WBBSE Class 9 Geography Solutions Chapter 1 ग्रह रूप में पृथ्वी

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WBBSE Class 9 Geography Chapter 1 Question Answer – ग्रह रूप में पृथ्वी

एक या दो शब्दों में उत्तर दीजिए : 1 MARK

प्रश्न 1.
किसे अनोखा ग्रह कहा जाता है।
उत्तर :
पृथ्वी।

प्रश्न 2.
पृथ्वी की छाया किसे कहते हैं।
उत्तर :
चन्द्रग्रहण में चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की गोल छाया को पृथ्वी की छाया कहते हैं।

प्रश्न 3.
सभी आकाशीय ग्रहों की आकृति कैसी है?
उत्तर :
गोल।

प्रश्न 4.
सौर परिवार में ग्रहों की कुल कितनी संख्या है ?
उत्तर :
आठ।

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प्रश्न 5.
पृथ्वी का आकार कैसा है?
उत्तर :
चपटा उपगोल अथवा पृथ्व्याकार।

प्रश्न 6.
उत्तरी ध्रुव पर ध्रुवतारे की कोणिक ऊँचाई कितनी रहती है?
उत्तर :
90° 1

प्रश्न 7.
पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह को क्या कहते हैं?
उत्तर :
चन्द्रमा

प्रश्न 8.
उस भारतीय का नाम बताइये जिसने पृथ्वी को गोलाकार बताया।
उत्तर :
आर्यभट

प्रश्न 9.
पृथ्वी की वास्तविक आकृति कैसी है?
उत्तर :
पृथ्याकार।

प्रश्न 10.
पृथ्वी के विषुवतीय और धुवीय व्यास में कितना अन्तर है?
उत्तर :
43 कि॰मी०।

प्रश्न 11.
इरात्स्थनीज ने पृथ्वी के परिधि की गणना कब की?
उत्तर :
ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में।

प्रश्न 12.
बुध अपनी घूर्णन कितने दिनों में पूरा करता है?
उत्तर :
59 दिन।

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प्रश्न 13.
किसी एक गैसीय ग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर :
वृहस्पति।

प्रश्न 14.
पृथ्वी की औसत परिधि कितनी है?
उत्तर :
40000 कि॰मी०।

प्रश्न 15.
‘नीला ग्रह’ (Blue Planet) किसे कहते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी को।

प्रश्न 16.
किस प्राचीन विद्वान ने पृथ्वी की परिधि 38600 कि॰मी॰ बताई?
उत्तर :
इरास्टथनीज।

प्रश्न 17.
अरस्तू ने किस आधार पर बताया कि पृथ्वी गोलाकार है?
उत्तर :
चन्द्रम्मण से बनी पृथ्वी की गोलाकार छाया को देखकर।

प्रश्न 18.
किसी वस्तु का वजन भूमध्यरेखा से ध्रुवों की ओर क्यों बढ़ता है?
उत्तर :
गुरूत्वाकर्षण के कारण।

प्रश्न 19.
भूमध्यरेखीय उभार, ध्रुव रेखा से थोड़ा हटकर क्यों है?
उत्तर :
क्योंकि भुमध्यरेखीय उभार का व्यास अधिक है।

प्रश्न 20.
किस ग्रह के चारों ओर वलय पाया जाता है?
उत्तर :
शानि।

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प्रश्न 21.
सूर्य की परिक्रमा पूरा करने में पृथ्वी को कितने दिन लगते हैं?
उत्तर :
365 दिन 6 घण्टे।

प्रश्न 22.
चपटा गोलाभ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
भूमध्यरेखा पर उभार तथा दोनों धुवों पर चपटा।

प्रश्न 23.
किसने पृथ्वी की परिक्रमा करके बाताया कि पृथ्वी की आकृति गोलाकार है।
उत्तर :
आर्यभट्ट।

प्रश्न 24.
सूर्य से दूरी के अनुसार पृथ्वी का कौन सा स्थान है।
उत्तर :
तीसरा।

प्रश्न 25.
पृथ्वी का भूमध्य रेखीय व्यास कितना है?
उत्तर :
12756 कि० मी०।

प्रश्न 26.
किसने पृथ्वी की आकृति को पृथ्व्याकार बताया था?
उत्तर :
जान हार्सल।

प्रश्न 27.
किस ग्रह पर जीवन सम्भव है?
उत्तर :
पृथ्वी।

प्रश्न 28.
पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास कितना है?
उत्तर :
12714 कि०मी०।

प्रश्न 29.
पृथ्वी का विषुवत् रेखीय व्यास कितना है?
उत्तर :
12757 कि०मी०।

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प्रश्न 30.
आइजक न्यूटन ने पृथ्वी की तुलना किस फल से की ?
उत्तर :
नारंगी।

प्रश्न 31.
जीन्स ने पृथ्वी का आकार किस फल के समान बताया?
उत्तर :
नारगी।

प्रश्न 32.
सूर्य से पृथ्वी की दूरी कितनी है?
उत्तर :
14 करोड़ 85 लाख किलोमीटर।

33.
पृथ्वी से चन्द्रमा की औसत दूरी कितनी है?
उत्तर :
3 लाख 84 हजार 400 कि॰मी० (3,84,400)

प्रश्न 34.
शुक्र के वायुमण्डल में किस गैस की मात्रा सबसे अधिक है?
उत्तर :
कार्बन-डाइ-ऑक्साइड।

प्रश्न 35.
सर्वप्रथम किसने पृथ्वी को किसी फल के अनुसार न बताकर पृथ्वाकार बताया?
उत्तर :
जान हार्सल।

प्रश्न 36.
गोलाकार पदार्थ की छाया कैसी होती है?
उत्तर :
गोलाकार।

प्रश्न 37.
पृथ्वी का धुवीय व्यास कितना है?
उत्तर :
12714 कि॰मी०।

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प्रश्न 38.
पृथ्वी से चन्द्रमा की औसत दूरी कितनी है?
उत्तर :
3 लाख 84 हजार 400 कि॰मी० (3,84,400)

प्रश्न 39.
पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह का नाम बतलाओ।
उत्तर :
चन्द्रमा।

प्रश्न 40.
पृथ्वी अपने ग्रह पथ पर कितने डिग्री झुकी हुई है।
उत्तर :
23 \(\frac{1^{\circ}}{2}\)

प्रश्न 41.
सूर्य पृथ्वी से कितनी दूरी पर स्थित है?
उत्तर :
15 करोड़ कि०मी०

प्रश्न 42.
उस भारतीय का नाम बताइये जिसने पृथ्वी को गोलाकार बताया।
उत्तर :
आर्यभट्ट।

प्रश्न 43.
किस प्राचीन विद्वान ने पृथ्वी की परिधि 38600 कि॰मी॰ बताया?
उत्तर :
इरात्स्थनीज।

प्रश्न 44.
अरस्तु ने किस आधार पर बताया कि पृथ्वी गोलाकार है?
उत्तर :
चन्द्रमहण के समय चन्द्रमा की गोल छाया के आधार पर।

प्रश्न 45.
आइजक न्यूटन ने पृथ्वी की तुलना किस फल से की?
उत्तर :
नारंगी से।

प्रश्न 46.
वर्तमान में ग्रहों की संख्या कितनी है?
उत्तर :
आठ।

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प्रश्न 47.
यह किसका सिद्धांत है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है तथा ग्रह तथा अन्य पिंड सूर्य के चारों ओर घूमते हैं?
उत्तर :
कॉपरनिकस।

प्रश्न 48.
सौरमंडल का मुखिया किस ग्रह को कहा जाता है?
उत्तर :
पृथ्वी।

प्रश्न 49.
सूर्य पृथ्वी से कितना गुणा बड़ा है?
उत्तर :
13 लाख गुणा।

प्रश्न 50.
सूर्य का व्यास कितना है?
उत्तर :
14 लाख कि०मी०।

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
ग्रहों की उत्पति किस प्रकार हुई है?
उत्तर :
महाकाश में एक प्रचण्ड वेग से विस्फोट हुआ इसके फलस्वरूप ग्रहों की उत्पत्ति हुई।

प्रश्न 2.
आइजक न्यूटन ने पृथ्वी के आकार के बारे में क्या कहा ?
उत्तर :
आइजक न्यूटन ने बताया कि पृथ्वो न केवल गोल है, अपितु वह धुवों पर थोड़ी चपटी भी है।

प्रश्न 3.
जियाड क्या है?
उत्तर :
जॉन हर्सन के अनुसार पृथ्वी का अपना स्वय आकार है जिसे पृथव्याकार (Geoid) कहते हैं।

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प्रश्न 4.
उस प्रथम नाविक का नाम बतलाओं जिसने सर्वप्रथम पृथ्वी की परिक्रमा करके पृथ्वी की आकृति को प्रमाणित किया था ?
उत्तर :
कॉपरनिकस।

प्रश्न 5.
चपटा उपगोल (Oblate spheroid) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
ऐसी आकृति जो अपने केन्द्र मे उभरी हुई हो तथा दोनों किनार पर चपटी हो, उसे चपटा उपगोल कहते हैं।

प्रश्न 6.
पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी पर जल की अधिकता के कारण अन्तरिक्ष से रंगीन टेलीविजन द्वारा लिये गये पृथ्वी के चित्र नीले रंग के दिखाई पड़ते हैं। इसी से पृथ्वी को नीला मह (Blue Planet) कहते हैं।

प्रश्न 7.
गोलाकार पदार्थ की छाया गोलाकार होती है। पृथ्वी की गोलाकार आकृति से इसका क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर :
चन्द्रम्रण के समय पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है, यह छाया गोल होती है, अत: पृथ्वी गोल है।

