WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 4 मनुष्य और सर्प

Students should regularly practice West Bengal Board Class 10 Hindi Book Solutions Poem 4 मनुष्य और सर्प to reinforce their learning.

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 4 Question Answer – मनुष्य और सर्प

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘मनुप्य और सर्प’ कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 2. ‘मनुष्य और सर्प’ कविता का सारांश लिखें।
अधवा
प्रश्न 3. ‘मनुष्य और सर्प’ कविता के आधार पर कर्ण और अश्वसेन का संवाद अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 4. ‘मनुष्य और सर्प’ कविता में निहित संदेश तथा उदेश्य को लिखें।
अथवा
प्रश्न 5. ‘मनुष्य और सर्ष’ कविता के आधार पर बताएँ कि अश्वसेन ने कर्ण से क्या निवेदन किया? कर्ण ने उसके निवेदन को अस्वीकार क्यों कर दिया ?
अथ्रवा
प्रश्न 6. ‘मनुष्य और सर्प’ कविता के उद्देश्य को लिखें।
अथवा
प्रश्न 7. ‘मनुष्य और सर्प’ कविता के आधार पर कवि की भावनाओं को स्पष्ट करें।
अथवा
प्रश्न 8. ‘मनुष्य और सर्प’ कविता के द्वारा कवि ने हमें क्या संदेश देना चाहा है ?
अथवा
प्रश्न 9. ‘मनुष्य और सर्प’ कविता के आधार पर कर्ण और अश्वसेन का संवाद अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
महाभारत-युद्ध में कर्ण का चरित्र सामरिक (युद्ध) महत्व से अधिक सामाजिक शक्ति, निष्ठा तथा मानवतावाद की ओर संकेत करता है। कर्ण महाभारत-युद्ध में दुर्योधन की ओर से लड़ा लेकिन उसने युद्ध में कभी भी अनीति का सहारा नहीं लिया। अगर वह चाहता तो अर्जुन का नाश करने के लिए अश्वसेन सर्प का उपयोग कर लेता। कर्ण मानव जाति का प्रतीक था इसलिए साँपों से मिलकर लड़ने को वह नीचता समझता था। कर्ण के इसी मानवतावादी चरित्र को दिनकर ने ‘मनुष्य और सर्प’ कविता में उभारा है।

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कुरूक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा जा रहा है। चारों ओर की जन-धन की अपार हानि देखकर ऐसा लगता है मानो धरती का सुहाग जल रहा हो। यह मनुष्य के अंदर की वह कुटिलता रूपी आग ही है जो कुरूक्षेत्र में खुलकर अपना खेल खेल रही है। इस आग की लपट से कोई नहीं बच पाया।

महाभारत-युद्ध की भयंकरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घोड़े तथा हाथियों के माँस के लोथड़े पर सैनिकों के अंग कट-कट कर गिर रहे हैं। युद्ध में भाग लेनेवाले घोड़े-हाधियों के खून में तथा सैनिकों के खून में कोई अंतर नहीं रह गया है। दोनों के रक्त मिलकर एक हो गए हैं।

तेज गति से, पर्वत के समान सुधड़ लेकिन रवत-रंजित शरीर लेकर युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन के साथ कर्ण युद्ध कर रहे हैं। क्षण-क्षण भर बाद उनके गरजने का गंभीर स्वर सुनाई पड़ता है।

कौरव और पाण्डव दोनो ही युद्ध की कला में पारंगत हैं। दोनों के बल समान हैं। दोनों ही हर प्रकार से समर्थ हैं। दोनों के ही निशाने अचूक हैं लेकिन बाण की वर्षा व्यर्थ ही सिद्ध हो रही है।

कर्ण ने बाण के लिए अपना तरकस ज्योंह देखा उसकी तरकस में एक भयंकर विषधर साँप फुँफकार रहा था। यह देखकर वह आश्र्यचकित रह गया।

तरकस में छिपे सर्ष ने अपना परिवय देते हुए कर्ण से कहा कि वह सर्णों का राजा है। वह जन्म से ही अर्जुन का परम शानु है लेकिन कर्ण का हर प्रकार से हित चाहने चाला है।

पाडवों द्वारा खाण्डव वन में आग लगा दिए जाने पर अश्वसेन की सर्पमाता उसमें जल मरी थी। अश्वसेन उसी का बदला लेना चाहता था। इसलिए वह कर्ण से कहता है कि वह एक बार कृपा करे। उसे अपने बाण पर वढ़ा अपने लब्य्य तक पहुँचने दे। जब वह अपने शन्नु तक पहुँन जाएगा तो अपने विष से उसे मृत्युरूपी रथ पर सबार कर देगा।
वह अपने जीवन भर का संचित विष उसके शरीर में उतार देगा। इस प्रकार उसका प्रतिरोध पूरा हो जाएगा।
अश्वसेन कर्ण के द्वारा बाण के माध्यम से अपने शजु तक पहुँचाने की बात पर कर्ण कहता है कि वह उसकी कुटिलता है। भला ऐसी बात कहने योग्द है? मनुष्य की विजय का साषन तो उसके अपने बाहुबल पर है।

कर्ण अश्वसेन का अनुरोध सुनकर कहता है कि यह संभव नही है कि वह गनुण होकर मनुज्ज से युद्ध करने के लिए किसी सर्प का सहारा ले। उसने जौवन भर मानव-धर्म के प्रति निषा पाल रखा है। ऐसा करना उसके आचरण के विरूद्ध होगा।

कर्ण अश्वसेन को नम्रतापुर्वक मना करते हुए कहता है कि वह सही है कि तुम्हारी सहायता से युद्ध में अनायास ही मुके सफलता मिल खाएगी । लेंकिन यह भी सोवो कि आने वाली मानवता को भला में वरा नुँह दिवलाऊँगा ?

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युद्ध में तुम्बारी सहायता से विजय म्राप्त करने पर सारौ दुनिया यही कहेगी कि कर्ण ने अपने सारेकुकर्मों जर राख द्ञात दिगा । उस पापौ ने अएवे शत्रु से बदला लेने के लिए एक सर्प की सहागता ली।

तुम्हारे कई वंशब भी मनुष्व के रूप में हैं। छे ऊपर से भसे है मनुष्य दिखते हैं लेकन वे साँप की तरह जहरीले है। साँप केबल जंगलों मे ही नहीं राते, वे नगर, गाँव और धरों में भी बसते है।

ने मनुण्यरूपी सर्ग मानवता के रास्तें में खाधा दैदा करते हैं। वे अपने शब्र से बदला लेने के लिए किसी भी नीवता पर उतर सकते है।
कर्ण कहता है कि मे ऐेसा नहीं चाहृता कि मेरा नाम भी मनुप्यक्ष्पी सॉपों में गिना जाय।
अर्जुंन से नेरी शबुता है लेकिन नह मनूख्न है, सर्ष गहीं। और यह संघर्ष, यह शत्रूता भी जन्म-जम्वातर सक नही, क्वल इसीी गा्म यर कलने वाला है । फिर मे यह पाप कैसे कर सकता है ?

जब अर्दुन के साप मेरी यह शतुता केवल इसी जन्म में चलनी है तो ह्राप में काकर मैं अपना अगला जौबन भी क्यों विगाड़ हूँ । साँणों की शरण मे नाकर, राप बनकर मेंकिसी मनुण्ध को बयाँ मारूँ?

कर्ण ने अरवेसन से कहा कि तुम तो मानब तथा मानका कें शडु सो। तुम्हारे साथ मेरी मित्रता करी नही हो सकती। मैं तुम्हारी सहा्रायता लेकर अधने माषे पर कलंक का टौका चहीं सगा सकता चाहे जो भी हो।

दस प्रकार हम पाते है कि कर्ण जाति-समाज से अपेधित होकर, समस्याओं ये धिरे होने घर भी मानवता को नहीं छोड़ता। पुरूप्षार्थ, संयम तथा कतंब्यानेष्डा से अपना गभान अर्जित करने के लिए कह जिस प्रकार आगे रछ़ता जाता है, बह किसी भी समान के लिए अनुकरणीच है।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कर्ण ने जीवन भर किस निष्ठा का पालन किया?
उत्तर :
कर्ण ने जीवन-भर मानवता की निष्ठा को पाला।

प्रश्न 2.
‘कर्ण’ ने अश्वसेन की सहायता क्यों नहीं ली ?
उत्तर :
कर्ण ने अश्वेसन की सहायता नहीं ली क्योंकि वह मानवता का पुजारी था। अगर वह अश्वसेन की सहायता लेता तो आने वाली पीढ़ी को वह अपना मुंह नहीं दिखला पाता।

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प्रश्न 3.
चतुष्पद से किस ओर संकेत हो रहा है ?
उत्तर :
चतुष्षद से हाथी, घोड़ा आदि चार पैरों वाले जानवरों की ओर संकेत हो रहा है।

प्रश्न 4.
प्रतिक्षण किसका गंभीर गर्जन कुरुक्षेत्र में गूँज रहा था ?
उत्तर :
कुरकक्षेत्र में प्रतिक्षण कर्ण तथा अर्जुन का गंभीर गर्जन गूंज रहा था।

प्रश्न 5.
कर्ण की सहायता कौन करना चाहता था और क्यों ?
उत्तर :
अश्वसेन कर्ण की सहायता करना चाहता था क्योंकि वह अपना पुराना बदला अर्जुन से ले सके।

