Detailed explanations in West Bengal Board Class 9 Physical Science Book Solutions Chapter 6 उष्मा offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 9 Physical Science Chapter 6 Question Answer – उष्मा
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
क्या पदार्थों के अवस्था परिवर्तन के समय उनका तापमान परिवर्तित होता है ?
उत्तर :
नहीं, पदार्थों के अवस्था परिवर्तन के समय उनका तापमान अपरिवर्तित रहता है।
प्रश्न 2.
किसी वस्तु में उष्मा की मात्रा उसके द्रव्यमान पर किस प्रकार निर्भर करती है ?
उत्तर :
किसी वस्तु में उपस्थित उष्मा की मात्रा इसके द्रव्यमान के सीधा समानुपाति होती है।
प्रश्न 3.
जल का घनत्व 4° C पर कितना होता है ?
उत्तर :
4° C पर जल का घनत्व 1 g / c.c. होता है।
प्रश्न 4.
कैलोरी किसकी इकाई है।
उत्तर :
उष्मा की।
प्रश्न 5.
एक कैलोरी का मान कितना जूल होता है ?
उत्तर :
4.2 d
प्रश्न 6.
4.2 × 103 जूल कितना कैलोरी के बराबर होता है ?
उत्तर :
1000
प्रश्न 7.
उष्मा की मात्रा की इकाई क्या है ?
उत्तर :
उष्मा की मात्रा की इकाई कैलोरी है।
प्रश्न 8.
कार्य, ऊर्जा और उष्मा की व्यावहारिक इकाई क्या है ?
उत्तर :
जूल।
प्रश्न 9.
4° C तापमान के ऊपर जल को गर्म करने पर उसके आयतन में क्या परिवर्तन होता है ?
उत्तर :
जल को 4° C के ऊपर गर्म करने पर इसका आयतन बढ़ता है।
प्रश्न 10.
कैलोरी एवं जूल में क्या संबंध है ?
उत्तर :
1 कैलोरी = 4.1855 जूल = 4.2 जूल
प्रश्न 11.
औद्योगिक शहर में शीतकाल में अक्सर क्या देखा जाता है ?
उत्तर :
औद्योगिक शहर में शीतकाल के समय अक्सर कुहरा देखा जाता है।
प्रश्न 12.
वाष्पन से क्या उत्पन्न होता है ?
उत्तर :
वाष्पन से प्रशीतन उत्पन्न होता है।
प्रश्न 13.
बर्फ के पिघलने की गुप्त उष्पा कितनी होती है ?
उत्तर :
80 कैलोरी/ग्राम।
प्रश्न 14.
जल के वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा कितनी होती है ?
उत्तर :
540 कैलोरी /ग्राम।
प्रश्न 15.
जूल/किलोग्राम किसका मात्रक है ?
उत्तर :
गुप्त उष्मा।
प्रश्न 16.
जूल के नियम के अनुसार W = ? है।
उत्तर :
dH
प्रश्न 17.
किसी वस्तु पर कार्य करने पर उसके तापमान में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर :
किसी वस्तु में उष्मा के प्रवेश से तापमान में वृद्धि होंती है, जो कार्य में रुपान्तरित हो जाता है अर्थात् कार्य एवं तापमान समानुपाती होते है ।
प्रश्न 18.
गर्मी के दिनों में गली में जल छिड़कने से क्या होता है ?
उत्तर :
ठण्डक उत्पत्र होती है।
प्रश्न 19.
उष्मा क्या है ?
उत्तर :
उष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है जो पदार्थो के संघात या आपस में घर्षण के फलस्वरूप उत्पन्न होती है।
प्रश्न 20.
SI पद्धति में उष्मा की इकाई क्या है ?
उत्तर :
जूल
प्रश्न 21.
तापमान को किस यंत्र से मापते हैं?
उत्तर :
थर्मामीटर से तापमान को मापा आता है।
प्रश्न 22.
अवस्था परिवर्तन के समय खर्च उष्मा को क्या कहते हैं?
उत्तर :
गुप्त उष्मा के अवस्था परिवर्तन के समय खर्च उष्मा कहते हैं।
प्रश्न 23.
ऊष्मा की व्यावहारिक इकाई S.I. मात्रक में क्या है?
उत्तर :
जूल।
प्रश्न 24.
ऊष्मा मापने वाले यंत्र का क्या नाम है?
उत्तर :
कैलोरीमीटर।
प्रश्न 25.
C.G.S. पद्धति में कार्य का इकाई क्या है?
उत्तर :
अर्ग।
प्रश्न 26.
ऊष्मा ऊर्जा के रूपन्तरण गतिज ऊर्जा में होता है। उसका एक उदारहण दो।
उत्तर :
वाष्म इंजन।
प्रश्न 27.
भाप की गुप्त 537 cal / gm इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर :
भाप की गुप्त उष्मा 537 cal / g है। इस कथन का तात्पर्य यह है कि 100° C की 1 ग्राम भाप को 100° C के 1 ग्राम जल में परिवर्तित करने पर 537 कैलोरी उष्मा प्राप्त होगी।
प्रश्न 28.
उष्मा को किस यंत्र के माध्यम से मापा जाता है?
उत्तर :
Calorimeters
प्रश्न 29.
यांत्रिक तुल्यांक का मान C.G.S. पद्धति में क्या है?
उत्तर :
4.2 × 107 erg / cal.
प्रश्न 30.
उष्मा ग्रहण करने बाद वस्तु में क्या परिवर्तन आता है?
उत्तर :
उष्मा ग्रहण करेन बाद वस्तु के अवस्था में परिवर्तन आता है ।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
किसी वस्तु में उपस्थित उष्मा की मात्रा किन-किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर :
किसी वस्तु में उपस्थित उष्मा की मात्रा (Q), उसके द्रव्यमान (mass) विशिष्ट उष्मा (specific heat) तथा तापमान (temperature) पर निर्भर करती है। अर्थात् Q = mst
प्रश्न 2.
गुप्त उष्मा को गुप्त उष्मा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
गुप्त उष्मा को गुप्त उष्मा कहने का कारण : चूँकि गुप्त उष्मा के द्वारा केवल पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन होता है तथा पदार्थ का तापक्रम अपरिवर्तित रहता है, इसीलिए गुप्त उष्मा को गुप्त उष्मा कहा जाता है।
प्रश्न 3.
वाष्पशील एवं अवाष्पशील पदार्थ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
वाष्पशील पदार्थ (Volatile substances) : जिन द्रवो के वाष्पीकरण की दर अधिक होती है, उन द्रवों को वाष्पशील द्रव कहते हैं। वाष्पशील द्रवों का b.p. कम होता है। जिस द्रव का b.p. जितना ही कम होगा वह द्रव उतना ही वाष्पशील होगा। उदाहरण के लिए क्लोरोफार्म, स्मिट, ईथर आदि।
अवाष्पशील पदार्थ (Non-Valatile substances) : जिन द्रवों के वाष्पीकरण की दर कम होती है, उन द्रवो को अवाष्पशील कहते हैं। ऐसे द्रवों का b.p. अधिक होता है। उदाहरण के लिए जल, गिसरीन, तेल आदि।
प्रश्न 4.
उष्मा से आप क्या समझते हैं। इसकी S.I. पद्धति इकाई क्या होती है ?
उत्तर :
उष्मा (Heat) : हम अपने दैनिक जीवन में गर्मी और ठंडक का अनुभव करते हैं। बर्फ के टुकड़े को स्पर्श करने पर ठंडक का अनुभव होता है जबकि गर्म जल को स्पर्श करने पर गर्मी का अनुभव होता है। इसी प्रकार की अनेक घटनाएँ हमारे दैनिक जीवन में घटती हैं तथा हम उनका अनुभव करते हैं। उष्मा को ग्रहण कर वस्तुएँ गर्म हो जाती हैं और उष्मा को त्याग कर वस्तुएँ ठण्डी हो जाती हैं। अत: उष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है, जिसको ग्रहण कर वस्तुएँ गर्म और त्याग कर ठण्डी हो जाती हैं।
S.I. प्रणाली में उष्मा की इकाई जूल है।
प्रश्न 5.
उष्माभीति का सिद्धान्त किन शर्तो पर लागू होता है ?
उत्तर :
उष्माभीति का सिद्धान्त निम्नलिखित शर्तों पर लागू होता है –
(i) प्रयोग बंद निकाय में होना चाहिए, जिससे वातावरण से उष्मा का आदान प्रदान न हो सके।
(ii) गर्म एवं ठंडी वस्तुएँ एक दूसरे के सम्पर्क मे होनी चाहिए।
प्रश्न 6.
