Detailed explanations in West Bengal Board Class 6 History Book Solutions Chapter 5 ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी के भारतीय उपमहादेश (राष्ट्र व्यवस्था और धर्म का विवर्तन उत्तर भारत) offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 6 Geography Chapter 5 Question Answer – ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी के भारतीय उपमहादेश (राष्ट्र व्यवस्था और धर्म का विवर्तन उत्तर भारत)
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
महावीर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
महावीर का जन्म 599 ई० पू-० वेशाली के निकट ‘कुण्डग्राम’ के एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था।
प्रश्न 2.
बुद्ध का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर :
बुद्ध का जन्म 566 ई० पू॰ में कपिलवस्तु के निकट ‘लुम्बनी’ नामक स्थान पर हुआ था।
प्रश्न 3.
महावीर की मृत्यु कब और कहाँ हुई ?
उत्तर :
महावीर स्वामी की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में नालन्दा जिले के पावापुरी नामक स्थान पर 468 ई० पू॰ में हुई थी।
प्रश्न 4.
बुद्ध की मृत्यु कब और कहाँ हुई ?
उत्तर :
गौतम बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर नामक स्थान पर 486 ई० पू॰ में हुई।
प्रश्न 5.
बुद्ध द्वारा चलाये गए धर्म का क्या नाम था? बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश कहाँ दिया?
उत्तर :
बुद्ध द्वारा चलाये गये धर्म का नाम ‘बौद्ध धर्म’ था। बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में अपने पाँच पुराने शिष्यों को दिया था ।
प्रश्न 6.
तीर्थकर के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर :
जैन धर्म के प्रचारक तीर्थकर कहे जाते हैं।
प्रश्न 7.
जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर कौन थे?
उत्तर :
जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभदेवजी थे।
प्रश्न 8.
जैन धर्म के दो सम्प्रदाय कौन-कौन हैं?
उत्तर :
जैन धर्म के दो सम्पदाय (i) दिगम्बर और (ii) श्वेताम्बर हैं।
प्रश्न 9.
बौद्ध धर्म के दो भाग कौन-कौन हैं ?
उत्तर :
बौद्ध धर्म के दो सम्पदाय (i) हीनयान और (ii) महायान हैं।
प्रश्न 10.
छठी शताब्दी ई० पू॰ के भारत के दो धार्मिक सुधारकों के नाम बताइए।
उत्तर :
छठी शताब्दी ई० पू० के भारत के दो धार्मिक सुधारकों के नाम महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध हैं।
प्रश्न 11.
पार्श्वनाथ कौन थे?
उत्तर :
पार्श्वनाथ काशी के इक्ष्वाकु वंश के राजा अश्वसेन के पुंत्र थे। ये जैन धर्म के तेईसवें तीर्थकर थे।
प्रश्न 12.
दसशील क्या है?
उत्तर :
भगवान बुद्ध ने जीवन की नैतिकता और आचरण की पवित्रता को बनाये रखने के लिये दस नियम बनाए जिसे दसशील कहा जाता है।
विस्तृत उत्तर वालें प्रश्न (Detailed Answer Questions) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
जनपद से सोलह महाजनपद एवं उससे मगध राज्य कैसे बना ? उसे पिरामिड के आकार में दिखाओं।
उत्तर :
प्राचीन भारत में ग्राम से बड़े अंचल को जन कहा जाता था। उसी जन को केंद्र्र बनाकर छोटे-छोटे राज्य बने थे। इसी प्रकार से जन से जनपद शब्द बना था। छठवीं शताब्दी के अंत में भारतीय उपमहादेश में इस प्रकार बहुत सारे जनपदों के बारे में जानकारी मिलती हैं। वहाँ के जनपद अधिकांशत: वहाँ के शासक वंश के नाम से ही परिचित होते थे। इन जनपदों के आधार पर ही बाद में बड़े-बड़े राज्य बने थे। मगध जैसे कुछ जनपद धीरे-धीरे महाजनपद के रूप में परिणत हुए।
प्रश्न 2.
जनपद से महाजनपद कैसे बना ?
उत्तर :
प्राचीन भारत में ग्राम से बड़े अंचल को जन कहा जाता था। उसी जन को केन्द्र बनाकर छोटा-छोटा राज्य बना था। इसी प्रकार से जन से जनपद शब्द बना था। वहीं दूसरी ओर जहाँ साधारण लोग अथवा जनपद निवास करते थे, उन्हें जनपद् कहा जाता था।
छठवीं शताब्दी के अन्त में भारतीय उपमहाद्वीप में इस प्रकार बहुत सारे जनपदों के बारे में जानकारी मिलती हैं। वहाँ के जनपद अधिकांशत: वहाँ के शासक वंश के नाम से परिचित होते थे। इन जनपदों के आधार पर ही बाद में बड़ा-बड़ा राज्य बना था, जैसे – मगध। कुछ जनपद धीरे-धीरे महाजनपद के रूप में परिणत होते चले गए।
प्रश्न 3.
सोलह-महाजनपद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए :-
उत्तर :
ईसा से लगभग 600 वर्ष पूर्व उत्तर भारत में 16 महाजनपदों का नाम पाया जाता है जो निम्न हैं :-
- अंग (उत्तर-पूर्व बिहार)
- मगध (आधुनिक बिहार के गया और पटना के क्षेत्र)
- काशी (वर्तमान वाराणसी का समीपवर्ती क्षेत्र)
- कौशल (वर्तमान अवध)
- कुरु (दिल्ली के आसपास का क्षेत्र)
- पांचाल (रुहेलखण्ड)
- मत्स्य (जयपुर के आसपास का क्षेत्र)
- शूरसेन (मधुरा का क्षेत्र)
- अस्मक (दक्षिण गोदावरी का क्षेत्र)
- अवन्ति (मध्य प्रदेश तथा मालवा का क्षेत्र)
- गांधार (पेशावर, रावलपिंडी तथा कश्मीर के अंश)
- कम्बोज (गांधार के पास कश्मीर का दक्षिण-पश्चिमी भाग)
- बज्जि (उत्तरी बिहार)
- मल्ल (गोरखपुर)
- चेदि (बुन्देलखष्ड क्षेत्र)
- वत्स (इलाहाबाद के पास यमुना का दक्षिणी क्षेत्र)।
प्रश्न 4.