प्रश्न 6.
अश्वसेन कौन था?
उत्तर :
अश्वसेन सर्पराज तक्षक का पुत्र था।

प्रश्न 7.
अश्वसेन किस समय कर्ण के पास आया ?
उत्तर :
कर्ण जब अर्जुन के साथ युद्ध कर रहा था तभी अश्वसेन उसके पास आया।

प्रश्न 8.
अश्वसेन ने कर्ण के सामने क्या प्रस्ताव रखा ?
उत्तर :
अवश्सेन ने कर्ण के सामने अर्जुन के वध में सहायता करने का प्रस्ताव रखा।

प्रश्न 9.
कर्ण ने अश्वसेन के प्रस्ताव का क्या किया ?
उत्तर :
कर्ण ने अश्वसेन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

प्रश्न 10.
कर्ण ने अश्वसेन को किसका शत्रु कहा ?
उत्तर :
कर्ण ने अश्वसेन को मानवता का शत्रु कहा।

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प्रश्न 11.
कर्ण के माध्यम से दिनकर ने हमें क्या संदेश देना चाहा है ?
उत्तर :
कर्ण के माध्यम से दिनकर ने हमें यह संदेश देना चाहा है कि विषम से विषम परिस्थिति में भी हमें मानवता नहीं छोड़नी चाहिए।

प्रश्न 12.
सर्ष को किसका शत्रु कहा गया है?
उत्तर :
सर्प को मानवता का शत्रु कहा गया है।

प्रश्न 13.
धरित्री का सुहाग कब जल रहा था?
उत्तर :
महाभारत युद्ध के समय धरित्री का सुहाग जल रहा था।

प्रश्न 14.
कुरूक्षेत्र में कौन-सी आग खेल रही थी?
उत्तर :
कुरूक्षेत्र में मानव के भीतर की कुटिल आग खेल रही थी।

प्रश्न 15.
कुरूक्षेत्र में किसका रक्त एक साथ मिल रहा था?
उत्तर :
कुरूक्षेत्र में पशुओं तथा सैनिकों का रक्त एक साथ मिल रहा था।

प्रश्न 16.
कर्ण किसके साथ युद्ध कर रहा था?
उत्तर :
कर्ण अर्जुन के साथ युद्ध कर रहा था।

प्रश्न 17.
अश्वसेन पांडवों से बदला क्यों लेना चाहता था?
उत्तर :
उसका आधा शरीर पांडवों द्वारा खांडव वन में आग लगाने के कारण जल गया था। मूसलाधार वर्षा करके इंद्र ने इसके प्राण तो बचा लिए किंतुइसकी माता चल बसी। इसी का बदला लेने के लिए वह महाभारत-युद्ध में कर्ण के तरकश में जा बैठा। कर्ण ने उसकी सहायता करने से अस्वीकार कर दिया। बाद में वह अर्जुन के हाथों मारा गया।

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प्रश्न 18.
‘दोनों रण-कुशल’ में दोनों से किसकी ओर संकेत किया गया है?
उत्तर :
‘दोनों’ से कर्ण तथा अर्जुन की ओर संकेत किया गया है।

प्रश्न 19.
किसके बाणों की वर्षा व्यर्थ हो रही थी?
उत्तर :
कर्ण तथा अर्जुन के बाणों की वर्षा व्यर्थ हो रही थी।

प्रश्न 20.
अश्वसेन कहाँ छिपा हुआ था?
उत्तर :
अश्वसेन कर्ण के तरकस में छिपा हुआ था।

प्रश्न 21.
अश्वसेन ने अपने-आप को किसका स्वामी कहा ?
उत्तर :
अश्वसेन ने अपने-आपको सर्पों का स्वामी कहा।

प्रश्न 22.
‘मनुष्य और सर्प’ कविता में जन्म से ही कौन किसका शत्रु है?
उत्तर :
‘मनुष्य और सर्प’ कविता में अश्वसेन जन्म से ही अर्जुन का शत्रु है।

प्रश्न 23.
कुरूक्षेत्र में किसने अपने को हर प्रकार से कर्ण का हितैषी कहा?
उत्तर :
अश्वसेन नामक सर्प ने कुरूक्षेत्र में अपने-आप को हर प्रकार से कर्ण का हितैषी कहा।

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प्रश्न 24.
अश्वसेन ने प्रतिशोध कैसे लेने की बात कही?
उत्तर :
अश्वसेन ने कहा कि वह जीवन-भर का संचित विष अर्जुन के शरीर में उतार कर अपना प्रतिशोध लेगा।

प्रश्न 25.
‘राधेय’ किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर :
अधिरथ की पत्ली राधा के द्वारा पाले जाने के कारण कर्ण को राधेय कहा गया है।

प्रश्न 26.
कर्ण ने किसे कुटिल कहा ?
उत्तर :
कर्ण ने अश्वसेन को कुटिल कहा।

प्रश्न 27.
कर्ण के अनुसार मनुष्य की विजय का साधन कहाँ रहता है ?
उत्तर :
कर्ण के अनुसार मनुष्य की विजय का साधन उसके बाहुबल में रहता है।

प्रश्न 28.
कर्ण क्या कहकर अश्वसेन से सहायता लेने को अस्वीकार कर देता है?
उत्तर :
कर्ण यह कहकर कि मनुष्य के साथ युद्ध में सर्प की सहायता लेकर आनेवाली मानवता को वया मुँह दिखाएगा अश्वसेन से सहायता लेने को अस्वीकार कर देता है।

प्रश्न 29.
कर्ण ने अश्वसेन के वंशज के कहाँ छिपे होने की बात कही ?
उत्तर :
कर्ण ने मानवों में अश्वसेन के वंशज के छिपे होने की बात कही।

प्रश्न 30.
कर्ण के अनुसार नररूपी सर्प कहाँ बसते हैं?
उत्तर :
कर्ण के अनुसार नररूपी सर्ष नगरों, गाँवों तथा यहाँ तक कि घरों में भी बसते हैं।

प्रश्न 31.
नररूपी सर्प किसका पथ कठिन कर देते हैं ?
उत्तर :
नररूपी सर्प मानवता का पथ कठिन कर देते हैं।

प्रश्न 32.
कर्ण ने किसे भाग जाने को कहा ?
उत्तर :
कर्ण ने अश्वसेन को भाग जाने को कहा।

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प्रश्न 33.
कर्ण ने कौन-सा कलंक अपने सिर पर न लेने की बात कही ?
उत्तर :
कर्ण ने शत्रु के वध के लिए साँप की सहायता लेने का कलंक अपने सिर पर न लेने की बात कही।

प्रश्न 34.
कर्ण ने शत्रु को पराजित करने के लिए किसकी शरण में जाने से अस्वीकार कर दिया ?
उत्तर :
कर्ण ने शत्रु को पराजित करने के लिए सर्प की शरण में जाने से अस्वीकार कर दिया।

प्रश्न 35.
प्रतिभर के वध के लिए – में ‘प्रतिभर’ शब्द का व्यवहार किसके लिए किया गया है?
उत्तर :
प्रस्तुत अंश में ‘प्रतिभर’ शब्द का व्यवहार अर्जुन के लिए किया गया है।

प्रश्न 36.
कर्ण कौन था? कर्ण को ‘राधेय’ क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
कर्ण कुती का पुत्र था। उसे कुमारी अवस्था में सूर्य से कर्ण पैदा हुआ। कुंती ने लोक-लाजवश नवजात शिशु कर्ण को नदी में बहा दिया। अधिरथ नामक सूत को यह शिशु मिला। सूत के द्वारा पाले जाने के कारण कर्ण को ‘सूतपुत्र’ भी कहा जाता है। अधिरथ की पत्नी का नाम राधा था इसलिए कर्ण को ‘राधेय’ भी कहते हैं।

प्रश्न 37.
कर्ण का मानवतावादी दृष्टिकोण क्या है?
उत्तर :
कर्ण का मानवतावादी दृष्टिकोण यह है कि वह मनुष्य से युद्ध जीतने के लिए सर्प की सहायता नहीं लेना चाहता।

प्रश्न 38.
‘दोनों सम बल’ में दोनों से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
‘दानो’ से कर्ण और अर्जुन संकेतित हैं।

प्रश्न 39.
‘मनुष्य और सर्प’ में कौन, किसे अपना महाशन्रु कहता है?
उत्तर :
‘मनुष्य और सर्प’ में अश्वसेन अर्जुन को अपना महाशत्रु कहता है।

प्रश्न 40.
‘जन्म से पार्थ का शत्रु परम’ में ‘पार्थ’ किसे कहा गया है?
उत्तर :
‘पार्थ’ अर्जुन को कहा गया है।

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प्रश्न 41.
‘तेरा बहुविधि हितकामी हूँ’ – मे ‘तेरा’ किसे कहा गया है?
उत्तर :
‘तेरा’ कर्ण को कहा गया है।

प्रश्न 42.
‘तू मुझे सहारा दे’ – कौन, किसे सहारा देने की बात कह रहा है ?
उत्तर :
अश्वसेन कर्ण को सहारा देने की बात कह रहा है।

प्रश्न 43.
‘रे कुटिल’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
‘रे कुटिल’ से अश्वसेन संकेतित है।

प्रश्न 44.
‘मैं मनुज, मनुज से युद्ध करूँ’ – पहले और दूसरे मनुज का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
पहले मनुज का आशय कर्ण से तथा दूसरे मनुज का आशय अर्नुन से है।