प्रश्न 8.
बेडफोर्ड के प्रयोग से क्या समझते हो?
उत्तर :
सन् 1870 ई० मे ए० आर० वेलस ने इग्लेण्ड की बेडफोर्ड नदी में एक-एक कि०मी० के अन्तर पर तीन खम्भे एक सीध में इस प्रकार गाड़ दिये कि वे पानो की सतह से 4 मीटर उपर थे। जब उन्होने दूरबीन द्वारा पहले खम्भे की ऊँचाई से तीसरे खम्भे को देखा तो उन्हें बीच का खम्भा कुछ उपर उठा हुआ मालूम पड़ा। इससे प्रमाणित हुआ कि पृथ्वी गोल है।

प्रश्न 9.
मंगल को लाल ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर :
मंगल ग्रह लौह युक्त धूल की परतों से ढंका हुआ है। यह देखने में लाल रग एवं चमकीला नजर आता है। अत: इसे लाल म्रह (Red Planet) कहा जाता है।

प्रश्न 10.
शुक्त बुध से अधिक गर्म क्यों है?
उत्तर :
शुक्र का केन्द्रमंडल निकेल एवं लोहा जेसे भारी धातु से बना है। यहाँ रात तथा दिन का तापमान लगभग समान रहता है। इसके पृष्ठ तल का औसत तापमान 4 C है इसलिए यह बुध से अधिक गर्म है।

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प्रश्न 11.
सौरमण्डल क्या है?
उत्तर :
सूर्य सहित सभो खगोलीय पिण्ड जिसमें विचरण करते रहते है, उसे सौरमण्डल कहते हैं।

प्रश्न 12.
गोलाकार वस्तु के चक्कर लगाने से क्या प्रभाव होता है?
उत्तर :
एक ही स्थान वर लौट आना।

प्रश्न 13.
नक्षत्र या तारा किसे कहते हैं?
उत्तर :
रात के समय आकाश की ओर दृष्टि डालने पर हमलोगो को दृष्टिगोचर होता कि आकाश में यत्र-तत्र फैले हुए असंख्य ज्यांतिष्को में कुछ ज्योतिष्कों के प्रकाश टिमटिमाते हुए दिखाई पड़ते हैं। इन्हें ही नक्षत्र कहते हैं।

प्रश्न 14.
ग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर :
ग्रह का अर्थ है, ‘घूमने वाला’ (Wanderer)। सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने वाले गोलाक़ार पिण्डों को म्मह कहते हैं। ग्रहों की उत्पत्ति सूर्य से हुई है।

प्रश्न 15.
क्षुद्र ग्रह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
मंगल और वृहस्सति ग्रहों के बीच दस हजार से भी अधिक छोटे-छोटे ग्रह है, इन्हें क्षुद्र प्रह या आवन्तर ग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 16.
धूमकेतु क्या है?
उत्तर :
धूमकेतु एक ज्योतिष पिण्ड है, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं, ये बहुत द्विधवृत्ताकार कक्ष में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। इसकी एक लम्बी पूंछ होती है। कारण इसे धूमकेतु या पुच्छल तारा भी कहते हैं।

प्रश्न 17.
पार्थिव ग्रह कौन-कौन हैं?
उत्तर :
बुध, शुक्र तथा मंगल पृथ्वी की तरह ठोस है, अत: इन्हे पार्थिव ग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 18.
जोबियन ग्रह कौन-कौन हैं?
उत्तर :
वृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्चुन आदि जोबियन ग्रह है।

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प्रश्न 19.
सबसे बड़े और सबसे छोटे आवन्तर ग्रहों के नाम लिखो?
उत्तर :
सबसे बड़े आवन्तर प्रह का नाम सिरस तथा सबसे छोटे ग्रह का नाम हार्मस है।

प्रश्न 20.
गैसीय ग्रह किन्हे कहा जाता है?
उत्तर :
वृहस्पति, शनि, युरेनस तथा नेप्चुन गैसों से बने हैं। अत: इन्हें गैसीय मह कहा जाता है।

प्रश्न 21.
जोबियन का क्या अर्थ है? पृथ्वी, शनि, यूरेनस तथा नेप्चुन को जोबियन ग्रह क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
जोबियन का अर्थ है वृहस्पति के समान। वृहस्पति, शान, यूरनेस तथा नेप्चुन बड़े आक्रार के ग्रह हैं। अन: इन्ह जोबियन ग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 22.
सूर्य के बाद पृथ्वी का सबसे निकट तारा कौन है? यह पृथ्वी से कितना दूर है?
उत्तर :
प्रोक्सिमा सेंचूरी सूर्य के बाद पृथ्वी का सबसे निकट तारा है। यह पृथ्वी से 4.5 प्रकाश वर्ष दूर है।

प्रश्न 23.
प्रकाश वर्ष किसे कहते हैं?
उत्तर :
एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की गई दूरी को प्रकाश वर्ष कहा जाता है।

प्रश्न 24.
प्रकाश की गति कितनी है?
उत्तर :
प्रकाश को गति तीन लाख कि०मी० प्रति सेकेण्ड है।

प्रश्न 25.
प्रकाश एक वर्ष में कितनी दूरी तय करता है?
उत्तर :
प्रकाश एक वर्ष में 9.461 × 1012 कि०मी० की दूरी तय करता है।

प्रश्न 26.
ब्लू मून क्या है?
उत्तर :
एक कैलेण्डर माह में जब दो पूर्णिमाएँ हों, तो दूसरी पूर्णिमा का चाँद ब्लू मून कहलाता है।

प्रश्न 27.
उपग्रह किसे कहते हैं?
उत्तर :
ग्रहों की परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिण्ड को उपम्रह कहते हैं।

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प्रश्न 28.
कक्ष किसे कहते हैं?
उत्तर :
गहों द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने के मार्ग को उसकी कक्ष कहते हैं।

प्रश्न 29.
हैले क्या है?
उत्तर :
हैले एक धूमकेतु है जो 76 वर्ष बाद दिखाई देती है। यह 1986 में दिखाई दी थी और अगली गर 1986+76 =2062 में दिखाई देगी।

प्रश्न 30.
सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों से पृथ्वी के आकार के बारे में क्या जानकारी होती है?
उत्तर :
अन्तरिक्ष में जाने वाले वैज्ञानिको द्वारा लिया गया चित्र पृथ्वी को गोल प्रमाणित करता है।

प्रश्न 31.
अंतरिक्ष किसे कहते हैं?
उत्तर :
तारो, प्रहों तथा अन्य खगोलीय पिण्डों के बीच के खाली स्थान को अंतरिक्ष कहते हैं।

प्रश्न 32.
महाविस्फोट सिद्धांत (Big Bang Theory) किसने दिया?
उत्तर :
महाविस्फोट सिद्धात जार्ज लैमेन्टेयर की देन है।

प्रश्न 33.
महाकाश किसे कहते हैं?
उत्तर :
हमारी पृथ्वी के चतुर्दिक जो कुछ है उसे महाकाश कहते हैं।

प्रश्न 34.
महाकाशचारी किन्हें कहा जाता है?
उत्तर :
मानव निर्मित यानों में बैठकर जो लोग पृथ्वी का भमण करते हैं, उन्हें महाकाशचारी कहा जाता है।

प्रश्न 35.
कृत्रिम उपग्रह किन्हें कहते हैं?
उत्तर :
मानव निर्मित जो सेटेलाइट आकाश में स्थापित किए गए हैं, उन्हे कृत्रिम उपग्म कहने हैं।

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प्रश्न 36.
केन्द्रमुखी बल से तुम क्या समझते हो?
उत्तर :
पृथ्वी जिस बल से वस्तुओं को केन्द्र की तरफ खींचती है, उसे केन्द्रमुखी बल कहते हैं।

प्रश्न 37.
गुरुत्वाकर्षण से तुम क्या समझते हो?
उत्तर :
बह्माण्ड में प्रत्येक वस्तु दूसरी वस्तु को अपनी ओर आकर्ष्षत करती है। इस सर्वव्यापी आकर्षण बल को गुरूत्वाकर्षण कहा जाता है।

प्रश्न 38.
जी० पी० एस० प्रणाली क्या है?
उत्तर :
यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा त्रियामी स्थित अक्षांश, देशान्तर आदि के बारे में पता चलता है।

प्रश्न 39.
खगोलीय पिण्ड किसे कहते हैं?
उत्तर :
ग्रह, उपग्रह, सूर्य आदि ठोस द्रव अथवा गैसीय पदार्थो से बने पिण्डों को खगोलीय पिण्ड कहते हैं।

प्रश्न 40.
अन्तरिक्ष में भेजे गये कुछ भारतीय कृत्रिम उपग्रहों के नाम बताइए।
उत्तर :
आतरिक्ष में भेजे गये कुछ भारतीय उपग्रह इनसेट, आई० आर० एस०, एडूसैट आदि हैं।

प्रश्न 41.
सौरमण्डल के ग्रहों के नाम लिखिए ?
उत्तर :

  • बुध (Mercury)
  • शुक्र (Venus)
  • पृथ्वी (Earth)
  • मंगल (Mars)
  • वृहस्पति (Jupitar)
  • शनि (Saturn)
  • अरुण (Uranus)
  • वरुण (Neptune)।

प्रश्न 42.
अक्ष किसे कहते हैं?
उत्तर :
पृथ्वी अपनी दैनिक गति जिस कल्पित रेखा के सहारे पूरा करती है, उसे अक्ष कहते हैं।

प्रश्न 43.
धूमकेतु क्या है?
उत्तर :
ये गैस एवं धूलकणो के पुँज होते हैं जो सूर्य की परिक्रमा अति दीर्घ वृत्तीय कक्षा में करते हैं। उनका परिक्रमण कक्ष अव्यर्वस्थित होता है।

