Students should regularly practice West Bengal Board Class 10 Hindi Book Solutions निबंध Chapter 2 नौबतखाने में इबादत to reinforce their learning.
WBBSE Class 10 Hindi Solutions Chapter 2 Question Answer – नौबतखाने में इबादत
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. नौबतखाने में इबादतं पाठ का साराश लिखें।
अथवा
प्रश्न 2. ‘नबतखाने में इबादत’ पाठ का मूल भाय अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 3. जौबतखाने में इबादत’ पाठ में व्यक्त लेखक के विचारों को लिखें।
अथवा
प्रश्न 4. ‘जौबतखाने में इबादत’ पाठ का उद्देश्य लिखें।
अथवा
प्रश्न 5. नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर बिस्पिल्ला खाँ के जीवन पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न 6. निस्भिल्ना खाँ के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
प्रश्न 7. बिस्थिल्ला खाँ के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए, जिससे आप बहुत अधिक प्रथादित हुए।
उत्तर :
विश्रुप्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ आज हमारे बीच नहीं है लेकिन शहनाई की दुनिया में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा। “नौबतखाने में इबादत” में यतीन्द्र मिश्र ने इसी बिस्मिल्ला खाँ का व्यक्ति-चित्र उकेरा है।
अमीरुद्दीन अर्थांत् बिस्मिल्ला खाँ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जहाँ शहनाई-वादन ही खानदानी पेशा था। दादा और नाना दोनों के परिवार में शहनाई बजाना ही उनका पेशा था। छ वर्ष की उम से ही उन्होने शहनाई में रुचि लेनी शुरू कर दी थी।
14 वर्ष की उम्र में बिस्मिल्ला खाँ ने रियाज के लिए काशी के बालाजी मंदिर में जाना शुरू किया। रास्ते में दो गायिका बहनों रसूलनबाई और बतूलनबाई के ठुमरी, ठापे आदि को सुनकर संगीत के प्रति उनके मन में विशेष आसक्ति हुई।
बिस्मिल्ला खाँ जैसे शहनाईवादक का सहज मानवीय रूप मुहर्रम में दिखाई पड़ता था जब वे आठवीं तारीख को दालमंडी फातमान तक पैदल शहनाई बजाते जाते थे। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।
काशी से बिस्मिल्ला खाँ का अपार लगाव था। उसके कारण भी थे। काफी में एक ओर पडित कठे महाराज, बड़े रामदास, मौजूद्दीन खाँ जैसे बड़े गायक हैं तो दूसरी ओर उनकी कद्र करने वाला अपार जन-समूह भी है। संस्कृति, बोली, उत्सव, संगीत, भक्ति- जिसकी भी बाते करें- काशी की अपनी एक अलग पहचान है।
भारतरल प्राप्त बिस्मिल्ला खाँ घरेलू जीवन में काफी सादगी से रहते थे। एक बार फटी लुंगी पहने रहने पर उनकी शिष्या ने टोका तो उन्होंने जवाब भी उसी सादगी से दिया – “धत्! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनाईया पे मिला है, लुँगिया पे नाहीं। … मालिक से यही दुआ है, फटा सुर न बखों। लुंगिया का क्या है, आज फटी है तो कल सी जाएगी।
जीवन के अंतिम वर्षो में बिस्मिल्ला खाँ को कुछ चीजों की कमी काफी खलती थी, जैसे- संगतियों के मन में गायकों के लिये सम्मान न होना, बहुत सारी परम्पराओं का लुप्त होना, फिर भी वे आजीवन अपने संगीत के द्वारा भाईचारे का संदेश देते रहे। नब्बे वर्ष की आयु में 21 अगस्त 2006 को बिस्मिल्ला खाँ ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन जब-जब शहनाई की आवाज गूँजेगी, बिस्मिल्ला खाँ हमारी यादों में बसे रहेंगे।
प्रश्न 8. ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें। अथवा
प्रश्न 9. रचनाकार यतीन्द्र मिश्र ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ का उल्लेख प्रसिद्ध शाहनाई वादक के प्रति किस प्रकार की है ? स्पष्ट कीजिए ।
अथवा
प्रश्न 10. बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की जिन विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया है उसके बारे में लिखें। अथवा
प्रश्न 11. बिस्पिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की खूबियों पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न 12. बिस्मिल्ला खाँ की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
अथवा
प्रश्न 13.’पगली ई, भारतरल हमको शहनाईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं’-कथन के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ की चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
अथवा
प्रश्न 14. लय और ताल की तमीज सिखाने वाले नायाब हीरे के रूप में बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखें।
अथवा
प्रश्न 15. ‘बिस्भिल्ला खाँ का मतलल-बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई’ के आधार पर शहनाई के ताज के रूप में बिस्मिल्ला खाँ की विशेषताओं को लिखें।
अथवा
प्रश्न 16. “एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रुप ऐसे अवसर पर आसानी से दिख जाता है” – प्रस्तुत कथन के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 17. “अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाय के प्रति भी अपार है के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 18.
“बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग करके नहीं देख सकते’ – के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर –
“नौबतखाने में इबादत” यतीन्द्र मिश्र की रचना है जिसमें प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का व्यक्ति चित्र उकेरा गया है। आज बिस्मिल्ला खाँ हमारे बीच नहीं हैं लेकिन शहनाई की दुनिया में उनका नाम अमर है। बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं –
(क) व्यक्तित्व के धनी – व्यक्तित्य के धनी बिस्मिल्ला खाँ केवल एक शहनाईवादक ही नहीं, हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक भी थे। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने शहनाई का रियाज भी काशी के बालाजी के मंदिर से शुरू किया था।
(ख) सादगी – विश्रपसिद्ध कलाकार होने के बाद भी उनमें अहंकार नाम की कोई चीज नहीं थी। उनका जीवन अत्यंत ही सादगीपूर्ण था। घर पर वे फटी लुँगी भी पहन लेते थे। इस बात पर जब एक बार उनकी एक शिष्या ने टोका तो उन्होंने उसी सादगी से उत्तर दिया – ” धत् पगली ! ई भारतरत्न हमको शहनाईया पे मिला है, लुँगिया पे नाहीं।”
(ग) सच्चे सुर-साधक – बिस्मिल्ला खाँ ने अपना सारा जीवन सुर की साधना में लगा दिया तथा वे कला की उस ऊँचाई तक पहुँचे जिससे पूरी दुनिया में उनकी पहचान बनी। वे कितने बड़े साधक थे, वह इनके इस सजदे (प्रार्थना) से पता चल जाता है – “मेरे मालिक एक सुर बखरा दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।’
(घ) काशी के प्रति असीम श्रद्धा – बिस्मिल्ला खाँ में काशी के प्रति असीम श्रद्धा थी। वे अक्सर कहा करते थे’ ई काशी छोड़कर कहाँ जा गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्चाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है…… शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए।’
(ङ) थार्मिक एकता व भाईचारे के प्रतीक – बिस्मिल्ला खाँ वह हीरा थे जो हमेशा धार्मिक एकता तथा भाईचारे की प्रेरणा देते रहे । मुस्मिलम होते हुए भी उन्होंने हिन्दू धर्म तथा संस्कृति का उतना ही सम्मान किया जितना अपने धर्म का। सच कहा जाए तो ऐसे महामानव धर्म व जाति से ऊपर होते हैं। स्वयं लेखक के शब्दों में- ‘ आप यहाँ (काशी में) संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विक्षानाथ को विशालाक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग करके नहीं देख सकते।”
(च) संगीत के नायक – उपरोक्त सारी विशेषताओं के अतिरिक्त बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की जो सबसे बड़ी विशेषता थी- वह यह कि पूरे अस्सी वर्षो तक उन्होंने संगीत के प्रति अपने लगाव को कभी कम नहीं होने दिया। संगीत के लिए उन्हें अनेक विश्धविद्यालयों से मानद उपाधि, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्मभूषण एवं भारतरत्न जैसी उपाधियाँ प्रदान की गई। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्च में अनेक विशेषताओं का समावेश था और इन्हों गुणों के कारण वे संगीत की दुनिया में हमेशा याद किए जाएँगे।
प्रश्न 19.