उष्मा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
उष्मा (Heat) : उष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है जो पदार्थ के अणुओं की गति से उत्पन्न होती है तथा जिसके कारण किसी वस्तु के गर्म या ठण्डा होने का बोध होता है।
प्रश्न 7.
विशिष्ट उष्मा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
विशिष्ट उष्मा (Specific heat) : विभिन्न पदार्थों में उष्मा धारण करने की क्षमता अलग-अलग होती है। मात्रा तथा तापक्रम समान होते हुए भी जिस गुण के कारण वस्तुओं में उष्मा ग्रहण या त्याग करने की क्षमता अलग-अलग होती है, उस गुण को विशिष्ट उष्मा कहते हैं।-यह पदार्थ का एक मौलिक गुण है।
किसी पदार्थ की इकाई मात्रा का तापक्रम 1° C बढ़ाने में जितनी उष्मा की आवश्यकता पड़ती है, उष्मा की इस मात्रा को उस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा (Specific Heat) कहते हैं।
प्रश्न 8.
संघनन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
संघनन या द्रवण (Condensation or liquification) : उष्मा त्याग कर किसी पदार्थ की गैसीय अवस्था से द्रव अवस्था में बदलने की क्रिया को संघनन कहते हैं। वह तापक्रम जिसपर कोई पदार्थ गैसीय अवस्था से द्रव अवस्था में बदलता है, उस तापक्रम को संघनन बिन्दु (Condensation point) कहते हैं।
प्रश्न 9.
कुहरा तथा कुहासा क्या है ?
उत्तर :
ओस या कुहरा (Dew) : रात्रि के समय पृथ्वी द्वारा उष्मा विकरित (Radiate) होने लगती है जिसके कारण पृथ्वी के आस-पास की वायु ठण्डी होने लगती है। जैसे-जैसे तापक्रम घटता है, वायु में उपस्थित जलवाष्प से वायु संतृप्त (saturated) होने लगती है। ओसांक (Dew Point) से और कम वायु का तापक्रम होने पर वायु से कुछ जलवाष्प घनीभूत होकर घासों,पेड़ों की पत्तियों आदि पर जल के रूप में जमा हो जाता है। उसे ही ओस (Dew) कहते हैं।
कुहासा या ओसांक (Dew Point) : जिस तापक्रम पर किसी निश्चित परिमाण वाली वायु, उसमें उपस्थित जलवाष्प के द्वारा संतृप्त हो जाती है, उस तापक्रम को ओसांक (Dew Point) कहते हैं।
प्रश्न 10.
मिट्टी के पात्र में रखा जल गर्मी के दिनों में क्यों ठंडा रहता है ?
उत्तर :
गर्मी के दिनों में मिट्टी के घड़े में रखा पानी ठंडा हो जाता है। कारण मिट्टी के बर्तन में बहुत से बारीक छेद (Pores) रहते हैं जिससे होकर पानी बर्तन की बाहरी सतह पर आकर (हवा के सम्पर्क में आने से) वाष्प में बदलता रहता है। वाष्प में बदलने के लिए आवश्यक गुप्त उष्मा पात्र तथा पात्र के अन्दर स्थित जल से ली जाती है। फलस्वरूप जल ठंडा हो जाता है।
प्रश्न 11.
संतृप्त जल वाष्प से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
संतृप्त वाष्प (Saturated vapour) : जब किसी निश्चित आयतन वाली वायु में अधिकतम सम्भव मात्रा में वाष्प उपस्थित हो, तो उस वाष्प को संतुप्त वाष्प कहते हैं।
प्रश्न 12.
ओस किसे कहते हैं ?
उत्तर :
ओस (Dew) : वायुमण्डल के वायु में वाष्प धारण करने की क्षमता वायुमण्डल के तापक्रम पर निर्भर करती है। वायुमण्डल का तापक्रम अधिक रहने पर वायु में वाष्प ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है। दिन में सूर्य की गर्मी के प्रभाव से तापक्रम अधिक रहता है, जिससे वायुमण्डल असंतृप्त रहता है। रात के समय वायुमण्डल का तापक्रम कम हो जाता है जिससे पृथ्वी तथा पृथ्वी से सटी वस्तुएँ उष्मा खोकर ठंडी हो जाती हैं। वायुमण्डल का तापक्रम ओसांक (Dew point) से कम हो जाने पर वायुमण्डल की वायु सघनित होकर छोटे-छोटे जल कणों में बदल कर घास, पेड़ की पत्तियों आदि पर जमा हो जाती है। इसी जल को ओस (Dew) कहते हैं।
प्रश्न 13.
ओस पड़ने के लिये कौन-सी स्थिति अनुकूल होती है ?
उत्तर :
ओस के बनने की आवश्यक शर्तें (Essential requirements for formation of Dew) :
आकाश के बादलरहित और स्वच्छ रहने पर पृथ्वी से उष्मा का विकिरण तेजी से होता है और पृथ्वी जल्दी ठंडी हो जाती है। अत: भू-पृष्ठ से लगी वायु का तापक्रम ओसांक (Dew point) से कम हो जाता है और ओस जमने की क्रिया आरम्भ हो जाती है।
वायुमण्डल में जलवाष्प की मात्रा अधिक होने पर वायु जल्दी संतृप्त होती है और ओस का बनना तीव्र हो जाता है।
पृथ्वी के धरातल के समीप उष्मा के अच्छे विकिरण और उष्मा की कुचालक वस्तुओं की उपस्थिति से ओस बनने की क्रिया तीव्र हो जाती है।
प्रश्न 14.
समुद्री प्रदेश में गर्मी ज्यादा तकलीफदेह क्यों होती है ?
उत्तर :
समुद्री प्रदेशों में गर्मी के मौसम में वायुमण्डल का तापमान बढ़ने से सामुद्रिक जल का वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे वायु. की आर्द्रता बढ़ जाती है। इसके फलस्वरूप शरीर का पसीना जल्दी नहीं सूखता और शरीर में बराबर चिपचिपाहट रहती है। इसी कारण से समुद्री प्रदेशों गर्मी ज्यादा तकलीफदेह होती है।
प्रश्न 15.
उष्मा गति का प्रथम नियम क्या है ?
उत्तर :
उष्मा गति का प्रथम नियम : जूल नामक वैज्ञानिक ने अपने प्रयोगों द्वारा एक सम्बन्ध स्थापित किया जिसके अनुसार ‘जब की यांत्रिक कार्य (Mechnical work) उष्मा में या उष्मा कार्य में बदलंती है तो वे एक दूसरे के समानुपाती होते हैं।’ यह उष्मा गति का प्रथम नियम (first law of thermodynamics) मी कहलाता है।
प्रश्न 16.
गुप्त उष्मा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
गुप्त उष्मा (Latent Heat) : स्थिर तापक्रम पर किसी पदार्थ के इकाई मात्रा द्वारा अवस्था परिवर्तन के लिए जितनी उष्मा शोषित की जाती है या त्यागी जाती है, उष्मा के इस परिमाण को उस पदार्थ की गुप्त उष्मा कहते हैं।
प्रश्न 17.
संतुप्त वाष्प से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
संतुप्त वाष्प (Saturated vapour) : जब किसी निश्चित आयतन वाली वायु में अधिकतम सम्भव मात्रा में वाष्प उपस्थित हो, तो उस वाष्प को संतुप्त वाष्प कहते हैं।
प्रश्न 18.
जल का असंगत प्रसार क्या कहलाता है ?
उत्तर :
सामान्यत: गर्म करने पर सभी द्रवों में प्रसार होता है और ठंडा करने पर वे सिकुड़ जाते हैं किन्तु जल के प्रसार की अपनी मौलिक विशेषता है। यदि पानी को धीरे-धीरे ठंडा किया जाए तो 4° C तक उसका आयतन धीरे-धीरे कम होता है, परन्तु ताप 4° C के बाद पानी का आयतन बढ़ने लगता है।
प्रश्न 19.
कार्य तथा उष्मा में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर :
कार्य एवं उष्मा में समानुपाती सम्बन्ध (Relation between equivalence of work and heat) : हम जानते हैं कि किसी भी मशीन द्वारा उत्पन्न उष्मा (कार्य के दौरान) उस मशीन द्वारा किए गए कार्य के समानुपाती होता है। इस सम्बन्ध को उष्मा का यांत्रिक समानुपात कहते हैं। अर्थात्
W ∝ W
या, W = JH
जहाँ W = कार्य जूल में (J)
J = स्थिरांक = 4.18 Joules/Calories (J / C ) ‘J’ को उष्मा का यांत्रिक तुल्यांक (Mechanical equivalent of heat)
H = उत्पन्न उष्मा (कैलोरी)
इस समीकरण का उपयोग कार्य एवं कार्य के समय उत्पत्र ऊर्जा प्रवाह (उष्मा) की माप करने में किया जाता है। विपरीत क्रम में भी समीकरण का उपयोग किया जा सकता है।
उदाहरण – H= \(\frac{W}{J}\) या W = JH ;[J=4.18 J* /. cal] J* = Joule.
