WBBSE Class 8 Science Solutions Chapter 1.4 प्रकाश

Detailed explanations in West Bengal Board Class 8 Science Book Solutions Chapter 1.4 प्रकाश offer valuable context and analysis.

WBBSE Class 8 Science Chapter 1.4 Question Answer – प्रकाश

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
प्रतिविम्ब कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर :
प्रतिबिम्ब दो प्रकार के होते हैं

  • वास्तविक प्रतिविम्ब
  • काल्पनिक प्रतिविम्ब।

प्रश्न 2.
दर्पण के सामने खड़ा रहने पर कैसा प्रतिविम्ब बनता है?
उत्तर :
सीधा, आपसी प्रतिविम्ब, समान आकार।

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प्रश्न 3.
परि-स्कोप के दर्पण किस कोण पर झुके होते हैं?
उत्तर :
45°

प्रश्न 4.
हीरा इतना क्यों चमकता है?
उत्तर :
पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण।

प्रश्न 5.
आवर्धन शीशा किसका बना होता है?
उत्तर :
उन्नोतल लेंस का।

प्रश्न 6.
प्रतिविंबों की संख्या निकालने वाला सूत्र क्या है?
उत्तर :
r= \(\frac{360^{\circ}}{Q}-1\)

प्रश्न 7.
जब प्रकाश की किरण बिरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तब वर्तित किरण में क्या बदलाव होता है?
उत्तर :
वर्तित किरण अभिलंब की ओर मुड़ जाता है।

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प्रश्न 8.
जब प्रकाश सघन से विरल माध्यम में प्रवेश करता है तब वर्तित किरण में क्या बदलाव होता है?
उत्तर :
वर्तित किरण अभिलंब से दूर हट जाती है।

प्रश्न 9.
काँच का वर्तनांक कितना है?
उत्तर :
1-5

प्रश्न 10.
हीरा का वर्तनांक कितना है?
उत्तर :
2.42

प्रश्न 11.
प्रतिविंब क्यों बनता है?
उत्तर :
परावर्तन तथा अपवर्तन के कारण।

प्रश्न 12.
यदि दो दर्पणों के बीच का कोण 40° हो तो प्रतिविंब की संख्या कितनी होगी?
उत्तर :
8

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
प्रतिबिंब क्या है? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर :
जब प्रकाश की किरणें परावर्तन या वर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या मिलती प्रतीत होती है उसे प्रतिविंब कहते हैं।
प्रतिविंब दो प्रकार की होती है :

  • वस्तिविक प्रतिविंब
  • काल्पनिक प्रतिविंब।

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प्रश्न 2.
प्रकाश का अपवर्तन क्या है?
उत्तर :
प्रकाश की किरणें माध्यम में अन्तर के कारण दर्पण को पाकर दूसरे माध्यम में पहुँचती है। वह सीधी दिशा में न जाकर अभिलंब की ओर या उससे दूर हट जाती है। इसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्रकाश के अपवर्तन के नियम का उल्लेख करो।
उत्तर :
(i) आपतित किरण, वर्तित किरण तथा माध्यमों के बीच खिंचा अभिलंब एक ही तल में होते हैं।
(ii) आयतन कोण तथा वर्तन कोण का (Sine) का अनुपात एक नियतांक होता है। इसे स्नेल का नियम भी कहते हैं।
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प्रश्न 4.
वास्तविक तथा काल्पनिक प्रतिबिंब में अन्तर क्या है?
उत्तर :

वास्तविक काल्पनिक
(i) इसमें किरणें वास्तव में दूसरे बिंदु पर मिलते हैं। (i) इसमें किरणें दूसरे बिंदु पर मिलते प्रतीत होते हैं।
(ii) यह उल्टा बनता है। (ii) यह सीधा बनता है।
(iii) इसे फोटोग्राफिक प्लेट पर देखा जा सकता है। (iii) इसे देखा नहीं जा सकता है।
(iv) इसका आकार छोटा या वस्तु के आकार का होता है। (iv) इसका आकार वस्तु से बड़ा होता है।

प्रश्न 5.
समतल दर्पण में बने प्रतिविंब की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर :

