WBBSE Class 6 Hindi Solutions Poem 2 इनसे सीखो

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WBBSE Class 6 Hindi Solutions Poem 2 Question Answer – इनसे सीखो

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
फूलों से हमें क्या सीखना चाहिए ?
(क) गाना
(ख) पढ़ना
(ग) हँसना
(घ) खिलना
उत्तर :
(ग) हँसना।

प्रश्न 2.
दीपक हमें क्या सिखाते हैं ?
(क) जलना
(ख) बुझना
(ग) अंधेरा हरना
(घ) अंधेरा करना
उत्तर :
(ग) अंधेरा हरना।

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प्रश्न 3.
पृथ्वी सें हमें क्या शिक्षा लेनी चाहिए ?
(क) सच्ची सेवा करनां
(ख) झगड़ा करना
(ग) कष्ट सहना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) सच्ची सेवा करना।

प्रश्न 4.
ज़लधारा से हमें क्या सीखना चाहिए ?
(क) जीवन पथ पर चढ़ना
(ख) सच्ची सेवा करना
(ग) जगना और जगाना
(घ) चरित्र निज गढ़ना
उत्तर :
(क) जीवन पथ पर चढ़ना।

प्रश्न 5.
हरदम उँचे पर चढ़ना किससे सीखना चाहिए ?
(क) जल से
(ख) धुएं से
(ग) लता से
(घ) वृक्षों से
उत्तर :
(ख) धुएं से

प्रश्न 6.
अपने गुरु से क्या सीखना चाहिए ?
(क) खेलना
(ख) दीपक जलाना
(ग) पढ़ना
(घ) गले लगाना
उत्तर :
(ग) पढ़ना।

प्रश्न 7.
जगना और जगाना किससे सीखना चहिए ?
(क) सूरज से
(ख) चन्द्रमा से
(ग) तारा से
(घ) लोगों से
उत्तर :
(क) सूरज से

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प्रश्न 8.
चरित्र को आदर्शवान और व्यावहारिक बनाने के लिए कौन प्रेरणा देता है ?
(क) गुरु
(ख) दीपक
(ग) महान और सज्जन व्यक्ति
(घ) पृथ्वी
उत्तर :
(ग) महान और सज्जन व्यक्ति

प्रश्न 9.
श्रीधर पाठक का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) बिहार
(ख) बंगाल
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) उड़ीसा
उत्तर :
(ग) उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 10.
श्रीधर पाठक किस काल के कवि हैं ?
(क) आदिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) रीतिकाल
(घ) आधुनिक काल
उत्तर :
(घ) आधुनिक काल।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन-सी रचना श्रीधर पाठक की है ?
(क) भारत-भारती
(ख) भारत गीत
(ग) भारतवर्ष
(घ) भारतमाता
उत्तर :
(ख) भारत गीत।

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प्रश्न 12.
लता और वृक्ष से क्या सीखना चाहिए ?
(क) हाथ मिलाना
(ख) सेवा करना
(ग) गले लगाना
(घ) आगे बढ़ना
उत्तर :
(ग) गले लगाना।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
पेड़ की झुकी डालियाँ हमें क्या सिखाती हैं ?
उत्तर :
पेड़ की झुकी डालियाँ हमें शीश झुकाना सिखाती हैं।

प्रश्न 2.
सूरज की किरणें हमें क्या शिक्षा देती हैं ?
उत्तर :
सूरज की किरणें हमें जागने और जगाने की शिक्षा देती हैं।

प्रश्न 3.
अपने गुरु से हमें क्या सीखनी चाहिए ?
उत्तर :
अपने गुरु से हमें उत्तम विद्या सीखना चाहिए।

प्रश्न 4.
हमारा चरित्र कौन गढ़ता है ?
उत्तर :
सत्पुरुषों का आदर्श जीवन हमारा चरित्र गढ़ता है।

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प्रश्न 5.
श्रीधर पाठक का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
श्रीधर पाठक का जन्म 11 जनवरी, 1858 ई० में आगरा (उत्तर प्रदेश) जिला के जौंधरी नामक गाँव में हुआ था ।

