WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 9 मानचित्र एवं मापक

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WBBSE Class 9 Geography Chapter 9 Question Answer – मानचित्र एवं मापक

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
मानचित्र निर्माण में सबसे आवश्यक क्या है ?
उत्तर : मापनी ।

प्रश्न 2.
मानचित्र का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता हैं?
उत्तर :
मापक के आधार पर और उद्देश्य के आधार पर ।

प्रश्न 3.
किस प्रकार के मानचित्र बड़े मापनी पर बनाये जाते हैं?
उत्तर :
वृहद मापनी मानचित्र ।

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प्रश्न 4.
दीवाल मानचित्र किस प्रकार की मापनी पर बनाये जाते हैं?
उत्तर :
यह मानचित्र 1:15,000,000 से 1:2,500,000 के मापनी पर बने होते हैं।

प्रश्न 5.
एटलस मानचित्र किस प्रकार की मापनी पर बने होते हैं?
उत्तर :
लघु मापनी पर ।

प्रश्न 6.
मापक के अनुसार मानचित्र कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
दो प्रकार के ।

प्रश्न 7.
किस मानचित्र में बड़े आकार कम विवरणों में प्रस्तुत रहते हैं?
उत्तर :
लघु मापक मानचित्र ।

प्रश्न 8.
भारत के विभिन्न स्थलाकृतिक मानचित्रों को किस वर्ग के मानचित्र में सम्मिलित किया जा सकता है?
उत्तर :
भू-पत्रक अथवा स्थलाकृतिक मानचित्र |

प्रश्न 9.
यू० एस० जियोलॉजिकल सर्वे ने भू-आकृतिक मानचित्रों का क्या नाम दिया है?
उत्तर :
टीरेन डायग्राम (Terrain Diagram) ।

प्रश्न 10.
वृहत्मापक मानचित्रों के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर :
मेज मानचित्र तथा दीवाल मानचित्र |

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प्रश्न 11.
वायु विज्ञान सम्बन्धी कार्यालय किस प्रकार के मानचित्र का उपयोग करते हैं?
उत्तर :
ऋतु मानचित्र ।

प्रश्न 12.
भारत में स्थलाकृतिक मानचित्रों का निर्माण कौन करता है?
उत्तर :
भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून द्वारा ।

प्रश्न 13.
मापक को प्रदर्शित करने की तीन विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर :

  • साधारण कथन विधि
  • निरूपक भिन्न विधि
  • आलेखी विधि

प्रश्न 14.
किस मापक से बने मानचित्र की गणना किसी भी इकाई के माध्यम से की जा सकती है?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न मापक से।

प्रश्न 15.
किस मापक में दूरी एक रेखा के सहारे दिखायी जाती है?
उत्तर :
रचनात्मक या रैखिक मापक में ।

प्रश्न 16.
किस मापनी में एक इंच या एक सेंटीमीटर के 100 वें भाग को दिखाया जा सकता है?
उत्तर :
विकर्ण मापनी में ।

प्रश्न 17.
आकृति के विचार से वर्नियर मापनी कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर :
दो प्रकार की ।

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प्रश्न 18.
‘Mappa’ का शाब्दिक अर्थ बताओ ।
उत्तर :
मेजपोश या रूमाल ।

प्रश्न 19.
बड़ी मापनी के मानचित्र का एक उदाहरण बताओ ।
उत्तर :
स्थलाकृति ।

प्रश्न 20.
छोटी मापनी के मानचित्र का एक उदाहरण बताओ।
उत्तर :
एटलस ।

प्रश्न 21.
मानचित्र शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के किस शब्द से हुई है ?
उत्तर :
Mappa शब्द से ।

प्रश्न 22.
साधारण मानचित्र किसके द्वारा इंगित किया जाता है?
उत्तर :
अक्षांस एवं देशान्तर रेखाओं द्वारा ।

प्रश्न 23.
मानचित्र की स्पष्टता को बढ़ाने के लिए मानचित्र में किसका अंकन होता है?
उत्तर :
चिन्हों एवं प्रतीकों का।

प्रश्न 24.
धरातलीय बनावट को किस मानचित्र में प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर :
प्राकृतिक मानचित्र ।

प्रश्न 25.
किस मानचित्र का उद्देश्य किसी देश की सीमा रेखाओं व दृष्टव्य चित्र प्रस्तुत करना है?
उत्तर :
राजनैतिक मानचित्र ।

प्रश्न 26.
कौन सा मानचित्र भूगोलवेत्ताओं और सैनिक विशेषज्ञों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं?
उत्तर :
भूपत्र अथवा स्थलाकृतिक मानचित्र ।

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प्रश्न 27.
किस मानचित्र द्वारा भू-गर्भिक संरचना को छायारंगों द्वारा उनकी निजी स्थितियों को सूचित किया जाता है?
उत्तर :
भू-वैज्ञानिक मानचित्र द्वारा ।

प्रश्न 28.
रेज (Raisz) ने भू-आकृति मानचित्र को क्या नाम दिया है?
उत्तर :
मार्फोलॉजिक अथवा लैंडफॉर्म मैप नाम दिया है।

प्रश्न 29.
भू-आकृतिक मानचित्र को फिजिओग्राफिक डायग्राम के नाम से किसने सम्बोधित किया है?
उत्तर :
लोबेक महोदय ने ।

प्रश्न 30.
किस मानचित्र में भू-सम्पत्ति, खेती, बागों, तथा मकानों आदि की सीमाओं को चित्रित किया जाता है?
उत्तर :
भूकर मानचित्र |

प्रश्न 31.
किस मानचित्र में वायु दाब, तूफान, तापमान, मेघाच्छादन, वर्षा आदि की स्थिति को समय विशेष पर सूचित करते हैं?
उत्तर : ऋतु मानचित्र में ।

प्रश्न 32.
मानचित्र में नीले रंग से क्या दिखाए जाते हैं?
उत्तर :
धरातल पर स्थित जलीय भाग को ।

प्रश्न 33.
मानचित्र में शहरों को किस रंग द्वारा दर्शाया जाता है?
उत्तर :
गहरे पीले रंग से ।

प्रश्न 34.
सड़कों को दर्शाने के लिए मानचित्र में किस रंग का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
बैगनी रंग का ।

प्रश्न 35.
मानचित्रों का निर्माण की कला कब से शुरू हुई ?
उत्तर :
लिखने की कला से पहले शुरू हुई।

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प्रश्न 36.
विश्व का प्राचीनतम मानचित्र कहाँ पाया जाता है?
उत्तर :
मेसोपोटामिया में।

प्रश्न 37.
आधुनिक मानचित्र कला की नींव रखने का श्रेय किसको जाता है?
उत्तर :
यूनानी भूगोलवेताओं को ।

प्रश्न 38.
पाठ्य पुस्तकों में दिए गए चित्र किस प्रकार के मानचित्र होते हैं?
उत्तर :
लघुमापक मानचित्र होते हैं।

प्रश्न 39.
कक्षा में अध्यापन के लिए किस प्रकार के मानचित्र का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर :
दीवाली मानचित्र का उपयोग होता है?

प्रश्न 40.
मापक का परिमाण साधारण शब्दों में किस प्रकार के मापक में प्रयोग किए जाते हैं?
उत्तर :
कथानात्मक मापक में।

प्रश्न 41.
किस मापक से बनें मानचित्र की किसी भी इकाई के माध्यम से गणना की जा सकती है?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न मापक ।

प्रश्न 42.
किस मापक मानचित्र की गणना में कोई असुविधा नहीं होती है?
उत्तर :
प्रदर्शक मापक मानचित्र ।

प्रश्न 43.
किस मापक में दूरी एक रेखा के सहारे दिखाई जाती है?
उत्तर :
रचनात्मक या रैखिक मापक ।

प्रश्न 44.
कितने लम्बाई की रेखा रेखामापक के लिए सर्वोत्तम है?
उत्तर :
6 इंच या 15 से०मी० की रेखा ।

प्रश्न 45.
रचनात्मक मापक में लम्बाई नापने के लिए कौन से भाग किए गये हैं?
उत्तर :
प्राथमिक और गौण भाग किए गये हैं।

प्रश्न 46.
किस मापक को अन्तर्राष्ट्रीय मापक कहते हैं?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न मापक को ।

प्रश्न 47.
किस मापनी में एक ही इकाई के तीन मापकों को प्रदर्शित किया जा सकता है?
उत्तर :
विकर्ण मापनी (Diagonal Scale)

प्रश्न 48.
किस मापनी में एक इंच या एक सेंटीमीटर के 100 वें भाग को दिखलाया जा सकता है?
उत्तर :
विकर्ण मापनी में ।

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प्रश्न 49.
वर्नियर मापनी में धरातल पर स्थानों के बीच के कोणों के अंश, मिनट और सेकेण्ड में मान ज्ञात करने के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
सेक्सेटैंट तथा थियोडोलाइट सर्वेक्षण यंत्र का ।

प्रश्न 50.
किस मापनी द्वारा वृत्त के अर्द्धव्यास ज्ञात किये जाते हैं?
उत्तर :
वर्गमूल मापनी द्वारा ।

प्रश्न 51.
किस मापनी द्वारा गोलों के अर्द्धव्यास ज्ञात किए जाते हैं?
उत्तर :
घनमूल मापनी द्वारा।

