WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

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WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर :-

प्रश्न 1.
विशेषण की परिभाषा लिखें तथा इसके पाँच उदाहरण भी दें। (माध्यमिक परीक्षा – 2011)
उत्तरः
संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, रंग, आकार-प्रकार आदि) बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं।
अथवा,
संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ :
एक किलो चीनी लाओ।
सफेद गाय कम दूध देती है।
प्रतिभाशाली बच्चे की सराहना होती है।
कुछ लोग सो रहे हैं।
मेरी कक्षा में बीस विद्यार्थी हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में एक किलो, सफेद, कम, प्रतिभाशाली, कुछ, बीस आदि शब्द क्रमशः चीनी, गाय, दूध, बच्चे, लोग तथा विद्यार्थी की विशेषता बता रहे हैं। इनके बारे में कुछ विशेष ज्ञान देने के कारण इहे विशेषण कहते हैं। विशेषण का अर्थ है विशेषता उत्पन्न करने वाला, विशेषक।

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प्रश्न 2.
विशेषण के कार्यों को सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तरः
विशेषण के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं :-
1. गुण-दोष बतलाना :- विशेषण संज्ञा/सर्वनाम के गुण-दोष को बतलाता है। जैसे-

सोहन पढ़ने में तेज है। (गुण)
लेकिन, वह डरपोक है। (दोष)

2. निश्चित संख्या या परिमाण बतलाना :-यह संज्ञा/सर्वनाम की निश्चित संख्या या परिमाण बतलाता है। जैसे-
दो लड़के आ रहे हैं।

(दो लड़के-निश्चित संख्या)
दो लीटर दूध दो। (दो लीटर-निश्चित परिमाण)

3. अनिश्चित संख्या या परिमाण बतलाना :- कभी-कभी यह संज्ञा/सर्वनाम की अनिश्चित संख्या या परिमाण भी बतलाता है। जैसे-

कुछ लड़के आ रहे हैं। (कुछ लड़के-अनिश्चित संख्या)
थोड़ा दूध पी लो। (थोड़ा दूध-अनिश्चित परिमाण)

4. क्षेत्र सीमित करना :- यह संज्ञा/सर्वनाम के क्षेत्र को सीमित करता है। जैसे-
एक लाल रूमाल लाओ। (सिर्फ लाल-काला, पीला या नीला नहीं)
उस लड़के को बुलाओ। (किसी खास लड़के को, किसी दूसरे को नहीं)

5. दशा, अवस्था या आकार बतलाना :- यह संज्ञा/सर्वनाम की दशा, अवस्था या आकार को बतलाता है। जैसे-

वह बीमार है। (दशा का बोध)
मैं बूढ़ा हूँ। (अवस्था का बोध)
भाला नुकीला है। (आकार का बोध)

प्रश्न 3.
विशेषण के कितने भेद होते हैं ? अथवा, संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द कितने प्रकार के होते हैं ?
(माध्यमिक परीक्षा – 2011)
उत्तरः
संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द चार प्रकार के होते हैं, अर्थात् विशेषण के चार भेद हैं :-

  • नुणवाचक विशेषण (Adjective of Quality)
  • परिमाणवाचक विशेषण (Adjective of Quantity)
  • संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
  • सार्वनामिक विशेषण (संकेतवाचक अथवा निर्देशवाचक विशेषण) (Demonstrative or Adjective)।

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प्रश्न 4.
गुणवाचक विशेषण किसे कहते हैं ?
(माध्यमिक परीक्षा – 2014)
उत्तरः
गुणवाचक विशेषण (Adjective of Quality) :- संज्ञा अथवा सर्वनाम की किसी भी प्रकार के गुण, संबंध रखने वाली विशेषता का बोध कराने वाले शब्दों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
‘विशेषण’ का अर्थ ही है-गुण’। किन्तु ‘गुण’ का अर्थ केवल अच्छी विशेषताओं से नहों है। यहाँ ‘गुण’ का तात्पर्य है – किसi भो वस्तु या व्यक्ति की विशेष स्थिति, विशेष दशा, विशेष दिशा, रग, गंध, काल, स्थान, आकार, रूप, स्वाद, बुराई, अ० ई आदि। अतः जो विशेषण किसी संज्ञा या सर्वनाम की उपर्युक्त विशेषताओं का बांध कराता है. उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।

प्रश्न 5.
कुछ प्रमुख गुणवाचsक विशेषणों के उदाहरण प्रस्तुत करें।
उत्तरः
कुछ प्रमुख गुणवाचक विशेषण इस प्रकार हैं –
गुण : सरल, योग्य, उदार, परिश्रमी, ईमानदार, बुद्धिमान, चतुर, कृपालु, अच्छा, पवित्र, प्रतिभाशाली, उजला, मोहक, सच्चा, झूठा, दानी, दयालु, कृपण, बुरा आदि।
दोष : कठोर, बुरा, दुष्ट, हीन, नीच, अपवि्र, भयानक, कुटिल, अयोग्य, क्राधी, पापी, कपटो आदि।
रंग-रूप : गोरा, काला, गेहुँआ, गुलाबी, सुंदर, आकर्षक, प्रभावशाली, मधुर, सरस, कोमल, पीला, नोला, हरा, लाल, चमकीला, गुलाबी, सुनहरा, आदि।
आकार-प्रकार : गोल, चौरस, लंबा, खुरदरा, मोटा, पतला, लघु, दीर्घ, चौकोर, छोंटा, नौचा, बड़ा, स्थूल, हल्का, भारी, तिकोना आदि।
अवस्था : बलवान, कमजोर, रोगी, दरिद्र, अमीर, बन्चा, जवान, युवा, वृद्ध, बूढ़ा, अधड़, प्रैढ़ आदि।
स्थिति : पिछला, अगला, बाहरी, ऊपरी, स्थिर, डांवा-डोल आदि।
देशकाल : भारतीय, पंजाबी, बंगाली, नेपाली, गढ़वाली, गत, भावी, प्राचीन ऐतिहासिक, ताजा, बासी, आधुनिक आदि।
स्वाद : मीठा, खट्टा, कसैला, कड़वा, फीका, मधुर, नमकीन आदि।
गंध : सुगंधित, सुवासित, दुर्गन्धपूर्ण, गंधहीन, खुशबूदूर, बदवूदार , सोंधा आदि।
दिशा : पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी, दक्षिणी, पाश्चात्य, पश्चिमोत्तरी।
स्थान : देशी, विदेशी, बाहरी, ग्रामीण, भारतीय, रूसी, जापानी, चीनी, बनारसी, बिहारी आदि।
स्पर्श : नरम, कठोर, कोमल, चिकना, खुरदरा आदि।
इस प्रकार के अन्य अनेक भेद हैं, जो व्यक्तियों, स्थानों या वस्तुओं की विभिन्न विशेषताएँ बतात है . वे सभी शब्द गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
परिमाणवाचक विशेषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः
परिमाणवाचक विशेषण (Adjective of Quantity) :- “जिस विशेषण शब्द सं संज्ञा अथवा सर्वनाम के माप-तौल का ज्ञान हो, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते है।”
अथवा
जो शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम की माप-तौल संबंधी विशेषता को प्रकट करें वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे – मैं प्रतिदिन चार केले खाता हूँ। मैं कुछ मीठा भी खाता हूँ।

प्रश्न 7.
परिमाणवाचक विशेषण कितने प्रकार के होते हैं ? परिभाषा व उदाहरण भी लिखें।
उत्तरः
परिमाणवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं –
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण :- जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का बोध कराते हैं, उन्हे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे :- दो लीटर दूध, दस मीटर कपड़ा, दस ग्राम सोना, दो किलो चाँदी, एक तोला सोना, दो किलो मिठाई, एक क्विंटल गेहूँ आदि।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण :- जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के निश्चित परिमाण का नहीं, अपितु अनिश्चित परिमाण का बोध कराते है, उन्हें अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं-कुछ आम, थोड़ा दूध, बहुत घी, कम चीनी, जरा-सी चटनी, ढेर सारा मक्खन, बहुत लंबी रस्सी, हजारों गज जमीन, थोड़ा अचार आदि।
निश्चित परिमाणवाचक विशेषण शब्दों में “ओं” प्रत्यय लगाकर भी अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण बन जाते जैसे-मनों दूध, घड़ों पानी आदि।

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प्रश्न 8.
संख्यावाचक विशेषण किसे कहते हैं ? (मॉडल प्रश्न – 2011)
उत्तरः
संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective) :- जो शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या संबंधी विशेषता का बांध कराएँ, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।

प्रश्न 9.
संख्यावाचक विशेषण कितने प्रकार के होते हैं ? परिभाषा व उदाहरण लिखें।
उत्तरः
संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते है :-
(क) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जैसे-कुछ आदमी, थोड़े घर, बहुत आम, कुछ, सब, बहुत, सैकड़ों, हजारों आदि। कुछ, सब, थोड़े, बहुत, अधिक आदि कुछ विशेषण ऐसे हैं जो परिमाणवाचक और संख्यावाचक दोनों ही रूपों में प्रयुक्त होते है। यदि विशेष्य गिनी जाने वाली वस्तु है तो उन्हें संख्यावाचक मानना चाहिए अन्यथा परिमाणवाचक। “अधिक आम” और “अधिक घी” इन दो प्रयोगों में पहला संख्यावाचक है और दूसरा परिमाणवाचक।
कुछ अन्य उदाहरण-

दो-चार आदमी बुला लो।
छात्रों ने सैकड़ों दुकानें जला दीं।
किताब पूरी लिख दी केवल कुछ पृष्ठ शेष हैं।
वहाँ काई पाँच सौ व्यक्ति होंगे।

(ख) निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या (गिनती) का बोध कराते हैं, उन्हे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं जैसे-दो बालक, पहली मंजिल, दो दर्जन केले, एक, आधा, दो, चार आदि।

प्रश्न 10.
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के कितने भेद होते हैं ? संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तरः
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के सात भेद होते हैं।
पूर्ण संख्यावाचक :- जहाँ एक, दो, तीन, पाँच, दस, सौ आदि शब्दों का प्रयोग हो।
अपूर्ण संख्यावाचक :- अपूर्ण संख्या का बोध कराने वाले शब्द अपूर्ण संख्यावाचक कहे जाते हैं। जैसे-डंढ़, साढ़े चार, सवा पाँच, पौंने छ: आदि।
क्रमवाचक :- जहाँ संख्यावाचक शब्दों को एक-दूसरे के बाद क्रम से प्राप्त किया जाता है। जैसे-पहला, दूसरा, पाँचवाँ, ग्यारहवाँँ, इक्कीसवाँ, पचपनवाँ, साठवाँ आदि।
आवृत्तिसूचक :- जिस विशेषण शब्द से गुणनात्मकता का बोध हो, उसे आवृत्तिसूचक संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसं-दुगुना, तिगुना, चौगुना, दुहरा, तिहरा, दसगुना आदि।
समुदायवाचक :-जिस विशेषण शब्द से संख्या का समूह रूप में बोध हो, उसे समुदायवाचक संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसं-दोनों, चारों, सभी, सब के सब, दस के दस।
समुच्चयवाचक :- जिस विशेषण शब्द से किसी वस्तु के समूह रूप में होने का बोध हो उसे समुच्चय संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैस-शतक, सैंकड़ा, पच्चीस हजार, जोड़ा आदि।
प्रत्येकवाचक :- जिस विशेषण शब्द से व्यक्ति या वस्तुओं आदि की पृथक्-पृथक् संख्या का बोध हो, उसे प्रत्येकवाचक विशेषण कहते है। जैसे-प्रत्येक, हरेक, प्रतिदिन, प्रतिमाह, प्रतिवर्ष, एक-एक, चार-चार।