प्रश्न 6.
श्रीधर पाठक ने किन भाषाओं में कविता लिखी है ?
उत्तर :
श्रीधर पाठक ने बजभाषा और खड़ी बोली हिन्दी में कविताएँ लिखी हैं।

प्रश्न 7.
श्रीधर पाठक के पिता का नाम क्या था ?
उत्तर :
श्रीधर पाठक के पिता का नाम पण्डित लीलाधर पाठक था।

प्रश्न 8.
श्रीधर पाठक की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर :
उनकी मृत्यु 13 सितम्बर, 1928 ई० में हो गई ।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर :

प्रश्न 1.
हमारे जीवन में सत्पुरुष औरगुरु का क्या योगदान है ? स्पष्ट करे ।
उत्तर :
सज्जन पुरुष और गुरु का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है। सत्पुरुषों के जीवन से हमें चरित्र गठन की शिक्षा मिलती है। हमारे अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। गुरु से बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती है। शिक्षा के बिना व्यक्ति जीवन में उन्नति नहीं कर सकता। जिन्दगी में आगे बढ़ने के लिए शिक्षा जरूरी है।

प्रश्न 2.
दीपक की क्या विशेषता है ? हमें उससे क्या शिक्षा लेनी चाहिए ?
उत्तर :
दीपक अपनी रोशनी से आस-पास के अंधकार को दूर कर प्रकाश फैला देता है। हमें दीपक से शिक्षा लेनी चाहिए कि हम भी शक्ति भर अपने आस-पास के अंधकार को दूर करें। लोगों के मन के अज्ञान, अशिक्षा को दूर कर उनके मन में ज्ञान का प्रकाश फैलाएँ।

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प्रश्न 3.
‘इनसे सीखो’ कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘इनसे सीखो’ कविता में कवि ने बच्चों को अपने आस-पास के परिवेश से शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा दी है। कवि ने बच्चों को प्रेरणा दी है कि वे फूलों से हँसना और खुश रहना सीखें। वृक्ष की डालियों से नग्र रहना सीखें। सूर्य की किरणों से प्रात: जागने और दूसरों को जगाना सीखें। लता और वृक्षों से दूसरों से प्रेम करना सीखें। दीपक से आसपास के अंधकार को दूर करने तथा पृथ्वी से प्राणियों की सच्ची सेवा करना सीखें। जल की धारा से सदा जीवन में आगे बढ़ने तथा धुएँ से सदा ऊपर चढ़ना, जीवन में उन्नति करना सीखें। सज्जनों से वरित्र निर्माण तथा गुरु से श्रेष्ठ विद्या ग्रहण करना सीखें। इस प्रकार इन सभी से शिक्षा प्राप्त कर बच्चे जीवन में उन्नति कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
‘इनसे सीखो’ कविता में किस-किस से क्या सीखने की प्रेरणा दी गई है?
उत्तर :
‘इनसे सीखो’ कविता में बच्चों को फूलों से, भौरों से, वृक्ष की डालियों से, सूर्य की किरणों से, लता और वृक्षों से, दीपक और पृथ्वी से, जलधारा से, धुएँ से, सत्पुरुषों से तथा अपने गुरु से सीखने की प्रेरणा दी गई है। फूलों से हँसने की, भौंरों से गुनगुनाने की, वृक्ष की डालियों से मस्तक ड्युकाने, सूर्य की किरणों से जगने और जगाने, लता वृक्षों से गले लगाने, दीपक से अंधकार हरने, पृथ्वी से जीवों की सेवा करने, जल-धारा से जीवन में आगे बढ़ने, धुएँ से ऊँचाई पर चढ़ने, सत्पुरुषों से चरित्र गठन करने तथा गुरु से उत्तम विद्या पढ़ने के लिए सीखने की प्रेरणा दी गई है।

निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –

(क) फूलों से नित …………. सीखो शीश झुकाना।
(i) पाठ और कवि का नाम लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘इनसे सीखो’ पाठ से उद्धृत हैं। इसके कवि श्रीधर पाठक हैं।

(ii) उपर्युक्त पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कविता की प्रथम संख्या में अर्थ दिया गया है।