प्रश्न 45.
‘अर्जुन है मेरा शत्रु’ – वक्ता कौन है?
उत्तर :
वक्ता कर्ण है।

प्रश्न 46.
‘सर्प का पापी ने साहाय्य लिया’ – में पापी कौन है?
उत्तर :
कर्ण।

प्रश्न 47.
‘मनुज का सहज शत्रु’ किसे कहा गया है?
उत्तर :
मनुज का सहज शत्रु अश्वसेन को कहा गया है।

प्रश्न 48.
महाभारत का युद्ध किस-किसके बीच हुआ था ?
उत्तर :
महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था।

प्रश्न 49.
‘मनुष्य और सर्प’ कविता की पृष्ठभूमि क्या है ?
उत्तर :
‘मनुष्य और सर्प’ कविता की पृष्ठभूमि महाधारत युद्ध है।

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प्रश्न 50.
जन्म से पार्थ का परम शत्रु कौन था ?
उत्तर :
अश्वसेन नामक सर्प।

प्रश्न 51.
महाभारत युद्ध में कर्ण किसकी ओर से लड़ा था ?
उत्तर :
महाभारत युद्ध में कर्ण कौरवों की ओर से लड़ा था।

प्रश्न 52.
‘मनुष्य और सर्प’ पाठ में आए अर्जुन के दो पर्याय शब्दों को लिखें।
उत्तर :
पार्थ, कौतैय।

प्रश्न 53.
‘तेरा बहुविधि हितकामी हूँ’ – में ‘तेरा’ किसे कहा गया है ?
उत्तर :
कर्ण को कहा गया है।

प्रश्न 54.
महाभारत का युद्ध किस स्थान पर लड़ा गया था ?
उत्तर :
कुरूक्षेत्र में।

प्रश्न 55.
कर्ण सर्प की सहायता से अर्जुन का वध क्यों नहीं करना चाहता था ?
उत्तर :
सर्प की सहायता से अर्जुन का वध करने पर मानवता कलंकित होती।

प्रश्न 56.
‘मनुष्य और सर्प’ के माध्यम से कवि ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर :
हमारा कोई भी काम ऐसा न हो जिससे मानवता कलंकित हो।

प्रश्न 57.
‘मनुज का सहज शत्रु’ किसे कहा गया है ?
उत्तर :
अश्वसेन को।

प्रश्न 58.
राधेय किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर :
कुंती द्वारा त्याग दिए जाने पर राधा नामक स्वी ने कर्ण का लालन-पालन किया था इसलिए कर्ण को राबेय भी कहा जाता है।

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प्रश्न 59.
कर्ण का मानवतावादी दृष्टिकोण क्या है ?
उत्तर :
कर्ण का मानवतावादी दृष्टिकोण यह है कि वह शत्रु के साथ युद्ध करते हुए भी मानवता को नहीं छोड़ता, अश्वसेन की सहायता नहीं लेता है।

प्रश्न 60.
अश्वसेन कर्ण से क्या चाहता था ?
उत्तर :
अश्वसेन बाहता था कि कर्ण उसे तीर पर चढ़ाकर अर्जुन पर छोड़ दे ताकि उसे डंस कर मौत की नींद सुलाकर अपना बदला पूरा कर सके।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कर्ण को किस सर्ष ने सहायता देने का प्रस्ताव दिया?
(क) वासुकी
(ख) तक्षक
(ग) अश्वसेन
(घ) शेषनाग
उत्तर :
(ग) अश्वसेन

प्रश्न 2.
‘राथेय’ कौन था ?
(क) अश्वसेन
(ख) कर्ण
(ग) अर्जुन
(घ) कृष्ण का पुत्र
उत्तर :
(ख) कर्ण

प्रश्न 3.
दिनकर को भारत सरकार की ओर से कौन-सा पुरस्कार मिला ?
(क) कबीर सम्मान
(ख) पय्मभूषण
(ग) साहित्य-रल
(घ) भारत-रल्न
उत्तर :
(ख) पद्मभूषण।

प्रश्न 4.
दिनकर का जन्म कब हुआ था ?
(क) 29 सितम्बर 1907 ई०
(ख) 30 सितम्बर 1908 ई०
(ग) 31 सितम्बर 1909 ई०
(घ) 28 सितम्बर 1910 ई०
उत्तर :
(ख) 30 सितम्बर 1908 ई०।

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प्रश्न 5.
दिनकर का जन्म कहाँ हुआ था ?
(क) बिहार के भागलपुर में
(ख) बिहार के समस्तीपुर में
(ग) बिहार के जमुई में
(घ) बिहार के मुंगेर जिले में
उत्तर :
(घ) बिहार के मुंगेर जिले में।

प्रश्न 6.
दिनकर के पिता का नाम था :
(क) राज सिंह
(ख) शाशि सिंह
(ग) राम सिंह
(घ) रवि सिंह
उत्तर :
(घ) रवि सिंह।

प्रश्न 7.
दिनकर की माता का नाम था ?
(क) मनरूप देवो
(ख) रूप देवी
(ग) रूपा देवी
(घ) शारदा देवी
उत्तर :
(क) मनरूप देवी।

प्रश्न 8.
दिनकर ने मैट्रिक की परीक्षा में हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करके कौन-सा पदक जीता था ?
(क) भूदेव रजत पदक
(ख) भूदेव कांस्य पदक
(ग) महादेव स्वर्ण पदक
(घ) भूदेव स्वर्ण पदक
उत्तर :
(घ) भूदेव स्वर्ण पदक।

प्रश्न 9.
दिनकर सीतामढ़ी में किस पद पर थे ?
(क) सब रजिस्ट्रार
(ख) शिक्षक
(ग) सब रजिस्ट्रृर
(घ) व्याख्याता
उत्तर :
(ग) सब रजिस्ट्रार।

प्रश्न 10.
दिनकर जी किस सभा के सदस्य थे ?
(क) राज्य सभा
(ख) साहित्य सभा
(ग) लोक सभा
(घ) साहित्य और कला सभा
उत्तर :
(क) राज्य सभा।

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प्रश्न 11.
दिनकर जी किस विश्वविद्यालय के कुलपति रहे ?
(क) यादवपुर विश्वविद्यालय
(ख) भागलपुर विश्वविद्यालय
(ग) बर्द्रमान विश्वविद्यालय
(घ) सिद्धू-कानू विशविद्यालय
उत्तर :
(ख) भागलपुर विशविविद्यालय।

प्रश्न 12.
दिनकर ने किस विशवविद्यालय से बी० ए० ऑनर्स किया ?
(क) पटना विशवविद्यालय
(ख) भागलपुर विश्वविद्यालय
(ग) सिद्धू-कानू विश्वविद्यालय
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) पटना विश्वविद्यालय।

प्रश्न 13.
दिनकर की प्रारंभिक रचनाएँ किस उपनाम से छपीं ?
(क) अजिताभ
(ख) अज्ञेय
(ग) अमिताभ
(घ) आसू
उत्तर :
(ग) अमिताभ।

प्रश्न 14.
दिनकर का स्वर्गवास कब हुआ ?
(क) 22 अप्पैल 1975 ई०
(ख) 24 अप्रैल 1974 ई०
(ग) 28 फरवरी 1970 ई०
(घ) 25 अप्रैल 1975 ई०
उत्तर :
(ख) 24 अप्रैल 1974 ई०।

प्रश्न 15.
दिनकर की कविता का उद्भव किस युग में हुआ ?
(क) छायावाद
(ख) प्रगतिवाद
(ग) प्रयोगवाद
(घ) नकेनवाद
उत्तर :
(क) छायावाद।

प्रश्न 16.
दिनकर की किस कृति पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला ?
(क) रसवंती
(ख) उर्वशी
(ग) हुंकार
(घ) परशुराम की प्रतीक्षा
उत्तर :
(ख) उर्वशी।

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प्रश्न 17.
‘रसवंती’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) रघुवीर सहाय
(ख) प्रसाद
(ग) महादेवी शार्मा
(घ) दिनकर
उत्तर :
(घ) दिनकर।

प्रश्न 18.
‘कुरूक्षेत्र’ के कवि कौन हैं ?
(क) कीर्ति चौधरी
(ख) दिनकर
(ग) मैथिलीशरण गुप्त
(घ) कैलाश गौतम
उत्तर :
(ख) दिनकर।

प्रश्न 19.
‘नीलकुसुम’ के रचयिता का नाम क्या है ?
(क) दिनकर
(ख) कैलाश गौतम
(ग) राजेश जोशी
(घ) कीर्ति चौधरी
उत्तर :
(क) दिनकर।

प्रश्न 20.
‘रश्मिरथी’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) निराला
(ख) दिनकर
(ग) गुप्त जी
(घ) राजेश जोशी
उत्तर :
(ख) दिनकर।

प्रश्न 21.
‘द्वंद्वगीत’ किसकी रचना है ?
(क) बच्चन
(ख) पंत
(ग) प्रसाद
(घ) दिनकर
उत्तर :
(घ) दिनकर।

प्रश्न 22.
‘सीपी और शंख’ के कवि कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) बच्चन
(ग) प्रसाद
(घ) पंत
उत्तर :
(क) दिनकर।

प्रश्न 23.
‘परशुराम की प्रतीक्षा’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) निराला
(ग) पंत
(घ) रामनरेश त्रिपाठी
उत्तर :
(क) दिनकर।

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प्रश्न 24.
‘चक्रवात’ किसकी रचना है ?
(क) प्रसाद
(ख) निराला
(ग) पंत
(घ) दिनकर
उत्तर :
(घ) दिनकर।

प्रश्न 25.
‘हारे को हरिनाम’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) राम कुमार वर्मा
(ग) यतीन्द्र मिश्र
(घ) गुणाकर मुले
उत्तर :
(क) दिनकर।

