WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

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WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 Question Answer – नौरंगिया

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.’नौरंगिया’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 2. ‘नौरंगिया’ कविता का भावार्थ लिखें तथा उसके उदेश्य को भी लिखें।
अथवा
प्रश्न 3. ‘नौरंगिया’ कविता में निहित कवि के संदेश को लिखें।
अथवा
प्रश्न 4. ‘नौरंगिया’ कविता की नौरंगिया की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
अथवा
प्रश्न 5. ‘नौरंगिया’ श्रमिक युवती की गाथा है – स्पष्ट करें।
अथवा
प्रश्न 6. ‘नौरंगिया’ गंगा पार श्रमिक युवती का प्रतिनिधित्व करती है – कविता के आधार पर लिखें।
अथवा
प्रश्न 7. ‘नौरंगिया’ कविता के आधार पर नौरंगिया की दिनचर्या तथा चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।
अथवा
प्रश्न 8. ‘नौरंगिया’ कविता का मूल भाव लिखें।
उत्तर :
कैलाश गौतम की कविताओं में ग्रामीण जीवन का वित्र है। कहीं हल जोतकर घर लौटने वाले किसानपरिवार का दृश्य है, कहीं खिन्रता है, कहीं निराशा है तो कहीं पुरुष से भी अधिक आशावान कर्मठता का पाठ पढ़ाने वाली युवती है। ‘नौरंगयया’ कैलाश गौतम की एक ऐसी ही कविता है। इसमें कवि ने एक ग्रामीण श्रमिक युवती का चित्रण किया है। नाम के ही अनुरूप उसके व्यक्तित्व में प्रकृति के नौ रंग बिखरे दिखाई देते हैं।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

कवि ने जिस युवती का वर्णन किया है उसका नाम नौरंगिया है। वह देवी-देवता अर्थात् किसी धर्म के नाम पर किसी दिखावे में विश्वास नहीं करती। वह भोली है तथा उसकी प्रकृति में छल-कपट भी नहीं है। गाँव के प्रभावशाली व्यक्तियों से वह अन्याय के विरूद्ध लोहा लेती है। स्वी होते हुए भी अपने बल-बूते पर खेती का काम देखती है। उसका पति एकदम निकम्मा, ख्री की प्रकृति का है। वह उस पत्थर कोयले के समान हैं जो जलता नहीं है। अपने अनुरूप पति को न पाकर वह उससे घृणा नहीं करती बल्कि उसके साथ शान से जीती, खाती-पीती है। उसके इस व्यवहार की चर्चा पूरे गाँव में उसी प्रकार है जिस प्रकार अखबार के मुख्य समाचार की।

नौरंगिया जवान है, उसका बदन कसा है, ऐसा लगता है मानो शीशे के साँचे में पानी भरा हो। उसके शरीर में सौंदर्य की लहर उसी प्रकार उठती दिखाई देती है जिस प्रकार आम के छोटे-छोटे कोमल लालिमायुक्त पत्ते हवा में काँपते हैं। उसका चेहरा फूल की तरह सुंदर है तथा उसके काले-काले लट भँवरे के समान मुख पर मँडराते हैं।

वह ऐसी तरो-ताजा तथा आभायुक्त दिखाई देती है मानो सौ-सौ बार पानी में घुलकर आयी हो। उसके होंठ कुछ कहने की भंगिमा में खुले हैं। सचमुच नौरंगिया ईश्वर की अद्भुत रचना है। नौरंगिया के रूप-सौदर्य के कारण गाँव के मुंशी तथा ठेकेदार की कामुक दृष्टि लगी रहती है। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि ऐसे नरभक्षियों से कैसे बचा जाए। लेकिन कोई हाथ लगाने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि वह गंगा पार की है।

कवि कहते है कि जब भी देखो नौरंगिया अपने काम में लगी रहती है। वह कटी फसल के सूखे पौधे को पीट-पीट कर उससे दाने निकालती है। किसी भी काम से वह हार नहीं मानती। जब तक उसकी आँखें खुली रहती हैं तब तक उसकी भाग-दौड़ काम के पीछे बनी ही रहती है। स्वी होते हुए भी वह बिच्छ, गोंजर या साँप से नहीं डरती, दिखाई पड़ते ही उसे

मार डालती है। उसके मनोरंजन का एक ही साधन है – विविध भारती से प्रसारित गाने को सुनना। वह सीधी-सादी है, उसकी बोली मीठी है तथा उसकी आँखों में सुनहले भविष्य के सपने तैर रहे हैं। वह उन दिनों की आस लगाए बैठी है जब अपने परिश्रम से वह हर दिन त्योहार के समान बिताएगी।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

नौरंगिया की कर्मठता के बावजूद उसके जीवन में आर्थिक तंगी है। उसके घर की दीवारें दह रही हैं, घर की छाजन भी पुरानी पड़ गई है। फसल जैसे ही पकती है वैसे ही महाजन कर्ज वसूलने के लिए सिर पर आ खड़े होते हैं। जो गहने उसने गिरवी रखे थे, उन्हें भी नहीं छुड़ा पाती है – मन मसोस कर रह जाती है। आखिर वह आर्थिक तंगी से कब तक जूझे।

अपनी आर्षिक तंगी से वह कैसे छूटे और इसका उपाय आखिर किससे पूछे । उसने जिंदगी में क्या-क्या नहीं खोया, क्या नहीं दूटा फिर भी उसकी हँसी नहीं छूटी। जिंदगी जीने की ललक कम नहीं हुई। उसने अपने पैरों में जो चपल पहने हैं वे भी किसी से माँगे हुए हैं तथा साड़ी भी उधार में लिया था। इन सबके बावजूद नौरंगिया के हौसले में कोई कमी नहीं आती क्योंकि वह गंगा पार की है।

इस प्रकार हम पाते हैं कि कैलाश गौतम ने इस कविता में नौरंगिया को दीन-हीन-लाचार नहीं बल्कि पुरूषों और परिस्थितियों से टक्कर लेनेवाली कर्मठ स्वी के रूप में दर्शाया है। नौरंगिया जैसी युवती से ही इस देश की नारियों को एक नई दिशा मिल सकती है। हुम कह सकते हैं कि नौरंगिया आनेवाली नारियों का प्रतीक है। कवि नारी को अब सशक्त रूप में देखना चाहते हैं और यही एक इस कविता का उद्देश्य है तथा नारियों को अबला नहीं, सबला बनने का संदेश इसमें निहित है।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विविध भारती क्या है?
उत्तर :
विविध-भारती आकाशवाणी का एक कार्यक्कम है जिसमें श्रोताओं के आपह (फरमाइश) पर लोकपिय फिल्मी गाने सुनाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
नौरंगिया हमेशा किस कार्य में लिप्त रहती थी ?
उत्तर :
नौरंगिया सदैव कृषिकार्य एवं गृहकार्य में लिप्त रहती थी।

प्रश्न 3.
नौरंगिया का पति (मरद) कैसा है ?
उत्तर :
नौरंगिया का पति निखट्टू, खैण तथा पत्थर कोयले के समान है जो कभी जलकर लाल नहीं होता।

प्रश्न 4.
नौरंगिया देवी-देवता को क्यों नहीं मानती थी ?
उत्तर :
नौरंगिया कर्मपूजा को ही सबसे पड़ी पूजा मानती है, इसलिए वह देवी-देवता को नहीं मानती है।

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प्रश्न 5.
नौरंगिया की आँखों में कैसे सपने हैं?
उत्तर :
नौरंगिया की आँखों में सुनहरे भविष्य के सपने हैं।

प्रश्न 6.
नौरंगिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है ?
उत्तर :
नौरंगिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती है – गाँव के प्रभावशाली व्यक्तियों से अपनी इज्जत को बचाना।

