WBBSE Class 10 Geography Solutions Chapter 6 उपग्रह प्रतिबिम्ब एवं स्थलाकृतिक मानचित्र

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WBBSE Class 10 Geography Chapter 6 Question Answer – उपग्रह प्रतिबिम्ब एवं स्थलाकृतिक मानचित्र

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
किस मानचित्र में समोच्च रेखा द्वारा भूप्रकृति को प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर :
अधुनिक शैली के मानचित्र।

प्रश्न 2.
आधुनिक शैली के मानचित्र में कितने रंगो का प्रयोग होता है ?
उत्तर :
आधुनिक शैली के मानचित्र में सात रंगों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 3.
टोपोग्राफिकल मैप क्या है ?
उत्तर :
प्रयाप्त मात्रा में विहीत मापनी पर बना कोई मानचित्र जिसमें अंकित लक्षण की आकृति एवं स्थिति को देखकर धरातल को पहचाना जा सकता है इसे टोपोग्राफिकल मैप कहते हैं।

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प्रश्न 4.
सैटेलाइट इमेजरी क्या है ?
उत्तर :
सैटेलाइट इमेजरी उपम्रहों द्वारा एकत्र किये गये प्रतिबिम्ब होते हैं।

प्रश्न 5.
भू-वैचित्र-सूचना मानचित्र की दो विशेषताओं का उल्लेख करें ?
उत्तर :
(i) इस मानचित्र को बड़ी सरलता से समझा जा सकता है, इसमें दिखाये गये अलग-अलग क्षेत्रों को अलगअलग सांकेतो या रंगों से दर्शाया जाता है।
(ii) यह छोटे मापनी पर बनाया जाता है।

प्रश्न 6.
उपग्रह मानचित्र के महत्व लिखो।
उत्तर :
(i) उपग्रह मानचित्र कृत्रिम उपग्रह के द्वारा लिया जाता है,
(ii) उपग्रह मानचित्र छोटे मापनी पर बना होता है।

प्रश्न 7.
उपग्रह प्रतिबिम्ब का दो महत्व बताएँ।
उत्तर :
(i) उपग्रह प्रतिविम्ब विद्युत चुम्बकीय ऊर्जो पर आधारित है।
(ii) उपग्रह प्रतिबिम्बों की विद्युतीय सर्वेक्षकों का प्रयोग आर्किक ऊर्जा पर आधारित है।

प्रश्न 8.
वायु फोटो चित्रों के दो गुण लिखो।
उत्तर :
(i) वायु फोटो चित्र किसी क्षेत्र की भौतिक व सांस्कृतिक दृश्यभूमियों (Lańdscaps) के सम्बन्ध में अपेक्षाकृत अधिक अभिनव (up-to-date) सुचनाएँ प्रकट करते हैं। पाठको की सुविधा को लिए प्राय: वायु फोटोचित्रों पर उनका दिनांक व समय लिख दिया जाता है।
(ii) वायु फोटोचित्र में किसी विवरण की परछाई से उस विवरण की ऊँचाई ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 9.
भू-स्थैनिक उपग्रह क्या है ?
उत्तर :
मानव द्वारा निर्मित वह उप्रह जो पृथ्वी की कक्षा में स्थित होकर चारो ओर चक्कर लगाती है उसे भू-स्थैनिक उपग्रह कहते है।

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प्रश्न 10.
धरातल पर दो स्थानों के बीच की दूरी तथा मानचित्र पर उन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी के अनुपात को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
मापनी (Scale) कहते हैं।

प्रश्न 11.
एक इंची भू-पत्रक या भू-आकृतिक मानचित्र का स्केल क्या है?
उत्तर :
1: 50,000

प्रश्न 12.
भारत में स्थलाकृतिक मानचित्र का प्रकाशन कौन करता है ?
उत्तर :
भारतीय सर्वेक्षण विभाग, देहरादून।

प्रश्न 13.
कौन सेंसर सौर परावर्तन की सहायता से सूचनाएँ एकत्रित करता है ?
उत्तर :
सोलर सेल।

प्रश्न 14.
एक स्थलाकृतिक मानचित्र पर सुरक्षित एवं रक्षित वन को दर्शाने के लिए किस रंग का उपयोग होता है ?
उत्तर :
हरे रंग का।

प्रश्न 15.
इसरो के द्वारा छोड़े गए एक उपग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर :
PSLV – C35

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प्रश्न 16.
B.M से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
Bench Mark ऊँचे वृक्ष, पत्थर या इमारत पर लगाया गया निशान जो उस स्थान की ऊँचाई बताता है।

प्रश्न 17.
भारतीय भू-सर्वेक्षण का मुख्यालया कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर :
कोलका में।

प्रश्न 18.
शौरेन क्या है ?
उतर :
शौरेन वायु फोटोग्राफी एक उपकरण है।

प्रश्न 19.
मापक में प्राथमिक विभाग क्या दिखाता है ?
उत्तर :
दीर्घ दूरी को।

प्रश्न 20.
ISRO का पुरा नाम लिखिए।
उत्तर :
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation)।

प्रश्न 21.
G.I.S. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
भौगोलिक सूचना तंत्र (Geographical Information System)।

प्रश्न 22.
भू-पत्रक में प्राकृतिक वसस्पति को किस रंग द्वारा दिखाया जाता है ?
उत्तर :
गहरा पीला।

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प्रश्न 23.
एक इंच पत्रक का अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार बताइए।
उत्तर :
15

प्रश्न 24.
स्थलाकृति मानचित्र में जलीय स्वरूप को किस रंग द्वारा दिखाया जाता है।
उत्तर :
नीला।

प्रश्न 25.
किस वायु फोटो चित्र के द्वारा वृक्षों के नीचे रखी हुई वस्तुओं को पहचाना जा सकता है ?
उत्तर :
तिर्यक वायु फोटो चित्र द्वारा।

प्रश्न 26.
LANDSAT श्रृंखला के अन्तर्गत कुल उपग्रह छोड़ा गया।
उत्तर :
छः।

प्रश्न 27.
R. F. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
प्रतिनिधि भिन्न (Representative Fraction)।

प्रश्न 28.
GSI की स्थापना कब हुई ?
उत्तर :
1851 ई०।

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प्रश्न 29.
भारतीय भू-सर्वेक्षण का मुख्यालया कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर :
कोलकाता में।

प्रश्न 30.
Digital Mapping Centre (अंकीय मानचित्र केन्द्र) कहाँ स्थापित है ?
उत्तर :
हैदराबाद में।

प्रश्न 31.
NASA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
National Aeronacitics and Space Administration.