प्रश्न 52.
किस मानचित्र में ढाल की मात्रा या प्रवणता का अन्तसंबंध प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर :
ढाल की मापनी (Scale of Scape)

प्रश्न 53.
किसी मानचित्र को उसके मूल आकार से बड़ा बनाने के लिए मापनी को क्या किया जाता है?
उत्तर :
मापनी का विवर्धन किया जाता है ।

प्रश्न 54.
किसी मानचित्र को अपेक्षाकृत छोटे आकार का बनाने के लिए मापनी का क्या किया जाता है?
उत्तर :
मापनी का लघुकरण किया जाता है।

प्रश्न 55.
कौन-सा यंत्र समानान्तर चतुर्भुज के सिद्धान्त पर कार्य करता है?
उत्तर :
पेन्टोग्राफ ।

प्रश्न 56.
मानचित्र से क्षेत्रफल ज्ञात करने के यंत्र का नाम क्या है?
उत्तर :
प्लेनीमीटर (Planimeter)।

प्रश्न 57.
प्लेनीमीटर नामक यंत्र का आविष्कार किसने किया?
उत्तर :
प्रो० जे० एम्सलर (Prof. J. Amsler) ने।

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प्रश्न 58.
मानचित्र पर टेढ़ी-मेढ़ी या वक्र रेखाओं को मापने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
ऑपिसोमीटर (Opisometer) का।

प्रश्न 59.
लघु मापकं की ईकाई क्या है?
उत्तर :
मील या कि० मी० ।

प्रश्न 60.
वृहद् मापक की इकाई क्या है?
उत्तर :
फर्लांग, गज या फुट ।

प्रश्न 61.
स्थलाकृति मानचित्र को किस श्रेणी में रखा जाता है?
उत्तर :
दीर्घमापक मानचित्र की श्रेणी में ।

प्रश्न 62.
कौन – सा मानचित्र राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्मित होते हैं?
उत्तर :
राजनैतिक मानचित्र ।

प्रश्न 63.
किस मानचित्र द्वारा लेखपाल या अमीन ग्रामीण जमीनों की सटीक पैमाइस करता है?
उत्तर :
मौजा मानचित्र द्वारा ।

प्रश्न 64.
भारत में ग्रामों के मानचित्र किस मापनी पर बने होते हैं?
उत्तर :
16 ” = 1 मील के मापनी पर ।

प्रश्न 65.
प्रदर्शक भिन्न किस इकाई में व्यक्त किया जाता है?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न की इकाई R. F. है ।

प्रश्न 66.
मानचित्र किस विषय का एक अनिवार्य उपकरण है?
उत्तर :
भूगोल ।

प्रश्न 67.
किसे समतल कागज या रूमाल पर प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर :
मानचित्र को ।

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प्रश्न 68.
मानचित्र शब्द किस भाषा से लिया गया है?
उत्तर :
लैटिन भाषा से ।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
मापक क्या है?
उत्तर :
किसी मानचित्र में दो स्थानों के बीच की दूरी और जमीन पर उन्हीं दो स्थानों के बीच की असली दूरी के अनुपात को मापनी कहते हैं।

प्रश्न 2.
मापक प्रदर्शित करने की कौन-सी विधियाँ हैं ?
उत्तर :
मानचित्र पर मापनी या मापक प्रदर्शित करने की तीन विधियाँ होती हैं।

  • साधारण कथन विधि (Simple Statement Method)
  • निरूपक भिन्न विधि (Representative fraction or R.F. Method)
  • आलेखी विधि (Graphical Method)

प्रश्न 3.
प्रदर्शक भिन्न क्या है?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न या निरूपक भिन्न :- मानचित्र अथवा प्लान की मापनी को प्रदर्शित करने की एक ऐसी विधि, जिसमें मानचित्र या प्लान पर दिखाई गई दूरी तथा धरातल की वास्तविक दूरी के बीच के अनुपात को भिन्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 4.
साधारण मापक क्या है?
उत्तर :
वह विधि जिसमें कथनों द्वारा मापनी व्यक्त की जाती है, उसे साधारण कथन विधि या साधारण मापक कहते हैं।
जैसे :- 1 से०मी०= 1 कि०मी० अथवा 1 ईंच = 1 मील इत्यादि ।

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प्रश्न 5.
लघु मापक क्या है?
उत्तर :
लघु मापक मानचित्र वे मापक हैं जो धरातल की विशाल दूरी को मानचित्र पर लघु दूरी के रूप में दर्शाते हैं।
जैसे : 1 सें.मी. = 1 किमी या 1 ” = 1 मील आदि ।

प्रश्न 6.
रेखात्मक मापक की लम्बाई कितनी होनी चाहिए?
उत्तर :
रेखात्मक मापक की लम्बाई 15 सें.मी. तक ही होना चाहिए।

प्रश्न 7.
विकर्ण क्या है?
उत्तर :
छोटे-छोटे भागों में बांटना ।

प्रश्न 8.
प्रदर्शक भिन्न का क्या लाभ है?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न को किसी भी इकाई में बदला जा सकता है।

प्रश्न 9.
मानचित्र कला से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
मानचित्र चार्ट, खाका और अन्य प्रकार के ग्राफ बनाने की कला है।

प्रश्न 10.
मानचित्र क्रम क्या है?
उत्तर :
किसी देश या क्षेत्र के लिए समान मापनी, प्रकार तथा विशिष्ट के साथ बनाए गए मानचित्रों का समूह मानचित्र क्रम है।

प्रश्न 11.
दीर्घ मापक क्या है?
उत्तर :
दीर्घ मापक- ये मापक धरातल की छोटी दूरी को मानचित्र पर बड़ी दूरी से दर्शाते हैं जैसे- 5 cm = 1000 किमी० या 10 ” = 100 मील ।

प्रश्न 12.
रैखिक मापक कितने प्रकार का होता है?
उत्तर :
रचनात्मक या रैखिक मापक दो प्रकार के होते हैं –

  • प्राथमिक मापक ( Primary Scale)
  • गौण मापक (Secondary Scale)

प्रश्न 13.
मापक को प्रदर्शित करने की तीन बिधियां क्या है?
उत्तर :

  • कथनात्मक मापक
  • प्रदर्शक मापक
  • रेखिक मापक

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प्रश्न 14.
मापक का क्या महत्व है?
उत्तर :
मापक का महत्व (Importance of Scale):- मापक की सहायता से हम एक विशाल धरातल को भी सुविधाजनक छोटे धरातल पर प्रदर्शित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त मानचित्र ऐसा होना चाहिए कि इसे हाथ में लिया जा के और आसानी से उसका अध्ययन किया जा सके। मानचित्र का आकार मानचित्र में प्रयुक्त मापक पर निर्भर करता है। मापक की सहायता से हम उपलब्ध सीमित स्थान में भी मानचित्र को आवश्यकतानुसार बना सकते हैं।

प्रश्न 15.
प्रदर्शक भिन्न अथवा प्रतिनिधि भिन्न किस इकाई में व्यक्त किया जाता है?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न अथवा प्रतिनिधि भिन्न = मानचित्र पर दूरी/धरातल पर दूरी

प्रश्न 16.
मानचित्र से क्या समझते हैं?
उत्तर :
किसी मापनी से लघुकृत हुए आयामों के आधार पर सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भाग का चयनित, संकेतात्मक तथा सामान्य प्रदर्शन मानचित्र कहलाता है।

प्रश्न 17.
मापनी की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
“मानचित्र की मापनी मानचित्र में प्रदर्शित किन्हीं दो बिन्दुओं या स्थानों के बीच की दूरी तथा उन बिन्दुओं या स्थानों के बीच धरातल पर वास्तविक दूरी के मध्य का अनुपात है।

प्रश्न 18.
वृहत् मापनी मानचित्र से क्या समझते हैं?
उत्तर :
इस प्रकार के मानचित्र बड़े मापनी पर बनाये जाते हैं जिसमें पैमाना 6″ : 1 मील होता है।

प्रश्न 19.
लघु मापनी मानचित्र से क्या समझते हैं?
उत्तर :
यह मानचित्र छोटे पैमाने पर बनाये जाते हैं। इससे पैमाना 1” : 16 मील से छोटा होता है।

प्रश्न 20.
एटलस मानचित्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
एटलस मानचित्र लघु मापनी पर बने होते हैं। इस मानचित्र में सम्पूर्ण विश्व के महाद्वीपों, देशों या प्रदेशों के केवल मुख्य-मुख्य भौगोलिक तथ्यों को दर्शाया जाता है।

प्रश्न 21.
मापनी का विवर्धन या लघुकरण क्या है ?
उत्तर :
किसी मानचित्र को उसके मूल आकार से बड़ा आकार में बनाने के लिए मापनी का विवर्धन तथा अपेक्षाकृत छोटे आकार का बनाने के लिए मापनी का लघुकरण किया जाता है।

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प्रश्न 22.
मापक का मानचित्र में क्या उपयोग है?
उत्तर :

