WBBSE Class 7 Hindi Solutions Chapter 5 अजन्ता की चित्रकला

Students should regularly practice West Bengal Board Class 7 Hindi Book Solutions Chapter 5 अजन्ता की चित्रकला to reinforce their learning.

WBBSE Class 7 Hindi Solutions Chapter 5 Question Answer – अजन्ता की चित्रकला

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनिए

प्रश्न 1.
अजंता की गुफाएँ किस प्रदेश में हैं ?
(क) महाराष्ट्र
(ख) असम
(ग) गुजरात
(घ) मध्य प्रदेश
उत्तर :
(क) महाराष्ट्र।

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प्रश्न 2.
अजंता के प्राकृतिक सौन्दर्य का विकास कब से कब तक होता है?
(क) जनवरी से मार्च तक
(ख) अवृ्टूर से दिसम्बर तक
(ग) जुलाई से सितम्बर तक
(घ) मार्च से जून तक।
उत्तर :
(ख) अक्टूबर से दिसम्बर तक

प्रश्न 3.
अजंता की कुल कितनी गुफाएँ हैं ?
(क) तीस
(ख) बत्तीस
(ग) उनतीस
(घ) चौबीस
उत्तर :
(ग) उनतीस

प्रश्न 4.
अजंता की सबसे बड़ी स्तूप गुफा है।
(क) सत्रहवीं गुफा
(ख) उन्नीसवीं गुफा
(ग) बाहरवीं गुफा
(घ) पाँचवीं गुफा
उत्तर :
(ख) उन्नीसवीं गुफा

प्रश्न 5.
अजंता की सभी गुफाएँ किस काल की हैं?
(क) मौर्य कालीन
(ख) गुप्त कालीन
(ग) मुगल कालीन
(घ) हर्षवर्धन कालीन।
उत्तर :
(ख) गुप्त कालीन।

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प्रश्न 6.
रायकृष्ण दास का जन्म कब हुआ ?
(क) संवत् 1982
(ख) संवत् 1925
(ग) संवत् 1935
(घ) संवत् 1945
उत्तर :
(ख) संवत् 1925

प्रश्न 7.
अजन्ता की गुफाओं तक जाने के लिए किस गाँव तक जाना होता है ?
(क) फरीदपुर
(ख) फरदापुर
(ग) सुल्तानपुर
(घ) करीमपुर
उत्तर :
(ख) फरदापुर

प्रश्न 8.
अजन्ता जाते वक्त किस नदी को पार करना पड़ता है ?
(क) बघोरा
(ख) कावेरी
(ग) नर्मदा
(घ) गंगा
उत्तर :
(क) बघोरा

प्रश्न 9.
किस युग में बुद्ध का गृह त्याग (महाभिनिष्क्कमण) चित्रित है ?
(क) पहली
(ख) दसवीं
(ग) सोलहवीं
(घ) सत्रहवीं
उत्तर :
(ग) सोलहवीं

प्रश्न 10.
‘मार-विजय’ का चित्र किस गुफा में अंकित है ?
(क) पहली
(ख) दूसरी
(ग) तौसरी
(घ) चौधी
उत्तर :
(क) पहली

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प्रश्न 11.
अजन्ता की गुफाओं के कितने भेद हैं ?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर :
(क) दो

प्रश्न 12.
गुफा न० 1 लगभग कितनी मीटर भीतर तक काटी गई है ?
(क) तीस मीटर
(ख) दस मीटर
(ग) नौ मीटर
(घ) बारह मीटर
उत्तर :
(क) तौस मीटर

प्रश्न 13.
चम्पेय किसकी कथा है ?
(क) पंचतंत्र
(ख) जातक
(ग) हास्य
(घ) एकांकी
उत्तर :
(ख) जातक

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
अजंता पहुँचने के लिए किस स्टेशन से किस ग्राम तक जाना पड़ता है?
उत्तर :
अजंता पहुँबने के लिए जलगाँव, औरंगाबाद तथा पहूर इन तीन रेलवे स्टेशनों में से किसी स्टेशन से फरदापुर ग्राम तक जाना पड़ता है।