प्रश्न 7.
‘संग-संग खाती, संग-संग पीती’ – किसके बारे में कहा गया है ?
उत्तर :
यहाँ नौरंगिया के बारे में कहा गया है कि वह अपने पति के साथ-साथ खाती-पीती है। अपने पति को लेकर उसके मन में कोई़ी हीन भावना नहीं है।

प्रश्न 8.
गाँव-गली में किसकी चर्चा है ?
उत्तर :
गाँव-गली में नौरंगिया की कर्मठता, उसके रूप-सौंदर्य की चर्चा है।

प्रश्न 9.
नौरंगिया की चर्चा की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर :
नौरंगिया की चर्चा की तुलना अखबार की सुर्खी से की गई है।

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प्रश्न 10.
नौरंगिया कहाँ की है ?
उत्तर :
नौरंगिया गंगा-पार की है।

प्रश्न 11.
‘काला भँवरा’ किसे कहा गया है ?
उत्तर :
नौरंगिया के झूलते काले लट को काला भँवरा कहा गया है।

प्रश्न 12.
नौरंगिया के शरीर की आभा कैसी है?
उत्तर :
नौरंगिया के शरीर की आभा ऐसी है मानो वह सौ-सौ बार पानी से धुली ही।

प्रश्न 13.
नौरंगिया के बदन की सिहरन की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर :
नौरंगिया के बदन की सिहरन की तुलना आम के पौधे के कोमल पत्ते की सिहरन से की गई है।

प्रश्न 14.
ईश्वर की अद्भुत रचना किसे और क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
नौरंगिया को ईश्वर की अद्भुत रचना कहा गया है क्योकि गरीब घर में जन्म लेने के बाद भी वह सुंदर और समझदार और कर्मठ है।

प्रश्न 15.
नौरंगिया क्या नहीं मानती और क्या नहीं जानती ?
उत्तर :
नौरंगिया देवी-देवता को नहीं मानती तथा छल-कपट नहीं जानती।

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प्रश्न 16.
‘जैसी नीयत’ का भावार्थ क्या है?
उत्तर :
‘जैसी नीयत’ का भावार्थ है – बुरी नीयत।

प्रश्न 17.
नौरंगिया जगे रहने तक किसके आगे-पीछे भागती रहती है ?
उत्तर :
नौरंगिया जगे रहने तक काम के आगे-पीछे भागती रहती है।

प्रश्न 18.
काम करने के दौरान नौरंगिया क्या करती रहती है ?
उत्तर :
काम करने के दौरान नौरंगिया विविध-भारती से गाने सुनती रहती है।

प्रश्न 19.
नौरंगिया किसे मारती है ?
उत्तर :
नौरंगिया बिच्छू, साँप, गोंजर को मारती है।

प्रश्न 20.
नौरंगिया के सीधेपन की तुलना किससे की गई है ?
उत्तर :
नौरंगिया के सीधेपन की तुलना लाठी से की गई है।

प्रश्न 21.
नौरंगिया का चेहरा कैसा है ?
उत्तर :
नौरंगिया का चेहरा भोला-भाला है।

प्रश्न 22.
नौरंगिया की बोली कैसी है ?
उत्तर :
नौरंगिया की बोली मीठी है।

प्रश्न 23.
नौरंगिया किसकी मदद से खेती करती है?
उत्तर :
नौरंगिया किसी की मदद से नहीं, अपने बल-बूते पर ही खेती करती है।

प्रश्न 24.
नौरंगिया जिस घर में रहती है, वह कैसा है ?
उत्तर :
नौरंगिया जिस घर में रहती है, उसकी दीवारें ढहने लगी है तथा छाजन भी पुरानी पड़ गई है।

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प्रश्न 25.
नौरंगिया के फसल पकने पर क्या होता है ?
उत्तर :
फसल पकने पर महाजन नौरंगिया को दिए गए कर्ज को वसूलने के लिए सिर पर आ खड़ा होता है।

प्रश्न 26.
नौरंगिया किस बात पर मन मसोस कर रह जाती है ?
उत्तर :
गिरवी रखे गहने न छुड़ा पाने के कारण नौरंगिया मन मसोस कर रह जाती है।

प्रश्न 27.
नौरंगिया विपदा में भी क्या नहीं छोड़ती?
उत्तर :
नौरंगिया विपदा के दिनों में भी हंसना, साहस तथा कर्मठता नहीं छोड़ती है।

प्रश्न 28.
नौरंगिया ने नई साड़ी कैसे ली है ?
उत्तर :
नौरंगिया ने नई साड़ी उधार ली है।

प्रश्न 29.
नौरंगिया ने चप्पल कैसे पाया है ?
उत्तर :
नौरंगिया ने किसी से मंगनी कर (माँग कर) चप्पल पाया है।

प्रश्न 30.
‘लाल न होता ऐसा कोयला’ – का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
‘लाल न होता ऐसा कोयला’ का अर्थ है वैसा कोयला जो जलने वाला नहीं है।

प्रश्न 31.
‘कसी देह और भरी जवानी’ किसके बारे में कहा गया है ?
उत्तर :
यह नौरंगिया के बारे में कहा गया है ?

प्रश्न 32.
नौरंगिया किसके साथ शान से जीती है ?
उत्तर :
नौरंगिया का पति उसके लायक नहीं है फिर भी वह उसके साथ शान से जीती है।

प्रश्न 33.
नौरंगिया के माध्यम से कवि ने किस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है ?
उत्तर :
नौरंगिया के माध्यम से कवि ने श्रमिक वर्ग की आर्थिक समस्या तथा साहूकारों द्वारा शोषण की समस्या की और ध्यान आकर्षित किया है।

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प्रश्न 34.
नौरंगिया का जीवन-यापन कैसे होता है ?
उत्तर :
नौरंगिया का जीवन-यापन खेती से होता है।

प्रश्न 35.
‘जांगर पीटने’ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
जांगर पीटने का अर्थ है – तैयार कटी फसल के डंठल को पटक-पटक कर उससे अनाज के दाने अलग करना।

प्रश्न 36.
कैलाश गौतम जी नौरंगिया और उसके पति के बारे में क्या बताते हैं ?
उत्तर :
कैलाश गौतम जी ने जहाँ नौरंगिया को सुंदर-सुघड़, मेहनती, निडर, छक्का-पंजा नहीं जाननेवाली बताया है वहीं उसके पति को निखद्टू, जनखा, न लाल होने वाला कायेला बताया है।

प्रश्न 37.
नौरंगिया के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता क्या है ?
उत्तर :
नौरंगिया के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता कर्म में विश्वास करना है।

प्रश्न 38.
‘निखद्टू’ तथा ‘लाल न होता ऐसा कायेला’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘निखट्टू’ का अर्थ है – कामचोर तथा ‘लाल न होता ऐसा कोयला’ का अर्थ है कि किसी बात का कोई प्रभाव न पड़ना।

प्रश्न 39.
‘आँखों में जीवन के सपने, तैयारी त्योहार की है’ – यहाँ किसके, किस प्रकार के सपने की बात कही गई है ?
उत्तर :
यहाँ नौरंगिया के उस सपने की बात कही गई है जब उसके जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रहेगा तथा उसका प्रत्येक दिन त्योहार की तरह होगा।

प्रश्न 40.
ताकतवर से कौन लोहा लेती है ?
उत्तर :
ताकतवर से नौरंगिया लोहा लेती है।

प्रश्न 41.
‘लोहा लेना’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
लोहा लेना का अर्थ है – डटकर जबाव देना।

प्रश्न 42.
काम करने के दौरान नौरंगिया क्या करती रहती है ?
उत्तर :
काम करने के दौरान नौरंगिया विविध भारती से गाने सुनती रहती है।