बिस्भिल्ला खाँ के जीवन पर गगा-जमुनी तहजीब का क्या असर रहा है?
उत्तर :
व्यक्तित्व के धनी बिस्मिल्ला खाँ केवल एक शहनाईवादक ही नहीं, हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक भी थे । इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने शहनाई का रियाज भी काशी के बालाजी के मंदिर से शुरू किया था।
विश्चपसिद्ध कलाकार होने के बाद भी उनमें अहंकार नाम की कोई चीज नहीं थी। उनका जीवन अत्यंत ही सादगीपूर्ण था। घर पर वे फटी लुँगी भी पहन लेते थे। इस बात पर जब एक बार उनकी एक शिष्या ने टोका तो उन्होंने उसी सादगी से उत्तर दिया – “धत् पगली ! ई भारतरत्न हमको शहनाईया पे मिला है, लुँगिया पे नाहीं।”
बिस्मिल्ला खाँ ने अपना सारा जीवन सुर की साधना में लगा दिया तथा वे कला की उस ऊँचाई तक पहुँचे जिससे पूरी दुनिया में उनकी पहचान बनी। वे कितने बड़े साधक थे, वह इनके इस सजदे (मार्थना) से पता चल जाता है – ‘ मेरे मालिक एक सुर बखा दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।”
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन पर गंगा-जमुनी तहजीब (संस्कृति) का सबसे बड़ा असर तो वहीं देखने को मिलता है कि मुसलमान होते हुए भी उन्होंने रियाज के लिए काशी के बालाजी के मंदिर को चुना। चाहे अवसर हिन्दुओं के उत्सव का होया मुसलमानों के उत्सव का – बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई के बगैर अधूरा रहता था । उनके इस कथन से कि “ई काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ………. शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए’ से यह बात साफ जाहिर हो जाती है कि उनके जीवन पर गंगा-जमुनी तहजीब का पूरा-पूरा असर रहा है ।
बिस्मिल्ला खाँ वह हीरा थे जो हमेशा धार्मिक एकता तथा भाईचारे की प्रेरणा देते रहे । मुस्मिलम होते हुए भी उन्होंने हिन्दू धर्म तथा संस्कृति का उतना ही सम्मान किया जितना अपने धर्म का। सच कहा जाए तो ऐसे महामानव धर्म व जाति से ऊपर होते हैं। स्वयं लेखक के शब्दों में- ‘ आप यहाँ (काशी में) संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग करके नहीं देख सकते।”
प्रश्न 20.
मुहरम से बिस्मिल्ला खाँ के लगाव को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
मुहर्रम में हज़रत इमाम एवं उनके कुछ वशजों के प्रति दस दिनों तक शोक मनाया जाता है । मुहर्रम के महीने में उस्ताद विस्मिल्ला खाँ किसी कार्यक्रम में नहीं बजाते थे। फातमान के करीब आठ किलोमीटर तक पैदल रोते हुए नौहा बजाते जाते थे। इस दिन राग-रागिनियों का निषेध है । उस समय उनका सहज मानवीय रूप दिखाई देता है।
लघूतरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
शहनाई के साथ किस स्थान का नाम जुड़ता है?
उत्तर :
डुमराँव का।
प्रश्न 2.
‘रीड’ कितने मिनट के अन्दर गीली हो जाती है ?
उत्तर :
‘रीड’ 15 से 20 मिनट के अन्दर गीली हो जाती है ?
प्रश्न 3.
पंचगंगा घाट पर किसका मंदिर है ?
उत्तर :
बालाजी का मंदिर।
प्रश्न 4.
संगीत शास्त्र के अंतर्गत शहनाई को किस वाद्य में गिना जाता है ?
उत्तर :
शहनाई को सुषिर वाद्यों में गिना जाता है । सुषिर वाद्य अर्थात् फूँककर बजाए जानेवाला बाजा।
प्रश्न 5.
‘बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे’ – इस वाक्य को प्रश्नवाचक वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
उत्तर :
प्रश्नवाचक वाक्य – क्या बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे?
प्रश्न 6.
अमीरुदीन के बड़े भाई का नाम क्या है?
उत्तर :
शम्सुद्दीन खाँ।
प्रश्न 7.
अमीरुद्दीन का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर :
अमीरुद्दीन का जन्म बिहार के डुमराँव नामक गाँव में हुआ था।
प्रश्न 8.
अमीरूद्दीन जमीन पर पत्थर क्यों मारता था ?
उत्तर :
अमीरूद्दीन को बचपन में ही यह पता चल गया था कि संगीत में सम क्या होता है। जब अपके मामू शहनाई बजाते हुए सम पर आते थे तो वह धड़ से एक पत्थर जमीन पर मारता था।
प्रश्न 9.
काशी को ‘संस्कृति की पाठशाला’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
काशी में साहित्य, संगीत, कला की अनोखी परंपरा वर्षों से चली आ रही है इसलिए इसे ‘संस्कृति की पाठशाला’ कहा जाता है।
प्रश्न 10.
चार साल का अमीरूद्दीन फिल्म देखने के लिए पैसों का प्रबंध किस प्रकार से करता था ?
उत्तर :
फिल्म देखने के लिए अमीरूद्दीन दो पैसे मामू से, दो पैसे मौसी से और दो पैसे नानी से लेता था।
प्रश्न 11.
शहनाई के साथ किस स्थान का नाम जुड़ता है ?
उत्तर :
डुमराँव का।
प्रश्न 12.
शहनाई बजाने के लिए किस चीज का इस्तेमाल होता है ?
उत्तर :
शहनाई बजाने के लिए नरकट की रीड का इस्तेमाल होता है।
प्रश्न 13.
‘रीड’ क्या होती है ?
उत्तर :
रीड एक प्रकार की घास (नरकट) होती है जो अंदर से पोली (खोखली) होती है।
प्रश्न 14.
नरकट मुख्यत: कहाँ पाई जाती है ?
उत्तर :
नरकट मुख्यतः डमुराँव में सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
प्रश्न 15.
बिस्पिल्ला खाँ के परदादा का नाम क्या था ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के परदादा का नाम उस्ताद सलार हुसैन खाँ था।
प्रश्न 16.
बिस्मिल्ला खाँ के परदादा कहाँ के निवासी थे ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के परदादा बिहार के डुमराँव के निवासी थे।
प्रश्न 17.
बिस्मिल्ना खाँ शहनाई के रियाज (अभ्यास) के लिए कहाँ जाते थे ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई के रियाज के लिए बालाजी के मंदिर जाया करते थे।
प्रश्न 18.
अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ ने क्या स्वीकार किया है ?
उत्तर :
अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ ने यह स्वीकार किया है कि उन्हे जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति रसूलन और बतूलन-गायिका बहनों के संगीत को सुनकर मिली है।
प्रश्न 19.
किस इतिहास में शहनाई का उल्लेख नहीं मिलता ?
उत्तर :
वैदिक इतिहास में शहनाई का उल्लेख नहीं मिलता है।
प्रश्न 20.
‘नय’ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
अरब देश में फूककर बजाए जाने वाले वाद्य को ‘नय’ कहते हैं।
प्रश्न 21.
बिस्मिल्ला खाँ ने कितने वर्ष की उप्र में शहनाई बजाने का रियाज शुरू किया ?
उत्तर :
चौदह वर्ष की उम्र में।
प्रश्न 22.
‘सुषिर वाद्यों’ में किस वाद्य को ‘शाह’ की उपाधि दी गई है ?