प्रश्न 26.
‘मिट्टी की ओर’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) मतुराज
(ख) दिनकर
(ग) अनामिका
(घ) नागार्जुन
उत्तर :
(ख) दिनकर।

प्रश्न 27.
‘अर्द्धनारीश्वर’ किसकी रचना है ?
(क) प्रसाद
(ख) दिनकर
(ग) अनामिका
(घ) संजीव
उत्तर :
(ख) दिनकर।

प्रश्न28.
‘रेती के फूल’ के लेखक कौन हैं?
(क) दिनकर
(ख) कृष्णा सोबती
(ग) शिवमूर्ति
(घ) संजीव
उत्तर :
(क) दिनकर।

प्रश्न 29.
‘भारतीय संस्कृति के चार अध्याय’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) मैथिली शरण गुप्त
(ख) संजीव
(ग) दिनकर
(घ) बच्चन
उत्तर :
(ग) दिनकर।

प्रश्न 30.
दिनकर किस युग के प्रतिनिधि कवि थे ?
(क) छायावाद
(ख) प्रगतिवाद्व
(ग) प्रयोगवाद
(घ) अपने युग के
उत्तर :
(ख) प्रगतिवाद।

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प्रश्न 31.
‘मनुष्य और सर्प’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) दिनकर
(ख) संजीव
(ग) मतुराज
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) दिनकर।

प्रश्न 32.
‘मनुष्य और सर्प’कविता की पृष्ठ भूमि क्या है ?
(क) पलासी युद्ध
(ख) महाभारत युद्ध
(ग) बवसर युद्ध
(घ) पानीपत युद्ध
उत्तर :
(ख) महाभारत युद्ध।

प्रश्न 33.
महाभारत में कर्ण किसकी ओर से लड़ा था?
(क) पांडव
(ख) कृष्ण
(ग) इनमें से कोई नहीं
(घ) कौरव
उत्तर :
(घ) कौरव।

प्रश्न 34.
कर्ण ने अश्वसेन के प्रस्ताव का क्या किया ?
(क) अस्वीकार किया
(ख) स्वीकार किया
(ग) सोचने का समय मांगा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) अस्वीकार किया।

प्रश्न 35.
कर्ण ने अश्वसेन को किसका शत्रु कहा ?
(क) अर्जुन का
(ख) मानवता का
(ग) कौरव का
(घ) पाण्डव का
उत्तर :
(ख) मानवता का।

प्रश्न 36.
सर्प को किसका शत्रु कहा गया है ?
(क) दानवता का
(ख) ईमानदारी का
(ग) मानव का
(घ) मानवता का
उत्तर :
(घ) मानवता का।

प्रश्न 37.
किसका सुहाग जल रहा था ?
(क) धरित्री का
(ख) सैनिकों की स्तियों क
(ग) कुंती का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) धरित्री का।

प्रश्न 38.
कर्ण किसके साथ युद्ध कर रहा था ?
(क) कौरव के साथ
(ख) अर्जुन के साथ
(ग) सैनिकों के साथ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) अर्जुन के साथ।

प्रश्न 39.
प्रतिक्षण किसका गंभीर गर्जन कुरूक्षेत्र में गूंज रहा था ?
(क) कर्ण और अर्जुन का
(ख) सैनिकों का
(ग) घोड़ों का
(घ) हाथियों का
उत्तर :
(क) कर्ण और अर्जुन का।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 4 मनुष्य और सर्प

प्रश्न 40.
किसके बाणों की वर्षा हो रही थी ?
(क) अश्वसेन के
(ख) कर्ण और कृष्ण के
(ग) कर्ण के
(घ) कर्ण और अर्जुन के
उत्तर :
(घ) कर्ण और अर्जुन का।

प्रश्न 41.
अश्वसेन कहाँ छिपा हुआ था ?
(क) कर्ण के तरकस में
(ख) अर्जुन के तरकश में
(ग) अर्जुन के रथ में
(घ) झाड़ी में
उत्तर :
(क) कर्ण के तरकश में।

प्रश्न 42.
अश्वसेन जन्म से ही किसका शत्रु है ?
(क) स्वयं का
(ख) अर्जुन का
(ग) पिता का
(घ) मनुष्यों का
उत्तर :
(ख) अर्जुन का।

प्रश्न 43.
कुरूक्षेत्र में किसने अपने को कर्ण का हितैषी कहा ?
(क) अर्जुन ने
(ख) भीम ने
(ग) कृष्ण ने
(घ) अश्वसेन ने
उत्तर :
(घ) अश्वसेन ने।

प्रश्न 44.
कर्ण के अनुसार मनुष्य की विजय का साधन कहाँ रहता है ?
(क) अपने बाहुबल में
(ख) दूसरों की सहायता में
(ग) कुटिलता में
(घ) बेईमानी में
उत्तर :
(क) अपने बाहुबल में।

प्रश्न 45.
कर्ण के अनुसार नररूपी सर्प कहाँ बसते हैं ?
(क) युद्ध क्षेत्र में
(ख) नगरों, ग्रामों, घरों में
(ग) तरकस में
(घ) इनमें से कहीं नहीं
उत्तर :
(ख) नगरों, ग्रामों, घरों में।

प्रश्न 46.
नररूपी सर्प किसका पथ कठिन कर देते हैं ?
(क) मानवता का
(ख) दानवता का
(ग) प्रेम का
(घ) दान का
उत्तर :
(क) मानवता का।

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प्रश्न 47.
कर्ण ने जीवन-भर किस निष्ठा को पाला ?
(क) दानवता
(ख) मानवता
(ग) कर्मठता
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) मानवता।

प्रश्न 48.
‘दोनों समबल’ में दोनों कौन हैं ?
(क) कर्ण और अर्जुन
(ख) कर्ण और अश्वसेन
(ग) अश्वसेन और अर्जुन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) कर्ण और अर्जुन।

प्रश्न 49.
‘पार्थ’ किसे कहा गया है ?
(क) कर्ण को
(ख) अश्वसेन को
(ग) भीम को
(घ) अर्जुन को
उत्तर :
(घ) अर्जुन को।

प्रश्न 50.
‘तू मुझे सहारा दे’ – तू कौन है ?
(क) अर्जुन
(ख) कर्ण
(ग) अश्वसेन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : (ख) कर्ण।

प्रश्न 51.
‘रे कुटिल’ से कौन संकेतित है ?
(क) अश्वसेन
(ख) कर्ण
(ग) अर्जुन
(घ) युधिष्ठिर
उत्तर :
(क) अश्वसेन।

प्रश्न 52.
‘अर्जुन है मेरा शत्रु’ – वक्ता कौन है ?
(क) अश्वसेन
(ख) कर्ण
(ग) कुंती
(घ) कृष्ण
उत्तर :
(ख) कर्ण।

प्रश्न53.
‘सर्प का पापी ने साहाय्य लिया’ – में पापी कौन हैं ?
(क) अर्जुन
(ख) कृष्ण
(ग) कर्ण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) कर्ण।

प्रश्न 54.
‘मनुज का सहज शत्रु’ कौन है ?
(क) अश्वसेन
(ख) अर्जुन
(ग) कृष्ण
(घ) कर्ण
उत्तर :
(क) अश्वसेन।

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प्रश्न 55.
‘चतुष्पद और द्विपद’ से कौन संकेतित है ?
(क) पशु और मनुष्य
(ख) कर्ण और अर्जुन
(ग) अर्जुन और अश्वसेन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) पशु और मनुष्य।

प्रश्न 56.
‘दोनों रण कुशल’ में दोनों कौन हैं ?
(क) अश्वसेन और अर्जुन
(ख) कर्ण और अर्जुन
(ग) घोड़े और हाथी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) कर्ण और अर्जुन।

प्रश्न 57.
‘कोई प्रचंड विघधर भुजंग’ में कोई से कौन संकेतित है ?
(क) हाथी
(ख) घोड़ा
(ग) सैनिक
(घ) अश्वसेन
उत्तर :
(घ) अश्वसेन।

प्रश्न 58.
‘भुजंगो’ का अर्थ है :
(क) भुजा वाला
(ख) सर्पों
(ग) मानव
(घ) दानव
उत्तर :
(ख) सर्पे।

प्रश्न 59.
अश्वसेन ने महाशत्रु किसे कहा :
(क) अर्जुन को
(ख) कर्ण को
(ग) कौरवों को
(घ) इनमें से किसी को नहीं
उत्तर :
(क) अर्जुन को।

प्रश्न 60.
‘गरल’ का अर्थ है :
(क) गड़ा हुआ
(ख) विष
(ग) सड़ा हुआ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) विष।

प्रश्न 61.
‘रेणुका’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कतुराज
(ख) राजेश जोशी
(ग) दिनकर
(घ) अनामिका
उत्तर :
(ग) दिनकर।

प्रश्न 62.
‘रे कुटिल’ से किसे संबोधित किया गया है ?
(क) कर्ण को
(ख) अर्जुन को
(ग) कवि को
(घ) अश्वसेन को
उत्तर :
(घ) अश्वसेन को।

प्रश्न 63.
‘क्षार’ का अर्थ है :
(क) राख
(ख) क्षयी
(ग) नमकीन
(घ) लवण
उत्तर :
(क) राख।

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प्रश्न 64.
‘प्रतिभर’ का अर्थ है :
(क) शब्नु
(ख) मित्र
(ग) हितेषी
(घ) सर्प
उत्तर :
(क) शत्रु।