प्रश्न 2.
अजंता जाते समय किस नदी को पार करना पड़ता है?
उत्तर :
अजंता जाते समय बघोरा नदी को पार करना पड़ता है।

प्रश्न 3.
अजंता की घाटी में किस प्रकार का वन है?
उत्तर :
अजंता की घाटी में चारों और हरसिंगार का वन है।

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प्रश्न 4.
अजंता की किस गुफा में केवल प्रार्थना या उपासना की जाती थी?
उत्तर :
स्तूप गुफा में केवल प्रार्थना या उपासना की जाती थी ।

प्रश्न 5.
अजंता की किस गुफा में केवल संध्या के समब ही सूर्य की अंतिम किरणें प्रवेश कर पाती हैं?
उत्तर :
अजंता की पहली गुफा में केवल संध्या के समय ही सूर्य की अंतिम किरणें प्रवेश कर पाती हैं।

प्रश्न 6.
राय कृष्णदास का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर :
राय कृष्णादास का जन्म संवत् 1925 में काशी के एक संपन्न परिवार में हुआं था।

प्रश्न 7.
पहली गुफा के दालान की समूची दीवार पर कैसा चित्र अंकित है ?
उत्तर :
पहल : पहली गुफा के दालान की समूची दीवार पर लगभग साढ़े तीन मीटर ऊँचा और ढ़ाई मीटर चौड़ा मार-विजय का चित्र अंकित है।

प्रश्न 8.
सोलहवीं गुफा के कौन-कौन से दो चित्र उल्लेखनीय है ?
उत्तर :
(क) गहरी रात में भगवान बुद्ध गृह-त्याग कर रहे हैं।
(ख) यशोधरा और उनके संग भिक्षुक राहुल सोया हुआ है।

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प्रश्न 9.
अजन्ता की सत्रहवीं गुफा के चित्र को देखकर कैसा जान पड़ता है ?
उत्तर :
अजन्ता की सत्रहवीं गुफा के चित्रों को देखकर ऐसा जान पड़ता है कि सबसे चतुर चितेरों ने इसी में अपनी कला दिखाई है।

बोधमूलक प्रश्नोत्तर

(क) अजंता के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से अजंता बेजोड़ है। नीचे नदी बहती है जिसमें बड़े-बड़े शिलाखंड हैं। उनसे टकराता हुआ पानी गुफाओं के ठीक नीचे एक कुड में इकट्ठा होता है। घाटी में चारों और हरासिगार के बन है। साथ ही और अनेक प्रकार के पुष्ष और फल यहाँ उत्पन्न होते हैं। चित्र विचित्र पक्षियों का एक मेला सा लगा रहता है।

(ख) अजंता के चित्र निर्माण की विधि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
अजंता के वित्र निर्माण की विधि इस प्रकार थी – दीवार में जहाँ चिच्रण करना होता था, वहाँ का पत्थर तोड़कर खुरदरा बना दिया जाता था। जिस पर गोबर, पत्थर का चूना या धान की भूसी मिले गारे का लेवा चढ़ाया जाता था, यह लेवा चूने के पतले पलस्तर से ढका जाता था और इस पर जमीन बाँधकर लाल रंग की रेखाओं से बित्र टीपे जाते थे जिसमें बाद में रंग भरा जाता था। यथोचित्त हल्का साया लगाकर घित्रों के अवयवों में गोलाई, उभार और गहराई दिखाई गई है। हाय की मुद्राओं से, आँख की चितवनों से और अंगों की लोच आदि से बहुत से भाव व्यक्त हो जाते हैं।

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(ग) अजन्ता की सोलहवीं गुफा के दो चित्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
सोलहवीं गुफा के दो चित्र उल्लेखनौय हैं – ‘गहरी रात में धगवान बुद्ध गृह त्याग कर रहे हैं। यशोधरा और शिशु राहुल सोया हुआ है। पास की परिचारिकाएँ भी निद्रा मे डूबी थीं। इस दृश्य पर निगाह डालते हुए बुद्धदेव अंकित किए गए हैं। उस दृष्टि में मोह-ममता नहीं, बल्कि उनका अंतिम त्याग अंकित है। एक स्थान पर एक मरती हुई राजकुमारी का वित्र है। मरने की अवस्था और आस-पास वालों की विकलता दर्शकों को द्रवित कर देती है।