महाजनपदों में मगध के शक्तिशाली होने का कारण क्या था?
उत्तर :
मगध राज नदी और पहाड़ों से घिरा हुआ था। फलस्वरूप बाहरी आक्रमण से मगध सहज ही बच सकता था। गंगा नदी की गीली मिट्टी ने इस क्षेत्र की कृषि जमीन को उर्वरा बनाया था। मगध क्षेत्र के घने जंगल में अनेक हाथी मिलते थे। उन हाथियों को मगध के राजा युद्ध के समय व्यवहार करते थे। साथ ही साथ वहाँ पर अनेक लोहा और ताँबा की खान भी थी। फलस्वरूप मगध के राजा सहज ही लोहा के अस्त्र-शस्त का प्रयोग करते थे। जल और स्थल मार्ग से मगध का व्यापार होता था। इन सभी सुविधाओं के कारण ही मगध अंत तक सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में परिणत हुआ।
प्रश्न 5.
समाज के कौन-कौन से वर्ग के लोगों ने धर्म-आंदोलन का समर्थन किया था और क्यों?
उत्तर :
ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में धर्म के नाम पर आडम्बर, यज्ञ, अनुष्ठान, जाति भेद इत्यादि बढ़ गया था। इसी के प्रतिवाद स्वरूप धर्म-आन्दोलन की शुरुआत हुई थी।
आंदोलन का समर्थन : समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जिसमें व्यापारी, कारीगर, कृषक आदि थे, ने इस धर्म आंदोलन का समर्थन किया था।
समर्थन का कारण : ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में देश में यातायात व्यवस्था बहुत सुरक्षित नहीं था, फलस्वरूप व्यापारी वर्ग क्षुब्ध थे। यज्ञ के समय पशुबलि को किसानों के लिए मानना सम्भव नहीं था। दूसरी तरफ क्षत्रियों की क्षमता में वृद्धि होने के कारण वे बाह्मणों की क्षमता को सहन नहीं कर सके।
प्रश्न 6.
बज्जियों की उन्नति के साथ किए गए नियम कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :
बज्जियों की उन्नति के नियम निम्नलिखित हैं :-
- बज्जियों को प्राय: सभा करके राज्य चलाना।
- बज्जियों को सभी कार्य सबको एकजुट होकर करना।
- बज्जियों को अपने द्वारा बनाए गए नियम के अनुसार ही चलना ।
- बज्जी समाज को वयस्क व्यक्तियों की बात को सुनकर चलना होगा और उनका सम्मान करना होगा।
- अपने क्षेत्र के पेड़-पौधे और पशु-पक्षियों के ऊपर अत्याचार नहीं करना होगा।
प्रश्न 7.
बर्द्धमान महावीर का जीवन परिचय लिखिए।
उत्तर :
महावीर स्वामी का जन्म 540 ई० पू॰ (कुछ इतिहासकारों के अनुसार 599 ई० पू॰) में वैशाली के निकट कुण्डग्राम में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके बचनप का नाम बर्द्धमान था। उनका विवाह यशोदा नामक युवती से हुआ एवं प्रियदर्शन नामक पुत्री भी उत्पन्न हुई। 30 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर ये भिक्षुक बन गये। 13 वर्ष तक तपस्या के पश्चात् अपने वस्त्रों का भी परित्याग कर दिया। 12 वर्ष तक तपस्या के पश्चात् ॠुु पालिका नदी के किनारे जुम्भिक ग्राम में साल के वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इन्द्रियों को जीत लेने के कारण जैन कहलाये एवं महावीर के नाम से विख्यात हुए। महावीर के अनुयायी जैन कहलाने लगे। ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर स्वामी ने तीस वर्षों तक घूम-घूम कर अपनी शिक्षा का प्रचार किया।
72 वर्ष की अवस्था में पटना जिले के पावापुरी नामक स्थान पर 468 ई० पू॰ वे पंचतत्व में विलीन हो गए।
प्रश्न 8.
जैन धर्म के मूल नीतियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर :
जैन धर्म की मूल नीतियाँ :-
कर्मफल एवं जन्मान्तरवाद से मुक्ति प्राप्त करने के लिए महावीर स्वामी ने तीन उपाय बताये थे –
(क) सत्य विश्चास
(ख) सत्य आचार
(ग) सत्य ज्ञान। इन तीन नीतियों को त्रिरत्ल कहा गया है।
चतुर्याम :- पाश्र्वनाथ द्वारा प्रचारित चार मूल नीतियाँ हैं –
(क) अहिंसा
(ख) सत्य
(ग) अस्तेय
(घ) अपरिग्रह। ये चारों चतुर्याम नाम से प्रसिद्ध हैं।
पंचमहाव्रत :- महावीर ने चतुर्याम की चार नीतियों को ग्रहण किये एवं उसके साथ महावीर स्वामी ने एक नीति और भी जोड़ दी। यह पाँचवीं नीति बुद्ध पर्यु थी। इसका अर्थ पवित्र जीवन-यापन करना था। इन पाँचों को एक साथ पंच महाव्रत कहा गया है।
प्रश्न 9.
जैन धर्म किन-किन राज्यों के मध्य लोकप्रिय था?
उत्तर :
जैन धर्म मगध, विदेह, कौशल और अंग राज्यों के मध्य लोकप्रिय था। मौर्य युग में जैनों का प्रभाव बढ़ता गया। कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने अन्तिम समय में जैन धर्म धारण कर लिया था। इसके बाद ही तो ओडिशा से मधुरा तक जैन धर्म का विस्तार हुआ था।
प्रश्न 10.
