कर्मकांड, पूजा-पाठ आदि के लिए कोई स्थान नहीं था। माता-पिता, गुरु और वृद्धों की सेवा-सुश्रुषा करना तथा उनके प्रति आदर का भाव रखना और दीन-दुखियों तथा समस्त जीव-जंतुओं के प्रति करुणा का भाव प्रदर्शित करना ही धम्म के विशेष अंग थे। परोपकार, सत्य, पवित्रता, संयम और साधुता के आचरण के साथ-साथ क्रोध, अभिमान, ईष्या, कठोरता जैसे अमानवीय कार्यों का त्याग करने के उपदेश दिये जाते थे। अशोक ने उन सभी उच्च आदर्शों एवं नैतिक मूल्यों का प्रचार किया जिनसे सामान्य जन-जीवन में शांति और सुख की स्थापना हो सकती थी। अशोक का धम्म विशुद्ध मानवतावादी आचार-विचार का धर्म था।

प्रश्न 39.
मौर्य सम्राट अपना साम्राज्य कैसे चलाते थे?
उत्तर :
विशाल साम्राज्य को चलाने के लिए सम्राट प्रजा से कर लेते थे। मौर्य ने ही सबसे पहले राजस्व अथवा कर व्यवस्था को लागू करवाया। राजस्व का सबसे ज्यादा आदायगी कृषि से ही होता था। किसान अपनी फसल के 1 / 6 भाग राजस्व के रूप में देते थे। बलि और भाग नाम की दो प्रकार की भूमि राजस्व मौर्य के शासन काल में आरंभ-हुआ लेकिन सम्माट अपनी इच्छानुसार कर में छूट भी देते थे। गौतम बुद्ध का जन्मस्थान लुंबनी ग्राम में वलि कर में सम्राट अशोक ने छूट दी थी। कारीगर, व्यवसायी, व्यापारी, सभी से मौर्य प्रशासन कर की अदायगी करता था। लेकिन पाटलिपुत्र में बैठकर विशाल साम्राज्य पर शासन करना संभव नहीं था।

उस साम्राज्य के विभिन्न प्रदेशों में शासन कार्य की देखभाल करने के संबंध में सम्राट को सोचना पड़ता था। प्रदेश के नीचे जिला प्रशासन था। जिला प्रशासन को आहार कहा जाता था। इस प्रकार से सम्राट और उसके नीचे राजकर्मचारियों के विभिन्न स्तर भाग शासन व्यवस्था में देखा गया है। साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों की भाषा भी अलग थी। उसी बात को ध्यान में रखकर ही सम्राट के वक्तव्य को विभिन्न भाषाओं में प्रचारित किया जाता था। साम्राज्य के उत्तर भाग में पालि भाषा का प्रयोग होता था। वहीं दूसरी ओर दक्षिण भाग में संस्कृत भाषा में प्रचार होता था।

केवल कर्मचारी, सेना एवं गुप्तचर के ऊपर ही मौर्य साम्राज्य की नींव टिकी हुई नहीं थी। मौर्य सम्राट अशोक ने अपने धम्मनीति अथवा धर्म नीति से जनता को एकजुट करने का प्रयास किया। कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने और कोई दूसरा युद्ध नहीं किया। हिंसा के बदले शांति की नीति को उन्होंने अपनाया। बौद्ध रीति-नीति का उन पर प्रभाव पड़ा था, मनुष्य और पशु-पक्षी के ऊपर हिंसा को रोकने के लिए अशोक ने प्रयास किए। साम्राज्य के सभी जगह उन्होंने धम्म की बातों को पहुँचाया था।