उत्तर :
शहनाई को।
प्रश्न 23.
अवधी के पारंपरिक लोकगीतों एवं चैती में किस वाद्य का उल्लेख बार-बार मिलता है ?
उत्तर :
शहनाई का।
प्रश्न 24.
बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सजदे में क्या गिड़गिड़ाते थे ?
उत्तर :
“मेरे मालिक एक सुर बखा दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।”
प्रश्न 25.
बिस्मिल्ला खाँ को खुदा पर किस बात का यकीन था ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को इस बात का यकीन था कि खुदा कभी न कभी उन पर मेहरबान होगा और अपनी झोली से सुर का फल निकालकर उनकी ओर उछालेगा, फिर कहेगा, ले जा अमीरूद्दीन इसको खा ले और कर ले अपनी मुराद पूरी।
प्रश्न 26.
अस्सी वर्षों तक या अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक क्या सोचते रहे ?
उत्तर :
अपनी पूरी जिंदगी बिस्मिल्ला खाँ यही सोचते आए कि सातों सुरों को बजाने की तमीज उन्हें सलीके से अभी तक क्यों नहीं आई।
प्रश्न 27.
बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ किस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा हुआ है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ जिस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा हुआ है, वह है मुहर्रम।
प्रश्न 28.
मुहर्रम का महीना क्या होता है ?
उत्तर :
जिस महीने शिया मुसलमान हज़रत इमाम हुसैन तथा उनके वंशजों के प्रति दस दिनों तक शोक मनाते हैं, वह मुहर्रम का महीना होता है।
प्रश्न 29.
बिस्मिल्ला खाँ का सहज मानवीय रूप किस अवसर पर आसानी से दिख जाता है ?
उत्तर :
मुहर्रम के अवसर पर।
प्रश्न 30.
काशी में किस आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है ?
उत्तर :
शास्त्रीय संगीत के आयोजन की।
प्रश्न 31.
काशी में हनुमान जयंती के अवसर पर क्या होता है ?
उत्चर :
काशी में हनुमान जयंती के अवसर पर शहर के लंका नामक स्थान में पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन का आयोजन होता है।
प्रश्न 32.
काशी को किसका पाठशाला कहा गया है ?
उत्तर :
काशी को संस्कृति की पाठशाला कहा गया है।
33.
बिस्मिल्ला खाँ के लिए इस धरती पर सबसे बड़ा जन्नत क्या है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के लिए इस धरती पर शहनाई और काशी ही सबसे बड़ा जन्नत है।
प्रश्न 34.
शास्त्रों में काशी किस नाम से प्रतिष्ठित है ?
उत्तर :
शास्ब्रों में काशी ‘आनन्दकानन’ के नाम से प्रतिष्ठित है।
प्रश्न 35.
बिस्मिल्ला खाँ का मतलब लोग किससे लेते हैं ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ का मतलब लोग उनकी शहनाई से लेते हैं।
प्रश्न 36.
बिस्मिल्ला खाँ को किस फकीर की दुआ लगी ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को उस फकीर की दुआ लगी जिसने कहा था – “बजा, बजा।”
37.
फटी लुंगी पहनने पर जब बिस्मिल्ला खाँ को उनकी शिष्या ने टोका तो उन्होने क्या जबाव दिया ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ ने शिष्या के टोकने पर यह जबाव दिया कि ” धत् ! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।”
प्रश्न 38.
बिस्मिल्ला खाँ मालिक (अल्लाह) से क्या दुआ करते हैं ?
उत्तर :
बिस्मिला खाँ मालिक से यही दुआ करते हैं कि फटा सुर न बखों।
प्रश्न 39.
बिस्मिल्ला खाँ को काशी में किसकी कमी खलती है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को काशी में मलाई बरफ बेचने वाले, देशी घी में तली जाने वाली कचौड़ी-जलेबी तथा संगतियों के मन में गायकों के प्रति सम्मान की भावना की कमी खलती है।
प्रश्न 40.
काशी से दिन-प्रति-दिन कौन-सी परंपराएँ लुप्त होती जा रही हैं ?
उत्तर :
काशी से दिन-प्रति-दिन संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सारी परंपराएँ लुप्त होती जा रही हैं।
प्रश्न 41.
बिस्मिल्ला खाँ भविष्य में किसके नायक बने रहेंगे ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ भविष्य में हमेशा संगीत के नायक बने रहेंगे।
प्रश्न 42.
बिस्मिल्ला खाँ की हमे सबसे बड़ी देन क्या है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ की हमें सबसे बड़ी देन यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होने संगीत को संपूर्णता तथा एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
प्रश्न 43.
नादस्वरम् कहाँ का वाद्य है ?
उत्तर :
नादस्वरम् दक्षिण भारत का वाद्य है।
प्रश्न 44.
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है ?
उत्तर :
शहनाई में जिस रीड का इस्तेमाल किया जाता है वह केवल डुमराँव के सोन नदी के किनारे पाया जाता है। इसीलिए शहनाई की दुनिया में डुमराँव को याद किया जाता है।
प्रश्न 45.
शहनाई बजाने के लिए किसका प्रयोग होता है ?
उत्तर :
शहनाई बजाने के लिए नरकट नामक घास की रीड का प्रयोग होता है।
प्रश्न 46.
रीड क्या होती है ? इसका क्या उपयोग है ?
उत्तर :
रीड एक प्रकार की घास नरकट से बनाई जाती है। यह अंदर से खोखली होती है। इसी के सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
प्रश्न 47.
बिस्मिल्ला खाँ के अनुभव की स्लेट पर संगीत प्रेरणा की वर्णमाला किसने उकेरी है ?
उत्तर :
रसूलनबाई तथा बतूलनबाई नामक गायिका बहनो ने।
प्रश्न 48.
शहनाई किसका संपूरक है ?
उत्तर :
शहनाई प्रभाती (सुबह) की मंगलध्वनि का सूचक है।
प्रश्न 49.
हजार वर्ष की परंपरा किसमें संपन्न होती है ?
उत्तर :
मुहर्रम में।
प्रश्न 50.
बिस्मिल्ला खाँ की पसंदीदा हीरोइन कौन थी ?
उत्तर :
सुलोचना।
प्रश्न 51.
बालाजी मंदिर में शहनाई बजाने पर बिस्मिल्ला खाँ को रोज कितने पैसे मिलते थे ?
उत्तर :
एक अठन्नी (पचास पैसे)।
प्रश्न 52.
बिस्मिल्ला खाँ को किसकी कमी खलती है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को काशी की लुप्त होती पररपरा की कमी खलती है।
प्रश्न 53.
अब गायकों के मन में किसके लिए सम्मान नहीं रह गया है ?
उत्तर :
अब गायकों के मन में संगतियों (संगीत में साथ देनेवाले) के लिए सम्मान नहीं रह गया है।
प्रश्न 54.
सच्चा सुर साधक और सामाजिक किसे कहा गया है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को।
प्रश्न 55.
‘नौबतखाने में इबादत’ के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर :
यतीन्द्र मिश्र।
प्रश्न 56.
बिस्मिल्ला खाँ के दोनों मामा क्या करते थे?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के दोनों मामा देश के जाने-माने शहनाईवादक थे।
प्रश्न 57.
शहनाई की दुनिया में डुमरॉव को क्यों याद किया जाता है ?
उत्तर :
शहनाई में लगनेवाली रीड जो एक प्रकार की घास से बनती है – वह डुमरॉव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है। इसी के कारण डुमरॉव याद किया जाता है।
प्रश्न 58.
फटी लुंगी पहनने पर बिस्मिल्ला खाँ को उनकी शिष्या ने टोका तो उन्होंने क्या जवाब दिया ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ ने अपनी शिष्या को जवाब दिया – “पगली ई भारत रत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाही ।”
प्रश्न 59.
