WBBSE Class 10 Life Science Solutions Chapter 1B पादप हार्मोन तथा जन्तु हार्मोन

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WBBSE Class 10 Life Science Chapter 1B Question Answer – पादप हार्मोन तथा जन्तु हार्मोन

अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK

प्रश्न 1.
बेमेल को चुनो तथा लिखो : बौनापन, घेंघा, थैलासीमिया, डायबिटीज मैलिटस
उत्तर :
थैलासीमिया।

प्रश्न 2.
असद्दश चुनिये और लिखिए : TSH, ACTH, GTH, CSF
उत्तर :
CSF

प्रश्न 3.
सर्वप्रथम हार्मोन का नामकरण किसने किया ?
उत्तर :
बैलिस और स्टारलिंग

प्रश्न 4.
कौन सा पादप हार्मोन फूलों के खिलने में सहायक होता है ?
उत्तर :
फ्लोरिजिन (Floregen)

प्रश्न 5.
कौन सा पादप हार्मोन गिब्रेलिन विरोधी कहलाता है ?
उत्तर :
एबसीसिक अम्ल (Abscisic Acid- ABA)

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प्रश्न 6.
पतझड़ को रोकने के लिए कौन सा पादप हार्मोन सहायक होता है ?
उत्तर :
साइटोकाइनिन (Cytokinin)

प्रश्न 7.
पादप हार्मोन के समूह का नाम क्या है ?
उत्तर :
फाइटोहार्मोन (Phytohormone)

प्रश्न 8.
कौन सा पादप हार्मोन शीर्ष प्रभावित के लिए जिम्मेदार है ?
उत्तर :
ऑक्सिन हार्मोन (Auxin hormone)

प्रश्न 9.
स्कूल के बगीचे में उगे हुए जंगली पौधों को नष्ट करने में किस हार्मोन का उपयोग करेंगे ?
उत्तर :
कृत्रिम ऑक्सिन (Artificial auxin)

प्रश्न 10.
I.A.A. का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
इन्डोल एसिटिक एसिड (Indole Acetic Acid)

प्रश्न 11.
कौन सा पादप हार्मोन ट्रॉपिक गति में मदद करता है ?
उत्तर :
ऑक्सिन (Auxin)

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प्रश्न 12.
बीज रहित फलों के उत्पन्न होने में कौन सा हार्मोन मदद करता है ?
उत्तर :
गिब्रेलिन (Giberellin)

प्रश्न 13.
किस ग्रंथि से थायरॉक्सिन स्रावित होता है ?
उत्तर :
थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland)

प्रश्न 14.
टी.एस.एच. का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
थायरॉइड स्टीमुलेटिंग हार्मोन (Thyroid stimulating hormone)

प्रश्न 15.
वृक्क के ऊपरी भाग में स्थित अंतस्रावी ग्रन्थि का नाम लिखिए।
उत्तर :
ऐड्रिनल

प्रश्न 16.
किस हार्मोन को मधुमेहीय हार्मोन कहते हैं ?
उत्तर :
इन्सुलिन

प्रश्न 17.
कौन सी ग्रंथि मास्टर (गुरु) ग्रंथि कहलाती है ?
उत्तर :
पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary gland)

प्रश्न 18.
सबसे लघुत्तम अन्तःस्रावी ग्रंथि का नाम बताइए।
उत्तर :
पिनियल ग्रंथि (Pineal gland)

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प्रश्न 19.
I.C.S.H. का पूरा नाम बताओ।
उत्तर :
इन्टरस्टीटियल सेल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (Interstitial cell stimulating hormone)

प्रश्न 20.
आई.पी.ए. का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
इन्डोल प्रोप्रियोनिक अम्ल (Indole proprionic acid)

प्रश्न 21.
मानव शरीर में सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रंथि का नाम बताओ।
उत्तर :
थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland)

प्रश्न 22.
वृषण द्वारा कौन सा हार्मोन स्रावित है ?
उत्तर :
टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone)

प्रश्न 23.
जी.टी.एच. का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
गोनाडो ट्रोंपिक हार्मोन (Gonado trophic hormone)

प्रश्न 24.
ए.सी.टी.एच. का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर :
एड्रीनो लोटर्टिको ट्रॉपिक हार्मोन (Adreno cortico trophic hormone)

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प्रश्न 25.
आइसलेट लैंगरहेन्स के B कोशिका से स्रावित होने वाले हार्मोन का नाम बताओ।
उत्तर :
इन्सुलिन (Insulin)

प्रश्न 26.
एन.ए.ए. का पूरा नाम बताओ।
उत्तर :
नेष्थल्लीन ऐसिटिक अम्ल (Nephthalene Acetic Acid)

प्रश्न 27.
कायन्तर के लिए कौन सा हार्मोन सहायक होता है ?
उत्तर :
थायरॉंक्सिन (Thyroxine)

प्रश्न 28.
एड्रीनैलिन कहाँ से स्रावित होती है ?
उत्तर :
एड्रीनल ग्रंथि से (From adrenal gland)

प्रश्न 29.
आमाशय से कौन सा हार्मोन स्रावित होता है ?
उत्तर :
गैस्ट्रिन (Gastrin)

प्रश्न 30.
शुक्राणु के निर्माण में कौन-सा हार्मोन सहायक होता है ?.
उत्तर :
टेस्टोस्टेरान

प्रश्न 31.
किस हार्मोन की कमी के कारण मिक्सीडिमा नामक रोग होता है ?
उत्तर :
थायरॉक्सिन हार्मोन (Thyroxine hormone)

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प्रश्न 32.
स्वर यंत्र के नीचे कौन सी ग्रंथि स्थित है ?
उत्तर :
थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland)

प्रश्न 33.
किस ग्रंथि से इन्सुलीन स्रावित होती है ?
उत्तर :
अग्न्याशय (Pancreas) के आइसलेट ऑफ लैंगरहेन्स के β (बीटा) सेल से।

प्रश्न 34.
किसी नलिका विहीन ग्रंथि का नाम बताओ जो हार्मोन स्रावित नहीं करता है।
उत्तर :
प्लीहा (Spleen)

प्रश्न 35.
केवल मादा शरीर से ही स्रावित होने वाले हार्मोन का नाम बताओ।
उत्तर :
इस्ट्रोजन (Oestrogen)

प्रश्न 36.
मैमेरी ग्रंथि के विकास में कौन सा हार्मोन सहायक है ?
उत्तर :
लूटियो ट्रॉफिक हार्मोन (Luteo trophic hormone)

प्रश्न 37.
मानव खोपड़ी के अन्दर कौन सी ग्रंथि स्थित है ?
उत्तर :
पीट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary gland)

प्रश्न 38.
हार्मोन विहीन किसी जन्तु का नाम बताओ।
उत्तर :
अमीबा

प्रश्न 39.
उस ग्रंथि का नाम बताओ जिससे गोनैडो ट्रॉफिक हार्मोन स्रावित होता है।
उत्तर :
पिट्यूटरी ग्रंथ (Pituitary gland)

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प्रश्न 40.
A B A हार्मोन क्या है ?
उत्तर :
ABA हार्मोन – यह एबसिसिक अम्ल प्रकृति का वनस्पति हार्मोन है।

प्रश्न 41.
बीजों के अंकुरण में सहायक दो हार्मोन का नाम बताओ।
उत्तर :
गिबेलिन तथा काइनिन (Gibrellin and Kinin) बीजों के अंकुरण में सहायक होते हैं।

प्रश्न 42.
बीजों की सुषुप्तावस्था को नियंत्रित करने वाले हार्मोन का नाम बताओ।
उत्तर :
गिबेलिन बीजों की सुषुप्तावस्था को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 43.
दो कृत्रिम पादप हार्मोन का नाम बताओ।
उत्तर :
I.B.A. – Indole Butyric Acid
I.P.A. – Indole Propionic Acid

प्रश्न 44.
क्या पौधों में हार्मोन स्रावित करने वाली ग्रंथियाँ हैं ?
उत्तर :
नहीं, पौधों में हार्मोन उत्पन्न करने वाली ग्रंथियाँ नहीं है।

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प्रश्न 45.
फ्लोरिजेन क्या है ? इसका क्या कार्य है ?
उत्तर :
फ्लोरिजेन एक वनस्पति हार्मोन है जो फूलों के खिलने में सहायता करता है।

प्रश्न 46.
अग्रस्थ कलिका के लिए कौन सा हार्मोन जिम्मेदार है ?
उत्तर :
ऑक्सिन हार्मोन पौधों के अग्रस्थ कलिका की वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

प्रश्न 47.
ऑक्सिन का रासायनिक नाम बताओ।
उत्तर :
ऑक्सिन का रासायनिक नाम Indole Acetic Acid (I.A.A.) है।

प्रश्न 48.
बीज रहित फलों के निर्माण में कौन सा हार्मोन सहायक है ?
उत्तर :
गिब्रेलिन हार्मोन बीज रहित फलों के निर्माण में सहायक है।

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प्रश्न 49.
फाइटोहार्मोन क्या है ?
उत्तर :
पादप हार्मोन को फाइटोहार्मोन कहते हैं। जैसे – ऑक्सिन, गिब्रेलिन, काइनिन आदि।

प्रश्न 50.
एड्रीनल ग्रंथि से स्रावित होने वाले हार्मोन का नाम बताओ।
उत्तर :
एड्रीनल ग्रंथि से स्रावित होने वाला हार्मोन एड्रीनैलिन (Adrenalin) है।

प्रश्न 51.
घेघा किसकी कमी के कारण निकलता है ?
उत्तर :
थायरांक्सिन नामक हार्मोन की कमी के कारण शरीर में आयोडीन की मात्रा घट जाने से घेघा निकलता है।

प्रश्न 52.
T.S.H. का स्राव किस ग्रंथि द्वारा होता है ?
उत्तर :
पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग से Thyroid stimulating hormone स्रावित होता है।

प्रश्न 53.
मानव शरीर में पिट्यूटरी ग्रंथि कहाँ पर स्थित है ?
उत्तर :
पिट्यूटरी ग्रंथि मध्य मस्तिष्क के अधर तल पर हाइपोथैलमस से जुड़ी होती है।

प्रश्न 54.
दो मिश्रित ग्रंधियों के नाम बताओ।
उत्तर :
मिश्रित ग्रंधियाँ क्रमशः अग्न्याशय (Pancreas) तथा गोनैड्स (Gonads) है।

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प्रश्न 55.
लक्ष्य अंग क्या है ?
उत्तर :
हार्मोन उत्पत्ति के पश्थात् जिन अंगों में कार्य करते हैं उन्हें उनका लक्ष्य अंग (Target organ) कहते हैं।

प्रश्न 56.
G.T.H. का क्या कार्य है ?
उत्तर :
यह जनन क्रियाओं को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 57.
A.C.T.H. का मुख्य कार्य क्या है ?
उत्तर :
A.C.T.H. का मुख्य कार्य एड्रीनल ग्रंथि की क्रियाशीलता को उत्तेजित करना है।

प्रश्न 58.
किसने और कब सबसे पहले हार्मोन शब्द का प्रयोग किया ?
उत्तर :
सर्वप्रथम स्टारलिंग (Starling) तथा बायलिस (Baliss) ने 1804 में हार्मोन शब्द का प्रयोग किया था।