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(ख) जलधारा से सीखो ………… ऊँचे पर ही चढ़ना।
(i) जीवन पथ से कवि का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
जीवन-पथ का तात्पर्य है जिन्दगी का रास्ता। व्यक्ति को अपने जीवन में सदा अपने पथ पर-अपने लक्य्य की ओर आगे बढ़ते रहना चाहिए। जिस प्रकार जल की धारा रुकती नहीं निरंतर अपने रास्ते पर बढ़ती रहती है, उसी प्रकार मनुष्य को सदा चलते रहने चाहिए।

(ii) उपर्युक्त पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कविता चार की व्याख्या को देखिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :

प्रश्न :
‘इनसे सीखो’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
सुकवि श्रीधर पाठक ने प्रस्तुत कविता में बड़े ही सहज ढंग से हमें विनम्रता, सद्भावना, सेवा, सहानुभूति की भावना तथा जीवन में सच्ची शिक्षा प्राप्त कर प्रगतिशील होने की प्रेरणा दी है। मनुष्य को फूलों जैसा खिला हुआ, हँसता हुआ सदा प्रसन्नचित्त बने रहना चाहिए। भौरे सदा गुनगुनाया करते हैं। मनुष्य को भी उनसे सीख लेकर सदा गुनगुनाते रहना चाहिए। जिस प्रकार वृक्ष की डालियाँ द्रुकी रहती हैं, उसी प्रकार व्यक्ति को भी मस्तक द्युकाकर विन्म बने रहना चाहिए। इससे व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। सूर्य के उदित होते ही उसकी सुनहली किरणें सभी को जागरण की शिक्षा देती हैं।

उसी प्रकार हमें भी जागृत होने और दूसरों को भी जागरण के लिए उत्साहित करना चाहिए। लताओं और वृक्षों से शिक्षा लेकर हमें दूसरों से प्रेम से मिलना, गले लगना चाहिए। नन्हा सा दीपक अपनी रोशनी से आस-पास के अंधकार को दूर कर देता है, हमें भी उससे सीख लेकर चारों ओर प्रकाश फैलाना चाहिए। पृथ्वी समस्त प्राणियों की सेवा करती है, उसी प्रकार हमें भी सभी प्राणियों की सच्ची सेवा लगनपूर्वक पेम से करनी चाहिए।

कवि ने हमें जीवन में निरंतर उन्नति करने और प्रगतिशील बनने की प्रेरणा दी है। जिस प्रकार जल धारा सदा अपने लक्ष्य की ओर प्रवाहित होती रहती है, वैसे ही मनुष्य को भी सदा जीवन पथ पर लक्ष्य की ओर अग्रसर होते रहना चाहिए।

WBBSE Class 6 Hindi इनसे सीखो Summary

जीवन-परिचय :

श्रीधर पाठक जी का जन्म उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के जौंधरी गाँव में सन् 1859 में हुआ था। बज भाषा तथा खड़ीबोली में इन्होंने स्वदेश प्रेम, समाज सुधार तथा देश प्रेम से संबंधित सरस कविताओं की रचना की है। इनकी प्रमुख रचनाएँ – कश्मीर सुषमा, जगत सच्चाई सार, भारत गीत हैं। इनकी रचना ‘एकांतवासी योगी’ में सीधी-सादी खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है । इसमें जनता की रुचि तथा रूप का निर्वाह हुआ है। सन् 1928 में इनकी मृत्यु हो गई।

पद – 1

फूलों से नित हँसना सीखो
भौरों से नित गाना,
तरु की झुकी डालियों से नित
सीखो शीश झुकना।

शब्दार्थ :

  • नित = प्रतिदिन, हमेशा।
  • तरु = वृक्ष, पेड़।
  • हँसना = खुश होना।

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘साहित्य मेला’ के ‘इनसे सीखो’ नामक पाठ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने बच्चों को यह नसीहत दी है कि फूलों, भौरों तथा वृक्ष की डालियों से सीख लें ।

व्याख्या : कवि ने बच्चों को प्रेरणा दी है कि वे खिले हुए हंसते फूलों से सदा प्रसन्न बने रहना तथा हँसते रहना सीखें। भौौंरों से सदा गुनगुनाना अर्थात् गाते रहना सीखें तथा वृक्ष की झुकी हुई डालियों से सर्वदा मस्तक झुकाना अर्थात् नम्र बने रहना सीखें। कवि चाहता है कि बच्चे हमेशा हँसते हुए, गाते हुए तथा विनम्र बने रहें।