प्रश्न 32.
किस विद्वान ने सर्वप्रथम फोटोग्राफीय सर्वेक्षण किया था।
उत्तर :
लुसिडाल्ट ने।

प्रश्न 33.
आधुनिक शैली के मानचित्रों में कितने रंगों का प्रयोग होता है ?
उत्तर :
इसमें लगभग 7 रंग का प्रयोग होता है।

प्रश्न 34.
ऊर्जा का प्राकृतिक स्रोत क्या है ?
उत्तर :
ऊर्जा का प्राकृतिक स्रोत सूर्य है।

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प्रश्न 35.
डिजिटल नम्बर क्या होता है ?
उत्तर :
Digitat number एक पंक्ति एवं स्तंभ के क्रमानुसार व्यवस्थित होते है, जिन्हें digital images किया जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
उपग्रह प्रतिबिम्ब से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
उपग्रह प्रतिबिम्ब (Satellite imagery) : कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके अंश का प्रतिबिम्ब ही उपग्रह प्रतिबिम्ब कहलाता है।

प्रश्न 2.
स्थलाकृतिक मानचित्र की परिभाषा लिखिये।
उत्तर :
स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical maps) : पर्याप्त मात्रा में बड़ी मापनियों पर बने ऐसे मानचित्र, जिनमें प्रदर्शित लक्षणों को देखकर क्षेत्र में उन लक्षणों की पहचान की जा सके स्थलाकृतिक मानचित्र या स्थलाकृतिक अंश चित्र कहलाते है । ये मानचित्र भिन्न-भिन्न देशो के राष्ट्रीय सर्वेक्षण विभागों के द्वारा किए गए स्थालाकृतिक एवं भूगणितीय सर्वेक्षणों पर आधारित होते हैं। इसके द्वारा भौतिक एवं मानवीय दोनो प्रकार के लक्षणों का प्रदर्शन होता है। स्थलाकृतिक मानचित्र में रूढ़ चिन्हों की सहायता से विवरणों को प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 3.
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग को परिभाषित करें।
उत्तर :
सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग वह है जो कम्प्यूटर और सहायक उपकरणों की सहायता से ज्ञान का प्रसार करता है। इसके अन्तर्गत कम्प्यूटर, संचार प्रौद्योगिकी तथा प्रौद्योगिकी के विकास का प्रारम्भ 1994 ई० की अन्तर्राष्ट्रीय संधि के बाद हुआ।

प्रश्न 4.
दूर संवेदन क्या है ?
उत्तर :
दूर संवेदन का तात्पर्य काफी दूरी से सूचना प्राप्त करना है। इस प्रक्रिया में वस्तु को बिना स्पर्श किए ही उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।

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प्रश्न 5.
सैटेलाइट इमेजरी के दो महत्व का उल्लेख करो
उत्तर :
(i) उपग्रह प्रतिविम्ब विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा पर आधारित है।
(ii) उपग्रह प्रतिबिम्बों की विद्युतीय सर्वेक्षकों का प्रयोग आर्किक ऊर्जा पर आधारित है।

प्रश्न 6.
उपग्रह चित्रण की दो विशेषताएँ बताएँ ?
उत्तर :
(i) ये चित्र बहुत बड़े क्षेत्र का चित्रण करते हैं।
(ii) उपग्रह सापेक्ष की आवृति बहुत अधिक है।

प्रश्न 7.
टोपोग्रांफिकल मैप क्या है ?
उत्तर :
मापनी पर तैयार किया चित्र जो धरातल की व्याख्या करता है, टोपोग्राफिकल मैप या स्थलाकृति मानचित्र कहते हैं।

प्रश्न 8.
सैटेलाइट इमेजरी क्या है ?
उत्तर :
उपम्रह द्वारा लिया गया चित्र जो धरातल के प्रत्येक वस्तु की सूक्ष्म व्याख्या करता है, सैटेलाइट इमेजरी कहते है।

प्रश्न 9.
Pixed क्या है ?
उत्तर :
Pixed किसी कम्यूटर स्क्रीन में बनने वाला सबसे छोटा इकाई है।

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प्रश्न 10.
सेन्सर क्या हैं ?
उत्तर :
सेन्सर (संवेदक) यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी भौतिक राशि को मापने का कार्य करता है तथा इसे एक ऐसे संकेत में परिवर्तन कर देता है, जिसे किसी प्रवेक्षण या यंत्र के द्वारा पढ़ा जा सके, जैसे पारे से भरा थर्मामीटर।

प्रश्न 11.
EMR क्या हैं ?
उत्तर :
EMR (इंडोस्कोपिक श्लैष्मिक लकीर) : EMR में असमान्य उत्तको और घावों को हटाने की प्रक्रिया हैं।

प्रश्न 12.
Satellite Imagery क्या हैं ?
उत्तर :
उपग्रह चित्रण (Satellite Imagery) : पृथ्वी से लिया गया अन्य ग्रहों के प्रतिविम्ब को उपग्रह चित्रण कहा जाता हैं जिसका प्रयोग सरकार द्वारा किया गया है।

प्रश्न 13.
दृश्य स्पेक्ट्रम क्य है ?
उत्तर :
सूर्य के प्रकाश वर्ण-पट्ट(spectrum) में लाल रंग से लेकर बैगनी रंग की किरणें दिखाई पड़ती है। अत: इस वर्णपट्ट को दृश्य स्पेक्रम (Visible spectrum) कहते हैं। दृश्य स्पक्ट्रम के लाल रंग की किरणों का तरंग दैर्ष्यWave length) का सर्वीधिक मान लगभग 7.8 × 10-7 मीटर एवं बेगना रंग की किरणों में न्यूनतम तरंग दैर्घ्य Wave length) का मान 4 × 10-7 मीटर के बीच होता है।

प्रश्न 14.
मापक क्या है ?
उतर :
मानचित्र पर प्रदर्शित दूरी तथा भूमि पर वास्तविक दूरी के अनुपात को मापक या मापनी कहा जाता है।

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प्रश्न 15.
प्रमुख मापक का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • कथानात्मक मापक
  • प्रदर्शक भिन्न
  • रेखिक मापक।

प्रश्न 16.
क्रेब क्या है ?
उत्तर :
क्रेब : हवाई सर्वेक्षण करते समय वायुयान को पूर्व निश्चित मार्ग पर उड़ाया जाता है, परन्तु कभी-कभी दायें या बायें की ओर की तेज पवन के कारण वायुयान निश्चित उड़ान या मार्ग से विचलित हो जाती है तथा कैमरे की स्थिति एवं उड़ान रेखा के सामंजस्य में अन्तर उत्पन्न हो जाता है जिसे क्रेब या क्रेबन कहते हैं।