  • मापक का मानचित्र में महत्वपूर्ण उपयोग है। यह धरातल पर किन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी तथा मानचित्र पर उन्हीं दोनों स्थानों की दूरी के आधार पर सही बोध कराता है ।
  • मापक की सहायता से समतल कागज पर समस्त पृथ्वी के किसी भी अंश का सूक्ष्मता से अध्ययन किया जा सकता है ।

प्रश्न 23.
मानचित्र में किन बातों का होना आवश्यक है?
उत्तर :
मानचित्र पर परम्परागत चिन्हों एवं प्रतीकों का भी अंकन होता है जो मानचित्र की सुगमता एवं स्पष्टता को बढ़ा देते हैं।

प्रश्न 24.
मापक के आधार पर मानचित्र को कौन-कौन से भागों में विभक्त किया जाता है?
उत्तर :
मानचित्र के विभिन्न लक्ष्यों और अभिप्रायों को ध्यान में रखकर हम उन्हें निम्न वर्गों में बाँट सकते हैं।

  • प्राकृतिक मानचित्र
  • राजनैतिक मानचित्र
  • सांख्यिकी अथवा वितरण मानचित्र,
  • विशिष्ट मानचित्र

प्रश्न 25.
मौजा मानचित्र किस काम में सहायक होते है ?
उत्तर :
ये नगर मानचित्रकारों के लिए बड़े उपयोग के होते हैं और उनके उत्कृष्ट मानचित्रों के लिए आधारभूत होते हैं।

प्रश्न 26.
प्रतिनिधि अथवा प्रदर्शक भिन्न क्या है?
उत्तर :
प्रतिनिधि भिन्न या निरूपक भिन्न धरातल पर के दो स्थानों की वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर के दो स्थानों के दूरी का अनुपात होता है। इसमें अंश का मान सदैव एक होता है।

प्रश्न 27.
रैखिक मापक क्या है?
उत्तर :
रैखिक मापक में मापन दूरी एक रेखा के सहारे प्रदर्शित की जाती है।

प्रश्न 28.
राजनैतिक मानचित्र का क्या उद्देश्य है?
उत्तर :
इनका मुख्य उद्देश्य या तो स्पष्ट सीमा रेखाओं अथवा हल्के रंग तथा सीमाओं द्वारा विश्व या महाद्वीप का देश का दृष्टव्य चित्र प्रस्तुत करना है।

प्रश्न 29.
सांख्यिक अथवा वितरण मानचित्र का क्या उपयोग है?
उत्तर :
ये पृथ्वी के सामाजिक तथा आर्थिक ढाँचों, कृषि, उद्योग, व्यापार और परिवहन, जनसंख्या और बस्तियों आदि के प्रदर्शन के लिए भी प्रयोग किए जाते हैं।

प्रश्न 30.
भू-वैज्ञानिक मानचित्र क्या सूचित करते हैं?
उत्तर :
ये मानचित्र किसी खास क्षेत्र की भू-गर्भिक संरचना को छायारंगों द्वारा उनकी निजी स्थितियों को सूचित करते हैं।

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प्रश्न 31.
प्राकृतिक मानचित्र किस काम में प्रयोग किए जाते हैं?
भूगोल
उत्तर : ये स्थानों के नाम तथा सीमाओं आदि के समक्ष अन्य प्रासंगिक सूचनाओं के लिए भी आधार रूप में प्रायः प्रयोग किए जाते हैं।

प्रश्न 32.
भू- कर मानचित्र किसलिए प्रयोग किए जाते हैं?
उत्तर : इस प्रकार के मानचित्र भू-सम्पत्ति, खेतों, बागों तथा मकानों आदि की सीमाओं के लिए प्रयोग किये जाते हैं।

प्रश्न 33.
ऋतु मानचित्र द्वारा क्या सूचित किया जाता है?
उत्तर :
ये ऋतु तत्वों अर्थात वायुदाब, तूफान, तापमान, मेघाच्छादन, वर्षा आदि की स्थिति को समय विशेष पर सूचित करते हैं।

प्रश्न 34.
सामुद्रिक चास क्या प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर :
ये समुद्र की गहराई, समुद्रतल का उभार तथा ज्वार-भाटा एवं धाराओं को भी प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 35.
वृहत् मापनी मानचित्र में क्या दिखाया जाता है?
उत्तर :
इस तरह के पैमाने पर भूसम्पति मानचित्रों, नगरों के प्लानों तथा स्थलाकृतिक मानचित्रों को बनाया जाता है।

प्रश्न 36.
रेखीय मापनी के लिए कौन-सी विधि अपनायी जाती है?
उत्तर :

  • सरल या सीधे रेखा की दूरी मापना।
  • तिरछी रेखा की लम्बाई मापना ।

प्रश्न 37.
सरल मापनी में क्या प्रदर्शित की जाती है ?
उत्तर : सरल मापनी के द्वारा किसी रैखिकं माप प्रणाली के अधिक से अधिक दो मात्राओं में धरातल की दूरियाँ प्रदर्शित की जाती है।

प्रश्न 38.
तुलनात्मक मापनी में क्या प्रदर्शित की जाती है?
उत्तर :
इस मापनी द्वारा एक से अधिक माप प्रणालियों में दूरियाँ एक साथ प्रदर्शित की जाती है।

प्रश्न 39.
वर्नियर मापनी की कितनी मापनियाँ होती हैं?
उत्तर :
वर्नियर मापनी में वस्तुत: दो मापनियाँ होती है? बड़ी मापनी को मुख्य या प्राथमिक मापनी तथा छोटी मापनी को वर्नियर मापनी कहते हैं।

प्रश्न 40.
आकृति के विचार से वर्नियर मापनी कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर :
आकृति के विचार से वर्नियर मापनी दो प्रकार की होती हैं :-

  • सीधे किनारे वाली मापनी
  • वक्र किनारे वाली मापनी ।

प्रश्न 41.
स्थलाकृति मानचित्र पर क्या दिखलाया जाता है?
उत्तर :
इन मानचित्रों पर धरातल की रचना, पर्वत, पठार, मैदान, जल प्रवाह प्रणाली, जंगल, सड़क, रेलमार्ग, नहरें आदि दिखाये जाते हैं।

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प्रश्न 42.
लघु मापनी मानचित्र पर क्या दिखाया जाता है?
उत्तर :
विश्व के मानचित्र, दीवाल मानचित्र एवं एटलस मानचित्र इसी पैमाने पर बने होते हैं।

प्रश्न 43.
सैन्य मानचित्र सैनिकों के लिए किस प्रकार लाभदायक है ?
उत्तर :
सैन्य मानचित्रों की सहायता से सैनिक अधिकारी सेना के संचालन का मार्ग तथा आक्रमण करने के स्थल सुनिश्चित करते हैं।

प्रश्न 44.
मानचित्र प्रक्षेप किसे कहते हैं?
उत्तर :
गोलाकार सतह को समतल सतह पर प्रदर्शित करने की प्रणाली मानचित्र प्रक्षेप कहलाती है।

प्रश्न 45.
रेखाचित्र से आप क्या समझते हो ?
उत्तर :
वास्तविक मापनी या अभिविन्यास के बिना मुक्त हस्त द्वारा खींचे गए सरल मान चित्र को रेखाचित्र कहते हैं ।

प्रश्न 46.
मापनी क्या है?
उत्तर :
मापनी एक मानचित्र खाका या छायाचित्र पर दी गई दूरी या वास्तविक दूरी के बीच का अनुपात है।

प्रश्न 47.
व्यापीकरण मानचित्र (Extensive Map) किसे कहते हैं?
उत्तर :
मानचित्र पर आकृतियों का सरल प्रदर्शन, जो इसकी मापनी या उद्देश्य के उपर्युक्त हो एवं उनके वास्तविक स्वरूप को प्रभावित नहीं करता हो ।

प्रश्न 48.
अंश क्या है?
उत्तर :
भिन्न में रेखा के ऊपर स्थित अंक को अंश कहते हैं।

प्रश्न 49.
हर से आप क्या समझते है?
उत्तर :
भिन्न में रेखा के नीचे स्थित अंक को हर कहते हैं।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
मानचित्र की विशेषताएँ लिखिए ।
उत्तर :
मानचित्र की विशेषताएँ (Characteristics of Maps) :

  • मानचित्र वास्तविक भू-भाग से बहुत ही छोटा होता है, जिसका चित्रण किया गया है।
  • प्रत्येक मानचित्र एक निश्चित मापक पर बनाया जाता है जो मानचित्र के दो बिन्दुओं तथा पृथ्वी का अनुपात निर्धारण करता है।
  • साधारण मानचित्र अक्षांश एवं देशान्तर रेखाओं द्वारा इंगित किया जाता है जिससे किसी भी स्थान की सही स्थिति का ज्ञान हो जाता है।
  • मानचित्र पर परम्परागत चिन्हों एवं प्रतीकों का भी अंकन होता है जो मानचित्र की सुगमता एवं स्पष्टता को बढ़ा देते हैं।
  • मानचित्र की एक अपनी प्रमुख विशेषता है कि वह पृथ्वी के तल के जैसा की ऊपर से दृष्टिगत होता है, प्रतिरूप है।