प्रश्न 59.
लिंग हार्मोन के नाम लिखो।
उत्तर :
Oestrogen Progestron तथा Testosterone आदि लिंग हार्मोन हैं।

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प्रश्न 60.
अल्फा कोशिका तथा बिटा कोशिका द्वारा स्रावित होने वाले हार्मोन के नाम बताओ।
उत्तर :
अल्फा (α), कोशिका द्वारा ग्लूकागौन (Glucagon) तथा बिटा (β) कोशिका द्वारा इन्सुलिन स्रावित होता है।

प्रश्न 61.
एड्रीनल ग्रंथि को उत्तेजित करने वाले हार्मोन का नाम बताओ।
उत्तर :
A.C.T.H. हार्मोन एड्रीनल ग्रंथि को उत्तेजित करता है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS

प्रश्न 1.
निम्न कार्यों से संबंधी हार्मोनों के नामों को तालिका में लिखो :

  1. रक्त में शर्करा की मात्रा को नियमित करना
  2. थायराइड ग्रंथि से हार्मोन के स्राव को उत्तेजित करना
  3. कार्पस ल्युटियम के विकास का कारण तथा मादा शरीर में प्रोगेस्ट्रोन हार्मोन के स्राव को उत्तेजित करना
  4. उत्सुकता के कारण रक्त चाप में वृद्धि करना

उत्तर :

  1. इन्सूलीन
  2. थाइरॉयड स्टीम्यूलेटिंग हार्मोन
  3. ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
  4. एड्रीनेलिन।

प्रश्न 2.
मानव शरीर की प्रजनन ग्रंधि से स्रावित होने वाले हार्मोन में G.T.H. की दो भूमिका लिखिए।
उत्तर :

  1. यह लैंगिक परिपक्वता और लैंगिक कार्यो के लिये अवश्यक है।
  2. यह अंडाशय तथा वृषण की क्रियाशीलता को नियंत्रित करता है?

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प्रश्न 3.
मानव शरीर में रक्त संवहन तंत्र एवं बी० एम० आर० को थायरॉक्सिन हार्मोन किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर :
थायरॉक्सिन का रक्त संवहन तंत्र पर प्रभाव : यह हृदय की धड़कन को बढ़ाता है। इससे रक्त दाब भी बढ़ जाता है। यह रक्त बाहिनियों का फैलाव (dilation) करता है।
थायरॉक्सिन का B.M.R पर प्रभाव : यह कोशिकाओं में आक्सीजन के अन्तः ग्रहण की दर को बढ़ा देता है। इससे ऊर्जा उत्पादन की दर बढ़ जाता है। इस प्रकार B.M.R. की दर में वृद्धि होती है।

प्रश्न 4.
एक कृत्रिम पादप हार्मोन का नाम तथा उसका कोई भी एक उपयोग लिखो।
अथवा
कृषि में सिंथेटिक कृत्रिम पादप हार्मोन के दो उपयोग का उल्लेख करो (Board Sample Paper) उत्तर : इन्डोल प्रोपियानिक अम्ल (IPA एक कृत्रिम पादप हार्मोन है।
कृषि में सिंथेटिक कृत्रिम पादप हॉर्मोन्स का प्रयोग : आजकल हॉर्मोन्स का प्रयोग कृषि तथा बागवानी में बहुत बढ़ गया है। इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं –

  1. पौधों के उचित वृद्धि को प्रेरित करने में।
  2. कलम लगे पौधों से शीघ्र फलों को उत्पन्न एवं विकसित करने में।
  3. समय से पहले अपरिपक्व फलों को गिरने से रोकने में।

प्रश्न 5.
ऑक्सिन हार्मोन का एक स्रोत तथा दो व्यवहारिक उपयोग बताओ।
उत्तर :
ऑक्सिन हार्मोन पौधों के जड़ तथा शीर्ष प्रविभाजी ऊत्तक से उत्पन्न होता है।
व्यवहारिक उपयोग :

  1. ऑक्सिन हार्मोन पौधों की वृद्धि तथा विकास में सहायता करता है।
  2. अनावश्यक घासों को नष्ट करने तथा कच्चे फलों तथा पत्तियों को झड़ने से रोकने में सहायता करता है।

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प्रश्न 6.
एक पादप हार्मोन का नाम और इसके उत्पत्न होने का स्थान और कार्य बताइए।
उत्तर :

  • एक पादप हार्मोन का नाम : फ्लोरिजेन।
  • उत्पत्ति का स्थान : पत्ती।
  • कार्य : यह हार्मोन पुष्प कलिका के खिलने में मदद करता है।

प्रश्न 7.
गिब्बरेलिन क्या है ?
उत्तर :
यह एक नाइट्रोजन विहीन कार्बनिक यौगिक है जिसकी सहायता से बीजहीन फल उत्पन्न किये जाते हैं।

प्रश्न 8.
एक नाइट्रोजन विहीन अम्लीय और एक गैसीय पादप हार्मोन का नाम बताइए।
उत्तर :
(a) नाइट्रोजन विहीन अम्लीय पादप हार्मोन : गिब्बरेलिन।
(b) गैसीय पादप हार्मोन : इथीलिन।

प्रश्न 9.
एक पादप हार्मोन का नाम बताइए जिसमें नाइट्रोजन नहीं है और इसका एक कार्य बताइए।
उत्तर :
(a) गिब्बरेलिन एक पादप हार्मोंन है जिसमें नाइट्रोजन नहीं है।
(b) कार्य – यह बीजहीन फल के उत्पादन में सहायक है।

प्रश्न 10.
एक पादप हार्मोन और दो जंतु हार्मोन्स का नाम बताइए।
उत्तर :
पादप हार्मोन : आंक्सीन।
जंतु हार्मोन : थायरॉक्सीन, इन्सुलिन।

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प्रश्न 11.
शीर्ष प्रभाविता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
पौधों में हार्मोन का स्रोत (Source) तना या जड़ का शीर्ष भाग है। शीर्ष भाग की कोशिकाओं में विभाजन की क्षमता होती है। इस भाग से उत्पन्न हार्मोन ही शरीर के सभी अंगों की क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं। इसी को शीर्ष प्रभाविता कहते हैं।

प्रश्न 12.
दो कृत्रिम संश्लेषित पादप हार्मोन्स का नाम बताइए।
उत्तर :

  1. नैफ्थालिन एसिटिक अम्ल [Naphthalene Acetic Acid (NAA)],
  2. इंडोल प्रोपिआनिक अम्ल [Indole Propionic Acid (IPA)].

प्रश्न 13.
दो प्राकृतिक पादप हार्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर :

  • ऑक्सीन या इंडोल एसिटिक अम्ल (IAA)
  • गिब्बरेलिन (GA)

प्रश्न 14.
गिब्बरेलिन कैसे पौधों के आनुवांशिक बौनापन को दूर करता है ?
उत्तर :
गिब्बरेलिन के प्रभाव से तने के पर्व (internodes) की लम्बाई बढ़ जाती है जिससे पौधे अधिक लम्बे होते हैं।

प्रश्न 15.
तीन कुत्रिम या सिंथेटिक पादप हार्मोन के नाम लिखो।
उत्तर :

  • I.B.A. – Indole Butyric Acid
  • I.P.A. – Indole Propionic Acid
  • N.A.A. – Napthalene Acetic Acid

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प्रश्न 16.
ऑक्सिन की खोज किसने तथा कब सबसे पहले किया ?
उत्तर :
सर्वप्रथम F.W. Went नामक वैज्ञानिक ने सन् 1928 में जई पौधों के प्रांकुर में ऑंक्सिन की उपस्थिति को प्रमाणित किया था।

प्रश्न 17.
ऑक्सिन कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर :
ऑक्सिन प्राय: तीन प्रकार के होते हैं-

  1. Auxin a (Auxenotriotic Acid) ऑक्जेनोट्राओटिक अम्ल – C13 H82 O8
  2. Auxin b (Auxenolonic Acid) ऑक्जेनोलोनिक अम्ल – C12 H30 O5
  3. Hetro Auxin (Indole Acetic Acid) इन्डाल एसिटिक अम्ल -C12 H8 O2N

प्रश्न 18.
पौधों में किन्हीं दो प्राकृतिक हार्मोन्स का एक-एक कार्य बताइए।
उत्तर :

  1. ऑक्सिन का कार्य : यह कोशिका विभाजन की दर को तेज कर वृद्धि में सहायक है।
  2. गिब्रेलिन का कार्य : यह बीज के भूण की सुषुप्तावस्था को दूर कर अंकुरण की दर में वृद्धि करता है।
  3. साइटोकाइनिन का कार्य : यह विकास में सहायक है।

प्रश्न 19.
एक नॉन अम्लीय पादप हार्मोन का नाम तथा इसका एक प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर :

  1. साइटोकाइनिन
  2. यह कोशिका विभाजन के समय साइटोकाइनेसिस की क्रिया में सहायक है।

प्रश्न 20.
वृद्धि प्रोत्साहक से क्या समझते हो ?
उत्तर :
ऐसा हार्मोन जो पौधों की वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं, वृद्धि प्रोत्साहक (Growth Promotor) कहलाते हैं। सामान्य सान्द्रता में काइनिन, ऑक्सिन, गिब्रेलिन आदि वृद्धि प्रोत्साहक होते हैं।

प्रश्न 21.
वृद्धि हार्मोन क्या है ?
उत्तर :
वृद्धि के नियंत्रण तथा नियमन में भाग लेने वाले हार्मोन को वृद्धि हार्मोन कहते हैं। जैसे- जन्तुओं में STH या GH तथा पौधों में ऑक्सिन तथा काइनिन आदि।

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प्रश्न 22.
लोकल हार्मोन क्या है ?
उत्तर :
ऐसे हार्मोन जिनकी क्रियाशीलता उत्पन्न स्थल ग्रंथि तक ही सीमित रहती है, उन्हें Local hormone कहते हैं। जैसे- सेक्रेटीन, गैस्ट्रीन आदि।

प्रश्न 23.
पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग तथा पश्च भाग से स्रावित होने वाले हार्मोन के नाम बताओ।
उत्तर :
पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग (Adenopophysis) से सावित होने वाले हार्मोन- STH, TSH, ACTH, GTH (FSH & ICSH) और LTH हैं।
पिट्यूटरी ग्रंथि के पश्थ भाग (Neuropophysis) से स्रावित होने वाले हार्मोन- ऑक्सीटोसिन (Oxytocin) तथा ADH हैं।

प्रश्न 24.
पीयूष ग्रंधि को गुरु ग्रंथि क्यों कहते हैं ?
अथवा
कौन सी ग्रंथि मास्टर ग्रंथि कहलाती है और क्यों ?
उत्तर :
पिट्यूटरी ग्रंथि को मास्टर ग्रंथि कहा जाता है क्योंकि इस ग्रंथि का साव सभी ग्रंथियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण रखता है।

प्रश्न 25.
एक ट्राफिक हार्मोन का नाम लिखकर उसका एक कार्य बताइए।
उत्तर :
Somato Trophic Hormone (S.T.H.) : यह पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग से स्रावित होने वाला जन्तु हार्मोन है। यह हार्मोन प्रोटीन प्रकृति का होता है।
कार्य :