प्रश्न 65.
‘नर-भुजंग’ का अर्थ है :
(क) नर और भुजंग
(ख) नर की भुजा
(ग) नररूपी सर्प
(घ) नर का सर्प
उत्तर :
(ग) नररूपी सर्प।

प्रश्न 66.
‘वह सर्प नहीं’ – वह से कौन संकेतित है ?
(क) कर्ण
(ख) अश्वसेन
(ग) अर्जुन
(घ) भीम
उत्तर :
(ग) अर्जुन।

प्रश्न 67.
‘मनुज का सहज शत्रु’ किसे कहा गया है ?
(क) अश्वसेन को
(ख) कर्ण को
(ग) अजुन को
(घ) युधिष्ठिर को
उत्तर :
(क) अवशसेन को।

प्रश्न 68.
‘कौतेय’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?
(क) कुती के लिए
(ख) अर्जुन के लिए
(ग) कर्ण के लिए
(घ) इनमें से किसी के लिए नहीं
उत्तर :
(ख) अर्जुन के लिए।

प्रश्न 69.
‘कौतेय’ का शाष्दिक अर्थ है :
(क) कुंती से जन्मा
(ख) कुंती
(ग) कर्ण के लिए
(घ) कांतिवाला
उत्तर :
(क) कुंती से जन्मा।

प्रश्न 70.
‘मैं अभी पार्थ को मारूँगा’ -मै’ कौन है ?
(क) कर्ण
(ख) अश्वसेन
(ग) कौरव
(घ) पांडव
उत्तर :
(ख) अश्वसेन।

प्रश्न 71.
कर्ण अर्जुन के साथ युद्ध में किसकी सहायता नहीं लेना चाहता था ?
(क) अश्वसेन की
(ख) सैनिकों की
(ग) कृष्ण की
(घ) अर्जुन की
उत्तर :
(क) अश्वसेन की।

प्रश्न 72.
कर्ण किसका पुत्र था ?
(क) कुंती का
(ख) माद्री का
(ग) राधा का
(घ) इनमें से किसी का नहीं
उत्तर :
(क) कुंती का।

प्रश्न 73.
‘जा भाग’ किसके लिए कहा गया है ?
(क) कर्ण के लिए
(ख) अश्वसेन के लिए
(ग) अर्जुन के लिए
(घ) इनमें से किसी के लिए नहीं
उत्तर :
(ख) अश्वसेन के लिए।

प्रश्न 74.
‘लिए रक्त-रंजित शरीर’ – रक्त-रंजित शारीर किसका है ?
(क) सैनिकों का
(ख) अश्वसेन का
(ग) कर्ण और अर्जुन का
(घ) इनमें से किसी का नहीं
उत्तर :
(ग) कर्ण और अर्जुन का।

प्रश्न 75.
‘मनुर्घ्य और सर्प’ में कर्ण का कौन-सा दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है?
(क) स्वार्थी
(ख) पर पार्थी
(ग) व्यक्तिवादी
(घ) मानवतावादी
उत्तर :
(घ) मानवतावादी।

प्रश्न 76.
‘वाजियों’ का अर्थ है ?
(क) घोड़ो
(ख) हाथी
(ग) कोरवों
(घ) पांडवों
उत्तर :
(क) घोड़ों।

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प्रश्न 77.
‘चतुष्पद्’ का अर्थ है ?
(क) चौपाई
(ख) पशु
(ग) नर
(घ) नारायण
उत्तर :
(ख) पशु।

प्रश्न 78.
‘द्विपद’ का अर्थ है ?
(क) दोहा
(ख) मनुष्य
(ग) कर्ण
(घ) घरती
उत्तर :
(ख) मनुष्य।

प्रश्न 79.
‘दोनों समर्थ’ का तात्पर्य है ?
(क) कौरव और पाण्डव
(ख) घोड़े और हाथी
(ग) भक्त और भगवान
(घ) अज्जुंन और कर्ण
उत्तर :
(घ) अर्जुन और कर्ण।

प्रश्न 80.
‘विशिख वृष्टि’ का अर्थ है ?
(क) अतिवृष्टि
(ख) अनावृष्टि
(ग) बाणों की वर्षा
(घ) मूसलाधार वर्षा
उत्तर :
(ग) बाणों की वर्षा।

प्रश्न 81.
‘दानों रण-कुशल’ किसे कहा गया है ?
(क) अर्जुन और कर्ण को
(ख) राम और रावण को
(ग) हाथी और घोड़े को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) अर्जुन और कर्ण को।

प्रश्न 82.
किसने अपने-आप को ‘बहुविधि हितकामी’ कहा ?
(क) कर्ण
(ख) अर्जुन
(ग) कवि
(घ) अश्वसेन
उत्तर :
(घ) अश्वसेन।

प्रश्न 83.
‘शख्य’ का अर्थ है ?
(क) सौ
(ख) सखा
(ग) लक्ष्य
(घ) संखिया
उत्तर :
(ग) लष्ष्य।

प्रश्न 84.
‘नर-भुजंग’ का अर्थ है ?
(क) मनुष्य और साँप
(ख) भुजाओं वाला नर
(ग) मनुष्य के रूप में सर्प
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) मनुष्य के रूप में सर्प।

प्रश्न 85.
‘हुंकार’ किसकी रचना है ?
(क) दिनकर
(ख) प्रसाद
(ग) पंत
(घ) निराला
उत्तर :
(क) दिनकर।

प्रश्न  86.
‘मनुष्य और सर्प’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की किस मूल रचना का अंश है ?
(क) कुरूक्षेत्र
(ख) उर्वशी
(ग) हुंकार
(घ) रश्मिरथी
उत्तर :
(क) कुरूक्षेत्र।

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प्रश्न 87.
महाभारत-युद्ध के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी थे ?
(क) दुर्योधन और भीम
(ख) अर्जुन और कर्ण
(ग) कर्ण और भीम
(घ) अर्जुन और दुर्योधन
उत्तर :
(ख) अर्जुन और कर्ण।

प्रश्न 88.
अर्जुन और कर्ण का युद्ध कहाँ पर हो रहा था ?
(क) हल्दीघाटी
(ख) रणक्षेत्र
(ग) पहाड़ पर
(घ) कुरूक्षेत्र
उत्तर :
(घ) कुरूक्षेत्र।

प्रश्न 89.
अश्वसेन कर्ण के माध्यम से किससे बदला लेना चाहता था ?
(क) भीम से
(ख) युधिष्ठिर से
(ग) अर्जुन से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) अर्जुन से।

प्रश्न 90.
‘विशिख’ का अर्थ है ?
(क) तलवार
(ख) बाण
(ग) भाला
(घ) तरकश
उत्तर :
(ख) बाण।

प्रश्न 91.
कुरूक्षेत्र में किसने अपने को कर्ण का हितैषी कहा ?
(क) अर्जुन ने
(ख) भीम ने
(ग) कृष्ण ने
(घ) अश्वसेन ने
उत्तर :
(घ) अश्वसेन ने।

प्रश्न 92.
‘भुजंग’ का अर्थ है ?
(क) भयंकर जंग
(ख) सर्प
(ग) कमल
(घ) आसन
उत्तर :
(ख) सर्प।

प्रश्न 93.
‘मनुष्य और सर्प’ कविता की पृष्ठभूमि क्या है ?
(क) महाभारत का युद्ध
(ख) बक्सर का युद्ध
(ग) प्लासी का युद्ध
(घ) पानीपत का युद्ध
उत्तर :
(क) महाभारत का युद्ध।

प्रश्न 94.
अश्वसेन कहाँ छिपा हुआ था ?
(क) कर्ण के तरकश में
(ख) अर्जुन के तरकश में
(ग) अर्जुन के रथ में
(घ) झाड़ी में
उत्तर :
(क) कर्ण के तरकश में।

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प्रश्न 95.
सर्प की सहायता लेने पर आनेवाली मानवता किसे क्षमा नहीं करेगी ?
(क) अर्जुन को
(ख) कर्ण को
(ग) भौम को
(घ) युधिष्ठिर को
उत्तर :
(ख) कर्ण को।

प्रश्न 96.
कर्ण के गुरू कौन थे ?
(क) परशुराम
(ख) कृष्ण
(ग) द्रोणाचार्य
(घ) इनमें सभी
उत्तर :
(ग) द्रोणाचार्य।

WBBSE Class 10 Hindi मनुष्य और सर्प Summary

कवि परिचय 

अपने युग के सच्चे प्रतिनिधि कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म 30 सितम्बर, 1908 ई० को बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गाँव में हुआ था। पिता श्री रवि सिंह तथा माता श्रीमती मनरूप देवी थीं। प्रारंभिक शिक्षा गाँव के पाठशाला में ही हुई। मैट्रिक की परीक्षा मोकामा घाट के रेलवे हाई-स्कूल से पास की। हिंदी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने से ‘भूदेव स्वर्ण पदक’ से सम्मानित किए गए।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 4 मनुष्य और सर्प 1

 

सन् 1932 में पटना विश्वविद्यालय से बी० ए० आनर्स करने के बाद अध्यापक की नौकरी शुरू की। सन् 1934 में ये सीतामढ़ी में ‘सब रजिस्ट्रार’ बन गए। सन् 1950 में लंगट सिंह कॉलेज के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किए गए। ये राज्य सभा के सदस्य तथा भागलपुर विश्वविद्यालय (तिलका माँझी भागलपुर विश्वविद्यालय) के उपकुलपति भी रहे। इनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए भारत सरकार की और से इन्हें ‘पदमभूषण’ से सम्मानित किया गया। 24 अप्रैल 1974 को इनका देहांत हो गया।