अनेक बार निश्चित संख्यावाचक विशेषण भी निश्चित संख्या का बोध न कराकर अनिश्चय की स्थिति में ही रखते हैं। ऐसे विशेषण को अनिश्चित संख्यावाचक ही मानना चाहिए। जैसे-“सैकड़ों लोग”, “दो-तीन मित्र,” “पचासों घर” आदि के प्रयोगों में “सैंकड़ों,” “दो तीन” और “पचासों” अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण हैं।

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प्रश्न 11.
परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषण में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तरः
परिमाणवाचक और संख्यावाचक विशेषण में अंन्तर :-
यदि विशेषण गिनी जाने वाली वस्तु हो तो उसके साथ प्रयुक्त विशेषण संख्यावाचक माना जाता है, अन्यथा उसे परिमाणवाचक विशेषण माना जाता है।
जैसे-

  • मोहित दस केले खा गया। (संख्यावाचक)
  • मोहित दस लीटर दूध पी गया। (परिमाणवाचक)
  • मैने अधिक सेब खा लिए। (संख्यावाचक)

प्रश्न 12.
सार्वनामिक विशेषण की परिभाषा उदाहरण सहित लिखें।
उत्तरः
सार्वनामिक विशेषण (Demonstrative Adjective) :- जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-
यह पुस्तक मेरी है।
कोई आदमी गा रहा है।
कौन लोग आए थे ?
इन वाक्यों में “यह”, “कोई” और “कौन” सर्वनाम क्रमश: “पुस्तक”, “आदमी” और “लोग” संज्ञाओं की विशेषता बताने के कारण विशेषण हो गए हैं। इन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
कुछ सर्वनाम तो ऊपर दिए गए तीनों उदाहरणों में आए सर्वनामों की तरह अपने मूल रूप में ही विशेषण रूप में प्रयुक्त होते हैं, परंतु कुछ थोड़े परिवर्तन के साथ प्रयुक्त होते हैं। जैसे –
यह से ऐसा, इतना; वह से वैसा, उतना, कौन से कैसा, कितना।
इन्हें संकेतवाचक या निर्देशवाचक विशेषण भी कहते हैं।

प्रश्न 13.
सार्वनामिक विशेषण के कितने भेद हैं ? संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तरः
सार्वनामिक विशेषण के चार भेद हैं –
निश्चयवाचक/संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण :- ये संज्ञा या सर्वनाम की ओर निश्चयात्मक संकेत करते हैं। जैसे-

यह कलम उठा दो।
उस पुस्तक को यहाँ ले आइए।

अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण :- ये विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की ओर अनिश्चयात्मक संकेत करते हैं। जैसे-

किसी को कुछ दे दीजिए।
कोई व्यक्ति आपसे मिलने आया है।

प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण :-ये विशेषण संज्ञा या सर्वनाम से संबधत प्रश्नों का बोध कराते हैं। जैसे-

वे लोग कौन थे ?
कौन लड़की खड़ी है ?
आप क्या समाचार देना चाहते हैं ?
कौन-सी फिल्म देखनी है ?

संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण :- ये विशेषण एक संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य में प्रयुक्त अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्द के साथ जोड़ते हैं। जैसे-

जो बोया है, वही तो काटोगे।
जिस कार्य को करना हो, उसके बारे में अच्छी तरह विचार कर लो।
जो आदमी कल आया था, वह (आदमी) बाहर खड़ा है।

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प्रश्न 14.
सार्वनामिक विशेषण और सर्वनाम के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तरः
सार्वनाममिक विशेषण और सर्वनाम में अंतर :- यदि सार्वनामिक विशेषणों का प्रयोग संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों से पहले हो तो सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं और यदि अकेले (संज्ञा के स्थान पर) प्रयुक्त हों, तो सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे- यह आम पका है, और वह कच्चा। यहाँयह’ सार्वनामिक विशेषण है और ‘वह सर्वनाम है।)
उस घर में मेरी सहेली रहती है। (सार्वनामिक विशेषण)
उसने मुझे बुलाया है। (सर्वनाम)

प्रश्न 15.
प्रविषेषण से आप क्या समझते हैं ? प्रविशेषण का क्या कार्य है ?
उत्तरः
प्रविशेषण :- विशेषण की विशेषता बतलाने वाले विशेषण को “प्रविशेषण” कहते हैं। यह सामान्यत: विशेषण के गुणों में वृद्धि करता है। जैसे –
थोड़ा, बहुत, अति, अत्यंत, अधिक, अत्यधिक, बड़ा, बेहद, महा, घोर, ठीक, बिल्कुल, लगभग आदि।
दूध मीठा है। (मीठा-संज्ञा की विशेषता = विशेषण)
दूध थोड़ा मीठा है। (थोड़ा-विशेषण की विशेषता = प्रविशेषण)
वह पाँच बजे आएगा। (पाँच-संज्ञा की विशेषता = विशेषण)
वह ठीक पाँच बजे आएगा। (ठीक-विशेषण की विशेषण = प्रविशेषण)
स्पष्ट है कि उपर्युक्त वाक्यों मे प्रयुक्त ‘थोड़ा’ एवं ‘ठीक शब्द प्रविशेषण हैं, क्योंकि ये विशेषण की विशेषता बतलाते हैं।

प्रश्न 16.
विशेष्य किसे कहते हैं ?
उत्तरः
विशेष्य :- जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बतलायी जाती है, उस संज्ञा या सर्वनाम शब्द को विशेष्य’ कहते हैं। जैसे-

  • लड़का लम्बा है। (लड़का-विशेष्य)
  • वह लम्बा है। (वह-विशेष्य)
  • कलम लाल है। (कलम-विशेष्य)
  • यह लाल है। (यह-विशेष्य)

प्रश्न 17.
पदवाचक विशेषण किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तरः
हिन्दी और संस्कृत में कुछ ऐसे विशेषण हैं जो किसी खास विशेष्य के पहले प्रयुक्त होते हैं। ऐसे विशेषणों को पदवाचक विशेषण कहा जाता है। कुछ उदाहरण नीचे प्रस्तत हैं-

विशेषण – विशेष्य
अगाध – सागर, प्रेम
अप्रत्याशित – घटना
अमानुषिक – व्यवहार
अनन्य – भक्त, भक्ति, प्रेम
अनुपम – छवि, भेंट
आकुल – प्राण, मन, हृदय
उर्वर – भमि
उद्भट – योद्धा, विद्वान् (विद्वान)
ओजस्वी – भाषण
करुण – क्रन्दन

प्रश्न 18.
प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के कितने भेद हैं ?
उत्तरः
प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद हैं-
(i) विशेष्य-विशेषण और (ii) विधेय-विशेषण।

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प्रश्न 19.
रूप-परिवर्तन या रूपांतर की दृष्टि से विशेषण के कितने भेद हैं ?
उत्तरः
रूप-परिवर्तन या रूपांतर की दृष्टि से विशेषण के दो भेद हैं-

  • विकारी विशेषण और
  • अविकारी विशेषण।

प्रश्न 20.
विकारी विशेषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तरः
विकारी विशेषण :-विशेषण शब्दों में आकारांत विशेषण प्राय: विकारी होते हैं। दूसरे शब्दों में, उनके रूप लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते रहते हैं। जैसे :- अच्छा, बुरा, काला, नीला, पीला, हरा, हलका, छोटा, बड़ा आदि।
लिंग के अनुसार :-
मोहन अच्छा/काला लड़का है। (पुल्लिंग)
गीता अच्छी/काली लड़की है। (स्त्रीलिंग)

वचन और पुरुष के अनुसार :-
मैं अच्छा/काला हूँ। (उत्तमपुरुष, एकवचन) –
हमलोग अच्छे/काले हैं। (उत्तमपुरुष, बहुवचन)
तू अच्छा/काला है। (मध्यमपुरुष, एकवचन)
तुमलोग अच्छ/काले हो। (मध्यमपुरुष, बहुवचन)

यदि विभक्ति का प्रयोग हो, तो कभी-कभी एकवचन में भी विशेषण का बहुवचन रूप प्रयुक्त होता है। जैसे-

इस अच्छे लड़के ने कहा। (एकवचन)
उस काले लड़के को बुलाओ। (एकवचन)

प्रश्न 21.
अविकारी विशेषण किसे कहते हैं ?
उत्तरः
अविकारी विशेषण :- वैसे विशेषण जो अपना रूप लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार कभी नहीं बदलते, उन्हें अविकारी विशेषण कहते हैं। जैसे-
धनी, अमीर, भारी, सुन्दर, भीतरी, बाहरी, चतुर, टिकाऊ, जड़ाऊ आदि।
मोहन धनी/सुन्दर है। (पुल्लिंग)
गीता धनी/सुन्दर है। (स्त्रीलिंग)
मैं धनी/सुन्दर हूँ। (उत्तमपुरुष, एकवचन)
तुमलोग धनी/सुन्दर हो। (मध्यमपुरुष, बहुवचन)
स्पष्ट है कि इन विशेषण (धनी, सुन्दर) शब्दों पर लिग, वचन और पुरुष का कोई प्रभाव नही पड़ा। हर स्थिति में उनका एक ही रूप है।

प्रश्न 22.
विशेषित पद की प्रवृत्ति के अनुसार विशेषण पद कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तरः
विशेषित पद की प्रवृति के अनुसार विशेषण पद प्रधानतः सात प्रकार के है –

  • विशेष्य के विशेषण
  • सर्वनाम के विशेषण
  • विशेषण के विशेषण
  • संख्या विशेषण
  • पूरणवाचक विशेषण
  • सम्बन्ध विशेषण तथा
  • क्रिया-विशेषण।

प्रश्न 23.
निम्नांकित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें –
(क) क्रिया विशेषण
(ख) संख्यावाचक विशेषण
(ग) पूरणवाचक विशेषण
(घ) सम्बन्ध विशेषण।
उत्तरः
(क) क्रिया-विशेषण :- जो विशेषण पद किसी क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं ; जैसे-तेजी से दौड़ी, धीरे-धीरे उठा, जोर से बोले, घबराये हुए जगे, शान्तिपूर्वक बोला इत्यादि।
क्रिया-विशेषण के विशेष्य सहित अन्य उदाहरण :- कभी-कभी आता है, कल जा रहा है, परसों आएगा, अभी आई है, तुरन्त जाओ, आज करूगग, अब बन्द कीजिए, प्रात: उठा करो, हमेशा विलम्ब करते हो, लगातार वृष्टि हो रही है, दिनभर धूप रही, नित्य नहाओ, आजकल नहीं आते, प्रतिदिन पढ़ते हैं,

(ख) संख्यावाचक विशेषण :-जिस विशेषण पद द्वारा संख्या या परिमाण का बोध होता है, उसे संख्या या परिमाणवायक विशेषण कहते हैं। जैसे-पश्च पाण्डव, चार वेद, सभी देश, थोड़ा दूध, बहुत पानी इत्यादि।