  1. यह हार्मोन R.N.A. तथा D.N.A. के संश्लेषण तथा शरीर की वृद्धि को प्रभावित करता है।
  2. यह शरीर में प्रोटीन संश्लेषण को प्रभावित करता है।
  3. यह शरीर में पेशियों तथा अस्थियों का विकास करता है।

प्रश्न 26.
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ क्या हैं ?
उत्तर :
पहुँचाती है, उन्हें अन्त:सावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। जैसे- पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉइड ग्रंथि आदि।

प्रश्न 27.
बहि:स्रावी ग्रंथियाँ क्या हैं ?
उत्तर :
ऐसी ग्रन्थियाँ जो अपने स्राव को नलिकाओं द्वारा बाहर स्थित विभिन्न अंगों को भेजती है, उन्हें बहि: स्रावी ग्रन्थियाँ कहते हैं। जैसे- अग्याशय, यकृत आदि।

प्रश्न 28.
मिश्रित ग्रंथि क्या है ? एक उदाहरण दो।
अथवा
मिश्रित ग्रंथि से आप क्या समझते हो एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
ऐसी ग्रन्थियाँ जो अन्तः स्रावी तथा बहि : स्रावी दोनों तरह की प्रकृति धारण करती है, मिश्रित ग्रन्थियाँ (Mixed glands) कहलाती हैं। जैसे- अग्न्याशय आदि।

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प्रश्न 29.
ग्लूकागॉन क्या है ?
उत्तर :
आइसलेट ऑफ लैंगरहेंस के α (अल्फा) कोशिका से उत्पन्न होने वाला यह एक जन्तु हार्मोन है। यह ग्लूकागॉन को ग्लूकोज में बदलकर रक्त में ग्लूकोज की मात्रा का नियंत्रण करता है।

प्रश्न 30.
न्यूरोहार्मोन क्या है ?
उत्तर :
तंत्रिका तंत्र के हाइपोथैलमस में उपस्थित न्यूरो सेक्रेटरी कोशिकाओं द्वारा स्रावित रासायनिक पदार्थ को न्यूरोहार्मोन कहते हैं। जैसे- Oxytocin तथा Vasopresin

प्रश्न 31.
ट्रॉफिक हार्मोन क्या है ? उदाहरण दो।
उत्तर :
एक अन्तः स्रावित ग्रंथि से स्रावित होने वाला हार्मोन जो दूसरी नलिका विहींन ग्रंथियों के क्रिया पर नियंत्रण करते है, उन्हें ट्रोंफिक हार्मोन कहते हैं। जैसे- T.S.H., A.C.T.H. आदि।

प्रश्न 32.
डायबिटिज मैलिटस या मधुमेह किस हार्मोन की कमी के कारण होता है? यह हार्मोन कहाँ से स्रावित होता है ?
उत्तर :
इन्सुलिन हार्मोन की कमी के कारण मधुमेह (Diabetes melitus) नामक रोग होता है। यह अगन्याशय के आइसलेट आंफ लैंगरहेन्स के बीटा (β) कोशिका द्वारा सावित होता है।

प्रश्न 33.
ऐसे जन्तु तथा पौधे का नाम बताओ जिसमें पार्थेनोजेनेसिस की क्रिया होती है ?
उत्तर :
पार्थेनोजेनेसिस की क्रिया जन्तुओं में मधुमक्खी, चीटी तथा पौधों में केला, अंगुर आदि में पाया जाता है।

प्रश्न 34.
क्रिटीनिज्म क्या है ?
उत्तर :
थाइरॉंक्सिन हार्मोन की कमी के कारण बच्चों में होने वाला यह एक रोग है। इसमें बच्चों की शारीरिक तथा मानसिक बुद्धि नहीं हो पाती है। पेट निकल जाता है। यौन लक्षण का विकास नहीं हो पाता है। BMR कम हो जाता है। हृदय गति मंद, शरीर सुस्त हो जाता है।

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प्रश्न 35.
पीयूष ग्रंथि के किस हार्मोन के स्राव से अण्डाशय तथा वृषण का साव नियंत्रित होता है ?
उत्तर :
गोनैडो ट्राफिक हार्मोन।

प्रश्न 36.
मनुष्य के शरीर के एक अन्त: स्रावी ग्रंथि का नाम तथा स्राव बताइए।
उत्तर :
पिदुइटरी ग्रंथि।

प्रश्न 37.
अल्फा (α) तथा बीटा (β) कोशिकाएँ क्या हैं ?
उत्तर :
अल्फर : अग्नाशय को दीवाल में उपस्थित कोशिकायें जो अन्त:सावी ग्रंथि के रूप में ग्लूकान और इन्सुलिन हार्मोन उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 38.
पीयूष ग्रंधि को हाइपोफाइसिस के नाम से क्यों जाना जाता है ?
उत्तर :
क्योंकि यह ग्रंथि अग्रमस्तिष्क के ‘हाइपोथैलमस’ के अधर भाग से जुड़ी है।

प्रश्न 39.
क्या होगा जब अग्नाशय से लैंगरहैंस की द्वीपिका नष्ट हो पेगी ?
उत्तर :
हार्मोन उत्पन्न नहीं होंगे।

प्रश्न 40.
घेंघा रोग में आयोडिन युक्त नमक लेने की सलाह दी जाती है, क्यों ?
उत्तर :
आयोडिन थायराक्सिन हार्मोन का एक अवयव है। इसके निमार्ण के लिए ही आयोडिन युक्त नमक लेने की सलाह दी जाती है।

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प्रश्न 41.
प्रोजेस्टेरॉन क्या है ?
उत्तर :
यह अण्डाशय के कारपस ल्यूटियम से स्रावित एक लिंग हार्मोन है। यह गर्भाशय में अण्डा तथा भूण के विकास में सहायक है। यह स्तन घुण्डियों के विकास में तथा दूध के स्राव में सहायता करता है।

प्रश्न 42.
मिक्सोडेमा क्या है ?
उत्तर :
थाइरॉंक्सिन हार्मोन की कमी के कारण व्यस्कों में होने वाला यह एक रोग है। इस रोग में आँख तथा मुँह फूल जाता है। इसमें त्वचा खुरदरा, मोटी तथा शुष्क हो जाते हैं। गले की आवाज मोटी हो जाती है। बाल झड़ने लगते हैं।

प्रश्न 43.
थाइरॉक्सिन के अधिक स्राव से क्या होता है ?
उत्तर :
थाइरॉक्सिन के अधिक स्राव से Grav’s disease होता है। इस रोग में आँख बाहर की ओर निकली हुई दिखाई पड़ती है। व्यक्ति का स्वभाव चिड़िड़ा हो जाता है। मेटाबोलिज्म की दर बढ़ जाती है तथा शरीर का भार घट जाता है।

प्रश्न 44.
ऐक्रोमेगाली क्या है ?
उत्तर :
यह व्यस्कों में S.T.H. हार्मोन की अधिकता के कारण होने वाला रोग है। इस रोग में जबड़े की लम्बाई बढ़ जाती है। ललाट चौड़े तथा मोटे हो जाते हैं। हाथ-पैर में अनियमित वृद्धि होती है। शरीर की आकृति बेड़ल हो जाती है।

प्रश्न 45.
Addison’s रोग क्या है ?
उत्तर :
यह एड्रीनल ग्रंथि के कार्टेक्स भाग से स्रावितहार्मोन की कमी से होने वाला रोग है। इस रोग में रक्त चाप कम हो जाता है। पाचन शक्ति कम हो जाती है। प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। पेशीय तंत्र तथा तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है।

प्रश्न 46.
हार्मोन तथा इन्जाइम में दो अन्तर बताओ।
उत्तर :

  1. हार्मोन का अणु भार इन्जाइम की अपेक्षा कम होता है। इन्जाइम का अणुभार अपेक्षाकृत हार्मोन से अधिक होता है।
  2. हार्मोन क्रिया समाप्ति के पश्धात् नष्ट हो जाते हैं। इन्जाइम क्रिया समाप्ति के बाद निष्क्रिय अवस्था में आ जाते हैं।

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प्रश्न 47.
घेघा क्या है ?
उत्तर :
यह एक ऐसा रोग है जो मनुष्य में आयोडीन की कमी के कारण होता है। आयोडीन की कमी के कारण थायरॉइड ग्रंथि आकार में बढ़ जाती है और गला फूलकर आगे की ओर बढ़ जाता है, जिसे घेघा (Goitre) कहते हैं।

प्रश्न 48.
आइसलेट के लैंगर हेन्स से किस हार्मोन का स्राव होता है? इस हार्मोन का कार्य क्या है?
उत्तर :
आइसलेट के लैंगर हेन्स के अल्फा (α) कोशिका से glucagon तथा (β) कोशिका से Insulin सावित होता है।
Glucagon का कार्य : रक्त में ग्लूकोज की कमी होने पर ग्लाइकोजेन को ग्लूकोज में बदल देता है तथा रक्त में पहुँचा देता है।
Insulin का कार्य : यह रक्त के अत्यधिक ग्लूकोज को ग्लाइकोजेन में बदलने का कार्य करता है।

प्रश्न 49.
कौन सा हार्मोन आपातकालीन हार्मोन कहलाता है ?
Or
एड्रिनैलिन या एपिनेफ्रिन क्या है ?
उत्तर :
एड्रिनैलिन एड्रिनल ग्रंथि के मेडूला भाग से स्रावित होने वाला हार्मोन है। यह लिपिड प्रकृति का होता है। यह शरीर में उत्पन्न आकस्मिक घटनाओं को नियंत्रित करता है, अत: इसे आपातकालीन हार्मोन (Emergency hormone) भी कहते हैं। इसकी अधिकता से हुदय गति तथा रक्तचाप बढ़ जाता है। रोंगटे खड़े, हो जाते हैं।

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प्रश्न 50.
थायरॉइड उत्तेजक हार्मोन और थाइरॉक्सिन हार्मोन का स्राव कहाँ से होता है ?
उत्तर :
थायरॉइड उत्तेजक हार्मोन (Thyroid stimulating hormone) पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग (Adenopophysis) से सावित होता है। थाइरॉक्सिन हार्मोन का साव थायरॉइड ग्रंथि से होता है।

प्रश्न 51.
हार्मोन उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों को अन्तःस्रावी ग्रंथि क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
हार्मोन उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों का स्राव अन्तर्मुखी होता है तथा इन ग्रंथियों में स्राव को ले जाने के लिए कोई नली नहीं होती है। इसलिए इन्हें अन्तःसावी ग्रंथि या नलिका विहीन ग्रंथि कहा जाता है।

प्रश्न 52.
Exopthalmic घेघा क्या है ?
उत्तर :
थाइरॉक्सिन हार्मोन की अधिकता से थायरॉइड ग्रंथि बढ़ जाती है तथा गला फूल जाता है। आँखें बाहर की ओर उभर जाती हैं तथा पलकें मोटी हो जाती हैं।

संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS

प्रश्न 1.
किस ग्रंथि को उपर्युक्त वृक्कीय (सुप्रा रीनल) ग्रंथि कहते हैं और क्यों ?
उत्तर :
ऐड्निनल ग्रंथि को सुप्रा रीनल ग्रंथि कहते हैं। क्योंकि यह वृक्कों के शीर्ष पर टोपी की तरह स्थित होती है।