जैन साहित्य के विषय में संक्षेप में लिखिये।
उत्तर :
जैन धर्म का प्रमुख ग्रन्थ अंग (आगम) है। महावीर स्वामी के उपदेशों को बारह अंगों में संकलित किया गया जो द्वादश अंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जैन साहित्य प्राकृत भाषा में लिखा गया है।
सम्पूर्ण जैन साहित्य को छ: भागों में बाँटा गया है :-
- बारह अंग
- बारह उपांग
- दस प्रकीर्ण
- छ: छंद सूत्र
- चार मूल सूत्र
- विविध साहित्य।
प्रश्न 11.
दिगम्बर और श्वेताम्बर के बारे में क्या जानते हो?
उत्तर :
चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के अन्त में एक भयानक अकाल पड़ा। उस समय असंख्य जैन उत्तर पूर्व भारत से दक्षिण की ओर चले गए। उनके चले जाने के कारण ही जैन धर्म दो भागों में बंट गया। दक्षिण में चले गए जैन संन्यासी के नेता भद्रबाहु थे। महावीर के जैसे ही भद्रबाहु और उनके अनुगामी किसी भी प्रकार का पोशाक नहीं पहनते थे। इसीलिए उन्हें दिगम्बर कहा जाता था।
वहीं दूसरी ओर उत्तर भारत की ओर गये जैनों के नेता स्थूलभद्र थे। वे पार्श्वनाथ के मतानुसार जैन को एक सफेद कपड़ा व्यवहार करने के पक्षपाती थे। इन जैन संन्यासियों का समूह श्षेताम्बर के नाम से परिचित था।
प्रश्न 12.
गौतम बुद्ध का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
उत्तर :
गौतम बबद्ध का जन्म 567-66 ई० प० नेपाल की तराई में स्थित लम्बिनी के वन में हुआ था। इनके पिता युद्दोद्धन शाक्य क्षत्रियों के एक छोटे से गणराज्य कपिलवस्तु के राजा थे। गौतम के जन्म के सातवें दिन उनकी माता माया देवी की मृत्यु हो गई। उनका लालन-पालन उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने की। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। 16 वर्ष की आयु में इनका विवाह यशोधरा नामक युवती से हुआ तथा उनसे उन्हें राहुल नामक पुत्र भी हुआ। परन्तु इन सबके बावजूद गौतम बुद्ध सांसारिक बंधन में बंधकर नहीं रह पाये। अन्त में 20 वर्ष की अवस्था में गौतम बुद्ध एक दिन रात्रि के समय अपनी पत्नी एवं पुत्र को सोते हुए छोड़कर दु:खों से निवृत्ति का मार्ग खोजने के लिए गृहत्याग कर निकल पड़े। बौद्ध परम्पराओं में यह घटना ‘महाभिनिक्रमण ‘ के नाम से भी जानी जाती है।
गौतम ने बोधगया के निकट निरंजना नदी के तट पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि लगाकर बैठ गये। 49 वें दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ एवं बुद्ध कहलाये। इन्होंने विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया एवं उपदेश दिये। लगभग 45 वर्षों तक धर्मोपदेश के बाद 486 ई० पू॰ 80 वर्ष की अवस्था में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर नामक स्थान पर ‘महापरिनिर्वाण’ (परलोक) को प्राप्त किया।
प्रश्न 13.
महात्मा बुद्ध ने पहला उपदेश कहाँ और किसको दिया था?
उत्तर :
गौतम बुद्ध गया से वाराणसी के नजदीक सारनाथ गए। वहाँ पर पहुँच कर पाँच लोगों के बीच ही उन्होंने प्रथम उपदेश दिया था। उनके सामने उन्होंने मनुष्य के जीवन में आने वाले दु:खों के कारण की व्याख्या की। बाद में इस घटना को ‘धर्मचक्र’ प्रवर्तन कहा गया।
प्रश्न 14.
बुद्ध के उपदेश क्या थे?
उत्तर :
गौतम बुद्ध ने अपना उपदेश जन साधारण की भाषा ‘पाली’ में दिये थे। उनकी शिक्षाएँ सीधी एवं सरल थीं। गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया जो निम्नलिखित है :-
(i) दु ख (ii) दु:ख समुदाय (iii) दु:ख विरोध और (iv) दु:ख निरोध मार्ग। गौतम बुद्ध ने दु:खों का अंत करने के लिए आठ मार्ग बताये हैं जिन्हें अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है। शुद्ध आचरण के लिए बुद्ध ने दस नियमों को पालन करने का उपदेश दिये थे। बुद्ध के उपदेश ‘त्रिपिटक’ नामक ग्रन्थ में संग्रहीत हैं।
प्रश्न 15.
त्रिपिटक पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रन्थ त्रिपिटक है। त्रिपिटक पाली भाषा में लिखे गये हैं। इन्हें तीन भागों में बाँटा गया है। –
(i) विनय पिटक
(ii) सूक्ति पिटक
(iii) अभिधम्म पिटक।
1. विनय पिटक : विनय पिटक में बौद्ध भिक्षुओं के लिए आचरण सम्बन्धी नियम हैं।
2. सूक्त पिटक : सूक्त पिटक में बुद्ध के उपदेश हैं।
3. अभिधम्म पिटक : अभिधम्म पिटक में बौद्ध धर्म के दार्शनिक तत्वों का संग्रह है।
प्रश्न 16.
हीनयान और महायान के बारे में क्या जानते हैं?
उत्तर :
बौद्ध धर्म दो पथों में बंट गया – (क) हीनयान (ख) महायान।
(क) हीनयान : इस पथ को मानने वाले बड़े कट्टरपंथी होते हैं और बौद्ध धर्म के परम्परावादी स्वरूप को ही स्वीकार करते थे। हीनयान वालों ने पाली भाषा में ग्रन्थ की रचना की है।
(ख) महायान : इस पथ को मानने वाले उदारवादी होते हैं। इसकी विशेषता यह है कि ये सभी प्राणी जगत की आत्मा में विश्वास करते हैं। इन्होंने अपना ग्रन्थ संस्कृत में लिखा है।
प्रश्न 17.