प्रश्न 44.
दो धूमकेतुओं के नाम लिखो?
उत्तर :
हेली (Halley) और डोनाटी (Donnaughty)।

प्रश्न 45.
आंतरिक ग्रह किन्हें कहते हैं?
उत्तर :
बुध, शुक, पृथ्वी एवं मंगल आंतरिक ग्रह है।

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प्रश्न 46.
आंतरिक ग्रहों का घनत्व अधिक क्यों होता है?
उत्तर :
आंतरिक ग्रहों का घनत्व अधिक इसलिए होता है क्योंकि ये भारी पदार्थों जैसे सिलिका एवं धातुओं से बने हैं।

प्रश्न 47.
बाह्य ग्रह किन्हें कहा जाता हैं ?
उत्तर :
वृहस्पति, शनि, अरूण एवं वरूण बाह्य ग्रह कहलाते हैं।

प्रश्न 48.
बाह्य ग्रहों का घनत्व कम क्यों होता है?
उत्तर :
बाब्य प्रह हलके तत्वों जैसे हाइड्रोजन, मिथेन आदि से निर्मित हैं। इसलिए इनका घनत्व बहुत कम है।

प्रश्न 49.
किस ग्रह का घनत्व पानी से भी कम है?
उत्तर :
शनि का घनत्व पानी से भी कम है।

प्रश्न 50.
आकाशगंगा क्या है?
उत्तर :
आकाश गंगा एक तारक पुंज है जिसका सदस्य सूर्य है। आकाश गंगा में करीब 100,000 मिलियन तारे हैं। यह तस्तरीनुमा संरचना है जिसमें गैस, घूलकण तथा तारें उपस्थित हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
पृथ्वी की भूमध्यरेखीय उभार का प्रमाण दो।
उत्तर :
सर्वप्रथम सर आइजक न्यूटन ने बताया कि पृथ्वी की दैनिक गति के कारण पृथ्वी का मध्यभाग, भूमध्यरेखा पर केंद्रोपसारी बल अत्यधिक तीव्र हुआ जिसके कारण पृथ्वी भूमध्यरेखा पर उभर गयी और साथ ही साथ केन्द्रोपसारी बल दोनों धुवों पर कम हुआ जिसके कारण पृथ्वी धुवों पर चपटी हो गयी। इस तथ्य को फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने 1743 ई० में सिद्ध किया कि पृथ्वी की परिधि भूमध्यरेखा पर धुवों की तुलना में अधिक है।

प्रश्न 2.
पृथ्वी को अनोखा ग्रह क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
पृथ्वी सौरमण्डल की एक सदस्या है। आकार की दृष्टि से पृथ्वी, वृहस्ति, शनि, यूरेनस और नेष्व्यून जैसे विशालकाय ग्रहों के सामने बिल्कुल बौनी है। सूर्य तो पृथ्वी से लाखों गुणा बड़ा है, लेकिन पृथ्वा एक जीवन्त ग्रह है। अब तक की जानकारी के अनुसार सारे बह्माण्ड में पृथ्वी ही एक ऐसा प्रह है, जहाँ जीवन पाया जाता है। इस दृष्टि से पृथ्वी सभी ग्रहों में एक अनोखा और अनुपमेय ग्रह है।

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प्रश्न 3.
पृथ्वी की आकृति पर व्याख्यात्मक निष्कर्ष लिखो।
उत्तर :
पृथ्वी की आकार का निर्णय : यह कहना गलत नहीं होगा कि पृथ्वी गोल है। भू-मध्य रेखीय उभाड़ और धुवों का चपटा होना पृथ्वी के चपटा गोलाभ आकृति को दर्शाता है। दो विरोधी बिन्दु एवरेस्ट और मृत सागर है जो एक स्कूल ग्लोब के व्यास को 30 cm घटा देते हैं। इस प्रकार सभी प्रैक्टिकल सन्दर्भ में हम पृथ्वी को एक गोलाकार रूप (Truely spherical shape) में लेते हैं।

प्रश्न 4.
एक ग्रह के रूप में पृथ्वी का वर्णन कीजिए।
अथवा
पृथ्वी को अनोखा ग्रह क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
पृथ्वी सौरमंडल का एक विशिष्ट म्रह है। यह सौरमंडल का तीसरा ग्रह है। चंद्रमा इसका प्रमुख उपग्रह है। इसी ग्रह पर जीवन का अस्तित्व पाया जाता है। इस ग्रह पर 71 % जलीय भाग है इसलिए इसे नीलाग्रह कहते हैं। इस ग्रह सूर्य से प्रकाशित होता है। पृथ्वी की दो गतियाँ है – दैनिक और वार्षिक। दैनिक गति के कारण दिन-रात तथा वार्षिक गति के कारण ऋतु परिवर्तन होताह है। इसी ग्रह पर आक्सीजन पाया जाता है।

प्रश्न 5.
पृथ्वी के आकार का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पृथ्वी का आकार : प्रसिद्ध दार्शनिक और गणितज्ञाइथागोरस ने पृथ्वी को गोलाकार और स्थिर बताया है। सत्रहवीं सदी में सर आइजक न्यूटन ने यह बताया था कि पृथ्वी गोल है और दोनों धुवों पर चपटी है तथा भूमध्य रेखा पर उभरी हुई है। इसलिए पृथ्वी को पूर्ण गोलाकार न मानकर चपटा उपगोल (Oblate spheroid) कहा जाता है। जॉन हर्सन के अनुसार पृथ्वी का अपना स्वयं आकार है जिसे पृथव्याकार (Geoid) कहते है।

प्रश्न 6.
बेडफोर्ड के प्रयोग का सचित्र वर्णन करो।
उत्तर :
ए० आर० वैलेस ने इंगलैण्ड में बेडफोर्ड की नहर में समान दूरियों पर तीन खम्भे इस प्रकार गाड़े कि जल तल से उनकी ऊँचाई समान थी। एक ओर से दूरबीन द्वारा देखने पर पता चला कि बीच के खम्भे का सिरा शेष दो खम्भों के सिरों से लगभग 8 इंच ऊँचा था, इसका कारण पृथ्वी की गोल आकृति ही है। यदि पृथ्वी चपटी होती तो सभी खम्भों की ऊँचाई समान दिखाई पड़ती। इसी प्रयोग के आधार पर नहर बनाने वाले अभियन्ता तथा सर्वेक्षण करने वाले प्रत्येक 1 मील की दूरी पर 8 इंच उँचाई का सुधार कर लेते है।

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प्रश्न 7.
पेण्डुलम घड़ी भूमध्यरेखीय पर सुस्त (Slow) और धुवों के पास तेज (Fast) क्यों चलती है?
उत्तर :
यदि हम घड़ी के पेण्डुलम की गति पर विचार करें तो पाते हैं कि घड़ी भू-मध्यरेखा पर धीरे चलती है, जबकि धुवों की ओर तेज चलती है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी भू-मध्य रेखा पर उभरी है जिससे घड़ी का पेणडुलम पृथ्वो के केन्द्र से दूर हो जाता है। परिणामस्वरूप भू-मध्यरेखा पर कम गुरुत्वाकर्षण बल पेण्डुलम पर पड़ता है। इसके विपरीत धुवों पर पृथ्वी चपटी है जिससे घड़ी का पेण्डुलम पृथ्वी के केन्द्र के नजदीक होता है और पेण्डुलम पर अधिक गुरुत्व बल कार्य करता है, परिणामस्वरूप घड़ी तेज चलती है। पेरिस धुव के समीप स्थित है, यहाँ पर घड़ी तेज चलती है। जबकि कायने द्वीप (Cayenne Island) भू-मध्यरेखा पर स्थित है जहाँ पर घड़ी धीमी गति से चलती है।

प्रश्न 8.
अक्षांश और देशान्तर के 1° चाप की लम्बाई में अन्तर के कारण की व्याख्या करो।
उत्तर :
ग्लोब पर अक्षांश और देशान्तर रेखाओं के भुजाओं की लम्बाई में अन्तर है। भू-मध्यरेखा पर 1° अक्षांश रेखा की लम्बाई 111.32 कि०मी० है जबकि 1° देशान्तर रेखा की लम्बाई 110.58 कि०मी० है। इस प्रकार 1° अक्षांश रेखा की लम्बाई धरातल पर सभी जगह समान नहीं है, धुवों की ओर बदलती जाती है। 1° अक्षांश रेखा की लम्बाई 110.6 कि०मी० है जबकि भूमध्य रेखा पर 111.7 कि०मी० है। यह भू-मध्य रेखा पर 1.1 कि०मी० लम्बी है। इससे पृथ्वी की चपटी गोलाभ आकृति प्रमाणित होती है।

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प्रश्न 9.
पृथ्वी की भूमध्यरेखीय व्यास उसके ध्रुवीय व्यास से कितना अधिक है?
उत्तर :
12756 कि०मी० 12714 कि०मी०।

प्रश्न 10.
पृथ्वी के चपटा गोलाभ आकृति के दो प्रमाण लिखो।
उत्तर :
(i) वेफोर्ड का प्रयोग (ii) ऊँचाई के साथ क्षितिज का विस्तार।

प्रश्न 11.
पृथ्वी के आकार के बारे में क्या जानते हो?
उत्तर :
पृथ्वी का अपना स्वय आकार है जिसे पृथ्याकार (Geoid) कहते है।

प्रश्न 12.
एरेटोस्थिनीज द्वारा पृथ्वी का अर्धव्यास कितना निर्धारित किया गया था?
उत्तर :
6378 कि॰मी॰ लगभग (6400 km)।