प्रश्न 20.
वाष्पन की गुप्त उष्मा से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
वाष्पन की गुप्त उष्मा : प्रामाणिक दबाव पर उष्मा की वह मात्रा जो किसी इकाई मात्रा वाले द्रव को क्वथनांक पर बिना तापक्रम बदले ही द्रव अवस्था से वाष्प अवस्था में परिणत कर दे।
प्रश्न 21.
कैलोरीमिति का सिद्धान्त लिखो।
उत्तर :
कैलोरीमिति का सिद्धान्त (Principle of Calorimetry) : जब कैलोरीमीटर के अंदर विभित्र तापमान की वस्तुओं को रखा जाता है तो उष्मा गर्म वस्तु से ठंडी वंस्तु की तरफ प्रवाहित होती है एवं उष्मा का यह प्रवाह तब तक जारी रहता है, जब तक कि दोनों वस्तुओं का तापमान समान न हो जाय। यदि यह मान लिया जाय कि कैलोरी मीटर के अंदर विभिन्न तापमान वाली वस्तुओं के रखने से बाहर से उष्मा न कैलोरीमीटर के अन्दर आ रही है और न तो अंदर की उष्मा कैलोरीमीटर से बाहर जा रही है तथा रखी गयी वस्तुओं के बीच कोई रासायनिक प्रतिक्रिया भी नहीं हो रही है तो ऊर्जा की अविनाशिता के सिद्धांत के अनुसार –
गर्म वस्तु द्वारा छोड़ी गई उष्मा = ठंडी वस्तु द्वारा ग्रहण की गई उष्मा।
∴ उष्मा त्याग = उष्मा ग्रह्रण
यही कैलोरीमिति का सिद्धांत है।
प्रश्न 22.
जूल का क्या नियम है ?
उत्तर :
जूल का नियम (Joule’s law) : किसी यांत्रिक कार्य के फलस्वरूप उष्मा उत्पन्न होती है या उष्मा के योग से कार्य सम्पादित होता है तो सम्पादित कार्य तथा उत्पत्र उष्मा एक दूसरे के समानुपाती होती हैं।
यदि W कार्य के द्वारा H उष्मा उत्पत्न होती है या H उष्मा से W कार्य सम्पादित होता है तो जूल के नियमानुसार W α H Or W = JH (जहाँ J एक स्थिरांक. (Constant)) है जिसे उष्मा का यांत्रिक तुल्यांक या जूल का तुल्यांक (Mechanical equivalent of heat or Joule’s equivalent) कहते हैं।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
अणु गति सिद्धान्त के आधार पर उष्मा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
अणु गति सिद्धान्त के अनुसार पता चलता है कि प्रत्येक पदार्थ अणुओं से मिलकर बने होते हैं। अणु सदैव अन्तर आणविक स्थान (Intermolecular space) में गति करते रहते हैं। इन अणुओं की मात्रा और वेग के कारण ही इनमें गतिज ऊर्जा पायी जाती है। यही गतिज ऊर्जा अणुओं से मिलकर बने पदार्थ की तापीय ऊर्जा का साधन बन जाती है। अतः इस सिद्धान्त के अनुसार उष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है, जो पदार्थ के अणुओं की गति से प्राप्त होती है। किसी वस्तु के तापमान के घटने या बढ़ने का कारण उसके अणुओं की गति का घटना या बढ़ना है।
अत: उष्मा एक प्रकार की ऊर्जा है जो पदार्थ के अणुओं की गति से प्राप्त होती है तथा जिसके कारण वस्तुओं के गर्म या ठंडे होने का बोध होता है।
प्रश्न 2.
पदार्थों के अवस्था परिवर्तन का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर :
उष्मा द्वारा पदार्थ को एक अवस्था से दूसरी अवस्था में परिवर्तित करने की क्रिया को अवस्था परिवर्तन कहते हैं। पदार्थ के उष्मा ग्रहण और निष्कासन के फलस्वरूप अवस्था परिवर्तन होता है जैसे – बर्फ को गर्म करने पर जल तथा वाष्प (गैस) में बदलता है। बर्फ एक ठोस पदार्थ है, उष्मा पाकर जल (द्रव) में बदल जाता है। जल को उष्मा देने पर वाष्प (गैस) में बदलता है।
प्रश्न 3.
पदार्थों का ठोस से गैस में बदलने की प्रक्रिया को ग्राफ द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर :
किसी ठोस पदार्थ को गर्म करने पर ठोस से वाष्प में बदलने की क्रिया को यदि तापमान वृद्धि तथा नियत दर से उष्मा देने के समय के बीच ग्राफ खींचा जाय तो ग्राफ चित्र के अनुसार होगा। O बिन्दु पर पदार्थ ठोस अवस्था में है। भाग O A ठोस की तापमान वृद्धि को प्रदर्शित करता है, बिन्दु A के संगत तापमान Tm पदार्थ का गलनांक है। भाग A B में ठोस अपने गलनांक पर द्रव अवस्था में बदल रहा है। B बिन्दु पर सम्पूर्ण ठोस द्रव रूप में है। A से B के मध्य पदार्थ द्वारा ग्रहण की गयी उष्मा गुप्त उष्मा है क्योंकि इस दौरान पदार्थ के अवस्था परिवर्तन के समय ग्रहण की गयी उष्मा का थर्मामीटर द्वारा प्रदर्शन नहीं होता। इसे गलन की गुप्त उष्मा कहते हैं।
भाग BC पुन: द्रव के तापमान वृद्धि को प्रदर्शित करता है। बिन्दु C के संगत तापमान द्रव का क्वथनाक TB है। इस तापमान पर द्रव वाष्प में बदलने लगता है। भाग CD में द्रव अपने क्वथनांक पर वाष्प अथवा गैस में बदलता है। पुन: इस दौरान द्रव द्वारा ग्रहण की गयी उष्मा का प्रदर्शन थर्मामीटर द्वारा नहीं होता है। इस दौरान ग्रहण की गयी उष्मा को वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा कहते हैं। D बिन्दु पर सम्पूर्ण द्रव वाष्ष में बदल जाता है। भाग DE पुन: वाष्ष की तापमान वृद्धि को दर्शाता है।
प्रश्न 4.
संतृप्त एवं असंतृप्त वाष्प क्या है ? ओस का बनना कैसे संभव होता है ?
उत्तर :
संतृप्त एवं असंतृप्त वाष्प (Saturated and unsaturated vapour) : जब किसी निश्चित आयतन वाली वायु में अधिकतम सम्भव मात्रा में वाष्प (vapour) उपस्थिति हो, तो उस वाष्प को संतृप्त वाष्प (Saturated vapour) कहते हैं। जब किसी निश्चित आयतन वाली वायु (given volume of air) में अधिकतम सम्भव मात्रा से कम मात्रा में वाष्प उपस्थित हो, तो उस वाष्प को असंतृप्त वाष्प (unsaturated vapour) कहते हैं। किसी स्थान पर वायु में उपस्थित जल वाष्प (Water vapour) की मात्रा को उस स्थान की आर्द्रता (humidity) कहते हैं।
ओस का बनना : पृथवी के ऊपरी भाग में जब किसी कारण से वायु का तापक्रम कम हो जाता है तो वायु जलवाष्ष से संतृप्त होने लगती है और जब वायु का तापक्रम ओसांक से कम हो जाता है तो संतृप्त वायु घनीभूत होकर वायुमण्डल में तैरते हुए धूलकण या धूम्र कणों पर छोटे-छोटे जल के कणों के रूप में संघनित हो जाती है और हवा में तैरती रहती है उसे कुहासा कहते हैं। कुहासा Mist के घने रूप को कोहरा (Fog) कहते हैं। तेज धूप या दोपहर के समय कोहरा समाप्त हो जाता है क्योंकि धूल या धूम्र कणों पर संघनित जल कणों का वाष्पीकरण हो जाता है।
प्रश्न 5.