प्रश्न 40.
कुषाण सप्राट कनिष्क की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन करो :-
उत्तर :
कनिष्क की उपलब्धियाँ :-
राज्य विजय : कनिष्क पाटलिपुत्र, गांधार, पुरुषपुर के अलावा मध्य एशिया के काशगर, यारकंद, खोतान इत्यादि देशों पर विजय अभियान चलाकर अधिकार स्थापित किया।
बौद्ध धर्म के प्रति लगाव :- बौद्ध धर्म के पृष्ठपोषक के रूप में कनिष्क ने पुराने बौद्ध मठ, विहार का जीर्णोद्धार किया तथा बहुत से नये बौद्ध मठ, स्तूप का निर्माण किया।
साहित्य एवं कला के पोषक :- कनिष्क महान साहित्य-प्रेमी था। उसके दरबार में बड़े-बड़े विद्वान रहते थे। इनमें चरक और कनिष्क के मंत्री माठर अधिक प्रसिद्ध हैं। महान कवि और नाटककार अश्वघोष भी कनिष्क के दरबार में रहते थे। कनिष्क कला का भी महान-प्रेमी था। कश्मीर में उसने एक नगर स्थापित किया। उसने अनेक बौद्ध मठों एवं स्तम्भों का निर्माण कराया। कनिष्क के शासनकाल में गांधार कला एवं मधुरा कला का भी विकास हुआ।
विदेशियों के साथ संपर्क : कनिष्क के शासनकाल में भारत-चीन, भारत-रोम संपर्क में उन्नति दिखाई पड़ी थी तथा जापान, मिस्र, ग्रीस के साथ भारत का सम्मर्क स्थापित हुआ था।

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प्रश्न 41.
मौर्यकालीन कला एवं साहित्य का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर :
कला :- मौर्यकालीन कला अभूतपूर्व थी। अशोक से पूर्व कला कृतियों में प्राय: ईंट एवं लकड़ी का प्रयोग होता था। चन्द्रगुप्त का राज प्रसाद भी प्रमुखतः लकड़ी का बना होता था। परन्तु अशोक ने पाषाण का प्रयोग प्रारम्भ किया। मौर्यकालीन कला पर ईरानी एवं यूनानी कला का प्रभाव अवश्य था। परन्तु वह केवल उनकी नकल मात्र नहीं थी।
वस्त्र निर्माण कला इस युग में समुन्रत थी। इस युग में हाथी दाँत की वस्तुएं व आभूषण के निर्माण की कला अत्यन्त विकसित थी। अशोक ने स्तूपों, विहारों, मठों एवं लाटों का निर्माण कराया। बौद्ध अनुश्रुतियों के अनुसार अशोक ने 84 हजार स्तूपों का निर्माण करवाया था जो भारत के विभिन्न भागों में विद्यमान थे। अशोक द्वारा निर्मित भरहुत तथा सांची के स्तूप, प्रयाग, सारनाथ तथा नन्दनगढ़ मौर्य कला के अनुपम उदाहरण हैं।

साहित्य :- मौर्यकाल में साहित्य का भी पर्याप्त विकास हुआ। कौटिल्य का अर्थशाख्त पाणिनी का व्याकरण मेगास्थनीज की इंडिका, त्रिपिटक आदि मौर्य युग के प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं।

प्रश्न 42.
कनिष्क ने बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए क्या-क्या प्रयत्न किया?
उत्तर :
वास्तव में कनिष्क का महत्व एक शासक और विजेता की अपेक्षा अपने धर्म प्रचार, भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के प्रति प्रेम के कारण अधिक था। विद्वान ऐसा मानते हैं कि कनिष्क पहले यूनानी धर्म का अनुयायी था। उसकी मुद्राओं पर यूनानी देवता, सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि और सर्वाधिक रूप में बुद्ध के चित्र मिलते हैं। बौद्ध दार्शनिक अश्चघोष के सम्पर्क में आकर वह बौद्ध धर्म चीन, तिब्बत, जापान और मध्य एशिया के अनेक देशों में फैल गया। बौद्ध धर्म के मतभेद को मिटाने के लिए कनिष्क ने कश्मीर में चौथी सभा का विराट आयोजन किया था। कनिष्क ने अशोक की भांति बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अनेक प्रकार के उपाय और प्रयास किए। इसके समय में गांधार बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र बन गया था। ‘तक्षशिला’ विश्व विद्यालय शिक्षा और ज्ञान का केन्द्र बन गया था।