प्रश्न 2.
हार्मोन क्रिया में ऋणात्मक सलाह (राय) नियंत्रण का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
TRH के क्रिया के अनुसार पियूष ग्रंथि से TSH का साव होता है। TSH थायराड ग्रंथि को उत्तेजित करती है। जिसके परिणाम स्वरूप थायराक्सिन हार्मोन उत्पन्न होता है। रक्त में थायराक्सिन की अधिकता होने पर अब TRH पियूष ग्रंधि को कम थायराक्सिन उत्पत्न करने की सलाह देता है।

प्रश्न 3.
एड्रीनैलिन हार्मोन को आपातकालीन हार्मोन क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
आपातकालीन परिस्थितियों या संकटकालीन अवस्था में एड्रीनैलिन हार्मोन का स्ताव एड्रीनल ग्रंथि से होता है। अचानक भय लगने या दु:ख के क्षणों में इस हार्मोन का साव होता है। यही कारण है कि एड़ीनैलिन हार्मोन आपातकालीन हार्मोन (Emergency hormone) कहलाता है।

प्रश्न 4.
अग्न्याशय को मिश्रित ग्रंथि क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
अग्न्याशय (Pancreas) मूल रूप से एक पाचक ग्रंथि है जिसकी अपनी नली होती है। इसके अलावे इसकी दीवाल में हार्मोन का स्राव करने वाली नलीविहीन अन्तः स्रावी कोशिकाएँ भी पायी जाती हैं। इसलिए अग्नाशय को मिश्रित ग्रंथि (Mixed gland) कहते हैं।

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प्रश्न 5.
हार्मोन रासायनिक संयोजक क्यों कहलाता है ?
उत्तर :
हार्मोन जटिल कार्बनिक रासायनिक पदार्थ होते हैं। यह अपने उत्पत्ति स्थल से दूर प्राप्त निर्देशों के अनुरूप दूसरे ऊत्तकों में होने वाली जैविक क्रियाओं पर नियंत्रण तथा नियमन करते हैं। साथ ही साथ विभिन्न अंगों के कार्यों में सामंजस्य स्थापित करते हैं। इसलिए हार्मोन को रासायनिक संयोजक (Chemical Co-ordinator) कहते हैं।

प्रश्न 6.
हार्मोन रासायनिक दूत कहलाता है, क्यों ?
उत्तर :
हार्मोन जटिल रासायनिक पदार्थ होते हैं। यह अपने उत्पत्ति स्थल से दूर ही कार्य करते हैं तथा वहाँ होने वाली विभिन्न जैविक क्रियाओं का नियंत्रण तथा नियमन करते हैं। हार्मोन अपने उदगम स्थान से प्राप्त निर्देशों को दूत की तरह दूसरे अंग में पहुँचाता है। इसीलिए हार्मोन को रासायनिक दूत (Chemical messenger) कहा जाता है।

प्रश्न 7.
एड्रीनल ग्रंधि तीन FS (FFF) भी कहलाती है, क्यों ?
उत्तर :
एड्रीनैलिन हार्मोन तीन FS (FFF) भी कहलाती है। 3 F S का अर्थ होता है- F से बने तीन शब्द, F=F right (भय), F= Fight (लड़ाई), F=Flight (भागना)। चूँकि एड्रीनलिन हार्मोन आपातकालीन हार्मोन कहलाता है, इसलिए इस हार्मोन को तीन FS (FFF) भी कहते हैं।

प्रश्न 8.
वृषण तथा अण्डाशय नलिका विहीन ग्रंथियाँ क्यों कहलाती हैं ?
उत्तर :
हार्मोन का स्राव प्राय: नलिका विहीन (अन्त:सावी ग्रंथियो) से ही होता है। अण्डाशय तथा वृषण से भी हार्मोन का स्राव होता है। अण्डाशय से Oestrogen हार्मोन तथा वृषण से टेस्टोसटेरॉन (Testosterone) हार्मोन का स्राव होता है। इस प्रकार हार्मोन स्राव के आधार पर इन्हें भी नलिका विहीन ग्रंथि (Ductless gland) कहा जाता है।

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प्रश्न 9.
हार्मोन वृद्धि नियंत्रक कारक क्यों कहलाता है ?
उत्तर :
हार्मोन जन्तुओं में विभिन्न क्रियाओं द्वारा शारीरिक वृद्धि को नियत्रित करते हैं। पौधों में कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्घीकरण कर पौधों की वृद्धि को बढ़ाते हैं। इसी कारण हार्मोन को वृद्धि नियंत्रक कारक (Growth regulating factor) कहा जाता है।

प्रश्न 10.
घेघा को रोकने के लिए आयोडीन युक्त लवण की सलाह क्यों दी जाती है ?
उत्तर :
थाइरॉक्सिन हार्मोन की कमी के कारण थायरॉइड ग्रंथि फूल जाते हैं और घेघा निकल आता है। आयोडीन तत्व थाइरॉंक्सिन हार्मोन के निर्माण के लिए आवश्यक है। इसलिए घेघा(goitre) को रोकने के लिए आयोडीन युक्त लवण(lodized salt) के उपयोग की सलाह दी जाती है। आयोडीन युक्त लवण थाइरॉक्सिन हार्मोन के साव की दर को उत्तेजित करता है।

प्रश्न 11.
पेड़ की शाखा के कटे भाग से कई शाखायें निकल आती हैं, क्यों ?
उत्तर :
तने के शीर्ष पर अग्रस्थ प्रविभाजी ऊत्तक पाये जाने के कारण इसमें निरन्तर विभाजन की क्रिया होती है। इस अग्रस्थ प्रविभाजी ऊत्तक से ऑक्सिन हार्मोन का साव होता है। यदि तने के शीर्ष को काटा जाता है तो कटे हुए भाग पर ऑक्सिन फैल जाता है जिससे कोशिका विभाजन की दर भी बढ़ जाती है और कटे भाग से अनेक शाखायें निकल आती हैं।

प्रश्न 12.
हार्मोन की विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर :

  1. हार्मोन कम अणु भार वाले जटिल कार्बनिक यौगिक है।
  2. हार्मोन अपने उत्पत्ति स्थान या अन्य कोशिका में संग्रहित नहीं होते।
  3. ये जल में अत्यधिक घुलनशील होते हैं।
  4. यूह स्वयं बहुत ही कम सान्द्रता पर क्रियाशील होते हैं।
  5. हार्मोन क्रिया के बाद नष्ट या उत्सर्जित हो जाते हैं।
  6. ये रासायनिक रूप से जैविक क्रियाओं का नियंत्रण तथा समन्वय करते हैं।

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प्रश्न 13.
हार्मोन के क्या-क्या कार्य हैं ?
उत्तर :
हार्मोन के कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. हार्मोन चयापचय (Metabolic) क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
  2. हर्मोन कोशिका विभाजन तथा वृद्धि में सहायक है।
  3. यह एक कोशिका से दूसरी कोशिका के बीच समन्वय स्थापित करता है।
  4. यह जनन अंगों के विकास तथा यौन लक्षणों को उदय करता है।
  5. हार्मोन शरीर को विभिन्न रोगों से मुक्त रखता है।

प्रश्न 14.
साइटोकाइनिन हार्मोन की परिभाषा लिखो। साइटोकाइनिन हार्मोन की उत्पत्ति स्थल क्या है ?
उत्तर :
साइटोकाइनिन हार्मोन की परिभाषा : नाइट्रोजन युक्त प्यूरीन समूह वाले वे कार्बनिक क्षार जो कोशिका विभाजन को उत्तेजित करते हैं तथा वृद्धि प्रेरक होते हैं, उन्हें साइटोकाइनिन हार्मोन कहा जाता है।
उत्पत्ति स्थान (Site of formation) : साइटोकाइनिन हार्मोन अधिकतर फलों जैसे- सेव, केला, टमाटर आदि तथा भूणपोष उत्तकों में संश्लेषित होते हैं। मक्का के भ्रूणपोष तथा नारियल के दूध में अधिक मात्रा में साइटोकाइनिन पाया जाता है।

प्रश्न 15.
साइटोकाइनिन हार्मोन के कार्यों का उल्लेख करो।
उत्तर :
साइटोकाइनिन हार्मोन के कार्य निम्नलिखित हैं –

  1. साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन के समय कोशिका द्रव्य के विभाजन में सक्रिय भाग लेता है।
  2. यह भूण के विकास में सहायक है।
  3. यह अपरिपक्व पत्तियों, फूलों तथा फलों को गिरने से रोकता है।
  4. कोशिकाओं के आकार में वृद्धि करने में सहायक है।
  5. यह हार्मोन अंकुरण में सहायता करता है।

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प्रश्न 16.
ऑक्सिन हार्मोन का एक स्रोत तथा दो व्यवहारिक उपयोग बताओ।
उत्तर :
ऑक्सिन हार्मोन पौधों के तथा जड़ के शीर्ष प्रविभाजी ऊत्तक से उत्पन्न होता है।
व्यवहारिक उपयोग :

  1. ऑक्सिन हार्मोन पौधों की वृद्धि तथा विकास में सहायता करता है।
  2. अनावश्यक घासों को नष्ट करने तथा कच्चे फलों तथा पत्तियों को झड़ने से रोकने में सहायता करता है।

प्रश्न 17.
पार्थेनोकार्पी की परिभाषा क्या है तथा कृषि में इसकी क्या भूमिका है ?
उत्तर :
पार्थेनोकार्पी : ऑक्सिन के प्रभाव से अण्डाशय निषेचन के बिना ही फल में बदल जाता है। इस प्रकार उत्पन्न फल बीज रहित होते हैं तथा इस क्रिया को पार्थेनोकार्पी कहते हैं। जैसे- नींबू, संतरा, केला, अंगूर आदि पार्थेनोकार्पी फल उत्पन्न करने में ऑक्सिन हार्मोन का मुख्य योगदान है। पार्थेनोकार्पी का फलों के बाजार में अधिक मात्रा माँग है। इसलिए कृषि को उन्नत करने के लिए पार्थेनोकार्पी अहम भूमिका निभाता है।

प्रश्न 18.
Hyper glycemia क्या है ?
उत्तर :
जब इन्सुलिन का स्राव सामान्य से कम हो जाता है तो Diabetes mellitus नामक रोग हो जाता है। इस रोग में ग्लाइकोजेन तथा वसा के ग्लूकोज में बदलने के कारण रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। इस अवस्था को Hyperglycemia कहते हैं।

प्रश्न 19.
टेस्टोस्टेरान तथा प्रोजेस्टेरान का निर्माण स्थल तथा इनके कार्य बताओ।
उत्तर :
टेस्टोस्टेरान (Testosterone) :-

निर्माण स्थल : यह वृषण के इन्टरस्टीटियल कोशिकाओं द्वारा स्रावित होता है।
कार्य :

  • शुक्राणु के निर्माण में सहायता करना।
  • पुरुषों के सहायक लैंगिक अंगों के विकास में सहायता करना।
  • गोण लैंगिक लक्षणों के विकास में सहायता करना।

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प्रोजेस्टेरान (Progesterone) : यह अण्डाशय के कार्पस लुटियम, प्लेसेण्टा से स्रावित होता है।
कार्य :

  • गर्भावस्था को बनाये रखने में सहायता करता है।
  • स्तन घुण्डियों के विकास तथा प्लेसेण्टा के निर्माण में सहायता करता है।
  • प्रसव के समय गर्भाशय की पेशियों के प्रसारण तथा संकुचन में सहायता करता है।

प्रश्न 20.
मानव शरीर के किन्हीं तीन अन्तःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखो।
उत्तर :
अन्तःस्रावी ग्रंधियाँ (Endocrine glands) :-

  • थायरॉइड ग्रंथि (Thyroid gland)
  • एड्रीनल ग्रंथि (Adrenal gland)
  • पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary gland)

प्रश्न 21.
तीन जन्तु हार्मोन के नाम बताओ जो पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित नहीं होते हैं तथा उनका स्रोत बताओ।
उत्तर :

  1. थाइरॉंक्सिन (Thyroxine) हार्मोन थायरॉइड ग्रंथि से खावित होता है।
  2. एड्रीनैलिन हार्मोन एड्रीनल ग्रंथि से स्रावित होता है।
  3. टेस्टोस्टेरान (Testosterone) नामक हार्मोन बृषण (Testis) से।

प्रश्न 22.
कृत्रिम हार्मोन के क्या उपयोग हैं ?
उत्तर :
कृत्रिम हार्मोन के उपयोग से पौधों की वृद्धि तथा कलिकाओं को खिलाने में सहयोग मिलता है। इसके अलावे समय से पहले फलों को झड़ने से रोकने एवं एक अन्तराल पर फलों को पकाने के लिए भी किया जाता है। इन हार्मोन्स को विभिन्न रासायनिक पदार्थों द्वारा प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है। जैसे-नेष्थेलिन एसिटिक एसिड – NAA.