जल के असंगत प्रसार को ग्राफ द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर :
जल का असंगत प्रसार (Anomalous expansion of water) : सामान्य वायुमण्डल दबाव पर प्राय: सभी द्रव गर्म किए जाने पर आयतन में बढ़ते हैं, लेकिन जल को 0° C से 4° C तक गर्म करने पर पहले इसका आयतन घटता है तथा 4° C के बाद इसका आयतन बढ़ना शुरू होता है। जैसा कि चित्र (a) में ग्राफ द्वारा प्रदर्शित है।
इसका अर्थ है कि जल के एक निश्चित द्रव्यमान का आयतन 4° C पर सबसे कम होता है, अर्थात् 4° C पर जल का घनत्व सबसे अधिक (1.0000 ग्राम/सेमी०) होती है।
चित्र (b) में जल के घनत्व का तापमान के साथ परिवर्तन दिखाया गया है। 0° C से 4° C तक जल का घनत्व बढ़ता है, 4° C पर घनत्व सबसे अधिक हो जाता है तथा 4° C से ऊपर तापमान बढ़ाने पर घनत्व पुन घटने लगता है। जब जल को 4° C से नीचे ठण्डा करते है, तो उसका आयतन बढ़ता जाता है। जब वह 0° C पर जम कर बर्फ बन जाता है, तो बर्फ का आयतन, जल के आयतन से अधिक होता है। यही कारण है कि बर्फ का घनत्व, जल के घनत्व से कम होता है तथा बर्फ जल पर तैरता है। इस गुण के दैनिक जीवन में अनेक प्रभाव पाये जाते हैं।
प्रश्न 6.
जाड़े के समय में तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से भी नीचे पहुँचाने पर भी जलीय जन्तु जीवित रहते हैं। कैसे?
उत्तर :
ठंडे प्रदेशों में जब वायुमण्डल का तापमान 0° C से कम हो जाता है तो तालाबों, झीलों आदि का तापमान घटकर पहले 4° C पहुँच जाता है क्योंकि 4° C पर जल का घनत्व सबसे अधिक होता है। जल की ऊपरी सतह का तापमान धीरेधीरे और कम हो जाता है और 0° C पर पहुँच जाता है। फलत: जल ठंडा होकर बर्फ में बदलने लगता है। बर्फ बनने पर जल के आयतन में वृद्धि होती है। अतः उसका घनत्व कम हो जाता है। बर्फ का घनत्व नीचे स्थित 4° C वाला जल रहता है। वह जमने नहीं पाता और इस तरह उस जल में जलीय जन्तु जीवित रहते हैं।
विभिन्न प्रकार की गुप्त उष्मा निम्नलिखित हैं –
पिघलने की गुप्त उष्मा (Latent heat of fusion) : किसी पदार्थ द्वारा ठोस से द्रव में बदलते समय तापमान में परिवर्तन के बिना ली गयी उष्मा की मात्रा को पिघलने को गुप्त उष्मा कहते हैं।
जमने की गुप्त उष्मा (Latent heat of solidification) : किसी पदार्थ द्वारा द्रव से ठोस में बदलते समय बिना तापमान में परिवर्तन के निकाली गयी उष्मा की मात्रा को जमने की गुप्त उष्मा कहते हैं।
वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा (Latent heat of vaporisaiton) : किसी पदार्थ द्वारा द्रव से वाष्प में बदलते समय बिना तापमान में परिवर्तन के ली गयी उष्मा की मात्रा को वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा कहते हैं।
संघनन की गुप्त उष्मा (Latent heat of condensation) : किसी पदार्थ द्वारा वाष्प से द्रव में बदलते समय बिना तापमान में परिवर्तन के त्यागी गयी उष्मा की मात्रा को संघनन की गुप्त उष्मा कहते हैं।
प्रश्न 7.
जल के आयतन और तापक्रम को ग्राफ चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए कि जल के आयतन में उष्मा ग्रहण या त्याग द्वारा असामान्य व्यवहार होता है ?
उत्तर :
जल का असामान्य फैलाव (Anomalous Expansion of Water) : सभी द्रव गर्म करने पर फैलते हैं। लेकिन जल को जब 0° C से 4° C तक गर्म किया जाता है, तो जल का आयतन घटता है और यह 4° C तक सबसे कम हो जाता है। किन्तु जब तापमान 4° C से बढ़ता है, तब जल का आयतन पुन: बढ़ने लगता है। अर्थात् तब जल का घनत्व 4° C पर सर्वाधिक होता है। ठीक इसी प्रकार जल को जब गर्म से ठण्डा किया जाता है, तो जल का आयतन 4° C तक घटता है और 4° C पर जल का आयतन सबसे कम होता है। आगे 4° C से कम 0° C तक ठण्डा (Cooling) किया जाता है तो जल का आयतन घटने की जगह बढ़ने लगता है और जल का घनत्व 0° C पर सबसे कम हो जाता है।
जल के लिए आयतन-ताप वक्र (Volume – Temperature curve for water) : जल को जब ठण्डा किया जाता है, तो इसका आयतन 4° C तक घटता है। 4° C के नीचे जल का आयनिक स्वभाव (lonic nature) के कारण जल के आयतन में फैलाव होता है।
चित्र में देखते हैं कि 4° C के नीचे जल का आयतन बढ़ता है। अतः जल का 4° C पर सबसे अधिक घनत्व होता है। 4° C पर बर्फ का आयतन लगभग 0.93 g / ml होता है जबकि ज़ का 1.00 g / ml आयतन होता है। यही कारणा है कि बर्फ पानी के ऊपर तैरती है।
ग्राफ में हम देखते हैं कि जब जल ठंडा होकर जमता है, तब आयतन में फैलाव होता है। अर्थात् आयतन अधिक होता है। चित्र से स्पष्ट है कि 4° C पर जल का घनत्व अधिकतम 1 gm / c . c बिन्दु ‘ P ‘ होता है।
प्रश्न 8.
ठण्डे प्रदेशों में जाड़े की रातों में शहरी जल वितरण के पुराने लोहे के पाइप क्यों फट जाते हैं ? पाइप कभी-कभी फट जाते हैं ?
उत्तर :
वायुमण्डलीय तापमान के 0° C के नीचे गिर जाने पर जल के पाइप का फटना : शीत प्रधान क्षेत्रों में वायुमण्डल का तापक्रम घटकर 0° C से भी कम हो जाने पर पाइप में स्थित जल जमकर बर्फ में बदल जाता है। बर्फ़ बनने से उसके आयतन में वृद्धि होती है। आयतन बढ़ने के फलस्वरूप प्रचण्ड दाब की सृष्टि होती है और इस दबाव के फलस्वरूप लोहे के पाइप फ़ जाते हैं।
प्रश्न 9.
वाष्प से क्या समझते हैं। वाष्पन किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ? गर्मी में पसीने से तर कपड़ा होने पर पंखे के नीचे बैठने पर ठंडक क्यों महसूसू होती है ?
उत्तर :
(i) जल (Vapour) : किसी द्रव पदार्थ को गर्म करने पर जब वह गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, तो उसे वाष्प कहते हैं। किसी द्रव पदार्थ की वाष्प वण्डरवाल के नियम का पालन करती है। किसी द्रव पदार्थ के वाष्प का तापमान क्रांतिक तापमान के बराबर या उससे कम होता है।
(ii) वाष्पीकरण की दर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors) : (a) द्रव की प्रकृति (b) द्रव का तापक्रम (c) द्रव की खुली सतह का क्षेत्रफल (d) द्रव की सतह पर वायु का दबाव।
(iii) पसीना आने पर पंखे के नीचे बैठने पर आराम मिलने का कारण यह है कि जब हम पंखे के नीचे बैठते हैं, तो हमारे शरीर के पसीने का वाष्पीकरण तेजी से होता है। इसके लिए गुप्त उष्मा हमारे शरीर से ग्रहण की जाती है, जिससे शरीर का तापमान गिरता है और हमें ठंडक महसूस होती है।
प्रश्न 10.
उष्मा को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं ?