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प्रश्न 2.
मानचित्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए :
उत्तर :
मानचित्र का अर्थ :- भूगोल के अध्ययन के लिए मानचित्र एक अनिवार्य उपकरण है। यह मानव तथा पर्यावरण के लिए स्थानिक सम्बन्ध की व्याख्या के लिए अनुगणक एवं दृश्य- सहायक है। मानचित्र समस्त पृथ्वी का या किसी छोटे- भू-भाग का निश्चित पैमाने के आधार पर सांकेतिक चिन्हों के माध्यम से चित्रण है। इसे समतल कागज या रूमाल (छोटे कपड़े पर प्रदर्शित किया जाता है। मानचित्र (MAP) शहर लैटिन भाषा के Mappa से लिया गया है। इसका अर्थ कपड़े की चादर अर्थात् रूमाल से है । सर्वप्रथम मानचित्र का प्रयोग कपड़े पर ही किया जाता था किन्तु वर्तमान समय में इसका चित्रण कागज पर बहुतायत से होने लगा है।

प्रश्न 3.
मानचित्र के महत्व पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर :
मानचित्र का महत्व (Importance of Map) :- वर्तमान काल में मानचित्र का महत्व अधिक हो गया है। क्योंकि यह योजनाओं का युग है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय योजनाएं, नगरीय एवं ग्रामीण योजनाएँ हमारे प्रयोगात्मक लक्ष्य हो गये है। वास्तव में मानचित्र ही हमारी योजनाएँ है। सैनिक कार्यवाही के लिए मानचित्रों का और भी अधिक महत्व है क्योंकि वायु में जो भी युद्ध होते हैं, उनकी जीत या हार बहुत अंश तक मानचित्रों पर ही निर्भर होती है। यही कारण है कि युद्ध के लिए मानचित्रों के महत्व को पहले से ही महसूस किया गया और सेना द्वारा अनेक पैमाइशों को सम्पादित किया गया है। निम्न कार्यों के लिए मानचित्र आवश्यक है :-

  • युद्ध-काल सम्बन्धी योजनाओं के लिए ।
  • सैन्य-समूह सम्बन्धी सूचनाएं देने के लिए ताकि सुरक्षा और आक्रमण के लिए उचित स्थान चुना जा सके
  • बस्तियाँ, जंगलों, पुलों, जलापूर्ति आदि के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करने के लिए
  • वार्ता वहन के साधनों की सूचना के लिए
  • शत्रु के स्थान की सूचना देने के लिए

प्रश्न 4.
मानचित्र पर दूरी मापने के लिए किन विधियों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
मानचित्र पर दूरी का मापन – मानचित्र पर प्रदर्शित स्थानों के बीच की वास्तविक दूरी, मार्गों, नदियों आदि
की वास्तविक लम्बाई ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है :

  • पटरी अथवा डिवाइडर्स द्वारा (By Scale or Dividers)
  • महीन तार अथवा धागे द्वारा (By thio wire or thread)
  • ऑपिसोमीटर द्वारा (By Opisometer)

प्लेनीमीटर (Planimeter), मानचित्र से क्षेत्रफल ज्ञात करने का एक यंत्र है। इस यंत्र का अविष्कार जे० एम्सेलर (Prof. J. Amslor) द्वारा किया गया है।

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प्रश्न 5.
कथनात्मक मापक के गुण एवं दोषों को बताएं।
उत्तर :
कथनात्मक मापक के गुण (Merit of Simple Statements) :-

  • इसको आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता है।
  • इसको रेखीय मापक या प्रदर्शक भिन्न की तरह याद करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • एक सामान्य ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को समझने में असुविधा नहीं होगी।

दोष (Demerits) :-

  • समस्त विश्व में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। किसी एक भाषा के कथनात्मक मापक प्रदर्शित करने पर दूसरे भाषा के लोगों को समझना कठिन हो जाता है।
  • यदि मानचित्र के आकार को छोटा या बड़ा किया जाय तो कथनात्मक मापक दोष पूर्ण हो जायेगा ।

प्रश्न 6.
प्रदर्शक भिन्न के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न के गुण :

  • प्रदर्शक भिन्न के मापक से बने मानचित्र की किसी भी इकाई के माध्यम से गणना की जा सकती है।
  • प्रदर्शक भिन्न मापक को आसानी से कथनात्मक मापक तथा रेखीय मापक में परिवर्तित किया जा सकता’
  • प्रदर्शक मापक मानचित्र की गणना में कोई असुविधा नहीं होती है।

प्रदर्शक भिन्न के दोष :-

  • R.F. की गणना के लिए गणित का ज्ञान होना आवश्यक है।
  • मानचित्र को बड़ा या छोटा करने पर मापक की यथार्थता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 7.
ग्लोब और मानचित्र में क्या अन्तर है?
उत्तर :

ग्लोब मानचित्र
(i) ग्लोब पृथ्वी का मॉडल रूप है। (i) मानचित्र समस्त पृथ्वी का या किसी छोटे भू-भाग का निश्चित पैमाने के आधार पर सांकेतिक चिन्ह के माध्यम से चित्रण है।
(ii) ग्लोब की रचना के लिए किसी कठोर गोलाका आकृति जैसी वस्तु की जरूरत होती है। (ii) मानचित्र की रचना किसी समतल कागज या कपड़े पर किया जाता है।
(iii) ग्लोब को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में कठिनाई होती है। (iii) मानचित्र को मोड़कर कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है।
(iv) सैनिकों के लिए ग्लोब सहायक नहीं होते हैं। (iv) मानचित्र सैनिकों की बहुत सहायता करते हैं।


विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के मानचित्रों का वर्गीकरण कीजिए तथा उनके बारे में संक्षेप में लिखिए ।
उत्तर :
मानचित्रों की अत्यधिक संख्या होने के कारण उनका सही-सही वर्गीकरण करना बहुत ही कठिन होता है । मापकों के आधार पर उन्हें दो वर्गों में बाँट सकते हैं। लघु मापक मानचित्र तथा वृहद् मापक मानचित्र । मानचित्र के विभिन्न लक्ष्यों और अभिप्रायों को ध्यान में रखकर हम उन्हें निम्न वर्गों में बाँट सकते हैं।

(A) प्राकृतिक मानचित्र (Physical Maps ) :- वे मानचित्र हैं जो भूमि के उभरे आकारों को छायाकारों या खाड़ी रेखाओं या समुच्च रेखाओं के बीच विभिन्न छायाओं अथवा हल्के रंगों (हरा, पीला, तथा भूरा) द्वारा चित्रित करते हैं तथा उसके जल प्रवाह को भी प्रदर्शित करते हैं । ये स्थानों के नाम तथा सीमाओं आदि के समक्ष अन्य प्रासंगिक सूचनाओं के लिए भी आधार रूप में प्राय: प्रयोग किए जाते हैं।

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(B) राजनैतिक मानचित्र (Political Maps ) :- इनका मुख्य उद्देश्य या तो स्पष्ट सीमा रेखाओं अथवा हल्के रंग तथा सीमाओं द्वारा विश्व या महाद्वीप या देश का दृष्टव्य चित्र प्रस्तुत करना है। अन्य दो प्रधान रूप रेखाएँ :- प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक उसके परिपार्श्व में दिखाई जाती है। एक अच्छा राजनैतिक मानचित्र स्पष्ट और प्रभावोत्पादक होता है।

(C) सांख्यिकी अथवा वितरण मानचित्र (Statistical Maps Or Distribution Maps ) :- ये मानचित्र प्राकृतिक तत्वों के परिणाम सम्बन्धी गुणों जैसे उच्चावच, वर्षा, तापमान, वायु-दाब आदि को प्रदर्शित करते हैं । ये पृथ्वी के सामाजिक तथा आर्थिक ढाँचों, कृषि, उद्योग, व्यापार और परिवहन, जनसंख्या आदि के प्रदर्शन के लिए भी प्रयोग में लाए जाते हैं।

(D) विशिष्ट मानचित्र (Special Maps ) :- यह नाम उन विशेष मानचित्रों के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है जो विशिष्ट कार्य के लिए वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोग में लाए जाते हैं। ये निम्नलिखित हैं :-

(1) भूपत्र अथवा स्थालाकृतिक मानचित्र (Topographical, Maps ) :- इस प्रकार के मानचित्रों का प्रयोग और व्याख्या के लिए विशेष प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। ये मानचित्र भूगोलवेताओं और सैनिक विशेषज्ञों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं। भारत के विभिन्न स्थलाकृतिक मानचित्र इस वर्ग में सम्मिलित किये जाते हैं। संसार के मापक मानचित्र तथा British Cooridnance Survery मानचित्र भी इसी वर्ग में सम्मिलित किये जाते हैं।

(2) भू-वैज्ञानिक मानचित्र (Geological Maps ) :- ये मानचित्र बिल्कुल भू-पत्रों के समान होते हैं, जो क्षेत्र की भू-गाभिर्क संरचना को छायारंगों द्वारा उनकी निजी स्थितियों को सूचित करते हैं। अधिकांश भू-वैज्ञानिक मानचित्रों में बड़ी रेखाएँ दिखाई जाती है। ये प्रायः मुड़े हुए पत्रों के रूप में प्रकाशित होते है, जिन्हें Geological Polio कहते हैं।