अष्टांगिक मार्ग क्या है ?
उत्तर :
महात्मा बुद्ध ने इस सांसारिक दु:खों से छुटकारा पाने के लिये जो आठ मार्ग बताये हैं उन्हें अष्टांगिक मार्ग कहा जाता है। ये आठ मार्ग निम्न प्रकार से बतलाये गये हैं :-
- सम्यक् दृष्टि
- सम्यक् संकल्प
- सम्यक् वचन
- सम्यक् कर्म
- सम्यक् जीविका
- सम्यक् व्यायाम
- सम्यक् स्मृति एवं
- सम्यक् समाधि।
बौद्ध साहित्य में इस अप्टांगिक मार्ग को ‘मज्झिमा परिषदा’ भी कहा गया है।
प्रश्न 18.
जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म में समानता और असमानता का उल्लेख करो।
उत्तर :
जैन एवं बौद्ध दोनों धर्मों में समानताएँ एवं असमानताएँ दिखाई पड़तीहैं जो इस प्रकार हैं :-
समानाताएँ :
- इन दोनों ही धर्मों के संस्थापक क्षत्रिय राजकुमार थे।
- दोनों ही धर्मो की उत्पत्ति ब्राह्मण धर्म की बुराइयों के विरोध में हुई।
- दोनों ही धर्मों में अहिंसा पालन पर बल दिया गया है।
- दोनों ही धर्मो में विभाजन हो गया।
- दोनों ही धर्मों ने मोक्ष प्राप्ति के लिए मार्ग बताए हैं।
असमानताएँ :
- जैन धर्म बौद्ध धर्म से प्राचीन है।
- अहिंसा में दोनों का विश्वास है परन्तु जैन धर्म में अहिंसा पर अधिक जोर दिया गया है।
- बौद्ध धर्म का प्रचार विदेशों में भी हुआ पर जैन धर्म भारत तक ही सीमित रहा।
- बौद्ध धर्म भारत से प्रायः समाप्त हो गया पर जैन धर्म आज भी भारत में विद्यमान है।
प्रश्न 19.
त्रिरत्न से तुम क्या समझते हो?
उत्तर :
जैन और बौद्ध दोनों धर्म में त्रिरत्न नामक एक धारणा है। तीन विषय को दोनों धर्म में विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। उनके एक-एक विषय को रत्न कहा जाता है। संख्या में यह तीन हैं। इसलिए तो एक साथ त्रिरत्न कहते हैं। लेकिन जैन धर्म का त्रिरत्न बौद्ध धर्म के त्रिरत्न से अलग है। सत्य विश्वास, सत्य आचरण के ऊपर जैन धर्म ज्यादा जोर देते थे। इन तीनों को एक साथ जैन धर्म में त्रिरत्ल कहा जाता था। बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध प्रधान व्यक्ति थे। उनके द्वारा प्रचार किया क्या धर्म ही बौद्ध धर्म है। बौद्ध धर्म के प्रचार का दायित्व बौद्ध संघ पर है। यह तीनो मिलकर होता है बौद्ध धर्मसंघ। यही तीनों बौद्ध धर्म का त्रिरत्न है।
प्रश्न 20.
जातक की कहानी से क्या समझते हो?
उत्तर :
त्रिपिटक में जातक को लेकर कुछ कहानियाँ हैं। ऐसा कहा जाता है कि गौतम बुद्ध का पहले भी विभिन्न समय में जन्म हुआ था। वही पहले जन्म की कहानी एक-एक कहानी में कही गयी है। प्रत्येक कहानी में कुछ-न-कुछ उपदेश अवश्य है। साधारण लोगों के बीच धर्म का प्रचार करने के लिए ही जातक की कहानी का प्रयोग किया जाता था। पाँच सौ से अधिक जातकों की कहानियाँ हैं। कहानियाँ पाली भाषा में लिखी गई है। मनुष्य के साथ-साथ पशु पक्षी भी जातक की कहानी के चरित्र के रूप में आये हैं। जातक की कहानी से उस समय के समाज के बारे में बहुत कुछ जानकारियाँ मिलती हैं।
प्रश्न 21.
जातक कहानी के अनुसार सेरीयान और सेरीवा किस राज्य में रहते थे?