उत्तर :
उष्मा की मात्रा को प्रभावित करने वाले कारक (Factors determining the quantity of heat) : चूँकि, किसी वस्तु में उष्मा की कुल मात्रा (H) = m × S × θ
जहाँ S = वस्तु की विशिष्ट उष्मा (Sp. heat) और = तापमान में परिवर्तन है।
अतः किसी वस्तु में उष्मा की मात्रा (H), निम्न तीन बातों पर निर्भर करती है।
वस्तु की मात्रा (m) पर : किसी वस्तु में उष्मा की कुल मात्रा (H) तापमान परिवर्तन (m) के समानुपाती होता है जबकि उसकी विशिष्ट उष्मा ( Sp. heat (S) ) और तापमान में परिवर्तन (θ) स्थिर हो। अर्थात् H ∝ m जबकि S और स्थिर θ हो।
तापमान परिवर्तन (θ) पर : किसी वस्तु में उष्मा की मात्रा (H) तापमान परिवर्तन (q) के समानुपाती होता है, जबकि वस्तु की मात्रा (m) और विशिष्ट उष्मा (Sp.heat (S)) स्थिर हो। अर्थात्, H ∝ θ जबकि m और s स्थिर हो।
वस्तु की विशिष्ट उष्मा (s) (या वस्तु की प्रकृति) पर : किसी वस्तु में उष्मा की मात्रा (H), वस्तु की विशिष्ट उष्मा (Sp.heat (S)) के समानुपाती होता है, जबकि वस्तु की मात्रा (m) और तापमान में परिवर्तन (θ) स्थिर हों। अर्थात् H ∝ S जबकि m और θ स्थिर हो।
प्रश्न 11.
उष्मा गति के प्रथम नियम को लिखो।
उत्तर :
प्रसिद्ध वैज्ञानिक जेम्स प्रेसकाट जूल (James Prescott Joule) ने अपने प्रयोगों के आधार पर उष्मा और कार्य में पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित किया। जिसे जूल का नियम (Joule’s law) या उष्मा गति का प्रथम नियम (First law of-Thermodynamics) कहते हैं। उनके अनुसार, जब किसी यांत्रिक कार्य के फलस्वरूप उष्मा उत्पन्न होती है या उष्मा के प्रयोग से किसी कार्य को सम्पादन किया जाता है तो सम्पादित कार्य का परिमाण तथा उष्मा एक दूसरे के सीधा समानुपाती होता है।
यदि W कार्य करने के फलस्वरूप H परिमाण की उष्मा उत्पत्न होती है या H परिमाण की उष्मा द्वारा W परिमाण का कार्य सम्पन्न होता है तो जूल के नियम के अनुसार :
W α H
W = JH (यहाँ J एक स्थिरांक है।)
यहाँ स्थिरांक J को उष्मा का यांत्रिक तुल्यांक या जूल तुल्यांक कहते हैं।
प्रश्न 12.
गुप्त उष्मा को ग्राफ द्वारा चित्र सहित वर्णन करो।
उत्तर :
ग्राफ के आधार पर गुप्त उष्मा (Graph based on latent heat) : गुप्त उष्मा को ग्राफ के आधार पर वर्णन करने के लिए एक बीकर में बर्फ का चूरा लेते हैं, उसमें एक सेल्सियस थर्मामीटर को बर्फ में घुसाकर स्टैंड के सहारे लटका देते हैं। बीकर को एक त्रिपाद स्टैंड के ऊपर लोहे की जाली पर चित्रानुसार रख देते हैं, त्रिपाद स्टैंड के नीचे एक स्पिट लैम्प रखते हैं जिसकी लो लोहे की जाली पर पड़े। अब बर्फ का तापक्रम (0° C) नोट कर लेते हैं और स्मीट लैम्प को जला देते हैं और प्रत्येक मिनट पर थर्मामीटर का तापक्रम नोट करते हैं तो काफी समय तक बर्फ का तापक्रम 0° C पाते हैं जब तक पूरा बर्फ गलकर जल न बन जाये। अब धीरे-धीरे जल का तापक्रम बढ़ता मिलता है उसे नोट करते रहते हैं। काफी समय तक जल का तापक्रम 100° C मिलता है जब तक पूरा जल वाष्प न बन जाये, लेकिन इस अवस्था तक ताप नियत (100° C) बना रहता है। अब प्रत्येक मिनट पर लिये गये ताप और समय के बीच ग्राफ खींचते हैं तो निम्न प्रकार की आकृति मिलती है।
ग्राफ का O-A भाग निश्थित ताप 0° C पर बर्फ पिघलकर जल बनने में और B-C भाग निध्धित ताप 100° C पर जल का उबलकर वाष्प बनने की घटना को दर्शाता है। अवस्था परिवर्तन भाग O-A तथा B-C को अध्ययन करने पर पता चलता है कि पदार्थ को उष्मा तो मिल रही है परन्तु थर्मामीटर का ताप में कोई परिवर्तन नहीं मिलता है क्योंकि यह ताप ठोस पदार्थ के अणुओं के आकर्षण के विरुद्ध कार्य करता है जिससे पदार्थ की अवस्था बदल सके। इसी प्रकार द्रव से वाष्प बनने में यह उष्मा ऊर्जा व्यय होती है जिससे द्रव पदार्थ गैसीय अवस्था में बदल सके।
प्रश्न 13.
जल का असंगत प्रसार का प्रभाव जलीय जीवन पर कैसे पड़ता है ?
उत्तर :
जल के अनियमित या अनोखे प्रसार का समुद्री जीवन पर प्रभाव (Consequences of anomalous expansion of water on marine life) : ठंडे प्रदेशों में समुद्री जीवन की सुरक्षा में जल के अनोखे प्रसार की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
ठंडे मदेशों में जाड़े के दिनों में वायु का ताप 0° C से भी कम हो जाता है। अत: वहाँ की नदियों, तालाबों, समुद्र आदि की सतह का जल ठंडा हो जाता है एवं ज़मने लगता है। यह भारी होकर नीचे चला जाता है तथा नीचे से हल्का जल ऊपर आ जाता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि पूरे तालाब, नदी, समुद्र आदि के जल का तापमान 4° C तक नहीं आ जाता।
सतह पर जब जल का तापमान 4° C से नीचे आने लगता है तो इसका घनत्व कम होने लगता है। अत: जल के जमने की क्रिया ऊपर से नीचे की ओर होती है एवं ऊपरी सतह पर का जल बर्फ बन जाता है। बर्फ के निचले स्तर में 4° C तापमान पर जल उपस्थित रहता है। चूँकि बर्फ, उष्मा का कुचालक है, अतः 4° C वाले जल की उष्मा को बाहर नहीं जाने देता एवं नीचे में 4° C पर जल बना रहता है एवं वह जमने से बच जाता है। इस जल में मछलियाँ एवं अन्य जीव आसानी से जीवित रहते हैं।
प्रश्न 14.
उष्मा मापने के सिद्धान्त का वर्णन करें।
उत्तर :
उष्मा मापने का सिद्धान्त (Principle of Measurement of Heat) : कैलोरीमीटर ताँबे का एक बेलनाकार पात्र होता है जिसमें द्रव को हिलाने के लिए एक ताँबे का विडोलक (stirrer) लगा रहता है। उष्मा के क्षय रोकने के लिए पात्र के चारों तरफ रूई या ऊन की मोटी गद्दी लगी रहती है। पात्र का मुँह लकड़ी के ढक्कन से ढंका रहता है तथा ढक्कन के मध्य छिद्र बना होता है जिसमें थर्मामीटर लगा रहता है। यह सारा उपकरण एक अन्य लकड़ी या ताँबे के बेलनाकार प्रात्र में रखा रहता है।
माना कि A और B दो वस्तुओं को एक दूसरे के सम्पर्क में रखा जाय तथा वस्तु A का तापक्रम वस्तु B के तापक्रम से अधिक हो तो वस्तु A उष्मा का त्याग करेगी तथा वस्तु B उष्मा ग्रहण करेगी।
फिर माना कि वस्तु A की मात्रा = M1, विशिष्ट उष्मा = S1, तथा तापक्रम = t1 है।
वस्तु B की मात्रा = M2, विशिष्ट उष्मा = S2 तथा तापक्रम = t2 है।
दोनों वस्तुओं को एक दूसरे के सम्पर्क में रखने पर अंतिम तापक्रम t होता है।
∴ A द्वारा त्यागी गयी उष्मा की मात्रा = M1 S1(t1-t)
तथा B द्वारा ग्रहण की गयी उष्मा की मात्रा = M2 S2(t – t2)
∴ कैलोरीमिति तथा ऊर्जा की अविनाशिता के सिद्धान्त के अनुसार,
M1 S1(t1 – t) = M2 S2(t-t2)
यदि एक वस्तु की विशिष्ट उष्मा ज्ञात हो तो दूसरी की विशिष्ट उष्मा उपरोक्त समीकरण द्वारा ज्ञात की जा सकती है। यह सिद्धान्त ठोस तथा द्रवों की विशिष्ट उष्मा ज्ञात करने में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 15.