प्रश्न 43.
कलिंगराज खारबेल हाथी गुफा के शिलालेख के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में कलिंग मौर्य साम्राज्य के अन्तर्गत था। मौर्यों के पश्चात् कलिंग पुन: स्वाधीन हो गया। चेदी वंश के शासको ने कलिंग पर शासन करना आरम्भ किया। इस वंश के शासक खारबेल कलिंग का प्रथम शक्तिशाली राजा था। ईसा पू० की प्रथम शताब्दी के अन्त तक खारबेल का शासन था। हाथी गुफा के शिलालेख से खारबेल के बारे में जानकारी मिलती हैं। इस शिलालेख में ही ‘भारतवर्ष’ शब्द का प्रयोग किया गया। लेकिन वहाँ पर भारतवर्ष का मतलब सम्भवतः गंगा के पर्वतीय क्षेत्र का एक भाग समझा जाता था। लेकिन ईशा के प्रथम शताब्दी के प्रथम में ही चेदियों का शासन समाप्त हो गया था।

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प्रश्न 44.
नासिक लेख का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
महाराष्ट्र के नासिक से दो लेख मिला है। पहला गौतमी पुत्र सतकर्णी के शासनकाल के 18 वर्ष, दूसरा 24. वर्ष के शको को ध्वंस कर के गौतमीपुत्र सातवाहन के खोए हुए गौरव को वापस पाने का उल्लेख मिलता है। ऐसा लगता है कि वे पुन: नासिक क्षेत्र पर शासन किए थे। मुद्रा से भी इस बात का प्रमाण मिला है। पश्चिम की घाटी से पूर्व की घाटी तक पूरे दक्षिणात्य में अपना अधिकार कायम किए थे। शक क्षेत्र महपान के विरुद्ध सफल होने के बावजूद कादेमक वंश के शक राजा चष्टनेर से गौतमी पुत्र सतकर्णी पराजित हो गए थे।

प्रश्न 45.
मौर्य वंश की सामाजिक दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कौटिल्य के अर्थशास्र एवं मेगास्थनीज के वर्णन से मौर्यकालकी सामाजिक दशा की जानकारी मिलती है।
वर्णाश्रम और वर्ण व्यवस्था :- इस काल में बाह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र चार जातियाँ थी तथा बह्मचर्य गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास चार आश्रम थे। धीरे -धीरे वर्ण व्यवस्था कठोर तथा शूद्रों एवं दासों की स्थिति खराब होने लगी थी। मेगास्थनीज ने दार्शनिक, वणिक, शिल्पी, सैनिक, गोपालक, निरकक्षक तथा गुप्तचर नामक सात जातियों का उल्लेख किया है।
स्त्रियों की दशा :- इस काल में स्रियों के सम्मान तथा शिक्षा का कम प्रचार था। पर्दा प्रथा का प्रचलन था। खियों को पुनर्विवाह करने की स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी।
विवाह व्यवस्था :- कौटिल्य के अनुसार समाज में ब्राह्मण, शौल्क, प्रजापत्य, देव, गन्धर्व, असुर, राक्षस और पैशाच नामक आठ विवाह पद्धतियाँ प्रचलित थी।
खान-पान एवं वेश-भूषा :- लोगों का खान-पान और वस्त सादा था। सामान्त और कुलीन लोग सोने-चाँदी के तारों से जड़े रेशमी वस्र पहनते थे। माँस भक्षण तथा मदिरा सेवन आदि सीमित मात्रा में होता था।
आमोद-प्रमोद :- रथदौड़, घुड़दौड़, मल्लयुद्ध, उत्सव, मेला, जुआ आदि मनोरंजन के प्रमुख साधन थे। शतरंज और आखेट द्वारा भी मनोरंजन होता था।
जन-जीवन :- संयुक्त परिवार का प्रचलन था। लोगों का नैतिक जीवन उच्च था। दण्ड व्यवस्था बहुत कठोर थी।

