Students should regularly practice West Bengal Board Class 10 Hindi Book Solutions कहानी Chapter 5 धावक to reinforce their learning.
WBBSE Class 10 Hindi Solutions Chapter 5 Question Answer – धावक
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भंबल दा की साइकिल के बारे में क्या प्रसिद्ध था?
उत्तर :
भंबल दा की साइकिल के बारे में यह बात प्रसिद्ध थी कि घंटी छोड़कर उसका सब कुछ बजता है।
प्रश्न 2.
भंबल दा अपनी विधवा बहन को कैसे सहायता देते थे ?
उत्तर :
भंबल दा अपनी विधवा बहन को 50 रु० (पचास रुपये) प्रतिमाह भेजकर उसकी सहायता किया करते थे।
प्रश्न 3.
स्पोट्र्स का मैदान कैसा था ?
उत्तर :
स्सोदर्स का मैदान ज्यामितिक अल्पना से अलंकृत था।
प्रश्न 4.
औरतों से भंबल दा को विरक्ति क्यों हो गई थी?
उत्तर :
अपनी भाभी अर्थात् अशोक दा की पत्नी के उपेक्षापूर्ण व्यवहार के कारण भंबल दा को औरतों से विरक्ति हो गई थी ।
प्रश्न 5.
भंबल दा की जीवन के प्रति क्या धारणा थी ?
उत्तर :
भंबल दा की जीवन के प्रति यह धारणा थी कि जिंदगी शान की नहीं बल्कि सम्मान की होनी चाहिए।
प्रश्न 6.
स्पोर्द्स का मैदान कैसा था?
उत्तर :
स्पोर्ट्स का मैदान ज्यामितिक अल्पना से अलंकृत (सजा) था।
प्रश्न 7.
मैदान में किसकी कमी थी?
उत्तर :
मैदान में भंबल दा की कमी थी।
प्रश्न 8.
लेखक ने हड़बड़ाकर किस पर नजर डाली?
उत्तर :
लेखक ने हड़बड़ाकर धावकों पर नजर डाली।
प्रश्न 9.
लेखक ने खेल प्रारम्भ कराने के लिए क्या किया?
उत्तर :
लेखक ने खेल प्रारम्भ कराने के लिए पिस्तौल का घोड़ा दबा दिया।
प्रश्न 10.
स्पोर्द्स अधिकारी से भंबल दा ने क्या पूछा?
उत्तर :
स्योर्द्स अधिकारी से भंबल ने पूछा क्या सभी खिलाड़ियों को समान सुविधा देने का कोई कानून नहीं है?
प्रश्न 11.
भंबल दा को लोग क्या कहकर ललकार रहे थे ?
उत्तर :
भंबल दा को लोग, ‘बढ़े चलिए बम भोले भैया’ ” कहकर ललकार रहे थे।
प्रश्न 12.
भंबल दा धीरे-धीरे क्यों दौड़ रहे थे?
उत्तर :
भंबल दा थकान के प्रभाव से धीरे-धीरे दौड़ रहे थे।
प्रश्न 13.
भंबल दा को लंगी मारने पर लोग क्या कह कर चिल्ला रहे थे?
उत्तर :
भंबल दा को लंगी मारने पर लोग मारो-मारो कहकर चिल्ला रहे थे।
प्रश्न 14.
भंबल दा हँसते हुए क्या कहते ?
उत्तर :
भंबल दा हँसते हुए कहते भला किसान-मजदूर को कसरत की क्या जरूरत।
प्रश्न 15.
लोग किसकी आयु को पाँच साल की कहते हैं?
उत्तर :
लोग स्सोर्ट्समैन और बीमा कम्पनी के एजेन्ट की आयु को पाँच साल का कहते हैं।
प्रश्न 16.
भंबल दा अपवाद क्यों थे?
उत्तर :
भबल दा 25 वर्षो से स्पोर्ट्स में भाग लेते आ रहे हैं, इसलिए अपवाद थे।
प्रश्न 17.
खेल अधिकारी, चाहकर भी भंबल दा को क्यों बैठा नहीं सकते थे?
उत्तर :
दर्शकों के जबर्दस्त समर्थन के कारण खेल अधिकारी चाहकर भी भंबल दा को बैठा नहीं सकते थे।
प्रश्न 18.
पिछली बार बाधा दौड़ में कितने प्रतियोगी थे?
उत्तर :
पिछली बार बाधा-दौड़ में महज चार प्रतियोगी थे।
प्रश्न 19.
भंबल दा किसलिए दौड़ते थे?