प्रश्न 17.
भू-पत्रक क्या है ?
उत्तर :
भू-पत्रक : स्थलाकृतिक मानचित्र को स्थलाकृतिक सर्वेक्षण पत्रक ही भू-पत्रक कहा जाता है। यह एक दीर्घ मापन पर बनाया गया बहुउद्देशीय मानचित्र है तथा भूपटल के छोटे से भाग को दिखाता है। इस पर प्राकृतिक लक्षण जैसे धरातल, जलप्रवाह एवं वनस्पति आदि तथा मानवीय लक्षण जैसे – गाँव, नगर, सड़कें, रेलवे, नहरें आदि को दिखाया जाता है।

प्रश्न 18.
सुदूर-संवेदन (Remote Sensing) कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
सुदूर-संवेदन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है –
(i) निष्क्रय तंत्र
(ii) सक्रिय तंत्र।

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प्रश्न 19.
पेटोग्राफ क्या है ?
उत्तर :
मानचित्र के विवर्धन एवं लघुकरण हेतु पेटोग्राफ उपकरण को प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 20.
‘शौरेन’ की विशेषता क्या है ?
उत्तर :
शौरेन वायु फोटोग्रांफी का एक उपकरण है जिसकी सहायता से यह ज्ञात किया जाता है कि किसी फोटो चित्रों को खींचते समय वायुयान की सही-सही स्थिति क्या है।

प्रश्न 21.
उपग्रह प्रतिविम्ब का दो उपयोगिता बताएँ।
उत्तर :
उपग्रह प्रतिावम्ब के द्वारा मौसम विज्ञान तथा जैविक विविधता संरक्षण का पता बल जाता है।

प्रश्न 22.
भू-पत्रक में रेलवे लाइन और सड़क को दिखलाने के लिए किस रंग का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
(i) रेलवे लाइन को काला से।
(ii) सड़क मार्ग लाल से।

प्रश्न 23.
वायु फोटो चित्र कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर :
वायु फोटो चित्रों को निम्न दो प्रकार से बताया गया है।
(i) तिर्यक वायु फोटो चित्र ।
(ii) उर्ध्वाधर वायु फोटो चित्र।

प्रश्न 24.
उपग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर :
उपग्रह वह पदार्थ है जो एक दूसरे पदार्थ के चारो और चक्कर लगाते रहते है जैसे- चन्द्रमा प्राकृतिक उपग्रह पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इसी प्रकार मानव निर्मित उपग्रह सुदूर संवेदी अध्ययनो, संचार, दूरभिति उद्देश्य के लिए स्थापित अंतरिक्ष में किए जाते है।

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प्रश्न 25.
फोटोग्राफिक इमेज क्या है ?
उत्तर :
फोटोग्राफिक इमेज (image) दो शब्दों से मिलकर बना है। फोटोग्राफिक प्रक्रिया में ऊर्जा विचरण का संसूचक तथा अभिलेखन प्रकाश संवेदी फिल्म द्वारा किया जाता है। दूसरी ओर, स्कैनिंग उक्तियाँ प्रतिबिम्बों को अंकित रूप में प्राप्त करती है। इमेज (प्रतिबिम्ब) वह है, जो किसी क्षेत्र विशेष को संसूचित व अभिलिखिए की गई ऊर्जा का चित्र रूप में प्रदर्शन करता है।

प्रश्न 26.
उपग्रह प्रतिबिम्ब से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके अंश का प्रतिबिम्ब ही उपग्रह प्रतिबिम्ब (Satellite imagery) कहा जाता है।

प्रश्न 27.
स्थलाकृतिक मानचित्र किसे कहते हैं ?
उत्तर :
पर्याप्त मात्रा में बड़ी मापनियो पर बने ऐसे मानचित्र, जिनमें प्रदर्शित लक्षणों को देखकर क्षेत्र में उन लक्षणों की पहचान की जा सके स्थलाकृतिक मानचित्र या स्थलाकृतिक अंश चित्र कहलाते है।

प्रश्न 28.
रूढ़ चिन्ह किसे कहते हैं?
उत्तर :
धरातल पत्रक मानचित्रों में भिन्न-भिन्न भौतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों के भिन्न-भिन्न संकेतों की सहायता से प्रदर्शित किया जाता है। इन संकेतों को रूढ़ चिह्न (Conventional Signs) कहते है।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
‘स्थालाकृतिक मानचित्र’ और ‘उपग्रह प्रतिबिम्ब’ में क्या अन्तर है?
उत्तर :

उपग्रह मानचित्र स्थलाकृति मानचित्र
i. उपग्रह मानचित्र कृत्रिम उपग्रह के द्वारा लिया जाता है। i. स्थलाकृति मानचित्र धरातल के स्थलाकृति का मानचित्र है।
ii. उपग्रह मानचित्र छोटे मापनी पर बना होता है। ii. स्थलाकृति मानचित्र बड़े मापनी पर बना होता हैं।
iii. उपग्रह मानचित्र में समोच्च रेखाओं का प्रयोग नहीं होता है। iii. स्थलाकृति मानचित्र में समोच्च रेखाओं का प्रयोग किया जाता है।
iv. इसमें रूढ़ चिन्हों को दिखाना संभव नहीं है। iv. इसमें रूढ़ चिन्हों को आसानी से दिखाया जाता है।
v. उपग्रह मानचित्र दिविमीय होता है। v. स्थलाकृति मानचित्र त्रिविभीय होता है।
vi. इसमें पूरे विश्व एवं उसके छोटे अंश का अध्ययन किया जाता है। vi. इसमें केवल छोटे-छोटे क्षेत्रों का अध्ययन कियाजाता है।

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प्रश्न 2.
स्थलाकृतिक मानचित्रों की तीन उपयोगिता बताइए।
उत्तर :

