WBBSE Class 6 History Solutions Chapter 4 भारतीय उपमहादेश के प्राचीन इतिहास की धारा (द्वितीय पर्याय (चरण) लगभग ईसा पूर्व 1500-6000 तक)

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WBBSE Class 6 Geography Chapter 4 Question Answer – भारतीय उपमहादेश के प्राचीन इतिहास की धारा (द्वितीय पर्याय (चरण) लगभग ईसा पूर्व 1500-6000 तक)

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
विश्व की सबसे प्राचीन पुस्तक का नाम बताओ।
उत्तर :
ॠग्वेद।

प्रश्न 2.
आर्यों का मूल निवास स्थान कहाँ था?
उत्तर :
आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।

प्रश्न 3.
वेद शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर :
वेद शब्द का अर्थ है ज्ञान ।

प्रश्न 4.
आर्य परिवार का प्रधान कौन होता था?
उत्तर :
पिता।

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प्रश्न 5.
आर्यों के साहित्य को क्या कहा जाता है?
उत्तर :
वैदिक साहित्य।

प्रश्न 6.
वैदिककालीन सिक्कों के क्या नाम थे?
उत्तर :
निष्क, शतमान।

प्रश्न 7.
ऋग्वेद में कितने सूक्त हैं ?
उत्तर :
1028 सूक्त हैं।

प्रश्न 8.
वेद का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर :
वेद का दूसरा नाम श्रुति है।

प्रश्न 9.
वैदिक साहित्य को कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर :
वैदिक साहित्य को दो भागों में बाँटा गया है – वेद तथा वेदांग।

प्रश्न 10.
वैदिक समाज की राजनैतिक सभाओं का नाम बताइए।
उत्तर :
सभा और समिति।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
वेद को सुन-सुनकर याद रखना पड़ता था। इसके क्या कारण थे ?
उत्तर :
वैदिक साहित्य से ही उस युग की शिक्षा व्यवस्था के बारे में पता चलता है। शिक्षा व्यवस्था के प्रधान गुरु थे। मौखिक रूप से शिक्षा की बाते होती थी। गुरु एक भाग को पढ़कर उसके अर्थ को बता देते थे। छात्र उसे सुनकर उसकी आवृत्ति तथा याद करते थे। याद करने के लिए उच्चारण पर ज्यादा जोर दिया जाता था। वैदिक युग में किसी भी प्रकार की लिषि की खोज पुरातत्त्ववेताओं को नहीं मिला।

प्रश्न 2.
आर्य कौन थे ?
उत्तर :
विद्वानों का मानना है कि आर्य वैदिक सभ्यता के संस्थापक थे। आर्य शब्द का अर्थ होता है – श्रेष्ठ। ये स्वभाव से अध्ययनशील और पर्यटनशील होते थे। ये बहुत पराक्रमी, साहसी तथा युद्धप्रिय होते थे। इनका प्रमुख पेशा कृषि और पशुपालन था। आर्य प्रधानत: संस्कृत भाषा बोलते थे।

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प्रश्न 3.
आर्य कहाँ के मूल निवासी थे ?
उत्तर :
इस सम्बन्ध में अधिकांश इतिहासकारो एवं विचारकों का यह मानना है कि आर्य या इण्डो आर्य जो कि इण्डोयूरोपियनों के वंशज थे, भारत के मूल निवासी नहीं थे वरन्बंजारे थे और शुरू में ऑस्ट्रिया में और उत्तरी ईरानी पठार पर रहे जहाँ से वे हिन्दुकुश के दर्रों से होकर भारत में प्रवेश किये। उनके मूल निवास के सम्बन्ध में भी विचारों में मतभेद है। मध्य एशिया, दक्षिणी रूस, पामीर का पठार, ज़र्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और भारत ही विभिन्न विद्वानों द्वारा आर्यों के सम्भावित मूल स्थान के रूप में माना जाता रहा है। मैक्समूलर ने मध्य एशिया को आयों का मूल स्थान माना है। सर्वाधिक मान्य विचार यही है कि वे मध्य एशिया के विभिन्न भागों से आये थे।

प्रश्न 4.
वैदिक साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
संस्कृत में विद् शब्द का अर्थ जानना या ज्ञान होता है। इस विद् शब्द से ही वेद शब्द की उत्पत्ति हुई है ।
वेद : मूल विभाग : वेदों को प्रमुख रूप से चार भागों में बाँटा गया है – ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद एव अथर्वेद। प्रत्येक के चार भाग हैं – संहिता, बाह्मण, अरण्यक, उपनिषद या वेदांत।
सूत्र साहित्य : वैदिक साहित्य के मूल तत्व को संक्षेप में तथा सही तरीके से समझने के लिए सूत्र साहित्य की रचना की गई है।
इसके दो भाग हैं – (i) वेदांग (ii) षड्दर्शन।
(i) वेदांग : वेद पाठ के लिए जिस छ: विद्या की जरूरत होती है, उसे वेदांग कहा गया है।
(ii) घड्दर्शन : ऋषि, मुनियों ने छ: दर्शन ग्रन्थों की रचना की जिन्हे षड्दर्शन कहते हैं।