(3) आकृति मानचित्र (Physiographic Maps ) :- ये छोटे मापक पर हाथ से खींचे गए मानचित्र हैं, जो भू- आकृतियों को प्रदर्शित करते हैं। ये Black Diagram के विकसित रूप कहे जा सकते हैं। इन ब्लॉक चित्रों का निर्माण अमेरिका के प्राकृतिक भूगोल- वेताओं ने अपने प्राकृतिक भूगोल सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या के लिए किया था।

इनका मुख्य उद्देश्य साधारण व्यक्तियों को भू-गर्भिक ज्ञान से परिचित कराना था। एक भू-आकृति अपने क्षेत्रीय वातावरण में कैसी दिखाई देती है, भू-आकृति मानचित्र उसी का प्रतिरूप मात्र होता है। रेज ने इनको मार्फोलॉजिक अथवा लौंडफार्म मैप नाम दिया है। जबकि लोबेक ने फिनियोग्राफिक डायग्राम के नाम से सम्बोधित किया है, यू-एस० जियोलॉजिकल सर्वे ने इनको हीरेन डायग्राम की संज्ञा दी है।

(4) मौजा यां नगर मानचित्र (Mouza or Town Maps ) :- नगर मानचित्र एक विशिष्ट प्रकार के मानचित्र हैं। ये वृहद् मापक मानचित्र हैं, जिनका मापक 3″ = 1 मील अथवा 6″ = 1 मील अथवा 6″ = 1 से० मी० = 100 अथवा 200 मीटर होता है। नगर मानचित्रों में मुख्य नगरों की भू-आकृत्तियों को अलग-अलग दिखाया जा सकता है। ये नगर मानचित्रकारों के लिए बड़े उपयोग के होते हैं और उनके उत्कृष्ट मानचित्रों के लिए आधारभूत होते हैं।

(5) भू-कर मानचित्र (Codastral Maps ) :- इस प्रकार के मानचित्र भू-सम्पति, खेतों, बागों तथा मकानों आदि की सीमाओं के लिए प्रयोग किये जाते हैं। ये मानचित्र सरकारी कार्यालयों द्वारा तैयार किये जाते हैं और लगान सम्बन्धी कार्यों के लिए प्रयोग किये जाते हैं। लेखपालों द्वारा प्रयुक्त मानचित्रों को इसी श्रेणी में रख सकते हैं। नगर मानचित्रों की तरह इनके भी मापक बड़े होते हैं, कभी-कभी तो 1″ = 1⁄2 फर्लांग अथवा 1 से० = 100 मीटर ।

(6) ऋतु मानचित्र (Weather Maps ) :- ये मानचित्र वायु-विज्ञान सम्बन्धी कार्यालयों द्वारा निर्मित किये जाते हैं। ये ऋतु तत्वों अर्थात् वायु दाब, तूफान, तापमान, मेघाच्छादन, वर्षा आदि की स्थिति को समय विशेष पर सूचित करते हैं | बेतार तार तथा टेलीफी से इस प्रकार के मानचित्र का निर्माण संभव हो गया है क्योंकि इनके द्वारा किसी दूर के स्टेशन से मुख्य केन्द्र पर समाचार शीघ्र ही भेजा जा सकता है।

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(7) सामुद्रिक चार्टस् (Navigational Charts) :- ये चार्टस योग्य सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रकाशित किए जाते हैं। ये तट तथा तटीय जलाशयों पर ही विशेष बल देते हैं। अतः ये उन विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं जो सागर से दृष्टिगोचर होती है। इनमें समुद्र की गहराई, समुद्रतल का उभार तथा ज्वार-भाटा एवं धाराओं को भी प्रदर्शित करते हैं । अव्यचदस जो नाविकों के उपयोग में आते है, विभिन्न समुद्रों के नियतकलिब चार्टस्, ग्रेट सीकेल चार्टस्तथा इसी प्रकार के अन्य चार्टस् हैं।

(8) वैमानिक चार्टस् (Aeranautical Charts) :- इस वायु युग ने वैमानिक चार्टस् के महत्व तथा उसकी प्रसिद्धि को बढ़ाने में अत्यधिक योग दिया है। चार्टस् विमान चालकों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। ये भूमि के स्थानिक भौगोलिक आकारों को बहुरंगी समुच्य रेखाओं में प्रस्तुत करते हैं। रेखाएँ भू-रंग, मुख्य उभार, परम्परागत रंगयोजना में (सर्वोच्च भाग काले भूरे रंग में तथा सबसे नीचा भाग हरे रंग में) जलीय धरातल नीले रंग में, शहर गहरे पीले रंग में, सड़कें तथा सांस्कृतिक आकार काले रंग में दिखाए जाते हैं। वायुयान चालन सम्बन्धी अन्य सहायताओं जैसे निर्धारित हवाई मार्ग, हवाई अड्डे, हवाई खण्ड, संकेत द्वीप, रेडियो यंत्र आदि गहरे रंगों में प्रदर्शित किये जाते हैं।

प्रश्न 2.
भूगोलवेता के लिए मानचित्रों का क्या महत्व है? मानचित्र के महत्व पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर :
मानचित्र का महत्व :- भूगोलवेता के लिए मानचित्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपकरण है। वह मानचित्रों का व्यावसायिक प्रयोग करनेवाला है। परन्तु मानचित्र केवल भूगोलवेताओं के लिए ही उपयोगी नही हैं, वरन् अन्य वैज्ञानिकों के लिये भी, जिनका अध्ययन भूगोल के सहयोग की अपेक्षा रखता है, मानचित्र अत्यधिक उपयोगी होते हैं। शोध कार्यों, शिक्षा तथा उनकी सफलताओं के प्रचार में मानचित्रों का बहुत हाथ रहता है।

अतः विशिष्ट मानचित्रों के प्रकार की वृद्धि होती रहती है। मानचित्र शासकों तथा यात्रियों के लिए सहयोगी एवं निर्देशक का कार्य करता है। शासक मानचित्रों का प्रयोग अपनी शासन व्यवस्था ठीक रखने के लिए करता है, जबकि यात्री अपने मार्गों का पता लगाने के लिए। प्रान्तों, जिलों तथा व्यक्तिगत राज्यों की सीमाओं का ठीक-ठीक निर्धारण, बिना मानचित्रों के नहीं हो सकता। इस प्रकार वे न्याय प्रबन्ध, सीमा

आयोगों तथा न्यायालयों की सहायता करते हैं। वार्तावहन तथा यातायात के कार्यों में मानचित्रों का प्रयोग जनता तथा सरकार दोनों द्वारा होता है। पिछड़े देशों के लिए तो मानचित्रों का महत्व और अधिक है, क्योंकि बिना मानचित्रों की सहायता से कृषि योग्य तथा बसने योग्य भूमि का निश्चय ही नहीं हो सकता। जब नई सड़कें, रेलवे लाइनें, नहरें आदि बनाई जाती हैं तो उनकी पैमाइस के लिए विशेष प्रकार के मानचित्र तैयार किये जाते हैं।

प्रश्न 3.
रेखिक पापक के विभिन्न प्रकारों के बारे में संक्षेप में लिखिए |
उत्तर :
रैखिक मापनी के प्रकार (Kinds of Graphical Scale)
(i) सरल पापनी (Plain Scale) : सरल मापनी के द्वारा किसी रैखिक माप- प्रणाली के अधिक से अधिक दो मात्रकों में धरातल की दूरियाँ प्रदर्शित की जाती हैं, जैसे- गज व फीट, मील व फर्लांग, किलोमीटर व हेक्टोमीटर आदि ।

(ii) तुलनात्मक मापनी (Comparative Scale) : इस मापनी के द्वारा एक से अधिक माप प्रणालियों में दूरियाँ एक साथ प्रदर्शित की जाती है। जैसे- गज व मीटर, मील व किलोमीटर आदि ।

(iii) विकर्ण मापनी (Diagonal Scale) : इस मापनी में विकर्णों की सहायता से गौण भागों को पुनः और छोटे भागों में विभाजित कर दिया जाता है। इस मापनी में एक ही इकाई के तीन मात्रकों को प्रदर्शित किया जा सकता है। जैसे मील- फर्लांग-गज या किलोमीटर हेक्टोमीटर डेकामीटर आदि । इस मापनी में एक इंच या एक सेंटीमीटर के 100 वें भाग को दिखलाया जा सकता है, जो कि सरल मापनी द्वारा संभव नहीं है।

(iv) वर्नियर मापनी (Vernier Scale) : वर्नियर मापनी में दो मापनियाँ होती हैं। बड़ी मापनी को मुख्य या प्राथमिक मापनी तथा छोटी मापनी को वर्नियर मापनी कहते हैं। आकृति के विचार से वर्नियर मापनी दो प्रकार की होती है, सीधे किनारे वाली मापनी तथा वक्र किनारे वाली मापनी किसी सरल रेखा में स्थित दो बिन्दुओं के बीच की दूरी पढ़ने के लिए सीधे किनारे वाली वर्नियर मापनी बनायी जाती है जबकि वक्र किनारे वाली वर्नियर मापनी की सहायता से सेक्सेटैंट तथा थियोडोलाइट आदि सर्वेक्षण यंत्रों के द्वारा धरातल पर स्थानों के बीच के कोणों के अंश, मिनट और सेकेण्ड में मान ज्ञात किये जाते हैं। वर्नियर मापनी का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसके द्वारा प्राथमिक या मुख्य मापनी के सबसे छोटे भाग के चित्रात्मक भागों को विकर्ण मापनी की तुलना में अधिक शुद्धता से मापा या पढ़ा जा सकता हैं।