प्रश्न 13.
आइजक न्यूटन ने पृथ्वी के आकार के बारे में क्या कहा?
उत्तर :
आधुनिक काल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक मर आइजक न्यूटन (Sir Issac Newton) ने बताया कि पृथ्वी न केवल गोल है, अपितु वह ध्रुवों पर थोड़ी चपटी भी है और इसकी आकृति नारंगी से मिलती है। इन्हीं दिनों रिचर (Ritcher) नामक एक विद्वान ने घड़ी के पेन्डुलम का प्रयोग कर इस बात को प्रमाणित किया कि भू-मध्य रेखा पर पृथ्वी का व्यास अधिकतम है।

प्रश्न 14.
गोलाकार पदार्थ की छाया गोलाकार होती है। पृथ्वी की गोलाकार आकृति से इसका क्या संबंघ है?
उत्तर :
किसी गोल वस्तु की छाया गोल ही होती है। चन्द्रम्रहण के समय पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है, यह छाया गोल होती है, अतः पृथ्वी गोल है।

प्रश्न 15.
पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों की उत्पति कैसे हुई?
उत्तर :
पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों की सृष्टि : आधुनिक ज्योतिष्क वैज्ञानिको के मतानुसार सृष्टि के प्रारम्भ में एक विशाल नक्षत्र सूर्य के चारों तरफ घूमते-घूमते एकाएक महाकाश में प्रचण्ड वेग से विस्फोट हुआ। इसके फलस्वरूप नक्षत्रों के टुकड़े महाकाश में बहुत दूर तक फैल गए। अल्प परिमाण में लघु वाष्पोय पिण्ड सूर्य के आकर्षण से उनके चारों तरफ नियमित रूप से निश्चित पथ पर घूमने लगे। इस प्रकार से ग्रहों की सृष्टि हुई। क्रमशः ताप विकिरण के फलस्वरूप वे ठण्डे होते गए। हमलोगों का निवास क्षेत्र जिस ग्रह मे स्थित है, उसे पृथ्वी कहा जाता है। यह पृथ्वी भी एक समय वाष्पीय पिण्ड थी। कालक्रम से ताप विकिरण के फलस्वरूप पृथ्वी ठण्डी होकर प्राणियों के लिए उपयोगो बनी।

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प्रश्न 16.
सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों से पृथ्वी के आकार के बारे में क्या जानकारी होती है?
उत्तर :
सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों से पृथ्वी के आकार पृथ्याकार (Geoid) जैसा दिखता है तथा ज़ल के अधिक विस्तार होने के कारण यह नीला दिखायी देता है।

प्रश्न 17.
सौर मण्डल के ग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर :
वुध, शुक्र, पृथ्वी, मगल, वृहस्पति, शान, अरुण, वरुन

प्रश्न 18.
ग्रह एवं उपग्रह में अंतर स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर :

ग्रह उपग्रह
1. ग्रहों का जन्म सूर्य या तारा से हुआ है। 1. उपग्रह का जन्म ग्रह से हुआ है।
2. सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। 2. सभी उपग्रह अपने-अपने ग्रह की परिक्रमा करते हैं।
3. ग्रहों की कुल सख्या 8 है। 3. सौर मंडल में कुल छोटे-बड़े 61 उपग्रह हैं।

प्रश्न 19.
जब हम कहते हैं कि ‘पृथ्वी एक नीला ग्रह’ है तो आप इससे क्या समझते हैं?
अथवा
पृथ्वी का वर्णन नीले ग्रह के रूप में करो।
उत्तर :
अंतरारक्ष से देखने पर पृथ्वी एक नीले तथा चमकीले गोले के समान दिखाई देती है। इसका कारण यह है कि भूतल का अधिकाश भाग (लगभग 70 %) जल से घिरा हुआ है, जिसका रंग नोला है। अत: इसे नोला ग्रह भी कहा जाता है।

प्रश्न 20.
पृथ्वी की भूमध्यरेखीय उभार का वर्णन करो।
उत्तर :
पृथ्वी की आकृति चपटा गोलाभ है। जब पृथ्वी नवीन मुलायम और पिघली अवस्था में थी तो पृथ्वी के परिभ्रमण गति का प्रभाव इसकी आकृति पर पड़ा। अतः पृथ्वी भूमध्यरेखा पर उभर गयी और दोनों ध्रुवों पर चपटी हो गयी।

प्रश्न 21.
पृथ्वी के गोलाकार आकृति के महत्व का वर्णन करो।
उत्तर :
पृथ्वी के गोलाकार आकृति का महत्व :

  1. हम पृथ्वी को गोल मान कर समय की गणना करते हैं।
  2. हम पृथ्वी को ग्रह का आधार मानकर ग्लोब पर स्थान की स्थिति का निर्धारण करते हैं।
  3. दिशा का निर्धारण पृथ्वी के गोल आकार द्वारा किया जाता है।

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प्रश्न 22.
उपगोल और गोल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

उपगोल (Spheroid) गोल (Sphere)
1. यह सेव के आकार का होता है। अर्थात दोनों सिरों पर चपटा होता है। 1. यह गोल गेंद के आकार का होता है।
2. इसमें केन्द्र से परिधि की दूरी असमान होती है। चपटे भाग की दूरी कम तथा अन्य भागों की दूरी अभिक होती है। 2. इसमें केन्द्र से परिधि तक की सभी दूरी सर्वत्र समान होती है।

विवरणात्मक प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
पृथ्वी के चपटा गोलाभ आकृति (Oblate Spheroid) का प्रमाण दो। अथवा, ‘ ‘पृथ्वी की आकृति पृथ्याकार (Geoid) है।’ प्रमाणित करो।
उत्तर :
किसी वस्तु का वजन (Weight of any object) : यदि हम किसी वस्तु का वजन करें तो पाते हैं कि यह भू-मध्य रेखा से धुवों की ओर बढ़ता जाता है। ऐसा तभी सम्भव है जब पृथ्वी भूमध्यरेखा पर उभरी और धुवों पर चपटी हो।

पेण्डुलम क्लाक (Pendulam Clock) : यदि हम घड़ी के पेण्डुलम की गति पर विचार करें तो पाते हैं कि यह भूमध्यरेखा पर धीमी गति से चलती है, जबकि ध्रुवों की ओर तेज चलती है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी भूमध्य रेखा पर उभरी है जिससे घड़ी का पेण्डुलम पृथ्वी के केन्द्र से दूर हो जाता है। परिणामस्वरूप भूमध्यरेखा पर कम गुरुत्वाकर्षण बल पेण्डुलम पर पड़ता है। इसके विपरीत धुवों पर पृथ्वी चपटी है जिससे घड़ी के पेण्डुलम पर अधिक गुरुत्व बल कार्य करता है, परिणामस्वरूप घड़ी तेज चलती है। पेरिस धुवों के समीप स्थित है, यहाँ पर घड़ी तेज चलती है जबकि कायने द्वीप (Cayenne Island) भूमध्य रेखा पर स्थित है यहाँ पर घड़ी धीमी चलती है।

एक भुजा की लम्बाई (Length of an Arc) : ग्लोब पर अक्षांश और देशान्तर रेखाओं के भुजाओं की लम्बाई में अन्तर है। भूमध्यरेखा पर 1° अक्षांश रेखा की लम्बाई 111.32 कि०मी० है। इस प्रकार 1° अक्षांश रेखा की लम्बाई धरातल पर सभी जगह समान नहीं है, धुवों की ओर बदलती जाती है। 1° अक्षांश रेखा की लम्बाई 110.6 कि०मी० है जबकि भूमध्यरेखा पर 111.7 कि॰मी० है। यह भूमध्यरेखा पर 1.1 कि०मी० लम्बी है। इससे पृथ्वी की चपटी गोलाभ आकृति प्रमाणित होती है।

प्रश्न 2.
ग्रहों की श्रेणी से प्लूटो ग्रह का निष्कासन क्यों हुआ है?
अथवा
प्लूटो को अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संगठन ने प्रहों से अलग क्यों कर दिया?
उत्तर :
प्लूटो ग्रह का निष्कासन : 24 अगस्त 2006 ई० को पराग (चेक गणराज्य) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ (International Astronomial Union) ने यह घोषणा की कि सौरमडल में केवल आठ ग्रह ही रहेंगे। नौवें ग्रह के रूप में प्लूटो की मान्यता समाप्त कर दी गयी।
प्लूटो ग्रह के निष्कासन के कारण : ग्रह की स्पष्ट वैज्ञानिक परिभाषा के अभाव में अन्य आठ ग्रहों से भिन्नता रखने के बावजूद भी सन् 1930 से प्लूटो नौंवे ग्रह के रूप में स्थापित था। वैज्ञानिक खोजों के फलस्वरूप जब सौरमण्डल में कई पिण्ड खोजे गए तो उनकी पहचान के साथ प्लूटो की ग्रहीय परिकल्पना पर सवाल खड़े होने लगे। अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ द्वारा गठित समिति ने प्रहों की निम्नलिखित नवीन परिभाषा दी है :-

  1. अब वही खगोलीय पिण्ड ग्रह कहलायेंगे, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
  2. अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षण के लिए उनका न्यूनतम द्रव्यमान इतना हो कि वह लगभग गोल आकृति का हो।
  3. उनकी कक्ष अपने निकट के प्रह के मार्ग को न काटे। प्लूटो उपर्युक्त मापदण्डों पर खरा नहीं उतरता है, इसलिए इसे ग्रहों की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है।