संख्यावाचक विशेषण के विशेप्य सहित अन्य उदाहरण-
(क) तीन गुण, तीन देह, तीन अवस्था, तीन लोक, तीन देव, चार वेद, चार पुरुषार्थ, चार अन्तःकरण, चार साधन, पाँच भूत, पाँच कोश, पाँच ज्ञानेन्द्रिय, पाँच कर्मेन्द्रिय, पाँच प्राण, छः भाव विकार, छ: रिपु, छ: वेदांग, छ: दर्शन, कुछ लोग, बहुत लोग, कई फल, सभी छात्र, पहली कक्षा, दूसरा बच्चा, चौथी किताब, इकहरा बदन, दुहरी पर्त, तिगुना रुपया।

(ख) चार लीटर दूध, पाँच किलो आटा, बहुत धन, थोड़ी चीनी, दस क्विंटल गेहूँ, डेढ़ मीटर कपड़ा, तीन किलो घी, एक किलो चाय, तीन लीटर सरसो तेल, थोड़ा दूध, इतना काम, ज्यादा मिठाई, बहुत समय, कुछ नमक, बहुत मिट्टी।

(ग) पूरणवाचक विशेषण :-जिस विशेषण पद से क्रम का बोध होता है, उसे पूरणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे – पाँचवीं कक्षा, सप्तम वर्ष, दसवीं दिशा, चौथा पुरुषार्थ इत्यादि।
पूरणवाचक विशेषण के विशेष्य सहित अन्य उदाहरण – सातवाँ आसमान, आठवाँ आश्चर्य, दसवें तुम, छठा प्रमाण, तृतीय नेत्र, आठवीं सिद्धि, नवीं निधि, ग्यारहवें रुद्र, बारहवें आदित्य, सातवाँ मन्वन्तर, अट्ठाईसवाँ कलियुग, चौबीसवाँ अवतार, सत्रहवाँ तत्त्व आदि।

(घ) सम्बन्ध विशेषण :- जब कोई सम्बन्ध पद विशेषण के रूप में व्यवहत होता है, उसे सम्बन्ध विशेषण कहते हैं ; जैसे – पद्वभूतों का शरीर, नगर का निवासी, शादी की शहनाई, दूर के मिश्र, कल्पना की सम्पत्ति इत्यादि।

सम्बन्ध विशेषण के विशेष्य सहित अन्य उदाहरण – अतिथि का आतिथ्य, नर का नरत्व, नारी का नारीत्व, किशोरी का कैशौर्य, रुण की चिकित्सा, कुमार या कुमारी का कौमार्य, देव का देवत्व, जनता का नेतृत्व, वक्ता का वक्तृत्व, ईश्वर का ऐश्वर्य, समिति की सदस्यता, अपना सर्वस्व, अज्ञों का ममत्व, घटना का औचित्य, मनुष्य का सौभाग्य, देश की एकता, उसका एकाकीपन, परिस्थिति की अनुकूलता, तुम्हारा आलस्य, हिमालय की ऊँचाई, समुद्र की गहराई, उषा की अरुणिमा, वेदना की असह्याता, प्रमाण की उपयुक्तता, अपराध की गम्भीरता, प्रकृति की अनुकूलता, मन की चंचलता, वायुमण्डल का ताप, घाटी की दुर्गमता, कर्ण की दानशीलता, ज्ञानी का धैर्य इत्यादि।

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प्रश्न 24.
कृदंती विशेषण किसे कहते हैं ?
उत्तरः
कृदंती विशेषण :- क्रिया के अनुरूप विशेषणों को कृदंती विशेषण कहते हैं। जैसे-बहता नीर, चढ़ती जवानी, दलित मानव।

प्रश्न 25.
यौगिक सार्वनामिक विशेषण किसे कहते हैं ?
उत्तरः
वे सार्वनामिक विशेषण जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं, यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-ऐसा आदमी, कैसा घर, जैसा दाम वैसा काम आदि।

प्रश्न 26.
व्यक्तिवाचक विशेषण किसे कहते हैं ?
उत्तरः
विशेषण की रचना जब किसी व्यक्तिवाचक संज्ञा से की जाती है, तब वह व्यक्तिवाचक विशेषण कहलाता है।
जैसे –
(क) मुझे बनारसी पान अच्छा लगता है।
(ख) नागपुरी संतरे प्रसिद्ध हैं।
(ग) कोल्हापुरी चष्पलें अच्छी होती हैं।

प्रश्न 27.
विशेषण पद की रचना या उपादान के अनुसार विशेषण के कितने प्रकार हैं ?
उत्तरः
विशेषण पद की रचना या उपादान के अनुसार विशेषण के सात प्रकार हैं-

  • एक पदीय विशेषण
  • बहुपदीय विशेषण
  • वाक्याश्रयी विशेषण
  • ध्वन्यात्मक विशेषण
  • शब्द द्वैताश्रयी विशेषण
  • पदान्तरित विशेषण तथा
  • प्रश्नवाचक विशेषण।

प्रश्न 28.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें –
(क) एकपदीय विशेषण
(ख) बहुपदीय विशेषण
(ग) वाक्याश्रयी विशेषण
(घ) छन्यात्मक विशेषण
(ङ) शब्द द्वैताश्रयी विशेषण
(च) पदान्तरित विशेषण
(छ) प्रश्नवाचक विशेषण।
उत्तरः
(क) एकपदीय विशेषण :- जो विशेषण केवल एक पद से निर्मित होता है, या उसकी निर्माण क्रिया एक ही पद से सम्पन्न हो जाती है, उसे एकपदीय विशेषण कहते हैं ; जैसे- प्रसृत रश्मि, जीर्ण हत, घनघोर सन्ध्या, सुन्द्र भवन, म्लान मुख, नील गगन, शुभ्र मेघ, स्वर्णिम धूप, तप्त वायु आदि।

(ख) बहुपदीय विशेषण :- जो विशेषण एकाधिक पदों के समूह से गठित होते हैं, उन्हें बहुपदीय विशेषण कहते हैं, जैसे-
धूलि-धूसरित कोमल शिशु देह बलात् मन को आकृष्ट कर लेता है।
अरुण विम्बाफल सदृश अधरों वाली यह रमणी चिन्तनशील है।
बहुपदीय विशेषण के विशेष्य सहित कुछ अन्य उदाहरण-करुणा कलित हंदय, वेदना विकल रागिनी, घनीभूत विरह पीड़ा, अतृप्त चिर तृषा, दीर्घ निरन्तर अभ्यास, सत्कार सेवित दृढ़ भूमि, चिर संचित पुण्यपुंज, मन्दस्मित युक्त मुखमण्डल, कृपाणयुक्त पाणि, माणिक्य रचित वलय, हेम रचित अंगद, कोमल रक्तांगुलीय युत, भव सिन्धु पोत, बह्मादि सुरनायक पूजनीय चरण, वेदान्त वेद्य विभवा, करुणा पुनीत मूर्ति, सौभाग्यद सुलालित स्तवन, झटिति प्रसन्ना वह, विमल सुख सहित कीर्ति, अन्धकारमय शून्य हृदय, झंझा झकोर गर्जन युक्त मेघमाला।

(ग) वाक्याश्रयी विशेषण : यदि कोई सम्पूर्ण वाक्य किसी पद को विशेषित करने के लिए विशेषण रूप में प्रयुक्त हो तो उसे वाक्याश्रयी विशेषण कहते हैं ; जैसे ‘ऐ अंग्रेजों भारत छोड़ो।’ नारा भारतीय स्वतंग्रता संप्राम के अन्तिम चरण का था। दिल्ली चलो पुकार ने उन दिनों सबके हुदय को उद्दीप्त कर दिया था। तत्कालीन नेताओं की मलेरिया उन्मूलन करो आवाज सबको संगठित करने लगी थी। ‘मानव प्राण रक्षार्थ वृक्षारोपण करो तरंग सर्वन्र फैल रही थी।

(घ) ध्वन्यात्मक विशेषण :- जहाँ ध्वन्यात्मक शब्दों की सहायता से निर्मित विशेषण पद विशेषित पदों के गुण, प्रकृति, अवस्थादि को समुत्तोलित करके उभाड़ देता है वहाँ उस विशेषण को ध्वय्यात्मक विशेषण कहते हैं। जैसे-सरसराती हवा निरन्तर बह रही थी। झरझराती वृष्टि बन्द होने का नाम नहीं ले रही थी। धधकती अग्नि ज्वाला देखते-देखते फैल गई।

ध्वन्यात्मक विशेषण के विशेष्य सहित अन्य उदाहरण :-गुड़गुड़ाते हुक्के, गुटगुटाते कबूतर, हिनहिनाती घोड़ियाँ, गुनगुनाते भ्रमर, चरमराती डालियाँ, चहचहाती चिड़ियाँ, फरफराते राष्ट्रीय ध्वज, सपसपाते बेंत, कँषपकँपाती सर्दियाँ, चिपचिपाती उमस, खनखनाती रजत मुद्रा, झनझनाती झालें, डबडबाती आँखें, चमचमाती किरणें, तमतमाती दोपहरी, थपथपाती पीठ, दनदनाती रेलें, धमधमाती ढोलें, मर्मराती पत्तियाँ, लड़खड़ाती चाल, सरसराता साँप, गदगदाती आवाज, फकफकाती रुलाई, ठहठहाती हँसी।

(ङ) शब्द द्वैताश्रयी विशेषण :- शब्दों की दो आवृत्ति से युक्त विशेषण शब्दों को शब्द द्वैताश्रयी विशेषण कहते हैं। बोलते या लिखते समय कभी-कभी, किसी-किसी शब्द को दो बार प्रयोग करके बोलना या लिखना पड़ता है।

दो आवृत्ति वाले शब्द जब विशेष्य शब्द को विशेषित करते हैं, तब उन्हें द्वैताश्रयी विशेषण कहा जाता है। जैसे हजार-हजार लोग चारों ओर से मेले में एकत्र हो रहे थे। बोरे-बोरे गेहूँ ट्रेन पर लादा गया। गाँठ-गाँठ कपड़ा गोदाम में भरा गया। टनों-टनों नमक नाव पर ही गल गया। क्विण्टल-क्विण्टल चीनी ट्रक से उठा ले गए। ए०सी० में बैठकर ठण्डी-ठण्डी साँस लो। गरम-गरम चाय पी रहा हूँ। वाहनों में सफर करो, मीठे-मीठे गाने सुनो।

(च) पदान्तरित विशेषण :- जब संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से बने हुए विशेषणों के विशेष्ये शब्दों को विशेषित करने के लिए प्रयोग किया जाता है, तो ऐसे विशेषणों को पदान्तरित विशेषण कहते हैं। जैसे-ये लोग अभिनन्दनीय पुरुष हैं, इनका अनभिनन्दन दोष है। वे लोग अपूजनीय मनुष्य हैं, उनका पूजन होता है। उसकी प्रथम प्रदर्शित फिल्म हिट हो गई। देय धन का शीघ्र दान तथा आदेय धन का शी:य आदान प्रसनताकारक होता है। कर्त्तव्य कर्म को तत्काल करो। ओजस्वी भाषण पर तालियाँ गड़गड़ा उठीं। छन्दोमयी रचनाएँ कम हो रही हैं। कुलीन स्त्रियाँ समाज की शोभा हैं। रामराज्य में दैहिक, दैविक, भौतिक ताप नहीं थे।

(छ) प्रश्नवाचक विशेषण :- जब प्रश्नवाचक सर्वनामों अथवा क्रिया विशेषणों को विशेष्य पदों को विशेषित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है, तब उन्हे प्रश्नवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे – कौन-सी घटना घट गई? क्या बात हो गई ? कितनी दूरी तय करनी पड़ी ? कितना वजन उठाना पड़ा ?