बिस्मिल्ला खाँ बचपन में किन गायिका बहनों से प्रभावित हुए ?
उत्तर :
रसूलन बाई और बतूलन बाई।
प्रश्न 60.
शहनाई किसका संपूरक है ?
उत्तर :
प्रभाती की मंगलध्वनि का संपूरक है।
प्रश्न 61.
‘नय’ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
अरब देश में फूंककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें रीड लगी होती है – ‘नय’ कहते हैं।
प्रश्न 62.
काशी से दिन प्रतिदिन कौन-सी परंपराएँ लुप्त होती जा रही हैं ?
उत्तर :
काशी से दिन-प्रतिदिन संगीत, साहित्य और अदब की परंपराएँ लुप्त होती जा रही हैं।
प्रश्न 63.
‘रीड’ क्या होती है ? इसका क्या उपयोग है ?
उत्तर :
शहनाई की आवाज की मधुरता का मुख्य कारण ‘रीड’ है। रीड अंदर से खोखली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है।
प्रश्न 64.
शहनाई बनाने मे किस घास का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर :
शहनाई बनाने में नरकट नामक घास का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 65.
बिस्मिल्ला खाँ अपने शहनाई वादन को किस रूप में देखते हैं ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ अपने शहनाई वादन को खुदा की इबादत के रूप में देखते हैं।
प्रश्न 66.
बिस्मिल्ला खाँ को किसकी कमी खलती है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को पक्का महाल से मलाई बरफ की कमी खलती है।
प्रश्न 67.
बिस्मिल्ला खाँ में धार्मिक सद्भाव भरा था – स्पष्ट करें।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ जितना सम्मान खुदा की इबादत को देते थे उतना ही सम्मान बाबा विश्वनाथ, बालाजी को भी देते थे। इसी से उनके धार्मिक सद्भाव का पता चलता है।
प्रश्न 68.
बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर :
अमीरूद्दीन।
प्रश्न 69.
महुर्रम के महीने में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ क्या करते थे ?
उत्तर :
मुहर्रम के महीने में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ किसी कार्यक्रम में नहीं बजाते थे। फातमान के करीब आठ किलोमीटर तक पैदल रोते हुए नौहा बजाते जाते थे।
प्रश्न 70.
अमीरुदीन छिपकर क्या सुनता था ?
उत्तर :
अमीरुद्दीन छिपकर नाना के शहनाईवादन को सुनता था।
प्रश्न 71.
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ कौन थे ?
उत्तरः
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ विश्वप्रसिद्ध शहनाईवादक थे।
प्रश्न 72.
बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम किस प्रकार मनाया करते थे ?
उत्तर :
मुहर्रम के महीने में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ किसी कार्यक्रम में नहीं बजाते थे। फातमान के करीब आठ किलोमीटर तक पैदल रोते हुए नौहा बजाते जाते थे।
प्रश्न 73.
किस घटना से पता चलता है कि बिस्मिल्ला खाँ के मन में बालाजी के प्रति सच्ची आस्था थी ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के इस कथन से पता चलता है कि उनमें बालाजी के प्रति सच्ची आस्था थी – ‘हमारे नाना तो वहीं बालाजी के मंदिर में बड़े प्रतिष्ठित शहनाईनवाज रह चुके हैं ……. शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं हमारे लिए।”
प्रश्न 74.
बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सज़दे में क्या माँगते थे ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सज़दे में यह माँगते थे कि सुर में वह तासीर (असर) पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।
प्रश्न 75.
अमीरूद्दीन के उस्ताद कौन थे ?
उत्तर :
अलीबखा खाँ।
प्रश्न 76.
‘सुषिर वाधों’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
‘सुषिर वाधों’ से अभिप्राय है – फूँककर बजाए जाने वाले वाद्य।
प्रश्न 77.
‘गंगा-जमुनी संस्कृति’ का आशय क्या है ?
उत्तर :
हिन्दु-मुस्लिम संस्कृति।
प्रश्न 78.
बिस्मिल्ला खाँ की शिष्या ने डरते-डरते उन्हें किसलिए टोका ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ की शिष्या ने डरते- डरते उन्हें फटी लुंगी न पहनने के लिए टोका।
प्रश्न 79.
बिस्मिल्ला खाँ को सरकार ने कौन-सा सम्मान दिया ?
उत्तर :
भारत-रल।
प्रश्न 80.
शहनाई की मंगल – ध्वनि को बिस्मिल्ला खाँ कितने वर्षों से सुर दे रहे थे ?
उत्तर :
अस्सी वर्षों से।
प्रश्न 81.
बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ किस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा है ?
उत्तर :
मुहर्रम।
प्रश्न 82.
बिस्मिल्ला खाँ को संगीत की आरंभिक प्रेरणा किससे मिली ?
उत्तर :
रसूलनबाई और बतूलन बाई से।
प्रश्न 83.
बिस्मिल्ला खाँ का मूल नाम क्या है ?
उत्तर :
अमीरूद्दीन खाँ।
प्रश्न 84.
बिस्मिल्ला खाँ के मामा द्वय का नाम लिखें।
उत्तर :
साद्कि हुसैन तथा अलीबखा हुसैन।
प्रश्न 85.
बिस्मिल्ला खाँ के ननिहाल का खानदानी पेशा क्या था ?
उत्तर :
शहनाई बजाना ही बिस्मिल्ला खाँ के ननिहाल का खानदानी पेशा था।
प्रश्न 86.
किस अवसर पर बिस्मिल्ला खाँ का सहज मानवीय रूप आसानी से दिख जाता है ?
उत्तर :
मुहर्रम के अवसर पर।
प्रश्न 87.
बिस्मिल्ला खाँ के मामू का नाम क्या था ?
उत्तर :
सादिक हुसैन तथा अलीबखा हुसैन।
प्रश्न 88.
बिस्मिल्ला खाँ के माता-पिता का नाम क्या था ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ की माता का नाम मिट्ठन तथा पिता का नाम पैगंबरबखर खाँ था।
89.
बिस्मिल्ला खाँ ने बचपन के कितने वर्ष डुमराँव में बिताए ?
उत्तर :
पाँच-छ: वर्ष।
प्रश्न 90.
बिस्मिल्ला खाँ के परदादा का नाम क्या था ?
उत्तर :
उस्ताद सलार हुसैन खाँ।
प्रश्न 91.
अपनी जिंदगी के अस्सी वर्ष तक बिस्मिल्ला खाँ क्या सोचते आए ?
उत्तर :
सातों सुरों को बरतने की तमीज उन्हें सलीके से अभी तक क्यों नहीं आई।
प्रश्न 92.
अमीरूद्धीन को किस फकीर की दुआ लगी ?
उत्तर :
अमीरूद्दीन को उस फकीर की दुआ लगी जिसने कहा था – “बजा, बजा” ।
प्रश्न 93.
बिस्मिल्ला खाँ किसे कम और किसे ज्यादा याद करते हैं ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ अपने अब्बाजान और उस्ताद को कम, पक्का महल की कुलसुम हलवाइन की कचौड़ीवाली दुकान व गीताबाली आर सुलोचना को ज्यादा याद करते हैं।
प्रश्न 94.
पंचगंगा घाट पर किसका मंदिर है ?
उत्तर :
बालाजी का मंदिर।
प्रश्न 95.
‘नौबतखाने में इबादत’ में किस समय के काशी का वर्णन किया गया है ?
उत्तर :
सन् 1916 से 1922 के आसपास की काशी का वर्णन किया गया है।
प्रश्न 96.
बिस्मिल्ला खाँ का ननिहाल कहाँ था ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ का ननिहाल काशी में था।
वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रोजनामचे में बालाजी का मंदिर सबसे ऊपर आता है।
(क) रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘नौबतखाने में इबादत’ है तथा इसके रचनाकार यतींद्र मिश्र हैं।
(ख) कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के दोनों मामू भी शहनाईवादक थे। वे विभिन्न रियासतों के दरबार में शहनाई बजाने जाया करते थे। लेकिन काशी में रहने पर उनके दिन की शुरूआत बालाजी के मंदिर में शइनाई बजाने से होती थी।
प्रश्न 2.