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पद – 2
सूरज की किरणों से सीखो
जगना और जगाना,
लता और वृक्षों से सीखो
सबको गले लगाना।

शब्दार्थ :

गले लगाना = भेंटना, आलिंगन करना।

व्याख्या : इस कविता में कवि ने सूर्य की किरणों तथा लता-वृक्षों से सीखने की प्रेरणा दी है।

कवि ने बच्चों को यह प्रेरणा दी है कि वे सूर्य की किरणों से सबेरे जगना तथा जगाना सीखें। रात बीतते ही सूर्य उदय होता है, सूर्य की किरणों के प्रकाश में बच्चों को भी जाग कर दूसरों को जगाना चाहिए। जिस प्रकार लता और वृक्ष आपस में लिपटते-गले लगते है, उसी प्रकार बच्चों को भी उनसे शिक्षा लेकर आपस में प्रेम से एक दूसरे को गले लगाना चाहिए।

पद – 3

दीपक से सीखो जितना
हो सके अंधेरा हरना,
पृथ्वी से सीखो जीवों की
सच्ची सेवा करना।

शब्दार्थ :

  • दीपक = दीया, दीप ।
  • अंधेरा = अंधकार ।
  • जीवों = प्राणियों।

व्याख्या – इस कविता में कवि ने दीपक तथा पृथ्वी से सीखने की प्रेरणा दी है।,

कवि ने बन्चों से कहा है कि वे जितना हो सके दोपक से अंधकार दूर करने की शिक्षा लें। नन्हा-सा दीपक अपने चारों ओर के अंधकार को दूर कर रोशनी कर देता है। वैसे ही बच्चों को भी दीपक से सीख कर अपने आस-पास के अंधेरे को दूर कर देना चाहिए। जिस प्रकार पृथ्वी सभी प्राणियों की सच्ची सेवा करती है, उसी प्रकार बच्चों को भी पृथ्वी के सभी प्राणियों की सच्चाई के साथ सेवा करने की सीख लेनी चाहिए।

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पद – 4

जलधारा से सीखो आगे
जीवन-पथ पर बढ़ना,
और धुएँ से सीखो हरदम
ऊँचे ही पर चढ़ना।

शब्दार्थ :

  • जलधारा = जल का प्रवाह ।
  • जीवन पथ = जीवन रूपी मार्ग ।
  • हरदम = हमेशा।

व्याख्या – इस कविता में कवि ने बच्चों को जल-धारा तथा धुएँ से सीखने की प्रेरणा दी है।

जल का प्रवाह सदा आगे बढ़ता रहता है। उससे सीख लेकर बच्चों को भी सदा अपने जीवन के मार्ग पर अर्थात् अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहना चाहिए। जिस प्रकार आग से निकलने वाला धुआँ सदा ऊपर ही चढ़ता रहता है, उसी प्रकार बच्चों को भी धुएँए से सीख लेकर हमेशा ऊँचाई पर चढ़ते रहना चाहिए अर्थात् सदा उन्नति करते रहना चाहिए।

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पद – 5

सत्पुरुषों के जीवन से सीखो
चरित्र निज गढ़ना,
अपने गुरु से सीखो बच्चों
उत्तम विद्या पढ़ना।

शब्दार्थ :

  • सीख = शिक्षा, परामर्श।
  • गढ़ना = रचना, बनाना।
  • निज = अपना।
  • उत्तम = श्रेष्ठ।
  • सत्पुरुष = सज्जन व्यक्ति।

व्याख्या – प्रस्तुत कविता में कवि ने बच्चों को सज्जन लोगों तथा गुरु से सीखने की प्रेरणा दी है।

कवि ने बच्चों को गह परामर्श दिया है कि वे सज्जन पुरुषों के जीवन से शिक्षालेकर अपने चरित्र का निर्माण करें। अपने गुरु से वे सदा श्रेष्ठ अच्छी विद्या की शिक्षा प्राप्त करें। गुरु से अन्छी विद्या सीख कर ही वे जीवन में उन्नति कर सकते हैं।

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