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 29.
विशेषण पदों का वर्ग-विभाजन कितने प्रकार से होता है ?
उत्तरः
विशेषण पदों का वर्ग-विभाजन मुख्यत: दो प्रकार से होता है-

  • विशेषित पद की प्रकृति के अनुसार, तथा
  • विशेषण पद की रचना या उपादान के अनुसार।

प्रश्न 30.
विशेष्य (संज्ञा) का विशेषण किसे कहते हैं ? संज्ञा से बनने वाले विशेषणों की एक सूची प्रस्तुत करें।
उत्तरः
विशेष्य (संज्ञा) का विशेषण :- जिस विशेषण पद से किसी विशेष्य पद के गुण, प्रकृति या अवस्था का बोध होता है, उसे विशेष्य का विशेषण कहते हैं। जैसे-सुरम्य घाटी, न्यायार्थ युद्ध, विचित्र इन्द्रधनुष, निर्मल चित्त, विस्तृत आकाश, स्वर्णमय कलश, शीतल वायु, कठोर भूमि इत्यादि।
विशेष्य पद के विशेषणों के विशेष्य सहित अन्य उदाहरण-
प्राय: संज्ञा को ही विशेष्य कहा जाता है। यहाँ विशेष्य-विशेषण की एक विस्तृत सुची दी जा रही है-