उत्तर :
भंबल दा पुरस्कारों के लिए नहीं बल्कि अपने को तौलने के लिए दौड़ते थे।
प्रश्न 20.
भंबल दा को कैसी जिन्दगी प्यारी थी?
उत्तर :
भंबल दा को शान की नहीं सम्मान की जिन्दगी प्यारी थी।
प्रश्न 21.
भंबल दा के अनुसार शान की जिन्दगी कैसी होती है?
उत्तर :
भंबल दा के अनुसार शान की जिन्दगी दूसरों से अपने को ऊँचा दिखाने, कूरता और खुदगर्जी की होती है।
प्रश्न 22.
भंबल दा सम्मान को क्या मानते थे?
उत्तर :
भंबल दा सम्मान को परस्सर सौहार्द और समता का द्योतक मानते थे।
प्रश्न 23.
चीफ पर्सनल अफसर के रूप में अशोक दा क्या करते थे?
उत्तर :
चीफ पर्सनल अफसर के रूप में अशोक दा जायज को नाजायज और नाजायज को जायज किया करते थे।
प्रश्न 24.
भंबल दा को क्यों औरतों से विरक्ति हो गयी थी?
उत्तर :
भंबल दा को अपनी भाभी के आचरणों के कारण औरतों से विरक्ति हो गयी थी।
प्रश्न 25.
माँ ने लेखक को बुलाकर क्या कहा?
उत्तर :
माँ ने लेखक को बुलाकर भंबल दा की शादी के लिए कहा।
प्रश्न 26.
‘धावक’ कहानी के रचनाकार कौन हैं?
उत्तर :
‘धावक’ कहानी के रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न 27.
स्पोर्द्स के मैदान में किसकी कमी थी?
उत्तर :
स्पोटर्स के मैदान में भंबल दा की कमी थी।
प्रश्न 28.
‘बम भोले भैया’ के नाम से किसे जाना जाता है?
उत्तर :
भंबल दा को बम भोले भैया के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 29.
अजीब खब्ती आदमी है – ‘खब्ती आदमी’ किसे कहा गया है?
उत्तर :
भंबल दा को ‘खब्ती आदमी’ आदमी कहा गया है।
प्रश्न 30.
लेखक स्पोट्स के मैदान में किस बात पर चौकन्ना थे ?
उत्तर :
लेखक इस बात पर चौकन्ना थे कि कहीं सामान्य मजदूर-बाबू क्लास के लोग वी.आई.पी. की जगहों को न हधिया लें।
प्रश्न 31.
लोग भंबल दा के किस बात आश्वस्त थे?
उत्तर :
लोग भंबल दा के इस बात पर आश्वस्त थे कि खेल में दूसरे भले ही बेईमानी कर बैठें लेकिन भंबल दा कभी बेईमानी नहीं कर सकते।
प्रश्न 32.
लेखक भंबल दा की किस बात से कुढ़ते थे?
उत्तर :
अक्सर जब दौड़ समाप्त हो चुकी होती और धावक अपने प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर खड़े होकर दर्शंको का अभिवादन कर रहे होते उस समय भी भंबल दा अपनी दौड़ पूरी करने के लिए ट्रैक पर दौड़ रहे होते थे।
प्रश्न 33.
अशोक दा हतबुद्धि कब हो गये थे?
उत्तर :
जब भंबल दा ने पुरस्कार लेने से इन्कार कर दिया था उस समय अशोक दा हत्बुद्धि हो गये थे।
प्रश्न 34.
लेखक ने भंबल दा को अन्य धावकों की तरह क्या नहीं करते देखा ?
उत्तर :
लेखक ने भंबल दा को अन्य धावकों की तरह कभी दौड़ का अभ्यास करते नहीं देखा।
प्रश्न 35.
“भला किसान-मजदूर को कसरत की क्या जरूरत” – कथन किसका है?
उत्तर :
यह कथन भंबल दा का है।
प्रश्न 36.
लोग स्पोट्स मैन तथा बीमा कंपनी के एजेंट के बारे में क्या कहते हैं ?
उत्तर :
इनकी आयु पाँच साल होती है।
प्रश्न 37.
भंबल दा किसके अपवाद थे ?
उत्तर :
लोगों के अनुसार स्सोद्संमैन तथा बीमा कंपनी के एजेंट की आयु पाँच साल होती है – भंबल दा इस नियम के अपवाद थे।
प्रश्न 38.
किसने कभी नहीं खेलों के नियमों का उल्लंघन किया ?
उत्तर :
भंबल दा ने खेलों के नियमों का उल्लंघन कभी नहीं किया।
प्रश्न 39.
पिछली बार की बाधा दौड़ में कुल कितने प्रतियोगी थे?