(घ) अजन्ता की सत्रहवीं गुफा के माता-पुत्र के चित्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
इस चित्र में एक माता अपने पुत्र को किसी के सामने साग्रह उपस्थित कर रही है और पुत्र भी अंजलि पसार कर उस व्यक्ति के सामने उपस्थित है। चिर्रों के सामने एक विशाल महापुरुष स्थित है। जिसके हाथ में भिक्षा पात्र है। बुदत्व प्राप्त करने के बाद जब भगवान बुद्ध पुन: कपिलवस्तु में आए तो उन्हें यशोधरा राहुल से बढ़कर और कौन-सी भिक्षा दे सकती थी। इस चिच्र में आत्म-समर्पण की पराकाष्ठा बेजोड़ है।

(ङ) जिन जातक कथाओं पर अजन्ता की चित्रकला आधारित है, उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
चम्पेय जातक की कथा में बोधिसत्व ने किसी समय नागराज के रूप जन्म लिया था। चित्र में नागराज आसन पर विराजमान काशिराज को उपदेश दे रहे हैं। छुद्दं जातक की कथा में बोधिसत्व एक जन्म में छह दौँतों वाले श्वेत वर्ण गजराज थे। इस चित्र में गजराज ने राजकुमारी को क्षमा का उपदेश दिया। सारी चिर्रावली सजीव प्रतीत होती है। एक अन्य जातक दृश्य में तीन सौ चेहरे गिने जा सकते हैं। एक स्थान पर आकाशचारी दिख्य गायकों के समुदाय का रमणीय चित्र है।

निर्देशांनुसार उत्तर दीजिए :

(क) कला की अभिव्यक्ति के लिए जिन लोगों ने ऐसे अपूर्व स्थान को चुना उनके चरणों में शत्शत् प्रणाम है।

प्रश्न 1.
यह पंक्ति किस पाठ से उद्ध्त है?
उत्तर :
यह पंक्ति ‘अजंता की चिक्रकला’ पाठ से उद्धृत है।

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प्रश्न 2.
इस पंक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
अजंता की मूर्तिकला, चिच्रकला और वास्तुकला को देखकर लेखक मुग्ध हो जाते हैं। लेखक अजंता की इस कला की कलात्मकता को व्यक्त करने वाले कलाकारों के पति श्रद्धा का भाव प्रकट करता है । उसका कथन है कि जिन लोगों ने कला को मूर्त रूप देने के लिए इस अनुपम स्थान का चयन किया वे वन्दनीय हैं। लेखक उनके वरणों में प्रणाम करता है।

(ख) ‘उनके लिए चारों ओर कुछ है ही नहीं या हो ही नहीं रहा है।’

प्रश्न 1.
‘उनके लिए’ किसे संकेतित किया गया है?
उत्तर :
यहाँ ‘उनके लिए’ भगवान बुद्ध को संकेतित किया गया है।

प्रश्न 2.
इस पंक्ति का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘काम’ की सेना भगवान बुद्ध को घेर कर उन्हें विचलित करने की चेष्टा कर रही है। भयंकर मूर्तियाँ तथा कामिनियाँ अपने-अपने उपाय से उन्हें साधना से विचलित करना चाहती हैं। पर भगवान अपनी चेतना में लीन हैं, उन पर इन चेष्टाओं का कोई असर नहीं, उनके लिए वहाँ कुछ भी नहीं है। वे अपनी साधना में अडिग बने हुए हैं।

(ग) ‘प्रत्येक भारतीय को अपने उन अज्ञात पूर्वजों पर गर्व है।’

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम राय कृष्णदास हैं।

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प्रश्न 2.
प्रत्येक भारतीय को किन पर गर्व है और क्यों?
उत्तर :
प्रत्येक भारतीय को उन पूर्वजों पर गर्व है क्योंकि उनके पूर्वज कलाकारों ने अजन्ता के आलौकिक चित्रों का निर्माण किया। इस महान कार्य को करने के बाद किसी ने अपना नाम तक नहीं छोड़ा। मानव हुदय के उदात्त भावों के सजीव चित्रण में उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया।

भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग एवं मूलशब्द पृथक् कीजिए :

  • अपूर्व – अ + पूर्व
  • सुसंबद्ध – सु + संबद्ध
  • अद्वितीय – अ + द्वितीय
  • यथोचित – यथा + उचित
  • प्रवृत्त – प्र + वृत्त

2. निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय पृथक् कीजिए :

  • गुफाएँ – गुफा + एँ
  • पहाड़ियाँ – पहाड़ + इयाँ
  • गहराई – गहरा + ई
  • आन्दोलित – आन्दोलन + इत

3. पर्यायवाची शब्द लिखिए :

  • प्रेम – स्नेह, अनुराग, प्रीति।
  • धैर्य-धीरज, सब्र, धीरता।
  • पक्षी – खग, विहग, चिड़िया।
  • घोड़ा – तुरंग, अश्व, घोटक।
  • हाथी – गज, कुंजर, करी, हस्ती।
  • माता – माँ, जननी, अम्ब, महतारी।

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4. निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग वाक्य में कीजिए :

  • वर्तुलाकार – वहाँ के कुछ चित्र वर्तुलाकार हैं।
  • हस्त-कौशल – इन चित्रों का हस्त-कौशल दर्शनीय है।
  • चित्ताकर्षक-उपवन की शोभा चित्ताकर्षक है।
  • रमणीय – बाग में एक रमणीय सरोवर है।

WBBSE Class 7 Hindi अजन्ता की चित्रकला Summary

जीवन रिचय

राय कृष्णदास का जन्म सन् 1925 ई॰ में काशी में एक सम्पन्न अग्रवाल परिवार में हुआ था। भारतीय पुरातत्व तथा प्राचीन इतिहास के ये ख्याति प्राप्त विद्वान तथा शोधकर्ता थे। हिन्दी, संस्कृत, बंगला तथा इतिहास का इन्होंने गहन अध्ययन किया। इनकी भाषा अत्यंत सहज, सरल, प्रवाहपूर्ण तथा बोधगम्य है। कठिन से कठिन विषय को इन्होंने अपनी सहज भाषा शैली से बोधगम्य बना दिया है। इनकी प्रमुख रचनाएँ- भावुक, ब्रज-रज, साधना, छायापथ, अनास्था, आँखों की चाह, सुधांशु आदि हैं।

पाठ का सारांश 

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने अजन्ता की गुफाओं में बने चित्रों का अत्यंत सुन्दर ढंग से वर्णन किया है। अजन्ता की गुफाएँ महाराष्ट्र प्रदेश में हैं। फरदापुर ग्राम से छ: किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ययों में बघोरा नदी बहती है। नदी का अन्तिम घुमाव समाप्त होते ही एक ऊँचा टीला दिखाई पड़ता है। इसके बीचोबीज बारह दरियों की एक कतार दिखाई पड़ती है। ये ही अजंता की गुफाएँ हैं। प्रवेश द्वार से लेकर अंतिम छोर तक भक्ति, उपासना, धैर्य, प्रेम, लगन एवं हस्त कौशल का विश्व में अनुपम उदहारण है।

प्राकृतिक सौन्दर्य की दृष्टि से अजंता बेजोड़ है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अक्टूबर से दिसम्बर तक रहता है। अजंता की छोटी-बड़ी कुल उनतीस गुफाएँ हैं। इनके दो भेद हैं –
1 . स्तूप गुफा- इसमें प्रार्थना, उपासना की जाती थी। अंतिम छोर पर बने स्तूप के चारों ओर प्रदक्षिणा करने का स्थान होता है, अजंता की उन्नीसवीं गुफा सबसे बड़ी स्तूप गुफा है। उसका द्वार बड़ा ही भव्य हैं।