विशेष्य – विशेषण
अंक, अंकन – अंकित, अंकनीय, अंक्य
अंकुर – अंकुरित
अंडा – अंडैल
अंत – अंतिम, अंत्य
अंतर्वेद – अंतर्वेदी
अँकुड़ी – अँकुड़ीदार
अंगरेज – अंगरेजी
अंकंपन – अकंपित, अकंप्य
अकाल – अकालिक
अटक – अटकाऊ
अतिरंजन – अतिरंजित
अधर्म – अधर्मा, अर्धर्मिष्ठ
अधोगमन – अधोगामी
अनाचार – अनाचारी
अनिच्छा – अनिच्छित, अनिच्छुक
अनीश्वरवाद – अनीश्वरवादी
अनुकंपा – अनुकंपित
अनुकरण – अनुकरणीय, अनुकृत
अनुताप – अनुतप्त
अनुत्थान – अनुत्थित
अनुधावन – अनुधावक, अनुधावी, अनुधावित
अनुपकार – अनुपकारी, अनुपकारक
अनुभव – अनुभवी
अनुमान – अनुमानित, अनुमित
अनुयोजन – अनुयोजित, अनुयोज्य
अपहार – अपहारक, अपहारी, अपहारित, अपहार्य
अप्रतिकार – अप्रतिकारी
अप्रतिग्रहण – अप्रतिग्राह्य, अप्रतिगृहीत
अनुरंजन – अनुरंजित
अनुराग – अनुरागी
अनुशासन, अनुशासक, – अनुशासनीय, अनुशासित
अनुशीलन – अनुशीलनीय, अनुशीलित
अनुषंग – अनुषंगी, अनुषंगिक
अन्याय – अन्यायी
अन्येन्याश्रय – अन्योन्याश्रित
अन्वय – अन्वयी
अन्वेषण – अन्वेषित, अन्वेषी, अनवेष्टा
अपकार – अपकारक, अपकारी
अपक्षय – अपक्षीण
अपक्षेपण – अपक्षिप्त
अपचय – अपचयी
अपचार – अपचारी
अपध्वंस – अपध्वंसी, अपध्वस्त
अपनयन – अपनीत
अपभंश – अपभ्रष्ट
अपराध – अपराधी
अपिरहार – अपरिहारित, अपरिहार्य
अपवर्जन – अपवर्जित
अपवाद – अपवादित
अपवर्तन – अपवर्तित
अपवाहन – अपवाहित, अपवाहय
अपस्नान – अपस्नात
अपहरण – अपहरणीय, अपहरित, अपद्कत, अपहर्ता
अपेक्षा – अपेक्षित
अर्थ – अर्थी
अर्पण – अर्पित
अलंकार – अलंकृत
अवकलन – अवकलित
अप्रतिबंध – अप्रतिबद्ध
अबीर – अबीरी
अभिघात – अभिघातक, अभिघाती
अभिज्ञान – अभिज्ञात
अभिनंदन – अभिनंदनीय, अभिनंदित
अभिनय – अभिनीत, अभिनेय
अभिनिवेश – अभिनिविष्ट, अभिनिवेशित
अभिभ्भाय – अभिप्रेत
अभिभव – अभिभावुक, अभिभावी, अभिभूत
अभिमंडन – अभिमंडित
अभिमंत्रण – अभिमंत्रित
अभिमान – अभिमानी
अभियोग – अभियोगी, अभियुक्त, अभियोक्ता
अभिलाष – अभिलाषक, अभिलाषी, अभिलाषुक, अभिलषित
अभिवंदन – अभिवंदनीय, अभिवंदित अभिवंद्य
अभिशंका – अभिशंकित
अभिशाप – अभिशापित, अभिशाप्त
अभिसार – अभिसारिका, अभिसारी
अभेद – अभेदनीय, अभेद्य
अभ्यर्थना – अभ्यर्थनीय, अभ्यर्थित
अभ्यास – अभ्यस्त, अभ्यासी
अभ्युथान – अभ्युत्यायी, अभ्युत्थित अभ्यत्थेय
अभ्युद्य – अभ्युदित, आभ्युदयिक
अर्चन – अर्चनीय
असत्कार – असत्कृत
असदाचार – असदाचारी
असम्मति – असम्मत
अहंकार – अहंकारी
अहिवात – अहिवाती, अहिवातीन
आकंपन – आकंपित
आकर्षण – आकर्षित, आकृष्ट
आकलन – आकलनीय, आकलित
आकांक्षा – आकांक्षक, आकांक्षित, आकांक्षी
इच्छ – इच्छित, इच्छुक, ऐच्छिक
अवकिरण – अवकीर्ण, अवकृष्ट
अवक्षेपण – अवक्षिप्त
अवच्छेद – अवच्छेद्य, अवक्छिन्न
अवज्ञा – अवज्ञात, अवजेय
अवतरण – अवतीर्ण
अवधारण – अवधारणीय, अवधारित
अवध्वंस – अवध्वस्त
अवमर्दन – अवमर्दित
अवमान – अवमानित
अवरोधन – अवरोधक, अवरोधित, अवरोधी, अवरुद्ध
अवरोपण – अवरोपणीय, अवरोपित,
अवरोहण – अवरोहक, अवरोहित अवरोही
अवलंबन – अवलंबित, अवलंबी
अवलेह – अवलेहु
अवलोकन – अवलोकनीय, अवलोकित
अवशेष – अवशिष्ट
अवसाद – अवसन्न, अवसादित
अवहेलन – अवहेलित
अव्यवस्था – अव्यवस्थित
अशक्ति – अशक्त
अशांति – अशांत
अश्रद्धा – अश्रद्धेय
अश्वारोहण – अश्वारोही
अष्टांग – अष्टांगी
असंतोष – असंतोषी
असंभावना – असंभावित, असंभाव्य
आपत्काल – आपत्कालिक
आपस – आपसी
आपूर – आपूरित, अपूर्य
आप्लावन – आप्लावित
आफताब – आफताबी
आभूषण – आभूषित
आमंत्रण – आमंत्रित
आमर्दन – आमर्दित
आमोद – आमोदित, आमोदी
आयुर्वेद – आयुर्वेदीय
आयोजन – आयोजित
उत्साह – उत्साहित, उत्साही
इतमीनान – इतमीनानी
इतिहास – ऐतिहासिक
इत्तेफाक – इत्तफाकिया
इल्तिवा – मुल्तवी
इल्म – इल्मी
इश्क – आशिक, माशूक
इस्लाम – इस्लामिया
ईक्षण – ईक्षणीय, ईक्षित, ईक्ष्य
ईड़ा – ईड़ित, ईड़यत
ईप्सा – ईप्सित, ईप्सु
ईरान – ईरानी
ईर्षा – ईर्षालु, ईर्षित, इर्षु
ईश्वर – ईश्वरी, ईश्वरीय
उच्चरण – उच्चरणीय, उच्चरित
उच्चाकांक्षा – उच्चाकांक्षी
उच्चाटन – उच्चाटनीय, उच्चाटित
उच्चारण – उच्चारणीय, उच्चारित
उद्वेग – उद्विग्न
उन्माद – उन्मादक, उन्मादी
उन्मार्ग – उन्मार्गी
उन्मूलन – उन्मूलक, उन्मूलनीय, उन्मूलित
उन्मेष – उन्मिषित
उपकार – उपकारक, उपकारी उपकार्य, उपकृत
उपगमन – उपगृत
उपघात – उपघातक, उपघाती
उपचय – उपचयित, उपचित
उपचरण – उपचारित, उपचर्य
उपचार – उपचारक, उपचारित उपचारी, औपचारिक
उुपजीवन – उपजीवी, उपजीवित
उपदेश – उपदेश्य, औपदेशिक उपदिष्ट, उपदेशी
उपद्रव – उपद्रवी
उपधान – उपहित
उपनयन – उपनीत, उपनेतव्य, उपनेता
उपनिधि – औपनिधिक
उपनिवेश – उपनिवेशित, उपनिविष्ट
उदय – उदित
उदाहरण उदाहरणीय – उदाहार्य, उदाहृत
उद्गार – उद्गारी, उद्गारित
उद्घाटन – उद्घाटक, उद्घाटनीय, उद्घाटित, उद्घाट्य
उद्दीपन – उद्दीपनीय, उद्दीपक उद्दीपित, उद्दीप्त, उद्दीप्य
उद्देश्य – उद्दिष्ट, उद्ददेश्य, उद्देशित
उद्धरण – उद्धरणीय, उद्धत
उद्वार – उद्धारक, उद्धारित
उद्बोधन – उद्बोधक, उद्बोधनीय उद्बोधित
उद्भव – उद्भूत
उद्भावन – उद्भावनीय, उदभाव्य उद्भवित
उद्भेदन – उद्भेदक, उद्भेदनीय उद्भिन्न
उद्यम – उद्यत, उद्यमी
उद्योग – उद्योगी, उद्युक्त
उपलेपन – उपलेपित, उपलेप्य, उपलिप्त
उपवेशन – उपवेशित, उपवेशी उपवेश्य, उपविष्ट
उपस्थान – उपस्थानीय, उपस्थित
उपहास – उपहास्य
उपांत – उपांत्य
उपादान – उपादेय
उपाय – उपायी, उपेय
उपार्जन – उपार्जनीय, उपार्जित
उपालंभ – उपालब्ध
उपालंभन – उपालंभनीय, उपालंभित उपालंभ्य
उपासन – उपासनीय, उपासित उपासी, उपास्य
उपेक्षण – उपेक्षणीय, उपेक्षित, उपेक्ष्य
उल्लसन – उल्लसित, उल्लासी
उल्लास – उल्लासक, उल्लासित
उल्लेख – उल्लेखक, उल्लेखनीय उल्लेखित, उल्लेख्य
ऋण – ऋणी
ऋतुगमन – ऋतुगामी
ॠतुस्नान – ॠतुस्नाता
उपन्यास – उपन्यस्त
उपपादन – उपपन्न, उपपादक उपपादनीय, उपपादित
उप्लव – उप्लवित, उप्लव्य उप्लवी, उप्लुत
उपभोग – उपभोगी, उपभोग्य, उपभुक्त
उपमा – उपमान, उपमापक उपमित, उपमेय
उपयोग – उपयोगी, उपयुक्त
उपरंजन – उपरंजक, उपरंजनीय उपरंजित, उपरंज्य
कद – कद्दी
कदाचार – कदाचारी
कपट – कपटी
कपाल – कपाली, कापालिक
कपास – कपासी
कमानी – कमानीदार
करतब – करतबी
कर्षण – कर्षक, कर्षणीय, कर्षित, कर्ष्य
कलंक – कलंकित, कलंकी
कलह – कलहकारी, कलही
कवच – कवची
कवर्ग – कवर्गीय
कसरत – कसरती
कांक्षा – कांक्षणीय, कांक्षित, कांक्षी, कांक्ष्य
काँटा – कँटीला
कागज – कागजी
कानून – कानूनी
काफिर – काफिरी
काबुल – काबुली
काम – कामुक, कामी
काय – कायिक
कारबार – कारोबारी
किताब – किताबी
किशमिश – किशमिशी
कीमत – कीमती
कुआर – कुआँरा
कुक्कुरदंत – कुक्कुरदंता
कुतूहल – कुतहली
एकांतवास – एकांतवासी
एकीकरण – एकीकृत
एषणा – एषणीय, एषतव्य
ऐब – ऐबी
ओज – ओजस्वी, ओजित
कंकड – कंकड़ीला
कंटक – कंटकित
कंठ – कंठ्य
कंधार – कंधारी
कँगूरा – कँगूरेदार
कज्जल – कज्जलित
कुराह – कुराही
कुसुम – कुसुमित
कृपा – कृपालु
कृमि – कृमिल
कृषि – कृष्य
केंचुल – केंचुली
कैद – कैदी
कोढ़ – कोढ़ी
कोप – कुपित
कौतुक – कौतुकित, कौतुकी
कौरव – कौरवी
क्वाँरा – क्वाँरी
क्षण – क्षणिक
क्षुधा – क्षुधालु, क्षुधित
क्षोभ – क्षुब्ध, क्षुभित
खंडन – खंडनीय, खंडित, खंडी
खता – खतावार
खादन – खादनीय, खाद्य, खादित
खानदान – खानदानी
खेद – खेदित, खिन्न
खैरात – खैराती
खौफ – खौफनाक
ख्याल – ख्याली
ख्याहिश – ख्वाहिशमंद
गंधक – गंधकी
गँवई – गँवइयाँ
गजनी – गजनवी
गणन – गणनीय, गणित, गण्य
गमन – गमनीय, गम्य
कुत्सन – कुत्सित
कुमार्ग – कुमार्गी
कुपथ – कुपथी
गल्ला – गल्लई
गश्त – गश्ती
गाँठ – गँठीला
गाँव – गँवार
गान – गेय, गेतव्य
गाभा – गाभिन
गुंफ, गुंफन – गुंफित
गुजरात – गुजराती
गुण – गुणी
गुणन – गुण्य, गुणनीय, गुणित
गुणा – गुण्य, गुणित
गुस्सा – गुस्सावर, गुस्सैल
गृह – गृही
गोर – गोरी
ग्लानि – ग्लेय
घटन – घटनीय, घटित
घर – घराऊ, घरेलू, घरू
घात – घाती
घिन – घिनौना
घृणा – घृणित
घ्राण – प्रेय
चख – चखिया
चटपटी – चटपटिया
चमत्कार – चमत्कारी, चमत्कृत
चातुर्थक – चातुर्थिकी
चिंतन – चिंतनीय, चिंतित, चिंत्य
चिकित्सा – चिकित्सित, चिकित्स्य
चिकीर्षा – चिकीर्षित, चिकीर्ष्य
चित्र – चित्रित
चिरनिद्रा – चिरनिद्रित
चिह्न – चिह्नित
चुंबन – चुंबनीय, चुंबित
तर्षण – तर्षित
तारतम्य – तारतम्यिक
तिरस्कार – तिरस्कृत
तिरहुत – तिरहुतिया
तृष्णा – तृषित, तृष्य
गर्व – गर्वित, गर्ववान्
गर्हण – गर्हणीय, गर्हित गर्ही, गर्हितव्य
चूषण – चूषणीय, चूष्य
चौखंड – चौखंडी
छद्मवेश – छद्यवेशी
छलन – छालित
छवि – छबोला
छादन – छादित
छिद्र – छिद्रित
छिद्रान्वेषण – छिद्रान्वेषी
जंग – जंगी
जंगल – जंगली
जंजीर – जंजोरी
जक – जक्की
जड़िया – जड़ाऊ
जनून – जनूनी
जप – जपतव्य, जपनीय जपी, जप्य
जबान – जबानी
जरायु – जरायुज
जरूरत – जरूरी
जागीर – जागीरी
जाफरान – जाफरानी
जायका – जायकेदार
जिगर – जिगरी
जिद – जिद्दी
जिल्द – जिल्दी
जिहवामूल – जिहवामूलीय
जीवन – जावित
जुगुप्सन – जुगुप्स, जुगुप्सित
ज्ञापन – ज्ञापित, ज्ञाप्य
ड्योढ़ा – ड्योढ़ी
तर्जन – तर्जित
तर्पण – तर्पणीय, तर्पित, तर्पी
नि:सारण – नि:सारित
निक्षेपण – निक्षिप्य, निक्षेप्य
निबंधन – निबद्ध
निमंत्रण – निमंत्रित
नियमन – नियमित, नियम्य
तेजाब – तेजाबी
त्यजन – त्यजनीय
त्राण – त्रातक
दंडन – दंडनीय, दंडित, दंड्य
दंभ – दंभी
दंशन – दंशित, दंशी
दक्खिन – दक्खिनी
दरबार – दरबारी
दलन – दलित
दहन – दहनीय, दह्यमान
दाग – दागी
दीक्षण – दीक्षित
दीपन – दीपनीय, दीपित, दीप्य
दुराग्रह – दुराग्मही
दुराचार – दुराचारी
दुश्चेष्टा – दुश्चेष्टित
दृश – दृश्य
देह – देही
देहात – देहाती
द्रवण – द्रवित
धूपन – धूपित
ध्वंसन – ध्वंसनीय, ध्वंसित, ध्वस्त
नकटा – नकटी
नक्काशी – नक्काशीदार
नमन – नमनीय, नमित
नाम – नामी
निंदन – निंदनीय, निंदित, निंद्य
परिप्रेषण – परिप्रेषित, परिप्रेष्य
परिपोषण – परिपुष्ट:
परिभक्षण – पैर्रिभक्षितः
परिभावन – परिभावित
परिमाण – परिमित, परिमेय
परिमार्ज़न – परिमार्जित परिमृज्य, परिमृष्ट
परिमोहन – परिमोहित
परिवर्तन – परिवर्तनीय, परिवर्तित, परिवर्ती
परिवर्द्धन – परिवर्द्धित
परिवेषण – परिवेष्टव्य, परिवेष्य
परिशोधन – परिशुद्ध, परिशोधनीय, परिशोधित
नियोजन – नियोजित, नियोज्य नियुक्त
निराकरण – निराकरणीय, निराकृत
निराकांक्षा – निराकांक्षी
निराला – निराली
निराशावाद – निराशावादी
निरीक्षण – निरीक्षित, निरीक्ष्य निरीक्ष्यमाण
निर्वचन – निर्वचनीय
निवेश – निवेशित
निष्कासन – निष्कासित
निषेधन – निषेधित, निषिद्ध
नोक – नुकीली
न्यास – न्यस्त
पंजाब – पंजाबी
पत्थर – पथरीला
पराक्रम – पराक्रमी
परावर्तन – परावर्तित, परावृत्त
परिकल्पन – परिकल्पित
परिगणन – परिगणनीय, परिगणित, परिगण्य
परिचरण – परिचरणीय, परिचरितव्य
परिचारण – परिचारी, परिचार्य
परिचालन – परिचालित
परित्याग – परित्यागी
परिपालन – परिपाल्य, परिपालित
परिपीड़न – परिपीडित
पूजन – पूजक, पूजनीय पूजितव्य, पूज्य
पोषण – पोषित, पोषणीय, पुष्ट, पोष्य
प्रकंप – प्रकंपित
प्रच्छादन – प्रच्छादित
प्रच्छेदन – प्रच्छेद्य
प्रज्ज्वलन – प्रज्ज्वलनीय, प्रज्ज्वलित
प्रतिदान – प्रतिदत्त
प्रतिपादन – प्रतिपादित
प्रतिबंध – प्रतिबद्ध
प्रतिबिंब – प्रतिबिंबित
प्रतिरोध – प्रतिरोधक
प्रतिवर्त्तन – प्रतिवर्तित
प्रतिषेध – प्रतिषिद्ध, प्रतिषेधक
परिसरण – परिसारी, परिसृत
परिहरण – परिहरणीय परिहृत, परिहर्तव्य
पेरीक्षण – परीक्षित, परीक्ष्य
पर्यवेक्षण – पर्यवेक्षित
पहलू – पहलूदार
पाकिस्तान – पाकिस्तानी
पापलोक – पापलोक्य
पापाचार – पापाचारी
पालन – पालनीय, पालित, पाल्य
पितृघात – पितृघातन, पितृघाती, पितृघ्न
पिपासा – पिपासित
पोड़न – पीड़क, पीड़नीय, पीड़ित
पुनरावृक्ति – पुनरावृत्त
पुनरुक्ति – पुनरुक्त
पुरस्कार – पुरस्कृत
पूरण – पूरणीय
प्रस्तावन – प्रस्तावित
प्रस्थापन – प्रस्थापित, प्रस्थापी, प्रस्थाप्य
प्रांत – प्रांतिक
प्रातःकाल – प्रात:कालीन
प्रापण – प्रापणीय, प्राप्य, प्राप्त
प्रेषण – प्रेषित
प्रोत्साहन – प्रोत्साहित
फसाद – फसादी
फेन – फेनिल
बलगम – बलगमी
बहिष्कार – बहिष्कृत
बाधन – बाधित, बाधनीय, बाध्य
बुभूषा – बुभूषक, बुभूषु
बोधन – बोधनीय, बोधित, बोध्य
ब्रह्मदोष – ब्रह्मदोषी
भक्षण – भक्षणीय, भक्षित, भक्ष्य
भेदन – भेदनीय, भेद्य
मंजरी – मंजरित
मखमल – मखमली
मजलिस – मजलिसी
मजहब – मज़हबी
प्रतिहिंसा – प्रतिहिंसित
प्रत्याशा – प्रत्याशित
प्रपीडन – प्रपीड़ित
प्रलंभन – प्रलब्ध
प्रलाप – प्रलापी
प्रलेपन – प्रलेपक, प्रलेप्य
प्रलोभ – प्रलोभक
प्रवचन – प्रवचनीय
प्रवर्तन – प्रवर्तनीय, प्रवर्तित, प्रवर्त्य
प्रवासन – प्रवासित, प्रवास्य
प्रवाहन – प्रवाहित
प्रवेशन – प्रविष्ट, प्रवेशनीय, प्रवेशित, प्रवेश्य
प्रशंसन – प्रशंसनीय, प्रशंस्य
प्रशंसा – प्रशंसित
प्रसरण – प्रसरणीय, प्रसरित
प्रसारण – प्रसारित, प्रसार्य्य
प्रतिपालन – प्रतिपालित
मोदन – मोदनीय, मोदित
मौसिम – मौसिमी
मौसी – मौसेरा, मौसियाउत
रंज – रंजीदा
रंजन – रंजनीय
रईस – रईसाना
राजद्रोह – राजद्रोही
राष्ट्रवाद – राष्ट्रवादी
रियासत – रियासती
रुचि – रुचित
रोग – रोगी, रुगण
रोध, रोधन – रोधित
रोपण – रोपित, रोप्य
रोब – रोबीला
रोमांच – रोमांचित
रोष – रुष्ट
लज्जा – लज्जित
लवन – लवनीय, लव्य
लापरवाही – लापरवाह
लालच – लालची
लालन – लालनीय
लेखन – लेखनीय, लेख्य
मनोरंजन – मनोरंजक, मनोरंजनीय
मनोवांछा – मनोवांछित
मरीज – मरीजी
मसीहा – मसीही
मिथ्यावादी – मिथ्यावादिनी
मिश्रण – मिश्रणीय, मिश्रित
मीलन – मीलनीय, मीलित
मुद्दत – मुद्दती
मुल्क – मुल्की
मोद – मोदी
वर्तन – वर्तित
वर्द्धन – वर्द्धित
वशीकरण – वशीकृत
वसंत – वासंत, वासंतक
वस्तु – वासंतिक, वसंती वास्तव, वास्तविक
वहन – वहनीय, वहमान, वहित
वांछा – वांछनीय, वांछित
वासन – वासित
विकसन – विकसित
विकास – विकासक
विघटन – विघटित
विच्छेद – विच्छेदक
विजयी – विजयिनी
विज्ञाप्ति – विज्ञाप्त
विज्ञापन – विज्ञापनीय, विज्ञापित
विडंबना – विडंबनीय, विडंबित
विदेश – विदेशी, विदेशीय
विध्वंसन – विध्वंसित, विध्वस्त
विनाश – विनाशक
विनाशन – विनाशी, विनाश्य
विनोदन – विनोदित, विनोदी
विन्यास – विन्यस्त
विबोध – विबोधक
विबोधन – विबोधित
विभाजन – विभाजनीय, विभाज्य विभाजित
लेपन – लेपिता, लेष, लिप्त
लोप – लुप्त, लोपक, लोंप्ता, लोप्य
लोभ – लुष्ध, लोभी
वंचन – वंचिन
वंदना – वंदनीय, वंदिन
वमन – वाम्न
वर्गीकरण – वर्गीकृत्न
वर्चस् – वर्चस्वान्, वर्चस्वी
वर्जन – वर्जंनीय, वर्ज्य, वर्जित
वर्णन – वर्णनीय, वर्ण्य, वर्णित
विमोह – विमोहक
विमोहन – विमोहित, विमोही
विराग – विरागी
विराजन – विराजमान, विराजित
विरोध – विरोधक
विरोधन – विरोधी, विरोधित, विरोध्य
विरोपण – विरोपणीय, विरोपित विरोष्य
विरोहन – विरोहणीय, विरोहित
विलंबन – विलंबनीय, विलंबित, विलंबो
विश्वासघात – विश्वासघातक
विषाद – विषादी
वीक्षण – वीक्षणीय
व्याख्या – व्याख्यात
शरीरी – शरीरिणी
शाकाहार – शाकाहारी
शान – शानदार
शुश्रूषा – शुश्रूष्य
शोचन – शोचनीय, शोच्य, शोचितव्य
शोधन – शोधनीय, शोधित, शोध्य, शोद्धव्य
शोषण – शोषणीय, शोषित, शोषी
श्रवण – श्रवणीय
श्लेषण – श्लेषणीय, श्लेषित, श्लेषी
श्लाघन – श्लेषणीय, श्लेषित, श्लेषी, शिलष्ट
विभूषण – विभूषित, विभूष्य
विभेदन – विभेदनीय, विभेद्य
विमंडन – विमंडित
विमर्दन – विमर्दनीय, विमर्दित
विमोचन – विमोचनीय, विमोच्य
संचय – संचयी
संपर्क – संपृक्त
संपादन – संपादनीय, संपादी, संपाद्य
संपोषण – संपोषित
संप्रदाय – संप्रदायिक
संप्रयोजन – संप्रयोजनीय, संप्रयुक्त
संप्रवर्तक – संप्रयोजन, संप्रयोक्तव्य
संप्रवर्तन – संप्रवर्ती
संबोधन – संप्रवर्तिनी, संप्रवृत्त संबोधित, संबोध्य
संभवन – संभवनी, संभावित, संभावितव्य, संभाव्य
संभेदन – संभेदनीय, संभेद्य, संभिन्न
संयम – संयमी, संयमित, संयत
संयोजन – संयोगी, संयोजनीय संयोज्य, संयोजित
संवरण – संवरणीय, संरक्षित, संरक्षी, संरक्ष्य
संवरण – संवरणीय, संवृत्त
संवर्ग – संवर्ग्य
संवर्जन – संवर्जनीय, सवर्जित, संवृक्त
संवर्द्धन – संवर्द्धनीय, संवर्धित, संवृद्ध
संवादन – संवादनीय; संवादित, संवादी, संवाद्य
संवारण – संवारणीय, संवार्य, संवारित
संवाहन – संवाहणीय, संवाहित, संवाही, संवाह्य
संविभाग – संविभागी
संवेदन – संवेदनीय, संवेद्य, संवेदित
संशोधन – संशोधनीय, संशुद्ध, संशोधित, संशोध्य
संश्रवण – संश्रवणीय, संश्रुत
श्वसन – श्वसनीय, श्वसित
संकलन – संकलित
संकीर्तन – संकीर्तित
संकेत – संकेतित
संश्राव – संश्रावणीय, संश्रावित संश्राव्य
संश्लेषण – संश्लेषणीय, संश्लेषित, संश्लिष्ट
संसाधन – संसाधनीय, संसाधित संसाध्य
संसूचन – संसूचनीय, संसूचित, संसूच्य
संस्मरण – संस्मरणीय, संस्मृत
सन्निवेशन – सन्निवेशित, सन्निवेशी, सन्निवेश्य, सन्निविष्ट
समर्थन – समर्थनीय, समर्थक, समर्थ्य
समादर – समादरणीय, समादृत
समाधान – समाधानीय
समापन – समाप्य, समापनीय
समालिंगन – समालिंगित
समीक्षा – समीक्षित, समीक्ष्य
सम्मिश्रण – सम्मिश्र
सम्मोहन – सम्मोहक
सरकार – सरकारी
सरोकार – सरोकारी
सर्जन – सर्जनीय, सर्जित
सहकारी – सहकारिणी
साक्षी – साक्षिणी
सार्वभौम – सार्वभौमिक
सिंचन – सिंचित
सियासत – सियासती, सियासी
सेवन – सेवनीय, सेवित, सेव्य, सेवितव्य
सोपान – सोपानित
स्कूल – स्कूली

