Detailed explanations in West Bengal Board Class 10 Geography Book Solutions Chapter 4 अपशिष्ट प्रबंधन offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 10 Geography Chapter 4 Question Answer – अपशिष्ट प्रबंधन
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
एक रेडियोधर्मी अपशिष्ट का नाम लिखिये।
उत्तर :
आणविक ऊर्जा संयंत्र।
प्रश्न 2.
प्लास्टिक किस प्रकार का अपशिष्ट पदार्थ है ?
उत्तर :
पुनर्चक्रीय अपशिष्ट।
प्रश्न 3.
ठोस अपशिष्ट का एक उदाहरण दो।
उत्तर :
प्लास्टिक।
प्रश्न 4.
बैटरी किस प्रकार का वर्ज्य पदार्थ हैं ?
उत्तर :
बैटरी जहरीला या विनाशक अपशिष्ट हैं, जिसमें रेडियेसम और टाक्सिन रहता हैं।
प्रश्न 5.
दो कृषि अपशिष्ट का नाम बतायें।
उत्तर :
(i) लकड़ी के कचरे
(ii) फसलों के डंठल।
प्रश्न 6.
CNG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
Compressed Natural Gas.
प्रश्न 7.
फ्लाई ऐश से किस इमारती वस्तु का निर्माण किया जा सकता है ?
उत्तर :
फ्लाइ ऐश इंट।
प्रश्न 8.
D.D.T. का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
D.D.T. का पूरा नाम Dichloro diphenyle Tri-chlorethane है। संयुक्त राज्य अमेरिका में यह सन् 1972 से ही प्रतिबंधित है। मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को समाप्त करने में इसका उपयोग होता है।
प्रश्न 9.
एक जैवरूप से विघटित होने वाले अपशिष्ट का नाम लिखिए।
उत्तर :
फलों एवं सब्जियों के छिलके।
प्रश्न 10.
W.H.O का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर :
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation).
प्रश्न 11.
D.D.T किस प्रकार का उर्वरक है ?
उत्तर :
D.D.T. एक रासायनिक उर्वरक है।
प्रश्न 12.
उस यन्त्र का क्या नाम है जो स्वचालित वाहनों से निकलने वाले धुएँ से विषैले पदार्थों को अलग करता है ?
उत्तर :
सीनसिनेटर।
प्रश्न 13.
हानिकारक अपशिष्टों के जमाव का विशिष्ट नाम क्या है ?
उत्तर :
आपदा अपशिष्ट (Hazard waste) या विषैला अपशिष्ट (Toxic waste)
प्रश्न 14.
विषैले अपशिष्टों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
जली बैटरियाँ, कीटनाशक, कल कारखानों से निकलने वाले हानिकारक खाद्य आदि।
प्रश्न 15.
एक ठोस वर्ज्य पदार्थ का नाम लिखे।
उत्तर :
कागज तथा प्लास्टिक।
प्रश्न 16.
तरल वर्ज्य पदार्थ के नाम बताए।
उत्तर :
मल-मूत्र।
प्रश्न 17.
गैसीय वर्ज्य-पदार्थ के नाम लिखे।
उत्तर :
कार्बन डाई अक्साइड।
प्रश्न 18.
विषैले वर्ज्य पदार्थ का नाम लिखे।
उत्तर :
कीटनाशक द्वाइयाँ।
प्रश्न 19.
किस क्षरण के कारण ठोस वर्ज्य पदार्थ मिट्टी में नीचे दब जाता है।
उत्तर :
भूक्षरण।
प्रश्न 20.
कीटनाशक रसायन से होने एक रोग का नाम लिखें।
उत्तर :
कैसर।
प्रश्न 21.
NO2 के कारण क्या होता है ?
उत्तर :
पलमानरी हेमरेज विमारी।
प्रश्न 22.
वायु प्रदूषण के कारण क्या होता है ?
उत्तर :
श्वांस लेने में कठिनाई अथवा श्वांस से सम्बन्धित बिमारी।
प्रश्न 23.
पृथ्वी पर कुल जल का कितना प्रतिशत शुद्ध जल है।
उत्तर :
लगभग 2.5 प्रतिशत।
प्रश्न 24.
हरित ग्रह प्रभाव गैस का नाम बताएँ।
उत्तर :
CO2
प्रश्न 25.
रेडियोधर्मी वर्ज्य पदार्थ को कितने भागों में बांटा गया है।
उत्तर :
तीन।
प्रश्न 26.
किसके कारण मिट्टी में अम्लीय बढ़ जाता है।
उत्तर :
वज्य पदार्थों से।
प्रश्न 27.
शहरों में जल क्यों जम जाता है।
उत्तर :
ठोस वर्ज्य पदार्थ के कारण।
प्रश्न 28.
विश्व प्रदूषण दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर :
5 जून।
प्रश्न 29.
फेंफरा का कैंसर किस प्रदूषण के कारण होता है ?
उत्तर :
हाइड्रोकार्बन के कारण।
प्रश्न 30.
हुगली नदी में बढ़ रहे एक जीवाणु का नाम लिखो।
उत्तर :
कोलीफार्म जीवाणु (Coliform bacteria)।
प्रश्न 31.
विज्ञान के प्रसार ने मनुष्य को सबसे खतरनाक कौन-सा अपशिष्ट दिया है ?
उत्तर :
रेडियोधर्मी।
प्रश्न 32.
जलीय जीव किस अपशिष्ट से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं ?
उत्तर :
तरल अपशिष्ट से।
प्रश्न 33.
गैसीय वर्ज्य पदार्थ कौन-कौन है ?
उत्तर :
(i) विषैले वर्ज्य पदार्थ।
(ii) विषरहित वर्ज्य पदार्थ।
प्रश्न 34.
कौन पदार्थ सदैव विखण्डन की प्रक्रिया से गुजरते हैं ?
उत्तर :
ठोस पदार्थ सदैव विखण्डन की प्रक्रिया से गुजरते है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
अपशिष्टों का पृथक्कीकरण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर :
अपशिष्टों का पृथक्कीकरण : ठोस अपशिष्टों का विभिन्न वर्गो में पृथक्कीकरण अपशिष्ट प्रबन्धन का एक महत्वपूर्ण तरीका है। वर्गानुसार उसके निपटारे एवं पुनर्चक्रीकरण की विधियाँ अपनाई जा सकती है। उदाहरणस्वरूप प्राकृतिक रूप से विघटित होने वाले अपशिष्ट जैसे भोजन के अंश फलो एवं सब्जियों के छिलके आदि का उर्वरक निर्माण एवं प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होने वाले अपशिष्टों जैसे धातु, काँच, प्लास्टिक आदि का पुनर्चक्रण किया जा सकता है। अपशिष्टों के सोत अर्थात् जहाँ ये उत्पन्न होते है वहीं इनके पृथक्कीकरण में आसानी रहती है। सूखे एवं गीले अपशिष्टों को अलग-अलग डस्टविन में रखना चाहिए।
अथवा
अपशिष्टों का पुन: चक्रण (Recycling) से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
खतरनाक अपशिष्टों का पुन:संसाधन में बदलना ही अपशिष्टों का पुन: चक्रण (Recycling) कहलाता है।
प्रश्न 2.
अपशिष्ट प्रबन्धन में भूमि का भराव से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
भूमि भराव (Land Fill) : अपशिष्टों के प्रबन्धन एवं निस्तारण के लिए यह आवश्यक है कि जिन पदार्थों का दोबारा उपयोग किसी भी रूप में नहीं किया जा सकता है उन्हें नीचे तल की भूमि भरने(Land Fill) के काम में ले आवे ।
प्रश्न 3.
अपशिष्ट के नवीनीकरण से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
इस्तेमाल किए गए पदार्थों का पुन: चक्रण द्वारा उपयोग की जाने वाले वस्तुओं के रूप में बदलना नवीनीकरण कहलाता है। 4. तरल वर्ज्य पदार्थ से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर :
तरल रूप में पाये जानेवाले अवशिष्ट पदार्थों, जैसे घरेलू कूड़ा-कर्कट, वाहित मल, औद्योगिक बहि:साव एवं कृषि बहि:साव आदि को तरल वर्ज्य पदार्थ कहा जाता है। जैसे – विभिन्न प्रकार के रंग, तेल, घी, दवाइयाँ आदि।
प्रश्न 5.
वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन क्या है ?
उत्तर :
वर्ज्य पदार्थ प्रबंघन : वर्तमान समय में अनियंत्रित उत्पादन तथा उपभोग के द्वारा अप्रत्याशित गति से वर्ज्य पदार्थों का उत्सर्जन हो रहा है, अतः उसे रोकने के लिए प्रभावी वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन की अत्यन्त आवश्यकता है। वर्ज्य पदार्थ के प्रभावी व्यवस्थापन में समाज के विभिन्न वर्गो के लोगों, पौर प्रतिष्ठान एवं सम्बन्धित सरकारी विभागों में आपसी समन्वय की अत्यन्त आवश्यकता है।
प्रश्न 6.
तरल वर्ज्य पदार्थ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
तरल पदार्थ : तरल रूप में पाये जाने वाले अवशिष्ट पदार्थों, जैसे – घरेलू कूड़ा, वाहित मल, औद्योगिक बहि:स्ताव एवं कृषि:स्वाव आदि को तरल वर्ज्य पदार्थ कहते हैं।
प्रश्न 7.
अपशिष्ट प्रबन्ध क्या हैं ?
उत्तर :
वर्ज्य पदार्थ प्रबन्धन : वर्तमान समय में अनियंत्रित अप्रत्याशित गति से वर्ज्य पदार्थ का उत्सर्जन हो रहा है, अतः उसे रोकने के लिए प्रभावी वर्ज्य प्रबंधन की अत्यन्त आवश्यकता हैं।
प्रश्न 8.
रेडियोधर्मी अपशष्टि क्या हैं ?
उत्तर :
रेडियाधर्मी अपशिष्ट : ये अपशिष्ट परमाणु रियेक्टर से उत्पन्न होते हैं और जलीय-जीवन तथा पास में रहनेवाले जीव-जन्तुओं तथा मनुष्य को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 9.
घरेलू वर्ज्य पदार्थ से क्या समझा जाता है ?
उत्तर :
घरेलू वर्ज्य पदार्थ : घरों से उत्सर्जित कचरे, प्लास्टिक, मल-मुत्र, सीसा, टूटे-फूटे बर्तन, कागज, फर्नीचर वर्ज्य पदार्थ हैं।
प्रश्न 10.
स्कैब्बर क्या हैं ?
उत्तर :
स्कैब्बर (Scruber) : घर में जिस वस्तु का प्रयोग कर वर्ज्य पदार्थ को नष्ट किया जाता है उसे स्कैब्बर कहते हैं।
प्रश्न 11.
दो वर्ज्य पदार्थ के दुष्परणिम लिखिए ?
उत्तर :
(i) वर्ज्य पदार्थ की गंदगी से क्रमशः रिसाव के कारण भूतल पर जल प्रदूषण होता हैं।
(ii) वर्ज्य पदार्थों की ढ़ेर से मिट्टी की अम्लीय क्षमता बढ़ जाती हैं।
प्रश्न 12.
अम्ल वर्षा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
अम्ल वर्षा (Acid Rainfall) : अम्ल वर्षा की समस्या औद्योगिक देशों में अधिक गंभीर है । अम्ल वर्षा का मुख्य कारण सल्फर-डाई-अक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड आदि है, इन गैसों का मुख्य सोत जीवाश्म ईधन का मनामाने जगह पर जलाया जाना और औद्योगिक प्रक्रियाएँ है ।
CO2 के बाद सल्फर-डाई-ऑक्साइड वायु को प्रदूषित करने वाला दूसरा महत्वपूर्ण गैस है । NO2, SO2, CH4 जैसे गैसे जब वर्षा जल में घुलकर पृथ्वी पर गिरने लगा है तो अम्ल वर्षा होती है । अम्ल वर्षा के प्रभाव फसल, पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं पर अधिक पड़ता है, कुछ चर्म रोग भी इसी कारण देखने को मिलते है।
प्रश्न 13.
दो रेडियोधर्मी अपशिष्टों का नाम लिखें।
उत्तर :
(i) यूरेनियम
(ii) इंजेक्सन की सूई।
प्रश्न 14.
वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन क्या हैं ?
उत्तर :
वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन : वर्तमान समय में अनियंत्रित उत्पादन तथा उपभोग के द्वारा अप्रत्याशित गति से वर्ज्य पदार्थों का उत्सर्जन हो रहा है, अतः उसे रोकने के लिए प्रभावी वर्ज्य पदार्थ प्रबंधन की अत्यन्त आवश्यकता है। वर्ज्य पदार्थ के प्रभावी व्यवस्थापन में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों, पौर प्रतिष्ठान एवं सम्बन्धित सरकारी विभागों में आपसी समन्वय की अत्यन्त आवश्यकता है।
प्रश्न 15.
Scruber क्या हैं ?
उत्तर :
घर में जिस वस्तु का प्रयोग कर वर्ज्य पदार्थ को नष्ट किया जाता है उसे Scruber कहा जाता है।
प्रश्न 16.
गंगा कार्य योजना क्या है ?
उत्तर :
गंगा कार्य योजना :- गंगा नदी के प्रवाह मार्ग में अनेक कचड़ो का ढेर बढ़ते जा रहा है, उस योजना के अन्तर्गत 1985 ई० से गंगा नदी में प्रदूर्षण को रोक-थाम के लिए जिस योजना का प्रयोग किया गया है, उसे ही गंगा कार्य योजना कहा जा सकता है।
प्रश्न 17.
3 r क्या है ?
उत्तर :
3 r का अर्थ Reduce (परिणाम घटाना), Reuse (पुन: प्रयोग) और Recycle (पुन: चक्रीय) है।
प्रश्न 18.
दो वर्ज्य पदार्थ के दुष्परिणाम लिखिए।
उत्तर :
(i) वर्ज्य पदार्थों की गंदगी के क्रमश: रिसाव से भूतल पर जल प्रदूषण होता है।
(ii) वर्ज्य पदार्थों की ढेर से मिट्टी में अम्लीय क्षमता बढ़ जाती है।
प्रश्न 19.
कम्पोस्टिंग या जैविक खाद (Composting) क्या है ?
उत्तर :
जैविक खाद निर्माण : प्राकृतिक रूप से विघटित होने वाले अपशिष्ट पदार्थ, फलों एवं सब्जियों के छिलके एवं पत्तियाँ, बचा हुआ भोजन, कागज आदि का उपयोग जैविक खाद निर्माण में किया जा सकता है। इन सभी को एक गड्दे में डालकर ढँक दिया जाता है तथा कुछ महीनों तक छोड़ दिया जाता है। बैक्टीरिया इन पदार्थों को विघटित करके खाद में परिवर्तित कर देते हैं।
प्रश्न 20.
विनाशक अपशिष्ट के पुनर्चक्रण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
हानिकारक अपशिष्टों का मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को हानि बिना पुनः उपयोग में लाए जाने योग्य बनाना ही इनका पुर्चकण है। जैसे ज्वलनशील हानिकारक अपशिष्टों को जलाकर ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। या इनका उपयोग कच्चे माल के रूप में करके नवीन वस्तुओं का उत्पादन किया जा सकता है।
प्रश्न 21.
वर्ज्य पदार्थों का वर्गीकरण करे।
उतर :
वर्ज्य पदार्थों को तीन भागों में रखा गया है –
- ठोस
- तरल
- गैस।
प्रश्न 22.
तैरती राख क्या है ?
उत्तर :
कल-कारखानो की चिमनी से निकलने वाले कणो को तैरती राख कहा जाता है।
प्रश्न 23.
जैव मेडिकल वर्ज्य पदार्थ अथवा जैव उपचार कचरा क्या है ?