उत्तर :
पिछली बार के बाधा दौड़ में कुल चार प्रतियोगी थे।
प्रश्न 40.
जब एक प्रतियोगी ने भंबल दा के बाधा दौड़ में द्वितीय आने को गलत बताकर माँ की कसम खाने को कहा तो भंबल दा ने क्या उत्तर दिया?
उत्तर :
“तुम्हारी माँ नहीं है शायद वरना तुम इस तुच्छ पुरस्कार के लिए माँ को दाँव पर नहीं लगाते मेरे भाई।”
प्रश्न 41.
भंबल दा के बड़े भाई का नाम क्या था?
उत्तर :
भंबल दा के बड़े भाई का नाम अशोक दा था।
प्रश्न 42.
भंबल दा तथा उनके भाई अशोक दा की उपलब्घियों में कितना अंतर था?
उत्तर :
भंबल दा तथा उनके भाई अशोक दा की उपलब्धियों में वर्षो का नहीं युगों का अंतर था। भंबल दा एक किरानी थे जबकि अशोक दा चीफ पर्सनल ऑफिसर थे ।
प्रश्न 43.
भंबल दा की शिक्षा कहाँ तक हुई ?
उत्तर :
भंबल दा की शिक्षा मैट्रीक्यूलेशन तक हुई ची।
प्रश्न 44.
भंबल दा मैट्रीक्यूलेशन में कितनी बार फेल हुए थे ?
उत्तर :
भंबल दा मैट्रीक्यूलेशन में बार बार फेल हुए थे।
प्रश्न 45.
किसने काफी करीब से भंबल दा को देखा था ?
उत्तर :
लेखक ने भंबल दा को काफी करीब से देखा था।
प्रश्न 46.
“आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए” – यह कथन किसका और किसके प्रति है?
उत्तर :
यह कथन भंबल दा के बड़े भाई अशोक दा का है तथा यह भंबल दा के प्रति है।
प्रश्न 47.
अशोक दा अक्सर भंबल दा से क्या कहा करते थे?
उत्तर :
अशोक दा अक्सर भंबल दा से यह कहा करते थे कि, ” आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए। मेरा भाई मेरी गरिमा के अनुकूल होकर आता है तो उसका स्वागत है, वरना उसे यहाँ आने की जरूरत ही क्या है? माँ को मेरे पास छोड़ दे या उसे लेकर किसी दूसरे शहर घला जाय। मैं दूसरे को खैरात बाँटता हूँ. उन्हें भी ढाई सी भेज दिया करूँगा।
प्रश्न 48.
भंबल दा को कैसी जिंदगी चाहिए थी ?
उत्तर :
भंबल दा को शान की नहीं सम्मान की जिंदगी चाहिए थी।
प्रश्न 49.
भंबल दा के अनुसार शान क्या होती है?
उत्तर :
भंबल दा के अनुसार शान द्वारा अपने को ऊँचा दिखाने की क्रूरता तथा खुदगर्जी होती है।
प्रश्न 50.
भंबल दा के अनुसार सम्मान क्या होता है?
उत्तर :
भंबल दा के अनुसार सम्मान आपसी प्रेम तथा समता का प्रतीक होता है।
प्रश्न 51.
लेखक के सामने भंबल दा को लेकर क्या समस्या थी?
उत्तर :
लेखक के सामने भंबल दा को लेकर समस्या यह थी कि कैसे उन्हें बाकी सहकर्मियों से आगे बढ़ाकर शीर्ष पर ले जाएँ।
प्रश्न 52.
लेखक भंबल दा को किस बात के लिए उकसा रहे थे ?
उत्तर :
लेखक भंबल दा को इस बात के लिए उकसा रहे थे कि वे ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट होकर किसी ट्रेड में विशेषता प्राप्त कर लें।
प्रश्न 53.
भंबल दा केवल परिवार ही नहीं, मुहल्ले तक में अपनी जड़ जमाए हुए थे – कैसे ?
उत्तर :
भंबल दा सबके गम, सबकी खुशी में शरीर होने वाले थे – चाहे वह बंगाली हो, गैर बंगाली हो, हिन्दू हो या फिर मुसलमान हो। जहाँ भी उनकी जरूरत होती थी- वे वहीं हाजिर हो जाते थे। अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण भिंबल दा केवल अपने परिवार में ही नहीं, मुहल्ले तक में अपनी जड़े जमाए हुए थे।
प्रश्न 54.
किसकी शादी से भंबल दा की माँ टूट गई थी?
उत्तर :
भंबल दा के भाई अर्थात् अपने बड़े बेटे अशोक की शादी से भिंबल दा की माँ टूट गई थी।
प्रश्न 55.