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 31.
सर्वनाम का विशेषण से आप क्या समझते हैं ? सर्वनाम का विशेषण में कैसे रूपान्तरण होता है ?
उत्तरः
सर्वनाम का विशेषण :- जिस विशेषण में किसी सर्वनाम पद का गुण, स्वभाव, अवस्था आदि का बोध होता है, उसे सर्वनाम का विशेषण कहते हैं। सुपरिचित मैं, व्यवधानरहित वह, मूर्खतावश तुम, स्मरणीय वे लोग इत्यादि। यह मैं, वह तुम, ये हमलोग, वे तुमलोग, यह मेरा, वह तुम्हारा, ये हमलोगों के, वे तुमलोगों के, यह उसका, ये उनलोगों के (प्रत्येक युग्म का विशेषण विपर्यय अर्थात् विशेषण का विशेष्य और विशेष्य का विशेषण किया जा सकता है।)

सर्वनाम पद के विशेषणों के विशेष्य सहित अन्य उदाहरण – अधर्मी वे लोग, अध्ययनशील आप, आदरणीय आप लोग, आलसी वह, कर्त्रव्य परायण।
तत्सम सर्वनाम का विशेषण में रूपान्तरण :-

  • अस्मद् – अस्मदीय, अस्मदर्थ, मामकीन, मादृश
  • युष्मद् – युष्मदीय, युष्मदर्थ, तावकीन, त्वादृश
  • भवत् – उद्रीय, भवदर्थ, भवादृश।
  • तद् – तदीय, तादृश।
  • यद् – यदीय, यदर्ष यादृश।
  • एतद् – एतदीय, एतदर्थ, एतादृश।
  • स्व, स्वक – स्वीय, स्वकीय, स्वार्थ, स्वकार्थ
  • सर्व – सर्वीय, सर्वार्थ
  • भवत् – भवदीय, भवदर्श, भवादृश।

तद्धव सर्वनाम का विशेषण में रूपान्तरण :-

  • मैं, हम – मुझसा, मुझसी, हमसा, हमसी, हमसे, मेरा, मेरी, मेरे, हमारा, हमारी, हमारे।
  • तू, तुम – तुमसा, तुमसी, तुमसे, तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे।
  • वह – उससा, उससी, उससे, वैसा, वैसी, वैसे, उसका, उसकी, उसके।
  • यह – इससा, इससी, इससे, ऐसा, ऐसी, ऐसे, इसका, इसकी, इसके।
  • कौन – किससा, किससी, किससे, कैसा, कैसी, कैसे, किसका, किसकी, किसके।
  • जो – जिससा, जिससी, जिससे, जैसा, जैसी, जैसे, जिसका, जिसकी, जिसके।
  • आप – आपसा, आपसी, आपसे, आप जैसा, आप जैसी, आप जैसे, आपका, आपकी, आपके।
  • ये – इनसा, इनसी, इनसे, इनका, इनकी, इनके।
  • वे – उनसा, उनसी, उनसे, उनका, उनकी, उनके।

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 32.
विशेषण का विशेषण से आप क्या समझते हैं ? विशेषण का विशेषण में रूपान्तरण कैसे होता है ?
उत्तरः
विशेषण का विशेषण :- जिस विशेषण पद से किसी अन्य विशेषण पद के गुण, अवस्था या प्रकृति का बोध होता है, उसे विशेषण का विशेषण कहते हैं। जैसे -प्रचण्ड तपती दोपहरी, भीषण अंधेरी रात, परम उदार गृहस्थ इत्यादि। विशेषण का विशेषण में रूपान्तरण :-