उत्तर :
- पैथोलाजिकल
- रेडियोधर्मी पदार्थ
- खराब औरधिया।
प्रश्न 24.
दो बर्ज्य पदार्थ के दुष्परिणाम लिखिए।
उत्तर :
(i) वर्ज्य पदार्थों की गंदगी के क्रमश: रिसाव से भूतल पर जल प्रदूषण होता है।
(ii) वर्ज्य पदार्थों की ढेर से मिट्टी में अम्लीय क्षमता बढ़ जाती है।
प्रश्न 25.
अन्तिम शोधन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर :
माध्यमिक स्तर पर शोधित जल को एक विशाल खुले जल भण्डार में लाया जाता है। आवश्यकता अनुसार वायु संचालन की भी व्यवस्था रहती है। यहाँ जल धारण की संचय सीमा अधिक होती है उस शोधन में कुछ नाइट्रोजन एवं फास्फोरस जनित यौगिकों को दूर कर लिया जाता है।
प्रश्न 26.
वर्ज्य पदार्थ के प्रमुख स्रोत क्या है ?
उत्तर :
वर्ज्य पदार्थ के प्रमुख स्रोत – कचरा या वर्ज्य की उत्पत्ति धरो, कारखानो, कृषि क्षेत्र, अस्पताल, आणविक संयत्र तथा नागरपालिका द्वारा होती है।
प्रश्न 27.
रेडियो धर्मी वर्ज्य पदार्थ का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर :
रेडियोधर्मी वर्ज्य पदार्थ का वर्गीकरण –
- निम्न स्तर वर्ज्य
- मध्यम स्तर वर्ज्य
- उच्च स्तर वर्ज्य।
प्रश्न 28.
इलेक्ट्रॉनिक (विद्युत्) वर्ज्य पदार्थ से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर :
इलेक्ट्रानिक धातुएँ जैसे फ्रिज, टेलिवजन, वाशिंग मशीन, कम्प्यूटर आदि जब उपयोग योग्य नहीं रह जाते है तो ये कचरा हो जाते है। अतः उन्हें पुरर्चक्रण की कोई विधि नहीं होने के कारण ये स्क्रैप के रूप में बेच दिया जाता है।
प्रश्न 29.
कृषि वर्ज्य पदार्थ क्या है ?
अथवा
किन अपशिष्टों की उत्पत्ति कृषि कार्य से होती है ?
उत्तर :
जो वर्ज्य पदार्थ गहन कृषि एवं बड़े पैमाने पर फसलो के उत्पादन के बाद प्राप्त होते है तो उसे कृषिवर्ज्य पदार्थ कहा जाता है। इसके अन्तर्गत लकड़ी के कचरे, फसलो के डंठल मवेशियो द्वारा उत्पन्न कचरा मवेशिया के शव आदि वर्ज्य पदार्थ है।
प्रश्न 30.
गीले ब्रंश क्या है ?
उत्तर :
गीले बंश वायु को जल से गीला करके साफ रखता है उद्योगो की निष्कासित होने वाली गैसे एक बड़े चैम्बर से होकर गुजरती है। जिसमें पानी का छिड़काव होता रहता है। गैसों में मिश्रित ठोस कण गीले होकर भारी हो जाते है तथा नीचे बैठे जाते है और मुक्त स्वच्छ वायु बाहर निकल जाती है। उसके अलावे जल में घुलनशील हानिकारक जैसे अमोनिया, सल्फर, डाईआक्साइड आदि भी वायु से अलग हो जाते है।
प्रश्न 31.
अम्ल वर्षा से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर :
अम्ल वर्षा (Acid Rainfall) : अम्ल वर्षा की समस्या औद्योगिक देशो में अधिक गंभीर है। अम्ल वर्षा का मुख्य कारण सल्फर-डाई-अक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्र ऑक्साइड आदि है, इन गैसो का मुख्य सोत जीवाश्म ईंधन का मनामाने जगह से जलाया जाना और औद्योगिक प्रक्रियाए है। CO2 के बाद सल्फर-डाई-ऑक्साइड वायु को प्रदूषित करने वाला दूसरा महत्वपूर्ण गैस है । NO2, SO2, CH4 जैसे गैसे जब वर्षा जल में घुलकर पृथ्वी पर गिरने लगता है तो अम्ल वर्षा होती है। अम्ल वर्षा के प्रभाव से फसल, पेड़-पौधो एवं जीव-ज़्तुओं पर अधिक पड़ता है, कुछ चर्म रोग भी इसी कारण देखने को मिलता है।
प्रश्न 32.
क्षेत्रीय अपशिष्ट का दो उदाहरण दो।
उत्तर :
नालो का गन्दा पानी एवं कचरा प्लास्टिक क्षेत्रीय अपशिष्ट है।
प्रश्न 33.
लीचिंग क्या है ?
उत्तर :
वह प्रक्रिया जिसके द्वारा मिट्टी में विद्यमान घुलनशील संघटक पानी में घुल जाते है और रिसतेहुए पानी के साथ मिट्टी से होकर नीचे के स्तरो में पहुँच जाते है।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
गैसीय अपशिष्ट नियन्त्रण के क्या उपाय हैं ?
उत्तर :
गैसीय अपशिष्टों का उपचार (Treatment of Gaseous Waste) : विभिन्न उद्योगों से निकलने वाली गैसों के बहि: साव से वायु प्रदूषित होती है। वायु को इन हानिकारक अपशिष्टों से मुक्त करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में निम्नलिखित दो उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर (Electrostatic Precipitator): उद्योगों के चिमनियों से निकलने वाले धुएँ में मिश्रित धूलकण या अन्य ठोस कणों को निकालने का यह सर्वोत्तम यन्त्र है। इसमे ॠणात्मक चार्ज इलेक्ट्रोड होते हैं। धनात्मक चार्ज धूल कण जब चिमनी से निष्कासित होने वाले धुओं के साथ मिश्रित होकर निकलते हैं तो ॠणात्मक इलेक्ट्रोड उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं जिससे ये नीचे बैठ जाते हैं। इस प्रकार चिमनी से हानिकारक धूल कणों से मुक्त गैस बाहर निकलती है।
गीले ब्रश (Wet Scrubbers): गीले बश या वेट स्कबर वायु को जल से गीला करके स्वच्छ करते हैं। उद्योगों से निष्कासित होने वाली गैसें एक बड़े चैम्बर से होकर गुजरती है जिसमें जल का छिड़काव होता रहता है। गैसों से मिश्रित ठोस कण गीले होकर भारी हो जाते हैं तथा नीचे बैठने लगते हैं तथा इनसे मुक्त स्वच्छ वायु बाहर निकल जाती हैं। इसके अतिरिक्त जल में घुलनशील हानिकारक गैंसे ; जैसे – सल्फर डाईऑंक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, हाड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया आदि वायु प्रदूषक गैसें भी इस प्रक्रिया द्वारा वायु से मुक्त हो जाती है।
प्रश्न 2.
अपशिष्टों की मात्रा में कमी लाना किस प्रकार सम्भव है ?
उत्तर :
उत्पादन में कमी लाना : इस विधि को अपनाकर अपशिष्टों के उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे जहाँ तक सम्भव हो पैकेट वाली वस्तुओं को नहीं खरीदना। बाजार में खरीदारी करते समय प्लास्टिक के थैलों में वस्तुओं को न लेकर घर से लाए गए झोलों में लेना। ऐसी वस्तुओं को खरीदना जिनका पुन : उपयोग किया जा सके। लम्बे समय तक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं को खरीदना आदि।
पुन: उपयोग : उपयोग में लाए गए अपशिष्टों का बिना किसी परिवर्तन के पुन: उपयोग किया जाना ही इनका पुन: उपयोग है। इससे समय, रुपया, ऊर्जा एवं संसाधन सभी की बचत होती है। जैसे उपयोग में लाए गए रैपरों को पुन: उपयोग के लिए रखना। टूटे-फूटे सामानों जैसे फर्नीचर, खिलौने आदि की मरम्मत करके पुनः उपयोग में लाना आदि।
पुनर्चक्रीकरण : इसके अन्तर्गत कुछ अपशिष्टों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करके नयी उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जैसे लोहे एव शीशे के अपशिष्टों को गलाकर पुनः उपयोग में आने वाली वस्तुओं का निर्माण करना।
प्रश्न 3.