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दिनकर जी की समस्त रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
काव्य : ‘रेणुका’, ‘हुंकार’, ‘द्वन्दूगीत’, रसवंती’, ‘सामधेनी’, ‘कुरूक्षेत्र’, ‘बापू’, ‘धूप और धुंआ’, ‘रश्मिरथी’, ‘नील-कुसुम’, ‘नये सुभाषित’, ‘उर्वशी’, ‘परशुराम की प्रतीक्षा’, ‘चक्रवाल’, हारे को हरिनाम’, ‘संचयिता’ तथा रश्मिलोक’ दिनकर जी की प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं।

गद्य रचनाएँ : मिट्टी की ओर, अर्द्धनारीश्वर, ‘भारतीय संस्कृति के चार अध्याय’, ‘शुद्ध कविता की खोज’, ‘रेती के फूल’, ‘उजली आग’, ‘काव्य की भूमिका’, ‘प्रसाद, पत और मैथिली शरण गुप्त’, ‘लोकदेव नेहरू’ तथा ‘हे राम’ इनके गद्य प्रंथ हैं। ‘संस्कृति के चार अध्यायं में दिनकर ने भारतीय संस्कृति का विस्तृत विवेचन किया है।

वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर

1. चल रहा महाभारत का रण, जल रहा करित्री का सुला,
फट कुक्षेत्र में खेल रही, नर के घीतर की कृटिल आगे

शब्दार्थ :

  • रण = युद्ध, लड़ाईं।
  • षरिज्यी = धरतो।
  • सुहाग = सौभाग्य।
  • नर = मनुष्य।
  • कुदिल आग = ईष््या-देण, कुटिलता, की आग।

प्रश्न 1.
रचना तथा रधनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘मनुष्य और सर्प’ है तथा इसके रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ है।

प्रश्न 2.
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
कबित्ता के प्रस्तुत अंश में दिनकर ने महाभारत के युद्र की विभीषिका का वर्णन किया है। कुरूक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा जा रहा है। चारों ओर की जन-धन की अयार हानि देखकर ऐसा लगता है मानो धरती का सुहाग जल रहा हो। यह मनुष्य के अंदर की वह कुटिलता रूपी आग ही है जो कुरूक्षेत्र में खुलकर अपना खेल खेल रही है। इस आग की लपट से कोई नहीं बच पाया।

काव्यगत सौंदर्य :

1. महाभारत-युद्ध की विभीषिका का वर्णन किया गया है।
2. वह मनुष्य की कुटिलता ही थी जिसने युद्ध को जन्म दिया।
3. धरती का मानवीकरण किया गया है।
4. रस रौद्र है।
5. भाषा वातावरण के अनुकूल प्रभाव पैदा करने में सक्षम है।

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2. वाजियों-गजों की लोथों में, गिर रहे मनुज के छिन्न अंग,
बह रहा चतुष्पद और द्विपद का रूधिर मिश्र हो एक संग।

शब्दार्थ :

  • वाजियों = घोड़ों।
  • गजों = हाथियों।
  • लोथों = माँस के टुकड़े।
  • मनुज = मनुष्य।
  • छिन्न = कटे ।
  • चतुष्पद = चार पैरों वाला, पशु ।
  • द्विपद = दो पैरो वाला, मनुष्य ।
  • रूधिर = खून, लहू ।
  • मिश्र = मिलकर ।
  • संग = साथ।

प्रश्न 1.
पाठ व रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ ‘मनुष्य और सर्प’ है तथा इसके रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
पंक्ति का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
महाभारत-युद्ध की भयंकरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घोड़े तथा हाथियों के माँस के लोथड़े पर सैनिकों के अंग कट-कट कर गिर रहे हैं। युद्ध में भाग लेनेवाले घोड़े-हाथियों के खून में तथा सैनिकों के खून में कोई अंतर नहीं रह गया है। दोनो के रक्त मिलकर एक हो गए हैं। यह पता करना मुश्किल है कि कौन-सा लहू पशुओं का है और कौन-सा मानव का?

काव्यगत सौंदर्य :
1. महाभारत-युद्ध की विभीषिका का वर्णन किया गया है।
2. वह मनुष्य की कुटिलता ही थी जिसने युद्ध को जन्म दिया।
3. धरती का मानवीकरण किया गया है।
4. रस रौद्र है।
5. भाषा वातावरण के अनुकूल प्रभाव पैदा करने में सक्षम हैं।

3. गत्वर, गैरेय, सुधर-भूधर से, लिए रक्त-रंजित शरीर,
ये जूझ रहे कौतेय-कर्ण, क्षण-क्षण करते गर्जन गंभीर।

शब्दार्थ :

  • गत्वर = तेज गति वाला।
  • गैरेय = लाल।
  • सुधर-भूधर = पर्वत के समान सुंदर।
  • रक्त-रंजित = खून से नहाया हुआ।
  • कौंतेय = कुंती के पुत्र – युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन।
  • कर्ण = कुंती का पुत्र ।
  • गर्जन = गरजते।

प्रश्न 1.
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
कविता की इन पंक्तियों में दिनकर ने कुरूक्षेत्र जो महाभारत युद्ध का रणक्षेत्र था – वहाँ के दृश्य का वर्णन किया है। तेज गति से, पर्वत के समान सुधड़ लेकिन रक्त-रंजित शरीर लेकर युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन के साथ कर्ण युद्ध कर रहे हैं। क्षण-क्षण भर बाद उनके गरजने का गंभीर स्वर सुनाई पड़ता है।

काव्यगत सौंदर्य :

1. महाभारत-युद्ध की विभीषिका का वर्णन किया गया है।
2. वह मनुष्य की कुटिलता ही थी जिसने युद्ध को जन्म दिया।
3. धरती का मानवीकरण किया गया है।
4. ‘गत्वर, गैरेय’, ‘रक्त-रंजित’, ‘कौंतेय-कर्ण’ तथा ‘गर्जन-गंभीर’ में अनुप्रास अलंकार है।
5. ‘क्षण-क्षण’ में छेकानुप्रास अंलकार है।
6. रस वीभत्स है।
7. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

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4. दोनों रण-कुशल धनुर्धर नर, दोनों सम बल, दोनों समर्थ,
दोनों पर दोनों की अमोध, थी विशिख वृष्टि हो रही व्यर्थ।

शब्दार्थ :

  • रण-कुशल = युद्ध करने में कुशल, दक्ष।
  • धनुर्धर नर = धनुष को धारण करनेवाले मनुष्य।
  • सम बल = बराबर ताकत वाले।
  • अमोध = नहीं चूकने वाला।
  • विशिख वृष्टि = अग्निरूपी तीरों, बाणों की वर्षा।
  • व्यर्थ = बेकार।

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश के पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश ‘मनुष्य और सर्प’ पाठ से लिया गया है।

प्रश्न 2.
पद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश में दिनकर ने कौरव और पांडव दोनों पक्षों के रण-कौशल तथा बल का वर्णन किया है। कौरव और पाण्डव दोनो ही युद्ध की कला में पारंगत हैं। दोनों के बल समान हैं। दोनों ही हर प्रकार से समर्थ हैं। दोनों के ही निशाने अचूक हैं लेकिन बाण की वर्षा व्यर्थ ही सिद्ध हो रही है।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कौरव तथा पांडवों की रण-कुशलता का वर्णन किया गया है।
2. दोनों ही बराबरी वाले हैं किसी का पलड़ा हल्का नहीं दिखाई देता।
3. ‘विशिख वृष्टि’ में अनुमास अलंकार है।
4. रस रौद्र है।
5. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

5. इतने में शर को लिए कर्ण ने, देखा ज्यों अपना निषंग,
तरकस में से फुंकार उठा, कोई प्रचंड विषधर भुज्जंग।

शब्दार्थ :

  • शर = बाण, तीर ।
  • निषंग = तरकस ।
  • तरकस = जिसमें तीर रखा जाता है।
  • प्रचंड = भयंकर ।
  • विषधर = विष को धारण करने वाला, जहरीला।
  • भुजंग = साँप।

प्रश्न 1.
कवि का नाम लिखें।
उत्तर :
कवि रामधारी सिंह ‘ दिनकर’ है।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश में दिनकर महाभारत-युद्ध का वर्णन करते हुए कहते हैं कि दोनों ही पक्ष एक-दूसरे पर बाणों की वर्षा कर रहे थे। कर्ण ने बाण के लिए अपना तरकस ज्योहि देखा उसकी तरकस में एक भयंकर विषधर साँप फुँफकार रहा था। यह देखकर वह आश्चर्यचकित रह गया।

काव्यगत सौंदर्य :

1. विषधर भुजंग का प्रसंग खांडव वन के अग्नि-प्रसंग के साथ जुड़ता है।
2. विषधर अश्वसेन था जो पांडवों से अपनी माता की मृत्यु का बदला लेना चाहता था।
3. अश्वसेन यह सोचकर कर्ण के पास आया था कि शत्रु का शत्रु मित्र होता है।
4. भाषा प्रवाहमयी एवं प्रसंग के अनुकूल है।
6. कहता कि कर्ण ! मैं अश्वसेन, विश्रुत भुजगों का स्वामी रुँ, जन्म से पार्श का शत्रु परम, वेरा बहुविधि हितकामी हूँ।

शब्दार्थ :

  • विश्रुत = विख्यात।
  • भुजंगों = साँपों।
  • पार्थ = अर्जुन।
  • परम = बड़ा।
  • बहुविधि = अनेक प्रकार से।
  • हितकामी = हित चाहने वाला।