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प्रश्न 23.
प्राणियों की विभिन्न शारीरिक क्रियायें किस प्रकार सही समय एवं क्रम में नियंत्रित होती रहती हैं ?
उत्तर :
हॉर्मोन वे विशिष्ट कार्बनिक यौगिक हैं जो बहुत कम मात्रा में अंत: सावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं। इनकी बहुत थोड़ी मात्रा ही विभिन्न के शरीर-क्रियात्मक कार्यों के नियंत्रण और समन्वय के लिए पर्याप्त होती हैं। हॉर्मोन प्रेरक का कार्य करता है, अर्थात्रक्त-परिसंचरण के माध्यम से जब यह अपने लक्ष्य अंगों में पहुँचता है तब यह उन अंगों में कुछ विशिष्ट परिवर्तनों को प्रेरित करता है। तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय की अपेक्षा हॉर्मोन-नियंत्रण एवं समन्वय का प्रभाव अपेक्षाकृत धीरे-धीरे होता है, परन्तु इनके द्वारा उत्पन्न प्रभाव देर तक टिकता है। इनकी रासायनिक रचना जटिल होती है।

प्रश्न 24.
हार्मोन्स का स्रवण यदि अपेक्षित स्तर पर न हो तो क्या होता है ?
उत्तर :
हार्मोन विभिन्न प्रकार के रासायनिक अणुओं में सूचना का कार्य करता है। इनका सवण अनेक प्रकार की कोशिकाओं, ऊतकों और पूर्ण ग्रंथियों द्वारा होता है। यह मनुष्य के अनेक अंगों, तंत्रों एवं कार्यो का नियत्रण एवं समन्वय करता है। इस प्रक्रिया की पूर्ति के लिए प्रत्येक हार्मोन के कुछ लक्ष्य कोशिका होते हैं जिस पर क्रिया करके ये कोशिकाओं के द्वारा संश्लेषणात्मक चपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण करता है। यदि इसका अपेक्षित सवर नहीं होता है तो मनुष्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है।

दीर्घउत्तरीय प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS

प्रश्न 1.
हार्मोन क्या है ? गिब्रेलिन हार्मोन का निर्माण स्थल तथा कार्य बताओ। 2 + 3
उत्तर :
हार्मोन : वे जटिल कार्बनिक रासायनिक पदार्थ जो सजीवों में होने वाली जैविक क्रियाओं का नियंत्रण, नियमन एवं उनमें सामंजस्य स्थापित करते हैं, उन्हें हार्मोन कहते हैं।
गिब्रेलिन की उत्पत्ति : गिब्रेलिन हार्मोन की उत्पत्ति मुख्य रूप से परिपक्व बीज, अंकुरित बीज, बीजपत्र तथा कलियों के अन्दर होता है।
कार्य (Function) :

  1. यह पौधों के लम्बाई की वृद्धि में तथा फूल के खिलने में सहायता करता है।
  2. यह पत्ती, फूल तथा फलों के आयतन में वृद्धि तथा बीजरहित फलों की उत्पत्ति में सहायक है।
  3. यह कोशिका विभाजन में सहायक है।
  4. यह नासपाती, सेव आदि पौधों के फल धारण में सहायक है।

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प्रश्न 2.
ऑक्सिन की परिभाषा लिखो। ट्रॉपिक गति तथा बीजहीन फलों के उत्पादन में ऑक्सिन की क्या भूमिका है ? 2 + 3
उत्तर :
ऑक्सिन : पौधें के वृद्धि प्रदेश से उत्पन्न होने वाला अम्लीय नाइट्रोजन युक्त पादप हार्मोन जो पौधों के मूल तंत्र तथा प्ररोह तंत्र को नियंत्रित करता है, ऑक्सिन कहलाता है। यह पौधों के तनों, जड़ों के शीर्ष भाग, कलिकाओं तथा नये पत्तों की कोशिकाओं में उत्पन्न होते हैं।

ट्रॉपिक गति में ऑक्सिन की भूमिका (Role of Auxin in tropic movement) : ऑक्सिन हार्मोन का प्रभाव पौधों की ट्रॉपिक गतियों पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। तना या जड़ के प्रकाशित भाग पर ऑक्सिन की मात्र कम होती है तथा जिस भाग पर प्रकाश नहीं पड़ता है उस भाग पर ऑक्सिन की मात्रा अधिक होती है। अप्रकाशित भाग पर वृद्धि ज्यादा होती है। इसलिए तना प्रकाश की ओर मुड़ जाता है और तना धनात्मक प्रकाश अनुवर्ती (Positively phototropic) कहलाता है। जड़ों में ओंक्सिन की मात्रा अधिक होने के कारण वृद्धि कम होती है। जड़ अप्रकाशित भाग की ओर मुड़ जाता है। इसलिए जड़ें ऋणात्मक प्रकाश अनुवर्ती (Negatively phototropic) कहलाता है।

बीज रहित फलों के निर्माण में ऑक्सिन की भूमिका (Role of Auxin in production of seedless fruit) : ऑक्सिन के प्रभाव से अण्डाशय निषेचन के बिना ही फल में परिणत हो जाता है। इस प्रकार उत्पन्न फल बीजरहित होते हैं। इस क्रिया को पार्थेनोकार्पी कहते हैं। इस प्रकार उत्पत्र फल पार्थेनोकार्पिक फल कहलाता है। जैसे- केला, नींबू, अंगूर आदि।

प्रश्न 3.
फाइटोहार्मोन की परिभाषा लिखो। फाइटोहार्मोन कितने प्रकार के होते हैं ? पौधों के मुख्य हार्मोन कौन-कौन हैं ? 3 + 2
उत्तर :
फाइटोहार्मोन : पौधों में उत्पन्न होने वाले वे जटिल कार्बनिक यौगिक जो वृद्धि नियंत्रित करते हैं तथा पौधों में होने वाली जैविक क्रियाओं में समन्वय स्थापित करते हैं, उन्हें फाइटोहार्मोन कहते हैं।
अर्थात् वनस्पति हार्मोन ही फाइटोहार्मोन कहलाता है। फाइटो हार्मोन निम्न प्रकार के होते है :
(a) प्राकृतिक (Natural) : वे हार्मोन जो पौधों की कोशिकाओं में स्वतः संश्लेषित होते हैं, उन्हें प्राकृतिक हार्मोन कहते हैं। जैसे- काइनिन, ऑक्सिन, गिब्रेलिन आदि।

(b) कृत्रिम (Artificial) : प्रयोगशाला में तैयार किये जाने वाले वे रासायनिक पर्दार्थ जिनकी प्रकृति पादप हार्मोन के समान होती है तथा जो पौधों की वृद्धि तथा कलिकाओं के खिलने में सहायक होते हैं, उन्हें कृत्रिम हार्मोन कहते हैं। जैसेNapthalene Acetic Acid (N.A.A.), Indole Acetic Acid (I.A.A.), Indole Propionic Acid (I.P.A.)

(c) परिकल्पित (Hypothetical): वे हार्मोन जिनके पौधों के अन्दर उपस्थित रहने की परिकल्पना की जा रही है, उन्हें परिकल्पित कहते हैं। जैसे- भरनालिन, डारमिन आदि।

पौधों के प्रमुख हार्मोन :

  1. ऑक्सिन (Auxin)
  2. काइनिन (Kinin)
  3. गब्रेलिन (Gibbrellin) आदि।

प्रश्न 4.
ऑक्सिन, गिब्रेलिन तथा काइनिन के स्रोत बताओ। ऑक्सिन का व्यावहारिक उपयोग बताओं। 3 + 2
उत्तर :
ऑक्सिन के स्रोत : ऑक्सिन की उत्पत्ति पौधों के अग्र प्रविभाजी ऊत्तक विशेष रूप से तने के अग्रभाग, प्रांकुर, भूरण तथा नई पत्तियों की कोशिकाओं में होता है।
गिब्रेलिन के स्रोत : गिब्रेलिन हार्मोन परिपक्व बीज, अंकुरित बीज, बीजपत्र तथा कलियों के अन्दर उत्पन्न होता है।
काइनिन के स्रोत : यह बीजों के बीजपत्र, पके फलों जैसे- टमाटर, सेव, केला आदि के भूणपोष में होता है।
ऑक्सिन का व्यावहारिक उपयोग (Practical application of Auxin) :

  1. ऑक्सिन हार्मोन का उपयोग बीज रहित फलों के निर्माण में होता है।
  2. पौधों के लिंग निर्धारण में ऑक्सिन सहायता करता है।
  3. ऑक्सिन के छिड़काव से पत्ती, फल, फूल आदि को समय से पहले गिरने से रोका जा सकता है।
  4. अनावश्यक घासों को नष्ट करने के लिए कृत्रिम ऑंक्सि 2-4 D का छिड़काव किया जाता है।
  5. यह कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्घीकरण की क्रिया को प्रोत्साहित करता है।

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प्रश्न 5.
पादप हार्मोन क्या है ? हार्मोन के क्या-क्या कार्य हैं ? कृषि में पादप हार्मोन का उपयोग बताओ।
उत्तर :
पादप हार्मोन : वह कार्बनिक रासायनिक पदार्थ जो पौधों की शारीरिक वृद्धि, विकास, कोशिका विभाजन का प्रारम्भ आदि महत्वपूर्ण कार्यों का नियंत्रण करता है, पादप हार्मोन (Phytohormone) कहलाता है।
हार्मोन के कार्य (Function of hormone) :

  1. हार्मोन एक कोशिका से दूसरी कोशिका के बीच समन्वय स्थापित करता है।
  2. यह कोशिका में होने वाली जैव रासायनिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
  3. यह चयापचयी क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
  4. यह विभिन्न रोगों से शरीर को मुक्त रखने में सहायता करता है।
  5. यह जनन अंगों का विकास तथा यौन लक्षणों का प्रारम्भ करता है।