विशेषण – विशेषण में रूपान्तरण
उज्ज्वल – उज्ज्वलित, उज्ज्वलीकृत
धवल – धर्वलित, धवलीकृत
स्थूल – स्थूलायित, स्थूलीकृत
सूक्ष्म – सूक्ष्मायित, सूक्ष्मीकृत
संक्षिप्त – संक्षिप्तायित, संक्षिप्तीकृत
मृदु – मुदुल, मृदुलायित, मृदुलीकृत
नवीन – नवीनीकृत, नवीनायित
आतुर – आतुरायित, आतुरीकृत
प्रिय – प्रियायित
प्राप्त – प्रापित
गत – गमयित
अन्ध – अन्धायित, अन्धीकृत
बधिर – बधिरायित, बधिरीकृत
मूक – मूकायित, मूकीकृत
भीत – भीतायित
भ्रष्ट – भ्रष्टायित
च्युत – च्यावित, च्युतीकृत
मुक्त – मोचित, मुक्तीकृत
उद्धूत – उद्धारित, उद्दृतीकृत
अनुकूल – अनुकूलायित, अनुकूलीकृत
मग्न – मग्नायित, मग्नीकृत
अधीन – अधीनीकृत, अधीनायित
लीन – लीनायित, लीनीकृत
स्वतंत्र – स्वतंत्र्यित, स्वतंत्रीकृत
परतंत्र – परतन्न्रायित, परतन्त्रीकृत
स्वायत्त – स्वायत्तीकृत, स्वायत्तायित
भूमिगत – भूमिगमयित
तरुण – तरुणायित, तरुणीकृत
नील – नीलायित, नीलीकृत
पीत – पीतायित, पीतीकृत
रक्त – रक्तायित, रक्तीकृत
श्षेत – श्वेतायित, श्वेतीकृत
कृष्ण – कृष्णायित, कृष्णीकृत
प्रवीन – प्रवीणायित, प्रवीणीकृत
निपुण – निपुणायित, निपुणीकृत
अभिज्ञ – अभिज्ञायित, अभिज्ञीकृत
निष्णात – निष्गायित, निष्णातीकृत
शिक्षित – शिक्षायित, शिक्षितीकृत
कुशल – कुशलायित, कुशलीकृत
वदान्य – वदान्यायित, वदान्यीकृत
प्रधित – प्रथितायित, प्रथितीकृत
ख्यात – ख्यातायित, ख्यातीकृत
समृद्ध – स्मृद्धायित, समृद्धीकृत
स्निग्ध – स्निग्धायित, स्निग्धीकृत
कुण्ठित – कुण्ठायित, कुण्ठीकृत
कर्मशील – कर्मशीलायित, कर्मशीलीकृत
वश्य – वश्यायित, वश्यीकृत
प्रणेय – प्रणेयायित, प्रणेयीकृत
विनीत – विनीतायित, विनीतीकृत
प्रगल्भ – प्रगल्भायित, प्रगल्भीकृत
शालीन – शालीनायित, शालीनीकृत
दीर्घसूत्री – दीर्घसूत्रायित, दीर्घसूत्रीकृत

प्रश्न 33.
निम्नांकित वाक्यों के सामने कोष्ठकों में दिए गए शब्दों से विशेषण बनाकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
उत्तरः
(क) विद्यार्थियों को अनुशासित रहना चाहिए। (अनुशासन)
(ख) रेडियो के अविष्कारक कौन हैं ? (अविष्कास)
(ग) मैं गणना जानता हूँ। (गणन)
(घ) पंजाबी बहुत मेहनती होते हैं। (पंजाब)
(ङ) ईश्वर बहुत कृपालु है। (कृपा)
(च) हमें विनयशील होना चाहिए। (विनय)
(छ) वह पैसेवाला है। (पैंसा)
(ज) कलाम प्रतिभाशाली हैं। (प्रतिभा)
(झ) राधा रूपवती है। (रूप)
(ज) भीम बलवान थे। (बल)

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 34.
निम्नांकित प्रत्ययों के योग से विशेषण बनाएँ :-
वानु, वती, शाली, वी, एरा, वाला, शील, आ, आलु।
उत्तरः
वान् : गुणवान्, धनवान्, ज्ञानवान्, नाशवान्, बलवान्, फलवान्।
वती : गुणवती, रसवती, फलवती, रूपवती, भगवती, विद्यावती, भाग्यवती, पुप्रवती।
शाली : भाग्यशाली, ऐश्वर्यशाली, प्रतिभाशाली, गौरवशाली, सम्पत्तिशाली, बलशाली।
वी : ओजस्वी, तेजस्वी, तपस्वी, यशस्वी, मनस्वी, वर्चस्वी।
एरा : ममेरा, फुफेरा, चचेरा, कैसेरा, मौसेरा, लुटेरा।
वाला : चायवाला, पैसावाला, कुल्फीवाला, दुकानवाला, घड़ीवाला, चनावाला, दिलवाला।
शील : कियाशील, प्रयत्नशील, विनयशील, उन्नतिशील।
आ : ठण्डा, प्यासा, नीला, भूखा, सूखा।
आलु : दयालु, कृपालु, ईर्ष्यालु, श्रद्धालु, लजालु।

प्रश्न 35.
निम्नांकित उपसर्गों के साथ संज्ञा को जोड़कर विशेषण बनाएँ :-
अ, नि:, नि, दु:, दु, स, बे, ला।
उत्तरः
अ – अयोग्य, अपूज्य, असमर्थ, अविकसित, अचल, अबोध, आदि।
नि: – निर्दोष, निर्गुण, निर्लज्ज, निर्भय, निःसार, नि:शेष आदि।
नि – निडर, निपूता, निकम्मा, निरकुश आदि।
दु: – दुर्जन, दुर्बल, दु:सह, दुधर्ष, दुर्जेय, दुर्जय।
दु – दुधारी, दुबला, दुबली, दुर्निवार आदि।
स – सपूत, सजल, सचल, सफल, सचित्र, सजीव आदि।
बे – बेशर्म, बेकसूर, बेचारा, बेईमान, बेहोश, बेवकूफ आदि।
ला – लावारिस, लापता, लाईलाज, लाचार।

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 36.
निम्नांकित तत्सम् शब्दों के मूलावस्था के विशेषण में उचित प्रत्यय लगाकर उसे उत्तरावस्था तथा उत्तमावस्था विशेषण में बदलें।
उत्तरः
WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण 2

प्रश्न 37.
उत्तरावस्था तथा उत्तमावस्था का अन्तर बताएँ।
उत्तरः
उत्तरावस्था में विशेषण के मूल रूप में तर प्रत्यय का योग किया जाता है, जबकि उत्तमावस्था में विशेषण के मूल रूप में ‘तम प्रत्यय का योग किया जाता है।
उदाहरण :-
1. राम मोहन से श्रेष्ठतर है। (उत्तरावस्था)
2. राम समस्त छात्रों में श्रेष्ठतम है। (उत्तमावस्था)

प्रश्न 38.
शब्द द्वैताश्रयी विशेषण के चार उदाहरण दें।
उत्तरः

  • नव-नव उज्ज्वल धार नवल उपमानित धारण करती है।
  • काले-काले मेघ कितने भयानक हैं।
  • खेतों में लहराते पीले-पीले फूल मानों वसंत के दूत हैं।
  • यह भींगी-भींगी रात सुहावनी है।

प्रश्न 39.
ध्वन्यात्मक विशेषण के चार उदाहरण दें।
उत्तरः

  • सनसनाती हवा का झोंका अच्छा लगता है।
  • टनटनाते घण्टे की आवाज सुन लड़के दौड़ पड़े।
  • टनटनाती घण्टी की आवाज सुन सेवक दौड़ पड़ा।
  • झरझर वृष्टि में कहाँ चल पड़े ?

प्रश्न 40.
प्रश्नवाचक विशेषण के चार उदाहरण दें।
उत्तरः

  • आप क्या काम करते हैं ?
  • उसे कितना धन चाहिए ?
  • आप किससे मिलना चाहते हैं ?
  • मैंने किसका मन दुखाया है ?

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प्रश्न 41.
निम्नांकित वाक्यों में प्रयुक्त हुए विशेषणों के नाम लिखें :-
उत्तरः

  • मेरी कक्षा में पचीस छात्राएँ हैं। (निश्चित संख्यावाचक विशेषण)
  • ये गाँव बड़े सुन्दर हैं। (सार्वनामिक विशेषण)
  • मुझे एक किलो घी चाहिए। (परिमाणबोधक विशेषण)
  • सारी पुस्तकें बिक चुकी हैं। (अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण)
  • दूसरा छात्र अधिक बुद्धिमान है। (संख्यावाचक विशेषण)
  • धरती गोल न होकर अण्डाकार है। (गुणवाचक विशेषण)
  • शीला बड़ी नेक बालिका है। (प्रविशेषण)
  • वह व्यक्ति प्रतिदिन टहलने जाता है। (सार्वनामिक विशेषण)
  • आपका पालतू कुत्ता भयानक है। (गुणवाचक विशेषण)
  • लखनवी शिष्टाचार अपनाइये। (व्यक्तिवाचक विशेषण)

प्रश्न 42.
निम्नलिखित वाक्यों में से प्रविशेषण छाँटिए :-
उत्तरः
(क) उसे शाम को ठीक आठ बजे ले आना।
ठीक – प्रविशेषण
(ख) तुम तो बड़ा बढ़िया कपड़ा लाए हो।
बड़ा – प्रविशेषण
(ग) रमेश बहुत होशियार है।
बहुत – प्रविशेषण
(घ) मैं पूर्ण स्वस्थ हूँ।
पूर्ण – प्रविशेषण
(ङ) मेरे पिता बहुत बड़े व्यवसायी हैं।
बहुत – प्रविशेषण

प्रश्न 43.
निम्नलिखित संज्ञा शब्दों को विशेषण में रूपांतरित करें :-
उत्तरः
संज्ञा शब्द विशेषण में रूपांतरित

  • दया – दयालु
  • राग – रागी
  • विवेक – विवेकी
  • नमन – नत
  • सेवन – सेवित
  • रक्षण – रक्षित
  • मुखर – मुखरित
  • शाप – शापित
  • मोद – मुदित
  • पोषण – पोषित
  • लक्षण – लक्षित
  • अनुवाद – अनूदित
  • रचना – रमित
  • शमन – अमित
  • कम्प – क्रमित

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 44.
निम्नांकित विशेषण को विशेषण में रूपान्तरित करें :-
उत्तरः
विशेषण – विशेषण में रूपान्तरित

  • निष्णात – निष्णायित
  • कुशल – कुशलीकृत
  • समृद्ध – समृद्धीकृत
  • कुण्ठित – कुण्ठीकृत
  • विनीत – विनीतीकृत
  • शालीन – शालीनीकृत
  • मग्न – मग्नीकृत
  • अधीन – अधीनायित
  • नवीन – नवीनीकृत
  • प्राप्त – प्रापित
  • मूक – मूकीकृत
  • अनुकूल – अनुकूलीकृत
  • सूक्ष्म – सूक्ष्मीकृत
  • ख्यात – ख्यातीकृत
  • मुक्त – मुक्तीकृत
  • शिक्षित – शिक्षितीकृत
  • स्थूल – स्थूलीकृत

प्रश्न 45.
उन प्रत्ययों को लिखें जिनको संज्ञा शब्दों में जोड़कर विशेषण बनाए जाते हैं?
उत्तरः
इक, इत, इम, ई, ईय, इर, इल, ईन, ईला, निष्ठ, नीय, मान्, मती, मय, य, रत, वाने, वती, शाली, वी, एरा, वाला, शील, आ तथा आलु।

प्रश्न 46.
निम्नांकित संज्ञा शब्दों में ‘नीय’ प्रत्यय जोड़कर विशेषण में बदलें :- आदर, मान, प्रशंसा, निन्दा, पूजा, विश्वास, दया, मन, श्लाघा।
उत्तरः
आदरणीय, माननीय, प्रशंसनीय, निंदनीय, पूजनीय, विश्वसनीय, दबनीय, मननीय, श्लायणीय।

प्रश्न 47.
निम्नांकित संज्ञा में ‘मय’ प्रत्यय जोड़कर विशेषण में बदलें :-
जल, आनंद, दुःख, पाप, स्थल, गौरव, सुख, पुण्य।
उत्तरः
जलमय, आनंदमय, दुःखमय, पापमय, स्थलमय, गौरवमय, सुखमय, पुण्यमय।