  1. इस मानचित्र में किसी क्षेत्र का सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है।
  2. नियोजकों, शोधनकर्त्ताओं, सैन्य अधिकारियों, यात्रियों एवं अन्वेषकों आदि को इन मानचित्रों की आवश्यकता रहती है।
  3. स्थलाकृतिक मानचित्र पर भौगोलिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों को एक विशिष्ट चिह्न के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 3.
स्थलाकृति मानचित्र क्या होते हैं ?
उत्तर :
स्थालकृतिक मानचित्र (Topographical maps) : पर्याप्त मात्रा में बड़ी मापनियों पर बने ऐसे मानचित्र, जिनमें प्रदिर्शित लक्षणों को देखकर क्षेत्र में उन लक्षणों की पहचान की जा सके स्थालकृतिक मानचित्र या स्थलाकृतिक अंश चित्र कहलाते है। ये मानचित्र भिन्न-भिन्न देशो के राष्ट्रीय सर्वेक्षण विभागों के द्वारा किए गए स्थालाकृतिक एवं भूगणितीय सर्वेक्षणो पर आधारित होते हैं। इसके द्वारा भौतिक एवं मानवीय दोनो प्रकार के लक्षणों का प्रदर्शन होता है। स्थलाकृतिक मानचित्र में रूढ़ चिन्हों की सहायता से विवरणों को प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 4.
उपग्रह प्रतिबिम्ब के तीन मुख्य उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
उपग्रह प्रतिबिम्ब के उपयोग : उपग्रह का प्रयोग सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके अंश का लघु मापनी पर मानचित्र तैयार करने में किया जाता है। इसका उपयोग बड़े पैमाने पर मौसमी विज्ञान, समुद्री विज्ञान, कृषि विज्ञान, जैविक विविधता संरक्षण वन, भूदृश्यावली- भूविज्ञान मानचित्रों वाली, क्षेत्रिय नियोजन शिक्षा आदि के क्षेत्र में किया जाता है। मानचित्रों को विभिन्न प्रकार के रंगों में दिखाया जाता है। वर्तमान समय में उपग्रह तकनीक द्वारा भूसंसाधनों के सर्वेक्षण एवं प्रबन्ध में काफी मदद मिली है। इससे भू-संसाधनों और मौसमी दशाओं के बारे में सही जानकारी कम समय एवं कम खर्च में प्राप्त कर ली जाती है। उपग्रह ग्रतिबिम्ब के उपयोग को निम्नलिखित रूपों में व्यक्त किया जाता है।

  1. उपग्रह त्तकीक में विद्युत चुम्बकीय विकिरण द्वारा निश्चित बेण्डो पर एक स्थान और समय में धरातलीय संसाधनों की जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
  2. उपग्रह से प्राप्त सूचनाएँ पिक्सल में इक्कठा हो जाता है इसलिए ये परिणामात्मक होता है।
  3. उपग्रह द्वारा सभी प्रकार की सूचनाएं समय-समय पर मिलती रहती है इससे विभिन्न तथ्यों में क्षणिक परिवर्तन को आसानी से समझता जा सकता है।
  4. उपग्रह के द्वारा अंकित प्रतिबिम्ब विशाल रूप में दिखता है।

प्रश्न 5.
भू-सूचक मानचित्र में प्रयुक्त विभिन्न पैमानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
स्थलाकृतिक मानचित्र में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के मापक :

चौथाई इंच मापन (Quarter Inch Scale) : चार डिग्री वाले मिलियम मानचित्रों को 16 भागो में विभाजित किया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक का विस्तार 10 × 10 होता है। इस पर अंग्रेजी के A से लेकर P तक के अक्षर लिख कर इसका नामकरण किया जाता है। इसका मान 1 इंच =4 मील होता है अर्थात् 1 / 4 इंच =1 मील। इसीलिए इसे चौथाई इंच धरातल पत्रक कहा जाता है। इसका विस्तार 10 × 10 होने के कारण इसे डिग्री भू-पत्रक भी कहते है।

आधा इंच मापन (Half Inch Scale): इसका मान 1″ = 2 मील अर्थात् 1 / 2 = 1 मील होता है। चौथाई इंच मानचित्र को चार भागों में विभाजित करके उस पर चार दिशाएँ यथा – N.E, S.E, S.W., N.W. आदि लिख दिया जाता है। अब इसका विस्तार 1 \(\frac{2}{0}\) अर्थात् 30 मिनट रह जाता है। इसे 53 \(\frac{J}{N.E}\), 53 \(\frac{J}{S.E}\) आदि लिखकर प्रदर्शित करते है। वर्तमान मिट्रिक प्रणाली में ये प्रदर्शक भिन्न 1: 1,25000 अर्थात् 1 सेन्टीमीटर =1.25 किलोमीटर पर बनाये जा रहे है।

एक इंच मापन (One Inch Scale) : चौथाई इंच मापन को 1 से लेकर 16 तक बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। जिससे एक इंच धरातल पत्रक बन जाते है। इसका विस्तार 15 मिनट × 15 मिनट होता है। इसका मान 1^{\circ}=1 मील होता है, इसीलिए इन्हें इंची मापन भी कहते है । ये प्र० मि० 1: 63,360 पर बने होते है। वर्तमान मीट्रिक प्रणाली में इसे प्रदर्शक भिन्न 1: 50,000 पर बनाया जाता है। अर्थात् 1 सेन्टीमीटर =\(\frac{1}{2}\) 53 \(\frac{J
}{8}\) किलोमीटर होता है। इसे 53 \(\frac{J}{8}\), 53 \(\frac{J}{12}\) आदि द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

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प्रश्न 7.
उपग्रह प्रतिबिम्ब की प्रमुख विशेषताएँ क्या है ?
उत्तर :
उपग्रह प्रतिबिम्ब की विशेषताएँ (Characteristics of Satellite Image) : उपग्रह प्रतिबिम्ब की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. उपग्रह प्रतिबिम्ब विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा पर आधारित होता है।
  2. उपग्रह प्रतिबिम्बों की विद्युतीय संवेदकों का प्रयोग कर आंकिक प्रतिबिम्ब का निर्माण कर पृथ्वी पर भेजने कार्य करता है।
  3. आंकिक प्रतिबिम्ब द्विविमीय होता है।
  4. उपप्रह प्रतिबिम्ब काफी विस्तृत क्षेत्र का निरीक्षण कर सकता है।
  5. इससे प्राप्त प्रतिबिम्ब विशुद्ध, गुणवत्तापूर्ण, रेडियो मैट्रिक रिजोलुशन एवं मिट्रिक शुद्धता से युक्त होता है।

प्रश्न 8.
स्थलाकृतिक मानचित्र में किस प्रकार के मापकों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर :
स्थलाकृतिक मानचित्र पर निम्नलिखित तीन प्रकार के मापकों का प्रयोग किया जाता है।
कथनात्मक मापक (Statement of scale) : यह स्थलाकृतिक मानचित्र में प्रयोग किया जाने वाला सबसे साधारण एवं सरल मापक है। यह मानचित्र पर की दूरी एवं धरातल पर की दूरी को कथनों या शब्दों में व्यक्त करता है।
प्रतिनिधि भिन्न (Representative Fraction or R.F.) : स्थलाकृतिक मानचित्र में इसका प्रयोग अनुपात में होता है जो मानचित्र एवं धरातल पर मापी गई दूरियों के सापेक्ष में होता है। इस भिन्न का अंश सदैव 1 होता है।
आलेखी मापक (Graphical scale) : प्रतिनिधि भिन्न के निचले भाग में स्थलाकृतिक मानचित्र आलेखी मापक बना होता है। यह निरूपक भिन्न के अनुसार ज्ञात की गई लम्बाई के बराबर मानचित्र पर एक रेखा खींचकर बनाया जा सकता है जो प्राथमिक एवं गोण में विभाजित होता है।