प्रश्न 43.
नौरंगिया के अभावग्रस्त जीवन का संकेत कब मिलता है ?
उत्तर :
नौरंगिया के अभावप्रस्त जीवन का संकेत इससे मिलता है कि दूसरे से मंगनी का चपल पहनती है, साड़ी उधार लेती है, फसल पकते ही महाजन सिर पर सवार हो जाते है तथा अपने गिरवी रखे गहने नहीं छुड़ा पाती है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
नौरंगिया मारती रहती थी –
(क) अपने मरद को
(ख) अपने बच्चों को
(ग) बिच्छू, गोंजर, साँप को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(ग) बिच्छू, गोंजर, साँप को।

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प्रश्न 2.
नौरंगिया क्या सुनती रहती है ?
(क) राप्र्रीत
(ख) फिल्मी गीत
(ग) कुत्तों का भौंकना
(घ) विविध भारती
उत्तर :
(घ) विविध भारती।

प्रश्न 3.
‘नौरंगिया’ के कवि हैं?
(क) प्रसाद
(ख) कैलाश गौतम
(ग) राजेश जोशी
(घ) अनामिका
उत्तर :
(ख) कैलाश गौतम।

प्रश्न 4.
कैलाश गौतम का जन्म कब हुआ था ?
(क) 8 जनवरी 1944
(ख) 8 फरवरी 1945
(ग) 8 मार्च 1946
(घ) 8 अप्रैल 1947
उत्तर :
(क) 8 जनवरी 1944

प्रश्न 5.
‘जादुई कवि’ किसे कहा गया है ?
(क) प्रसाद को
(ख) रैदास को
(ग) कैलाश गौतम को
(घ) कबीर को
उत्तर :
(ग) कैलाश गौतम को।

प्रश्न 6.
कैलाश गौतम आकाशवाणी के किस केन्द्र में कार्यरत् थे ?
(क) इलाहाबाद
(ख) बनारस
(ग) कलकत्ता
(घ) दिल्ली
उत्तर :
(क) इलाहाबाद।

प्रश्न 7.
कैलाश गौतम का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) इलाहाबाद में
(ख) बनारस में
(ग) हैदराबाद में
(घ) कानपुर में
उत्तर :
(ख) बनारस में।

प्रश्न 8.
कैलाश गौतम का जन्म किस गाँव में हुआ था ?
(क) लमही
(ख) बाबू टोला
(ग) डिग्धी
(घ) कायस्थ टोला
उत्तर :
(ग) डिग्धी।

प्रश्न 9.
कैलाश गौतम ने अपना कर्मक्षेत्र किसे चुना था?
(क) प्रयाग को
(ख) बनारस को
(ग) कलकत्ता को
(घ) देहरादून को
उत्तर :
(क) प्रयाग को।

प्रश्न 10.
कैलाश गौतम किस वाद से प्रभावित थे ?
(क) छायावाद
(ख) प्रर्गतिवाद्
(ग) प्रयोगवाद
(घ) जनवादी सोच
उत्तर :
(घ) जनवादी सोच।

प्रश्न 11.
‘सीली माचिस की तीलियाँ’ (काव्य-संग्रह) के रचनाकार हैं ?
(क) निराला
(ख) कैलाश गौतम
(ग) प्रसाद
(घ) पंत
उत्तर :
(ख) कैलाश गौतम।

प्रश्न 12.
‘जोड़ा ताल’ (काव्य-संग्रह) के रचनाकार हैं ?
(क) पंत
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) अनामिका
(घ) कैलाश गौतम
उत्तर :
(घ) कैलाश गौतम।

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प्रश्न 13.
‘चिन्ता नए जूते की’ (निबंध-संग्रह) के लेखक हैं ?
(क) कैलाश गौतम
(ख) प्रेमचंद
(ग) अज्ञेय
(घ) निराला
उत्तर :
(क) कैलाश गौतम।

प्रश्न 14.
‘आदिम राग’ (गीत-संग्रह) के कवि हैं ?
(क) फणीश्वरनाथ रेणु
(ख) शिवपूजन सहाय
(ग) कैलाश गौतम
(घ) बंग महिला
उत्तर :
(ग) कैलाश गौतम।

प्रश्न 15.
‘तंबुओं का शहर’ किस विधा की रचना है ?
(क) उपन्यास
(ख) कहानी
(ग) कविता
(घ) रिपोतार्ज
उत्तर :
(क) उपन्यास।

प्रश्न 16.
‘तीन चौथाई अंश’ किसकी रचना है ?
(क) कन्हैयालाल नंदन
(ख) कीर्ति चौधरी
(ग) केलाश गौतम
(घ) रघुवीर सहाय
उत्तर :
(ग) कैलाश गौतम।

प्रश्न 17.
‘कविता लौट पड़ी’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कैलाश गौतम
(ख) रघुवीर सहाय
(ग) यतीन्द्र मिश्र
(घ) नागार्जुन
उत्तर :
(क) कैलाश गौतम।

प्रश्न 18.
‘जै-जै सियाराम’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) रैदास
(ख) कैलाश गौतम
(ग) कबीर
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर
उत्तर :
(ख) कैलाश गौतम

प्रश्न 19.
‘अमौसा क मेला’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अनामिका
(ख) ₹तुराज
(ग) राजेश जोशी
(घ) कैलाश गौतम
उत्तर :
(घ) कैलाश गौतम।

प्रश्न 20.
‘कचहरी और गाँव गया था’ – किसकी रचना है ?
(क) कैलाश गौतम
(ख) रघुवीर सहाय
(ग) यतीन्द्र मिश्र
(घ) गुणाकर मुले
उत्तर :
(क) कैलाश गौतम।

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प्रश्न 21.
‘गाँव से भागा’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) रामदरश मिश्र
(ख) यतीन्द्र मिश्र
(ग) राम कुमार वर्मा
(घ) कैलाश गौतम
उत्तर :
(घ) कैलाश गौतम।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित में से कौन-सा सम्मान कैलाश गौतम को नहीं मिला है ?
(क) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(ख) परिवार सम्मान
(ग) ऋतुराज सम्मान
(घ) यशभारती सम्मान
उत्तर :
(क) साहित्य अकादमी पुरस्कार।

प्रश्न 23.
कैलाश गौतम को मरणोपरांत कौन-सा पुरस्कार प्रदान किया गया ?
(क) पद्भूषण
(ख) यश भारती सम्मान
(ग) ऋतुराज सम्मान
(घ) परिवार सम्मान
उत्तर :
(ख) यशभारती सम्मान।

प्रश्न 24.
‘मरद निखद्टू’ किसे कहा गया है ?
(क) लेखपाल को
(ख) नौरंगिया के पति को
(ग) महाजन को
(घ) इनमें से किसी को नहीं
उत्तर :
(ख) नौरंगिया के पति को।

प्रश्न 25.
‘जनखा’ का अर्थ है ?
(क) जन्म देने वाला
(ख) जन्मा हुआ
(ग) जन्म से
(घ) स्त्रैण
उत्तर :
(घ) स्व्रैण।

प्रश्न 26.
‘जोइला’ का अर्थ है ?
(क) नपुंसक
(ख) जैसा है
(ग) जैसा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) नपुंसक।

प्रश्न 27.
‘लाल न होता ऐसा कोयला’ का अर्थ है ?
(क) बेशर्म
(ख) नहीं जलने वाला कोयला
(ग) काला
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) नहीं जलने वाला कोयला।

प्रश्न 28.
नौरंगिया की बोली कैसी है ?
(क) कड़वी
(ख) मीठी
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) प्रतीकात्मक
उत्तर :
(ख) मीठी।

प्रश्न 29.
‘उसको भी वह शान से जीती’ में ‘उसको’ से कौन संकेतित है ?
(क) पति
(ख) लेखपाल
(ग) ठेकेदार
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) पति।

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प्रश्न 30.
गाँव-गली में किसकी चर्चा है ?
(क) ठेकेदार की
(ख) महाजन की
(ग) नौरंगिया की
(घ) लेखपाल की
उत्तर :
(ग) नौरंगिया की।