प्रश्न 1.
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘मनुष्य और सर्प’ है।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश में कवि दिनकर ने कर्ण तथा अश्वसेन के बीच के संवाद का वर्णन किया है।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 4 मनुष्य और सर्प

6. कहता कि कर्ण! मैं अश्वसेन, विश्रुत भुजंगों का स्वामी हैँ
जन्म से पार्थ का शत्रु परम, तेरा बहुविधि हितकामी हूँ।

शब्दार्थ :

  • विश्रुत = विख्यात।
  • भुजांगों = साँपों।
  • पार्थ = अर्जुन।
  • परम = बड़ा।
  • बहुविधि = अनेक प्रकार से।
  • हितकामी = हित चाहने वाला।

प्रश्न 1.
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘मनुष्य और सर्ष’ है।

प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश में कवि दिनकर ने कर्ण तथा अश्वसेन के बीच के संवाद का वर्णन किया है। तरकस में छिपे सर्प ने अपना परिचय देते हुए कर्ण से कहा कि वह सर्पो का राजा है। वह जन्म से ही अर्जुन का परम शत्रु है लेकिन कर्ण का हर प्रकार से हित चाहने वाला है। दरअसल वह जानता था कि कर्ण अर्जुन का शत्रु है इसलिए कर्ण उसकी मित्रता स्वीकार कर उसे अपना बदला लेने में उसकी सहायता करेगा।

काव्यगत सौंदर्य :

1. प्रस्तुत अंश में कवि दिनकर ने महाभारत-युद्ध के अश्वसेन-प्रसंग का वर्णन किया है।
2. अश्वसेन कर्ण को पांडवों का शत्रु जानकर ही उसके पास मदद के लिए आया था।
3. वह पाण्डवों से बदला लेना चाहता था इसलिए वह कर्ण का हितचिंतक था।
4. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

7. बस एक बार कृपा बनुष पर, चढ शाख्य तक जाने दे,
इस महाशतु को अभी तुरत, स्पंदन में पुज्रे सुलाने दे।

शब्दार्थ :

  • शख्य = लक्ष्य।
  • स्पंदन = रथ।

प्रश्न 1.
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘मनुष्य और सर्प’ है तथा इसके रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
वक्ता कौन है?
उत्तर :
वक्ता अश्वसेन नामक सर्प है।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
प्रस्तुत प्रसंग खाण्डव वन से जुड़ा है। पांडवों द्वारा खाण्डव वन में आग लगा दिए जाने पर अश्वसेन की सर्पमाता उसमें जल मरी थी। अश्वसेन उसी का बदला लेना चाहता था। इसलिए वह कर्ण से कहता है कि वह एक बार कृपा करे। उसे अपने बाण पर चढ़ा अपने लक्ष्य तक पहुँचने दे। जब वह अपने शत्रु तक पहुँच जाएगा तो अपने विष से उसे मृत्युरूपी रथ पर सवार कर देगा।

काव्यगत सौंदर्य :

1. प्रस्तुत अंश में कवि दिनकर ने महाभारत-युद्ध के अश्वसेन-प्रसंग का वर्णन किया है।
2. अश्वसेन कर्ण को पांडवों का शत्रु जानकर ही उसके पास मदद के लिए आया था।
3. वह पाण्डवों से बदला लेना चाहता था इसलिए वह कर्ण का हितचिंतक था।
4. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 4 मनुष्य और सर्प

8. कर वमन गरल जीवन-भर का, संचित प्रतिशोष, उतासूभा, तू
मुझे सहारा दे, बढ़कर, मै अभी पार्थ को गासेग्य

शब्दार्थ :

  • वमन = उल्टी।
  • गरल = विष, जहर ।
  • संचित = संचय, जमा किया हुआ।
  • प्रतिशोध = बदला।

प्रश्न 1.
कवि का नाम लिखें ।
उत्तर :
कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
वक्ता का नाम है?
उत्तर :
वक्ता अश्वसेन नामक सर्प है।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
अश्वसेन कर्ण से कहता है कि यदि वह अपने बाण पर चढ़ाकर अर्जुन तक पहुँचा दे तो वह अपने जीवनभर का संचित विष उसके शरीर में उतार देगा। इस प्रकार उसका प्रतिरोध पूरा हो जाएगा। अगर कर्ण उसे सहारा दे दे तो वह अभी अर्जुन को मौत के घाट उतार देगा।

काव्यगत सौंदर्य :

1. प्रस्तुत अंश में कवि दिनकर ने महाभारत-युद्ध के अश्वसेन-प्रसंग का वर्णन किया है।
2. अश्वसेन कर्ण को पांडवों का शत्रु जानकर ही उसके पास मदद के लिए आया था।
3. वह पाण्डवों से बदला लेना चाहता था इसलिए वह कर्ण का हितचिंतक था।
4. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

9. रावेय जरा हँसकर बोला, के कुटिल। बात क्या कहता है?
जय का समस्त साथन नर का, अपनी बाँहो में रहता है।

शब्दार्थ :

  • राधेय = कर्ण।
  • जय = विजय, जीत।
  • नर = मनुष्य।

प्रश्न 1.
वक्ता कौन हैं ?
उत्तर :
वक्ता कर्ण है।

प्रश्न 2.
वक्ता का आशय स्पष्ट करें। अथवा, पंक्ति का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
अश्वसेन कर्ण के द्वारा बाण के माध्यम से अपने शत्रु तक पहुँचाने की बात पर कर्ण कहता है कि यह उसकी कुटिलता है। भला ऐसी बात कहने योग्य है? मनुष्य की विजय का साधन तो उसके अपने बाहुबल पर है। कर्ण को अपने बाहुबल पर भरोसा है। ऐसे में भला वह अश्वेसन की मदद क्यों ले?

काव्यगत सौंदर्य :

1. प्रस्तुत अंश में कवि दिनकर ने महाभारत-युद्ध के अश्वसेन-प्रसंग का वर्णन किया है।
2. अश्वसेन कर्ण को पांडवों का शत्रु जानकर ही उसके पास मदद के लिए आया था।
3. वह पाण्डवों से बदला लेना चाहता था इसलिए वह कर्ण का हितचिंतक था।
4. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

10. उस पर भी साँपोंसे मिलकर मैं मनुज, मनुज से युद्ध करूँ ?
जीवन भर जो निष्ठा पाली, उससे आचरण विरूद्ध करूँ ?

शब्दार्थ :

  • मनुज = मनु का पुत्र, मनुष्य।
  • निष्ठा = विश्वास।
  • आचरण-विरूद्ध = व्यवहार के विरूद्ध।

प्रश्न 1.
कवि का नाम लिखें।
उत्तर :
कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
वक्ता तथा श्रोता का नाम लिखें।
उत्तर :
वक्ता कर्ण है तथा श्रोता अश्वसेन है।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
कर्ण अश्वसेन का अनुरोध सुनकर कहता है कि यह संभव नहीं है कि वह मनुष्य होकर मनुष्य से युद्ध करने के लिए किसी सर्ष का सहारा ले। उसने जीवन भर मानव-धर्म के प्रति निष्ठा पाल रखा है। ऐसा करना उसके आचरण के विरूद्ध होगा।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कर्ण युद्ध में भी निष्ठा का पालन करने वाला था।
2. वह नहीं चाहता कि अपनी निष्ठा तथा आचरण के विरूद्ध कार्य करें।
3. ‘मनुज मनुज’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
4. भाषा सरल, प्रवाहमयी तथा प्रसंग के अनुकूल है।

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11. तेरी सहायता से जय तो, में अनायास पा जाऊँगा,
आनेवाली मानवता को, लेकिन क्या मुख दिखलाकैँगा ?

शब्दार्थ :

  • जय = जीत, विजय।
  • अनायास = यूँ ही।

प्रश्न 1.
पाठ का नाम लिखें ।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘मनुष्य और सर्प’ है।

प्रश्न 2.
वक्ता तथा श्रोता का नाम लिखें।
उत्तर :
वक्ता कर्ण है तथा श्रोता अश्वसेन है।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
कर्ण अश्वसेन को नम्रतापूर्वक मना करते हुए कहता है कि यह सही है कि तुम्हारी सहायता से युद्ध में अनायास ही मुझे सफलता मिल जाएगी। लेकिन यह भी सोचो कि आने वाली मानवता को भला मैं क्या मुँह दिखलाऊँगा? मेरे इस कार्य के लिए आने वाली संतति भी मुझे धिवकारेगी।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कर्ण युद्ध में भी निष्ठा का पालन करने वाला था।
2. वह नहीं चाहता कि अपनी निष्ठा तथा आघरण के विरूद्ध कार्य करें।
3. कर्ण अपने बाहुबल से ही युद्ध को जीतना चाहता है।
4. भाषा सरल, प्रवाहमयी तथा प्रसंग के अनुकूल है।

12. संसार कहेगा, जीवन का, सब सुकृत्त कर्ण ने क्षार किया,
प्रतिभर के वध के लिए, सर्प का पापी ने साहाय्य लिया।

शब्दार्थ :

  • सुकृत = अच्छे कर्म का यश।
  • क्षार = राख।
  • प्रतिभर = शत्रु, दुश्मन ।
  • वध = संहार, हत्या।
  • सर्प = साँप।
  • साहाय्य = सहायता, मदद।

प्रश्न 1.
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘मनुष्य और सर्प’ है तथा इसके रचनाकार ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
श्रोता कौन है?
उत्तर :
श्रोता अश्वसेन नामक सर्प है।