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(v) वर्गमूल मापनी (Square Root Scale) : कभी-कभी विभिन्न प्रदेशों के क्षेत्रफल अथवा विभिन्न भागों में निवास करने वाली जनसंख्या आदि के तुलनात्मक महत्व को स्पष्ट करने के लिए वृत्त रेखाओं का प्रयोग किया जाता है। इन रेखाओं में वृत्त का आकार या क्षेत्रफल किसी संख्या की मात्रा बतलाता हैं। अतः भिन्न-भिन्न संख्याओं को प्रदर्शित करने के लिए भिन्न-भिन्न आकार वाले वृत्तों की रचना की जाती है।

(vi) घनमूल मापनी (Cube Root Scale) : रचना के दृष्टिकोण से घनमूल मापनी बहुत कुछ वर्गमूल मापनी के समान होती है। अंतर बस इतना है कि वर्गमूल मापनी के द्वारा वृत्तों के अर्द्धव्यास ज्ञात किये जाते हैं जबकि घनमूल मापनी की सहायता से गोलों के अर्द्धव्यास ज्ञात होते हैं। वृजा रेखों में वृत्त के क्षेत्रफल द्वारा कोई संख्या प्रदर्शित की जाती हैं जबकि गोलाकार आरेखा के गोलों के आयतन से किसी संख्या का बोध कराया जाता है।

(vii) ढाल की मापनी (Scale of Slope) : ढाल की मापनी के द्वारा किसी दिये गये समुच्य रेखी मानचित्र में क्षैतिज तुल्यांक तथा ढाल की मात्रा या प्रवणता का अंतसंबंध प्रदर्शित किया जाता है जिससे मानचित्र में किन्हीं दो उत्तरोत्तर समुच्य रेखाओं के मध्य ढाल की मात्रा को मापनी में पढ़ा जा सकता है।

प्रश्न 4.
मापनी के आधार पर मानचित्र कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
मापनी के अनुसार मानचित्र निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं :-
1. भूसम्पत्ति मानचित्र ( Cadastral Maps ) : “कैडस्ट्रल” शब्द फ्रांसीसी भाषा के ‘कैडस्टर’ (Cadastre) शब्द से बना है जिसका शाब्दिक अर्थ ‘सम्पत्ति रजिस्टर’ होता है। यह बड़े मापनी पर बनाये जाते हैं। इसके अन्तर्गत नगरों के प्लान जिसमें मार्ग एवं नागरिकों के भवनों की सीमाएँ वर्णित अथवा किसी ग्राम का मानचित्र, जिसमें खेतों की सीमाएँ मार्ग, जलाशय, कुएँ, सार्वजनिक स्थान इत्यादि को प्रदर्शित किया जाता है, उसे भूसम्पत्ति मानचित्र कहते हैं। भारत देश में ग्रामों के मानचित्र 16 = 1 मील के मापनी पर बने होते हैं। इसका मुख्य उपयोग भूमि एवं भवन कर वसूलने, नगर योजना तथा ग्रामीण भूमि उपयोग योजना के सन्दर्भ में होता है।

2. स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps ) :- वह मानचित्र जिसमें अंकित प्रत्येक स्थल की आकृति एवं स्थिति को देखकर उसे धरातल पर पहचाना जा सके उसे स्थलाकृतिक मानचित्र कहते हैं। यह मानचित्र भारतीय सर्वेक्षण विभाग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है जो मुख्यत: 1″ = 1 मील के पैमाने पर बने होते हैं।

3. दीवाल मानचित्र ( Wall maps ) :- दीवाल मानचित्र सामान्यतः सुस्पष्ट बनाये जाते हैं ताकि वर्ग या कक्षा में इसका प्रयोग किया जा सके। यह सम्पूर्ण विश्व या उसके अंश को दर्शाता है। इसके द्वारा किसी विशेष क्षेत्र में भू-प्रकृति,जलवायु, प्राकृतिक वनस्पति, खनिज, मिट्टी, कृषि, उद्योग, जनसंख्या इत्यादिको दर्शाया जाता है। इसका निर्माण आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न मापनी पर किया जाता है। वैसे इसका मापनी स्थलाकृतिक मानचित्र से छोटा लेकिन एटलस मानचित्र से बड़ा होता है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के द्वारा यह मानचित्र 1:15,000,000 से 1:2,500,000 के मापनी पर बने होते हैं।

4. एटलस मानचित्र (Atlas maps ) :- एटलस मानचित्र लघुमापनी पर बने होते हैं। इस मानचित्र में सम्पूर्ण विश्व के महाद्वीपों, देशों या प्रदेशों के केवल मुख्य-मुख्य भौगोलिक तथ्यों को दर्शाया जाता है। इस प्रकार के मानचित्र मुख्यतः 1:2,000,000 से छोटी मापनी पर बनाये जाते हैं।

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प्रश्न 5.
उद्देश्य के आधार पर मानचित्रों का वर्णन कीजिये ।
उत्तर :
प्रत्येक मानचित्र बनाने का कोई उद्देश्य होता है, जिसे मानचित्र में प्रदर्शित किये गये तथ्यों की देखकर भली-भाँति समझा जा सके। वस्तुत: पृथ्वी का प्रतिरूप प्राकृतिक एवं मानवीय बल के द्वारा निर्धारित होता है। अतः इसी से संबंधित विवरण को मानचित्र में प्रस्तुत किया जाता हैं। उद्देश्य के आधार पर मानचित्र निम्न प्रकार के होते हैं :-

(a) भौतिक मानचित्र (Physical Maps ) :- वह मानचित्र जो प्राकृतिक वातावरण के तत्वों का विवरण प्रदर्शित करता है उसे भौतिक मानचित्र कहा जाता हैं, जैसे- खगोलिय मानचित्र, समदिक्याती मानचित्र, भूकम्पीय मानचित्र, भू- वैज्ञानिक मानचित्र, उच्चावच मानचित्र, जलवायु एवं मौसम मानचित्र, मृदा मानचित्र, वनस्पति मानचित्र, अपवाह मानचित्र, महासागरीय मानचित्र इत्यादि ।

(b) जनसंख्या एवं बस्ती मानचित्र (Population and Settelment Maps ) :- वह मानचित्र जिसके द्वारा जनसंख्या का वितरण, घनत्व, लिंगानुपात, व्यवसायिक संरचना इत्यादि प्रदर्शित किया जाता है उसे जनसंख्या मानचित्र कहते हैं। जबकि वह मानचित्र जो किसी नगर या ग्रामों की बनावट या विन्यास तथा परिवहन मार्गों के जल को प्रकट करता है उसे बस्ती मानचित्र कहते हैं ।

(c) सामाजिक-सांस्कृतिक मानचित्र (Sociao Cultural Maps ) :- वह मानसित्र जो धर्म, जाति, शिक्षा, भाषा इत्यादि को प्रकट करता है उसे सामाजिक मानचित्र कहा जाता है।

(d) राजनीतिक मानचित्र (Political Maps) :- जब किसी मानचित्र के द्वारा राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं, राजधानियों एवं प्रशासनिक केन्द्रों का प्रदर्शन किया जाता है तो उसे राजनीतिक मानचित्र कहा जाता है।

(e) ऐतिहासिक मानचित्र (Historical Maps) :- वह मानचित्र जो प्राचीन समय के राजाओं-महाराजाओं के अधिकार क्षेत्र, दुर्गों, आक्रमण मार्ग एवं प्रमुख नगरों को दर्शाता है, उसे ऐतिहासिक मानचित्र कहते हैं।

(f) सैनिक मानचित्र (Military Maps) :- वह मानचित्र जो सैनिकों के उपयोग हेतु बनाए जाते हैं। जैसे:- सामान्य मानचित्र, राजनीतिक मानचित्र, सामरिक मानचित्र, फोटो मैप इत्यादि ।

(g) आर्थिक मानचित्र (Economic Maps) :- वे मानचित्र जो आर्थिक क्रियाकलापों से सबंधित मानचित्रों को दर्शाता है उसे आर्थिक मानचित्र कहा जाता है, जैसे: परिवहन मानचित्र, भूमि उपयोग मानचित्र, कृषि मानचित्र, खनिज मानचित्र, औद्योगिक मानचित्र इत्यादि

प्रश्न 6.
मानचित्र की परिभाषा देते हुए उसके उपयोग को दर्शाएं।
उत्तर :
मानचित्र विषयवस्तु को ध्यान में रखते हुए नियोजित किया जाता है। मानचित्र की परिभाषा अनेक विद्वानों द्वारा दी गई है :-
फिन्च एवं ट्रिवार्था – “मानचित्र धरातल के आलेखी निरूपण होते हैं।” (Map are graphic representation of the Surface of the Earth’ – Finch and Trewartha) एफ. जे. मॉकहाऊंस – “निश्चित मापनी के अनुसार धरातल के किसी भाग के लक्षणों के समतल सतह पर निरूपण को मानचित्र की संज्ञा दी जाती है।” (Map is a representation on a plane surface of the Features of part of the Earth’s Surface of drawn to some specific Scale – F.J. Mankhouse) ।