प्रश्न 31.
अखबार की सुर्खी के समान किसे बताया गया है ?
(क) नौरंगिया की चर्चा को
(ख) समाचार को
(ग) फसल को
(घ) ढहती भीत को
उत्तर :
(क) नौरंगिया की चर्चा को।

प्रश्न 32.
नौरंगिया कहाँ की है ?
(क) डिग्धी की
(ख) बनारस की
(ग) चन्दौली की
(घ) गंगा पार की
उत्तर :
(घ) गंगा पार की।

प्रश्न 33.
‘शीशे के साँचे में पानी’ का अर्थ है ?
(क) सुघड़-सुन्दर
(ख) शीशे के बर्त्तन में भरा पानी
(ग) शीशे में जमा बर्फ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) सुघड़-सुन्दर।

प्रश्न 34.
‘अमोले’ का अर्थ है ?
(क) आँवला का पौधा
(ख) आम का पौधा
(ग) अमूल्य
(घ) सुन्दर
उत्तर :
(ख) आम का पौधा।

प्रश्न 35.
‘काला भँवरा’ से किसे संकेतित किया गया है ?
(क) काले-काले लटो को
(ख) भौंरो को
(ग) काले चेहरे को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) काले-काले लटो को।

प्रश्न 36.
ईश्वर की अद्भुत रचना किसे कहा गया है ?
(क) नौरंगिया के पति को
(ख) लेखपाल को
(ग) नौरंगिया को
(घ) ठेकेदार को
उत्तर :
(ग) नौरंगिया को।

प्रश्न 37.
किन दोनों की नीयत एक जैसी है ?
(क) नौरंगिया और उसके पति की
(ख) नौरंगिया और ठेकेदार की
(ग) नौरंगिया और लेखपाल की
(घ) लेखपाल और ठेकेदार की
उत्तर :
(घ) लेखपाल और ठेकेदार की।

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प्रश्न 38.
नौरंगिया निम्नलिखित में से किसे नहीं मारती ?
(क) गाय
(ख) गोंजर
(ग) बिच्छू
(घ) साँप
उत्तर :
(क) गाय।

प्रश्न 39.
‘बिना कान का आदमी’ किसकी रचना है ?
(क) कैलाश गौतम
(ख) अनामिका
(ग) ऋतुराज
(घ) राजेश जोशी
उत्तर :
(क) कैलाश गौतम।

प्रश्न 40.
नौरंगिया के सीधेपन की तुलना किससे की गई है ?
(क) साँप से
(ख) गोंजर से
(ग) गाय से
(घ) लाठी से
उत्तर :
(घ) लाठी से।

प्रश्न 41.
नौरंगिया की आँखों में किसके सपने हैं ?
(क) खुशहाल जीवन के
(ख) पति के
(ग) अच्छी फसल के
(घ) सुंदर घर के
उत्तर :
(क) खुशहाल जीवन के।

प्रश्न 42.
गहने नहीं छुड़ा पाने पर नौरंगिया किस प्रकार रह जाती है ?
(क) गुस्सा कर
(ख) लाचार होकर
(ग) मन मसोस कर
(घ) आसू बहाकर
उत्तर :
(ग) मन मसोस कर।

प्रश्न 43.
‘ढहती भीत’ का अर्थ है ?
(क) ढहती दीवार
(ख) भयभीत
(ग) भय का न होना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) ढहती दीवार।

प्रश्न 44.
नौरंगिया के पैरों में चप्पल है ?
(क) खरीदा गया
(ख) मंगनी की
(ग) उधार का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) मंगनी की।

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प्रश्न 45.
नौरंगिया की नई साड़ी है ?
(क) लाल
(ख) नकद खरीदी
(ग) नीली
(घ) उधार की
उत्तर :
(घ) उधार की।

प्रश्न 46.
नौरंगिया पर किसकी नीयत खराब है ?
(क) लेखपाल और ठेकेदार की
(ख) लेखपाल और महाजन की
(ग) लेखपाल और पति की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) लेखपाल और ठेकेदार की।

प्रश्न 47.
नौरंगिया किसके बूते (बल पर) खेती करती है?
(क) पति के
(ख) महाजन के
(ग) अपने
(घ) ठेकेदार के
उत्तर :
(ग) अपने ।

प्रश्न 48.
नौरंगिया किस विधा की रचना है ?
(क) कहानी
(ख) कविता
(ग) निबंध
(घ) संस्मरण
उत्तर :
(ख) कविता।

प्रश्न 49.
‘कहने को कुछ होंठ खुले हैं’ – किसके बारे में कहा गया है ?
(क) नौरंगिया
(ख) लेखपाल
(ग) ठेकेदार
(घ) महाजन
उत्तर :
(क) नौरंगिया।

प्रश्न 50.
नौरंगिया के सामने महाजन कब खड़ा हो जाता है?
(क) जब उसका पति घर पर नहीं होता
(ख) जब वह साँप मारती है
(ग) जब वह विविध भारती सुनती है
(घ) जब फसल पक जाती है
उत्तर :
(घ) जब फसल पक जाती है।

प्रश्न 51.
नौरंगिया क्या नहीं छुड़ा पाती है?
(क) गिरवी रखा घर
(ख) गिरवी रखे गहने
(ग) गिरवी रखी चप्पल
(घ) गिरवी रखी नई साड़ी
उत्तर :
(ख) गिरवी रखे गहने।

प्रश्न 52.
‘कसी देह और भरी जवानी’ किसके बारे में कहा गया है ?
(क) नौरंगिया के पति के बारे में
(ख) लेखपाल के बारे में
(ग) नौरंगिया के बारे में
(घ) महाजन के बारे में
उत्तर :
(ग) नौरंगिया के बारे में।

प्रश्न 53.
नौरंगिया किसे नहीं मानती है?
(क) देवी-देवता को
(ख) गाँव वालों को
(ग) पति को
(घ) महाजन को
उत्तर :
(क) देवी-देवता को।

प्रश्न 54.
नौरंगिया किससे लोहा लेती है ?
(क) लेखपाल से
(ख) ठेकेदार से
(ग) सरकार से
(घ) ताकतवार से
उत्तर :
(घ) ताकतवार से।

प्रश्न 55.
‘ग्राम्य संस्कृति का वाहक’ किस कवि को कहा गया है ?
(क) राजेश जोशी
(ख) कीर्ति चौधरी
(ग) रघुवीर सहाय
(घ) कैलाश गौतम
उत्तर :
(घ) कैलाश गौतम।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

प्रश्न 56.
किसके सीधेपन की तुलना लाठी से की गई है ?
(क) अर्पणा
(ख) साफिया की
(ग) नौरंगिया की
(घ) अनामिका की
उत्तर :
(ग) नौरंगिया की।

प्रश्न 57.
‘पैरों में मंगनी के चप्पल, साड़ी नई उधार की हैं’ – यह किसे कहा गया है ?
(क) जनखा के बारे में
(ख) रंगैय्या के बारे में
(ग) नौरंगिया के बारे में
(घ) गंगा के बारे में
उत्तर :
(ग) नौरंगिया के बारे में।

प्रश्न 58.
कौन देवी-देवता नहीं मानती, छक्का-पंजा नहीं जानती ?
(क) ठेकेदारिन
(ख) लेखपाल
(ग) कवयित्री
(घ) नौरंगिया
उत्तर :
(घ) नौरंगिया।

WBBSE Class 10 Hindi नौरंगिया Summary

कवि परिचय 

जन-मानस को अपनी कलम तथा वाणी से झकझोरने वाले जादुई कवि कैलाश गौतम का जन्म 8 जनवरी, 1944 को वाराणसी के चंदौली नामक गाँव में हुआ था। ये आकाशवाणी इलाहाबाद में कार्यरत् थे। वहाँ से अवकाश प्राप्त करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें हिन्दुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष पद पर मनोनीत किया। कैलाश गौतम एक प्रतिभावान कवि के साथ कुशल मंच-संचालक भी थे। इन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय काशी और प्रयाग (इलाहाबाद) में बिताया इसीलिए इनके व्यक्तित्व में दोनों ही स्थानों के संस्कार रचे-बसे थे।
WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया 1