  • दर्पण में बना प्रतिविंब वस्तु के आकार का होता है।
  • दर्पण से प्रतिविंब की दूरी वस्तु से दर्पण की दूरी के बराबर होती है।
  • प्रतिविंब पार्श्व प्ररिवर्तित होती है।
  • प्रतिविंब काल्पनिक तथा सीधा बनता है।

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प्रश्न 6.
क्रांतिक कोण से क्या समझते हो?
उत्तर :
जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तब वह अभिलंब से दूर हट जाती है जिससे वर्तन कोण आपतन कोण से अधिक होता है। जैसे – जैसे आपतन कोण बढ़ता है, वैसे-वैसे वर्तन कोण भी बढ़ता है। जब वर्तन कोण 90° का हो जाता है तब सघन माध्यम का आपतन कोण क्रांतिक कोण कहलाता है।

प्रश्न 7.
वायु के सापेक्ष जल का क्रांतिक कोण 49° है। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर :
वायु के सापेक्ष जल का क्रांतिक कोण 49° है का अर्थ है कि सघन माध्यम के आपतन कोण 49° के लिए वर्तन कोण का 90° है।

प्रश्न 8.
क्रांतिक कोण का क्या शर्त है?
उत्तर :
(i) प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करे।
(ii) बिरल माध्यम में वर्तन कोण 90° हो।

प्रश्न 9.
पूर्ण आंतरिक परार्वतन क्या है? इसकी क्या शर्त है?
उत्तर :
जब आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होगा तब आपतित किरण की वर्तित किरण नहीं मिलेगी बल्कि किरणें दोनों तलों के संस्पर्श तल से परावर्तित हो जाती है, इसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।

  • प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश होना चाहिए।
  • सघन माध्यम में बना आपतन कोण का मान कांतिक कोण से अधिक होना चाहिए।

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प्रश्न 10.
पार्श्व परिवर्तन का व्यवहारिक उपयोग क्या है ?
उत्तर :
पाश्श्व परिवर्तन का उपयोग AMBULANCE के अक्षरों को उल्टा कर AMBULANCE लिखा जाता है। मोहर में लिखा अक्षर पाश्र्व परिवर्तन पर आधारित होते हैं।

प्रश्न 11.
हीरा में चमक क्यों होती है ?
उत्तर :
हीरा का कांतिक कोण वायु के सापेक्ष 24.4° है। हीरा से वायु में चलने वाली किरणों के लिए आपतन कोण 24.4° से ज्यादा होता है जिससे पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है और हीरा चमकता है।

प्रश्न 12.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर :
तारे और पृथ्वी के बीच की दूरी बहुत ज्यादा है। आकाश में तारे और पृथ्वी के बीच वायुमण्डल में हवा होती है। ऊँचाई बढ़ने से तापमान कम होता जाता है जिससे पृथ्वी के समीप की वायु हल्की तथा उपरी वायु संघनित रहता है, वायु का घनत्व एक समान नहीं रहता है। जब प्रकाश की किरणे प्रवेश करती हैं तब वह कई सघन तथा विरल माध्यम को पारकर आती हैं, जिससे वर्तनांक निरंतर बदलता है। अत: आँख में पड़नेवाली किरणें बदलते रहने से टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 13.
सूर्योदय के पहले तथा सूर्यास्त के बाद भी सूर्य दिखाई पड़ता है क्यों?
उत्तर :
इसका कारण यह है कि वायुमंडल का वायु भिन्न-भिन्न स्तरों में बना है। इन स्तरों में वायु का घनत्व अलगअलग रहता है। जैसे – जैसे हम उपर जाते हैं, वायु सघन होती जाती है। अतः क्षितिज के नीचे सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरण संघन से विरल माध्यम में अभिलंब की ओर झुक जाती है जिससे सूर्य वास्तिविक स्थिति से अलग नजर आता है।
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प्रश्न 14.
कालिख लगा धातु का गेंद जल में रखने पर चाँदी के समान चमकता है क्यों?
उत्तर :
कालिख और जल के बीच हवा की परंत होती है। जब प्रकाश जल से हवा में प्रवेश करती है तब माध्यम बदलने से आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होता है। अतः उन किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है। इसी कारण गेंद चाँदी जैसी चमकती हुई प्रतीत होती है।