आजकल कृषि के क्षेत्र में पादप हार्मोन का बहुत अधिक योगदान है। कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक तथा कृत्रिम हार्मोन का प्रयोग करके कृषि को काफी उन्नतशील तथा उत्पादनकारी बनाया जा सकता है। कृषि में हार्मोन के उपयोग का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

  1. उद्यान विज्ञान (Horti culture) में कलमी पौधा तैयार करने में ऑंक्सिन हार्मोन का उपयोग किया जाता है।
  2. ऑक्सिन के प्रयोग से बीजरहित फल उत्पन्न किया जाता है।
  3. ऑक्सिन का उपयोग कर फलों तथा पेड़ों की पत्तियों को समय से पहले गिरने से बचाया जा सकता है।
  4. फलों के आकार को बढ़ाने तथा फलों को पकाने के लिए हार्मोन का उपयोग किया जाता है।
  5. फूलों के विकास तथा खिलने के लिए फ्लोरिजेन (Florigen) हार्मोन का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 6.
साइटोकाइनिन क्या है ? यह कहाँ पाया जाता है ? साइटोकाइनिन की प्रकृति तथा कार्य बताओ।
उत्तर :
साइटोकाइनिन या काइनिन : नाइट्रोजन युक्त प्यूरीन समूह वाला वह कार्बनिक यौगिक जो पौधों में वृद्धि को उत्प्रेरित करता है, उसे काइनिन या साइटोकाइनिन कहते हैं।
प्राप्ति स्थल : यह हार्मोन बीजपत्र, भूणपोष तथा फलों आदि में विशेष रूप से उत्पन्न होता है।

साइटोकाइनिन की प्रकृति (Nature of Cytokinin):

  1. काइनिन अपने उद्भम स्थल पर ही सक्रिय होते हैं।
  2. यह जल में घुलनशील है।
  3. यह लोकल हार्मोन की तरह कार्य करता है।
  4. यह DNA के संश्लेषण में तथा कैलस के निर्माण में सहायता करता है।

साइटोकाइनिन का कार्य (Function of Cytokinin) :

  1. यह भूण के विकास में सहायक है।
  2. यह अपरिपक्व पत्तियों, फूलों तथा फूलों को गिरने से रोकता है।
  3. यह RNA तथा DNA के निर्माण में सहायक है।
  4. यह कोशिकाओं के आकार की वृद्धि में सहायता करता है।
  5. यह म्रोटीन के विघटन को रोकता है।
  6. कलम के समय जड़ों की वृद्धि को सामान्य बनाये रखता है।

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प्रश्न 7.
ऑक्सिन, गिब्रेलिन तथा काइनिन क्या है ? इन हार्मोनों के मुख्य कार्यों का उल्लेख करो।
अथवा
तीन पादप हार्मोन का संक्षिप्त वर्णन करो। गिब्रेलिन हार्मोन का व्यवहारिक उपयोग बताओ।
उत्तर :
ऑक्सिन (Auxin) : यह Indole Acetic Acid प्रकृति का वनस्पति हार्मोन है। यह पौधों में तना तथा जड़ के अग्र प्रविभाजी ऊत्तक से उत्पन्न होता है तथा पौधों की वृद्धि को बढ़ाता है।

ऑक्सिन के कार्य (Function of Auxin) :

  1. इसका प्रमुख कार्य वृद्धि नियंत्रण है।
  2. बीज रहित फलों के निर्माण में सहायता करता है।
  3. यह लिंग निर्धरण में सहायता करता है।
  4. कृत्रिम ऑक्सिन-24D के छिड़काव से अनावश्यक खर-पतवार को नष्ट किया जाता है।

गिब्रेलिन (Gibbrellin): यह टरपिन्वायड समूह वाला नाइट्रोजन विहीन कार्बनिक अम्ल है जो पौधों की वृद्धि को नियंत्रित करता है। यह पके बीजों, अंकुरित पौधों तथा बीजपत्र आदि में पाया जाता है।

गिब्रेलिन के कार्य (Function of Gibbrellin) :

  1. यह कोशिका विभाजन में सहायक है।
  2. यह पौधों की लम्बाई की वृद्धि में तथा फूलों के खिलने में सहायता करता है।
  3. यह पत्ती, फूल तथा फल के आयतन में वृद्धि तथा बीज रहित फलों के निर्माण में सहायता करता है।
  4. यह सेव, अंगूर, नासपाती आदि पौधों के फल धारण में भी सहायक है।

काइनिन (Kinin) : नाइट्रोजन युक्त वह कार्बनिक यौगिक जो प्यूरीन वर्ग में उपस्थित रहता है तथा पौधों में वृद्धि को उत्प्रेरित करता है, उसे काइनिन या साइटोकाइनिन कहते हैं।

काइनिन के कार्य (Function of Kinin) :

  1. यह जल में घुलनशील है।
  2. यह अपने उद्गम स्थान पर ही कार्य करता है।
  3. यह भ्रूण के विकास में सहायक है।
  4. काइनिन RNA तथा DNA के निर्माण में सहायक है।

प्रश्न 8.
इनका पूरा नाम लिखो – IAA, IPA, IBA, ABA, 2-4D, NAA, ACTH, STH, TSH, GTH, FSH, LH, ICSH, ADH.
उत्तर :

  • IAA – Indole Acetic Acid
  • IPA – Indole Proprionic Acid
  • IBA – Indole Butyric Acid
  • ABA – Abscissic Acid
  • 2-4DorDA – Dichlorophenoxyl Acetic Acid
  • NAA – Napthalen Acetic Acid
  • ACTH – Adreno Cortico Trophic Hormone
  • STH – Somato Trophic Hormone
  • TSH – Thyroid Stimulating Hormone
  • FSH – Follicle Stimulating Hormone
  • LH – Luteinizing Hormone
  • ICSH – Interstitial Cell Stimulating Hormone
  • ADH – Anti Diuretic Hormone

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प्रश्न 9.
इन्सुलिन तथा थाइरॉक्सिन हार्मोन का निर्माण स्थल तथा कार्य बताओ।
उत्तर :
इन्सुलिन हार्मोन का निर्माण स्थल : इन्सुलिन आइसलेट ऑफ लैंगरहेन्स के β-Cells द्वारा स्रावित होता है।

कार्य :

  1. यह रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
  2. यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करता है।
  3. यह यकृत कोशिकाओं में ग्लूकोज को ग्लाइकोजेन में परिवर्तन को बढ़ा देता है।

थाइरॉक्सिन का निर्माण स्थल : यह थाइरॉयड ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है।

कार्य :

  1. यह शरीर में होने वाली सभी मेटाबोलिक क्रियाओं का नियंत्रण करता है।
  2. यह हड्ड्रोयों, पेशियों, लैंगिक तथा मानसिक वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  3. यह R.B.C. के निर्माण में सहायता करता है।

प्रश्न 10.
मानव शरीर में Islet of Langerhans की स्थिति क्या है? इससे कौन सा हार्मोन स्रावित होता है? इन्सुलिन का कार्य क्या है ?
उत्तर :
Islet of Langerhans की स्थिति : यह अग्न्याशय (Pancreas) में स्थित होता है। इसमें दो प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं जिन्हे क्रमश: α-Cell तथा β-Cell कहते हैं। α-Cell द्वारा ग्लूकागोन तथा β-Cell द्वारा इन्सुलिन स्रावित होता है।

इन्सुलिन के कार्य :

  1. यह रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
  2. यह ग्लूकोज, वसा तथा प्रोटीन के चयापचय का नियंत्रण करता है।
  3. यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करता है।
  4. यह यकृत में किटोन के निर्माण को रोकता है।

Result of hyposecretion of Insulin :- इन्सुलिन की कमी के कारण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मधुमेह रोग (Diabetes mellitus) होता है।

ग्लूकागोन के कार्य :

  1. यह रक्त में ग्लूकोज, वसा तथा कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाता है।
  2. यह यकृत कोशिका में संचित ग्लाइकोजेन को ग्लूकोज में बदल देता है।

Result of hyposecretion of Glucagon :- इसकी कमी के कारण hypoglycemia नामक रोग होता है।

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प्रश्न 11.
थाइरॉक्सिन, इन्सुलिन, एड्रीनैलिन, ग्लूकागोन, ऑक्सिटॉसिन, हार्मोन के स्राव तथा कमी से होने वाली बीमारियों के नाम बताओ।
उत्तर :
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प्रश्न 12.
एड्रीनेलिन हार्मोन किस ग्रंथि से स्रावित होता है ? यह आपातकालीन हार्मोन क्यों कहलाता है ? GTH के किन्हीं दो कार्यों का उल्लेख करो।
उत्तर :
एड्रीनेलिन हार्मोन एड्रीनल ग्रंथि के मेडुला भाग से स्रावित होने वाला एक हार्मोन है। आपातकालीन स्थिति जैसेभय, घबड़ाहट, अतिशय मानसिक तनाव आदि पर एड्रीनलिन हार्मोन नियंत्रण रखता है। इसका प्रभाव हृदय, रक्त वाहिनियों, अनैच्छिक क्रियाओं तथा कार्बोहाइड्रेट के मेटाबोलिज्म पर पड़ता है। इस प्रकार आपातकाल स्थिति में स्रावित होकर मांसपेशियों, ह्टय की धड़कन, रक्तवाहिनियों की दीवारों के प्रसार तथा कार्बोहाइड्रेट के मेटाबोलिज्म पर नियंत्रण रखने के कारण इसे आपातकालीन हार्मोन (Emergency hormone) कहा जाता है।

G.T.H. के कार्य :

  1. पुरुषों में यह हार्मोन सेमिनीफेरस नलिकाओं की वृद्धि को प्रभमवत करता है तथा शुक्राणु निर्माण में सहायता करता है।
  2. स्रियों में यह ग्राफियन फालिकल तथा अण्डाशय की वृद्धि को उत्मेरित करता है तथा ओभुलेसन की क्रिया को प्रभावित करता है।

प्रश्न 13.
अन्त:स्रावी ग्रंधि, वहि:स्रावी ग्रंथि तथा मिश्रित ग्रंधियों की परिभाषा उदाहरण सहित दो। एड्रीनल हार्मोन का स्रावी स्थल तथा कार्य बताओ।
अथवा
हार्मोन स्रावित करने वाले ग्रंथियों को नलिका विहीन ग्रंथि क्यों कहा जाता है? एन्टी डाइयूरेटिक हार्मोन के किन्हीं दो कार्यो का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
अन्त: स्रावी ग्रंथि (Endocrine gland) : ऐसी ग्रन्थियाँ जो अपने स्राव को सीधे रक्त में पहुँचाती है तथा रक्त के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचाती है, उन्हें अन्तःस्रावी ग्रंथियाँ कहते हैं। इसमें स्राव के स्थानान्तरण के लिए कोई नलिका नहीं होती है। अत: इन्हें नलिका विहीन (Ductless) ग्रंथियाँ की भी कहते है। जैसे- पिट्यूटरी ग्रंथि, धायरॉइड ग्रंथि, एड्रीनल ग्रन्थि आदि।

बहि: स्रावी ग्रंथि (Exocrine gland) : ऐसी ग्रंथियाँ जो अपने स्राव में नलिकाओं द्वारा बाहर स्थित विभिन्न अंगों को भेजती है, उन्हें बहि:सावी ग्रंथियाँ कहते हैं। इसमें साव के स्थानान्तरण के लिए विशिष्ट नलिका पायी जाती है। जैसे- आँसू ग्रंथि, यकृत, लार ग्रन्थियाँ आदि।