विघटित एवं अविघटित होने वाले अपशिष्टों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर :
विघटित अपशिष्ट | अविघटित अपशिष्ट |
i. विघटित अपशिष्ट का प्रभाव पर्यावरण पर थोड़े समय तक पड़ता है। | i. अविघटित अपशिष्ट पर्यावरण को लम्बे समय तक प्रभावित करता है। |
ii. विघटित अपशिष्ट कुछ हद तक लाभ भी पहुँचाता है। | ii. अविघटित अपशिष्ट सिर्फ नुकसानदायक होता है। |
iii. फल-सब्जी के छिलके बचा हुआ खाना आदि विघटित अपशिष्ट हैं। | iii. प्लास्टिक, ठोस पदार्थ, सीसा, आदि अविघटित अपशिष्ट होते हैं। |
प्रश्न 4.
जैव खाद निर्माण में अपशिष्टों से क्या लाभ हैं ?
उत्तर :
प्राकृतिक रूप से विर्धटित होने वाले अपशिष्ट पदार्थ फलों एवं सब्जियों के छिलके एवं पत्तियाँ, बचा हुआ भोजन, कागज आदि का उपयोग जैविक खाद निर्माण में किया जा सकता है। इसके लिए उपरोक्त अपशिष्टों को एक गड्दु में डालकर ढँक दिया जाता है तथा कुछ महीनों तक छोड़ दिया जाता है। वैक्टिरिया इन पदार्थो को विघटित करके खाद में परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रकार खाद बानाने के माध्यम से अपशिष्ट प्रबन्धन एक उपयोगी तरीका है।
प्रश्न 5.
गैसीय अपशिष्टों के नियंत्रण के लिए प्रभावकारी उपाय क्या अपनाये गये हैं ? (Board Sample Paper)
उत्तर :
गैसीय अपशिष्टों का उपचार (Treatment of Gaseous Waste) : विभिन्न उद्योगों से निकलने वाली गैसों के बहि : साव से वायु प्रदूषित होती है। वायु को इन हानिकारक अपशिष्टों से मुक्त करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में निम्नलिखित दो उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर (Electrostatic Precipitator) : उद्योगों के चिमनियों से निकलने वाले धुएँ में मिश्रित धूलकण या अन्य ठोस कणों को निकालने का यह सर्वोत्तम यन्त्र है। इसमें ऋणात्मक चार्ज इलेक्ट्रोड होते हैं। धनात्मक चार्ज धूल कण जब चिमनी से निष्कासित होने वाले धुओं के साथ मिश्रित होकर निकलते हैं तो ॠणात्मक इलेक्ट्रोड उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं जिससे ये नीचे बैठ जाते हैं। इस प्रकार चिमनी से हानिकारक धूल कणों से मुक्त गैस बाहर निकलती है।
गीले ब्रश (Wet Scrubbers) : गीले बश या वेट स्कबर वायु को जल से गीला करके स्वच्छ करते हैं। उद्योगों से निष्कासित होने वाली गैसें एक बड़े चैम्बर से होकर गुजरती हैं जिसमें जल का छिड़काव होता रहता है। गैसों से मिश्रित ठोस कण गीले होकर भारी हो जाते हैं तथा नीचे बैठने लगते हैं तथा इनसे मुक्त स्वच्छ वायु बाहर निकल जाती हैं। इसके अतिरिक्त जल में घुलनशील हानिकारक गैंसे ; जैसे – सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, हाड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया आदि वायु प्रदूषक गैसें भी इस प्रक्रिया द्वारा वायु से मुक्त हो जाती है।
प्रश्न 6.
अपशिष्ट प्रबंधन में छात्रों की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर :
अपशिष्ट प्रबंधन में छात्रों की भूमिका (Role of students in Waste Management) : छात्र भविष्य के होने वाले सजक नागरिक होंगे। अतः यदि शुरू से ही शिक्षा और व्यवहार द्वारा छात्रों को अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में सचेत किया जाय तो निश्चित रूप से छात्र इसमें सहायक हो सकते हैं। यदि छात्र अपशिष्ट पदार्थ क्या है जान जाय तो अपशिष्ट निर्माण की प्रक्रिया को ही रोक सकते हैं।
उदाहरणस्वरूप यदि छात्रों को शिक्षा द्वारा समझा दिया जाय कि जिस प्लास्टिक के सामानों का उपयोग वे करते हैं उसको सड़कर समाप्त होने में दस लाख वर्ष लगते हैं या उसको जलाने से जहरीली गैसे निकलती हैं या खुले स्थानों पर फेंक देने पर जल जमाव होता है या पशु उसको खा लेते हैं तो कुछ दिनों बाद पशु मर भी जाते हैं तो छात्र प्लास्टिक के थैलों का उपयोग न करने का निश्चित कर सकते हैं।
समाज का सबसे बड़ा वर्ग विद्यार्थी वर्ग है। अत: किसी चीज के प्रचार-प्रसार में विद्यार्थी वर्ग की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि विद्यार्थी जान जाये कि प्लास्टिक देश और विश्व की सबसे बड़ी समस्या है तो इससे निपटने में विद्यार्थी वर्ग सबसे बड़ी भूमिका ले सकते है।
प्रश्न 7.
अपशिष्ट प्रबन्धन के निपटान की भूमि भराव विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
भूमि भराव (Land Fill) : अपशिष्टों के प्रबन्धन एवं निस्तारण के लिए यह आवश्यक है कि जिन पदार्थों का दोबारा उपयोग किसी भी रूप में नहीं किया जा सकता है उन्हें नीचे तल की भूमि भरने(Land Fill) के काम में ले आवे।
प्रश्न 8.
भागीरथी-हुगली नदी के जल को प्रदूषण से रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए ?
उत्तर :
- बोर्ड को जल प्रदूषित करने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को दें और यह सुनिश्चित करें कि उचित कार्रवाई हो। आप प्रेस में भी इस बारे में लिख सकते हैं।
- घर की नाली या उद्योग की नाली में ऐसा कोई कचरा न डालें जो नदी-नाले, तालाब, झील या समुद्र जैसे किसी जलसोत में सीधे जा सकती हो।
- बेकार की चीजें बहाने के लिए फ्लश का उपयोग न करें। ये आपके घर से चली जाएगी पर किसी और स्थान पर समाने आएगी और जल को प्रदूषित करेगी।
- बागों में रासायनिक खादों के स्थान पर कंपोस्ट का इस्तेमाल करें।
प्रश्न 9.
अपशिष्ट प्रबन्धन में छात्रों की क्या भूमिका हो सकती हैं ?
उत्तर :
अपशिष्ट प्रबंधन में छात्रों की भूमिका (Role of students in Waste Management) : छात्र भविष्य के होने वाले सजग नागरिक होंगे। अत: यदि शुरू से ही शिक्षा और व्यवहार द्वारा छात्रों को अपशिष्ट प्रबंधन के बारे में सचेत किया जाय तो निश्चित रूप से छात्र इसमें सहायक हो सकते हैं। यदि छात्र अपशिष्ट पदार्थ क्या है जान जाये तो अपशिष्ट निर्माण की प्रक्रिया को ही रोक सकते हैं। उदाहरणस्वरूप यदि छात्रों को शिक्षा द्वारा समझा दिया जाय कि जिस प्लास्टिक के सामानों का उपयोग वे करते हैं उसको सड़कर समाप्त होने में दस ल्भख वर्ष लगते हैं या उसको जलाने से जहरीली गैसे निकलती हैं या खुले स्थानों पर फेंक देने पर जल जमाव होता है या पशु उसको खा लेते हैं तो कुछ दिनो बाद पशु मर भी जाते हैं तो छात्र प्लास्टिक के थैलों का उपयोग न करने का निश्चय कर सकते हैं।
समाज का सबसे बडा वर्ग विद्यार्थी वर्ग है। अत: किसी चीज के प्रचार-प्रसार में विद्यार्थी वर्ग की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि विद्यार्थी जान जाये कि प्लास्टिक देश और विश्व की सबसे बड़ी समस्या है तो इससे निपटने में विद्यार्थी वर्ग सबसे बड़ी भूमिका निभा सकते है।
प्रश्न 10.