प्रश्न 5.
वेदों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर :
वेद शब्द का अर्थ है ज्ञान । वेद आर्यों का प्रधान ग्रन्थ था। वेद का दूसरा नाम श्रुति भी है। वेदों की रचना2500ई० पू० के आसपास मानी जाती है। वेद चार हैं – ॠग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्वेद। ॠग्वेद संसार का सबसे प्राचीन धर्म ग्रन्थ माना जाता है। वेदों में मंत्रों का संग्रह है। इसलिए वेदों को संहिता भी कहा जाता है।

  1. ऋग्वेद में अग्नि, इन्द्र, वरुण इत्यादि देवताओं की स्तुति से सम्बन्धित मंत्रों का संग्रह है।
  2. सामवेद में ऋचाओं का संग्रह है।
  3. यजुर्वेद में यज्ञ सम्बन्धी सूत्रों का संग्रह है।
  4. अथर्वेद में तंत्र-मंत्र तथा चिकित्सा आदि की चर्चा है।

प्रश्न 6.
ऋग्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
ॠग्वेद संसार का सबसे प्राचीन ग्रन्य है। ऋग्वेद में अग्नि, इन्द्र, वरुण इत्यादि देवताओं की स्तुति से सम्बन्धित मंत्रों का संग्रह है। ॠग्वेद में कुल 1028 सूक्त हैं, प्रत्येक सूक्त स्तुति मंत्रों में विभक्त है, जिनकी कुल संख्या 10580 हैं। क्रेक दस खण्डों में विभक्त है। इसकी रचना 2500 ई० पू० से 1500 ई० पू० तक के मध्य में सप्त सिन्धु प्रदेश में हुई थी।

प्रश्न 7.
ऋग्वैदिक युग के चतुराश्रम का परिचय दीजिए :-
उत्तर :
वैदिक काल में आर्यों ने अपने जीवन को एक सौ वर्ष का मानकर उसे ब्रहाचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास नामक चार आश्रमों में बाँट लिया था। इसे चतुराश्रम कहते हैं। प्रत्येक आश्रम के लिष्ट2 5 वर्ष का समय निश्चित किया गया था।

  1. ब्रह्मचर्य : बह्मचर्य आश्रम मे ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए व्यक्ति गुरुकुल में जाकर विद्या अध्ययन करता था।
  2. गृहस्था आश्रम : गृहस्था आश्रम में व्यक्ति विवाह कर घर पर रहते हुए सांसारिक जिम्मेदारियाँ संभालता था।
  3. वानप्रस्थ : वान्रस्थ में घर पर ही रहकर गृहकार्यों से अलग होकर ईश्शर चिन्तन करता था।
  4. संन्यास आश्रम : संन्यास आश्रम में व्यक्ति घर छोड़कर जंगल में चला जाता था एवं वहीं पर ईश्वर चिन्तन करते हुए शरीर का त्याग करता था।

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प्रश्न 8.
वैदिक समाज को कितने भागों में बाँटा गया था तथा उनके प्रत्येक भाग के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
समाज में एक ही व्यक्ति के लिए सभी प्रकार का कार्य करना संभव नहीं था। इस विषय को ध्यान में रखते हुए समाज को चार भागों में विभक्त किया गया था। ये भाग थे – (i) ब्राह्मण (ii) क्षत्रिय (iii) वैश्य (iv) शूद्र।
ब्राह्मण का काम शिक्षा देना तथा यज्ञ करना, क्षत्रीय का काम शासन करना एवं रक्षा करना था, वैश्य का काम कृषि एवं व्यापार करना और शूद्र का काम सेवा तथा सफाई करना था।

प्रश्न 9.
वैदिक काल में राजा बनने के लिए कौन-कौन तरीके थे ?
उत्तर :
वैदिक काल में एक राजा दूसरे राजाओं से युद्ध करके जीत कर राजा बनते थे तो कोई राजा के पुत्र केनाते उत्तराधिकार के रूप में राजा बनते थे। कभी-कभी तो समूह के सभी लोग मिलकर अपनों के बीच से एक राजा का चुनाव करते थे।

प्रश्न 10.
ऋग्वैदिक काल में ‘सभा’ और ‘समिति’ के क्या कार्य थे?
उत्तर :
राजा स्वेच्छाचारी न हो इसके लिए ‘सभा’ और ‘समिति’ नामक दो संस्थानों का गठन किया जाता था। समिति मे राज्य के प्रमुख सम्मानित पुरुष शामिल होते थे। समिति का प्रमुख कार्य राजा का चुनाव करना तथा कर्त्तव्य का पालन न करने पर उन्हें पद से अलग कर देने का था। विद्वानों एवं वयोवृद्ध लोगों को लेकर सभा का गठन होता था। सभा समिति से छोटी होती थी। सभा का मुख्य कार्य राजा को सलाह देना तथा न्याय करने में मदद करना होता था।