उत्तर :
जातक कहानी के अनुसार सेरीयान और सेरीवा दो फेरीवाले सरीब राजा के राज्य में रहते थे। वे पुरानी वस्तुओं को खरीदते तथा नयी वस्तुओं को बेचते थे। सेरीवा सभी को ठगता था। अधिक कीमत पर वस्तुओं की बिक्री करता था। लेकिन सेरीयान किसी को भी नहीं ठगता था। वह उचित कीमत पर ही वस्तुओं की बिक्री करता था।
एक दिन सेरीवा एक घर के सामने जाकर खिलौना ले लो – खिलौना ले लो कहकर चिल्लाने लगा। उस घर में एक छोटी लड़की अपनी नानी के साथ रहती थी। वे बहुत गरीब थे। छोटी लड़की अपनी नानी से उस खिलौने को खरीदने के लिये जिद्ध करने लगी। तब नानी एक टूटी हुई थाली को लेकर खिलौना खरीदने आयी। सेरीवा से ननी बोली – इस थाली की जितनी कीमत होती है वह दे दो जिससे नतिनी के लिए मैं एक खिलौना लूँगी।
सेरीवा ने अच्छी तरह से थाली को देखा कि थाली सोने की है या नहीं। वह चालाकी करते हुए कहा, थाली तो दूटी हुई है, इसकी दो कौड़ी से ज्यादा कीमत नहीं है। अगर आप इस कीमत पर देंगी तो ले लूंगा। नानी बोली, तो रहने दो। सेरीवा ने सोचा थोड़ी देर बाद घूमकर फिर वहाँ आऊँगा। ऐसे तो वह देगी नही। लेकिन दो कौड़ी से कुछ ज्यादा देने पर निश्धय ही थाली दे देगी। थोड़ी देर बाद दूसरी फेरीवाला सेरीयान उसी घर के सामने आया।
उसने भी सुंदर खिलौना ले लो, सुंदर खिलौना ले लो। कहकर चिल्लाने लगा। नन्हीं लड़की फिर से खिलौना के लिए नानी से जिद्द करने लगी। नानी फिर उस दूटी थाली को सेरीयान को देखने के लिए दी। थाली को देखकर, ईमानदार सेरीयान ने कहा, यह तो सोने की थाली है। मेरे पास इस थाली को खरीदने की क्षमता नहीं है। तब उस समय नानी सेरीयान से बोली, तुम जो कुछ दे सकते हो वही दो। मैं ज्यादा नहीं चाहती हूँ। तुम्हारे बोलने से पहले मैं नहीं जानती थी कि यह सोने की थाली है। इसलिए इसे तुम ले लो।
सेरीयान उस समय अपना सारा धन नानी के हाथों में दे दिया तथा उनकी नतिनी को एक सुन्दर खिलौना भी दिया। नानी और नतिनी उसी में खुश थी। थाली को लेकर सेरीयान चला गया। इधर लालची सेरीवा कुछ देर बाद ही उस घर के सामने आया। वहां आने के बाद जब उसने सब कुछ सुना तो वह समझ गया कि थाली सेरीयान ही ले गया है। सेरीयान को पकड़ने के लिये दौड़ा ताकि थाली मिल सके। लेकिन सेरीयान को वह ढूंढ नहीं सका। सोने की थाली सेरीयान से सेरीवा को नहीं मिल सकी।
इस जातक कहानी से निष्कर्ष निकलता है कि यदि सेरीवा भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर व्यापार करता तो सोने की थाली सेरीयान की जगह उसके पास ही होती। परन्तु सेरीवा लालच में पड़कर हाथ आए सम्पत्ति को भी खो दिया।
प्रश्न 22.
चार बौद्ध संगीति का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर :
बुद्ध देव के परवर्ती समय में बौद्ध धर्म की नीति निर्धारण एवं समस्या के समाधान के लिए चार संगीति का आयोजन किया गया था। विभिन्न बौद्ध संगीति का परिचय निम्न है –
पहला बौद्ध संगीति : मगध राजा अजातशत्रु के प्रयास से राजगृह के सप्तपर्णी गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति (सम्मेलन) का आयोजन ईसा पूर्व 487 में किया गया था। इस सम्मेलन का नेतृत्व बौद्ध पंडित महाकश्यप ने किया था।
दूसरा बौद्ध संगीति : कालशोक या काकवर्ण के समय राजधानी वैशाली में दूसरा बौद्ध संगीति ईसा पूर्व 387 में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन का नेतृत्व महास्थविर यश ने किया था।
तीसरा बौद्ध संगीति : सम्राट अशोक ने पाटलिपुत्र में तीसरा बौद्ध संगीति का आयोजन ईसा पूर्व 251 में किया था। इसके सभापति मोग्गलिपुत्त तिस्य थे।
चौथा बौद्ध संगीति : चतुर्थ बौद्ध संगीति (Council) का आयोजन कश्मीर में कुषाण समाट कनिष्क के द्वार। प्रथम सदी के अंतिम वर्षों में किया गया था। इस महासभा में उस काल के श्रेष्ठ विद्वानों ने भाग लिया था। इसमें उन बी ह सिद्धांतों पर विचार-विमर्श किया गया जिन पर मतभेद था। इस सभा में विद्वानों ने समस्त बौद्ध साहित्य पर टीका लिखवाई। सभा का प्रधान बसुमित्र था। अश्वघोष, नागार्जुन जैसे श्रेष्ठ विद्वानों ने इसमें भाग लिया था। इस संगीनि का सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि ‘ ‘महाविभाष’ नामक ग्रंथ की रचना है, जो बौद्ध दर्शन का महान ग्रंथ माना जाता है।
इस सभा में समस्त बौद्ध ग्रंथ एकत्रित किये गये और एक ज्ञान कोष की रचना भी की गई। यद्यपि यह सभा बौद्ध धर्म वे विवादों को सुलझाने के लिए बुलाई गई थी पर कनिष्क को इसमें सफलता नहीं मिली। यहीं पर बौद्ध धर्म हीनयान तथा महाग नामक दो संप्रदायों में विभक्त हो गया।
प्रश्न 23.
महावीर एवं गौतम बुद्ध में क्या समानतां थी?
उत्तर :
महावीर एवं गौतम बुद्ध में काफी समानता थी। वे दोनों ही क्षत्रिय परिवार के थे। ब्राहण धर्म के आचरा। कार्यक्रम का दोनों ने घोर विरोध किया। समाज में साधारण लोगों के लिए धर्म का प्रचार किया था। समाज के सभी को समझने की सुविधा के लिए उन्होंने सहज एवं सरल भाषा का प्रयोग किया था। प्राकृत भाषा और साहित्य की उन्न जैन धर्म से ही संभव हो पाया। बौद्ध धर्म प्रचार की भाषा पालि थी। लेकिन महावीर कठोर तपस्या के ऊपर जोर दिए ? वहीं दूसरी ओर गौतम बुद्ध को ऐसा लगता था कि कठोर तपस्या निर्वाण अथवा मुक्ति का उपाय नहीं है। वहीं केवल भोग-विलास से भी मुक्ति की प्राप्ति नहीं होती। इसलिए बुद्ध ने मध्य मार्ग की बाते कही थीं।
महावीर और बुद्ध दोनों ही धर्म प्रचार करने के लिए नगर में जाते थे। नगर में विभिन्न प्रकार के लोगों के साथ संनर्व स्थापित होता था / शहर की तुलना में ग्राम के अधिकांश लोग किसान ही थे। वहीं ब्राह्मण धर्म में नगर में जाना अथन। रहना पाप समझा जाता था। इसलिए जैन और बौद्ध धर्म उस समय नगरों में ज्यादा विस्तारित हुआ। यह बात अवश्य है. नवधर्म (नवीन धर्म) आंदोलन के रूप में थी लेकिन मूलत: यह आंदोलन नगर केंद्रित था।
भगवान बुद्ध एवं महावीर स्वामी को तत्कालीन राजा-महाराजाओं का भी सहयोग मिला। वे भी बौद्ध एवं जैन धर्म के आदर्शों को मानने के लिए बाध्य हो गये थे क्योंकि प्रचलित वैदिक धर्म के जटिल कर्म-कांड तथा राजपुरोहितों, पोड़ः: के राज-काज में बढ़ते दखल से शासन व्यवस्था का संचालन लगभग असंभव हो चला था। यज्ञों में होने वाली पातन पशुओं की आहूति के कारण उनकी संख्या में तेजी से गिरावट हो रही थी जिससे कृषि आधारित किसान समाज का वैदिक धर्म के प्रति विश्वास खत्म हो चला था। अतः वे भी वैदिक धर्म की कठोर कर्मकांड तथा बाहागों से तंग होकर बोर एवं जैन धर्म को इच्छापूर्वक अपनाने लगे।
प्रश्न 24.