2. विहार गुफा – यह भिक्षुओं के रहने और अध्ययन के लिए होती थी। दोनों प्रकार की गुफाओं का सारा मूर्ति शिल्प एक ही शैली में गढ़ा हुआ है। गुफा नं० 11 जो लगभग छत्तीस मीटर तक भीतर काटी गई है, इसका कौशल आश्चर्यजनक है। ये सभी गुफाएँ गुप्त कालीन हैं। कुछ गुफाओं के चित्रों के अंश बचे हैं और कुछ गुफाओं के चित्र खंडित हो गए हैं। अजंता के चित्र निर्माण की विधि तथा रंगों की योजना बेजोड़ रही है। चित्रों के अवयवों में गोलाई, उभार और गहराई दिखाई गई है।

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पहली गुफा के दालान की समूची दीवार पर विजय का चित्र अंकित है। सभी मूर्तियाँ भगवान को विचलित करने में प्रवृत्त हैं, पर उन पर कोई असर नहीं पड़ता। इस गुफा में केवल संध्या समय सूर्य की किरणें प्रवेश करती हैं। चम्पेय जातक कथा के अनुसार बोधिसत्व कभी नागराज के रूप में जन्म लिया था। काशीराज तथा नागराज का चित्र भी गुफा में है। चित्र के प्रत्येक व्यक्ति का भाव और मुद्रा सफलता से अंकित है। अविलोकितेश्वर का विशाल चित्र है। दाएँ हाथ में नील कमल धारण किए भगवान तात्विक विचार में लीन हैं। विश्व करुणा से ओत-प्रोत हैं। पत्नी यशोधरा पर उनके भावों का प्रभाव कुशलता से दिखाया गया है।

सोलहवीं गुफा में दो चित्र प्रसिद्ध हैं। गहरी रात में भगवान बुद्ध गृह त्याग कर रहे हैं। यशोधरा और शिशु राहुल सोया हुआ है। भगवान की दृष्टि में मोह-ममता नहीं, बल्कि उनका अंतिम त्याग अंकित है। एक स्थान पर मरती हुई राजकुमारी का चित्र है। आस-पास उसे बचाने वालों की विफलता द्रवित कर देती है। सत्रहवों गुफा के सभी चित्र एक से बढ़कर एक हैं। एक माता-पुत्र का प्रसिद्ध चित्र है। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान कपिलवस्तु में आए तो उन्हें यशोधरा अपने पुत्र राहुल को भिक्षा के रूप में दे रही है। यह चित्र आत्म सर्मण की पराकाष्ठा का अनूठा उदाहरण है।

छछांत जातक की चित्रावली भी बड़ी सुन्दर है। बोधिसत्व एक जन्म में छह दाँतों वाले श्वेतवर्ण गजराज थे। यह समूची चित्रावली सजीव है। एक बड़े चित्र में लगभग तीन सौ चेहरे आज भी गिने जा सकते हैं। एक अन्य स्थान पर आकाशचारी दिव्य गायकों के समुदाय का बड़ा ही स्मरणीय आलेखन है। इन गुफाओं के अलौकिक चित्रों को देखकर मन आनंदित होकर उन महान चित्रकारों की श्रद्धा और साधना के आगे नतमस्तक हो जाता है। किसी भी चित्रकार ने अपना नाम तक नहीं छोड़।। प्रत्येक भारतीय को अपने उन अज्ञात पूर्वजों पर गर्व है।

शब्दार्थ –

  • वर्तुलाकार – गोल आकार का
  • सर्पाकार – टेढ़ा, वक्र
  • वास्तुकला – गृहनिर्माण कला
  • ठेठ अंत – अंतिम छोर
  • अचंभा – आश्चर्य
  • शिलाखंड-पत्थर का टुकड़ा
  • मुमूर्ष – मरने को इच्छुक
  • विकलता – बेचैनी
  • प्रदक्षिणा – परिक्रमा, फेरी
  • टीपना – चित्र बनाना
  • क्षुब्ध – अशान्त
  • आत्मानुरत – अपनी चेतना में लीन
  • परिचारिका – सेविका
  • आलेखन – चित्रांकन
  • स्तूप – ऊँचा टीला
  • अर्द्धागिनी – पत्नी

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