प्रश्न 46.
राज्यश्री कौन थी ? आप इसके बारे में क्या जानते हैं ?
उत्तर :
राज्यश्री प्रकाकर वर्द्धन की पुत्री और राज्यवर्द्धन एवं हर्षवर्द्धन की बहन थी। राजश्री का विवाह मौरवी नरेश ग्रहवर्मन के साथ हुआ था। इस वैवाहिक सम्बन्ध ने दोनों राज्यों की स्थिति को मजबूत बना दिया। प्रभाकर-वर्द्धन की मृत्यु के बाद शशांक ने मालवा के राजा देवगुप्त की सहायता से कन्नौज पर आक्रमण कर दिया एवं ग्रह वर्द्धन की हत्या कर उसकी पत्नी राज्यश्री को कैद कर लिया। यह समाचार सुन कर राज्यवर्द्धन ने राज्यश्री को मुक्त कराने के लिए कन्नौज पहुंचा लेकिन शशांक ने धीखे से राज्यवर्द्धन की हत्या कर दी। राज्यवर्द्धन की मृत्यु के बाद हर्षवर्द्धन ने राज्यश्री को विन्ध्य के जंगलों में ढूँढने में सफल हो गया। तत्पश्चात वह राज्यश्री को लेकर कन्नौज गया तो शशांक कन्नौज छोड़ चुका था। यहाँ राज्यश्री तथा कन्नौज के मंत्रियों के विशेष अनुरोध पर हर्षवर्द्धन ने कन्नौज का शासन भार भी ग्रहण कर लिया तथा कन्नौज को ही अपनी राजधानी बनाया।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (Multiple Choice Question & Answer) : (1 Mark)

प्रश्न 1.
छठीं सदी में ही __________ की शक्ति क्रमशः कमजोर होने लगी थी।
(क) मौर्य
(ख) कुषाण
(ग) गुप्त
उत्तर :
(ग) गुप्त।

प्रश्न 2.
कनिष्क __________ ई० में शासक हुए।
(क) 72
(ख) 75
(ग) 78
उत्तर :
(ग) 78

प्रश्न 3.
ग्रीक शासक सेल्यूकस के दूत के रूप में __________ कन्धार से पाटलीपुत्र के दरबार में गए।
(क) मेगास्थनीज
(ख) सुयाना
(ग) जांग
उत्तर :
(क) मेगास्थनीज।

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प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र ग्रन्थ की रचना __________ ने की थी।
(क) कल्हण
(ख) कौटिल्य
(ग) तुलसी दास
उत्तर :
(ख) कौटिल्य।

प्रश्न 5.
शिलादित्य की उपाधि __________ ने ग्रहण किया था।
(क) हर्षवर्द्धन
(ख) अशोक
(ग) समुद्रगुप्त
उत्तर :
(क) हर्षवर्धन।

प्रश्न 6.
गुप्त शासक __________ के समय से ही गुप्तवंश की शक्ति कमजोर होने लगी।
(क) समुद्रगुप्त
(ख) प्रथम कुमार गुप्त
(ग) स्कंदगुप्त
उत्तर :
(ख) प्रथम कुमार गुप्त।

प्रश्न 7.
हर्षवर्द्धन के समय भूमि में उत्पादित फसल का __________ हिस्सा कर के रूपमें लिया करते थे।
(क) \(\frac{1}{2}\)
(ख) \(\frac{1}{4}\)
(ग) \(\frac{1}{6}\)
उत्तर :
\(\frac{1}{6}\)

प्रश्न 8.
__________ धर्म के प्रभाव के कारण अशोक ने हिंसा का त्याग किया था।
(क) शैव
(ख) बौद्ध
(ग) जैन
उत्तर :
(ख) बौद्ध

प्रश्न 9.
भारतीय उपमहादेश में पहली बार सोने की मुद्रा का प्रचलन __________ ने किया था।
(क) विम कदफिस
(ख) कनिष्क
(ग) स्कंदगुप्त
उत्तर :
(क) विम कदफिस

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प्रश्न 10.
__________ युग का इतिहास जानने का एकमात्र साधन अर्थशाख्त्र है।
(क) मौर्य
(ख) कुषाण
(ग) गुप्त
उत्तर :
(क) मौर्य

रिक्त स्थानों की पूर्ति करो (Fill in the blanks) : (1 Mark)

1. सप्राट __________ पर शासन करते हैं।
उत्तर : साप्राज्य

2. बौद्ध धर्म के प्रभाव से सम्राट अशोक ने __________ का त्याग दिया।
उत्तर : हिंसा