प्रश्न 9.
उपग्रह चित्र से तीन लाभ और तीन हानियों का उल्लेख करो।
उत्तर :
लाभ :

  • उपग्रह मानचित्र कृत्रिम उपग्रह के द्वारा लिया जाता है।
  • उपग्रह मानचित्र दिवमीय होता हैं।
  • उपम्रह में पूरे विश्व एवं उसके छोटे अंश का अध्ययन किया जाता है।

हानि :

  • उपग्रह मानचित्र छोटे मापनी पर बना होता है।
  • उपग्रह मानचित्र में समोच्य रेखाओं का प्रयोग नही होता है।
  • इसमें रूढ़ चिन्हों को दिखाना संभव नहीं है।

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प्रश्न 10.
भू-समलय उमग्रह और सूर्य समलय उपग्रह में अन्तर लिखो।
उत्तर :
भू समलय उपग्रह : वह उप्मह जो पृथ्वी की कक्षा मे पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाता है। भू समलय उपम्मह कहते हैं। सूर्य समलय उपग्रह : यह कृत्रिम उपग्रह जो सूर्य के निरीक्षण के लिए सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाता है, उसे सूर्य समलय उपग्रह कहते हैं।

प्रश्न 11.
रिमोट सेन्सिंग (सुदूर संवेदन) क्या है ?
उत्तर :
सुदूर संवेदन : किसी उपग्रह या वायुयान में रखे गए उपकरण की सहायता से विशाल क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त करना ही सुदूर संवेदन कहलाता है। इसके द्वारा किसी ऐसे स्थान की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है जो मानवीय क्षमता से परे हो। इस तकनीक के अन्तर्गत वस्तु द्वारा सौर विकिर के परावर्तित भाग को विशेष प्रकार के रिमोट सेंसरों द्वारा प्लाट किया जाता है।

प्रश्न 12.
उपग्रह प्रतिबिम्ब का महत्व दिन-प्रतिदिन क्यों बढ़ता जा रहा हैं ?
उत्तर :
उपग्रह चित्रों के माध्यम से भू विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी जानकारी प्राप्त की जाती है। उपग्रह चित्रों से खनिजों, खनिज-तेल, भूमिगत जल के भंडार की खोज की जाती है। इससे बाँध, नहर सड़कों आदि के निर्माण के लिये स्थान निर्धारण, भू-तापीय क्षेत्रों की खोज तथा भू-आकृतिक सर्वे किया जाता है। उप्रह प्रतिबिम्ब उपरोक्त क्षेत्रों से सम्बन्धित आधुनिकतम जानकारियाँ उपलब्ध कराते रहते हैं इसीलिए इनका महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 13.
सुदूर संवेदन का उपयोग कहाँ और क्यों किया जाता है ?
उत्तर :
सुदुर संवेदन का उपयोग भूमि, वन, कृषि, जल, संसाधन, खनिज, भूगर्भ आदि में किया जाता है क्योंकि इससे निम्नलिखित तथ्यों की जानकारी प्राप्त होती है।

  1. भूमि आवरण एवं भू-उपयोग के बारे में जानकारी
  2. सूखे का मूल्यांकन एवं चेतावनी
  3. वर्फ के गलने एवं बहने की जानकारी
  4. बंजर भूमि एवं जल संसाधन प्रबन्ध
  5. खनिज़ एवं वन संसाधन का सर्वेक्षण

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प्रश्न 14.
रेखिक मापक के गुण एवं दोष में अन्तर बताए।
उत्तर :
रेखिक मापक के गण एवं दोष में अन्तर –

गुण दोष
i. रेखिक मापक से दूरियाँ आसानी से मापी जाती है। i. कथनात्मक विधि की भाँति रेखिक मापक का प्रयोग भी तभी हो सकता है जब हम उस मापन प्रणाली से परिचित हों।
ii. यदि मानचित्र को फोटोग्राफी द्वारा बड़ा या छोटा किया जाय तो रेखिक मापक बड़े या छोटे किए गए मानचित्र के लिए शुद्ध करता है। ii. रेखिक मापक बनाने के लिए समय और रेखाचित्र कला में निपुणता की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 15.
सुदूर संवेदी एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
सुदूर संबेदी एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली में अन्तर :

सुदूर संवेदी भौगोलिक सूचना प्रणाली
i. उपग्रह या वायुयान में रखे गये उपकरण की सहायता से विशाल क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त सुदूर संवेदी से की जाती है। i. भौगोलिक सूचना प्रणाली एक डाटाबेस एवं उपकरण बॉक्स दोनों रूप में सेवा प्रदान करता है।
ii. इस तकनीक के अन्तर्गत वस्तु द्वारा सौर विकिरण के परावर्तित भाग को रिमोट सेंसर द्वारा प्लेट किया जाता है। ii. यह सूचना एकत्रीकरण, विकास नियंत्रण, मानचित्रकरण, स्थान चुनाव, भमि उपयोग नियोजन, भूमि विश्लेषण में काफी उपयोग होता है।

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प्रश्न 16.
भू-पत्रक के महत्व की विशेषता बतलाएँ।
उत्तर :
भू-पत्रक का महत्व (Important of Toposheet) : भू-पत्रक मानचित्र के महत्व का अनुभव इसी तथ्य से भली-भाँति लगाया जा सकता है कि भूगोलवेताओं सहित समाज के विभिन्न वर्गों के लोग जैसे सैनिक अधिकारी, प्रशासक नियोजक, शोधकर्ता यात्री एवं अन्वेषक आदि इनका भरपूर प्रयोग करते हैं। सैनिक सुरक्षा एवं आक्रमण सम्बन्धी निर्णय स्थलाकृतिक मानचित्रों के अध्ययन पर ही आधारित है। किसी देश की सेना को प्राप्त होने वाली सफलता वहाँ के सेना अधिकारियों द्वारा स्थलाकृतिक मानचित्रों के कुशल अध्ययन पर निर्भर करती है। किसी क्षेत्र की आर्थिक विकास के लिए योजना बनाते समय भी मानचित्रों का अध्ययन अति आवश्यक है।