प्रश्न 11.
ॠग्वैदिक समाज में नारियों की क्या स्थिति थी?
उत्तर :
कग्वैदिक युग में ख्रियों को समाज में उच्च स्थान प्राप्त था। ये गृहस्वामिनी होती थें और धार्मिक कारों में अपने पति के साथ भाग लेती थीं। समाज में इनको आदर की दृष्टि से देखा जाता था। ॠग्वेद में कुछ विदुषी खियों का उल्लेख भी मिलता है। गार्गी, अपाला, घोषा तथा लोषामुप्रा इस काल की परम विदुषी खियाँ थीं। बाल विवाह तथा पर्दा प्रथा कमचलन न था। स्रियों को भी उचित शिक्षा द्वारा योग्य बनाया जाता था। स्रियों को सदैव किसी के संरक्षण में रहना पड़ता था।

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प्रश्न 12.
रामायण और महाभारत के बारे में क्या जानते हो?
उत्तर :
वेदों के बाद रामायण और महाभारत नामक दो महाकाव्यों की रचना हुई। रामायण की रचना महाकवि महार्षि वाल्मीकि ने की और महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास ने की। इन महाकाव्यों से वैदिक युग के बाद की राजनीतिक, सामाजिक और सांसारिक दशा का ज्ञान प्राप्त होता है।

प्रश्न 13.
ॠग्वैदिक युग में आर्यों के आर्थिक जीवन के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर :
आर्यों की आजीविका का प्रधान साधन कृषि था। बैलों के जोड़े की सहायता से खेतों की जुताई होती थी। गेहूँ एवं जौ उत्पादन की प्रमुख वस्तुएँ थीं। आर्य गाय, बैल, घोड़े, बकरी, कुत्ते, गदहे आदि पालते थे। आर्य व्यापार एवं उद्योग धंधों के प्रति उदासीन नहीं थे। व्यापार अधिकांशत: ‘वणिक’ के हाथों में था। गाय विनिमय की प्रमुख साधन थी। यद्यपि सोने का निष्क भी लेन-देन में प्रयोग होता था।
खेती, पशुपालन एवं व्यापार के अलावा कुछ उद्योग एवं कला-कौशल भी प्रचलित थे। बढ़ई, लोहार, सोनार और कुम्हार तरह-तरह के सामानों का निर्माण करते थे। इन वस्तुओं का निर्यात विदेशों में भी होता था।

प्रश्न 14.
परवर्ती वैदिक समाज में नारी की स्थिति कैसी हो गई?
उत्तर :
परवर्ती वैदिक समाज में नारी की मर्यादा एवं स्वाधीनता दोनों ही कम होने लगी थी। नारी को सम्पत्ति के अधिकार से वंचित किया जाने लगा। सामाजिक पाबंदियाँ बढ़ने लगीं। फिर भी युग की कुछ विदुषी महिलाएँ गार्गी, अपाला, घोषा आदि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता दिखाई थी।

प्रश्न 15.
वैदिक युग में गुरु और शिष्य के बीच कैसा सम्पर्क था?
उत्तर :
वैदिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में गुरु और शिष्य के बीच का सम्पर्क बहुत ही मधुर था। गुरु वेद का एक अंश बोलकर उसका अर्थ शिष्य को समझा देते थे। शिष्य गुरु द्वारा समझाये गये अंश को पुनः पाठ करते एव याद रखते थे। शिक्षा के साथ-साथ शिष्य अनेक कार्य भी किया करते थे। शिष्यों के रहने एवं भोजन की जिम्मेदारी गुरु के ऊपर ही होती थी।

प्रश्न 16.
परवर्ती वैदिक समाज में वैश्य और शूद्रों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर :
परवर्ती वैदिक समाज में वैश्य और शूद्रों की स्थिति धीरे-धीरे खराब होती गयी।परवर्ती वैदिक साहित्य में वैश्य को हेय (नीच) करके दिखाया गया। वर्ण व्यवस्था का सबसे खराब प्रभाव शूद्रों पर पड़ा था। उनके लिए किसी भी प्रकार की सामाजिक सुख-सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं।

प्रश्न 17.
गोत्र से तुम क्या समझते हो?
उत्तर :
समूह में पालतू पशु को रखने की जगह को गोत्र कहा जाता था। बाद में इस गोत्र का मतलब पूर्वजों के उत्तराधिकारी के रूप में व्यक्त किया जाने लगा जाति-पाति, भेद-भाव प्रथा को कठोर बनाने के क्षेत्र में गोत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी।

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प्रश्न 18.
परवर्ती वैदिक युग में शिक्षा में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर :
परवर्ती वैदिक युग में शिक्षा के साथ उपनयन संस्कार देखा जाता था। उपनयन कार्यक्रम के जरिए गुरु उस छात्र को शिष्य के रूप में स्वीकार करता था। लड़कियों का भी उपनयन होता था। गुरु के पास रहकर ही छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे। वहाँ पर शिक्षण के साथ-साथ दूसरे प्रकार के जीवन-यापन संबंधी कार्य भी शिष्यों से करवाए जाते थे। शिष्यों को रखने और खिलाने का दायित्व गुरु के ऊपर होता था।