पिघलने की गुप्त उष्मा की व्याख्या करो।
उत्तर :
पिघलने की गुप्त उष्मा (Latent heat of fusion) : किसी ठोस पदार्थ की इकाई मात्रा द्वारा ग्रहण की गयी वह उष्मा की मात्रा, जो तापक्रम में परिवर्तन किए बिना उसको ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तन कर देती है, उस ठोस पदार्थ के पिघलने की विशिष्ट गुप्त उष्मा कहलाती है।
बर्फ के पिघलने की गुप्त उष्मा 80 cal / gm
इस कथन का तात्पर्य यह है कि एक ग्राम बर्फ को 0° C तापक्रम पर ही ठोस अवस्था से द्रव अवस्थां में परिवर्तित करने के लिए 80 cal उष्मा की आवश्यकता होगी। यदि बर्फ की एक सिल्ली में एक छिद्र बनाकर उसमें जल भर दिया जाय तो जल का तापक्रम धीरे-धीरे घटकर 0° C हो जाएगा लेकिन जल बर्फ में परिवर्तित नहीं होगा। इसका कारण यह है कि 0° C पर 1 gm जल 80 cal उष्मा त्यागकर बर्फ में परिवर्तित होगा लेकिन यह उसी समय सम्भव है जब आस-पास का तापक्रम 0° C से कम हो। चूँकि जल के आस-पास का तापक्रम 0° C से कम नहीं रहता इसलिए जल, बर्फ के रूप में परिवर्तित नहीं होता।
प्रश्न 16.
भाप की गुप्त उष्मा की व्याख्या करो।
उत्तर :
भाप की गुप्त उष्मा : भाप की गुप्त उष्मा 537 cal / gm है। इस कथन का तात्पर्य यह है कि सामान्य वायुमण्डलीय दबाव पर 100° C तापक्रम वाले 1 gm जल को बिना तापक्रम बदले ही भाप (steam) में बदलने के लिये 537 cal उष्मा की आवश्यकता पड़ती है।
S.I. पद्धति में भाप की गुप्त उष्मा 2.555 × 10^5 joul / kg है। इस कंथन का तात्पर्य यह है कि सामान्य वायुमण्डलीय दबाव पर 100° C तापक्रम वाले 1 kg जल को 100° C तापक्रम वाले भाप में बदलने के लिए 2.555 × 106 joul उष्मा की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 17.
पानी के असंगत प्रसार पर समुद्री जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
ठण्डे प्रदेशों का तापक्रम 0° C से कम हो जाता है उस समय नदियों तथा झीलों की ऊपरी सतह का जल जमकर बर्फ बन जाता है। जल से बर्फ का आयतन अधिक होने के कारण बर्फ का घनत्व कम हो जाता है जिसे बर्फ ऊपरी सतह पर तैरते रहता है नीचे डूब नहीं पाता है।
नीचे स्तर के जल का तापक्रम कम होते-होते 4° C पर पहुँच जाता है जिससे जल का घनत्व सबसे अधिक हो जाता है। जिसके कारण नीचे का जल ऊपर उठकर बर्फ नहीं बन पाता और नीचे का जल द्रव रूप में बना रहता है। जिस कारण जल में पलनेवाले जीव तथा पौधे बर्फ के नीचे के जल में जिंदा तथा सजीव रह जाते है नष्ट नहीं हो पाते हैं।
प्रश्न 18.
उष्मा तथा कार्य की समानता से क्या समझते हो ?
उत्तर :
उष्मा तथा कार्य की समानता (Equivalent of heat and work) : जूल ने कार्य और उष्मा के संबंध को एक नियम द्वारा प्रस्तुत किया जिसे उष्मा-गति विज्ञान का प्रथम नियम (First law of thermodynamios) कहते हैं। यह निम्न प्रकार हैं – किसी कार्य के सम्पन्न होने से उष्मा उत्पन्न हो या उष्मा द्वारा कोई कार्य संपन्न हो, तो दोनों अवस्था में कार्य और उष्मा एक दूसरे के समानुपाती होते हैं।
यदि कार्य और उत्पन्न उष्मा का परिमाण क्रमश: W और H हो, तो –
W ∝ H ∴ W=J H; यहाँ J एक स्थिरांक है, जिसे जूल तुल्यांक या Mechanical Equivalent of Heat. कहते हैं।
उष्मा तथा कार्य की तुल्यता का परिमाणात्मक अध्ययन जूल (Joule) ने अनेक प्रयोगों द्वारा किया। उन्होंने यह देखा कि 4.2 × 103 जूल कार्य से तापमान में उतनी ही वृद्धि होती है जितनी कि 1 किलो कैलोरी उष्मा से 1 जूल ने विभिन्न पदार्थों में भिन्न-भिन्न रीतियों द्वारा कार्य करके, कार्य तथा तापमान में वृद्धि को मापा तथा प्रत्येक दशा में वही फल पाया। इस प्रकार जूल ने प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध किया कि 4.2 × 103 जूल कार्य 1 किलो कैलोरी उष्मा के तुल्य है।
प्रश्न 19.
जूल नियम क्या है ?
उत्तर :
प्रसिद्ध वैज्ञानिक जेम्स प्रेसकाट जूल (James Prescott Joule) ने अपने प्रयोगों के आधार पर उष्मा और कार्य में पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित किया जिसे जूल का नियम (Joule’s law) या उष्मा गति का प्रथम नियम (First law of Thermodynamics) कहते हैं। उनके अनुसार, जब किसी यांत्रिक कार्य के फलस्वरूप उष्मा उत्पन्न होती है या उष्मा के प्रयोग से किसी कार्य को सम्पादन किया जाता है तो सम्पादित कार्य का परिमाण तथा उष्मा एक दूसरे के सीधा समानुपाती होता है।
यदि W कार्य करने के फलस्वरूप H परिमाण की उष्मा उत्पन्न होती है या H परिमाण की उष्मा द्वारा W परिमाण का कार्य सम्पन्न होता है तो जूल के नियम के अनुसार :
W α H
W = JH (यहाँ J एक स्थिरांक है।)
यहाँ स्थिरांक J को उष्मा का यांत्रिक तुल्यांक या जूल तुल्यांक कहते हैं।
प्रश्न 20.
किसी वस्तु द्वारा ग्रहण या त्याग की गई उष्मा की मात्रा कितनी होती है ?
उत्तर :
किसी वस्तु द्वारा ग्रहण या त्याग की गई उष्मा की मात्रा का निर्धारण : तापमान में वृद्धि के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा, वस्तु की मात्रा के समानुपाती होता है।
∴ H α m, जब s एवं t स्थिर हो
यहाँ H = उष्मा (Heat), m = मात्रा (mass)
s = विशिष्ट उष्मा (Specific Heat), t = तापमान (Temperature)
किसी वस्तु में उष्मा की मात्रा, ताप परिवर्तन के समानुपाती होता है।
∴ H α t, जब s एवं m स्थिर हों .
समीकरण (i) एवं (ii) को संयुक्त करने पर,
H ∝ m . t
Or, H = s.m.t जहाँ s एक स्थिरांक है, जिसे पदार्थ की विशिष्ट उष्मा (Specific Heat) कहते हैं।
∴ H = m.s.t.
यदि m = 1, t = 1 हो तो H = s अर्थात् इकाई मात्रा की वस्तु का तापमान इकाई डिग्री बढ़ाने के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा को विशिष्ट उष्मा कहते हैं।
प्रश्न 21.
कैलोरीमिति का सिद्धान्त किन-किन शर्तो पर आधारित है ?
उत्तर :
कैलोरीमिति का सिद्धांत निम्नलिखित शर्तो पर आधारित है –
(i) कैलोरीमीटर में आस-पास के वातावरण से कोई उष्मा न तो अंदर प्रवेश करनी चाहिये एवं न ही केलोरीमीटर से बाहर जानी चाहिये।
इसके लिये कैलोरीमीटर को इस तरह सुरक्षित किया जाता है कि चालन (Conduction), संवहन (Convection) एवं विकिरण (Radiation) विधियों से उष्मा न तो कैलोरीमीटर के अंदर से बाहर और न बाहर से अंदर प्रवाहित हो पाये। कैलोरीमीटर की सतह को पॉलिश कर देने से विकिरण बिधि से उष्मा का क्षय नही होता। कैलोरीमीटर को उष्मारोधक जैकेट (Heat insulating jacket) से ढंक देने पर संवहन विधि से उष्मा का क्षय नहीं होता। कैलोरीमीटर को कार्क जैसे कुचालक से ढँक देने पर चालन एवं वाष्पीकरण विधि से उष्मा प्रवाहित नहीं हो पाती है।
(ii) गर्म वस्तु को कैलोरीमीटर में तुरंत स्थानान्तरित कर देना चाहिए।
(iii) कैलोरीमीटर के अंदर के द्रव को लगातार हिलाते रहना चाहिए।
(iv) कैलोरीमीटर के अंदर उपस्थित प्रदार्थों का चयन ऐसा होना चाहिए कि वे आपस में रासायनिक क्रिया न करें। रासायनिक प्रतिक्रिया में हमेशा उष्मा उत्पन्न या अवशोषित होती है जिसका कैलोरीमितिक गणना में कोई भूमिका नहीं होती।
प्रश्न 22.