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प्रश्न 3.
पृथ्वी की आकृति गोलाकार है, इस संबंध में क्या प्रमाण है? अथवा, पृथ्वी की आकृति से संबंधित प्रमाण लिखिए?
अथवा
पृथ्वी की आकार गोलाकार है। चित्र सहित प्रमाण दो।
अथवा
पृथ्वी गोल है इसे कैसे प्रमाणित किया जा सकता है?
उत्तर :
पृथ्वी के गोलाकार होने के निम्नलिखित प्रमाण हैं :-
अन्तरिक्ष से पृथ्वी का दृश्य (View of the Earth from Space) : प्राचीनकाल में पृथ्वी को गोलाकार प्रमाणित करने के लिए प्रमाणों की आवश्यकता पड़ती थी। हम चन्द्रमा की गोल आकृति को देख सकते हैं। अतः कोई भी व्यक्ति हमसे चन्द्रमा को गोलाकार प्रमाणित करने के लिए नहीं कहता। यही बात आज पृथ्वी के लिए भी है। आज बहुत से रूसी तथा अमेरीकी अन्तरिक्ष यात्रियों ने कृत्रिम उपग्रहों द्वारा पृथ्वी की अनेक परिक्रमाएँ करके अन्तरिक्ष से पृथ्वी के कैमरा-चित्र लिये हैं। अन्तरिक्ष अथवा चन्द्रमा से लिये गये ये चित्र निर्विवाद रूप से प्रमाणित करते हैं कि पृथ्वी की आकृति गोल है। पृथ्वी पर जल की अंधिकता के कारण अन्तरिक्ष से रंगीन टेलीविजन द्वारा लिए गये पृथ्वी के चित्र नीले रंग के दिखलाई पड़ते हैं। इसी से आजकल पृथ्वी को नीला ग्रह (Blue Planet) कहा जाता है।

सौर परिवार के सभी ग्रहों का गोल होना : पृथ्वी तथा सौर-परिवार के अन्य सभी ग्रहों का जन्म सूर्य से ही हुआ है। सौर-परिवार के अन्य सभी ग्रह एवं उनके उपग्रह गोल हैं। अतः पृथ्वी को भी अवश्य ही गोल होना चाहिए।

एक ही दिशा में यात्रा करने पर पुनः उसी स्थान पर लौट आना : यदि हम पृथ्वी के किसी स्थान से चलकर बिना मुड़े एक ही दिशा में यात्रा करते रहे तो पुन: उसी स्थान पर पहुँच जायेंगे, जहाँ से चले थे। यदि पृथ्वी चपटी होती हो उसका किनारा खड़ा होता, जहाँ से यात्री या जहाज नीचे गिर जाते। मैगलन एवं कोलम्बस आदि यात्रियों ने समूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके यह प्रमाणित कर दिया है कि पृथ्वी गोल है। आधुनिक जलमार्ग एवं वायुमार्ग पृथ्वी को गोल मानकर ही बनाये गये हैं।

सूर्यादय एवं सूर्यास्त के समय में अंतर : प्रकाश की किरणें सरल रेखा में गमन करती हैं। यदि पृथ्वी चपटी होती तो सम्पूर्ण पृथ्वी पर एक साथ ही सूर्योदय एवं सूर्यास्त होता। परन्तु पृथ्वी के विंभिन्न स्थानों पर सूर्योदय एवं सूर्यास्त भिन्न-भिन्न समयों पर होते हैं। यह पृथ्वी के गोलाकार होने से ही संभव है।

ऊँचाई के साथ क्षितिज का विस्तार : पृथ्वी और आकाश जहाँ मिलते हुए प्रतीत होते हैं उसे क्षितिज कहते हैं। यदि पृथ्वी चपटी होती तो विभिन्न ऊँचाईयों से हमें क्षितिज का विस्तार एक समान ही दिखाई पड़ता।परन्तु यदि हवाई जहाज पर चढ़कर उसकी खिड़की से नीचे की ओर झाँके तो हम देखते हैं कि ज्यों-ज्यों जहाज उपर उठता है, क्षितिज का विस्तार बढ़ता जाता है। इससे प्रमाणित होता है कि पृथ्वी की आकृति गोल है।

सम्पूर्ण जलयान का एक साथ न दिखाई देना : यदि पृथ्वी चपटी होती तो समुद्र में जलयान का पूरा भाग एक साथ ही दिखाई पड़ता तथा एकसाथ ही दृष्टि से ओझल होता। परन्तु यदि हम समुद तट पर खड़े होकर तट की ओर आते हुए जलयान की ओर दृष्टि डाले तो हम देखते हैं कि पहले केवल जहाज का ऊपरी भाग (मस्तूल) ही दिखाई पड़ता है। जहाज के निकट आने पर क्रमशः उसका मध्य एवं नीचे का भाग दिखाई पड़ने लगता है। इसी प्रकार तट से दूर जाते हुए जलयान का सबसे पहले निचला भाग, पुन: मध्य का भाग और अंत में इसका उपरी भाग दृष्टि से ओझल होता है। इससे प्रमाणित होता है कि पृथ्वी गोल है।

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बेडफोर्ड का प्रयोग (Bedford Experiment) : ए० आर० वैलेस ने इंग्लैण्ड में बेडफोर्ड की नहर में समान दूरियों (एक-एक मील की दूरी) पर तीन खंभे इस प्रकार गाड़े कि जल तल से उनकी ऊँचाई समान थी। एक ओर से दूरबीन द्वारा देखने पर पता चला कि बीच के खंभे का सिरा शेष दो खंभो के सिरो से लगभग 8 इंच ऊँचा था। इसका कारण पृथ्वी की गोल आकृति ही है। यदि पृथ्वी चपटी होती तो सभी खंभो की ऊँचाई समान दिखाई पड़ती। इसी प्रयोग के आधार पर नहर बनाने वाले अभियता (Engineer) तथा सर्वेक्षण करने वाले प्रत्येक एक मील की दूरी पर 8 इंच ऊँचाई का सुधार कर लेतें हैं।

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सूर्य की कोणिक ऊँचाई में अन्तर : सूर्य हमारी पृथ्वी के अनन्त दूरी पर स्थित है। अनन्त से आने वाली किरणें समानान्तर होती हैं। समानान्तर किरणें चपटे तल के साथ समान कोण बनाती हैं। परन्तु विभित्र स्थानो पर सूर्य तथा तारों की कोणिक ऊँचाई में अंतर मिलता है। सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर लम्बवत् पड़ती है। भूमध्य रेखा से दूर जाने पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ने लगती है। यह तभी संभव है जब पृथ्वी की आकृति गोल हो।

ध्रुवतारे की कोणिक ऊँचाई में अंतर :- धुवतारा संदा उत्तरी ध्रुव पर लम्बवत् चमकता है। वहाँ उसकी कोणिक ऊँचाई 90° होती है। ज्यों-ज्यों हम वहाँ से दक्षिण की ओर जाते हैं उसकी कोणिक ऊँचाई घटती जाती है। 45° उत्तरी अक्षांश पर उसकी कोणिक ऊँचाई 45° तथा भूमध्य रेखा (0° अक्षांश रेखा) पर उसकी कोणिक ऊँचाई 0° होती है और वहाँ पर वह क्षितिज पर दिखाई देता है। इससे भी यह प्रमाणित होता है कि पृथ्वी का आकार गोल है।

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चंद्रग्रहण में पृथ्वी की गोल छाया : चंद्रग्रहण में चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया गोल होती है। केवल गोल वस्तु की ही छाया गोल हो सकती है। इससे भी प्रमाणित होता है कि पृथ्वी की आकृति गोल है।

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प्रश्न 4.
इरात्स्थनीज द्वारा पृथ्वी की परिधि को मापने के तरीके का सचित्र वर्णन करो।
अथवा
इरात्थ्थनीज ने पृथ्वी की परिधि का आंकलन किस प्रकार किया ?
अथवा
पृथ्वी की परिधि के बारे में व्याख्यात्मक नोट लिखो।
उत्तर :
पृथ्वी की माप (Measurement of the Earth) : पृथ्वी की परिधि की माप ज्ञात करने का प्रयास सर्वप्रथम मिस निवासी इरात्स्थनीज ने किया। उसने 21 जून को कर्क रेखा के पास अस्वान के समीप स्थित सीन (Syene) नगर में ठीक दोपहर के समय एक लम्बवत खम्भा गाड़कर देखा कि सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लम्बवत पर रही है और खम्भे के साथ कोई कोण नहीं बना रही है। अगले वर्ष 21 जून को ठीक दोपहर के समय ही सीन से 772 किलोमीटर दूर मिस्न स्थित सिकन्दरिया (Alexandria) में लम्बवत् खम्भा गाड़कर निरीक्षण किया और पाया कि इस स्थान पर सूर्य की किरणें लम्बवत् खम्भे के साथ 7.2°(7° 12) का कोण बना रही है।

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अंतंत दूरी से आने के कारण सूर्य की किरणें समानान्तर होती हैं। आप रेखागणित में पढ़ चुके होंगे कि दो समानान्तर सरल रेखाओं को यदि एक सरल रेखा काटे तो एकान्तर कोण बराबर होते हैं। इस नियम से सूर्य की किरणें सिकन्दरिया में लम्बवत् खम्भे के साथ जो 7.2° का कोण बनाती है सीन व सिकन्दरिया को पृथ्वी के केन्द्द से मिलाने वाली रेखाओं के द्वारा वही 7.2° का कोण पृथ्वी के केन्द्र पर बनता है। पृथ्वी के केन्द्र पर 360° का कोण बनता है जिसमें 7.2° के कोण द्वारा 772 किलोमीटर की दूरी मापी जाती है। अत: इरात्स्थनीज ने निम्न प्रकार से गणना करके पृथ्वी की परिधि की लम्बाई ज्ञात की :-