मिश्रित ग्रंधि (Mixed gland) : ऐसी ग्रन्थियाँ जो अन्त:सावी तथा बहि : सावी ग्रंथि दोनों तरह की प्रकृति धारण करती है, मिश्रित ग्रन्यियाँ कहलाती है। यह दोनों तरह के साव उत्पन्न करती है। जैसे- वृषण, अण्डाशय, अग्न्याशय आदि।
एड्रीनल हार्मोन का स्रावी स्थल : यह एड्रीनल ग्रंथि के मेडुला भाग में सावित होता है।
कार्य (Function) :

  1. यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
  2. यह श्वसन क्रिया को नियंत्रित करता है।
  3. यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।

एंटीडाइयूरेटिक हार्मोन का कार्य :

  1. मादाओं मे प्रसव के समय गर्भाश्य के पेशियों के संकुचन एवं दुघ ग्रंथियों से दूध के स्राव को प्रेरित करता है।
  2. यह शरीर में जल की हानि को रोकता है।

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प्रश्न 14.
थायरॉइड ग्रंथि की स्थिति बताओ। इस ग्रंथि के द्वारा स्रावित होने वाले हार्मोन के नाम बताओ। थाइरॉक्सिन हार्मोन के कार्य लिखो। इस हार्मोन की कमी या अधिकता से क्या प्रभाव पड़ता है ? 2 + 3
उत्तर :
थायरॉइड ग्रन्थि की स्थिति : यह ग्रंथि ट्रेकिया के पृष्ठ तल पर स्वर यंत्र (Larynx) के थोड़ा नीचे स्थित रहती है। यह दो षिण्डों वाली होती है। ये दोनों पिण्ड इस्थमस (Isthmus) नामक रचना द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं। थायरॉइड ग्रंथि के द्वारा तीन हार्मोन का स्राव होता है – (i) थाइरॉक्सिन (Thyroxin) (ii) ट्राई आयड्रोथाइरोनिन (Tri-lodothyronine) (iii) थाइरोकैलसिटोनिन (Thyrocalcitonin)!

थाइ़ॉक्सिन के कार्य :

  1. यह B.M.R. की वृद्धि करता है।
  2. यह हृदय गति, रक्त चाप तथा शरीर के ताप को नियत्रित करता है।
  3. यह RBC के निर्माण में सहायक है।
  4. यह स्तन ग्रंथियों से दूध के साव में सहायक है।
  5. यह रक्त में शर्करा की मात्रा को बढ़ा देता है।

थाइरॉक्सिन हार्मोन की कमी का प्रभाव : थाइरॉक्सिन हार्मोन की कमी से बच्चों में क्रिटिनिज्म (Critinism) रोग ोोता है। इस रोग में बच्चों की मानसिक, शारीरिक वृद्धि तथा मानसिक विकास रुक जाता है। इसकी कमी से घेघा (Goitre) निकल आता है।
थाइरॉक्सिन हार्मोन की अधिकता का प्रभाव : इस हार्मोन की अधिकता से Exopthalmic goitre रोग होता है। इस रोग में आँखें बाहर निकल आती है। पलके मोटी हो जाती हैं। शरीर का वजन घटने लगता है।

प्रश्न 15.
STH का प्राप्ति स्थल तथा कार्य बताओ। इस हार्मोन की कमी या अधिकता का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
STH – (Somato Trophic Hormone) का प्राप्ति स्थल (Site of Secretion of STH): यह हार्मोन पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग से स्रावित होता है। यह Growth hormone कहलाता है।
कार्य (Function) :

  1. यह शरीर में कोशिका विभाजन, पेशियों तथा अस्थियोंका विकास करता है।
  2. यह शरीर में मेटाबोलिज्म की दर को बढ़ाता है।
  3. यह ऊत्तकों को नष्ट होने से बचाता है।
  4. यह रक्त में शर्करा की स्तर को बढ़ाता है।
  5. यह शरीर की सामान्य वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  6. यह शिशु के जन्म काल के समय मादाओं के स्तन में दूध के साव को बढ़ाता है।

कमी का प्रभाव (Result of hyposecretion) :

i. बच्यों में इस हार्मोन की कमी से बौनापन (Dwartism) होता है।
ii. प्रौढ़ अवस्था में इस हार्मोन की कमी से Aeromicria नामक रोग होता है। इस रोग में पेशियों का क्षय होने लगता है तथा कम उम्र में ही बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

अधिकता का प्रभाव (Result of hypersecretion) :

i. इस हार्मोन की अधिकता से Gigantism नामक रोग होता है। इस रोग में शरीर की लम्बाई असामान्य रूप से बहुत अधिक बढ़ जाती है। हाथ पैर लम्बे हो जाते हैं।
ii. प्रौढ़ व्यक्तियों में इसकी अधिकता से Acromegaly नामक रोग होता है। इस रोग में हाथ-पैर में अनियमित वृद्धि हो जाती है, निचले जबड़े की लम्बाई बढ़ जाती है। ललाट की हड्डी, बाँह तथा अंगुलियों की हड्ड़ी बढ़कर मोटी तथा भद्दी हो जाती है। मनुष्य की आकृति बेडौल हो जाती है।

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प्रश्न 16.
तंत्रिका तंत्र तथा हार्मोन में एक समानता बताओ। तंत्रिका तंत्र तथा हार्मोन में अन्तर बताओ।
उत्तर :
तंत्रिका तंत्र तथा हार्मोन के समान कार्य : सजीवों में तंत्रिका तंत्र तथा हार्मोन दोनों ही शारीरिक क्रियाओं के नियंत्रण, नियमन तथा समन्वय में सहायता करते हैं।
तंत्रिका तंत्र तथा हार्मोन में अन्तर :-

तंत्रिका तंत्र हार्मोन
i. यह एव. अंग तंत्र है। i. यह एक रासायनिक पदार्थ है।
ii. यह केवल ज न ओं में मिलता है। ii. यह पौधों तथा जन्तुओं दोनों में मिलता है।
iii. यह कार्य के समाप्त होने के बाद भी नष्ट नहीं होता है बल्कि सदा बना रहता है। iii. यह कार्य की समाप्ति के बाद नष्ट हो जाता है।
iv. यह पूरे शरीर में स्थित होता है। iv. इसका निर्माण कुछ विशेष भागों में होता है।

प्रश्न 17.
जन्तु हार्मोन की तीन विशेषताएँ बताओ। GTH तथा थाइरॉक्सिन हार्मोन का स्राव कहाँ से होता है? STH, GTH तथा थाइरॉक्सिन के कार्य को लिखो।
उत्तर :
जन्तु हार्मोन की विशेषताएँ (Characteristics of animal hormone):

  1. जन्तु हार्मोन, अन्तःसावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होता है।
  2. जन्तु हार्मोन, रक्त तथा लसिका माध्यम द्वारा उनके शरीर में प्रवाहित होते हैं।
  3. जन्तु हार्मोन प्रोटीन या स्टेरॉयड प्रकृति के होते हैं।

GTH का स्राव स्थान (Secretion of GTH) : पियूष ग्रंथि के अग्र भाग से थाइरॉक्सिन हार्मोन का स्राव (Site of secretion of Thyroxin) : थाइरॉक्सिन हार्मोन का स्राव थायरॉइड ग्रंथि द्वारा होता है।

STH का कार्य (Function of STH) :

  1. यह शरीर की सामान्य तथा अस्थियों की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  2. यह कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के चयापचया में सहायता करता है।

GTH का कार्य (Function of GTH) :

  1. मादाओं में अण्डाशय की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  2. नरों में स्पर्म (Sperm) के निर्माण में सहायक है।

थाइरॉक्सिन के कार्य (Function of Thyroxin) :

  1. यह शरीर में होने वाली सभी चयापचयी क्रियाओं पर नियंत्रण करता है।
  2. यह हृदय गति तथा रक्त चाप को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 18.
हार्मोन की दो विशेषताएँ लिखो। हार्मोन को रासायनिक दूत क्यों कहते हैं? तंत्रिका तंत्र तथा अन्तःस्रावी ग्रंथि में एक क्रियात्मक अन्तर बताओ।
उत्तर :
हार्मोन के लक्षण (Characteristic of hormone) :
(i) हार्मोन कम अणु भार वाला, जल में घुलनशील तथा संदेशवाहक जटिल कार्बनिक यौगिक है।
(ii) ये आवश्यकतानुसार ग्रन्थियों या कोशिकाओं द्वारा स्रावित होते हैं तथा यह अपने उत्पत्ति स्थान या अन्य कोशिका में संग्रहित नहीं होते।

हार्मोन एक रासायनिक दूत कहलाता है क्योंकि यह अन्तःस्तावी ग्रंथियों द्वारा सावित होकर धीरे-धीरे सम्पूर्ण शरीर में विसरित हो जाता है तथा विभिन्न कोशिकाओं के जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है।

तंत्रिका तंत्र तथा अन्तःस्रावी ग्रंथि में एक क्रियात्मक अन्तर :

तंत्रिका तंत्र (Nervous system) :
(i) इसका प्रभाव थोड़े समय तक रहता है।

अन्त:स्रावी ग्रंथि (Endocrine gland) :
(i) इसका प्रभाव अधिक देर तक रहता है।

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प्रश्न 19.
ओएस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन तथा टेस्टोस्टेरॉन का उत्पत्ति स्थल तथा कार्य बताओ।
उत्तर :
ओएस्ट्रोजन (Oestrogen) : यह स्टेरॉयड प्रकृति वाला मादा जनन हार्मोन है।

कार्य (Function):

  1. यह अण्डाशय के वृद्धि, विकास में सहायक है।
  2. यह मादा में स्तन ग्रन्थियों के विकास में सहायता करता है।
  3. यह गुप्तांगों पर बालों को उगाने में सहायक है।
  4. यह मासिक धर्म तथा मैधुन इच्छा को नियंत्रित करता है।

प्रोजेस्टेरॉन का उत्पत्ति स्थल : यह स्टेरॉयड प्रकृति का मादा जनन हार्मोन है। इसका स्राव अण्डाशय के कार्पस लुटियम से होता है।
कार्य (Function):

  1. यह हार्मोन गर्भाशय की रचना, अण्डे (Ovum), भूण (Embryo) तथा प्लासेन्टा (Placenta) के विकास में सहायता करता है।
  2. यह गर्भावस्था तथा प्रसव में होने वाले परिवर्द्धनों का नियंत्रण करता है।
  3. यह गर्भाशय, योनि (Vegina), स्तन आदि के विकास में सहायक है।
  4. यह स्तन से दूध के साव में सहायता करता है।

टेस्टोस्टेरॉन का उत्पत्ति स्थल : यह स्टेरॉयड प्रकृति का नर जनन हार्मोन है। यह वृषण द्वारा स्रावित होता है।

कार्य (Function) :

  1. यह पुरुषों में वृषण (Testis), वृषण कोष, लिंग (Penis), लैंगिक ग्रंथियों के विकास में सहायता करता है।
  2. यह पुरुषों में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों जैसे- दाढ़ी तथा मूँछ का निकलना, स्वर का भारी होना, मैथुन की इच्छा इत्यादि का नियंत्रण करता है।