अन्ततः उपरोक्त सभी परिभाषाओं का अध्ययन करते हुए आरपी मिश्रा एवं रमेश महोदय ने मानचित्र को निम्न रूपों से परिभाषित किया है. समस्त पृथ्वी या उसके किसी भाग, आकाश या किसी अन्य आकाशीय पिण्ड के दृश्य एवं विचारे गये अवस्थितिक तथा वितरणात्मक प्रतिरूपों का मापनी के अनुसार प्रतीकात्मक आरेखन मानचित्र कहलाता है।”

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मानचित्र का उपयोग :- मानचित्र भौगोलिक अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण उपकरण है। वर्तमान युग में मानचित्रों का उपयोग काफी बढ़ गया है। वास्तव में मानचित्र ही भूगोल की कुँजी है। यह भूगोल के विद्यार्थियों के लिए एक संकेत लिपि (Shorthand) का कार्य करता है। मानचित्रों का उपयोग निम्न रूपों में किया जाता है।

  • भूगोल :- प्रयोगात्मक भूगोल के लिए मानचित्र आवश्यक है। इसके बिना भूगोल का विद्यार्थी एक ऐसे योद्धा के समान है जिसके पास हथियार न हो।
  • युद्धो में :- मानचित्र का उपयोग युद्धों में किया जाता है। दूसरे विश्वयुद्ध के समय कई करोड़ मानचित्र तैयार किये गये थे । हिलटर के शब्दो में “Give me a detailed map of a country and I shall conquer it.”
  • यात्रियों के लिए :- मानचित्र यात्रियों व पर्यटकों के लिए मार्गदर्शन हेतु उपयोगी होता है।
  • प्रबन्धक के लिए :- मानचित्रों द्वारा ही भिन्न-भिन्न प्रान्तों का राज्य प्रबन्ध चलाया जाता है।
  • यातायात के साधनों के लिए :- रेल, सड़क, समुद्री और हवाई मार्गों की जानकारी के लिए मानचित्र काफी उपयोगी होता है !
  • मानचित्र :- विद्यार्थियों, अध्यापकों, उद्योगपतियों, अर्थशास्त्रियों, इंजीनियरों के लिए उपयोगी होता है।

प्रश्न 7.
मापनी की परिभाषा देते हुए उसके महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मापनी (Scale) :- किसी मानचित्र में दो स्थानों के बीच की दूरी और जमीन पर उन्हीं दो स्थानों के बीच की असली दूरी के अनुपात को मापनी कहते हैं। इसको हम इस प्रकार भी समक्ष सकते हैं। यदि किसी धरातल की एक कि०मी० की दूरी को मानचित्र पर से० मी० की दूरी के द्वारा दिखाया गया है तो इसका तात्पर्य है, मानचित्र पर दो बिन्दुओं के बीच से० मी० की दूरी, धरातल पर उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच 1km के बराबर होगी।

परिभाषा :-
(i) ए० एन० स्ट्रालर के अनुसार – “मापक, धरातल की वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर प्रदर्शित दूरी के पारस्परिक अनुपात को कहते हैं।’
(ii) आर० एल० सिंह के अनुसार, “धरातल की वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर प्रदर्शित दूरी के सम्बन्ध को मापक कहते हैं । ”
मापक का महत्व (Importance of Scale) : मापक की सहायता से हम एक विशाल धरातल को भी सुविधाजनक छोटे धरातल पर प्रदर्शित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त मानचित्र ऐसा होना चाहिए कि इसे हाथ में लिया जा सके और आसानी से उसका अध्ययन किया जा सके। मानचित्र का आकार मानचित्र में प्रयुक्त मापक पर निर्भर करता है । मापक की सहायता से हम उपलब्ध सीमित स्थान में भी मानचित्र को आवश्यकतानुसार बना सकते हैं।

प्रश्न 8.
मापक को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मानचित्र पर मापनी प्रदर्शित करने की तीन विधियां होती हैं।

  • साधारण कथन विधि (Simple Statement Method)
  • निरूपक भिन्न विधि (Representative fraction or. R.F. Method)
  • आलेखी विधि (Graphical Method).

साधारण कथन विधि (Simple Statement Method) :- वह विधि जिसमें कथनों द्वारा मापनी व्यक्त की जाती है उसे साधारण कथन विधि कहते हैं। जैसे :- 1 से०मी० = 1 कि०मी० अथवा 1 ईंच = 1 मील इत्यादि । इस मापनी का उपयोग भारतवर्ष में ग्रामों की भू-सम्पत्ति मानचित्रों तथा व्यक्तिगत भवनों आदि के प्लानों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। वैसे इस विधि का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता है क्योंकि प्रत्येक देश की माप इकाई भिन्न-भिन्न ‘होती है। साथ ही उसके संदर्भ में जानकारी रखना आवश्यक हो जाता है। अतः कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि यह उपर्युक्त विधि नहीं है।

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निरूपक भिन्न विधि (Representative Fraction or R.T. Method) :- प्रतिनिधि भिन्न या निरूपक भिन्न धरातल पर के दो स्थानों की वास्तविक दूरी तथा मानचित्र पर के दो स्थानों के दूरी का अनुपात होता है। इसमें अंश का मान सदैव एक होता है। जबकि हर धरातल पर उसी माप प्रणाली की इकाई दूरी होती है। इसे प्रस्तुत करने के लिए निम्न सूत्रों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रतिनिधि भिन्न = मानचित्र में किसी रैखिक माप की इकाई दूरी/उस रैखिक माप की उन्हीं इकाइयों में धरातल पर मापी गई दूरी

आलेखी विधि (Graphical Method) :- इस विधि में निरूपक भिन्न या प्रतिनिधि भिन्न के अनुसार प्राप्त लम्बाई के बराबर मानचित्र पर एक रेखा खींच कर उसे प्राथमिक एवं गौण भागों में विभाजित कर देते हैं तथा इन उपविभागों पर उनके द्वारा प्रदर्शित वास्तविक दूरियों के मान लिख दिए जाते हैं।

प्रश्न 9.
विभिन्न प्रकार की मापनी का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सामान्यत: मापनियों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जाता है :
(i) बड़ी मापनी तथा छोटी मापनी (Large Scale and Small Scale)
(ii) प्लेन मापनी (Plain Scale)
(iii) तुलनात्मक मापनी (Comparative Scale)
(iv) विकर्ण मापनी (Diagonal Scale)

(i) बड़ी मापनी तथा छोटी मापनी (Large Scale and Small Scale) : – सामान्यत: मापनी बड़ी तथा छोटी दो प्रकार की होती है। यह जानने के लिए कि मापनी बड़ी है या छोटी, हमें मानचित्र पर दूरी तथा धरातल पर दूरी के अनुपात का निरीक्षण करके निरूपक भिन्न ज्ञात करनी चाहिए। बड़े निरूपक भिन्नता वाली मापनी को बड़ी मापनी तथा छोटे निरूपक भिन्न वाली मापनी को छोटी मापनी कहते हैं । निम्नलिखित उदाहरण से इसे स्पष्ट करेंगे ।

  • बड़ी मापनी (Large Scale) : – बड़ी मापनी वाले मानचित्र में कई से०मी० अथवा इंच एक कि०मी० अथवा एक मील को दर्शाते हैं।
  • छोटी मापनी (Small Scale) :- छोटी मापनी में एक से०मी० अथवा एक इंच क्रमश: कई कि०मी० अथवा मीलों को दर्शाता है ।

(ii) प्लेन मापनी (Plain Scale ) :- यह एक सरल रेखा होती है, जिसकी लम्बाई दी गई मापनी के अनुसार निश्चित की जाती है। इस रेखा को सुविधा के अनुसार कुछ भागों में बाँटा जाता है। इन्हें प्राथमिक भाग (Primary Division) कहते हैं और ये निश्चित दूरी दर्शाते हैं। कम दूरियाँ पढ़ने के लिए बाईं ओर से पहले प्राथमिक भाग को गौण भागों में (Secondary Divisions) बाँटा जाता है। इसकी रचना तथा प्रयोग बहुत सरल है। इसलिए इसे सरल मापनी (Simple Scale) भी कहा जाता है।

(iii) तुलनात्मक मापनी (Comparative Scale) :- तुलनात्मक मापनी वह मापनी है जिसमें दो या दो से अधिक इकाइयों में दूरियाँ मापने की सुविधा होती है।जैसे :- मील एवं किलो मीटर, गज एवं मीटर आदि । कई बार तय की गई दूरी तथा उसमें लगने वाले समय को भी तुलनात्मक मापनी द्वारा दर्शाया जाता है।

(iv) विकर्ण मापनी (Diagonal Scale) :- जिस मापक में विकर्ण की सहायता से गौण भागों को और भी छोटे भागों में बाँटा जाता है उसे विकर्ण मापक कहते हैं। सरल मापक द्वारा दो ही इकाइयों जैसे, मील- फर्लांग अथवा किलोमीटर- हेक्टोमीटर आदि में दूरियाँ पढ़ी जाती हैं जबकि विकर्ण मापक के द्वारा तीन इकाईयों में जैसे- मील- फर्लांग- गज अथवा किलोमीटर- हेक्टोमीटर – डेसीमीटर में दूरियाँ पढ़ी जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त विकर्ण मापक में 1 इंच अथवा 1 सेंटीमीटर का 100 वाँ भाग दिखलाया जा सकता है, जो साधारण रैखिक मापक द्वारा संभव नहीं है।