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उपरोक्त गणना अब भी लगभग सही समझा जाता है। चूँकि व्यास परिधि का 7 / 22 भाग होता है, अत: इरात्स्थनीज की गणना के अनुसार पृथ्वी का व्यास 12,28.8 किलोमीटर तथा अर्द्धव्यास (Radius) 6,140.9 किल्रोमीटर हुआ। वस्तुतः पृथ्वी की भूमध्यरेखीय परिधि 40,077 किलोमीटर तथा ध्रुवीय परिधि लगभग 40,009 किलोमीटर है। पृथ्वी का भूमध्यरेखीय व्यास 12,757 किलोमीटर तथा धुवीय व्यास 12,714 किलोमीटर है। इस प्रकार भूमध्यरेखीय व्यास धुवीय व्यास की अपेक्षा 43 किलोमीटर बड़ा है। इसका कारण पृथ्वी की दैनिक गति या आवर्तन है। आवर्तन गति के कारण ही भूमध्यरेखीय भाग में फैलाव तथा घ्रुवीय भाग में संकुचाव आ गया है। पृथ्वी की औसत अर्द्धव्यास (Radius) 6,368 किलोमीटर (लगभग 6,400 किलोमीटर) है।

प्रश्न 5.
पृथ्वी पर जीवन के लिए अनुकूल कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पृथ्वी मानव निवास के रूप में (Earth as the home of human kind) : सौरमण्डल के सभी ग्रहों में पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है, जहाँ इसकी आदर्श स्थिति के कारण जीवन संभव है। पृथ्वी पर जीव जगत की उपस्थिति के लिए निम्नलिखित अनुकूल दशाएँ विद्यमान हैं।
अनुकूल तापमान : सूर्य से दूरी के क्रम में पृथ्वी का बुच एवं शुक के बाद तीसरा स्थान है। किसी भी ग्रह पर ताप प्राप्ति की मात्रा सूर्य से दूरी पर निर्भर करती है। पृथ्वी बुष एवं शुक की तरह न ही सूर्य के काफी निकट स्थित है और न ही यूरेनस तथा नेष्यून की तरह बहुत दूर ही स्थित है। सौरमण्डल में इस आदर्श स्थिति के कारण यहाँ ताप प्राप्ति की मात्रा न तो बहुत अधिक है और न ही बहुत कम है। यहाँ सतह का औसत तापमान 17° C के आसपास रहता है। यह तापमान जैव जगत एवं मानव विकास के अनुकूल है।

अनुकूल वायुमण्डल : पृथ्वी के चारों तरफ वायु का एक आवरण है, जिसे वायुमण्डल कहते हैं। इस वायुमण्डल में आक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन-डाई-आक्साइड तथा ओजोन आदि गैसें एवं जलवाष्ष विद्यमान हैं। ये सभी गैसें एवं जलवाष्प जीव-जन्तुओं एवं पौथे के लिए आवश्यक हैं। यद्यपि अन्य ग्रहों के चारों तरफ भी वायुमण्डल उपस्थित है परन्तु यह या तो बहुत विरल है या जहाँ जीवनदायिनी गैस आक्सीजन एवं जलवाष्प की कमी है।

सूर्य से दूरी के कम में शुक का स्थान बुध के बाद दूसरा है, परन्तु यह बुध से अधिक गर्म है क्योंकि इसके वायुमण्डल में 90-95 प्रतिशत कार्बनडाई-आक्साइड गैस है। इस कार्बन-डाई-आक्साइड गैस के कारण हरित गृह प्रभाव (Green house effect) , उत्पन्नहोता है जिससे यहाँ सतह का तापमान बहुत ऊँचा रहता है। पृथ्वी के वायुमण्डल में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बहुत कम है जिससे यहाँ हरित गुह का प्रभाव कम रहता है। इसके अतिरिक्त वायुमण्डल में ओजोन गैसों की उपस्थिति सूर्य की अति पराबैगनी किरणों को घरातल पर पहुँचने से रोकती है। पृथ्वी के चारों तरफ व्याप्त वायुमण्डल के कारण ही दिन का तापमान न तो बहुत अधिक बढ़ने पाता है और न ही रात का तापमान बहुत नीचे गिरता है।

जल की उपस्थिति :- पृथ्वी को जलीय प्रह (Watery Planet) कहते हैं। इसके सतह का लगभग दो तिहाई भाग जल से आच्छादित है। अनुकूल तापमान के कारण जल यहाँ ठोस, द्रव तथा गैस अपने तीनों ही रूपों में विद्यमान हैं। जलचक्र द्वारा जल द्रव रूप में यहाँ संजीवों के लिए लगातार उपलख्य रहता है। पृथ्वी पर जल की उपस्थिति अन्य जीवों के साथ-साथ मानव निवास के लिए अति महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुई है।

मिट्टी की उपलब्धता : पृथ्वी का उपरी ठोस आवरण अर्थात् भूपटल का निर्माण चट्टानों से हुआ है। चट्टानों के टूटने-फूटने से मिट्टी का निर्माण हुआ है। धरातल पर मिट्टी की उपस्थिति प्रत्यक्ष एवं परोक्ष दोनों ही रूपो में वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं के अस्तित्व के लिए उत्तरदायी है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि सौरमंडल में पृथ्वी की उत्तम स्थिति के कारण यहाँ अनुकूल वायुमण्डल, जलमण्डल एवं स्थलमण्डल की उपलब्षता ने इसे जीव-जन्तुओं एवं मानव निवास के लिए अनुकूल ग्रह के रूप में विकसित किया है।

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प्रश्न 6.
नक्षत्र एवं ग्रह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

नक्षत्र या तारा (Stars) ग्रह (Planets)
1. नक्षत्रों में स्वयं अपना प्रकाश होता है। 1. ग्रहों में अपना प्रकाश नहीं होता, ये सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं।
2. नक्षत्र रात्रि के समय में टिमटिमाते हुए दिखते हैं। 2. ग्रहों में प्रकाश स्थिर होता है। ये टिमटिमाते नहीं हैं।
3. नक्षत्रों का आकार बड़ा होता है। पृथ्वी से बहुत दूर होने के कारण प्रह छोटे दिखाई पड़ते हैं। 3. ग्रह का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है। पृथ्वी के नजदीक होने के कारण ये बड़े दिखते हैं।
4. आकस्मिक रूप से देखने पर ये आकाश में एक ही जगह पर स्थिर प्रतीत होते हैं। 4. ग्रह स्थिर नहीं होते, ये अपने निर्दिष्ट कक्ष पथ पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
5. नक्षत्रों का निर्माण गैसीय पदार्थों से हुआ है। 5. ग्रहों का निर्माण ठोस एवं गैसीय पदार्थो से हुआ है।
6. नक्षत्रों का द्रव्यमान एवं आयतन ग्रहों से बहुत अधिक है। 6. ग्रहों का द्रव्यमान एवं आयतन नक्षत्रों की तुलना में बहुत कम है।
7. खाली आखों से छह हजार नक्षत्रों को देखा जा सकता है। तापक्रम अत्यधिक होने से ये प्रकाश का विकिरण करते हैं। 7. खाली आँखों से केवल पाँच ग्रहों (बुध, शुक, मंगल वृहस्पति और शनि) को देखना सम्भव है।

प्रश्न 7.
G.P.S. प्रणाली क्या है? इसकी क्या उपयोगिता है? भारत में G.P.S. की क्या उपयोगिता है?
उत्तर :
G.P.S प्रणाली : Global Positioning System (G.P.S.) एक ऐसी प्रणाली है जिसकी सहायता से हम पृथ्वी के किसी भी कोने की सटीक अक्षांश, देशान्तर और उस स्थान की उच्चता आसानी से पता लगा लेते हैं।
जी० पी० एस० की उपयोगिता (Use of G.P.S.) : वर्तमान समय में जी०पी०एस० का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसका उपयोग नक्शा बनाने, जमीन का सर्वे करने, वाणिज्यिक कार्य, वैज़ानिक प्रयोग; सर्विलेस तथा जियोकैचिंग के लिए भी किया जाता है। सबसे पहले इसका उपयोग अमेरिकी नौसेना ने 1960 में किया था। वर्तमान समय में इसका प्रयोग नागरिक कार्यों के लिए भी किया जा रहा है।

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जी॰ पी॰ एस० रिसीवर अपनी स्थिति का आकलन, पृथ्वी के ऊपर स्थित किये गये जी॰ पी॰ एस० उपप्रहों द्वारा भेजे जाने वाले संकेतों के आधार पर करता है। उपग्रह संकेत भेजता है, रिसीवर प्रत्येक संदेश का ट्रांजिट समय दर्ज करता है, साथ ही उपग्रंह से दूरी की गणना करता है।

जी० पी० एस॰ प्रणाली द्वारा त्रियासी स्थिति (अक्षांश, देशान्तर, उन्नतांश) के बारे में पता चलता है। जी० पी० एस० प्रणाली द्वारा किसी भी स्थान या वस्तु की गति, ट्रेक, ट्रिप, जगह से दूरी, वहाँ के सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की भी जानकारी प्राप्त होती है। वर्तमान समय में जी०पी०एस० तीन प्रमुख क्षेत्रों से मिलकर बना है – सेस सेगमेंट, कंट्रोल सेगमेट और यूजर सेगमेंट।