ये खानदानी पेशा है अलीबख़ा के घर का।
(क) अलीबखा कौन हैं ?
उत्तर :
अलीबखश बिस्मिल्ला खाँ के मामा हैं।
(ख) पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के ननिहाल में शहनाई बजाना खानदानी पेशा है। उनके नाना तथा दोनों मामा भी अच्छे शहनाईवादक थे।
प्रश्न 3.
शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(क) रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार यतौंद्र मिश्र हैं।
(ख) पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
शहनाई में जो रीड लगती है वह हुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है। रीड के बिना शहनाई नहीं बज सकती। इसीलिए शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
प्रश्न 4.
उनका जन्म-स्थान भी डुमराँव ही है।
(क) रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘नौबतखाने में इबादत’ है तथा इसके रचनाकार यतींद्र मिश्र हैं।
(ख) किसका जन्म-स्थान डुमराँव है ? उस व्यक्ति की विशेषता लिखें।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म-स्थान डुमराँव है। वे विश्व-प्रसिद्ध शहनाईवादक थे। संगीत्येमी होने के साथ-साथ वे मानवताप्रेमी भी थे। जितनी आस्था उन्हें अपने धर्म में थी उतनी ही आस्था बालाजी के मंदिर पर भी। अपने संगती के माध्यम से बिस्मिल्ला खाँ ने भाईचारे का संदेश दिया। विश्वप्रसिद्ध होने के बावजूद उनका व्यक्तित्व सादगी भरा था।
प्रश्न 5.
मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का।
(क) पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम है – ‘नौबतखाने में इबादत’।
(ख) पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
बालाजी के मंदिर तक जाने का एक दूसरा रास्ता भी था जो रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता था। जब बिस्मिल्ला खाँ रियाज के लिए बालाजी मंदिर जाते थे तो इस रास्ते से जाना इन्हें अच्छा लगता था क्योंकि न जाने कितने ही तरह के बोल-बनाव, ठुमरी-ठप्पे तो कभी दादरा उनकी कानों तक पहुँचते रहते थे।
प्रश्न 6.
इसे संगीत शास्त्रांतर्गत ‘सुषिर-वाद्यों’ में गिना जाता है।
(क) ‘इसे’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
‘इसे’ से शहनाई संकेतित है।
(ख) पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
फूंक कर बजाए जाने वाले वाद्य को सुषिर वाद्य कहते हैं। शहनाई को भी फूंक कर बजाया जाता है इसलिए इसकी गिनती संगीत शास्त्रों में सुषिर वाद्य में की जाती है।
प्रश्न 7.
दक्षिण भारत के मंगलवाद्य ‘नागस्वरम्’ की तरह शहनाई, प्रभाती की मंगलध्वनि का सूचक है।
(क) पाठ के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ के रचनाकार यतीद्र मिश्र हैं।
(ख) पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
दक्षिण भारत में मांगलिक अवसरों पर नागस्वरम् बजाया जाता है । यह शुभ का सूयक है। इसी तरह उत्तरी भारत में शहनाई का स्थान है। यह मंगल ध्वनि का सूचक है तथा इसे शुभ अवसरों पर बजाया जाता है।
प्रश्न 8.
वे नमाज के बाद सजदे में गिड़गिड़ाते हैं।
(क) ‘वे’ से कौन संकेतित हैं ?
उत्तर :
‘वे’ से बिस्मिल्ला खाँ संकेतित हैं।
(ख) वे नमाज के बाद सजदे में क्या गिड़गिड़ाते हैं ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सजदे में गिड़गिड़ाते हैं कि ” मेरे मालिक एक सुर बख्रा दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।”
प्रश्न 9. आठवीं तारीख इनके लिए खास महत्व की है।
अथवा
प्रश्न 10. इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं।
अथवा
प्रश्न 11. इस दिन कोई राग नहीं बजता।
अथवा
प्रश्न 12. राग-रागनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन।
(क) रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘नौबतखाने में इबादत’ है तथा इसके रचनाकार यतीद्र मिश्र हैं।
(ख) पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
मुहर्रम के दिनों का बिस्मिल्ला खाँ के लिए विशेष महत्व था। इसके आठवें दिन ये खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल ही रोते हुए नौहा बजाते हुए जाते थे। इस दिन कोई राग नहीं बजाया जाता था क्योंकि इस दिन राग-रागनियों का पूर्ण निषेध है। इतना ही नहीं, मुहर्रम के दिनों इनके खानदान का कोई व्यक्ति किसी कार्यक्रम में भी शिरकत नहीं करता था।
प्रश्न 13.
हजार बरस की परंपरा पुनर्जीवित।
(क) पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम है – ‘नौबतखाने में इबादत’।
(ख) पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
मुहर्रम में हजार वर्ष की परंपरा फिर से जीवित हो उठती है। लोगों की आँखें इमाम हुसैन तथा इसके परिवार के लोगों की शहादत की याद में नम हो उठती है। हजारों नम आँखों से अजादारी की जाती है। बिस्मिल्ला खाँ जैसे महान कलाकार का भी सहज मानवीय रूप ऐसे अवसर पर आसानी से देखा जा सकता है।
प्रश्न 14. अमीरूद्धीन तब सिर्फ चार साल का रहा होगा।
अथवा
प्रश्न 15. वह छिपकर नाना को शहनाई बजाते हुए देखते थे।
अथवा
प्रश्न 16. लगता है मीठीवाली शहनाई नाना कहीं और रखते हैं।
(क) रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार यतींद्र मिश्र हैं।
(ख) इस कथन का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब बिस्मिल्ला खाँ केवल चार वर्ष के थे तब से शहनाई उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती थी। वे छुपकर अपने नाना को शहनाई बजाते हुए देखते थे। जब नाना उठकर चले जाते तो वह उनकी शहनाइयों में से एक-एक शहनाई को उठाकर बजाते और वैसे मीठी धुन न निकलने पर उसे यह कह कर खारिज कर देते कि लगता है कि मीठी वाली शहनाई नाना कहीं और छिपाकर रखते हैं।
प्रश्न 17. यह आयोजन पिछले कई वर्षों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है ।
अथवा
प्रश्न 18.
काशी में संगीत-आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(क) रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार यत्तीद्र मिश्र हैं।
(ख) इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
काशी में हुनमान जंयती बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है। हनुमान जयंती का मुख्य आयोजन संकटमोचन मंदिर से होता है । यह मंदिर काशी शहर के दक्षिण लंका में स्थित है। जयंती के अवसर पर पाँच दिनों तक शास्वीय तथा उपशास्त्रीय गायन-वादन का आयोजन होता है। इस आयोजन में काशी के उत्कृष्ट कलाकार भाग लेते हैं।
प्रश्न 19. काशी संस्कृति की पाठशाला है।
अघवा
प्रश्न 20. शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित।
अथवा
प्रश्न 21.
यह एक अलग काशी है।
(क) रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘नौबतखाने में इबादत’ है तथा इसके रचनाकार यतींद्र मिश्र हैं।
(ख) पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
काशी को भारतीय संस्कृति का पाठशाला कहा गया है क्योंकि यहाँ विभिन्न कलाओं का अद्भुत संगम है। इसी विशेषता के कारण शास्ब्रों में काशी को आनंदकानन नाम से प्रतिष्ठित किया गया है। काशी में एक से बढ़कर एक संगीत के कलाकार हैं, इनके संगीत से आनंद उठानेवाला रसिक अपार लोगों का समूह है।
यहाँ की अपनी संस्कृति है, अपनी बोली है, अपना उत्सव है, अपना गम है, अपनी खुशियाँ हैं। यहाँ संगीत और भक्ति, मंदिर और मस्जिद, कजरी और चैती, बिस्मिल्ला खाँ और बालाजी का मंदिर – सब आपस में इस प्रकार घुलमिल गए हैं कि उन्हें अलग करके देखना संभव नहीं है।
प्रश्न 22.