3. गुप्त की शक्ति __________ शदी से ही क्रमशः कमजोर होने लगी।
उत्तर : छठवीं।

4. हर्षवर्द्धन ने __________ की उपाधि ग्रहण की।
उत्तर : शिलादित्य

5. 605 ई० में __________ सिंहासन पर बैठे थे।
उत्तर : हर्षवर्द्धन

6. __________ के शासनकाल में नालन्दा महाविद्यालय स्थापित हुआ था।
उत्तर : गुप्त शासक प्रथम कुमार गुप्त

7. गुप्त सप्राट स्कंदगुप्त के समय से ही गुप्तवंश की शक्ति __________ होने लगी।
उत्तर : कमजोर।

8. मौर्य साप्राज्य ही __________ उपमहादेश में पहला साप्राज्य था।
उत्तर : भारत

9. 78 ई० में __________ शासक हुए।
उत्तर : कनिष्क

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10. अशोक के सिंहासनारोहण का समय __________ ई० है।
उत्तर : 273 ई०

11. कनिष्क के सिंहासनारोहण का समय __________ है।
उत्तर : 78 ई०

12. हर्षवर्द्धन की राजधानी __________ थी।
उत्तर : थानेश्वर

13. कनिष्क की राजधानी __________ थी।
उत्तर : पुरुषपुर

14. ________ की राजधानी पेशावर थी।
उत्तर : गौतमीपुत्र सतकर्णी

15. कुषाण साप्राज्य की स्थापना __________ ने की थी ।
उत्तर : कुजुल कदफिस

16. मौर्यवंश के श्रेष्ठ शासक __________ थे।
उत्तर : सम्राट अशोक

17. गुप्त वंश के श्रेष्ठ शासक __________ थे।
उत्तर : समुद्रगुप्त

18. हर्षवर्द्धन की मृत्यु के बाद __________ शासन समाप्त हो गया।
उत्तर : पुष्य भूति

इन वाक्यों में से सही वाक्य के सामने (सही) एवं गलत वाक्यों के सामने (गलत) लिखो :

1. सेल्यूकस और चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच हमेशा शत्रुता थी।
उत्तर : सही।

2. मौर्य शासन काल में महिला को भी महामातेर का दायित्व मिलता था।
उत्तर : सही।

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3. कुषाण इस देश के ही नागरिक थे।
उत्तर : गलत।

असमानता वाले शब्द को ढूंढ़कर लिखिए :-

  1. गंगा, गोदावरी, कावेरी, काशी।
  2. वाराणसी, वैशाली, कृष्णा, उज्ज्यनी।
  3. चालुक्य, गुप्त, चोल, पल्लव।
  4. स्कंद गुप्त, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त मौर्य, प्रथम चन्द्रगुप्त।
  5. लड़ाई, संघर्ष, युद्ध, संधि।
  6. चंद्रगुप्त मौर्य, कुजुल कदफिस, सिमुक, समुद्रगुप्त।
  7. सम्राट, राजा, मंत्री, सुल्तान।

उत्तर :

  1. काशी
  2. कृष्णा
  3. गुप्त
  4. चन्द्रगुप्त मौर्य
  5. संधि
  6. सिमुक
  7. मंत्री।

नीचे दिए गई विवृति के साथ कौन सी व्याख्या सबसे ज्यादा सटीक है, उसे चुनकर लिखो :

1. विवृति : अशोक ने अपने साप्राज्य में पशु हत्या को बन्द किया था।
व्याख्या 1 : अपने राज्य में पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए।
व्याख्या 2 : धम्म का अनुसरण करने के लिए।
व्याख्या 3 : पशु व्यापार बढ़ाने के लिए।
उत्तर :
व्याख्या 2 : धम्म का अनुसरण करने के लिए।

2. विवृति : कुषाण सम्राट अपनी मूर्ति देवालयों में रखते थे।
व्याख्या 1 : वे देवता के वंशधर थे।
व्याख्या 2 : वे प्रजा के सामने स्वयं को देवता जैसा ही सम्मानीय के रूप में उपस्थित करते थे।
व्याख्या 3 : वे देवताओं की काफी भक्ति करते थे।
उत्तर :
व्याख्या 2 : वे प्रजा के सामने स्वयं को देवता जैसा ही सम्मानीय के रूप में उपस्थित करते थे।