प्रश्न 17.
प्रतिनिधि भिन्न कैसे प्राप्त होता है ?
उत्तर :
प्रतिनिधि भिन्न (Representative Fraction) : विश्व के सभी देशों में एक ही मापन प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। कथानात्मक विधि प्रणाली संबंधित देशों में ही उपयोगी होती है। इसी प्रकार की कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रतिनिधि भिन्न का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में मानचित्र की दूरी और धरातल की दूरी को एक भिन्न द्वारा प्रकट किया जाता है। इस भिन्न का अंश हमेशा एक होता है जो मानचित्र की दूरी प्रकट करता है तथा हर उसी इकाई में होता है और धरातल की दूरी पकट करता है।

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प्रश्न 18.
विभिन्न प्रकार के उपग्रह एवं उनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
उपग्रह सुदूर संवेदी का प्रथम सामान्य अनुप्रयोग मौसमी मॉनिदरिंग एवं पुर्वानुमान है। प्रथम वास्तविक मौसमी उपग्रह TIROS – । था जो संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा 1960 ई० में लांच किया गया। कई दूसरे मौसमी उपग्रह अगले पाँच वर्षों में ध्रुव निकटस्थ कक्ष में लांच किये गए जिन्होने वैश्विक मौसमी प्रतिरूप का आवृतिमूलक विस्तार प्रदान किए। 1966 ई० में NASA ने भूस्थैनिक अनुप्रयोग तकनीक उपग्रह ATS – I लांच किया जो प्रत्येक आधे घण्टे पर मेघ एवं पृथ्वी के सतह का गोलार्द्धिक प्रतिकृति प्रदान की। प्रथम बार, मौसमी तंत्र का विकास एवं घुमाव लगातार समय मॉनिटर हुआ। आज विश्व के कई देश ग्लोब के चारों ओर मौसमी स्थिति को मोंनीटर करने के लिए मौसमी उपग्रह्वे(Meteorological Setelite) चला रहे हैं।

प्रश्न 19.
वर्तमान समय में उपग्रह चित्रों की क्या उपयोगिता है ?
उत्तर :
उपग्रह प्रतिबिम्ब का उपयोग : उपग्रह प्रतिबिम्ब का प्रयोग सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके अंश का लघु मापनी पर माचित्र तैयार करने में किया जाता है। इसका उपयोग मौसम विज्ञान, समुद्री विज्ञान, मत्स्ययन, कृषि, जैव विविधता संरक्षण वन, भूदृश्यकाली भूविज्ञान, मानचित्रावली, क्षेत्रीय नियोजन शिक्षा आदि के क्षेत्र में किया जाता है। मानचित्र विभिन्न रंगो में प्रदर्सित किया जाता है। राडार प्रतिबिम्ब के द्वारा उन्नत मानचित्र बनाए (Elevation maps) बनाए जाते है।

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प्रश्न 20.
स्थलाकृतिक मानचित्र के अध्ययन की विधियों का वर्णन करें।
उत्तर :
स्थलाकृतिक मानचित्र के अध्ययन की दो विधियाँ होती है :
साधारण उपागम (Simple approach) : साधारण उपागम में मानचित्र में प्रदर्शित विवरणो की अवस्थिति (Location) का वर्णन होता है लेकिन किसी तथ्यों का विश्सेषण नहीं किया जाता। अर्थात् प्रस्तुत क्षेत्र में किसी स्थान, मार्ग, अन्य विवरणों की स्थिति को ज्ञात साधारण उपागम के माध्यम से करते है।
वैज्ञानिक उपागम (Scientific Approach) : वैज्ञानिक उपागम पर दिए हुए क्षेत्र के सम्बन्ध में उचित निष्कर्ष प्राप्त किए जाते है।

दीर्घउत्तरीय प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
वायु फोटो चित्रों के गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
वायु फोटो चित्रों के गुण :-

  1. वायु फोटोचित्र किसी क्षेत्र की भौतिक एवं सांस्कृतिक दृश्य भूमियों के संम्बन्ध में नवीनता प्रदान करती है।
  2. स्थलाकृतिक मानचित्रों में सूक्ष्म विकरणों को छोड़ दिया जाता है। जबकि वायु फोटो चित्र में धरातल के सूक्ष्मतम विवरण को भी अंकित किया जाता है।
  3. स्थलाकृतिक मानचित्रों में चिमनियाँ, भवनों, वृक्षों आदि की ऊचाईयाँ अंकित नहीं होती है जबकि वायु फोटो चित्र में किसी की परछाई से उस विविरण की ऊँचाई ज्ञात की जा सकती है।
  4. सर्वेक्षण उपकरणों की सहायता से दुर्गम क्षेत्रों के मानचित्र में कठिनाई होती है। परन्तु हवाई फोटोग्राफी में यह कार्य महत्वपूर्ण हो जाता है।
  5. इस विधि में समय के साथ-साथ खर्च में भी कमी आ जाता है।

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प्रश्न 2.
मापक प्रदर्शित करने की निम्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मानचित्र पर मापक को निम्नलिखित तीन विधियों द्वारा प्रकट किया जा सकता है :

  1. साधारण कथन विधि (Simple Statement Scale)
  2. प्रदर्शक विधि (Representative Fraction)
  3. रैखिक मापक (Linear Scale)

i. साधारण कथन विधि : इस विधि में मापक को एक कथन द्वारा व्यक्त किया जाता है।

जैसे -1 से॰मी =5 कि०मी० या 1 ईन्च = 18 मील।
1 से॰मी० =5 कि॰मी॰ का अर्थ हुआ कि मानचित्र पर 1 से॰मी॰ की दूरी धरातल पर 5 कि॰मी॰ की दूरी को दिखाता है। इसी प्रकार 1 ईन्च = 18 मील से यह अर्थ निकलता है कि मानचित्र पर 1 इन्च की दूरी धरातल पर 18 मील की दूरी के दिखाता है।
गुण :
i. यह विधि सरल है जिसे साधारण व्यक्ति आसानी से समझ सकता है।
ii. इससे दूरियों का आभास ठीक होता है।

दोष :
i. इसकी कमी यह है कि अन्य मापन प्रणाली में बदलना कठिन हो जाता है।
ii. प्रदर्शक भिन्न : भिन्न द्वारा प्रदर्शित इस मापक को प्रतिनिधि भिन्न भी कहा जाता है। इस भिन्न में अंश सदा 1 होता है, और मानचित्र पर दूरी प्रकट करता है। हर कोई भी संख्या में हो सकती है और वह धरती पर वास्तविक दूरी को दिखाता है। इस भिन्न में अंश और हर दोनों ही दूरियाँ एक ही इकाई में होती है।
इसे यो व्यक्त किया जा सकता है।

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गुण :
i. इस विधि में किसी मापन प्रणाली का प्रयोग नहीं होता।
ii. इसका उपयोग किसी भी देश में किया जा सकता है।
iii. इस मापक में एक इकाई कई इकाइयों को प्रकट करती है।