उस फकीर की दुआ लगी जिसने अमीरूहीन से कहा था – “बजा, बजा।”
(क) यह पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
उत्तर :
यह पंक्ति ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ से उद्धत है।
(ख) इस वाक्य का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
एक बार रात्रि के समय बिस्मिल्ला खाँ काशी में मंदिर के अहाते के अंदर शहनाई का रियाज कर रहे थे। मंदिर में प्रवेश करने के सभी दरवाजे बंद् थे। तभी उनके सामने एक फकीर आकर खड़े हो गए। भय से बिस्मिल्ला खाँ ने शहनाई बजाना बंद कर दिया कि ये फकीर अचानक यहाँ कैसे प्रकट हो गए। तभी उस फकीर ने मुस्कुराते हुए कहा ‘बजा बजा।’ इतना कहकर वो गायब हो गए।
भय से बदहवास बिस्मिल्ला खाँ ने तुरंत घर लौटकर इस घटना का उल्लेख नाना से किया। नाना ने पूरी घटना सुनी और एक जोर का तमाचा बिस्मिल्ला खाँ के गाल पर मारा। साथ ही उन्होंने यह हिदायत दी कि आगे कभी कोई घटना घटे तो किसी से मत कहना और बिस्मिल्ला खाँ ने ऐसा ही किया।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसे संस्कृति की पाठशाला कहा गया है?
(क) कोलकाता को
(ख) काशी को
(ग) मुम्बई को
(घ) दिल्ली को
उत्तर :
(ख) काशी को
प्रश्न 2.
अमीरूहीन का जन्म किस राज्य में हुआ था ?
(क) वंगाल
(ख) उड़ीसा
(ग) बिहार
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर :
(ग) बिहार
प्रश्न 3.
बिस्मिल्ला खाँ की मृत्यु कितने वर्ष की आयु में हुई ?
(क) 60
(ख) 70
(ग) 80
(घ) 90
उत्तर :
(घ) 90
प्रश्न 4.
अमीरुद्दीन का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) पटना
(ख) मुजफ्फरपुर
(ग) डुमराँव
(घ) समस्तोपुर
उत्तर :
(ग) डुमराँव
प्रश्न 5.
बिस्मिल्ला खाँ किसको जन्नत से भी बढ़कर मानते थे?
(क) काशी और शहनाई को
(ख) लाहौर और ढोलक को
(ग) काशी और ढोलक को
(घ) लाहौर और शहनाई को
उत्तर :
(क) काशी और शहनाई को
प्रश्न 6.
भीमपलासी और मुलतानी के नाम हैं।
(क) मिद्टी
(ख) गंगा घाट
(ग) राग
(घ) कोई नहीं
उत्तर :
(ग) राग
प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ किस दिन खड़े होकर शहनाई बजाते हैं ?
(क) मुहर्रम के दिन
(ख) हनुमान जयंती के दिन
(ग) ईद के दिन
(घ) गाँधी जयती के दिन
उत्तर :
(क) मुहर्रम के दिन
प्रश्न 8.
‘नौबतखाने में इबादत’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) राजेश जोशी
(ख) यतींद्र मिश्र
(ग) गुणाकर मुले
(घ) डॉ० रामदरश मिश्र
उत्तर :
(ख) यतींद्र मिश्र।
प्रश्न 9.
बिस्मिल्ला खाँ का मूल क्या है ?
(क) शम्सुद्दीन
(ख) अलीबखा
(ग) अमीरूद्दीन
(घ) सादिक् हुसैन
उत्तर :
(ग) अमीरूद्दीन।
प्रश्न 10.
बिस्मिल्ला खाँ किसके छोटे साहबजादे (पुत्र) हैं ?
(क) उस्ताद पैगंबरबख़ खाँ और मिट्ठन
(ख) अलीबखा और मिट्ठन
(ग) अलीबख्श और मिट्ठन
(घ) पैगंबर बखा
उत्तर :
(क) उस्ताद पैगंबरबखा खाँ और मिट्ठन
प्रश्न 11.
शहनाई का उल्लेख किस साहित्य में नहीं मिलता ?
(क) वैदिक इतिहास
(ख) संस्कृत इतिहास
(ग) वाद्य इतिहास
(घ) संगीत इतिहास
उत्तर :
(क) वैदिक इतिहास।
प्रश्न 12.
दक्षिण भारत का मंगल वाद्य कौन-सा है ?
(क) ढोल
(ख) नगाड़ा
(ग) हारमोनियम
(घ) नागस्वरम्
उत्तर :
(घ) नागस्वरम्।
प्रश्न 13.
बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई के साथ किस पर्व का नाम जुड़ा हुआ है ?
(क) ईद
(ख) बकरीद
(ग) मुहर्रम
(घ) सबेरात
उत्तर :
(ग) मुहर्रम।
प्रश्न 14.
मुहर्रम की कौन-सी तारीख बिस्मिल्ला खाँ के लिए खास महत्व की है ?
(क) पाँचवीं
(ख) छठीं
(ग) सातवीं
(घ) आठवी
उत्तर :
(घ) आठवीं।
प्रश्न 15.
मुहर्रम के कौन-से दिन राग-रागनियों की अदायगी का निघेध है ?
(क) आठवीं
(ख) सातवाँ
(ग) छठा
(घ) पहला
उत्तर :
(क) आठवीं।
प्रश्न 16.
बिस्मिल्ला खाँ का सहज मानवीय रूप किस अवसर पर आसानी से दिख जाता है ?
(क) इंद के अवसर पर
(ख) मुहर्रम के अवसर पर
(ग) दशहरे के अवसर पर
(घ) कार्यक्रम के अवसर पर
उत्तर :
(ख) मुहर्रम के अवसर पर।
प्रश्न 17.
काशी में किसके आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है ?
(क) नृत्य
(ख) संगीत
(ग) घुड़दौड़
(घ) शहनाईवादन
उत्तर :
(ख) संगीत।
प्रश्न 18.
काशी में मरण को भी क्या माना गया है ?
(क) मंगल
(ख) अमंगल
(ग) दुखदायी
(घ) सुखदायी
उत्तर :
(क) मंगल।
प्रश्न 19.
बिस्मिल्ला खाँ को भारत सरकार ने कौन-सा सम्मान प्रदान किया ?
(क) पद्भूषण
(ख) संगीत सम्माट
(ग) भारत रल्न
(घ) परमवीर चक्र
उत्तर :
(ग) भारत-रत्ल।
प्रश्न 20.
अलीबखश के घर का खानदानी पेशा क्या है ?
(क) नृत्य
(ख) संगीत
(ग) शहनाईवादन
(घ) लेखन
उत्तर :
(ग) शहनाईवादन।
प्रश्न 21.
बिस्मिल्ला खाँ का ननिहाल कहाँ था ?
(क) राँची
(ख) डुमराँव
(ग) बिहार
(घ) काशी
उत्तर :
(घ) काशी।
प्रश्न 22.
शहनाई में लगनेवाली रीड कहाँ पाई जाती है ?
(क) सोन नदी के किनारे
(ख) गंगा नदी के किनारे
(ग) यमुना नदी के किनारे
(घ) इनमें से कहीं नहीं
उत्तर :
(क) सोन नदी के किनारे।
प्रश्न 23.
बिस्मिल्ला खाँ के परदादा का नाम क्या था ?
(क) सादिक हुसैन
(ख) उस्ताद सलार हुसैन खाँ
(ग) अलीबखा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) उस्ताद सलार हुसैन खाँ।
प्रश्न 24.