औद्योगिक अपशिष्ट अधिक हानिकारक होते हैं क्यों ?
उत्तर :
उद्योगों से उत्सर्जि पदार्थ पानी के साथ घुलकर रासायनिक किया करता है और पानी को अशुद्ध तथा प्रदूषित कर देता है। सूती मिलों, चीनी मिलों और अन्य अद्योगों कचरे नदियों में गिराये जाते हैं। रासायनिक कारखानों में उत्सर्जि कचरे नदियों और तालाबों के पानी में विभिन्न प्रकार के नुकसानदेह उत्पाद घोल देते हैं जो पौधों और पशुओं के लिये खतरनाक बन जाता है। ये जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत के रूप में हैं।
प्रश्न 11.
भागीरथी-हुगली नदी के जल को प्रदूषण रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?
उत्तर :
बोर्ड को जल प्रदूषित करने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारों को दें और यह सुनिश्चित करें कि उचित कार्रवाई हो। आप प्रेस में भी इस बारे में लिख सकते हैं।
- बोर्ड को जल प्रदूषित करने वाले व्यक्ति के बारे में सूचना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी को दें और यह सुनिश्चित करें कि उचित कार्रवाई हो। आप प्रेस में भी इस बारे में लिख सकते हैं।
- घर की नाली या उद्योग की नाली में ऐसा कोई कचरा न डालें जो नदी-नाले, तालाब, झील या समुद्र जैसे किसी जलस्रोत में सीधे जा सकती हो।
- बेकार की चीजें बहाने के लिए फ्लश का उपयोग न करें। ये आपके घर से चली जाएगी पर किसी और स्थान पर समाने आएगी और जल को प्रदूषित करेगी।
- बागों में रासायनिक खादों के स्थान पर कंपोस्ट का इस्तेमाल करें।
प्रश्न 12.
जहरीले अपशिष्ट (Toxic Waste) या विनाशक अपशिष्ट (Hazardous Waste) से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
विभिन्न प्रकार के औद्योगिक कारखानों और वाहनो से उत्सर्जित जहरीले गैस वातावरण के लिये भयावह खतरे के रूप में उपलब्ध हैं। यह असामयिक मृत्यु और जन्म से अपगता के भी कारक हैं। इनको विनाशक अपशिष्ट भी कहते हैं। ये विषैले होते हैं। ये निर्माण, कृषि, संरचना, आटोमोबाइल-गैरेज, लैबोरेटरी, हास्पीटल और अन्य उद्योगों के उप-उत्पाद हैं।
प्रश्न 13.
जल प्रदूषण में अपशिष्टों की भूमिका का वर्णन क्या है ?
उत्तर :
जल में घरेलू अपशिष्टों, औद्योगिक बहि:साव के रसायन, रेडियोधर्मी पदार्थों तथा तेल के रिसाव आदि के मिश्रण से जलीय जीवों को हानि पहुँचती है तथा उनका विनाश होता है। अनेक पशुओं, पक्षियों एवं कीटों की मौत का कारण विषाक्त अपशिष्ट हैं।
प्रश्न 14.
गैसीय अपशिष्ट में मनुष्य की क्या भूमिका है ?
उत्तर :
- बड़ी मात्रा में जैव ईंधनों जैसे- कोयला, पेट्रोल डीजल के दहन से CO2 कार्बन मोनोआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड और सल्फर-डाइ आक्साइड की मात्रा लगातार वायुमण्डल में बढ़ रही है।
- मोटर-गाड़ी से गैसीय अपशिष्ट का 60 % भाग वायुमण्डल में जहरीले गैस के रूप में इकट्ठा हो रहा है।
- औद्योगिक प्रतिष्ठानों में कोयले का दहन बड़ी मात्रा में धुँआ एवं धूलकण वायु में एकत्रित कर रहा है।
- एटामिक पावर प्लाण्ट से यूरेनियम के उपयोग से वायुमण्डल में गैस का उत्सजन एवं उष्मा की वृद्धि हो रही है।
प्रश्न 15.
जहरीले अपशिष्ट की व्याख्या करो।
उत्तर :
जहरीले अपशिष्ट (Toxic waste) : विभिन्न प्रकार के औद्योगिक कारखानो और वाहनो से उत्सर्जित जहरीले गैस वातावरण के लिये भयावह खतरे के रूप में उपलब्ध है। यह असामयिक मृत्यु और जन्म से अपंगता के भी कारक है। इनको विनाशक अपशिष्ट (Hozardous Waste) भी कहते है। ये विषैले होते है। ये निर्माण, कृषि, संरचना, आटोमोबाइल-गैरेज, लैबोरेटरी, हास्पीटल और अन्य उद्योगो के उप-उत्पाद (by-products) है। ये ठोस और तरल होते है जिसमें रासायनिक भारी मेटल रेडियेसन और टाक्सिन रहता है। जैसे-बैटरी, उपयोग किया हुआ कम्यूटर समान, पेण्ट और कीटनाशक आदि होते है।
प्रश्न 16.
म्यूनिसिपल अपशिष्ट से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
शहरी क्षेत्रो में स्थित होटलो, रेस्टोरेण्टो, बाजारो, गलियों, दुकानों, अस्पतालो, बैकों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानो पर विविध क्रियाकलापो द्वारा उत्पन्न कूड़ा-कचरा शहरी या नगरपालिका अपशिष्ट के अन्तर्गत आते है। म्युनिसिपल कारपोरेशन इन कचरो को इकठ्ठा करके विभिन्न मालवाहक वाहनो द्वारा एक जगह इकठ्ठा कर रहा है जिसे चारो ओर भूमि प्रदूषण और वायु प्रदूषण फैल रहा है।
प्रश्न 17.
कम्पोस्ट कैसे तैयार करते हैं ?
उत्तर :
अपसिष्टों जैसे घरेलू कचरे, पशुओं का चारा, पशुओं का मल-मूत्र एवं अन्य्र कचरों को खाली जमीन में गड्दा खोदकर परत दर परत जमा कर दिया जाता है। धीरे-धीरे यह जैव-रासायनिक क्रिया द्वारा सड़कर मूल्यवान उर्वरक (Mahure) में बद्ल जाता है। इसका उपयोग भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिये किया जाता है।
प्रश्न 18.
ठोस कचरों को एकत्रित करने के लिए किसका इस्तेमाल करना चाहिए।
उत्तर :
शहरो में स्थान-स्थान पर कूड़ो को रखने के लिए डस्टबिन या कंटेनर रखा जाना चाहिए ताकि लोग कचरों को गलियों एवं सड़को पर न फेंककर इनमें डाल दे।
प्रश्न 19.
कृषि कार्य में हानिकारक पदार्थों के प्रयोग से प्रदूषन उत्पन्न होते हैं।
उत्तर :
कृषि कार्य में अधिक फसल उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरको जैसे-नाइट्रोजन, फास्फेट्स, यूरिया आदि का प्रयोग अधिक क्रिया जाने लगा है। ये उर्वरक वर्षा के जल के साथ बहकर नदियो, झीलों, जलशयों आदि में पहुंचकर जल को प्रदूषित करते है।
प्रश्न 20.
किन अपशिष्टों के उचित प्रबन्धन से संचित संसाधनों को संरक्षण प्राप्त हो सकता है ?