भारत में जी० पी० एस० की उपयोगिता : भारत में भी इस प्रणाली का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। दक्षिण रेलवे ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम पर आधारित यात्री सूचना प्रणाली वाली ईएमयू आरम्भ कर रहा है। ऐसी पहली इएमयू (बी-26) ट्रेन ताम्बरम स्टेशन से चेत्रई बीच के मध्य चलेगी। इस इएमयू में अत्याधुनिक ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम आधारित यात्री सूचना प्रणाली होगी, जिसमें आने वाली ट्रेन का नाम, उस स्टेशन पर पहुँचने का आनुमानिक समय, जनहित से जुड़े संदेश तथा यात्री सुरक्षा से जुड़े संदेश प्रदर्शित किये जाएँगे।

प्रत्येक कोच में दो प्रदर्शक पटल है, जो विस्तृत दृश्य कोण प्रकार के हैं और इनमे उच्च गुणवत्ता प्रकाश निकालने वाले डायोग है। जिससे कि कोच के अन्दर बैठे या खड़े यात्री प्रसारित किए जा रहे संदेश को आसानी से प़ढ़ सकेंगे। इसके अलावा टैक्सियों में खासकर रेडियो टैक्सी सेवा में इसका प्रयोग बढ़ रहा है। दिल्ली में दिल्ली-परिवहन निगम की लोफ्लोर बसों में नए बेड़े जुड़े हैं और इनकी ट्रेकिंग हेतु याँ भी जी० पी० एस० सुविधा आरम्भ हो रही है।

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प्रश्न 8.
पृथ्वी के आकार से सम्बंधित आधुनिक पैमाने का वर्णन करो।
अथवा
पृथ्वी की Geoid आकार के आधुनिक दृष्टि का वर्णन करो।
उत्तर :
पृथ्वी की आकृति पर आधुनिक दृष्टि (Recent observation on earth’s shaipe) : पृथ्वी साधारणत: केवल एक चपटा गोलाभ ही नहीं है। वर्तमान समय में उपग्रहों द्वारा अध्ययन से प्रमाणित हुआ है कि पृथ्वी का आकार पूर्व कल्पित नहीं है। पृथ्वी के चपटा गोलाभ आकृति पर भी विवाद उठा है क्योंकि पृथ्वी पर बहुत सारे भू-खण्ड हैं। यह पाया गया है कि एक जहाज पापुआ द्वीप के पास समुद्र में पृथ्वी के केन्द्र से 192 मीटर दूर रहता है।

जबकि दूसरी ओर दक्षिणी श्रीलंका से पृथ्वी के केन्द्र पर रहती है। इस प्रकार भूमध्य रेखा पर पृथ्वी उभर गयी क्योंकि यहां पर SIAL पर कम गुरुत्व है और भूखण्ड ऊपर उठा हुआ है जबकि समुद्री भाग SIMA पर अधिक गुरुत्व बल है। अत: यह नीचे बैठकर, समुद्री भाग बन गया। पृथ्वी की सतह सपाट नहीं है। यह उबड़-खाबड़ है। पर्वत ऊपर उठे हुए हैं जबकि समुद्री भाग नीचे धंसा हुआ है। एवरेस्ट की चोटी 88,48 M उठी हुई है जबकि मेरियाना ट्रेन्च (11° 20′ N. एवं .142° 16′ E) प्रशान्त महासागर में सबसे गहरी गर्त है।

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आज अन्तरिक्ष के युग में उपग्रहों के माध्यम से पृथ्वी का बिल्कुल सही आकृति एवं आकार प्राप्त हो रहा है। उपग्रह से प्राप्त चित्रों द्वारा यह अध्ययन किया जा रहा है कि पृथ्वी के ऊँचे-नीचे आकार के कारण उपग्रहों के कक्ष (Orbit) में बाधा दिखाता है क्योंकि भूमध्यरेखीय उभार ठीक भूमध्य रेखा पर नहीं बल्कि यह भूमध्य रेखा से थोड़ा दक्षिण हटकर है। इस प्रकार पृथ्वी का आकार पूर्ण चपटा न होकर एक नाशपाती की भांति है। इस प्रकार पृथ्वी न तो पूर्ण गोल है और न ही चपटा गोलाभ है।

प्रश्न 9.
पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बंधित परिकल्पना प्रस्तुत करें।
उत्तर :
पृथ्वी की उत्पत्ति की परिकल्पना : पृथ्वी की उत्पत्ति सौरमंडल के साथ ही हुई थी। पृथ्वी की उत्पत्ति के संबंध में कई सिद्धांत प्रस्तुत किये गये हैं जिन्हें निम्नलिखित दो मुख्य वर्गों में रखा जा सकता है –
(i) अद्वेतवादी संकल्पना (Monistic Concept)
(ii) द्वैतवादी संकल्पना (Dualistic Concept)

अद्दैतवादी संकल्पना (Monistic Concept) : अद्वैतवादी संकल्पना के अनुसार ग्रहों तथा पृथ्वी की उत्पत्ति केवल एक तारे से हुई मानी जाती है। कास्ते, बफन, काण्ड, लाप्लास, रॉस एवं लॉकियर की परिकल्पना अद्वैतवादी है। परंतु यह सिद्धांत विज्ञान की कसौटी पर आज खरा नहीं उतरता।

द्वैतवादी संकल्पना (Dualistic Concept) : द्वैतवादी संकल्पना के अनुसार ग्रहों एवं पृथ्वी की उत्पत्ति एक से अधिक तारों के संयोग से हुई मानी जाती है। इसमें चैम्बरलीन एवं मोल्टन, रसेल एवं जेम्स जीन्स तथा जेफरीज की परिकल्पनाएँ महत्वपूर्ण हैं।

उपरोक्त सभी परिकल्पनाओं में जेम्स जीन्स द्वारा प्रस्तावित एवं जेफरीज द्वारा संशोधित ज्वारीय परिकल्पना (Tidal Hypothesis) सर्वाधिक मान्य परिकल्पना है। इसे सन् 1919 में प्रस्तुत एवं सन् 1929 में संशोधित किया गया। इस परिकल्पना के अनुसार सौरमंडल का निर्माण सूर्य तथा एक अन्य तारे के संयोग से हुआ है। प्रारंभ में सूर्य गैस का एक बड़ा तप्त गोला था तथा बह्मांड में एक अन्य विशालकाय तारा इसके समीप से होकर गुजरा।

साथी तारे के आकर्षण शक्ति द्वारा सूर्य में ज्वार उत्पन्न होने लगा। जैसे-जैसे विशालकाय तारा नजदीक आ रहा था ज्वार की तीवता बढ़ती जा रही थी और अंत में हजारों किलोमीटर लम्बा सिगार के आकार का ज्वारीय पदार्थ सूर्य से अलग हो गया। इसे फिलामेण्ट कहा गया। साथी तारा तब तक दूर निकल चुका था। अत: फिलामेण्ट अलग होकर रह गया। यही फिलामेण्ट कलान्तर में ठंडा होकर दूट गया जिससे ग्रहों का निर्माण हुआ। चूंकि फिलामेण्ट का किनारे वाला भाग पतला था, अतः सूर्य के समीपवर्ती तथा दूरवर्ती ग्रह आकार में छोटे बने जबकि मध्यवर्ती भाग मोटा होने की वजह से ग्रह आकार में बड़े बने।

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इस सिद्धांत द्वारा ग्रहों के क्रम तथा आकार, उपग्रहों के क्रम, उपग्रहों की संरचना का आकार तथा ग्रहों के परिभमण पथ की संतोषजनक व्याख्या हो जाती है।

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प्रश्न 10.
सौरमण्डल के पार्थिव ग्रहों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
बुध, शुक्र तथा मंगल पृथ्वी की तरह ठोस हैं, अतः इन्हें पार्थिव ग्रह कहा जाता है। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है।
बुध (Mercury) : यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह है एवं सूर्य के सबसे निकट है। इसका व्यास लगभग 5 हजार कि॰मी॰ हैं। सूर्य से इसकी दूरी प्राय: 5.8 करोड़ कि॰मी॰ है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 87.94 या 88 दिन लग जाते है। 58 दिन 15 घंटे 36 मिनट (प्राय: 59 दिन) मे एक बार यह अपनी धुरी पर घूम जाता है। इसका एक भाग सर्वदा सूर्य के सामने तथा दूसरा भाग सूर्य के विपरीत रहता है। जो भाग सूर्य के सम्मुख रहता है वहाँ हमेशा दिन तथा जो भाग सूर्य के विपरीत रहता है, वहाँ-सर्वदा रात रहती है। सूर्य के सामने वाला भाग प्रचण्ड गर्म तथा विपरीत वाला भाग अत्यधिक सर्द रहता है। इसके पृष्ठ तल पर औसतन 350° C तापमान पाया जाता है। इसका व्यास 4880 कि॰मी० है। इस ग्रह पर जल एवं वायुमण्डल नहीं है। बुध एक पथरीला ग्रह है। इसका केन्द्रमण्डल भारी धातु (प्राय: लोहा) से बना है। इसका कोई उपग्रह नहीं है।

शुक्र (Venus) : सूर्य का दूसरा निकटतम ग्रह शुक है। यह सूर्य से प्राय 10.8 करोड़ कि॰मी॰ दूर स्थित है। इसका व्यास 12104 कि॰मी॰ है। यह सूर्य की परिक्रमा लगभग 225 दिनों में करता है तथा अपनी धूरी पर 243 दिनों में एक बार घुमता है। यह सूर्योदय से पहले आकाश में पूरब तथा सूर्यास्त के समय पश्चिम की ओर दिखाई पड़ता है। इसलिए इसे कमशः प्रभाती तारा तथा सांध्य तारा भी कहते हैं। इसका केन्द्रमंडल निकेल एवं लोहा जैसे भारी धातु से बना है। यह एक पथरीला ग्रह है। शुक का कोई उपग्रह नहीं है। यह सौर परिवार का सबसे चमकीला ग्रह है। इसके पृष्ठतल का औसत तापमान 480° C है।