प्रश्न 19.
आरुणी कौन था? वह किसका शिष्य था?
उत्तर :
प्राचीन समय में आयोद धौम नामक एक ऋषि थे। उनके तीन विख्यात शिष्य थे। उसमें आरुणी नाम का एक शिष्य था। वह बहुत ही आज्ञाकारी शिष्य था।
एक दिन जोरों की वर्षा हुई। आश्रम के पास धान का खेत था। गुरुजी ने खेत में पानी देखने के लिए आरुणी को भेजा और कहा कि यदि कहीं खेत में मेड़ से पानी निकल रहा हो तो उसे बाँध देना। आरुणी खेत पर पहुँचा। उसने देखा कि खेत में पानी लगा है। अब वह घूम-घूम कर देखने लगा कि कहीं मेड़ तो नहीं टूटी है। अचानक दिखाई पड़ा कि एक स्थान पर मेड़ टूटी हुई है और पानी तेजी से निकल रहा है। उसने बाँध को बाँधने का काफी प्रयास किया लेकिन इसके बावजूद खेत का सभी पानी उसी जगह से बाहर निकल रहा था। इसलिए उस पर बाँध बाँधने में काफी मुश्किल हो सकती थी।

वहीं दूसरी ओर गुरु के आदेश का पालन करने के लिए पानी को रोकना ही था। तब अन्त में आरुणी असहाय होकर बाँध के ऊपर ही सो गया। इस प्रकार अपने शरीर के द्वारा जल सोत को रोकने का प्रयास किया। आरुणी को जब खेत से लौटने में देर हुई तो गुरुजी उसकी तलाश करते हुए खेत के पास पहुँचे। गुरु की आवाज को सुनकर आरुणी बाँध से ऊपर उठ गया। गुरुजी आरुणी के मुख से सारी बातें सुनकर उसकी गुरु भक्ति से काफी प्रसन्न हुए। खेत के बाँध और केदार खण्ड को भेदकर आरुणी उठकर आया था। इसलिए महर्षि ने उनका नाम उद्दालक रखा। उद्दालक बाद में एक प्रसिद्ध गुरु हुए।

WBBSE Class 6 History Solutions Chapter 4 1

प्रश्न 20.
समावर्तन कार्यक्रम कब सम्पन्न होता था?
उत्तर :
साधारण तौर पर बारह वर्ष तक शिक्षा प्राप्त करने का कार्य चलता था। कुछ लोग तो जीवन भर छात्र बने रहते थे। ऐसे ही बारह वर्ष की पढ़ाई समाप्त अथवा पूरी होने पर समावर्तन कार्यक्रम होता था। इस कार्यक्रम के जरिए ही छात्र को स्नातक की उपाधि मिलती थी। पढ़ाई-लिखाई के अंत में छात्रों के विशेष स्नान करने की प्रथा थी। उससे ही स्नातक शब्द आया है। गुरु आश्रम छोड़कर जाने से पहले छात्र अपनी सामर्थ्य के अनुसार गुरु को गुरु दक्षिणा देते थे।

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प्रश्न 21.
वैदिक युग में शिक्षा पद्धति में किस विषय पर बहुत जोर दिया जाता था?
उत्तर :
वैदिक युग में वेद पाठ के जरिए ही शिक्षा प्रदान की जाती थी। उसके साथ गणित, व्याकरण और भाषा शिक्षण के ऊपर भी जोर दिया जाता था। स्वयं बहुत कुछ सीखना पड़ता था। छात्रों को स्वयं की रक्षा करने के लिए अस्र-शस्र चलाना भी सीखना पड़ता था। ऐसा कि ब्राह्मण भी अस्त्र-शस्र की शिक्षा ग्रहण करते थे। जैसे – महाराभारत में द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और परशुराम के बारे में जानकारी मिलती हैं। छात्र चिकित्सा करना भी सीखते थे। लडुकियाँ दूसरे विषयों के साथ नृत्य और गीत की शिक्षा भी लिया करत करती थीं।

WBBSE Class 6 History Solutions Chapter 4 2

प्रश्न 22.
एकलव्य के बारे में क्या जानते हो? उल्लेख करो।
उत्तर :
हिरनधनु भीलों के राजा थे। उनका एकलौता पुत्र एकलव्य था। एकलव्य बहुत ही साहसी और परिश्रमी था। एकलव्य को तीर चलाना सीखने की इच्छा हुई। उसने सुना था कि गुरु द्रोणाचार्य सबसे बड़े अस्त्र शिक्षक थे। उसने द्रोणाचार्य से तीर चलाने की शिक्षा नहीं ली लेकिन गुरु-दक्षिणा के रूप में उसे अपना एक अंगूठा देना पड़ा।

प्रश्न 23.
एकलव्य अपने पिता हिरनधनु से द्रोणाचार्य के विषय में क्या जानना चाहता था?
उत्तर :
एकलव्य ने अपने पिता से द्रोणाचार्य के बारे में जानना चाहा कि गुरु द्रोणाचार्य केवल क्षत्रिय बालको को ही अखु शिक्षा देते हैं। भील बालक को वे किसी भी तरह से अपना शिष्य नहीं बनाएंगे। इस बाल को सुनकर एकलव्य ने कहा, मैं तो केवल आचार्य, द्रोणाचार्य से ही तीर चलाने की शिक्षा प्राप्त करूँगा।