उत्तर :
पुनर्चक्रण के अन्तर्गत अपशिष्टों को संसाधनो के रूप में परिवर्तित किया जाता है। अतः अपशिष्ट की कैलोरी सामग्री बिजली में परिवर्तित की जा सकती है। इसके दो प्रकार है –
(a) भौतिक पुन: परिष्करण इसके अन्तर्गत अपशिष्ट पदार्थो को संग्रहित कर उनका पुन: प्रयोग किया जाता है।
(b) जैविक पुन: परिष्करण : इसके अन्तर्गत पौधो की सामग्री, बचा हुआ भोजन, कागज उत्पाद आदजि को जैविक खाद और पाचन प्रक्रियाओ का उपयोग कर अषयव संबंधित पदार्थ विघटित करके पुनर्नवीनीकरण किया जाता है।
प्रश्न 21.
शहरी या नगरपालिका अपशिष्ट के अन्तर्गत किन अपशिष्टों को सम्मिलित किया जा सकता है ?
उत्तर :
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित अपशिष्टों को सम्मिलित किया जा सकता है :
- प्राकृतिक रूप से स्वत: नष्ट होने वाले अपशिष्ट जैसे-हरे अपशिष्ट, व्याज्य खाद्य पदार्थ एवं रसोई का कचरा।
- पुनर्चक्रीय अपशिष्ट, जैसे-बोतले, शीशा, प्लास्टिक, कागज आदि।
- हानिकारक घरेलू अपशिष्ट जैसे, पेण्ट, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, रसायन, कीटनाशक, ट्यूब, बल्व, बैटरी आदि।
प्रश्न 22.
अपशिष्टों के एकत्रीकरण के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
आज म्युनिसिपल कारपोरेशन शहरों के कचरों को इकठ्ठा करके विभिन्न मालवाहक वाहनों द्वारा एक जगह इकठ्ठा कर रहा है जिससे चारो ओर भूमि प्रदूषण और वायु प्रदूषण फैल रहा है। म्यूनिसिपेलिटी शहर के गन्दे पानी और मल-मूत्र को सीवर के माध्यम से नदियों में सीधे गिरा रहा है जिससे जल प्रदूषण फैल रहा है।
प्रश्न 23.
जैविक पुन: परिष्करण क्या है ?
उत्तर :
जैविक पुन: परिष्करण : ये प्राकृतिक अपशिष्ट पदार्थ हं जिनका पुन: चक्रण किया जाता है। पौधों की सामग्री, बचा भोजन, पशुओं का मल, कागज उत्पाद आदि को विघटित करके पुनर्न वीनीकरण किया जाता है। कार्बनिक पदार्थ का पुनः चक्रण-करके उनसे खाद तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में गैस का उत्सर्जन होता है, उससे बिजली तैयार किया जाता है। अपशिष्ट प्रबंधन में जैविक प्रसस्करण का उद्देश्य कार्बनिक पदार्थो के अपघटन के प्रक्रिया की गति को बढ़ाना और नियंत्रित करना होता है। जैविक पुन: परिष्करण में जैविक एरोबिक-विघटन एवं अनबोरिक विघटन सम्मिलित है।
प्रश्न 24.
वर्तमान युग में विभिन्न प्रकार के अपशिष्टों के बड़ी मात्रा में उत्पन्न होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर :
वर्तमान समय में औद्योगिकरण और विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों के परिणामस्वरूप धरातल पर और वायुमण्डल में लगातार खतरनाक कचरों का जमाव और उत्सर्जन ही अपशिष्ट है। यह अपशिष्ट विभिन्न प्रकार के सोतों से उत्सर्जित होता है। ऐसे पदार्थ जो सामान्यतया मनुष्यों द्वारा फेंक दिए जाते है। या जो अनुपयोगी और अनावश्यक होते है, उन्हें अपशिष्ट पदार्थों के वर्ग में रखा जाता है। इसमें हम जीव-जंतु और पेड़ पौधो के मृत और सड़े अंश, जीव-जंतु और पेड़-पौधो की उपापचयी क्रिया के उपजात इत्यादि को सम्मिलित करते है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
अपशिष्ट के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए। अथवा, अपशिष्ट कितने प्रकार के होते हैं ?
अथवा
अपशिष्ट का वर्गीकरण करो।
उत्तर :
अपशिष्ट के प्रकार (Type of waste) :- अपशिष्टों को निम्नलिखित भागों में विभक्त किया जा सकता है:-
- ठोस अपशिष्ट (Solid Waste) :- ये अपशिष्ट कुछ हद तक परिवर्तन के साथ उसी प्रकार पड़े रहते हैं, जैसे – धातु, सीसा आदि के अपशिष्ट।
- तरल अपशिष्ट (Liquid Waste) :- इस प्रकार के अपशिष्ट तरल रूप में मिलते हैं, जैसे – प्रदूषित जल, तेल एवं मोबिल आदि।
- गैसीय अपशिष्ट (Gasseous Waste) :- ये अपशिष्ट गैस के रूप में होते है जो वायु को प्रदूषित करते हैं।
- विषैली वस्तुएँ (Toxic Substance) :- इसके अंतर्गत वे वस्तुएँ आती हैं जो वायुमण्डल को विषाक्त कर सकती है, या स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचती है, जैसे – रेडियो सक्रिय पदार्थ, विषैले रसायन, भारी धातु (आर्सेनिक शीशा, पारा आदि)।
- गैर विषैली वस्तुएँ (Non-Toxic Substance) :- कृषिजात अपशिष्ट, फलों के छिलके, रद्दी कागज आदि।
प्रश्न 2.
अपशिष्ट प्रबन्धन की संकल्पना पर अपना विचार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
प्रबन्धन की संकल्पना : वे सभी ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ जो उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों के ही उपयोगयोग्य नहीं रह जाते, अर्थात् जो किसी की आवश्यकता की पूर्ति योग्य नहीं समझे जाते, उन्हें अपशिष्ट की श्रेणी में रखा जाता है। वर्तमान समय में विभिन्न सोतों से उत्पन्न अपशिष्ट पर्यावरण के लिए एक गम्भीर संकट बन गए हैं, अतः उनका उचित प्रबंधन अति आवश्यक हो गया है। अपशिष्टों के उत्पादन में कमी लाने के साथ-साथ वे सभी विधियाँ जैसे अपशिष्टों का पुन: उपयोग, पुनर्चक्रीकरण, उपचार तथा इनका सुरक्षित निस्तारण अपशिष्ट प्रबंधन के अन्तर्गत आती है।
उत्पादन में कमी लाना : इस विधि को अपनाकर अपशिष्टों के उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे जहाँ तक सम्भव हो पैकेट वाली वस्तुओं को नहीं खरीदना। बाजार में खरीददारी करते समय प्लास्टिक के बैलों में वस्तुओं को न लेकर घर से लाए गए झोलों में लेना। ऐसी वस्तुओं को खरीदना जिनका पुन : उपयोग किया जा सके। लम्बे समय तक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं को खरीदना आदि।
पुन: उपयोग : उपयोग में लाए गए अपशिष्टों का बिना किसी परिवर्तन के पुनः उपयोग किया जाना ही इनका पुन: उपयोग है। इससे समय, रुपया, ऊर्जा एवं संसाधन सभी की बचत होती है। जैसे उपयोग में लाए गए रैपरों को पुन: उपयोग के लिए रखना। टूटे-फूटे सामानों जैसे फर्नीचर, खिलौने आदि की मरम्मत करके पुन: उपयोग में लाना आदि।
पुनर्चक्रीकरण : इसके अन्तर्गत कुछ अपशिष्टों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करके नयी उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जैसे लोहे एवं शीशे के अपशिष्टों को गलाकर पुन: उपयोग में आने वाली वस्तुओं का निर्माण करना।
प्रश्न 3.
गैसीय अपशिष्टों के नियंत्रण के लिए कौन-सी प्रभावी विधियाँ अपनाई जाती हैं ?
अथवा
गैसीय अपशिष्ट का निस्तारण कैसे होता है?