माँ को कौन-सी चीज बुरी तरह सालती थी ?
उत्तर :
माँ को यह बात बुरी तरह सालती थी कि उनका एक बेटा (अशोक) उनकी छाया तक से बचता चलता है।
प्रश्न 56.
भंबल दा को सोया जानकर माँ क्या करती थीं?
उत्तर :
भिंबल दा को सोया जानकर माँ अपने दिल के दरवाजे-खिड़कियाँ बंद कर तनहाइयों में डूब जाती थी।
प्रश्न 57.
अपने दर्द को झूठलाने के लिए माँ क्या करती थीं ?
उत्तर :
अपने दर्द को झूठलाने के लिए माँ अशोक दा की खूब प्रशंसा किया करती थीं।
प्रश्न 58.
परिवार का शुभचिंतक होने के नाते लेखक के सामने कौन-सा रास्ता बच रहा था?
उत्तर :
परिवार का शुभचिंतक होने के नाते लेखक के सामने एक ही रास्ता बच रहा था। वह रास्ता था – भिंबल दा तथा अशोक दा के बीच की कड़ी को जोड़ देना।
प्रश्न 59.
क्या भंबल दा का प्रमोशन हुआ ? क्यों ?
उत्तर :
नहीं, भंबल दा का प्रमोशन नहीं हो पाया क्योंकि वह गलत तरीके से प्रमोशन लेना नहीं चाहते थे।
प्रश्न 60.
भंबल दा के विवाह के बारे में क्या मुश्किल थी ?
उत्तर :
भंबल दा के विवाह के बारे में मुश्किल यह थी कि वे उम्र के उस दौर में पहुँच रहे थे जहाँ मनचाही लड़कियाँ नहीं मिलती हैं।
प्रश्न 61.
लेखक ने भंबल दा से शादी के लिए किसे राजी क्या ?
उत्तर :
लेखक ने एक मास्टरनी को भंबल दा से शादी के लिए राजी किया।
प्रश्न 62.
लेखक ने जिसके साथ भंबल दा की विवाह तय किया – क्या वह विवाह हो पाया?
उत्तर :
लेखक ने जिसे भंबल दा के साथ विवाह के लिए राजी किया था उसके साथ विवाह नहीं हो पाया ।
प्रश्न 63.
मास्टरनी के सामने पड़ने से किसकी रूह काँपती थी और क्यों ?
उत्तर :
मास्टरनी के सामने पड़ने से लेखक की रूह काँपती थी। क्योकि उसका विवाह भंबल दा के साथ नहीं हो पाया।
प्रश्न 64.
भंबल दा ने अपना मकान कैसे बनवाया था?
उत्तर :
भंबल दा ने को-आपरेटिव और पी०एफ० के लोन से अपना मकान बनवाया था।
प्रश्न 65.
भंबल दा ने विवाह क्यों नहीं किया ?
उत्तर :
भंबल दा का मासिक वेतन साढ़े तीन सौ रुपये था। माँ के इलाज के बाद इतने पैसे नहीं बचते थे कि पत्ली का भी भार वहन कर सकते। यही कारण था कि भंबल दा ने विवाह नहीं किया।
प्रश्न 66.
कौन भंबल दा की पैसे की समस्या हल कर सकता था ?
उत्तर :
भंबल दा की भावी पत्नी पैसे की समस्या हल कर सकती थी।
प्रश्न 67.
भंबल दा को किसका अहसानमंद बनना कुबूल न था?
उत्तर :
भावी पत्नी का अहसानमंद बनना भंबल दा को कुबूल न था।
प्रश्न 68.
किसने, किससे, किसके लिए शादी करने की कोशिश करने की बात लेखक से कही?
उत्तर :
भंबल दा की माँ ने लेखक से भबल दा की शादी के लिए कोशिश करने की बात कही।
प्रश्न 69.
पचीस वर्षो में पहली बार भंबल दा को कौन-सा पुरस्कार मिलने जा रहा था?
उत्तर :
पचीस वर्षो में पहली बार भंबल दा को विदूपक का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मिलने जा रहा था।
प्रश्न 70.
भंबल दा को पहला स्ट्रोक कब हुआ?
उत्तर :
जिस दिन भंबल दा को विदूषक का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई उसी रात भंबल दा को पहला स्ट्रोक हुआ।
प्रश्न 71.
भंबल दा का मकान कहाँ था ?
उत्तर :
स्टेशन के पास ही भंबल दा का मकान था।
प्रश्न 72.
भंबल दा का मकान कितने कमरे का था?