हीनयान और महायान में अंतर का उल्लेख करो।
उत्तर :
हीनयान और महायान में अंतर :-
हीनयान के अनुयायी बुद्ध को एक महान धर्म प्रचारक माना है। दूसरी तरफ महायान के अनुयायियों ने बुद्ध को देवता के रूप में प्रतिष्ठित किया है।
हीनयान का प्रधान लक्ष्य था व्यक्तिगत प्रयास से निर्वाण की प्राप्ति, लेकिन महायान का मूल लक्ष्य समग्र संसार का कल्याण साधन करना था।
हीनयान मतावलंबी पालि भाषा में बौद्ध धर्म का प्रचार किया करते थे। महायान मतावलंबी संस्कृत भाषा में बौद्ध स्रांग का प्रचार करते थे।
हीनयान पंथ के बौद्ध संन्यासी सदैव भगवान बुद्ध की तरह ही घूम-घूम कर बुद्ध के उपदेशों को लोगों को बता? तथा उन्हें बुद्ध के अनुयायी बनाते थे। वे भोजन के लिए दिन में केवल एक ही बार दोपहर के समय भिक्षा मांगते थे।
महायान पंथ के बौद्ध संन्यासी राजा-महाराजाओं, सेठ-साहूकारों द्वारा बनवाये गये बौद्ध मठों-विहारों में रहकर भगवा बुद्ध के बताये गये उपदेशों एवं आचरण संबंधी बातों को बताकर लोगों को बुद्ध के अनुयायी बनाकर बौद्ध धर्म का प्रचाए किया करते थे। बौद्ध मठों-विहारों में रहने वाले सभी भक्त, संन्यासी का भोजन, वस्त्र तथा चिकित्सा इत्यादि सभी खर्न राजा-महाराजाओं, सेठ-साहूकारों तथा समाज द्वारा दिये गये दान पर ही चलता था।
प्रश्न 25.
महाजनपद की शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर :
अधिकांश महाजनपदों पर राजा का शासन था। इन महाजनपदों को राजतांत्रिक राज्य कहा जाता था। राज्यों की शासन व्यवस्था में सबसे ऊपर राजा थे। राजा किसी विशेष वंश के सदस्य थे। वही वंश ही सालों-दर साल राज्य करते थे। एक समय उन्हें पराजित कर दूसरे वंश के कोई राजा बनते थे। शासन के कार्य में एक सभा राजा की सहायता, करते थे। इनके सदस्य राजा को विभिन्न विषयों पर परामर्श करके कर की उनकी अदायगी की जाती थी। कर से प्राप्त पैसे राज्य के शासन कार्य को चलाने के लिए खर्च किये जाते थे।
प्रश्न 26.
मगध राजाओं के साल-तारीख किस प्रकार निश्चित किया जाता था?
उत्तर :
मगध जनपद में कुल तीन राजवंशों ने शासन किया था। वे हुए हर्यक, शैशुनाग और नन्द राजवंश। लेकिन कब कौन मगध के राजा थे, यह कहना मुश्किल है। एक अनुमानिक साल तारीख अवश्य ही तैयार किया जा सकता है। गौतम बुद्ध की मृत्यु के साथ ही मिलाकर इन सालों को गिना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि राजा अजातशत्रु के राजत्व के आठ वर्षों में गौतम बुद्ध की मृत्यु हुई। उस साल को 486 ईसा पू॰ माना गया। इस दृष्टिकोण से मगध में हर्यक वंश का शासन 545 में आरम्भ हुआ। वहीं नन्द वंश का शासन 324 ईसा पू॰ में समाप्त हुआ था।
प्रश्न 27.
चतुर्याम और पंचमहाव्रत क्या है?
उत्तर :
जैन धर्म चार मूल नीति को आवश्यक मानकर चलते थे। वह है :-
(क) कभी प्राणी की हत्या नहीं करना।
(ख) झूठ नहीं बोलना।
(ग) किसी दूसरे की वस्तु को नहीं छीनना।
(घ) स्वयं के लिए सम्पत्ति कासंचय नहीं करना।
पर्श्वनाथ इसी चार मूल नीति को मान कर चलने का निर्देश दिया करते थे। इन चारों प्रकार की नीति को ही एक साथ चातुर्यामवत कहा जाता था। महावीर इन चारों नीतियों के साथ एक और नीति को जोड़े। उनके अनुसार ब्रह्मचर्य नीति भी जैनों को मानकर चलना चाहिए। इन पाँचों प्रकार की नीति को एक साथ ही पाँच महाव्रत कहा जाता है ।
प्रश्न 28.
चार्वाक और आजीविका से आप क्या समझते हो?