मंगल (Mars) : सूर्य का यह चौथा निकटम ग्रह है। यह सूर्य से प्राय: 22.8 करोड़ कि०मी॰ दूर स्थित है। इसका व्यास लगभग 7 हजार कि॰मी॰ है। सूर्य की एक परिक्रमा करने में इसे प्राय: 687 दिन लग जाते हैं तथा 24 घंटे 37 मिनट 23 सेकेण्ड में एक बार यह अपनी धूरी पर घूम जाता है। यह लौहयुक्त घूल की परतों से ढँका हुआ है, अतः इसे लोहित ग्रह भी कहते हैं। यह देखने में लाल एवं चमकीला नजर आता है, अत: इसे रेड प्लेनेट (लाल ग्रह) भी कहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार (मंगल ग्रह पर वायुमडल है जिसमें कार्बन-डाई-आक्साइड की प्रधानता है। इसके पृष्ठतल का औसत तापमान 50° C पाया जाता है। मंगल ग्रह के दो उपग्रह हैं फोबोस एवं डीमोस। यह एक पथरीला ग्रह है।

प्रश्न 11.
सौरमण्डल के जोवियन ग्रहों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
वृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेष्यून बड़े आकार के म्रह हैं, अत: इन्हें जोवियन (Jovian) म्रह कहा जाता है। जोवियन का अर्थ है वृहस्पति के समान।
वृहस्पति (Jupiter) : यह सौर परिवार का सबसे बड़ा प्रह है। यह सूर्य से पाँचवे स्थान पर स्थित है। सूर्य से इसकी दूरी 77.8 करोड़ कि॰मी० है। इसका व्यास लगभग 1,42,200 कि०मी॰ है। वृहस्पति प्राय: 11 , वर्ष 318 दिनों में एक बार सूर्य की परिक्रमा कर लेता है तथा 9 घंटे 50 मिनट 30.003 से॰ में अपनी धूरी पर एक बार घुम जाता है। इसके पृष्ठ तल का औसत तापमान -150° C है किन्तु इसके केन्द्र में बहुत गर्मी है। इसके केन्द्र मंडल में लोहा जैसी भारी धातु की प्रधानता है। यह हाइड्रोजन और टिलियम गैसों की परत से ढँका हुआ है। वृहस्पति के 13 उपग्रह हैं जिनमें गैनिमिड, कैलसेटा एवं यूरोपा विशेष उल्लेखनीय हैं। गैनिमिड वृहस्पति का सबसे बड़ा उपग्रह है। विशालता की दृष्टिकोण से इसे सभी ग्रहों का गुरु कहा जाता है। यह एक गैसीय ग्रह है। इसके वायुमण्डल में हिलियम और हाइड्रोजन की प्रधानता है।

शनि (Saturn) : यह सौर परिवार का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है तथा सूर्य से छठे स्थान पर है। सूर्य से इसकी दूरी प्राय: 142.7 करोड़ कि०मी० है। इसका व्यास 1,19,300 कि॰मी० है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे प्राय: 29 वर्ष 174 दिन लग जाता है। यह 10 घंटे 14 मिनट में एक बार अपनी धूरी पर परिभमण कर लेता है। शनि हाइड्रोज़ एवं हिलियम गैसों का बना हुआ है। इसके पृष्ठ तल पर प्राय: -180° C तापमान पाया जाता है। इसके 18 उपग्रह हैं। इसका सबसे बड़ा उपग्मह टाइटन है और यही हमारे सौर परिवार का सबसे बड़ा उपग्रह है। शनि एक गैसीय ग्रह है।

यूरेनस या अरुण (Uranus) : सन् 1781 में इस प्रह की खोज हार्शल नामक वैज्ञानिक ने किया था। यह सूर्य से सातवें स्थान पर स्थित है। यह सौर परिवार का तीसरा सबसे बड़ा प्रह है। इसका व्यास 50,000 कि०मी० है। सूर्य से इसकी दूरी प्राय: 287 कि॰मी॰ है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 84 वर्ष लग जाते हैं तथा 24 दिनों में एक बार यह अपनी धूरी पर घूम जाता है। यह पृथ्वी के विपरीत दिशा में सूर्य की परिक्रमा करता है। इसके वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हिलियम और मिथेन गैस पाए जाते हैं। इसके पृष्ठ तल पर औसतन -210° C तापमान रहता है। यह एक गैसीय ग्रह है। इसके पाँच उपग्रह हैं।

नेपच्यून या वरुण (Neptune) : यह सूर्य से आठवें स्थान पर स्थित है। यह सौर परिवार का चौथा बड़ा ग्रह है। यह सूर्य से प्रायः 449.7 करोड़ कि॰मी॰ दूर स्थित है। इसका व्यास 48,000 कि॰मी॰ है। सूर्य की परिक्रमा करंने में इसे 165 वर्ष लग जाता है तथा 24 दिन में एक बार यह अपनी धूरी पर एक बार परिभ्रमण कर लेता है। इसके पृष्ठ तल का औसत तापमान -220° C है। इसके वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हिलियम एवं मिथेन गैस पाए जाते हैं। नेपच्यून के दो उपग्रह हैं।

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प्रश्न 12.
पृथ्वी की परिधि के बारे में व्यख्यात्मक नोट लिखो।
उत्तर :
पृथ्वी की परिधि : लगभग 2000 वर्ष पहले इरात्स्थनीज (276BC-196BC) के ज्यामिती के ध्वनि सिद्धांत पर आधारित पृथ्वी की परिधि 800 km x 50=40,000 km और पृथ्वी का अर्धव्यास लगभग 6400 km है। इरात्स्थनीज ने पाया कि प्रत्येक वर्ष सूर्य 21 जून को आस्वान के उपर लम्बवत् चमकता है। किन्तु उसी दिन दोपहर के समय सूर्य अलेक्जेण्ड्रया पर लम्बवत् नहीं चमकता। बल्कि 7° 12′ का कोण बनाता है जो पृथ्वी की परिधि का \(\frac{1}{50}\) वाँ भाग है। उसने पाया कि आस्वान और अलेक्जेण्ड्रया के बीच 800 KM की दूरी है। इस प्रकार उसने पृथ्वी की परिधि को आस्वान और अलेक्जेण्ड्रया की बीच की दूरी 50 गुना तय किया। पृथ्वी के आकार संबंधी आँकड़े निम्नलिखित है :-

  • पृथ्वी की परिं (Circumference) : 40,0000 कि०मी०
  • विषुवतीय (Equatorial) परिधि : 40,077 कि॰मी०
  • धुवीय (Polar) परिधि : 40,0009 कि॰मी०
  • पृथ्वी का विषुवतीय व्यास (Diameter) : 12,757 कि०मी०
  • पृथ्वी का औसत अर्द्धव्यास (Radius) : 6,368 कि०मी० या, 6,400 कि०मी०
  • पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास : 12,714 कि॰मी०
  • पृथ्वी का क्षेत्रफल (Area) : 51 करोड़ 54 लाख वर्ग कि॰मी॰
  • स्थल भाग का क्षेत्रफल : 15 करोड़ 6 लाख वर्ग कि॰मी०
  • जल भाग का क्षेत्रफल : 36 करोड़ 48 लाख वर्ग कि॰मी०
  • पृथ्वी का आयतन (Volume) : 416,000,000 घन कि०मी०
  • पृथ्वी का घनत्व (Density) : 5.5 कि०ग्रा०
  • पृथ्वी का परिमाण (Mass) : 6586 × 1018 टन

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अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार सौर परिवार में पृथ्वी ही एक ऐसा अकेला ग्रह है जहाँ जीवन है। यह इसलिए सम्भव हुआ क्योंकि पुथ्वी पर जल, उपयुक्त तापमान तथा जीवनदायनी गैसों से युक्त सघन वायुमण्डल उपस्थित है।

प्रश्न 13.
सौरमण्डल का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पृथ्वी एवं सौरमण्डल (Earth and Solar System) : पृथ्वी सौरमंडल का एक विशिष्ट ग्रह है। सौरमंडल से तात्पर्य उस व्यवस्था से है, जिसके अंतगर्त सूर्य अपने 8 ग्रहों एवं 65 उपमहों एवं अनेक पुच्छल ताराओं, क्षुत्र ग्रहों के साथ बह्माण्ड का चक्कर लगाता है। सौरमंडल के सभी ग्रह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण उसका चक्कर लगाते हैं। प्रत्येक प्रह जिस दीर्घ वृत्तीय मार्ग से सूर्य की परिक्रमा करते हैं, उसे ग्रह का कक्ष (Orbit) कहते हैं। जिस काल्पनिक रेखा के सहारे सभी ग्रह सूर्य का चतुर्दिक परिक्रमण (Revolution) करते है उसे अक्ष (Axis) कहते हैं।

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सौर परिवार के सदस्य : सौरमंडल में सूर्य के अलावा 8 ग्रह हैं तथा सौरमंडल का आकार तस्तरीनुमा है, जिसके मध्य में सूर्य की स्थिति है। इसके अलावा इसके अनेक उपग्रह, पुच्छल तारे, धूमकेतु, उल्कायें आदि सम्मिलित हैं।

सौरमंडल में जो 8 ग्रह हैं, सूर्य से दूरी के अनुसार उनका क्रम निम्नलिखित है :- बुध (Mercury), शुक्र (Venus), पृथ्वी (Earth), मंगल (Mars), वृहस्पति (Jupiter), शनि (Saturn), अरुण (Uranus), वरुण (Neptune)। इसमें वृहस्पति सबसे बड़ा एवं बुध सबसे छोटा ग्रह है।

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