एक अच्छे कैलोरीमितिक द्रव के क्या गुण होने चाहिये ?
उत्तर :
एनीलिन (Aniline) में एक अच्छे केलोरीमितिक द्रव के सभी गुण पाये जाते है। अत: यह सबसे अधिक उपयुक्त कैलोरीमितिक द्रव (Best Calorimetric liquid) माना जाता है।
प्रश्न 23.
बोधगम्य उष्मा एवं गुप्त उष्मा में अन्तर क्या है ?
उत्तर :
बोधगम्य उष्मा और गप्त उष्मा में निम्नलिखित अंतर :
बोधगम्य उष्मा | गुप्त उष्मा |
i. यह थर्मामीटर द्वारा व्यक्त होती है। | i. इसे थर्मामीटर व्यक्त नहीं कर पाता। |
ii. इसके प्रभाव से ताप परिवर्तन होता है। | ii. इसके प्रभाव से ताप परिवर्तन नहीं होता है। |
ii. इसकी इकाई कैलोरी है। | iii. इसकी इकाई कैलोरी/ग्राम है। |
iv. इसका मान वस्तु की मात्रा, पदार्थ की विशिष्ट उष्मा और तापांतर पर निर्भर करता है। H = m × s × t | iv. इसका मान वस्तु की मात्रा और पदार्थ की गुप्त उष्मा के ऊपर निर्भर करता है। गुप्त उष्मा = m.L |
प्रश्न 24.
रेखाचित्र की सहायता से गुप्त उष्मा की प्रकृति का वर्णन करो।
उत्तर :
प्रयोग : एक बीकर में बर्फ का चूरा लेते हैं। उसमें एक सेल्सियस थर्मामीटर को बर्फ में घुसाकर स्टैण्ड के सहारे लटका देते हैं। बीकर को एक त्रिपाद स्टैण्ड पर रखे लोहे की जाली पर रखकर स्पिट लैम्प की सहायता से गर्म करते हैं। सर्वप्रथम बर्फ का तापमान (0° C) नोट कर लेते हैं एवं स्पिट लैम्प के जलने के बाद प्रत्येक मिनट पर थर्मामीटर का तापमान नोट करते हैं। जब तक बर्फ पूरा पिघल नहीं जाता, तब तक बर्फ का तापमान 0° C नोट कर लेते है। अब धीरेधीरे जल का तापमान बढ़ता है एवं बहुत समय तक तापमान 100° C रहता है, जब तक पूरा जल वाष्प न बन जाये।
अब समय एवं तापमान का एक ग्राफ खींचते हैं तो प्रस्तुत ग्राफ प्राप्त होता है।
ग्राफ का O-A भाग 0° C पर बर्फ पिघलकर जल बनने को प्रदर्शित करता है एवं B-C भाग 100° C पर जल के उबलकर वाष्प बनने को दर्शाता है। अवस्था परिवर्तन भाग O-A तथा B-C को अध्ययन करने पर पता चलता है कि पदार्थ को उष्मा तो प्राप्त होती है लेकिन थर्मामीटर के ताप में परिवर्तन नहीं होता है क्योकि यह ताप ठोस पदार्थ के अणुओं के आकर्षण के विरुद्ध कार्य करता है जिससे पदार्थ की अवस्था बदल सके। इसी प्रकार द्रव से वाष्प बनने में वह उष्मा ऊर्जा व्यय होता है जिससे द्रव, गैस में बदल सके।
प्रश्न 25.
संतृप्त वाष्प एवं असंतृप्त वाष्प में क्या अंतर है ?
उत्तर :
संतृप्त वाष्प एवं असंतृप्त वाष्प में अंतर : जब किसी निश्चित आयतन वाली वायु में अधिकतम सम्भव मात्रा में वाष्प (vapour) उपस्थिति हो, तो उस वाष्प को संतृप्त वाष्प (Saturated vapour) कहते हैं। जब किसी निश्चित आयतन वाली वायु (given volume of air) में अधिकतम सम्भव मात्रा से कम मात्रा में वाष्प उपस्थित हो, तो उस वाष्प को असंतृप्त वाष्प (unsaturated vapour) कहते हैं। किसी स्थान पर वायु में उपस्तिथ जल वाष्प (Water vapour) की मात्रा को उस स्थान की आर्द्रता (humidity) कहते हैं।
वायु में जलवाष्प के रूप में उपस्थित जल के संघनन अथवा द्रवण से कई प्राकृतिक घटनाएं जैसे – बादलों का बनना, ओस पड़ना तथा कुहरा (fog) एवं कुहासा (mist) का बनना इत्यादि हैं।
प्रश्न 26.
आपेक्षिक आर्द्रता का महत्व क्या है ?
उत्तर :
आपेक्षिक आर्द्रता का महत्व (Importance of relative humidity) :
विभिन्न उद्देश्यों के लिए आपेक्षिक आर्द्रता के बारें में सूचना आवश्यक है। यह देखा गया है कि आपेक्षिक आर्द्रता का मान 50-60 % से अधिक हो जाने पर हमलोगों को पसीना होने लगता है एवं बेचैनी अनुभव होने लगती है। गर्मी के समय यदि आपेक्षिक आर्द्रता 30 % हो जाती है तो लू लगने का डर रहता है।
आपेक्षिक आर्द्रता का उच्च प्रतिशत वर्षा होने की सूचना देता है।
कुछ औद्योगिक प्रकल्पों के लिए आर्द्र जलवायु अनुकूल होती है। यही कारण है कि सूती कारखाने (Cotton mills) आर्द्र जलवायु में साधारणत: स्थित होते हैं।
कुछ जीवाणु आर्द्र जलवायु में बहुत अधिक उत्पत्र हो जाते हैं। अत: स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग वायुमंडल की आर्द्रता पर अपनी दृष्टि रंखता है।
विमानचालक आपेक्षिक आर्द्रता वाले क्षेत्र से बचने की कोशिश करते हैं।
प्रश्न 27.
गुप्त उष्मा क्या है ? बर्फ के गलन की गुप्त उष्मा से आप क्या समझते हैं ? 0° C पर जल तथा 0° C स्थित बर्फ में कौन अधिक ठंडा महसूस होगा और क्यों ?
उत्तर :
गुप्त उष्मा (Latent heat) : किसी पदार्थ की गुप्त उष्मा (Latent heat) उष्मा का वह परिमाण है, जो बिना तापक्रम बदले उसे एक अवस्था से दूसरी अवस्था (जैसे, ठोस से द्रव अवस्था अथवा द्रव से वाष्प) में बदलने के लिए आवश्यक है। अथवा गुप्त उष्मा, वह उष्मा है, जो केवल पदार्थ की अवस्था परिवर्तन करती है, तापक्रम में कोई परिवर्तन नहीं करती है।
बर्फ के गलन की गुप्त उष्मा (Latent heat of melting of ice) : सामान्यतया बर्फ 0° C पा पिघलना शुरू करती है। 0° C की बर्फ को 0° C के जल में परिवर्तित होने के खर्च हुई उष्मा की मात्रा को बर्फ के गलन की गुप्त उष्मा कहते हैं।
S.I. पद्धति में बर्फ के गलने की गुप्त उष्मा 336000 जूल/कि॰ग्रा० है अर्थात् 0° C पर 1 कि॰ग्रा० बर्फ को 0° C के 1 कि०ग्रा० पानी में बदलने के लिए 336000 जूल उष्मा की आवश्यकता पड़ती है।
0° C के जल की तुलना में 0° C के बर्फ से अधिक ठंडी महसूस होने का कारण : बर्फ की गुप्त उष्मा 80 केलोरी प्रति ग्राम होता है। अतः: 0° C तापमान की 1 ग्राम बर्फ 80 कैलोरी उष्मा ग्रहण कर 0° C तापमान के 1 ग्राम जल में परिवर्तित होती है। अर्थात् 0° C के जल की तुलना में 0° C के बर्फ में उष्मा की मात्रा कम होती है जिससे बर्फ ठंडी महसूस होती है।
आंकिक प्रश्नोत्तर (Numrical Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
100 ग्राम वाले तांबे के एक टुकड़े का तापमान 100° C से 20° C तक लाया गया। कितनी मात्रा में उष्मा की हानि होगी ? (ताँबे की वि.उ. = 0.09)
हल : तांबे द्वारा ली गयी उष्मा = mst(100-20)
= 100 × 0.09 × 20
= 100 × \(\frac{9}{100}\) × 80
= 720 Cal
प्रश्न 2.