प्रश्न 3.
पंक्ति की व्याख्या करें।
उत्तर :
कर्ण अश्वसेन से कहता है कि युद्ध में तुम्हारी सहायता से विजय प्राप्त करने पर सारी दुनिया यही कहेगी कि कर्ण ने अपने सारे कुकर्मो पर राख डाल दिया। उस पापी ने अपने शत्रु से बदला लेने के लिए एक सर्प की सहायता ली। यह मेरे लिए बहुत ही बुरी बात होगी कि आने वाली संतति भी मेरे इस पाप के लिए मुझे क्षमा नहीं करेगी।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कर्ण युद्ध में भी निष्ठा का पालन करने वाला था।
2. वह नहीं घाहता कि अपनी निष्ठा तथा आचरण के विरूद्ध कार्य करें।
3. ‘मनुज मनुज’ में छेकानुप्रास अलंकार है।
4. भाषा सरल, प्रवाहमयी तथा प्रसंग के अनुकूल है।

13. से अश्वसेन ! तेरे अनेक वंशज हैं छिपे नरों में भी,
सीमित वन में ही नही, बहुत बसते पुर, ग्राम-घरों में भी।

शब्दार्थ :

  • वंशज = वंश में जन्म लेनेवाला।
  • नरों = मनुष्यों।
  • सीमित वन = जंगल की सीमा में।
  • बसते = रहते ।
  • पुर = नगर।
  • ग्राम = गाँव।

प्रश्न 1.
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ ‘मनुष्य और सर्प’ है।

प्रश्न 2.
अश्वसेन कौन था?
उत्तर :
अश्वसेन सर्प था। पांडवों के द्वारा खांडव वन में आग लगा दिए जाने पर उसकी माँ जल गई थी। उसी की मौत का बदला वह पाण्डवों से लेना चाहता था।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ लिखें।
उत्तर :
कर्ण अश्वसेन से कहता है कि तुम्हारे कई वंशज मनुष्य के रूप में भी हैं। वे ऊपर से भले ही मनुष्य दिखते हैं लेकिन वे साँप की तरह जहरीले हैं। साँप केवल जंगलों मे नहीं रहते, वे नगर, गाँव और घरों में भी बसते हैं।

काव्यगत सौंदर्य :

1. यहाँ कर्ण ने उन लोगों की और संकेत किया है जो हैं तो मनुष्य लेकिन उनकी प्रकृति साँपों की तरह है।
2. ऐसे लोग कहीं भी, यहाँ तक घरों में भी हो सकते हैं।
3. यहाँ कर्ण का संकेत उन लोगों की ओर भी है जिन्होंने अपनी कुटिलता से महाभारत-युद्ध को जन्म दिया।
4. भाषा सहज, प्रवाहमयी एवं प्रसंग के अनुकूल है।

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14. वे नर-भुजंग मानवता का, पथ कठिन बहुत कर देते हैं?
प्रतिबल के वघ के लिए नीच, साहाय्य सर्प का लेते हैं।

शब्दार्थ :

  • नर-भुजंग = मनुष्य के रूप में साँप।
  • पथ = रास्ता।
  • प्रतिबल = शत्रु, विरोधी।
  • साहाय्य = सहायता।
  • सर्प = साँप।

प्रश्न 1.
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
कर्ण अश्वसेन से कहता है कि ये मनुष्य रूपी सर्प मानवता के रास्ते में बाधा पैदा करते हैं। वे अपने शत्रु से बदला लेने के लिए किसी भी नीचता पर उतर सकते हैं। यहाँ तक कि साँपों की भी सहायता ले सकते हैं।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कर्ण का कहना है कि मनुष्य के वेश में जो साँप हैं वे मानवता की राह में बाधा हैं।
2. ऐसे लोग अपने शत्रु से बदला लेने के लिए नीचता की सीमा को भी पार कर जाते हैं।
3. ‘नर-भुजंग’ में रूपक अलंकार है।
4. ‘साहाय्य सर्प’ में अनुप्रास अलंकार है।
5. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

15. ऐसा न हो कि इन साँ में, मेता भी उज्ज्वल नाम चढ़े,
पाकर मेरा आदर्श और कुछे, नरता का यह पाप बढ़े।

शब्दार्थ :

  • आदर्श = उदाहरण।
  • नरता = मनुष्यता।

प्रश्न 1.
कविता तथा कवि का नाम लिखें।
उत्तर :
कविता ‘मनुष्य और सर्प’ है तथा कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
पद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
कर्ण अश्वसेन से कहता है कि मैं ऐसा नहीं चाहता कि मेरा नाम भी मनुष्य रूपी साँपों में गिना जाय। लोग मेरा उदाहरण प्रस्तुत करें और मानवता में यह्ह पाप बढ़ता ही चला जाए।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कर्ण का कहना है कि मनुष्य के वेश में जो साँप हैं वे मानवता की राह में बाधा हैं।
2. ऐसे लोग अपने शत्रु से बदला लेने के लिए नीचता की सीमा को भी पार कर जाते हैं।
3. कर्ण नही चाहता कि उसका नाम भी साँपों में लिया जाय।
4. वह यह भी नहीं चाहता कि उसको आदर्श मानने वाले लोगों के द्वारा यह पाप बढ़े।

16. अर्जुन है मेरा शत्रु, कितु वह सर्प नहीं, नर ही तो है,
संघर्ष, सनातन नहीं, शत्रुता, इस जीवन-भर ही तो है।

शब्दार्थ :

  • नर = मनुष्य।
  • सनातन = सृष्टि के प्रारंभ से ।
  • शत्रुता = दुश्मनी।

प्रश्न 1.
कविता का नाम लिखें।
उत्तर :
कविता ‘मनुष्य और सर्प’ है।

प्रश्न 2.
वक्ता कौन है?
उत्तर :
वक्ता कर्ण है।

प्रश्न 3.
इन पंक्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर :
कर्ण अश्वसेन से कहता है कि यह ठीक है कि अर्जुन से मेरी शत्रुता है लेकिन वह मनुष्य है, सर्प नहीं। और यह संघर्ष, यह शत्रुता भी जन्म-जन्मांतर तक नहीं केवल इसी जन्म भर चलने वाला है। फिर मैं यह पाप कैसे कर सकता हूँ ?

काव्यगत सौंदर्य :
1. कर्ण अश्वसेन को यह बताना चाहता है कि मनुष्य और सर्प में अंतर है। दोनों एक-दूसरे की जगह नहीं ले सकते।
2. वह इस शत्रुता को जन्म-जन्मांतर का नहीं मानता।
3. ‘संघर्ष सनातन’ में अनुप्रास अलंकार है।
4. यहाँ कर्ण के मानवता के दर्शन होते हैं।
5. भाषा प्रसंग के अनुकूल है।

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17. अगला जीवन किसलिए भला, तब हो द्वेषांध बिगारू में,
साँपों की जाकर शरण, सर्प बन, क्यों मनुष्य को मारूँ में ?

शब्दार्थ :

  • द्वेषांध = द्वेष, शत्रुता में अंधा।
  • शरण = चरणों में जाकर।

प्रश्न 1.
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘मनुष्य और सर्ष’ है तथा रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
पद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
कर्ण कहता है कि जब अर्जुन के साथ मेरी यह शत्रुता केवल इसी जन्म में चलनी है तो द्वेष में आकर मैं अपना अगला जीवन भी क्यों बिगाड़ लूँ। साँपों की शरण में जाकर, साँप बनकर मैं किसी मनुष्य को क्यों मारूँ ? कहने का भाव यह है कि मुझे अपने इस बुरे कर्म का भोग अगले जन्म में भी भोगना पड़ेगा।

काव्यगत सौंदर्य :

1. कर्ण ने यहाँ पुनर्जन्म के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है।
2. शत्रु से बदला लेने के लिए वह मानवता की हत्या नही करना चाहता।
3. कर्ण युद्ध में भी अपनी निष्ठा तथा आचरण को भुलाना नहीं चाहता।
4. भाषा सहज, प्रवाहपूर्ण तथा प्रसंग के अनुकूल है।

18. जा भाग, मनुज का सहज शत्रु, मिम्रता न मेरी पा सकता,
मैं किसी हेतु भी यह कलंक, अपने पर नहीं लगा सकता।

शब्दार्थ :

  • सहज = स्वभाविक ।
  • मित्रता = दोस्ती।
  • किसी हेतु = किसी भी प्रकार।
  • कलंक = अपयश, बदनामी।

प्रश्न 1.
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘मनुष्य और सर्प’ है तथा रचनाकार रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।

प्रश्न 2.
वक्ता कौन है ? वह किसे भाग जाने को कहता है और क्यों ?
अथवा
प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
वक्ता कर्ण है। वह अश्वसेन को धिक्कारते हुए कहता है कि तुम तो मानव तथा मानवता के शत्रु हो। तुम्हारे साथ मेरी मिन्रता कभी नहीं हो सकती। मैं तुम्हारी सहायता लेकर अपने माथे पर कलंक का टीका नहीं लगा सकता चाहे जो भी हो।

WBBSE Class 10 Hindi Solutions Poem 4 मनुष्य और सर्प

काव्यगत सौंदर्य :

1. कर्ण ने यहाँ पुनर्जन्म के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है।
2. शत्रु से बदला लेने के लिए वह मानवता की हत्या नहीं करना चाहता।
3. कर्ण युद्ध में भी अपनी निष्ठा तथा आचरण को भुलाना नहीं चाहता।
4. भाषा सहज, प्रवाहपूर्ण तथा प्रसंग के अनुकूल है।

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