प्रश्न 24.
एकलव्य ने द्रोणाचार्य से अपनी किस आशंका का निराकरण किया?
उत्तर :
द्रोणाचार्य की कुटिया में जाकर उन्हें प्रणाम करके अपना परिचय दिया। द्रोणाचार्य से कहा, मैं आपसे तीर चलाने की शिक्षा लेने आया हूँ। आप मुझे अपना शिष्य बना लीजिए। द्रोणाचार्य ने एकलव्य को समझाते हुए कहा- मैं तुम्हें अपना शिष्य नहीं बना सकता हूँ। मैं केवल क्षत्रिय को ही अस्र का शिक्षा देता हूँ और तुम भील पुत्र हो, इसलिए घर को लौट जाओ।

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प्रश्न 25.
एकलव्य किस प्रकार धनुष विद्या में पारंगत हुआ?
उत्तर :
एकलव्य द्रोणाचार्य की कुटिया से निकलकर घर की ओर नहीं लौटा। जंगल में जाकर वह मिट्टी से आचार्य द्रोण की मूर्ति बनायी और अकेले ही उस मूर्ति के समक्ष तीर चलाने का अभ्यास करने लगा। इसी तरह से कुछ दिनों के बाद वह वास्त्व में एक बहुत बड़ा धनुर्धारी बन गया। एक दिन द्रोणाचार्य की मूर्ति को सामने रखकर तीर चलाने का अभ्यास कर रहा था, तभी अचनाक एक कुत्ते की आवाज से उसका ध्यान भंग हो गया। लाचार होकर एकलव्य ने कुत्ते के मुँह को तीर से बन्द कर दिया।

उसी अवस्था में वह कुत्ता दौड़ते हुए कौरवों और पांडवों के राज कुमारों के पास गया। कुत्ते की अवस्था को देखकर वे समझ गए कि इस तरह से तीर मारना आश्वर्य की बात है। अर्जुन भी इस तरह से तीर नहीं चला सकता था। द्रोणाचार्य कुत्ते को देखकर आश्र्य चकित हो गए। वे मन ही मन उस धनुर्धरी की प्रशंसा करने लगे।

कुछ दूरी पर जाकर द्रोणाचार्य ने देखा कि एकलव्य तीर चलाने का अभ्यास कर रहा है। उन्होने एकलव्य से पूछा, तुम्हारा गुरु कौन है? एकलव्य ने कहा- आचार्य द्रोणाचार्य मेरे गुरु हैं। तब एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य की मूर्ति को दिखाया। द्रोणाचार्य एकलव्य के परिश्रम और सीखने के अभ्यास को देखकर काफी प्रसत्न हुए। लेकिन उन्होंने अर्जुन को वचन दिया था कि वे उसे दुनिया का सबसे अच्छा धनुर्धारी बनाएँगे। लेकिन एकलव्य ने अर्जुन को भी पीछे छोड़ दिया था।

प्रश्न 26.
द्रोणाचार्य ने एकलव्य से गुरुदक्षिणा के रूप में क्या माँगा?
उत्तर :
एकलव्य से गुरुदक्षिणा के रूप में द्रोणाचार्य ने कहा, तब तो तुम मुझे अपनी दाहिने हाथ की अंगूठे को दे दो। एकलव्य ने तुरन्त ही अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को काटकर गुरु द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा के रूप में दे दिया।

प्रश्न 27.
मेगालीथ के बारे में क्या जानते हो?
उत्तर :
बड़े पत्थरों की समाधि को मेगालीथ कहा जाता है। प्राचीन भारत में लोहा का प्रयोग के साथ ही इस समाधि क सम्पर्क में जानकारी मिली है? विभिन्न क्षेत्रों के जनसमूह बड़े-बड़े पत्थरों को परिवार के मृत व्यक्तियों की समाधि को चिह्लित करते थे। बड़े पत्थरों से चिह्नित इस समाधि में विभिन्न प्रकार के आकृति देखने को मिलता था। कहीं आकाश की ओर देखती हुई बड़ी पत्थर तो कहीं वृत्ताकार सजाए हुए असंख्य पत्थर, तो कहीं पर अनेक पत्थरों से एक बड़े पत्थर को ढंका गया था। कहीं पर पहाड़ को काटकर बनाई गई गुफा के भीतर समाधि। इन सभी समाधियों से मनुष्य के कंकाल और उनके द्वारा प्रयोग की गई वस्तुएं मिली। कश्मीर के बुरजाहोम, राजस्थान के भरतपुर एवं इनामगाँव प्रसिद्ध मेगालीथ केन्द्र थे।