कैलाश गौतम के रचना-संसार का परिचय इस प्रकार है –
कविता-संग्रह : सीली माचिस की तीलियाँ, जोड़ा ताल
भोजपुरी कविता-संग्रह : तीन चौथाई अंश
गीत-संग्रह : आदिम राग
दोहा-संकलन : बिना काम का आदमी
उपन्यास : जै जै सियाराम, तम्बुओं का शहर
अन्य लोकप्रिय रचनाएँ : अमौसा क मेला, कचहरी और गाँव गया था, गाँव से भागा। सम्मान : परिवार सम्मान, ॠतुराज सम्मान, यश भारती सम्मान (मरणोपरांत)।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

भावार्थ

1. देवी-देवता नहीं मानती, छक्का-पंजा नहीं जानती
ताकतवर से लोहा लेती, अपने बूते करती खेती,
मरद निखद्यू जनखा जोइला, लाल न होता ऐसा कोयला,
उसको भी वह शान से जीती, संग-संग खाती, संग-संग पीती
गाँव गली की चर्चा में वह सुर्खी-सी अख़़ारार की है
नौरंगिया गंगा पार की है।

शब्दार्थ :

  • छक्का-पंजा = छ:-पाँच, छल-कपट।
  • ताकतवर = मजवूत।
  • लोहा लेना = बदला लेना।
  • अपने बूते = अपने बल पर ।
  • निखद्टू = किसी काम का नहीं।
  • जनखा = स्वैण, स्वियों की तरह व्यवहार करने वाला।
  • जोइला = हिजड़ा।
  • सुर्खी = मुख्य समाचार, सनसनी खेज खबर।

व्याख्या :

प्रस्तुत पंक्तियों में कैलाश गौतम ने गंगा-पार की एक श्रमिक युवती का वर्णन किया है।
कवि ने जिस युवती का वर्णन किया है उसका नाम नौरंगिया है। वह देवी-देवता अर्थात् धर्म के नाम पर किसी दिखावे में विश्वास नहीं करती। वह भोली है तथा उसकी प्रकृति में छल-कपट भी नहीं है। गाँव के प्रभावशाली व्यक्तियों से वह अन्याय के विरुद्ध लोहा लेती है।

स्वी होते हुए भी अपने बल-बूते पर खेती का काम देखती है। उसका पति एकद्म निकम्मा स्व्री की प्रकृति का है। वह उस पत्थर कोयले के समान है जो जलता नहीं है। अपने अनुरूप पति को न पाकर भी वह उससे घृणा नहीं करती बल्कि उसके साथ शान से जीती, खाती-पीती है। उसके इस व्यवहार की चर्चा पूरे गाँव में उसी प्रकार है जिस प्रकार अखबार के मुख्य समाचार की। गंगा पार की होने के कारण ही उसकी प्रकृति में जिंदगी जिस प्रकार की है उसे पूरे राग-रंग के साथ जीने की इच्छा है।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कविता की इन पंक्तियों में नौरंगिया की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
2. उसके लिए कर्म ही सच्ची पूजा है तथा वह अन्याय के आगे झुकनेवाली नहीं है।
3. पति के स्वैण प्रकृति का होने के बावजूद वह उसके सुख-दुख में साथ है, उसकी उपेक्षा नहीं करती।
4. ‘निखट्टू, जनखा, जोइला तथा पत्थर कोयले से उपमा दी गई है जो उसके पति के व्यक्तित्व की पोल खोलती है।
5. ‘छक्का-पंजा’, ‘लोहा लेना’ जैसे मुहावरे के प्रयोग ने भाषा को प्रभावी बना दिया है।
6. ‘जनखा, जोइला’ में अनुप्रास अलंकार है तथा ‘संग-संग’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
7. भाषा सहज, सरल तथा प्रवाहमयी है।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

2. कसी देह औ भरी जवानी, शीशे के साँचे में पानी
सिहरन पहने हुए अमोले, काला भँवरा पुँह पर डोले
सौ-सौ पानी रंग धुले हैं, कहने को कुछ होठ खुले हैं
अद्भुत है ईश्वर की रचना, सबसे बड़ी चुनौती बचना
जैसी नीयत लेखपाल की वैसी ठेकेदार की है।
नौरंगिया गंगा पार की है।

शब्दार्थ :

  • कसी = गठीली।
  • अमोले = आम का नन्हा पौधा।
  • सौ-सौ पानी रंग धुले = तीखे नाक-नक्शवाली, आभायुक्त।
  • अद्भुत = अनोखा।
  • नीयत = इमान ।
  • लेखपाल = मुंशी, लिखा-पढ़ी करनेवाला।

व्याख्या : प्रस्तुत कविता में नौरंगिया के रूप-सौंदर्य का वर्णन किया गया है। नौरंगिया जवान है, उसका बदन कसा है, ऐसा लगता है मानो शीशे के साँचे में पानी भरा हो। उसके शरीर में सौदर्य की लहर उसी प्रकार उठती दिखाई देती है जिस प्रकार आम के छोटे-छोटे कोमल लालिमायुक्त पत्ते हवा में काँपते हैं। उसका चेहरा फूल की तरह सुंदर है तथा उसके काले-काले लट भँवरे के समान मुख पर मंडराते हैं।

वह ऐसी तरो-ताजा तथा आभायुक्त दिखाई देती है मानो सीसौ बार पानी में घुलकर आयी हो। उसके होंठ कुछ कहने की भंगिमा में खुले हैं। सचमुच नौरंगिया ईश्वर की अद्भुत रचना है। नौरंगिया के रूप-सौंदर्य के कारण गाँव के मुंशी तथा ठेकेदार की कामुक दृष्टि लगी रहती है। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि ऐसे नरभक्षियों से कैसे बचा जाए। लेकिन कोई हाथ लगाने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि वह गंगा पार की है। उसके तीखे तेवर से सभी परिचित हैं। निराला ने भी एक श्रमिक युवती का वर्णन कुछ इस प्रकार किया है –

श्याम तन, भर बँधा यौवन,
नत नयन, प्रिय कर्म रत मन।

काव्यगत सौंदर्य :

1. नौरंगिया अपने सौंदर्य, पति-भक्ति तथा कर्मठता के कारण गाँव में चर्चा का विषय बनी हुई है।
2. इन पंक्तियों में ‘कसी देह’, ‘शीशे के साँचे में पानी’ ‘सिहरन पहने हुए अमोले’ तथा ‘काला भंवरा मुँह पर डोले’ जैसी उपमाओं से बिहारी की नायिका प्रत्यक्ष हो जाती है।
3. अपने सौदर्य के कारण नौरंगिया ईश्वर की अद्भुत रचना मालूम पड़ती है।
4. उसका सौदर्य ऐसा निखरा है मानो सौ-सौ बार पानी से धुला हो।
5. यहाँ ग्रामीण श्रमिक युवतियों के शारीरिक शोषण की ओर इशारा किया गया है।
6. ‘नौरंगिया गंगा पार की है’ – पंक्ति से नौरंगिया की चारित्रिक दृढ़ता प्रकट होती है।
7. ‘सौ-सौ’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
8. भाषा बहते पानी की तरह प्रवाहमयी है।

3. जब देखो तब जाँगर पीटे, हार न माने काम घसीटे
जब तक जागे, तब तक भागे, काम के पीछे, काम के आगे
बिच्छू, गोंजर, साँप मारती, सुनती रहती विविध-भारती
बिल्कुल है लाठी सी सीधी, भोला चेहरा बोली मीठी
आँखों में जीवन के सपने तैयारी त्यौहार की है।
नौरंगिया गंगा पार की है।

शब्दार्थ :