दोष :
i. गणित के प्रयोग के कारण इसे समझना कठिन होता है।
ii. इसमें किसी मापन प्रणाली का प्रयोग नहीं किया जाता है क्योंकि यह केवल भिन्न मात्र है।
iii. रैखिक मापक : इस विधि को सरल मापक विधि कहते हैं। सरल रेखा की लम्बाई साधारणतः कथन अथवा प्रदर्शक भिन्न की सहायता से गणित के आधार पर निश्चित किया जाता है। उसके बाद इस रेखा को प्राथमिक एवं गौण विभागों में ज्यमितीय ढंग से बांट दिया जाता है।

गुण :
i. इसमें मानचित्र के दो बिन्दुओं की दूरी से उसके समान ही पुष्वी पर दो बिन्दुओं की दूरी को सीधी रूप में मापा जा सकता है।
ii. सम्पूर्ण मानचित्रों के लिए यह मापक सुविधाजनक होता है।

दोष :
i. इसका उपयोग तभी संभव है जब कोई भी इससे संबंधित मापन प्रणाली को समझता हो।
ii. इसे बनाना, समझना जटिल कार्य है, अत: इसे बनाने में दक्षता का होना आवश्यक है।

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प्रश्न 3.
बहुउद्देश्यीय उपग्रह एवं उनके महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
भारत का भी उपग्रह कार्य दिशा में सराहनीय स्थान है। सन् 1975 ई० में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आर्यभट्ट नामक उपग्रह सोवियत रूस की सहायता से सर्वप्रथम अतरिक्ष में भेजा। 1979 ई० में भास्कर – । तथा 1983 ई० में भास्कर – II छोड़े गए। इसी प्रकार भारत ने APPLE नामक प्रथम भू-तुल्याकालिक उपग्रह को एरी आनेलाँच ब्हीकिल द्वारा फेन्च गुमना के कौसा प्रमोशन रेन्ज से आतंरिक्ष में स्थापित किया गया।

INSAT – 3A ISRO का सबसे आधुनिक बहुउद्देशीय उपग्रह है जो 10 अप्रैल 2003 को लांच हुआ। यह सफलता पूर्वक 93 \(\frac{1}{2}\) \(\frac{0}{2}\) पूर्व देशान्तर में अपने परिणामी भू-स्थैनिक-कक्ष में स्थित हुआ। यह Arianspace के Ariane – 5 Launch Vechicle द्वारा लांच किया गया। INSAT – 3E क्रम का तीसरा उपग्रह है। इससे पहले INSAT – 3B, 3C क्रमशः 22 मार्च 2000 एवं 24 जनवरी 2002 को, Ariane – 5 एवं Ariane – 4 द्वारा लांच किए गए। इसका सम्बन्ध दूर संचार, दूर संचार प्रसारण, मौसमी जानकारी, अन्वेषण तथा बचाव सेवा कार्य प्रदान करना है।

यूरोपियन अतंरिक्ष एंजेंसी (ESA) बहुउद्देशीय सैटेलाइट ट्रैकिंग सिस्टम का पर्दापण हो चुका था। यह तंत्र मिशन प्रकारों के एक प्रकार के लिए डाप्लर-मापन चिन्हों की व्याख्या की जाती है जिससे तंत्र की व्यवस्थाओं को रेखांकित किया जाता है । पूरे तंत्र का एक मॉडल प्रस्तुत किया जाता है एवं कुछ समान परिणामों की प्राप्ति होती है जिससे ESA के Girto एवं Hipparcas Scientific Mission द्वारा प्राप्त मापन के साथ तुलना किया जाता है।

प्रश्न 4.
उपग्रह का उपयोग एवं इसके महत्व का विवेचना कीजिए।
अथवा
उपग्रह का प्रयोग तथा इसके महत्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
उपग्रह वह पदार्थ है जो एक दूसरे पदार्थ-के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं जैसे – चन्द्रमा प्राकृतिक उपग्रह पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इसी प्रकार मानव निर्मित उपग्रह सुदूर संवेदी अध्ययनों, संचार, दूरभिति उद्देश्यों के लिए स्थापित अंतरिक्ष में किए जाते हैं।

उपग्रह प्रतिबिम्ब के उपयोग ः उपग्रह का प्रयोग सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके अंश का लघु मापनी पर मारचित्र तैयार करने में किया जाता है। इसका उपयोग बड़े पैमाने पर मौसमी विज्ञान, समुद्री विज्ञान, कृषि विज्ञान, जैविक विविधता संरक्षण वन, भूदृश्यावली-भूविज्ञान मानचित्रों वाली, क्षेत्रिय नियोजन शिक्षा आदि के क्षेत्र में किया जाता है। मानचित्रों को विभिन्न प्रकार के रंगों में दिखाया जाता है।

वर्तमान समय में उपग्रह तकनीक द्वारा भूसंसाधनों के सर्वेक्षण एवं प्रबन्ध में काफी मदद मिली है। इससे भू-संसाधनों और मौसमी दशाओं के बारे में सही जानकारी कम समय एवं कम खर्च में प्राप्त कर ली जाती है। उपग्रह प्रतिबिम्ब के महत्व इसके महत्व को निम्नलिखित रूपों में व्यक्त किया जाता है।

  1. उपग्रह तकनीक में विद्युत चुम्बकीय विकिरण द्वारा निश्चित बेण्डो पर एक स्थान और समय में धरातलीय संसाधनों की जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
  2. उपग्रह से प्राप्त सूचनाएँ पिक्सल में इक्कठा हो जाता है इसलिए ये परिणामात्मक होता है।
  3. उपग्रह द्वारा सभी प्रकार की सूचनाएं समय-समय पर मिलती रहती है इससे विभिन्न तथ्यों में क्षणिक परिवर्तन को आसानी से समझता जा सकता है।
  4. उपग्रह के द्वारा अंकित प्रतिबिम्ब विशाल रूप में दिखता है।.
  5. उपग्रह प्रतिबिम्ब में अंकित किसी छोटे आकार के विविरण को विवर्धित आकार में देखने के लिए इसमें वाइनाक्यूलर लगा होता है।

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प्रश्न 5.
भारतवर्ष में उपग्रह चित्रों के चरणबद्ध अधिग्रहण को समझाओ।
उत्तर :
भारत का भी इस दिशा में कार्य सराहनीय हैं। इसका शुभारम्भ हुआ। सन् 1975 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वे आर्यभट्ट नामक अपने प्रथम उपग्रह को सोवियत संघ की सहायता से अंतरिक्ष में प्रेषित किया 1979 ई० में भास्कर – 1,1983 में भास्कर – 2 छोड़े गए। इसी प्रकार 1981 ई० में भारत ने Apple (Ariance Passanger Payload Experiment) नामक प्रथम भू – तुल्यकालिक (geostationary) उपग्रह को एरी आनेलाँच कीकिल द्वारा फेन्च गुयाना के कौसा प्रमोशन रेन्ज थे अंतरिक्ष में स्थापित किया। इसी प्रकार भारत से INSAT 1 A, IB, le, ID छोड़ा गया।