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प्रश्न 15.
एक सीधा पेन्सिल छोटी क्यों प्रतित होती है?
उत्तर :
पेन्सिल का एक भाग हवा में तथा दूसरा भाग पानी में रहता है। पानी में डुबा पेंसिल पर प्रकाश की किरणें पड़ती है तब प्रकाश विरल से सघन माध्यम में प्रवेश करती है जिससे किरणें वर्तन के बाद अभिलंब से दूर मुड़जाती है। इससे पेंसिल वास्तिविक स्थिति से ऊपर तथा छोटी प्रतित होती है।

विस्तृत उत्तर वाले प्रश्न (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
साधारण परावर्तन तथा पूर्ण आंतरिक परावर्तन में क्या अन्तर है?
उत्तर :

साधारण परावर्तन पूर्ण आंतरिक परावर्तन
1) जब प्रकाश किरणें किसी अन्य तल से परावर्तित होती है। 1) जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है।
2) प्रकाश का किसी भी कोण पर साधारण परावर्तन होता है। 2) जब माध्यमों का क्रांतिक से बड़ा कोण पर प्रकाश की किरणें आपतित होगी।
3) साधारण परावर्तन के लिए अन्य परावर्तन तल की आवश्यकता पड़ती है। 3) पूर्ण आंतरिक परावर्तन में माध्यम का संस्पर्श तल ही परावर्तक होता है।

प्रश्न 2.
रेगिस्तान में बनने वाली मरीचिका का उदाहरण सहित वर्णन करो।
उत्तर :
रेगिस्तान में बनने वाली मरीचिका पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उदाहरण है। यह गर्मी के मौसम में होता है और इसमें उल्टे प्रतिविब दिखाई पड़ते हैं, जैसे जल के किनारे होने पर होता है। गर्मी के दिनों में बालू गर्म रहता है जिससे वायु भी गर्म हो जाती है, गर्म हवा उपर उठती है तथा उस स्थान को भरनेवाली ठंढी हवा आ जाती है। वायु का स्तर निरतर बदलता रहता है। इसके कारण माध्यम जघन से विरल तथा विरल से सघन में बदलता रहता है।

प्रकाश की किरणें वर्तन के कारण अभिलंब से दूर हट जाती है। इस स्थिति में आपतन कोण का मान कांतिक कोण से ज्यादा हो जाता है। अतः वही किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाती है, विरल से सघन माध्यम में किरणें अभिलंब की ओर मुड़ जाती हैं। देखनेवालों को जमीन तालाब के रूप में दिखाईपड़ता है, यही आलोक मारीचिका कहलाता है। वायु में संवहन धाराओं के कारण वृक्ष लहराता हुआ दिखाई पड़ता है।

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प्रश्न 3.
पेरिसकोप की बनावट, कार्य विधि तथा उपयोग क्या है?
उत्तर :
पेरिसकोप प्रकाश के परावर्तन सिद्धांत पर आधारित है।
बनावट : यह एक धातु की नली होती है जिसके उपरी तथा निचले भाग में छोटी-छोटी नलियाँ लगी रहती हैं। इन नलियों के भीतर दो समतल दर्पण होता है। प्रत्येक दर्पण 45° पर झुका होता है। दोनों दर्पण परस्पर समानान्तर होते हैं।

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कार्य प्रणाली : जब प्रकाश की किरणें दर्पण M1 पर पड़ती है, तब वह परावर्तन के बाद दूसरे दर्पण M2 पर आपतित होती है। M2 से पुन: परावर्तित होकर दर्शक के आँख पर पड़ती है, जिससे दर्शक ऊँचाई पर उस वस्तु का प्रतिविंब देखता है।

उपयोग :

  • पेरिसकोप का उपयोग खेल के मैदान में खेल देखने में होता है।
  • युद्ध के समय सैनिक द्वारा दुश्मनों को देखने में।
  • पेरिसकोप की सहयता से दुश्मन की पंडुबियों की स्थिति का पता ज्ञात किया जाता है।

प्रश्न 4.
दो दर्पणों के बीच कोण 30°, 60°, 90° हो तो प्रतिबिंबों की संख्या कितनी होगी?
उत्तर :
हम जानते हैं कि
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