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3. विवृति : गुप्त सम्राट बड़ी-बड़ी उपाधियाँ लेते थे।
व्याख्या 1 : उपाधि सुनने में अच्छा लगता था।
व्याख्या 2 : प्रजा देती थी।
व्याख्या 3 : सम्राट इसके जरिए अपनी विशाल क्षमता का प्रदर्शन करते थे।
उत्तर :
व्याख्या 3 : सम्राट इसके जरिए अपनी विशाल क्षमता का प्रदर्शन करते थे।

4. विवृति : सुयान जांग चीन से भारतीय उपमहादेश में आए थे।
व्याख्या 1 : भारतीय उपमहादेश घूमने के लिए।
व्याख्या 2 : हर्षवर्धन के शासन के विषय में पुस्तक लिखने के लिए।
व्याख्या 3 : बौद्ध धर्म के बारे में और अधिक पढ़ाई-लिखाई करने के लिए।
उत्तर :
व्याख्या 2 : हर्षवर्धन के शासन के विषय में पुस्तक लिखने के लिए।

सही मिलान करो Match the following : (1 Mark)

प्रश्न 1.

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) गौतमीपुत्र सतकर्णी की राजधानी (क) थानेश्वर
(ii) कनिष्क की राजधानी (ख) पेशावर
(iii) हर्षवर्द्धन की राजधानी (ग) पुरुषपुर
(iv) अशोक की राजधानी (घ) पाटलिपुत्र

उत्तर :

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) गौतमीपुत्र सतकर्णी की राजधानी (ख) पेशावर
(ii) कनिष्क की राजधानी (ग) पुरुषपुर
(iii) हर्षवर्द्धन की राजधानी (क) थानेश्वर
(iv) अशोक की राजधानी (घ) पाटलिपुत्र

प्रश्न 2.

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) सतवाहन साम्राज्य की स्थापना (क) सिमुक
(ii) मौर्य साम्राज्य की स्थापना (ख) श्रीगुप्त
(iii) गुप्त साम्माज्य की स्थापना (ग) चन्द्रगुप्त मौर्य
(iv) कुषाण सम्राज्य की स्थापना (घ) कुजुल कदफिस

उत्तर :

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) सतवाहन साम्राज्य की स्थापना (क) सिमुक
(ii) मौर्य साम्राज्य की स्थापना (ग) चन्द्रगुप्त मौर्य
(iii) गुप्त साम्माज्य की स्थापना (ख) श्रीगुप्त
(iv) कुषाण सम्राज्य की स्थापना (घ) कुजुल कदफिस

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प्रश्न 3.

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) साम्राज्य पर शासन करने वाला (क) अर्थशास्त
(ii) कौटिल्य की रचना (ख) गुप्त सम्माट
(iii) अशोक (ग) पाटलिपुत्र
(iv) समुद्रगुप्त (घ) सम्राट
(v) गुप्त सम्राज्य के स्थापक (ङ) हर्षवर्द्धन की राजधानी
(vi) सम्राट अशोक की राजधानी (च) हर्षवर्द्धन
(vii) शिलादित्य की उपाधि (छ) 606 ई०
(viii) थानेश्वर (ज)78 ई०
(ix) हर्षवर्द्धन का सिंहासनारोहण (झ) चन्द्रगुप्त मौर्य
(x) कनिष्क को सम्राट पद प्राप्ति (অ) मौर्य सम्राट

उत्तर :

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) साम्राज्य पर शासन करने वाला (क) अर्थशास्त
(ii) कौटिल्य की रचना (ख) गुप्त सम्माट
(iii) अशोक (ग) पाटलिपुत्र
(iv) समुद्रगुप्त (घ) सम्राट
(v) गुप्त सम्राज्य के स्थापक (ङ) हर्षवर्द्धन की राजधानी
(vi) सम्राट अशोक की राजधानी (च) हर्षवर्द्धन
(vii) शिलादित्य की उपाधि (छ) 606 ई०
(viii) थानेश्वर (ज)78 ई०
(ix) हर्षवर्द्धन का सिंहासनारोहण (झ) चन्द्रगुप्त मौर्य
(x) कनिष्क को सम्राट पद प्राप्ति (অ) मौर्य सम्राट

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