  • जाँगर = मटर, उरद आदि का डंठल जिससे दाने निकाल लिए गए हों।
  • गोंजर = एक प्रकार का जीव जिसके कई जोड़े पैर होते हैं।
  • विविध भारती = आकाशवाणी द्वारा प्रस्तुत फिल्मी गीतों का लोकप्रिय कार्यक्रम।

व्याख्या : कविता की इन पंक्तियों में कवि ने नौरंगिया की कर्मठता का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि जब भी देखो नौरंगिया अपने काम में लगी रहती है। वह कटी फसल के सूखे पौधे को पीट-पीट कर उससे दाने निकालती है। किसी भी काम से वह हार नहीं मानती। जब तक उसकी आँखें खुली रहती हैं तब तक उसकी भाग-दौड़ काम के पीछे बनी ही रहती है।

स्वी होते हुए भी वह बिच्छू, गोंजर या साँप से नहीं डरती, दिखाई पड़ते ही उसे मार डालती है। उसके मनोरंजन का एक ही साधन है – विविध भारती से प्रसारित गाने को सुनना। वह सीधी-सादी है, उसकी बोली मीठी है तथा उसकी आँखों में सुनहले भविष्य के सपने तैर रहे हैं। वह उन दिनों की आस लगाए बैठी है जब अपने परिश्रम से वह हर दिन त्योहार के समान बिताएगी। गंगा पार की होने के कारण ही उसके जीवन में कर्मठता आई है।

काव्यगत सौंदर्य :

1. इन पंक्तियों में नौरंगिया की कर्मठता का वर्णन किया गया है।
2. ‘नौरंगिया’ के लिए कर्म ही पूजा है।
3. नौरंगिया आम स्वियों की तरह चूहे या तिलचट्टे (कॉकरोच) से डरने वाली नहीं है बल्कि वह बिच्छू, गोंजर और साँप जैसे विषैले जंतुओं से भी अपनी सुरक्षा खुद कर सकती है।
4. ‘विविध-भारती’ सुनना संगीत के प्रति उसके लगाव को दर्शाता है।
5. वह चाहती है कि भविष्य में आने वाला प्रत्येक दिन त्योहार की तरह हो।
6. ‘गंगा पार की’ में यह संकेत छिपा है कि एक दिन उसके सपने अवश्य पूरे होंगे।
7. ‘लाठी-सी सीधी’ में उपमा अलंकार है।
8. पंक्तियाँ संगीत का प्रभाव पैदा करती है।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

4. ढहती भीत पुरानी छाजन, पकी फ़सल तो खड़े महाजन
गिरवी गहना छुड़ा न पाती, मन मसोस फिर-फिर रह जाती
कब तक आखिर कितना जूझे, कौन बताए किससे पूछे
जाने क्या-क्या टूटा-फूटा, लेकिन हँसना कभी न छूटा
पैरों में मंगनी की चप्पल, साड़ी नई उधार की है।
नौरंगिया गंगा पार की है।

शब्दार्थ :

  • ढहती = गिरती।
  • भीत = दीवार।
  • छाजन = फूस की छत।
  • महाजन = सूद पर कर्ज देने वाले।
  • गिरवी = बंधक, किसी वस्तु को किसी के पास रखकर उसके बदले रूपये लेना।
  • जूझे = संघर्ष करे।
  • मंगनी = किसी से माँगा हुआ।

व्याख्या : नौरंगिया की कर्मठता के बावजूद उसके जीवन में आर्थिक तंगी है। उसके घर की दीवारें ढह रही हैं, घर की छाजन भी पुरानी पड़ गई है। फसल जैसे ही पकती है वैसे ही महाजन कर्ज वसूलने के लिए सिर पर आ खड़े होते हैं। जो गहने उसने गिरवी रखे थे, उन्हे भी नहीं छुड़ा पाती है – मन मसोस कर रह जाती है।

आखिर वह आर्थिक तंगी से कब तक जूझे। अपनी आर्थिक तंगी से वह कैसे छूटे और इसका उपाय आखिर किससे पूछे । उसने ज़िंदरी में क्या-क्या नहीं खोया, क्या नहीं टूटा फिर भी उसकी हँसी नहीं छूटी। जिंदगी जीने की ललक कम नहीं हुई। उसने अपने पैरों में जो चपल पहने हैं वे भी किसी से माँगे हुए हैं तथा साड़ी भी उधार में लिया था। इन सबके बावजूद नौरंगिया के हौसले में कोई कमी नहीं आती क्योंकि वह गंगा पार की है।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कविता की इन पंक्तियों में नौरंगिया की दयनीय आर्थिक अवस्था का वर्णन किया गया है।
2. नौरंगिया की गरीबी का प्रमुख कारण महाजन द्वारा दिया गया कर्ज है जो कभी चुकने में ही नहीं आता।
3. ‘खड़े महाजन’ शब्द का प्रयोग ही यहाँ आतंक का पर्याय बनकर आया है।
4. वह इस सवाल में उलझ कर रह जाती है कि अपनी इस स्थिति से उबरने के लिए किससे रास्ता पूछे और बताने वाला कौन है ?
5. नौरंगिया अपने जीवन में बहुत कुछ खो चुकी है फिर भी वह उसे भूल कर हँसती ही रहती है।
6. ‘गिरवी-गहना’ तथा ‘मन-मसोस’ में अनुप्रास अलंकार तथा ‘फिर-फिर’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
7. पंक्ति के ‘क्या-क्या’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
8. भाषा में संगीत का-सा प्रभाव है।

वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर

1. देवी-देवता नहीं मानती, छक्का-पंजा नहीं जानती
ताकतवर से लोहा लेती, अपने बूते करती खेती,

प्रश्न 1.
प्रस्तुत अंश किस कविता से लिया गया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत अंश ‘नौरंगिया’ कविता से ली गई है।

प्रश्न 2.
कवि का नाम लिखें।
उत्तर :
कवि कैलाश गौतम हैं।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि नौरंगिया धर्म के नाम पर किसी बाहरी दिखावे में विश्वास नहीं करती है, न ही वह छल-कपट जानती है। वह सही रास्ते पर चलने वाली है इसलिए गाँव के प्रभावशाली व्यक्ति के सामने भी नहीं छ्ञुकती है। वह खेती के काम के लिए भी किसी पर निर्भर नहीं है – सारा कार्य वह अपने बलवूते पर ही करती है। कठोर परिश्रम ही उसका धर्म है, ईमान है।

विशेष :

1. कविता की इन पंक्तियों में नौरंगिया की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
2. उसके लिए कर्म ही सच्ची पूजा है तथा वह अन्याय के आगे झुकनेवाली नहीं है।
3. ‘छक्का-पंजा’, ‘लोहा लेना’ जैसे मुहावरे के प्रयोग ने भाषा को प्रभावी बना दिया है।
4. ‘देवी-देवता’ में अनुपास अलंकार है।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Chapter 6 नौरंगिया

2. मरद निखद्टू जनखा जोइला, लाल न होता ऐसा कोयला,
उसको भी वह शान से जीती, संग-संग खाती, संग-संग पीती

प्रश्न 1.
कवि तथा कविता का नाम लिखें।
उत्तर :
कवि कैलाश गौतम हैं तथा कविता का नाम ‘नौरंगिया’ है।

प्रश्न 2.
किसका मरद निखद्यू है ?
उत्तर :
नौरंगिया का मरद निखड्टू है।

प्रश्न 3.
कौन, किसके साथ शान से जीती है ?
उत्तर :
नौरंगिया अपने निखद्टू पति के साथ शान से जीती है।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
नौरोंगया दिखने में सुंदर है, परिश्रमी है। लेकिन पति उसके लायक नहीं है । उसका पति काम-धाम न करने वाला और स्प्रैण है, फिर भी वह उसकी अपेक्षा नहीं करती है। विवाह के बंधन में बँं जाने के बाद पति ही उसके लिए सब कुछ है – चाहे वह जैसा भी है। बिना किसी हीन भाव के वह अपने पति के साथ मज़े में जिंदगी गुजार रही है। उसके साथ-साथ खाती-पाती है। पति के लिए उसके मन में पूरा-पूरा सम्मान है।