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प्रश्न 10.
प्रदर्शक भिन्न या निरूपक भिन्न से क्या लाभ है?
उत्तर :
प्रदर्शक या निरूपक भिन्न से लाभ :- इस विधि में किसी मापन प्रणाली का प्रयोग नहीं होता, इसलिए इसका प्रयोग किसी भी देश में किया जा सकता है। इंच (ब्रिटिश), वर्स्ट (रूस), सेण्टीमीटर (फ्रांस), चांग (चीन) आदि माप की इकाइयों का ज्ञान न होने पर भी इन देशों में यह विधि प्रयोग की जा सकती है। यदि हम यह कहें कि किसी मानचित्र की प्रदर्शक भिन्न 1:1,00,000 है तो ब्रिटेन का साधारण व्यक्ति यह समझेगा कि मानचित्र का 1 इंच धरातल के 1,00,000 इंच को प्रदर्शित करता है।

इसी प्रकार को फ्रांस में 1 से० मी० 1,00,000 से० मी०, चीन में 1 चांग को 1,00,000 चांग और रूस में 1 वर्स्ट को 1,00,000 वर्स्ट प्रदर्शित करता है। इसलिए इसे अन्तर्राष्ट्रीय मापक International Scale या प्राकृतिक मापक (Natural Scale) भी कहते हैं। मानचित्र के मापक प्रदर्शित करने की यह विधि बहुत ही लोकप्रिय हो गई है और इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
प्रदर्शक भिन्न के गुणों और अवगुणों का वर्णन करो।
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न के गुण :-

  • प्रदर्शक भिन्न के मापक से बने मानचित्र की किसी भी इकाई के माध्यम से गणना की जा सकती है
  • प्रदर्शक भिन्न मापक को आसानी से कथनात्मक मापक रेखीय मापक में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • प्रदर्शक मापक मानचित्र की गणना में कोई असुविधा नहीं होती है।

प्रदर्शक भिन्न के दोष :-

  • R. F. की गणना के लिए गणित का ज्ञान होना आवश्यक है।
  • मानचित्र को बड़ा या छोटा करने पर मापक की यथार्थता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 12.
रेखात्मक मापनी की क्या विशेषता है?
उत्तर :
रेखात्मक या रैखिक व रचनात्मक मापनी की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :-

  • इस विधि में मापन पूरी एक रेखा के सहारे प्रदर्शित की जाती है।
  • इस मापक से सुविधा ये है कि मानचित्र के दो बिन्दुओं के बीच की दूरी से उसके सदृश्य ही पृथ्वी पर दो बिन्दुओं की दूरी को शुद्ध रूप में मापा जा सकता है।
  • यदि मूल चित्र छोटा या बड़ा किया जाता है तो रैखिक मापक भी अनुपात में छोटा या बड़ा हो जाता है।
  • सभी मानचित्रों के लिए रैखिक या रचनात्मक मापक सुविधाजनक है।

प्रश्न 13.
प्रदर्शक भिन्न की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
प्रदर्शक भिन्न अथवा प्रतिनिधि भिन्न द्वारा जैसे यह 1: 50,000 जिसका अर्थ मानचित्र की एक इकाई दूरी धरातल के 50,000 इकाई दूरी को दर्शाता है, एक प्रदर्शक भिन्न विश्व के किसी भी देश द्वारा समान रूप से प्रयुक्त होने का गुण रखती है। भिन्न-भिन्न देशों में जहाँ माप की भिन्न-भिन्न इकाइयाँ प्रचलित हैं, वहाँ प्रदर्शक भिन्न के मापक के प्रयोग में कोई असुविधा नहीं होती, अधिकांश मानचित्र प्रदर्शक भिन्न वाले मापक में ही दिखाए जाते हैं किन्तु इसके साथ ही उस देश में प्रयोग में आनेवाली अन्य मापों की इकाई भी रचनात्मक मापक में दे दिया जाता है।

WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 9 मानचित्र एवं मापक

प्रश्न 14.
मानचित्रों को मापक के आधार पर कितने भागों में बांटा गया है? वर्णन करें।
उत्तर :
मानचित्रों को मापक के आधार पर दो भागों में बाँटा गया है :
(i) दीर्घ मापक मानचित्र (Large Scale Maps ) :- इन मानचित्रों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता है। इन मानचित्रों द्वारा विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाता है। इनमें प्राय: स्केल 1cm = 1km की दूरी पर दिखाया जाता है। स्थलाकृति मानचित्र (Topographical Map) को भी दीर्घमापक मानचित्र की श्रेणी में रखा जाता है।

(ii) लघु मापक मानचित्र (Small Scale Maps ) :- इनका निर्माण छोटे मापकों पर किया जाता है। ये मानचित्र विशाल क्षेत्र का विवरण सीमित करके दिखाने में समर्थ होते हैं। इनमें प्राय: स्केल 1cm = 1000km की दूरी पर दिखाया जाता है। एटलस एवं दीवार मानचित्र इसी प्रकार के मानचित्र हैं।

प्रश्न 15.
रेखीय दूरी को मापने की विधियों का वर्णन करें।
उत्तर :
रेखीय दूरी को मापने की विधियाँ रेखीय दूरी को दो प्रकार से मापा जाता है ।

  • सरल या सीधे रेखा की दूरी मापना।
  • तिरछी रेखा की लम्बाई मापना।

सीधी रेखा की दूरी मापना :- सीधी रेखाएं, सड़क, रेलवे ट्रैक, नहरों द्वारा दर्शायी जाती है। मापक को पढ़कर, नक्शे की दूरी को धरातल पर दर्शाया जाता है और रेल मार्ग या नहर की लम्बाई ज्ञात कर ली जाती है।

बक्र रेखा की लम्बाई मापना :- नदियों, समुद्रों, झीलों, तालाबों आदि को बक्र रेखा द्वारा दर्शाया जाता है। इसको मापने के लिये धागे का प्रयोग किया जाता है। धागे द्वारा मैप की लम्बाई मापकर पुन: इसे स्केल पर पढ़ा जाता है और नदियों की तट रेखाओं, झीलों, तलाबों एवं समुद्री भाग की लम्बाई तय की जाती है।

प्रश्न 16.
मापक से क्या लाभ है?
उत्तर :
मापक या मापनी से निम्नलिखित लाभ है :-

  • मापनी के द्वारा समस्त पृथ्वी अथवा उसके किसी भाग को छोटे आकार में दिखलाया जा सकता है।
  • मापनी का इस्तेमाल कर हम मानचित्र के दो स्थानों की दूरियों के आधार पर धरातल के वास्तविक दूरी की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • मापनी का प्रयोग करके मानचित्र पर प्रदर्शित क्षेत्रों की वास्तविक लम्बाई, चौड़ाई एवं क्षेत्रफल की सही-सही गणना की जा सकती है।
  • बिना मापनी के मानचित्र एक पूर्णमान चित्र नहीं होता बल्कि वह रेखाचित्रं (Sketch Map) हो जाता है।
  • वृहद् क्षेत्रों को दिखलाने के लिए लघु मापनी का इस्तेमाल करते हैं लेकिन छोटे स्थानों को प्रदर्शित करने के लिए बड़े मापनी का इस्तेमाल किया जाता है।

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प्रश्न 17.
मापक का मानचित्र में क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
(1) मापक का मानचित्र में महत्वपूर्ण उपयोग है। यह धरातल पर किन्हीं दो स्थानों के बीच की दूरी तथा मानचित्र पर उन्हीं दोनों स्थानों की दूरी के आधार पर सही बोध कराता है।
(2) मापनी की सहायता से समतल पर समस्त पृथ्वी या पृथ्वी के किसी भी अंश का सूक्ष्मता से अध्ययन किया जा सकता हैं।
(3) मापक मानचित्र और प्रदर्शित क्षेत्रफल का अनुपात नहीं है, मापक केवल दो दूरियों के अनुपात को प्रदर्शित करता है to क्षेत्रफल के अनुपात से मिला है।
(4) मानचित्र – धरातलीय भू-भाग से बहुत छोटा होता है, जिसका वह चित्रण करता है। अतः प्रत्येक मानचित्र एक मापक पर बनाया जाता है, जो मानचित्र के दो बिन्दुओं तथा पृथ्वी पर उसकी वास्तविक दूरी के अनुपात का निर्धारण करता है।
(5) यदि प्रदर्शक भिन्न का हर 63360 से बड़ी संख्या है तो प्रदर्शक भिन्न लघु मापक होगी। लघु मापक धरातल के विस्तृत भू-भाग को मानचित्र पर दर्शाता है। इसे मील या कि० मी० इकाई से मापते हैं।
(6) यदि प्रदर्शक भिन्न का हर 63360 से छोटी संख्या है तो प्रदर्शक भिन्न वृहद् मापक होगा। जब इसे रेखात्मक रूप में दिखाए जाते हैं, फर्लांग, गज या फुट में दिखाए जाते हैं।

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