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प्रश्न 28.
वैदिक युग में किस दूसरे समाज का पता चला है? उनके बारे में क्या जानते हो?
उत्तर :
पूरे भारतीय उपमहादेश में वैदिक सभ्यता का विस्तार नहीं हुआ था। सिंधु और गंगा नदी के तटीय क्षेत्रों में हो वैदिक बस्तियाँ थी। पूर्व, उत्तर-पूर्व और दक्षिण भाग में वैदिक सभ्यता नहीं थी। उपमहादेश के दूसरे क्षेत्रों में इस समय दूसरे प्रकार की संस्कृति की खोज पुरातत्ववेत्ता को मिली। उन संस्कृतियों में मनुष्य लोहा और ताँबा का अस्र प्रयोग करते थे। काले और लाल रंग की मिट्टी के पात्र (बर्तन) का व्यवहार करते थे। मिट्टी से बने दूटे घर की खोज पुरातत्ववेत्ता को मिली। पश्चिम बंगाल के महिषादल में ऐसी ही संस्कृति की खोज मिली है। वहाँ पर ग्रामीण कृषि समाज के बारे में जानकारी मिलती है। वे मृतकों को समाधि देते थे। महाराष्ट्र के इनामगाँव में भी ऐसे ही समाज की खोज मिली है।

प्रश्न 29.
आर्यों द्वारा अपनी बस्ती के विस्तार किये जाने का उल्लेख करो।
उत्तर :
आर्यों के बस्ती विस्तार को लेकर इतिहासकारों में विभिन्न मत प्रचलित हैं –

  1. सप्त सिंधु क्षेत्र : आर्यों ने सबसे पहले सिंधु नदी के पूर्वी तट सप्त सिंधु क्षेत्र में अपनी बस्ती का निर्माण किया था।
  2. गंगा-यमुना का दोआब क्षेत्र : परवर्ती समय में आरों ने गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्र में अपना निवास-स्थल बनाया था।
  3. पूर्वी भारत : ॠग्वेद के परवर्ती समय में आर्य सभ्यता सिंधु नदी को पीछे छोड़ते हुए पूर्व की तरफ अपने को विस्तृत किया था।
  4. दक्षिण भारत : परवर्ती युग के अंतिम भाग में दक्षिण भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में आर्यो की सभ्यता का विकास हुआ था।

प्रश्न 30.
ऋग्वैदिक युग में आर्यों की सामाजिक अवस्था से तुम क्या समझते हो ?
उत्तर :
सामाजिक अवस्था :-

  1. परिवार प्रथा : ऋग्वैदिक युग का समाज पितृ तांत्रिक था। पितृ तांत्रिक परिवार को ऋग्वेद में ‘कुल’ कहा जाता था तथा परिवार के प्रधान पुरुष को कुलपति या गृहपति कहा जाता था। पिता ही परिवार का प्रधान होता था।
  2. समाज में नारी का स्थान : ऋग्वैदिक युग में नारी को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था। उस समय नारियाँ सामाजिक उत्सव, विद्याचर्चा एवं युद्ध में हिस्सा लेती थीं। नारियों को अपने जीवन साथी स्वयं चुनने का अधिकार था।
  3.  वर्ण भेद प्रथा : आर्य समाज को गुण और कार्य के आधार पर ब्राहण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र इन-वार वर्णों में विभाजित किया गया था। ब्राह्मण का कार्य पूजा करना एवं शिक्षा देना, क्षत्रिय का युद्ध करना, वैश्य लोग व्यापार एवं शूद्रों का कर्तव्य शेष तीनों वर्गों के लोगों की सेवा करना था।

प्रश्न 31.
ब्राह्मण ग्रन्थ क्या है?
उत्तर :
बाह्मण ग्रन्थ गद्य रचनाएँ हैं। इनमें यज्ञ के समय में प्रयोग की जाने वाले नियमों का वर्णन मिलता है। चूँकि यज्ञ ब्राह्मण करवाते हैं तथा इन ग्रन्थों में उन्हीं को निर्देश दिये गये हैं अतः उन्हें ब्राह्मण ग्रन्थ कहा गया है ।

प्रश्न 32.
ॠग्वैदिक काल में राजा की क्या स्थिति थी?
उत्तर :
ऋग्वैदिक काल में राजा का पद वंशानुगत होता था। राजा राज्य का सर्वोच्च अधिकारी होता था लेकिन स्वेच्छाचारी नहीं होता था। प्रजा की रक्षा करना तथा शान्ति-व्यवस्था की स्थापना करना राजा का प्रमुख कार्य होता था।

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प्रश्न 33.
उत्तर वैदिक काल में किन लोगों ने कृषि के उत्पादन में वृद्धि की और किसने इसका उपयोग किया।
उत्तर :
i) उत्तर वैदिक काल में वैश्य और शूद्र जाति के लोगों ने परिश्रम करके कृषि के उत्पादन में वृद्धि की।
ii) ब्राह्मण एवं क्षत्रिय वर्ग के लोगों ने इसका उपयोग किया और आनन्द से जीवन व्यतीत किया।

प्रश्न 34.
संहिता क्या है ?
उत्तर :
वेदों को संहिता कहा जाता है। क्योंकि वेदों में मंत्रों का संग्रह किया गया है।