इन्सेट -2 श्रृंखला का अन्तिम उपग्रह – 2-E है जो 3 अप्रैल 1999 को प्रक्षेपित किया गया। 1988 ई० से 1999 ई० के बिच भारत द्वारा 4 उपग्रह 1RS-1 श्रृंखला में तथा शेष 1RS-P श्रृंखला के हैं, जिससे पर्यावरण के बारे में निश्चित सूचना प्राप्त होती है। मई 2005 में ISRO ने मानचित्रीय अनुप्रयोग, भूकर मानचित्र, नागरीय एवं ग्रामोक अनुपयोग हेतु कार्टो सेट शृंखला की शुरूआत की। शस्य अनु प्रयोग, वनस्पति गतिक और प्राकृतिक संसाधनों के सदैव सर्वेक्षण हेतु रिसोर्य सेट -1 एवं 2 उपग्रह प्रक्षेपित किए गए हैं। मौसम वैज्ञानिक प्रेक्षण का कार्य इन्सेट -3 A एवं कल्पना -1 जैसे उपग्रहों से किया जा रहा हैं। समुद्रों के बारे में जानकारीOcean Sat – 2 से प्राप्त होता है।

प्रश्न 6.
उपग्रह चित्रों की विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर :
उपग्रह प्रतिबिम्ब की विशेषताए : उपग्रह प्रतिबिम्ब की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ है –

  1. उपग्रह प्रतिबिम्ब विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा पर आधारित होता है।
  2. उपग्रह प्रतिबिम्बों की विद्युतीय संवेदकों का प्रयोग कर आंकिक प्रतिबिम्ब का निर्माण कर पृथ्वी भेजने का कार्य करता।
  3. आंकिक प्रतिबिम्ब द्विविमीय होता है।
  4. उपग्रह प्रतिबिम्ब काफी विस्तृत क्षेत्र का निरीक्षण कर सकता है।
  5. इससे प्राप्त प्रतिबिम्ब विशुद्ध, गुणवतापूर्ण, रेडियों मैट्रिक रिजोलुशन एवं मिट्टिक शुद्धता से युक्त होता हैं।

प्रश्न 7.
उपग्रह चित्र क्या है? व्याख्या करो।
उत्तर :
उपग्रह चित्र या प्रतिबिम्ब (Satellite imagery) : कृत्रिम उपग्रह के माध्यम से सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके अंश का प्रतिबिम्ब ही उपग्रह प्रतिबिम्ब (Satellite imagery) कहा जाता है।
दूर संवेदन का तात्पर्य काफी दूरी से सूचना प्राप्त करता है। इस प्रक्रिया में वस्तु को बिना स्पर्श किए ही उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। भूगोल में इसके अंतर्गत वायुमण्डल में काफी ऊँचाई पर स्थित उपग्रह द्वारा पृथ्वी के विभिन्न भागों के प्रतिबिम्ब प्राप्त किए जाते है। यह तकनीक विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा पर आधारित होता है।

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प्रश्न 8.
उपग्रह चित्रों की व्याख्या के आधारभूत तत्त्व कौन-कौन हैं? इनमें रंग सामंजस्य (Tone) का विस्तृत विवरण दीजिए।
अथवा
उपग्रह प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन करों।
उत्तर :
उपग्रह प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के तरीके : वर्तमान समय में दूरस्थ संवेदी उपग्रहों से प्रतिबिम्बो की प्राप्ति हेतु कृत्रिम उपग्रह रिटर्न बीम विडिकोन (Retern Beam vidicon or RBV) कैमरों एवं बहुरंगीय क्रम वीक्षणों (Multi speetral scanners or MSS) से युक्त होते है । उपग्रह पृथ्वी से 920 कि॰मी० की ऊँचाई पर स्थापित किए जाते है जो 103 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेते है 18 दिनो तथा अन्तर पर सम्पूर्ण पृथ्वी के धरातल का चित्र प्रेषित करते है।

उपग्रह धरातल का प्रतिबिम्ब (Images) बहुरंगीय क्रमवीक्षणों में लगे चार संवेदको (Scansers) द्वारा प्राप्त करता है। जिसमें विद्युत्त चुम्बकीय वर्णक्रम (Electomagnetic spectrum) एक हरे (Green) एवं एक लाल पट्टी (Red Band) में दो लगभग अवरक्त पट्टियो में एक दूसरे के पृथ्क होते है। यह प्रतिबिम्ब इलेक्ट्रानिक विधि से धरातल पर अवस्थित प्रयोगशाला को चित्र प्रेषित करता है। ये प्रतिबिम्ब खेत-श्याम अथवा बनावटी रंगीन अवरक्त रंगो में प्राप्त किए जाते है। जिनमें से प्रत्येक 185 कि॰मी० × 185 कि॰मी॰ में समानान्तर भुजीय क्षेत्र को घेरे हुए होते है। इसका मापक : 3500000 होता है। इसे सुविधानुसार 1: 1000,000,1: 500,000 एवं 1: 250,000 के माप्रको में बदला जाता है।

प्रश्न 9.
शैली के अनुसार टोपोग्राफिकल मैप का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर :
शैली के अनुसार टोपोग्राफिकल मैप को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है :
i. आधुनिक शैली के मानचित्र : ये रंगीन मानचित्र होते है, जिन्हें ‘ a ‘ श्रेणी में रखा गया है, इनमें लगभग सात रंगों का प्रयोग किया जाता है।
ii. पुरानी शैली के मानचित्र : इस श्रेणी में वैसे स्थालाकृतिक मानचित्रों को रखा जाता है, जिसके लिए सर्वेक्षण 1905 ई० से पूर्व किया गया था। इस क्षेणी के मानचित्र केवल काले रंग में प्रकाशित किये जाते है। इस शैली में मानचित्रों को ‘C’ श्रेणी में रखा गया है।
iii. आधुनिक शैली में पुराने मानचित्र : पुराने शैली के मानचित्र में जब नवीन सर्वेक्षण से प्राप्त तथ्यों को शामिल किया गया और रंगीन रूप में प्रकाशित किया गया तो इन्हें आधुनिक शैली में पुराने मानचित्र कहा गया। इस वर्ग के मानचित्र ‘b’ श्रेणी के मानचित्र कहलाते है।

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