विशेष :

1. नौरंगिया अपने पति की खामियों को न देख उसे ही अपना सब कुछ मानती है।
2. स्वैण प्रकृति का होने के बावजूद वह पति के सुख-दुख में साथ है, उसकी उपेक्षा नहीं करती।
3. निखट्टू, जनखा, जोइला तथा पत्थर कोयले से दी गई उपमा उसके पति के व्यक्तित्व की पोल खोलती है।
4. ‘जनखा, जोइला’ में अनुपास अलंकार है तथा ‘संग-संग’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
5. भाषा सहज, सरल तथा प्रवाहमयी है।

3. गाँव-गली की चर्चा में वह सुर्खी-सी अख़बार की है
नौरंगिया गंगा पार की है।

प्रश्न 1.
कविता तथा कवि का नाम लिखें।
उत्तर :
कविता ‘नौरंगिया’ है तथा इसके कवि कैलाश गौतम हैं।

प्रश्न 2.
‘सुर्खी-सी अखबार की’ का अर्थ क्या है ?
उत्तर :
जो समाचार प्रमुख होता है उसे बड़े-बड़े अक्षरों में पहले पृष्ठ पर छापा जाता है, उसे ही अखबार की सुखीं कहते हैं। नौरंगिया की चर्चा भी गाँव में इसी प्रकार की है।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
नौरंगिया अपनी सुंदरता तथा कर्मठता के कारण गाँव की गली-गली में चर्चा का विषय बनी हुई है। गाँव में उसकी चर्चा वैसे ही होती है जैसे सुर्खी वाले समाचार की होती है। आखिर ऐसा क्यों न हो, वह गंगा पार की जो है। गंगा पार की युवतियाँ सुघड़, सुंदर और कामकाजी होती हैं।

विशेष :

1. नौरंगिया अपने सौंदर्य, पति- भक्ति तथा कर्मठता के कारण गाँव में चर्चा का विषय बनी हुई है।
2. ‘गगा पार’ उसकी कर्मठता को दर्शांती है।
3. ‘गाँब-गली’ में अनुप्पास अलंकार है।
4. ‘सुखीं-सी’ में उपमा अलंकार है।
5. भाषा सहज, सरल तथा प्रवाहमयी है।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

4. कसी देह औ भरी जवानी, शीशे के साँचे में पानी
सिहरन पहने हुए अमोले, काला भँवरा मुँह पर डोले।

प्रश्न 1.
प्रस्तुत अंश कहाँ से लिया गया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत अंश कैलाश गौतम की कविता ‘नौरंगिया’ से लिया गया है।

प्रश्न 2.
पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने नौरंगिया के रूप-सौददर्य का वर्णन किया है। श्रमिक युवती होने के बावजूद उसकी सुंदरता गाँव में चर्चा का विषय है। अभी उसपर पूरी जवानी छाई हुई है, बदन भी कसा-कसा है। उसका शरीर ऐसा लगता ठीक वैसे ही उसके शरर में सौदर्य की लहर-सी उठती है। उसका चेहरा फूल की तरह सुंदर है और उसपर काले-काले लट ऐसे लगते है मानो भौरा फूल पर भंडरा रहा हो।

विशेष :

1. इन पंक्तियों में ‘कसी देह’, ‘शीशे के साँवे में पानी’ ‘सिहरन पहने हुए अमोले’ तथा ‘काला भंबरा मुँह पर डोले’ जैसी उपमाओं से बिहारी की नायिका प्रत्यक्ष हो जाती है।
2. नौरंगया का सौंदर्य जगल के फूल की तरह निष्कलंक है।
3. दोनों ही पंक्तियों में उपमा अलंकार की छटा बिखरी है।
4. भाषा भी नौरंगिया की तरह सौंदर्य से भरपूर है।

5. सौ-सौ पानी रंग धुले हैं, कहने को कुछ होठ खुले हैं
अद्भुत है ईश्वर की रचना, सबसे बड़ी चुनौती बचना।

प्रश्न 1.
कविता तथा कवि का नाम लिखें।
उत्तर :
कविता ‘नौरंगिया’ है तथा इसके कवि केलाश गौतम हैं।

प्रश्न 2.
‘अद्भुत है ईश्वर की रचना’ किसे ईश्वर की अद्भुत रचना कहा गया है ?
उत्तर :
नौरंगिया को ईश्वर की अद्भुत रचना कहा गया है।

प्रश्न 3.
पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
नौरंगिया की सुंदरता आभायुक्त है, वह तरो-ताजा मालूम पड़ती है मानो सौ-सौ बार पानी से छुलकर उसका रंग और भी निखर आया हो। उसके होंठ कुछ इस मुद्रा में खुले हैं मानो वह कुछ कहना चाहती हो। नौरंगिया को देखकर सब यही कहते हैं कि वह ईश्वर की अद्भुत रचना है। लेकिन नौरंगिया का रूप-सौंदर्य ही उसका शत्रु बन गया है, गाँव के प्रभावशाली व्यक्तियों से अपनी इज्जत को बचाना ही उसकी सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

विशेष :

1. अपने सौंदर्य के कारण नौरंगिया ईश्वर की अद्भुत रचना मालूम पड़ती है।
2. उसका सौंदर्य ऐसा निखरा है मानो सौ-सौ बार पानी से धुला हो।
3. ‘सौ-सौ’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
4. भाषा बहते पानी की तरह प्रवाहमयी है।
6. जैसी नीयत लेखपाल की वैसी ठेकेदार की है। नौरंगिया गंगा पार की है।

प्रश्न 1.
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार कैलाश गौतम हैं।

प्रश्न 2.
‘जैसी नीयत’ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
जैसी नीयत का अर्थ है – लेखपाल और ठेकेदार दोनों ही नौरंगिया को बुरी नजरों से घूरते हैं। दोनों की नीयत नौरगिया के प्रति बुरी है।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
कविता की इन पंक्तियों में कवि ने स्त्रियों के शोषण का जिक्र किया है। आज भी ग्रामीण इलाके में गरीब सुंदर युवतियाँ गाँव के प्रभावशाली व्यक्तियों के यौन-शोषण का शिकार होती हैं। नौरंगिया की भी यही समस्या है। गाँव के ठेकेदार तथा उसके मुंशी की कुदृष्टि भी नौरंगिया पर टिकी है। लेकिन नौरंगिया के सामने उनकी एक नहीं चल पाती क्योंकि गंगा पार की नौरंगिया के चरित्र से वे सब भली-भांति वाकिफ हैं।

विशेष :

1. नौरगिया के सौदर्य के कारण गाँव के प्रभावशाली व्यक्तियों की बुरी नज़र उसपर टिकी है।
2. यहाँ प्रामीण श्रमिक युवतियों के शारीरिक शोषण की और इशारा किया गया है।
3. ‘नौरंगिया’ गंगा पार की है’ – पंक्ति से नौरंगिया की चारित्रिक दृढ़ता प्रकट होती है।
4. भाषा सहज तथा गँवई है।

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7. जब देखो तब जाँगर पीटे, हार न माने काम घसीटे
जब तक जागे, तब तक भागे, काम के पीछे, काम के आगे।

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश कहाँ से उद्धत है ?
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश ‘नौरंगिया’ कविता से उद्दुत है।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
नौरंगिया के लिए कर्म ही जीवन है। जब देखो तब वह किसी न किसी काम में लगी नज़र आती है। वह पके हुए फसल के डंठलों को पीट-पीट कर उनसे अनाज के दाने छुड़ाती है। वह किसी भी काम से हार नहीं मानती। जब देखो तब वह किसी न किसी काम के आगे-पीछे भागते ही रहती है। दिन भर काम में लगे रहने के कारण ही उसके जीवन में पाप का प्रवेश नहीं हो पाया है। विनोबा भावे ने भी कहा था कि ‘शारीरिक श्रम करने वाले के जीवन में पाप का प्रवेश नहीं हो सकता।”