प्रश्न 35.
उपनिषद् क्या है? उन्हें वेदान्त क्यों कहा जाता है?
उत्तर :
i) उपनिषद् मूलत: दार्शनिक ग्रन्थ हैं। उपनिषद् शब्द का अर्थ ‘पास में बैठना’। इनमें जीव, आत्मा, परमात्मा, ब्रह्म कर्म इत्यादि की चर्चा की गई है। ये ज्ञान और दर्शन के भण्डार हैं।
ii) उपनिषद् वेद के अन्तिम भाग हैं। अत: इन्हे वेदान्त भी कहते हैं।

प्रश्न 36.
सूत्र क्या हैं ?
उत्तर :
जब वैदिक साहित्य का रूप बहुत बड़ा हो गया तब उसे याद रखना बहुत कठिन हो गया था। अत: विद्वान ने बड़े-बड़े भाव को छोटे-छोटे कथनों के रूप में संक्षिप्त रूप दे दिया। इसलिए इन्हें सूत्र कहा गया है।

प्रश्न 37.
परवर्ती वैदिक युग में शिक्षा में किस प्रकार का परिवर्तन देखने को मिलता है?
उत्तर :
इस युग में शिक्षा के साथ एक और भी चीज देखने को मिलती थी वह था उपनयन संस्कार। इस रिवाज के अनुसार गुरु छात्रों को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार करते थे। लड़कियों के भी उपनयन के थोड़े-बहुत प्रमाण मिलते हैं। गुरुआश्रम में ही छात्र-छात्राओं के रहने की व्यवस्था होती थी एवं शिक्षा के साथ-साथ अन्य जीवन-यापन संबंधी कार्य करवाए जाते थे। शिष्यों के रहने, खाने एवं उनकी सुरक्षा का दायित्व गुरु के हाथों में होता था।

प्रश्न 38.
एकलव्य के विषय में आप क्या जानते हो?
उत्तर :
एकलव्य भीलों के राजा हिरनधनु का इकलौता पुत्र था। एकलव्य बचपन से ही बहुत साहसी और परिश्रमी था। एकलव्य अपने पिता से सुना था कि गुरु द्रोणाचार्य सबसे बड़े असु-शिक्षक हैं किन्तु वे सिर्फ राजकुमारों को ही धनुर्विद्या सिखाते हैं। एकलव्य को जब गुरु द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से इनकार कर दिया तो उसने उनकी प्रतिमा बनाई और उनको गुरु मानकर धनुष विद्या का अभ्यास करने लगा। लेकिन जब यह बात गुरु द्रोणाचार्य को मालूम हुई तो उन्होंने उससे गुरु दक्षिणा के रूप में एकलव्य का दाहिना अंगूठा ही माँग लिया जिसे एकलव्य ने सहर्ष स्वीकार करते हुए गुरु दक्षिणा के रूप में अपना दाहिना अंगूठा दे दिया।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (Multiple Choice Question & Answer) : (1 Mark)

प्रश्न 1.
आदि वैदिक युग के इ्तिहास को जानने का प्रधान स्रोत है $i$
(क) जैन अवेस्ता
(ख) महाकाव्य
(ग) ऋग्वेद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) ॠग्वेद

WBBSE Class 6 History Solutions Chapter 4 भारतीय उपमहादेश के प्राचीन इतिहास की धारा (द्वितीय पर्याय (चरण) लगभग ईसा पूर्व 1500-6000 तक)

प्रश्न 2.
मेगालीथ को भी कहा जाता है।
(क) पत्थर की गाड़ी
(ख) पत्थर की समाधि
(ग) पत्थर के खिलौन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) पत्थर की समाधि

प्रश्न 3.
ॠग्वेद में राजा __________ थे।
(क) समूह के प्रधान
(ख) राज्य के प्रधान
(ग) समाज के प्रधान
(घ) देश का प्रधान
उत्तर :
(क) समूह प्रधान

प्रश्न 4.
वैदिक समाज में परिवार का प्रधान __________ होते थे।
(क) राजा
(ख) विशपति
(ग) पिता
(घ) माता
उत्तर :
(ग) पिता

प्रश्न 5.
दस राजा के युद्ध की कहानी __________ में है।
(क) क्रेद्वे
(ख) सामवेद
(ग) यजुर्वेद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) ऋग्वेद

प्रश्न 6.
वेदांग की संख्या __________ है ।
(क) तीन
(ख) छ:
(ग) नौ
(घ) चार
उत्तर :
(ख) छ:

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प्रश्न 7.
ऋग्वेद में __________ पर्वत का उल्लेख नहीं है।
(क) अरावली
(ख) हिमालय
(ग) विन्न्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) विन्थ्य

प्रश्न 8.
ऋग्वैदिक युग में __________ प्रमुख पालतू पशु था।
(क) हाथी
(ख) हिरण
(ग) घोड़ा
(घ) शेर
उत्तर :
(ग) घोड़ा

प्रश्न 9.
वैदिक साहित्य को सही तरीके से समझने के लिए __________ की रचना हुई थी।
(क) गीता
(ख) वेदांग
(ग) उपनिषद्
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) वेदांग