50 ग्राम वाले लोहे के एक टुकड़े का तापमान 100° C से 150° C तक बढ़ाया गया। लोहे द्वारा ग्रहण की गयी उष्मा की मात्रा ज्ञात कीजिए। (लोहे की वि.उ. = 0.12
हल :
लोहा द्वारा ग्रहण की गई उष्मा = mst
= 50 × 0.12 × (150-100)
= 50 × \(\frac{12}{100}\) × 50 = 300 Cal
प्रश्न 3.
-20° C पर स्थित 1 kg बर्फ को 20° C जल में बदलने में कितनी कैलोरी उष्मा लगेगी। दिया है L = 80 cal / gm
हल :
1 kg वाले बर्फ को -20° C से 0° C पर आने का
आवश्यक उष्मा = ms(t-t)
= 1000 × 1 {0 (-20)}
= 200000 Cal
1 kg बर्फ को 0° C वाले जल में बदलने में आवश्यक
उष्मा = mL
= 100 × 80
= 80000 Cal
0° C वाले 1 kg पानी का तापक्रम 20° C करने में आवश्यक उष्मा = ms(t-t1)
= 1000 × 1(20-0)
= 20000 Cal
कुल उष्मा = 20000 + 80000 + 20000
= 120000
= 12 × 104 Cal
प्रश्न 4.
200° C तापक्रम पर 40 ग्राम पानी को 100 ग्राम ठण्डे पानी में मिलाने पर मिश्रण का तापक्रम 60° C हो जाता है। ठण्डे पानी का प्रारम्भिक तापक्रम ज्ञात कीजिए।
हल :
माना ठण्डे पानी का प्रारम्भिक तापक्रम x है।
ठण्डे पानी द्वारा ली गई उष्मा = m1 s1 t1
= 100 × 1 × (60-x)
गर्म पानी द्वारा दी गई उष्मा = m2 s2 t2
= 40 × 1(200-60)
m2 s2 t2 = m1 s1t1
40 × 1 × (200-60) = 100 × 1 × (60-x)
40 × 140 = 100 ×(60-x)
56 = 60 – x
x = 60 – 56
∴ x = 4° C
प्रश्न 5.
0° C ताप वाली बर्फ की एक बड़ी सिल्ली पर 1 kg. मात्रा तांबे के एक टुकड़ा को 300° C गर्म करके रख देने से कितनी बर्फ पिघल जायेगी। दिया है -तांबे की विशिष्ट उष्मा 0 Kal° / gm° C, बर्फ के गलन की गुप्त उष्मा 80 / Fal / gm
हल :
माना x gm बर्फ पिघल कर 0° C वाला पानी बनता है
बर्फ द्वारा पिघलने में ली गई उष्मा = ML
= x × 80 Cal
तांबा द्वारा छोड़ी गई उष्मा = mst
= 1000 gm × .1 × (300-0)
= 1000 × \(\frac{1}{10}\) × 300
= 30000 Cal
80 x = 30000
x = \(\frac{30000}{80}\)
= 375 gm
प्रश्न 6.
40° C के 500 ग्राम जल में 10° C का 250 ग्राम जल मिलाने पर मिश्रण का अंतिम तापक्रम क्या होगा ?
हल :
माना मिश्रण का अन्तिम तापक्रम t° C है
ग्रहण की गई उष्मा = त्यागी गई उष्मा
m1 = 250 gm m2 = 550 gm
s1 = 1 s2 = 1
t1 = (t-10) t2 = (40-t)
m1 s, t = m2 s2 t2
250 × 1 × (t2 -10) = 500 × 1 × (40-t)
t-10 = 80 – 2 t
3 t = 90
∴ t = 30° c
प्रश्न 7.
2 कि० ग्राम जल का ताप 70° C है। इसे 45° C वाले 1 कि०ग्राम जल में मिश्रित करने पर मिश्रण का अंतिम तापक्रम क्या होगा ?
हल :
माना मिश्रित जल का तापक्रम t° C हुआ है
यहाँ ग्रहण किया उष्मा =m1 s1 t1
यहाँ m1=1 kg, m2 = 2 kg
s1 = 1 s2 = 1
t1 = (t-45), t2 = (70-t)
m1 s1 t1 = mz s2 t2
1 × 1 × (t-45) = 2 × 1 ×(70-t)
t = 45 = 140 – 27
3 t = 185
t = \(\frac{185}{3}\)=61.666
∴ t = 61.67° c (लगभग)
प्रश्न 8.
100 ग्राम बर्फ को 500 ग्राम पानी में डाला जाता है जिसका ताप 30° C था। मिश्रण का ताप क्या होगा ?
हल :
100 gm बर्फ का जल में बदलने के लिए आवश्यक उष्मा = M 2
= 100 × 80
L = बर्फ की गुप्त उष्मा = 8000 Cal
500 gm पानी को 8000 Cal देने से तापक्रम में मान t° C कम गया
अत: 500(30-t) = 8000
150 – 5 t = 80
57 = 70
t = 14° C
500 gm पानी को 8000 Cal देने से तापक्रम में मान t° C कम गया
अब 500 gm पानी का तापक्रम 30° C न होकर 14° C हो गया
अब माना मिश्रण का तापक्रम T° C है
100 gm पानी द्वारा ली गई उष्मा = 100 × 1 × (t4 – 0)
500 gm पानी द्वारा दी गई उष्मा = 500 × 1(t4 – Tt)
अत:
100 × 1(T-0) = 500 × 1(14-T)
T = 70 – 5 T
T + 5 T = 70
6 T = 70
T = \(\frac{70}{6}\) = 11.66° C = 11.7° C
प्रश्न 9.
यदि 50 ग्राम जल का तापक्रम 20° C वृद्धि करने के लिए उष्मा द्वारा कितना कार्य करना होगा ?
हल :
आवश्यक उष्मा =mst
= 50 × 1 ×(20-0°)
= 1000 Cal
w = JH
= 4.2 × 1000 जूल
= 4.2 × 1000 × 107 अर्ग
= 4.2 × 1010 अर्ग
प्रश्न 10.
उष्मा द्वारा कितना कार्य सम्पन्न होगा यदि 0° C पर 10 ग्राम बर्फ को 10 gm ज़ल का तापक्रम 0° C में बदलने पर होगा ?
हल : बर्फ से पानी में बदलने की आवश्यक उष्मा
(4) = ML
= 10 × 80
= 800 Cal
कार्य (w) = JH
= 4.2 × 800
= 3360.0
= 3360 जूल
जहाँ L = बर्फ की गुप्त उष्मा
= 80 Cal
प्रश्न 11.
100 ग्राम कॉपर वाल का तापक्रम 25° C से 100° C बढ़ाने में कितनी उष्मा की जरूरत पड़ेगी जबकि कॉपर की गुप्त उष्मा 0.09 Cal° gm° C ?
हल : दिया गया है, m = 100 g, s = 0.09, t1 = 25° c
t2 = 100° C
∴ उष्मा की अभीष्ट मात्रा = m × s × (t2 – t1)
= 100 × 0.09 × (100-25)
= 9 × 75 कैलोरी
= 675 कैलोरी
उत्तर :
675 कैलोरी
प्रश्न 12.
50 gm जल को 30° से 70° C तक गर्म करने में कितनी उष्मा की आवश्यकता होगी ?
हल : उष्मा की अभीष्ट मात्रा
= m × s × (t2-t1)
= 50 × 1 × (70-30)
= 50 × 40 = 2000 कैलोरी
उत्तर :
200 कि० कैलोरी
प्रश्न 13.
8.4 जूल कार्य करने पर कितनी कैलोरी उष्मा उत्पन्न होगी।
हल :
∵ 4.2 जूल कार्य करने पर 1 कैलोरी उष्मा उत्पन्न होती है।
∴ 8.4.” ” ” = \(\frac{8.4}{4.2}\) = 2 Cal
प्रश्न 14.
400 जूल कार्य के समतुल्य उष्मा की गणना कीजिए। (उष्मा का यांत्रिक तुल्यांक 4.2 जूल कैलोरी-1 है।)
हल :
∵ 4.2 जूल कार्य करने पर 1 कैलोरी उष्मा उत्पन्न होती है
∴ 400 ” ” ” = \(\frac{400}{4.2}\)
= \(\frac{400}{4.2}\) = 95.24 कैलोरी