उत्तर :
जैन और बौद्ध के पहले भी बहाण और ब्राहाण धर्म का विरोध आजीविका समूह ने किया था। वे किसी भी तरह से वेद को नहीं मानते थे। चार्वाक, वर्णाश्रम प्रथा के विरोधी थे। वे स्वर्ग की अवधारणा को भी नहीं मानते थे। यज्ञ में पशुबलि का चार्वाक विरोध करते थे। आजीविका समूह गोसाल ने बनाया। कहा जाता है कि वे महावीर के मित्र थे। आजीविका वेद और किसी भी प्रकार के देवता पर विश्चास नहीं करते थे। वे यह भी नहीं मानते थे कि मनुष्य अगर अच्छा कर्म करता है तो उसे अच्छा फल भी मिलेगा। आजीविका का किसी भी प्रकार का धर्मग्रन्थ नहीं पाया गया। उन्हें मौर्य सम्राट बिन्दुसार और अशोक से भी सहायता मिली थी।
प्रश्न 29.
जैन धर्म और बौद्ध धर्म के अभ्युदय के क्या कारण थे?
उत्तर :
छठी शताब्दी ई॰ पू॰ ब्राह्मण धर्म में अनेकानेक दोष आ गये थे तथा तत्कालीन समाज इनसे मुक्ति पाने के लिए छटपटा रहा था जिसके परिणामस्वरूप बाहाण धर्म के सामने दो नये धर्म (जैन तथा बौद्ध) का अभ्युदय हुआ।
प्रश्न 30.
घर्मचक्र प्रवर्तन का प्रचार किसने किया? उसका क्या अर्थ है?
उत्तर :
धर्म चक्र प्रवर्तन का प्रचार गौतम बुद्ध ने किया था। बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपने धर्म का सर्वप्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था एवं पाँच साथियों ने शिष्यता ग्रहण की इसे ही धर्म चक्र प्रवर्तन कहा गया है।
प्रश्न 31.
महाभिनिष्क्रमण और महापरिनिर्वाण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध के गृह त्याग की घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है और शरीर त्याग की घटना को महापरिनिर्वाण कहा जाता है।
प्रश्न 32.
बौद्ध धर्म का मध्यम मार्ग क्या है?
उत्तर :
गौतम बुद्ध ने साधारण जनता की बोलचाल की भाषा ‘पालि’ में अत्यन्त सरल ढंग से समझाया कि कुछ नियमों का पालन करके मनुष्य को इस सांसारिक दु:ख से छुटकारा मिल सकता है। उनका यह मोक्ष प्राप्ति करने का मार्ग ही मध्यम मार्ग कहलाता है। यह कठिन तप और भोग विलास के मध्य का मार्ग है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (Multiple Choice Question & Answer) : (1 Mark)
प्रश्न 1.
महाजनपद का उद्भव शताब्दी में हुआ था।
(क) ईसा पूर्व छठवीं
(ख) ईसा पूर्व सातवीं
(ग) ईसा पूर्व आठवीं
(घ) ईसा पूर्व पचंमी
उत्तर :
(क) ईसा पूर्व छठवीं
प्रश्न 2.
गौतम बुद्ध का जन्म __________ वंश में हुआ था।
(क) लिच्छवी
(ख) हर्षक
(ग) शाक्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) शाक्य
प्रश्न 3.
पाश्र्वनाथ __________ थे।
(क) मगध के राजा
(ख) बज्जियों के प्रधान
(ग) जैन तीर्थकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) जैन तीर्थकर
प्रश्न 4.
आर्य सत्य __________ धर्म का भाग था।
(क) बौद्ध
(ख) जैन
(ग) आजीविक
(घ) शाक्य
उत्तर :
(क) बौद्ध
प्रश्न 5.
दक्षिण भारत में एकमात्र महाजनपद __________ था।
(क) कौशल
(ख) अस्मक
(ग) बज्जि
(घ) जैन
उत्तर :
(ख) अस्मक
प्रश्न 6.
दिगम्बर समुदाय के प्रमुख नेता __________ थे।
(क) भद्रबाहु
(ख) स्थूलभद्र
(ग) महाकश्यप
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) भद्रबाहु
प्रश्न 7.
श्वेताम्बर समुदाय के नेता __________ थे।
(क) स्थूलभद्र
(ख) महाकाश्यप
(ग) भद्रबाहु
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) स्थूलभद्र
प्रश्न 8.
________ धर्म के प्रधान प्रचारक को तीर्थकर कहते हैं।
(क) बौद्ध
(ख) जैन
(ग) आजीविक
उत्तर :
(ख) जैन
प्रश्न 9.
बज्जि की राजधानी __________ थी।
(क) वैशाली
(ख) चम्पा
(ग) राजगृह
उत्तर :
(क) वैशाली
प्रश्न 10.