अथवा
औद्योगिक क्षेत्रों में निःस्तृत गैसीय अपशिष्टों का उपचार किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर :
गैसीय अपशिष्टों का नियंत्रण (Control of Gaseous Waste) :- विभिन्न उद्योगों से निकलने वाली गैसों के बहि: म्राव से वायु प्रदूषित होती है क्योंकि इन गैसों में धूलकण, कार्बन के कण, धुआँ आदि मिले होते हैं। वायु को इन हानिकारक अपशिष्टों से मुक्त करने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में निम्नलिखित दो उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर (Electrostatic Precipitator) :- कल-कारखानों एवं अन्य उद्योगों में दहन प्रक्रिया के दौरान चिमनियों से निकलने वाले धुएँ में मिश्रित धूलकण या अन्य ठोस कणों को निकालने का यह सर्वोत्तम यन्त्र है। इसमें ऋणात्मक चार्ज इलेक्ट्रोड होते हैं। धनात्मक चार्ज धूल कण जब चिमनी से निष्कासित होने वाले धुओं के साथ मिश्रित होकर निकलते हैं तो ऋणात्मक इलेक्ट्रोड उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं जिससे ये नीचे बैठ जाते हैं, इस प्रकार चिमनी से हानिपरक धूल कणों से मुक्त गैस बाहर निकलती है जिससे धुएँ में से राख को मुक्त किया जाता है। विद्युत गृहों में ये यन्त्र चिमनियों में लगे हुए होते हैं।
गीले ब्रश (Wet Scrubbers) :- गीले ब्रश या वेट स्कबर वायु को जल से गीला करके स्वच्छ करते हैं। उद्योगों से निष्कासित होने वाली गैसें एक बड़े चैम्बर से होकर गुजरती हैं जिसमें जल का छिड़काव होता रहता है। गैसों में मिश्रित ठोस कण गीले होकर भारी हो जाते हैं तथा नीचे बैठने लगते हैं तथा इनसे मुक्त स्वच्छ वायु बाहर निकल जाती है। इसके अतिरिक्त जल में घुलनशील हानिकारक गैसें, जैसे – सल्फर डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई-ऑक्साइड, अमोनिया आदि वायु प्रदूषक गैसे भी इस प्रक्रिया द्वारा वायु से मुक्त हो जाती है।
अत: पर्यावरण को स्वच्छ रखना, मानव स्वास्थ्य की रक्षा किया जाना, जैव विविधता को बरकरार रखा जाना तथा इनके पुर्नचक्रीकरण एवं पुर्नव्यवहार द्वारा संसाधनों को संरक्षण प्रदान किये जाने जैसी विधियाँ अपशिष्ट प्रबंधन द्वारा अपनायी जाती है।
प्रश्न 4.
भागीरथी-हुगली नदी में अपशिष्टों के निस्तारण के प्रभाव का वर्णन्न कीजिए।
उत्तर :
अपशिष्टों के निस्तारण के प्रभाव :- भागीरथी-हुगली पश्चिम बंगाल की जीवनदायिनी नदी है। वर्तमान समय में भारत की अन्य प्रमुख नदियों की तरह यह भी ठोस एवं द्रव अपशिष्टों के निस्तारण के कारण प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है। इसके जल में ठोस अपशिष्टों की मात्रा इसके वहन क्षमता से काफी अधिक हो गई है। इसके किनारे स्थित कागज, जूट, रसायन, चमड़ा आदि उद्योगों के बहिः साव बड़ी मात्रा में अपशिष्टों को इस नदी में ले आते हैं। बर्नपुर एवं दुर्गापुर इस्पात सयंत्रों के बहि:स्राव को लेकर आने वाली दामोदार नदी इसमें ठोस एवं द्रव अपशिष्टों की मात्रा में और अधिक वृद्धि कर रही है।
हुगली के किनारे बसे बस्तियों, नगरों एवं कोलकाता महानगर के घरेलू बहिः साव एवं मल-जल भी इसमें अपशिष्टों की मात्रा में वृद्धि कर रहे हैं इस नदी के बेसिन में होने वाली कृषि कार्य में प्रतिवर्ष हजारों टन रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का व्यवहार होता है ये रसायन वर्षा के जल के साथ घुलकर सहायक नदियों एवं नालों के माध्यम से हुगली के जल में आकर मिलते रहते है तथा इसमें तरल अपशिष्टों की मात्रा में वृद्धि कर रहे हैं।
वर्णित तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अपशिष्टों के निस्तारण से हुगली का जल अत्यन्त दूषित हो चुका है तथा दिन-प्रतिदिन यह समस्या विकट रूप लेती जा रही है। अतः इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ठोस एवं तरल अपशिष्टों के उचित प्रबन्धन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रश्न 5.
अपशिष्ट प्रबन्धन की संकल्पना पर अपना विचार प्रस्तुत कीजिए। अथवा, अपशिष्ट प्रबन्धन किन रूपों में किया जा सकता है ?
उत्तर :
प्रबन्धन की संकल्पना : वे सभी ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ जो उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों के ही उपयोगयोग्य नहीं रह जाते, अर्थात् जो किसी की आवश्यकता की पूर्ति योग्य नहीं समझे जाते, उन्हें अपशिष्ट की श्रेणी में रखा जाता है। वर्तमान समय में विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न अपशिष्ट पर्यावरण के लिए एक गम्भीर संकट बन गए हैं, अतः उनका उचित प्रबंधन अति आवश्यक हो गया है। अपशिष्टों के उत्पादन में कमी लाने के साथ-साथ वे सभी विधियाँ जैसे अपशिष्टों का पुनः उपयोग, पुनर्चक्रीकरण, उपचार तथा इनका सुरक्षित निस्तारण अपशिष्ट प्रबंधन के अन्तर्गत आती है
उत्पादन में कमी लाना : इस विधि को अपनाकर अपशिष्टों के उत्सर्जन की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे जहाँ तक सम्भव हो पैकेट वाली वस्तुओं को नहीं खरीदना। बाजार में खरीददारी करते समय प्लास्टिक के थैलों में वस्तुओं को न लेकर घर से लाए गए झोलों में लेना। ऐसी वस्तुओं को खरीदना जिनका पुन : उपयोग किया जा सके। लम्बे समय तक उपयोग में आनेवाली वस्तुओं को खरीदना आदि।
पुनः उपयोग : उपयोग में लाए गए अपशिष्टों का बिना किसी परिवर्तन के पुन: उपयोग किया जाना ही इनका पुन: उपयोग है। इससे समय, रुपया, ऊर्जा एवं संसाधन सभी की बचत होती है। जैसे उपयोग में लाए गए रैपरों को पुन: उपयोग के लिए रखना। टूटे-फूटे सामानों जैसे फर्नीचर, खिलौने आदि की मरम्मत करके पुन: उपयोग में लाना आदि।
पुनर्चक्रीकरण : इसके अन्तर्गत कुछ अपशिष्टों का उपयोग कच्चे माल के रूप में करके नयी उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जैसे लोहे एवं शीशे के अपशिष्टों को गलाकर पुन: उपयोग में आने वाली वस्तुओं का निर्माण करना।
प्रश्न 6.