बिस्मिल्ला खाँ रियाज के लिए कहाँ जाते थे ?
(क) बजरंग बली-मंदिर
(ख) मस्जिद
(ग) बालाजी-मंदिर
(घ) रसूलन बाई के घर
उत्तर :
(ग) बालाजी-मंदिर
प्रश्न 25.
सुषिरवाद्यों में किसे ‘शाह’ की उपाधि दी गई है ?
(क) तुरही को
(ख) रणभेरी को
(ग) शहनाई को
(घ) बाँसुरी को
उत्तर :
(ग) शहनाई को।
प्रश्न 26.
प्रभाती की मंगल-ध्वनि का संपूरक कौन है ?
(क) बाँसुरी
(ख) शहनाई
(ग) अलगोजा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) शहनाई।
प्रश्न 27.
मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ शहनाई पर क्या बजाते हैं ?
(क) भीमपलासी
(ख) मुलतानी
(ग) नौहा
(घ) कल्याण
उत्तर :
(ग) नौहा।
प्रश्न 28.
बिस्मिल्ला खाँ ने किन गायिका बहनों का उल्लेख किया है ?
(क) रसूलन और बतूलन
(ख) रसूलन और सुरैया
(ग) सुरेया और बतूलन
(घ) इनमें से किसी का नहीं
उत्तर :
(क) रसूलन और बतूलन।
प्रश्न 29.
‘नौबतखाने में इबादत’ की विधा क्या है ?
(क) संस्मरण
(ख) कहानी
(ग) व्यक्ति-चित्र
(घ) निबंध
उत्तर :
(ग) व्यक्ति-चित्र।
प्रश्न 30.
निम्नलिखित में से कौन-सा वाद्य बिस्मिल्ला खाँ बजाते थे?
(क) मुरली
(ख) बंशी
(ग) मुरह्दुंग
(घ) शहनाई
उत्तर :
(घ) शहनाई।
प्रश्न 31.
संगीत के प्रति ललक के कारण बिस्मिल्ला खाँ की तुलना किससे की गई है ?
(क) हिरण
(ख) तानसेन
(ग) बैजूबाबरा
(घ) नरहरिदास
उत्तर :
(क) हिरण।
प्रश्न 32.
निम्नलिखित में से कौन काशी के रसिकों में नहीं है ?
(क) कंठे महाराज
(ख) विद्याधरी
(ग) मौजुद्दीन खाँ
(घ) गुलाम अली
उत्तर :
(घ) गुलाम अली।
प्रश्न 33.
लेखक ने ‘नायाब हीरा’ किसे कहा है ?
(क) केठे महाराज को
(ख) बिस्मिल्ला खाँ को
(ग) इमाम हुसैन को
(घ) सादिक् हुसैन को
उत्तर :
(ख) बिस्मिल्ला खाँ को।
प्रश्न 34.
काशी में कौन दोनों एक-दूसरे के पूरक रहे हैं ?
(क) संगीत और साहित्य
(ख) अदब और रियाज
(ग) बाबा विश्वनाथ और विसिमलल्ला खाँ(घ) देशी घी और कचौड़ी-जलेबी
उत्तर :
(ग) बाबा विश्वनाय और बिस्मिल्ला खाँ।
प्रश्न 35.
मुहर्रम में कितने दिनों का शोक मनाया जाता है ?
(क) सात
(ख) आठ
(ग) नौ
(घ) दस
उत्तर :
(घ) दस।
प्रश्न 36.
शहनाई बजाने के लिए किसका प्रयोग होता है ?
(क) रस्सी
(ख) रीड
(ग) नौबतखाना
(घ) ज्योढ़ी
उत्तर :
(ख) रीड।
प्रश्न 37.
पक्का महाल इलाका कहाँ है ?
(क) काशी
(ख) इलाहाबाद
(ग) दिल्ली
(घ) देहरादून
उत्तर :
(क) काशी।
प्रश्न 38.
बिस्मिल्ला खाँ हमेशा किसकी प्रेरणा देते रहे ?
(क) संगीत की
(ख) मुहरंम मनाने का
(ग) भाईचारे का
(घ) कौमी एकता का
उत्तर :
(ग) भाईचारे का।
प्रश्न 39.
नागस्वरम् कहाँ का वाद्य है ?
(क) दक्षिण भारत का
(ख) उत्तर भारत का
(ग) पूर्जी भारत का
(घ) पश्चिमी भारत का
उत्तर :
(क) दक्षिण भारत का।
प्रश्न 40.
‘नय’ का क्या अर्थ है ?
(क) नया
(ख) शहनाई
(ग) फूँककर बजाया जानेवाला वाद्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) फूंककर बजाया जानेवाला वाद्य।
प्रश्न 41.
बिस्मिल्ला खाँ खुदा से क्या माँगते हैं ?
(क) खुशी
(ख) श्रोताओं की खुशी
(ग) एक अच्छी शहनाई
(घ) एक सच्चा सुर
उत्तर :
(घ) एक सच्चा सुर।
प्रश्न 42.
सुषिरवाद्यों में किसे ‘शाह’ की उपाधि दी गई है ?
(क) तुरही
(ख) रणभेरी
(ग) बाँसुरी
(घ) शहनाई
उत्तर :
(घ) शहनाई।
प्रश्न 43.
‘नागस्वरम्’ कहाँ का वाद्ययंत्र है ?
(क) दक्षिण भारत का
(ख) उत्तर भारत का
(ग) पूर्वी भारत का
(घ) पश्चिमी भारत का
उत्तर :
(क) दक्षिण भारत का।
प्रश्न 44.
भीमपलासी और मुलतानी के नाम हैं ?
(क) मिद्टी
(ख) गायिका बहनों
(ग) राग
(घ) स्थान
उत्तर :
(ग) राग।
प्रश्न 45.
संगीत के प्रति ललक के कारण बिस्मिल्ला खाँ की तुलना किससे की गई है ?
(क) हिरण
(ख) तानसेन
(ग) बैजूबावरा
(घ) नरहरिदास
उत्तर :
(क) हिरण।
प्रश्न 46.
काशी में कौन एक-दूसरे के पूरक रहे हैं ?
(क) संगीत और साहित्य
(ख) अदब और रियाज
(ग) बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ
(घ) कचौड़ी-जलेबी
उत्तर :
(ग) बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ।
प्रश्न 47.
शहनाई में लगनेवाली रीड कहाँ पाई जाती है ?
(क) सोन नदी के किनारे
(ख) गंगा नदी के किनारे
(ग) यमुना नदी के किनारे
(घ) इनमें से कहीं नहीं
उत्तर :
(क) सोन नदी के किनारे।
प्रश्न 48.
अमीरूद्दीन के मामाद्वय का नाम क्या था ?
(क) सादिक हुसैन – शमसुद्दीन
(ख) अलीबख़ा – शमसुद्दीन
(ग) सादिक हुसैन – अलीबखा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) सादिक हुसैन – अलीबखा।
प्रश्न 49.
बिस्मिल्ला खाँ का मतलब –
(क) बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई
(ख) शहनाईवादक
(ग) भारत-रल्न
(घ) गंगा-जमुनी संस्कृति
उत्तर :
(क) बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई।
प्रश्न 50.
गीताबाली और सुलोचना कौन थी ?
(क) गायिका
(ख) अभिनेत्री
(ग) हलवाइन
(घ) शिष्या
उत्तर :
(ख) अभिनेत्री।
प्रश्न 51.
‘नौबतखाने में इबादत’ निबंध में किस समय के काशी का वर्णन है ?
(क) 1906-1912 ई० का
(ख) 1912-1918 ई० का
(ग) 1916-1922 ई० का
(घ) 1918-1920 ई० का
उत्तर :
(ग) 1916-1922 ई० का।
प्रश्न 52.
बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम क्या था ?
(क) अलाउद्दीन
(ख) ग्यासुद्दीन
(ग) अलबसूनी
(घ) अमीरूद्दीन
उत्तर :
(घ) अमीरूहीद्दीन
प्रश्न 53.
‘भारत-रत्न’ का पुरस्कार किसको मिला था ?
(क) रंग्या को
(ख) बिस्मिल्ला खाँ को
(ग) भंबल दा को
(घ) लहना सिंह को
उत्तर :
(ख) बिस्मिल्ला खाँ को।
प्रश्न 54.
गंगा-यमुनी संस्कृति का आशाय है ?
(क) हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति
(ख) मिली-जुली संस्कृति
(ग) भ्रष्ट संस्कृति
(घ) खिचड़ी संस्कृति
उत्तर :
(क) हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति।
प्रश्न 55.
बिस्मिल्ला खाँ की मृत्यु हुई थी ?
(क) 2015 ई० में
(ख) 2009 ई० में
(ग) 2006 ई० में
(घ) 2001 ई० में
उत्तर :
(ग) 2006 ई० में।
प्रश्न 56.
लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सिल जाएगी – वक्ता कौन है ?
(क) रंगैख्या
(ख) अलीबखा
(ग) बिस्मिल्ला खाँ
(घ) सलार हुसैन
उत्तर :
(ग) बिस्मिल्ला खाँ।
प्रश्न 57.
दुनिया कहती है –
(क) यह काशी है
(ख) सन् 2000 की बात है
(ग) बजा, बजा
(घ) ये बिस्मिल्ला खाँ हैं
उत्तर :
(घ) ये बिस्मिल्ला खाँ हैं।
WBBSE Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Summary
लेखक – परिचय
यतींन्द्र मिश्र का जन्म सन् 1977 में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से हिंदी में एम. ए. की उपाधि प्राप्त की। ये स्वतंत्र-लेखन के साथ-साथ एक अर्द्धवार्षिक पत्रिका के संपादन के कार्य के अतिरिक्त एक सांस्कृतिक संस्था ‘विमला देवी फांउडेशन’ का भी संचालन कर रहे हैं। यह संस्था सन् 1999 से ही साहित्य तथा कला के क्षेत्र में प्रोत्साहन का कार्य कर रही है।
प्रमुख रचनाएँ :- ‘यदा-कदा’, ‘अयोध्या तथा अन्य कविताएँ’, ‘डयोढ़ी पर आलाप’ के अलावे शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन तथा उनकी संगीत-साधना पर एक पुस्तक ‘गिरिजा’।
संपादन-कार्य :- रीतिकाल के अंतिम प्रमुख कवि ‘द्विजदेव-ग्रंथावली’ का सह-संपादन : कुँवर नारायण पर केंद्रित दो पुस्तकों के अतिरिक्त रूपकर कलाओं पर केंद्रित पुस्तक ‘थाती’ का भी संपादन।
पुरस्कार व सम्मान :- हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल कविता सम्मान, ॠतुराज सम्मान।
शब्दार्थ
पृष्ठ संख्या – 63
- ङ्योढ़ी = बरामदा।
- नौबतखाना = वह स्थान जहाँ बैठकर शहनाई बजाई जाती है।
- मंगल ध्वनि = शुभ ध्वनि।
- राग = संगीत व धुन को समय के अनुसार गाने व बजाने की शैली। भौमपलासी,
- मुलतानी = रागों के नाम।
- वाज़िब = सही।
- लिहाज = मायने, माने।
- गोया = बल्कि।
- मामाद्वय = दो मामा।
- शहनाई वादक = शहनाई बजानेवाले।
- रियासत = जमींदारों, राजाओं।
- रोजनामचे = (रूटीन) रोज का कार्यक्रम। कल्याण, ललित,
- भैरव = रागों के नाम।
- महत्ता = महत्व।
- वाद्य = बाजा।
- परदादा = दादा के पिता।
- उस्ताद = गुरू।
- साहबजादे = पुत्र।
- मसलन = जबकि।
- रियाज = अभ्यास। ठुमरी, ठपे,
- दादरा = संगीत की शैली।
- मार्फत = द्वारा।
- आसक्ति = लगाव।
- अबोध = जिसे बोध, ज्ञान न हो।
- उकेरी = लिखा।
पृष्ठ संख्या – 64
- उत्तरार्द्ध = बाद वाले समय में। शृंगी,
- मुरहंग = एक प्रकार का वाद्य।
- चैती = लोकसंगीत का एक प्रकार जो चैत्र महीने में गाया जाता है।
- मंगल = शुभ।
- परिवेश = वातावरण।
- प्रयुक्त = प्रयोग में लाया गया।
- प्रभाती = प्रातः काल गाया जाने वाला राग।
- संपूरक = पूरा करने वाला।
- सुर रहे हैं = गा रहे हैं।
- नेमत = । सजदे = प्रार्थना, इबादत।
- बखा दे = प्रदान कर दे ।
- तासीर = प्रभाव।
- यकीन = विश्वास।
- मेहरबान = खुश।
- मुराद = इच्छा।
- ऊहापोहों = असमंजस, दुविधा।
- दुश्चिंताओं = बुरी चिंताओं |
- तिलिस्म = जादू ।
- महक = सुगंध।
पृष्ठ संख्या – 65
- गमक = खुशबू ।
- तमीज = व्यवहार।
- सलीके = अच्छी तरह से।
- शिरकत = शामिल।
- निषेध = मना।
- शहादत = बलिदान।
- अजादारी = ताजियया-यात्रा, ताजिया निकाला जाता है।
- गमजदा = शोक से भरा।
- माहौल = वातावरण ।
- सुकून = निश्चिंतता, आराम।
- जुनून = दीवानापन।
- पसंदीदा = मनपसंद।
- बदस्तूर = पहले की तरह ।
- कायम = चालू।
- नैसर्गिक = स्वर्गीय ।
- खारिज = रह ।
- दाद = शाबासी।
- हासिल = प्राप्त।
पृष्ठ संख्या – 66
- मेहनताना = पारिश्रमिक काम करने के बदले प्राप्त धन।
- कलकलाते = खौलते।
- आरोह-अवरोह = उतार-चढ़ाव।
- रियाजी = अभ्यास करनेवाले।
- संकटमोचन = संकट को दूर करने वाले, बजरंगबली।
- मजहब = धर्म
- अपार = जिसका पार न पाया जा सके।
- पुश्तों = पीढ़ियों।
- शहनाईवाज = शहनाई बजाने वाले।
- तालीम = शिक्षा।
- अदब = इज्ज़त।
- जन्नत = स्वर्ग।
- आनंदकानन = आनंद की फुलवारी।
पृष्ठ संख्या – 67
- तहजीब = संस्कृति।
- विशिष्ट = विशेष।
- सरगम = सातों सुर ।
- बेताले = बिना ताल के
- परवरदिगार = अल्लाह।
- नसीहत = उपदेश।
- करतब = करिश्मा।
- अजान की तासीर = नमाज का प्रभाव।
- सरताज = सिर का ताज।
- भारतरत्म = भारत सरकार द्वारा साहित्य, कला आदि के क्षेत्र में दिया जानेवाला सबसे बड़ा पुरस्कार ।
- तहमद = लुंगी।
- खलती = बुरी लगती है ।
- शिद्धत = समय।
- संगतियों = संगीत में साथ देने वाले ।
पृष्ठ संख्या – 68
- लुप्त = गायब।
- थापों = थपकी ।
- नायाब = दुर्लभ।
- कौमों = धर्मों, जातियों।
- मानद = सम्मान में दिया गया।
- अजेय = जिसे जीता न जा सके ।
- रसिकों = प्रेमियों।
- जिजीविषा = प्रचंड इच्छा।
- एकाधिकार = एक का अधिकार।