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 48.
‘य’ प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाएँ :-
निंदा, पूजा, वन, क्षमा, स्तन, उपासना, मूर्धन, दन्त, स्तुति, सेवा, कथा, चिन्ता।
उत्तरः
निंद्य, पूज्य, वन्य, क्षम्य, स्तन्य, उपास्य, मूर्धन्य, दन्त्य, स्तुत्य, सेव्य, कथ्य, चिन्न्य।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर :-

प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं ? इसके कितने भेद हैं ? सबकी परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। (माध्यमिक परीक्षा – 2013)
उत्तरः
विशेषण :- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण, रंग, आकार, दशा आदि) बतलाए, उसे विशेषण कहते हैं। जैसे-

सुंदर, कुरूप, लंबा, नाटा, अच्छा, बुरा, हलका, भारी, चतुर, मूख, लाल, पीला, कुछ, थोड़ा, दो, चार, गोल, चौड़ा, दुबला, पतला आदि।

  • सीता/वह सुंदर है। (गुण)
  • गीता/वह कुरूप है। (दोष)
  • तीन लड़के पढ़ रहे हैं। (संख्या)
  • थोड़ा दूध पी लो। (परिमाण)
  • यह/फूल लाल है। (रंग)

उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त शब्द – सुंदर, कुरूप, तीन, थोड़ा, लाल इत्यादि संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाते हैं, अत: ये विशेषण हैं।
विशेषण के मुख्यत: चार भेद है-

  • संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)
  • परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)
  • गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)
  • सार्वननामिक विशेषण (Demonstrative Adjective)

संख्यावाचक विशेषण :- जिस विशेषण से संज्ञा की संख्या (निश्चित या अनिश्चित) का बोध हो, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे –
दो, चार, पहला, चौथा, दोहरा, चौगुना, आधा, पाव, कुछ, बहुत, सैकड़ों, असंख्य आदि।
चार लड़के आ रहे हैं।
(चार लड़के-निश्चित संख्या)
कुछ लड़के जा रहे हैं।
(कुछ लड़के-अनिश्चित संख्या)

परिमाणवाचक विशेषण :- जो विशेषण वस्तु के परिमाण या मात्रा (निश्चित या अनिश्चित) का बोध कराए, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे –
दो लीटर, तीन मीटर, थेड़ा, बहुत, कुछ, कम, सारा, पूरा, इतना, उतना, जितना, कितना आदि।
दो लीटर दूध दें। (दो लीटर-निश्चित परिमाण)
तीन मीटर कपड़ा दें। (तीन मीटर-निश्चित परिमाण)
थोड़ा दूध चाहिए। (थोड़ा दूध-अनिश्चित परिमाण)
बहुत कपड़े चाहिए। (बहुत कपड़े-अनिश्चित परिमाण)

गुणवाचक विशेषण :- जिस विशेषण से गुण, दोष, रंग, आकार, स्वभाव, दशा, अवस्था आदि का बोध हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-
अन्छा, बुरा, सच्चा, झूठा, नेक, भला, सुन्दर, कुरूप, आकर्षक, सीधा, टेढ़ा, लाल, पीला, हरा, नीला, लंबा, चौड़ा, छोटा, बड़ा, दयालु, कठोर, सूखा, गीला, दुबला, पतला, नया, पुराना, आधुनिक, प्राचीन, बनारसी, मुरादाबादी आदि।

  • वह भला/अच्छा आदमी है। (भला/अच्छा-गुणबोधक)
  • मोहन बुरा/दुष्ट लड़का है। (बुरा/दुष्ट-दोष बोधक)
  • कपड़ा लाल/पीला है। (लाल/पीला-रंगबोधक)
  • भाला नुकीला/लंबा है। (नुकीला/लंबा-आकारबोधक)
  • मोहन दुबला/मोटा है। (दुबला/मोटा-दशाबोधक)

सार्वनामिक विशेषण :- जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्ययुक्त हो, उसे सार्वननामिक विशेषण कहते है। जैसे-
यह, वह, कौन, क्या, कोई, कुछ आदि।
उपर्युक्त शब्द सर्वनाम और विशेषण दोनों हैं। यदि ये क्रिया के पहले प्रयुक्त हों, तो सर्वनाम और संज्ञा के पहले प्रयुक्त हों, तो सार्वनामिक विशेषण। जैसे –
यह देखो। (क्रिया के पहले-यह-सर्वनाम)
यह फूल देखो। (संज्ञा के पहले-यह-सार्वनामिक विशेषण)
वह खेलेगा। (क्रिया के पहले-वह-सर्वनाम)
वह लड़का खेलेगा (संज्ञा के पहले-वह-सार्वनामिक विशेषण)

उपर्युक्त बातों से स्पष्ट हो जाता है कि-यह’ और ‘वह’ शब्द सर्वनाम भी हैं और विशेषण भी। यह आप पर निर्भर करता है कि इनका प्रयोग आप किस रूप मे करते हैं। अत: इन शब्दों के प्रयोग में सावधानी रखें, अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 2.
मूल विशेषण किसे कहते हैं ? विशेषण शब्दों की रचना किन-किन शब्द-भेदों से होती है ? प्रत्येक के उदाहरण दें।
उत्तरः
हिन्दी में कुछ विशेषण ऐसे हैं जो मौलिक हैं, जिन्हें किसी शब्द या प्रत्यय के सहयोग से नहीं बनाया जाता। ऐसे विशेषणों को मूल विशेषण कहा जाता है। जैसे-

अच्छा, बुरा, काला, उजला, मोटा, पतला, अमीर, गरीब, छोटा, बड़ा, बूढ़ा, जवान, नया, पुराना, निम्न, उच्च, सुंदर, हल्का आदि।

इसके विपरीत अधिकांश विशेषण किसी-न-किसी प्रत्यय के जुड़ने से बनते हैं। ये प्रत्यय हैं-अ, अक, अनीय, आ, आई, आऊ, आड़ी, आना, आर, आल, आलु, इंदा, इक, इत, इल, इयल, ई, ईच, ईन, ईला, उ, उक, एय, एरा, एल, ऐल, ओड़, ओड़ा, क, था, दार, नाक, बाज, मंद, मान्, वान्, वाला, वार, वी, ल आदि। ये प्रत्यय संस्कृत, हिन्दी और उर्दू (अरबी-फारसी) के हैं। ये किन-किन शब्दों से जुड़ते हैं, इसे समझे :-
कुछ विशेषण अव्ययों में प्रत्यय लगाकर बनाए जाते हैं। जैसे-

बाहर – बाहरी ऊपर – ऊपरी
भीतर – भीतरी अंदर – अंदरूनी
करीब-करीबी सामने – सामनेवाला।

कुछ विशेषण दो विशेषणों के मेल से बनते हैं। जैसे-

मोटा-मोटा नीले-नीले
पतला-पतला पीले-पीले।

कभी-कभी विशेषण के द्वित्व से भी नये-नये विशेषण बनते हैं। जैसे-

कुछ विशेषण क्रिया में प्रत्यय लगाकर बनाए जाते हैं। जैसे-

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण 4

प्रश्न 3.
विशेष्य-विशेषण तथा विधेय-विशेषण से आप क्या समझते हैं ? सोदाहरण लिखें।
उत्तरः
विशेष्य (संज्ञा/सर्वनाम) के पहले आए विशेषण को विशेष्य-विशेषण तथा विशेष्य के बाद आए विशेषण को विधेय-विशेषण कहते हैं। जैसे –

वह लम्बा लड़का है। (लम्बा-विशेष्य-विशेषण)
वह लड़का लम्बा है। (लम्बा-विधेय-विशेषण)

नोट-यहाँ दो बातें ध्यान देने योग्य हैं –

विशेषण के लिंग एवं वचन विशेष्य के लिंग एवं वचन के अनुसार होते हैं, चाहे विशेषण विशेष्य के पहले आए या बाद में। जैसे-

वह अच्छा लड़का है। (अच्छा, लड़का-दोनों एकवचन, पुल्लिंग)
वह लड़का अच्छा है। (लड़का, अच्छा-दोनों एकवचन, पुल्लिंग)
वह अच्छी लड़की है। (अच्छी, लड़की-दोनों एकवचन, स्व्रीलिंग)
वे अच्छे लड़के हैं। (अच्छे, लड़के-दोनों बहुवचन, पुल्लिंग)
स्पष्ट है कि विशेषण के लिंग एवं वचन, विशेष्य के लिंग एवं वचन के अनुसार आये हैं।

अगर एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों, तो विशेषण के लिंग और वचन प्रथम विशेष्य के लिंग और वचन के अनुसार होंगे। जैसे-

(i) काला कुरता, टोपी और जूते लाओ।
(प्रथम विशेष्य कुरता-पुल्लिंग, अत:-काला)
(ii) काली टोपी, कुरता और जूते लाओ।
(प्रथम विशेष्य टोपी-स्त्रीलिंग, अत:-काली)
(iii) काले जूते, कुरता और टोपी लाओ।
(प्रथम विशेष्य जूते-एकारांत पुल्लिंग, अतः-काले)

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण

प्रश्न 4.
विशेषणों की तुलनावस्था से क्या समझते हैं ? सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तरः
कभी-कभी दो या दो से अधिक वस्तुओं के गुणों या अवगुणों की आपस में तुलना की जाती है। जिन विशेषणों द्वारा तुलना की जाए, उन्हे तुलनाबोधक विशेषण कहते हैं। ऐसे विशेषणों की तीन अवस्थाएँ होती है। जैसे-

  • मूलावस्था
  • उत्तरावस्था और
  • उत्तमावस्था।

1. मूलावस्था :- मूलावस्था में विशेषण बगैर किसी से तुलना किए हुए अपने मूल रूप में रहता है। जैसे-
राम श्रेष्ठ है।
वह छोटा है।
सीता सुन्दर है।
वह छोटी है।

2. उत्तरावस्था :- उत्तरावस्था में विशेषण दो व्यक्तियों या वस्तुओं की विशेषता की तुलना करता है। जैसे-
राम श्याम से श्रेष्ठ है। वह उसकी अपेक्षा छोटा है।
सीता गीता की तुलना में सुन्दर है। वह उसके मुकाबले छोटी है।

3. उत्तमावस्था :- उत्तमावस्था में विशेषण दो से भी अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना करता है और उनमें एक को सबसे बढ़िया या घटिया बताता है। जैसे-
राम सबसे श्रेष्ठ है।
वह सबसे छोटा है।
सीता सबसे सुन्दर है।
वह सबसे छोटी है।
हिन्दी में विशेषणों की तुलना बहुत आसान है। सिर्फ-से, अपेक्षा, सबमें, सबसे, बनिस्बत लगाकर विशेषणों की तुलना की जाती है। कुछ और उदाहरण लें-
राम श्याम की अपेक्षा तेज है।
या, राम श्याम की बनिस्बत तेज है।
राम सभी लड़कों की अपेक्षा तेज है।
या, राम सभी लड़कों की बनिस्बत तेज है।
राम सबमें तेज है।
या राम सबसे तेज है।

संस्कृत में अंय्रेजी की तरह कुछ विशेषणों के रूप बदल जाते हैं | जहाँ अंगरेजी में प्राय:er और est लगाया जाता है, वहाँ संस्कृत में तर और तम। जैसे –

WBBSE Class 9 Hindi व्याकरण विशेषण 3

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