वर्ज्य पदार्थों की आवश्यकता तथा प्रभाव व्यवस्थापन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
वर्तमान समय में अनियत्रित उत्पादन तथा उपभोग के द्वारा अप्रत्याशित गति से वर्ज्य पदार्थो का उत्सर्जन हो रहा है। वर्ज्य पदार्थों के मात्रा में लगातार घृद्धि को रोकने के लिए प्रभावी वर्ज्य पदार्थ की अत्यन्त आवश्यकता है।
वर्ज्य प्रबंधन तथा योजना को दो प्राकर से कियान्वित यिका जा सकता है। वर्ज्य पदार्थ का उचित रूप में हटाना तथा वर्ज्य का संस्करण। इन दोनों प्रक्रियाओं का उद्देश्य बर्ज्य के दुष्परिणामों को दूर करने से है।
वर्ज्य पदार्थ के प्रभावी व्यवस्थापन में समाज के विभित्र वर्गों के लोगो पौर प्रतिष्ठान एवं सम्बन्धित सरकारी विभागों मे अपनी समन्वय की अत्यन्त आवश्यकता है। घर के वर्ज्य पदार्थ को अपने घर के भीतर रखना एवं समय से उसे नियमित स्थान पर रखा जाता है। वर्ज्य पदार्थ को हमेशा घर में ढक कर रखना चाहिए। वर्ज्य पदार्थ संग्रह केन्द्र विभिन्न स्थानो पर होते है। वर्ज्य पदार्थ को कहीं पर इकट्टा कर उसे मूल संग्रह केन्द्र तक पहुँचाना नगर के वर्ज्य विभाग का कार्तव्य होता है। कचड़े को रूपान्तरित करना या अन्य प्रक्रियाकरण द्वारा वर्ज्य पदार्थ को समाप्त करनेकी कोशिश की जाती है।
नालों में केवल तरल वर्ज्य पदार्थों को ही फेंकना चाहिए। लेकिन ऐसा देखा जाता है कि हमलोग ठोस वर्ज्य पदार्थ को भी नालों में फेंक देते है। उससे नाला भर जाता है तथा उसका प्रवाह रूक जाता था। अब रूके हुए पानी में मच्छर अपना आश्रय क्या कर हजारों की संख्या में अण्डे दे देते है। जो विमारी का प्रमुख कारण बन जाता है। इसी प्रकार औद्योगिक केन्द्रों से विभिन्न प्रकार के रसायनयुक्त जल भी नालो को गंदा कर देते है । नवीन प्रा्योगिक केन्द्र को उपयोग में लाकर इन निगर्त गैसे के प्रदूषण की मात्रा को कम किया जाता है।
अधिकांश कल कारखाने प्रदूषण नियंत्रण यंत्र को सरकारी दबाव में लगा कर उनका उपयोग नहीं करते। अत: आवश्यकता इस बात की है कि सरकार इस सम्बन्ध में कठोर निर्णय ले और जो प्रदूषण नियंत्रण तंत्र का उपयोग नहीं करते उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए। वर्ज्य पदार्थों के निष्कासन एवं प्रक्रियाकरण के लिए जिस चीज की आवश्यकता पड़ती है उसके निर्माण के लिए सम्बन्धित सरकारी विभागों की सहायता करती चाहिए।
प्रश्न 7.
वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण के स्रोत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
वायु प्रदुषण के स्रोत :
- हरित क्रान्ति गृह जैसे – CO2, NO2, SO2, CH4 इत्यादि के उत्सजर्न से ओजोन के तत्वो जैसे CPC, HCFC इत्यादि में कमी हो जाती है जिसके फलस्वरूप पानी प्रदूषित हो जाता है तथा अम्लवृष्टि (Acid Rainfall) होती है ।
- कृषि क्षेत्र में रासायनिक खाद, कीटनाशक, दवाएँ तथा अन्य प्रकार के वर्ज्य से जल मिट्टी का प्रदूषण होता है। इससे खाद्य उत्पादन में पारिस्थितिकी व्यवधान उत्पन्न होता है।
- नदियों के तट पर स्थित महानगरों जैसे कानपुर, इलाहाबाद, कोलकाता नगरो महानगरो के भारी मात्रा में वर्ज्य पदार्थ से नदी का जल प्रदूषित हो जाता है।
- रसाव अथवा दुर्घटना तथा विषाक्त वर्ज्य के तिरोहित होने के कारण समुद्र जल के प्रदूषण से समुद्री जीव-जन्तु पर खतरे की घण्टी बजने लगती है।
- मनुष्य घरेलु पूजा-पाठ के वर्ज्य पदार्थ को भी नदियों में फेंक कर नदी के जल को प्रदूषित कर देते है।
प्रश्न 8.
भस्कीव गण अपशिष्ट प्रबंधन क्या है ?
उत्तर :
दहन या भंगीकरण (Incineration) भस्मीकरण के अन्तर्गत अपशिष्ट पदार्थो के दहन या जलाने की प्रक्रिया के शामिल किया जात है। भस्मीकरण छोटे-पैमाने पर व्यक्तियों द्वारा एव बड़े पैमाने पर पद्योगों द्वारा किया जाता है। खतरनाक कचरा जैसे-चिकित्सकीय अपशिष्टों को निबटाने के लिए इसे एक व्यावहारिक पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त है। दहन के कारण वायुमण्डल को प्रदूषित करने वाली गैसों-का उत्सर्जन होता है अतः यह एक विवादास्पद पद्धति है। अत: दहन से पहले सभी प्रकार के प्लास्टिक के अपशिष्टों को अलग कर लेना चाहिए क्योंकि इनके दहन से बिजली गैसों का उत्सर्जन होता है। अपशिष्टों के दहन निम्नलिखित लाभ है।
- दहन से अपशिष्ट पदार्थो के आयतन में 20 से 30 प्रतिशत की कमी हो जाती है।
- यह विधि उन जगहो पर अधिक उपयोगी है जहाँ अपशिष्टों को भरने के लिए भूमि की कमी है।
- चिकित्सकीय अपशिष्टों में निबटारे के लिए दहन की विधि सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें सक्रामक रोगों को फैलाने वाले जीवाणु नष्ट हो जाते है।
- दहन प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली उष्मा से विद्युत उत्पादन किया जा सकता है।
प्रश्न 9.
भौतिक पुन: परिष्करण क्या है ?
उत्तर :
भौतिक पुन: परिष्करण : आजकल विकसित देशों में अपशिष्टों का व्यापक सग्रह किया जाता है। सग्रहित अपसिष्टों को पुन: प्रयोग के लायक बना दिया जाता है खाली पेय पदार्थो के डिब्बो एवं वोतलों को इकठ्ठा करके पुन: प्रक्रम द्वारा उन्हें तैयार किया जाता है। उनके प्रक्रम की प्रक्रिया समान श्रेणियों में की जार्ती है ताकि कच्चा माल जिससे ये वस्तुयें बनी है, उन्हें उसी प्रकार नयी वस्तु में बदला जा सके। पुनर्न वीनी-करण के लिये आम उपभोक्ता उत्पादो में अल्युमिनियम पेय के डिब्बे, इस्पात भोजन और एयरोसोल डिब्बे, HDPE और PET बोतलें, काँच की बोतलें, गत्ते के डिब्बे, अखबार, पत्रिकायें, गत्ता आदि शामिल है। प्लास्टिक के उत्पाद PVC, LDPE, PP, PS आदि भी पुनर्चक्रित किये जाते है। जो वस्तुये सामान्य किसी एक तरीके के धातु से बनी रहती है उन्हें आसानी से पुनः चक्रित करके नयी वस्तु बनायी जाती है।
प्रश्न 10.
औद्योगिक अपशिष्ट के विभिन्न स्रोत कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :
औद्योगिक अपशिष्ट : उद्योगो से बहुत अधिक ठोस, द्रव एवं गैसीय अपशिष्ट उत्पन्न होता है, ऊर्जा उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईधनों के प्रयोग से वायु प्रदूषित होती है। वायुमण्डल में हरित गृह गैसो की मात्रा बढ़ने से भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि हो रही है। विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले कूड़े एवं राख आदि निकटवर्ती स्थानों में इकठ्ठा होते रहने से समस्या बन गए है। उत्पादन प्रक्रिया में प्रयुक्त जल जब बहि :स्ताव के रूप में निकलता है तो इसमें अनेक कार्बनिक एवं अकार्बनिक तत्व मीले हुए होते है। उद्योगों का यह कचरायुक्त जल नदियों में बहा दिया जाता है या झीलों विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट उत्पन्न होते है। रसायन, सूतीवस्त, कागज, ओषधि, चमड़ा, चीनी, खाद्य प्रक्रम, उर्वरक आदि उद्योगो बड़ी मात्रा में कचरायुक्त जल का बहि: स्ताव करते है।