जैन धर्म की मूल नीति __________ है।
(क) चतुर्याम
(ख) अश्वमेध यज्ञ
(ग) अष्टांगिक मार्ग
उत्तर :
(क) चतुर्याम
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो (Fill in the blanks) : (1 Mark)
1. अस्मक __________ भारत का एकमात्र महाजनपद था।
उत्तर : दक्षिण
2. मगध एक __________ महाजनपद था।
उत्तर : राजतांत्रिक।
3. बज्जि की राजधानी __________ थी।
उत्तर : वैशाली।
4. मगध की राजधानी __________ थी।
उत्तर : राजगृह।
5. द्वादश अंग __________ धर्म में प्रचलित थे।
उत्तर : जैन धर्म।
6. मगध महाजनपद के राजा का नाम __________ था।
उत्तर : अजात शत्रु।
7. स्थूल भद्र __________ समुदाय के नेता थे।
उत्तर : श्वेताम्बर।
8. भद्रबाहु __________ समुदाय के प्रमुख नेता थे।
उत्तर : दिगम्बर।
9. जैन धर्म के प्रचारक को __________ कहते हैं।
उत्तर : तीर्थकर ।
10. मगध सबसे शक्तिशाली __________ के रूप में उभर रहा था।
उत्तर : महाजनपद।
11. पार्श्वनाथ __________ थे।
उत्तर : जैन तीर्थकर।
12. मगध के उत्यान को __________ युग कहा जाता है।
उत्तर : सोलह महाजनपद।
13. जैन धर्म के प्रवर्तक __________ थे।
उत्तर : महावीर।
14. सिद्धार्थ __________ के बचपन का नाम था।
उत्तर : गौतम बुद्ध।
असमानता वाले शब्द को ढूंढकर लिखिए :-
- अजातशत्रु, अशोक, कनिष्क, बुद्ददेव।
- हर्यकवंश, शिशुनाग वंश, नन्दवंश, गुप्तवंश।
- उज्जैन, मधुरा, वैशाली, मगध।
- गंगा, यमुना, सहारा, कावेरी।
- पाश्र्वनाथ, नेमीनाथ, महावीर, कुरुक्षेत्र।
- सरस्वती, कावेरी, कृष्णा, थार मरूभूमि
- महावीर, गौतम बुद्ध, विवेकानन्द, पाटलिपुत्र
- वैशाली, अस्मक, बज्जि, स्थूलभद्र
- काशी, कौशल, मगध, बौद्ध धर्म
उत्तर :
- बुद्धदेव
- गुप्त वंश
- मगध
- सहारा
- कुरु क्षेत्र
- थार मरूभूमि
- पाटलिपुत्र
- स्थूल भद्र
- बौद्ध धर्म
सही मिलान करो Match the following : (1 Mark)
प्रश्न 1.
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) मगध की राजधानी | (क) जैन धर्म |
(ii) महाकश्यप | (ख) बौद्ध धर्म |
(iii) द्वादश अंग | (ग) राजगृह |
(iv) हीनयान – महायान | (घ) प्रथम बौद्ध संगीति |
उत्तर :
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) मगध की राजधानी | (ग) राजगृह |
(ii) महाकश्यप | (घ) प्रथम बौद्ध संगीति |
(iii) द्वादश अंग | (क) जैन धर्म |
(iv) हीनयान – महायान | (ख) बौद्ध धर्म |
प्रश्न 2.
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) उत्तर भारत के महाजनपद | (क) वैशाली |
(ii) दक्षिण भारत के महाजनपद | (ख) अस्मक |
(iii) गणराज्य | (ग) कुरु |
(iv) बज्जि की राजधानी | (घ) बज्जि |
उत्तर :
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) उत्तर भारत के महाजनपद | (ग) कुरु |
(ii) दक्षिण भारत के महाजनपद | (ख) अस्मक |
(iii) गणराज्य | (घ) बज्जि |
(iv) बज्जि की राजधानी | (क) वैशाली |
प्रश्न 3.
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) बौद्ध धर्म | (क) महावीर |
(ii) जैन धर्म | (ख) द्वादश अंग |
(iii) सिद्धार्थ | (ग) अप्टांगिक मार्ग |
(iv) केवलिन | (घ) गौतम बुद्ध |
उत्तर :
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) बौद्ध धर्म | (ग) अप्टांगिक मार्ग |
(ii) जैन धर्म | (ख) द्वादश अंग |
(iii) सिद्धार्थ | (घ) गौतम बुद्ध |
(iv) केवलिन | (क) महावीर |
प्रश्न 4.
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) अस्मक | (क) पोटान |
(ii) अवन्ति | (ख) उज्ज्यनी |
(iii) गान्धार | (ग) राजपुर |
(iv) कम्बौज | (घ) तक्षशिला |
उत्तर :
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) अस्मक | (क) पोटान |
(ii) अवन्ति | (ख) उज्ज्यनी |
(iii) गान्धार | (घ) तक्षशिला |
(iv) कम्बौज | (ग) राजपुर |
प्रश्न 5.
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) महानजपद का उद्भव | (क) भद्रबाहु |
(ii) जैन धर्म की मूल नीति | (ख) स्थूल भद्र |
(iii) दिगम्बर समुदाय के प्रमुख नेता | (ग) तीर्थकर |
(iv) श्षेताम्बर समुदाय के प्रमुख नेता | (घ) चातुर्याम |
(v) जैन धर्म के प्रचारक | (ङ) ईसा पर्व छठवीं |
उत्तर :
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) महानजपद का उद्भव | (क) भद्रबाहु |
(ii) जैन धर्म की मूल नीति | (ख) स्थूल भद्र |
(iii) दिगम्बर समुदाय के प्रमुख नेता | (ग) तीर्थकर |
(iv) श्षेताम्बर समुदाय के प्रमुख नेता | (घ) चातुर्याम |
(v) जैन धर्म के प्रचारक | (ङ) ईसा पर्व छठवीं |
प्रश्न 6.
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) पाशर्वनाथ | (क) शाक्य वंश |
(ii) अजात शत्रु | (ख) राजतांत्रिक महाजनपद |
(iii) नंद्वश की समाप्ति | (ग) जैन तीर्थकर |
(iv) बज्जि की राजधानी | (घ) सबसे शक्तिशाली महाजनपद |
(v) मगध | (ङ) 324 ई० पूर्व |
(vi) गौतम बुद्ध का जन्म | (च) बौद्ध धर्म का अंग |
(vii) मगध | (छ) मगध |
(viii) आर्य सत्य | (ज) वैशाली |
उत्तर :
स्तम्भ (क) | स्तम्भ (ख) |
(i) पाशर्वनाथ | (ग) जैन तीर्थकर |
(ii) अजात शत्रु | (ङ) 324 ई० पूर्व |
(iii) नंद्वश की समाप्ति | (च) बौद्ध धर्म का अंग |
(iv) बज्जि की राजधानी | (ज) वैशाली |
(v) मगध | (घ) सबसे शक्तिशाली महाजनपद |
(vi) गौतम बुद्ध का जन्म | (क) शाक्य वंश |
(vii) मगध | (ख) राजतांत्रिक महाजनपद |
(viii) आर्य सत्य | (छ) मगध |