प्रश्न 20.
पिट्यूटरी, थायरॉइड तथा एड्रीनल ग्रंथि मानव शरीर में कहाँ स्थित है? पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित होने वाले मुख्य हार्मोन तथा उनके कार्य बताओ।
उत्तर :
पिट्यूटरी ग्रंथि का उत्पत्ति स्थल : यह ग्रंथि मस्तिष्क के अधर तल पर Hypothalmus से जुड़ी रहती है। यह ग्रंथि नीचे की ओर स्फेनॉयड (Sphenoid) हड्ड़ी के सिलाटर्सिका (Sellatericica) नामक गर्त में फिट होती है।
थायरॉडड ग्रंथि की स्थिति : यह ग्रंथि स्वर यंत्र (Larynx) के थोड़ा नीचे शास नली (Trachea) के पृष्ठ तल पर स्थित होती है। यह दो पिण्डों वाली होती है तथा दोनों पिण्ड Isthmus नामक रचना से जुड़े रहते हैं।

एडीनल ग्रंथि की स्थिति : यह ग्रंथि उदर गुहा में वृक्क (Kidney) के शीर्ष पर स्थित होती है। यह सेम के बीज के आकार की तथा संख्या में दो होती है।
पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होने वाले हार्मोन : पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होने वाले हार्मोन निम्न हैं-
(a) अग्र भाग से :- (i) T.S.H. (ii) S.T.H. (iii) GTH (iv) ACTH
(b) मध्य भाग से :- MSH (Melanocyte Stimulating Hormone)
(c) पश्च भाग से :- (i) ऑक्सीटोसिन (Oxytocin), (ii) ADH (Anti Diuretic Hormone)

Somato Trophic Hormone (STH) के कार्य :

  1. यह मनुष्य तथा प्राणियों के शरीर में सामान्य वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  2. यह मेटाबोलिज्म की दर को प्रोत्साहित करता है।
  3. यह अस्थियों की वृद्धि को नियंत्रित करता है।

Adreno Cortico Trophic Hormone (ACTH) के कार्य :

  1. यह हार्मोन एड्रीनल ग्रंथि के वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  2. यह एड्रीनल कार्टेक्स (Adrenal Cortex) के स्राव को नियंत्रित करता है।

Gonado Trophic Hormone (GTH) के कार्य :

  1. यह हार्मोन अण्डाशय तथा वृषण की क्रियाशीलता को नियंत्रित करता है।
  2. यह स्त्रियों में मासिक धर्म, स्तन का विकास तथा दूध के स्राव इत्यादि को नियंत्रित करता है।
  3. यह पुरुषों में यौन लक्षणों के विकास तथा शुक्राणु निर्माण की क्रिया को नियंत्रित करता है।

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प्रश्न 21.
टिप्पणी लिखो : (a) इन्सुलिन (b) S.T.H. (c) G.T.H. (d) क्रिटिनिज्म (e) Exopthalmic goitre.
उत्तर :
इन्सुलिन (Insulin): ये आइस्लेट ऑफ लैंगरहेन्स के β-Cell से स्रावित होने वाला हार्मोन है। यह पोलिपेप्टाइड प्रकृति का होता है।

कार्य :

  1. इन्सुलिन रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।
  2. यह R.N.A. के संश्लेषण को प्रेरित करता है।
  3. यह यकृत तथा पेशियों में ग्लाइकोजन का संचय करता है।
  4. यह रक्त में प्रोटीन की मात्रा को संश्लेषित कर ग्लाइकोजेनेसिस को रोकता है।

इन्सुलिन की कमी का प्रभाव (Result of hyposecretion of Insulin) : इन्सुलिन की कमी से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है जिससे मधुमेह रोग (Diabetes mellitus) होता है। इस रोग में ग्लाइकोजेन तथा वसा ग्लूकोज में बद्लने के कारण शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। इस अवस्था को Hyper-glycemia कहते हैं।

इन्सुलिन की अधिकता का प्रभाव (Result of hypersecretion of Insulin) : इन्सुलन की अधिकता के कारण रक्त में ग्लूकोज की मात्रा घट जाती है। जिससे थकावट, कमजोरी तथा मूर्छा आने लगते हैं। इसे hypoglycemia कहते हैं।

Somato Trophic Hormone (S.T.H.) : यह पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग से स्रावित होने वाला जन्तु हार्मोन है। यह हार्मोन प्रोटीन प्रकृति का होता है।

कार्य :

  1. यह हार्मोन R.N.A. तथा D.N.A. के संश्लेषण तथा शरीर की वृद्धि को प्रभावित करता है।
  2. यह शरीर में प्रोटीन संश्लेषण को प्रभावित करता है।
  3. यह शरीर में पेशियों तथा अस्थियों का विकास करता है।
  4. यह कोशिका विभाजन में सहायक होता है।
  5. यह हार्मोन ऊत्तकों को नष्ट होने से बचाता है।

Gonado Tropic Hormone (G.T.H.) : G.T.H. पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्र भाग से स्रावित होने वाला हार्मोन है। यह हार्मोन सी तथा पुरुष के जनन अंगों के कार्यो का नियंत्रण करता है। यह दो प्रकार का होता है।

Follicle Stimulating Hormone (F.S.H.) : यह एक प्रकार का जल में घुलनशील लाइपो प्रोटीन है।

कार्य (Function) :

  1. यह स्त्रियों में अण्डाशय तथा ग्राफियन फोलिकल की वृद्धि को नियंत्रित करता है।
  2. यह अण्डाशय को उत्तेजित कर एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन का साव करता है।
  3. पुरुषों में यह हार्मोन वृषण के सेमीनीफेरस नलिकाओं (Seminiferous tubules) के विकास को नियंत्रित करता है।

F.S.H. की कमी का प्रभाव : इस हार्मोन की कम साव के कारण जनन अंगों की वृद्धि कम हो जाती है तथा बाँझपन (Sterility) हो जाता है।
F.S.H. की अधिकता का प्रभाव : इस हार्मोन के अधिक साव होने के कारण सेक्स अंगों में असमान्य वृद्धि होने लगती है।

Luteinizing Hormone (L.H.) : यह भी एक प्रकार का ग्लाइको प्रोटीन है।

कार्य (Function) :

  1. यह अण्डाशय के निकलने में सहायता करता है।
  2. यह कार्पस लुटियम द्वारा प्रोजेस्टेरॉन नामक हार्मोन का साव कराता है।
  3. यह कार्पस लुटियम के निर्माण पर नियंत्रण रखता है।

L.H. की कमी का प्रभाव : इसकी कमी से द्वितीयक लिंग लक्षण विकसित नहीं होता। ख्रियों में बन्ध्यता (Sterility) उत्पन्न हो जाता है।
L.H. की अधिकता का प्रभाव : इस हार्मोन की अधिकता से स्त्रियों तथा पुरुषों में सेकेण्डरी सेक्स कैरेक्टर समय से पहले विकसित हो जाता है। इसके कारण चेहरे पर बाल उग जाते हैं।

(d) क्रिटिनिज्म (Cretinism) : यह थाइरोक्सिन हार्मोन की कमी के कारण बच्चों में होने वाला रोग है। इसमें बच्चों का मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक तथा लैंगिक विकास रुक जाता है। हड्दियाँ तथा दाँत विकृत हो जाते हैं। बच्चे बौने तथा कुरूप हो जाते हैं। त्वचा खुरदरी तथा झुर्रीदार हो जाती है, पेट निकल आता है। इनका Basal Metabolic Rate कम हो जाता है।

(e) Exopthalmic goitre : थाइरॉक्सिन हार्मोन के अति स्राव के कारण होने वाला रोग है। इस रोग में थायरॉइड ग्रंथि फूल जाती है, गला फूल जाता है। आँखें बाहर की ओर उभर आती है तथा पलके मोटी हो जाती है। वजन कम हो जाता है। B.M.R. बढ़ जाता है। हुदय गति बढ़ जाती है। रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। त्वचा नम तथा अत्यधिक कोमल हो जाता है। चिड़िड़ापन तथा घबड़ाहट होने लगती है।

प्रश्न 22.
कौन हार्मोन “संकटकालीन हार्मोन” कहलाता है और क्यों? गिब्रेलिन के ग्रोत तथा इसके दो कार्य लिखो।
अथवा
एड्रिनैलिन को आपतकालीन हार्मोन क्यों कहते हैं ? गिब्रेलिन के म्रोत एवं दो कार्य लिखिए।
उत्तर :
एड्रीनैलिन हार्मोन एड्रीनल ग्रंथि के मेडुला भाग से स्रावित होने वाला हार्मोन है। इसका स्राव आपातकालीन परिस्थितियों जैसे- भय, घबड़ाहट, मानसिक तनाव में होता है। आपातकालीन परिस्थितियों में यह हार्मोन हुदय गति, रक्तचाप, अनैच्छिक पेशियों के संकुचन तथा प्रसार की दर, भसन दर इत्यादि को प्रभावित करता है। व्यक्ति को आपात स्थिति के अनुरूप अपने आपको व्यवस्थित होने के लिए सहारा प्रदान करता है, इसलिए एड्रीनलिन हार्मोन को Emergency Hormone कहते हैं।
गिब्रेलिन के स्रोत : गिब्रेलिन हार्मोन पक्के बीजों, अंकुरित पौधों, बीजपत्र, छोटे पौधों के शीर्षस्थ पर्ण-कलिकाओं तथा जड़ों के शीर्ष भागों में संश्लेषित होता है।
कार्य (Function) :

  1. यह फूलों तथा फलों के आकार में वृद्धि करता है।
  2. यह अंकुरण में सहायक है।
  3. यह बीज रहित फलों के निर्माण में सहायक है।
  4. यह सभी प्रकार के पौधों के फूलों को खिलने में सहायता करता है।

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प्रश्न 23.
संक्षिप्त टिष्पणी लिखो – (क) बौना, (ख) बहुमूत्र रोग या डाइवेटिज इन्सीपीडस, (ग) घेघा। अथवा, बहुमूत्र रोग या डाइवेटिज इन्सीपीडस (Diabetes insipidus))
उत्तर :
(क) बौनापन : यह रोग वृद्धि हार्मोन (Growth Hormone) की कमी से होता है। इसकी कमी से व्यक्ति की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है तथा एक तरह से वयस्क व्यक्ति का शरीर भी बच्चे के शरीर जैसा रहा जाता है।

(ख) बहुमूत्र रोग या डाइवेटिज इन्सीपीडस : यह ऐन्टि डाइयूरोटिक हार्मोन (ADH) की कमी से उत्पन्न एक रोग है। इस हार्मोन की कमी से नेफ्रान के रिनल द्यूब्मूल्स में जल का अवशोषण कम मात्रा में होने लगता है। जिससे मूत्र की मात्रा ज्यादा बनने लगता है और पेशाब जल्दी-जल्दी लगने लगता है और अधिक मात्रा में होता है। प्यास अधिक लगता है और रक्त चाप कम हो जाता है। आमाशय, आँत और मूत्राशय का सामान्य कार्य बाधित होने लगता है।

(ग) घेंघा या गलगंड : यह थॉयरॉक्सिन हार्मोन की कमी से होने वाला रोग है। आहार में आयोडीन की कमी से थायरोंक्सिन का संश्लेषण भी कम हो जाता है जिससे यह रोग हो जाता है। इस रोग में गर्दन फूल जाती है।

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