विशेष :

1. इन पंक्तियों में नौरंगिया की कर्मठता का वर्णन किया गया है।
2. शब्दों का चयन कुछ ऐसा है कि संगीत का पूरा-पूरा प्रभाव पैदा हो जाता है।
3. ‘नौरंगिया’ के लिए कर्म ही पूजा है।
4. भाषा में प्रवाहमयता है।

8. बिच्छू, गोंजर, साँप मारती, सुनती रहती विविध-भारती
बिल्कुल है लाठी सी सीधी, भोला चेहरा बोली मीठी।

प्रश्न 1.
रचना और रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘नौरंगिया’ तथा रचनाकार कैलाश गौतम हैं।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
नौरंगिया गाँव में एक ऐसे मकान में रहती है जिसकी दीवारें ढ़हती जा रही हैं, छाजन भी पुरानी पड़ चुकी है। ऐसे मकान में जब-तब उसका सामना बिच्छू, गोंजर तथा साँप से हो जाता है। लेकिन वह इनसे डरती नहीं तथा उन्हें भारकर अपनी रक्षा करती है। विविधि-भारती से प्रसारित होने वाले संगीत को सुनकर ही वह अपना मनोरंजन करती है। नौरंगिया बिल्कुल सीधी सादी, वेहरा भोला और उसकी बोली में मानो शहद घुलता है।

विशेष :

1. नौरंगिया आम स्वियों की तरह चूहे या कॉकरोच से डरने वाली नहीं है बल्कि वह बिच्छू, गोंजर और साँप जैसे विषेले जंतुओं से भी अपनी सुरक्षा खुद कर सकती है।
2. ‘विविध-भारती’ सुनना संगीत के प्रति उसके लगाव को दर्शाता है।
3. ‘लाठी सी सीधी’ में उपमा अलंकार है।
4. पंक्तियाँ संगीत का प्रभाव पैदा करती है।
9. आँखों में जीवन के सपने तैयारी त्यौहार की है नौरंगिया गंगा पार की है।

प्रश्न 1.
कवि का नाम लिखें।
उत्तर :
कवि कैलाश गौतम हैं।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर : नौरंगिया दिन भर हाड़-तोड़ परिश्रम करती है ताकि उसका जीवन बेहतर हो सके। आँखों में वह उस भविष्य का सपना संजोये जी रही है जब उसकी जिंदगी का एक-एक दिन त्योहार के समान होगा। उसका सपना एक दिन जरूर पूरा होगा क्योंकि वह गंगा पार की है। गंगा के लोग हारना नहीं जानते। विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें जीने की ललक कम नहीं होती।

विशेष :

1. कविता की इन पंक्तियों में नौरंगिया को भविष्य के सपने बुनते दिखाया जाता है।
2. वह चाहती है कि भविष्य में आने वाला प्रत्येक दिन त्योहार की तरह हो।
3. ‘गंगा पार की’ में यह संकेत छिपा है कि एक दिन उसके सपने अवश्य पूरे होंगे।
4. भाषा में सहजता है।

10. ढहती भीत पुरानी छाजन, पकी फ़सल तो खड़े महाजन
गिरवी गहना छुड़ा न पाती, मन मसोस फिर-फिर रह जाती।

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
प्रस्तुत प्यांश के रचनाकार कैलाश गौतम है।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
नौरंगिया गाँव में जिस घर में रहती है, उसकी दीवारें ढह रही हैं। छाजन भी पुरानी पड़ चुकी है। छाजन पुरानी पड़ जाने से वह वर्षा से उसकी रक्षा नहीं कर सकती। अपनी स्थिति को सुधारने की एकमात्र आशा पकी फसल से लगी होती है। लेकिन फसल के पकते ही महाजन अपने रूपये वसूलने आ धमकता है। उसकी फसल का अधिकांश तो महाजन के पेट में ही चला जाता हे। जो गहने उसने गिरवी रखे थे उन्हे भी छुड़ा नहीं पा रही है। अपनी इस विवशता पर वह मन मसोस कर रह जाती है।

विशेष :

1. कविता की इन पंक्तियों में नौरंगिया की दयनीय आर्थिक अवस्था का वर्णन किया गया है।
2. नौरंगिया की गरीबी का प्रमुख कारण महाजन द्वारा दिया गया कर्ज है जो कभी चुकने में ही नहीं आता।
3. ‘खड़े महाजन’ शब्द का प्रयोग ही यहाँ आतंक का पर्याय बनकर आया है।
4. ‘गिरवी-गहना’ तथा ‘मन-मसोस’ में अनुप्रास अलंकार तथा ‘फिर-फिर’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
5. भाषा में संगीत का-सा प्रभाव है।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 6 नौरंगिया

11. कब तक आखिर कितना जूझे, कौन बताए किससे पूछे
जाने क्या-क्या टूटा-फूटा, लेकिन हैसना कभी न छूटा।

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश किस रचना से लिया गया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश ‘नौरंगिया’ कविता से लिया गया है।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
नौरंगिया जीवन में कठिन पश्रिम करती है ताकि उसका जीवन स्तर सुधर सके। लेकिन सामाजिक-आर्थिक शोषण करने वालों से वह कबतक लड़ती रहेगी ? ये समस्यायें कैसे दूर होंगी – यह वह किससे पूछे और कौन ऐसा व्यक्ति है जो उसे सही राह दिखला सकता है। उसके जीवन में बहुत कुछ टूटा, बहुत कुछ उसने खोया फिर भी उसने हार नहीं मानी। वह हँस-हँसकर इन सबसे लड़ती जा रही है क्योंकि उसका अटल विश्वास है कि एक न एक दिन उसका भी समय बदलेगा।

विशेष :

1. कविता की इन पंक्तियों में नौरंगिया की उलझन का वर्णन किया गया है।
2. वह इस सवाल में उलझ कर रह जाती है कि अपनी इस स्थिति से उबरने के लिए किससे रास्ता पूछे और बताने वाला कौन है ?
3. नौरंगिया अपने जीवन में बहुत कुछ खो चुकी है फिर भी वह उसे भूल कर हँसती ही रहती है।
4. पंक्ति के ‘क्या-क्या’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
5. भाषा प्रवाहमयी है।

12. पैरों में मंगनी की चष्पल, साड़ी नई उधार की है।
नौरंगिया गंगा पार की है।

प्रश्न 1.
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार कैलाश गौतम हैं।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
नौरंगिया का जीवन संघर्षों से भरा है। दिन भर जी-तोड़ परिश्रम करने के बाद् भी वह अपनी आर्थिक तंगी से ऊबर नहीं पाती है। उसे दूसरों से मांग कर ही अपनी आवश्यकता को पूरी करनी पड़ती है उसने अपने पैरों में जो चषल पहने हैं वह भी उसने किसी से मांगा है। नई साड़ी भी वह पूरी कीमत-चुका कर नहीं, बल्कि उधार में लाई है। इतनी सारी आर्थिक तंगी के बाद भी उसमें उत्साह की कमी नहीं है। उसे विश्वास है कि एक न एक दिन उसके दिन भी अवश्य फिरेंगे। वह जीवन से हार मानने वाली नहीं है क्योंकि वह गंगा पार की है।

विशेष :

1. नौरंगिया जब अपनी आमदनी से अपनी जरूरत पूरी नहीं कर पाती है तो कभी मंगनी और कभी उधार का सहारा भी लेती है।
2. अपने अभाव से वह चिंतित नहीं होती क्योंकि वह गंगा पार की है और गंगा पार वाले जिंदगी को जीना जानते हैं।
3. भाषा सरल तथा प्रवाहमयी है।

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