प्रश्न 10.
__________ शब्द का अर्थ संकलन करना है।
(क) बाह्मण
(ख) संहिता
(ग) आरण्यक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) संहिता

प्रश्न 11.
________ को गीता की तरह गाया जाता है।
(क) सामवेद
(ख) यजुर्वेद
(ग) अथर्वेद
(घ) समवेद
उत्तर :
(ख) यजुर्वेद

प्रश्न 12.
विद् शब्द का अर्थ है।
(क) ज्ञान
(ख) बुद्धि
(ग) मेधा
(घ) इनेमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) ज्ञान

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प्रश्न 13.
इतिहासकारों का मत है कि __________ दिशा से आर्यों भारत में प्रवेश किया था ।
(क) उत्तर – पूर्व
(ख) उत्तर – पथिम
(ग) दक्षिण – पश्चिम
(घ) पूर्व – दक्षिण
उत्तर :
(ख) उत्तर – पश्चिम

रिक्त स्थानों की पूर्ति करो (Fill in the blanks) : (1 Mark)

1. ॠग्वेद _______ युग का इतिहास जानने का प्रमुख साधन है।
उत्तर : वैदिक।

2. आर्य भारत में __________ दिशा से प्रवेश किए थे।
उत्तर : पश्चिम।

3. पत्थर की समाधि के रूप में __________ को जानते हैं।
उत्तर : मोगलिथ।

4. विद् शब्द का प्रयोग __________ के लिए हुआ है।
उत्तर : ज्ञान।

5. __________ द्रोणाचार्य के श्रेष्ठ शिष्य थे।
उत्तर : अर्जुन।

6. हिरनधनु के पुत्र का नाम __________ था।
उत्तर : एकलव्य।

7. __________ इन्डो आर्य की भाषा है
उत्तर : ॠग्वेद।

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8. __________ में जादू-मंत्र का संकलन है।
उत्तर : अथर्वेद।

9. __________ आर्य के प्रधान पशु था
उत्तर : घोड़ा।

10. वृक्ष __________ देवता है
उत्तर : सोम

असमानता वाले शब्द को ढूंढकर लिखिए :-

  1. ॠग्वेद, महाकाव्य, सामवेद, अथर्वेद
  2. ब्राह्मण, क्षत्रीय, शूद्र, नृपति।
  3. इनामगाँव, हस्तिनापुर, कौशाम्बी, श्रावस्ती।
  4. उषा, अदिति, पृथ्वी, दुर्गा।
  5. रामायण, महाभारत, इलियड, अकबरनामा।
  6. ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, ब्राह्मण।
  7. गंगा, यमुना, गोदावरी, मथुरा।

उत्तर :

  1. महाकाव्य
  2. नृपति
  3. इनामगाँव
  4. दुर्गा
  5. अकबरनामा
  6. ब्राह्मण
  7. मथुरा।

सही मिलान करो Match the following : (1 Mark)

प्रश्न 1.

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) आयोद धौम के शिष्य (a) अरुणी
(ii) हिरन मुनि के पुत्र (b) पत्थर की समाधि के क्षेत्र
(iii) मेगालीथ (c) अर्जुन
(iv) द्रोणाचार्य के शिष्य (d) एकलव्य

उत्तर :

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) आयोद धौम के शिष्य (a) अरुणी
(ii) हिरन मुनि के पुत्र (d) एकलव्य
(iii) मेगालीथ (b) पत्थर की समाधि के क्षेत्र
(iv) द्रोणाचार्य के शिष्य (c) अर्जुन

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प्रश्न 2.

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) असंख्य कार्यो में सहायक (a) घोड़ा
(ii) आर्य के प्रधान पशु (b) रत्नीन
(iii) वैदिक युग की मुद्रा (c) गोत्र
(iv) पशुओं की बाड़ (d) निष्क

उत्तर :

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) असंख्य कार्यो में सहायक (b) रत्नीन
(ii) आर्य के प्रधान पशु (a) घोड़ा
(iii) वैदिक युग की मुद्रा (d) निष्क
(iv) पशुओं की बाड़ (c) गोत्र

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प्रश्न 3.

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) अर्जुन (a) छ:
(ii) एकलव्य (b) पिता
(iii) आरुणी (c) द्रोणाचार्य के श्रेष्ठ शिष्य
(iv) विद् (d) हिरनधनु के पुत्र
(v) वेदांग की संख्या (e) आयोदधौम के शिष्य
(vi) वैदिक समाज में परिवार के प्रधान (f) ज्ञान

उत्तर :

स्तम्भ (क) स्तम्भ (ख)
(i) अर्जुन (a) छ:
(ii) एकलव्य (b) पिता
(iii) आरुणी (c) द्रोणाचार्य के श्रेष्ठ शिष्य
(iv) विद् (d) हिरनधनु के पुत्र
(v) वेदांग की संख्या (e) आयोदधौम के शिष्य
(vi) वैदिक समाज में परिवार के प्रधान (f) ज्ञान

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