उत्तर :
भंबल दा का मकान दो कमरे का था।
प्रश्न 73.
भंबल दा के कमरे की दशा कैसी थी?
उत्तर :
भंबल दा के कमरे की दशा काफी अस्त-व्यस्त थी। माँ काली के चित्र के सामने जली हुई धूप-काठियों की ढेर थी। मकड़े के जाले लटक रहे थे। पिछ्छले तीन महीने से कैलेण्डर का पन्ना नहीं बदला गया था तथा चमगादड़ों ने वहाँ अपना घर बना लिया था।
प्रश्न 74.
भंबल दा ने जो कागज भैया (अशोक दा) के नाम छोड़ा था उसमें क्या लिखा था?
उत्तर :
भंबल दा ने अपने भाई के लिए छोड़े गए कागज में लिखा – ”भैया, दौड़ में जीत उसी की होती है जो सबसे आगे निकल जाता है, चाहे लंगी मारकर हो, या गलत ट्रैक हथिया कर हो।… मुझे खुशी है कि मैने लंगी नहीं मारी, गलत ट्रैक नहीं पकड़ा।”
प्रश्न 75.
भंबल दा के पड़ोस के दूर-दूर खड़े लोग, औरतें, बच्चे लेखक तथा अशोक दा को किस नजर से देख रहे थे ?
उत्तर :
भंबल दा के पड़ोस के दूर-दूर खड़े लोग, औरतें, बच्ये तथा लेखक अशोक दा को अजूबा-सा देख रहे थे।
प्रश्न 76.
समाज का कामुक, कूर वर्ग किसका रस लेते आघाता नहीं है ?
उत्तर :
समाज का कामुक तथा क्रूर वर्ग सांड़-युद्ध, ग्लैडियेटर्स तथा ग्यूजिकल चेयर जैसे खेल की रस लेते अघाता नहीं है।
प्रश्न 77.
कुछ दिनों से एक नया कौन-सा रुचि-संस्कार जन्मा है ?
उत्तर :
पिछले कुछ दिनों से एक नया रुचि-संस्कार जो जन्मा है, वह है – लड़कियों, युवतियों की म्यूजिकल वेयर।
प्रश्न 78.
लेखक पिछले कई सालों से रस ले-लेकर क्या देख रहे हैं?
उत्तर :
लेखक पिछले कई सालों से रस ले-लेकर कामुक तथा क्रूर वर्ग की मानसिकता को देख रहे हैं।
प्रश्न 79.
अपनी असमय मृत्यु के बारे में भंबल दा ने अशोक दा को पत्र में क्या लिखा ?
उत्तर :
अपनी असमय मृत्यु के बारे में भंबल दा ने अशोक दा को पत्र में लिखा कि, “मैं भी तुम्हारी तरह होता तो दीर्घायु होता। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, आठ साल ज्यादा जो लोगे यही न? जिस जुनून में जिया, उसकी तासीर का एक क्षम भी तुम्हारे ताम-झाम के सालों से उम्दी है।’
प्रश्न 80.
कौन भंबल दा की मृत्यु के विरोध का प्रदर्शन कर रहा था ?
उत्तर :
लोको का काला धुआँ काले पताके की तरह भंबल दा की मृत्यु का विरोध कर रहा था।
प्रश्न 81.
आर्थिक अभाव के बावजूद भंबल दा ने विधवा बहन के लिए क्या किया?
उत्तर :
आर्थिक अभाव के बावजूद प्रत्येक महीने पचास रुपये विधवा बहन को भेज देते थे।
प्रश्न 82.
भंबल दा कैसी जिंदगी जीना चाहते थे?
उत्तर :
भंबल दा ईमानदारी तथा सम्मान की जिंदगी जीना चाहते थे।
प्रश्न 83.
भंबल दा क्या थे?
उत्तर :
भंबल दा लोको में एक सामान्य किरानी थे।
प्रश्न 84.
भंबल दा के बड़े भाई क्या थे?
उत्तर :
भंबल दा के बड़े भाई लोको में चीफ पर्सनल मैनेजर थे।
प्रश्न 85.
खेल प्रतियोगिताओं से भंबल दा क्यों बहिष्कृत होते चले गए?
उत्तर :
बढ़ती उम्र के कारण भंबल दा खेल प्रतियोगिताओं से बहिष्कृत (बाहर) होते चले गए क्योंकि खेल के भी अपने नियम-कानून होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है।
प्रश्न 86.
अशोक दा द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार को अस्वीकार करते समय भंबल दा ने क्या कहा था?
उत्तर :
अशोक दा द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कार को अस्वीकार करते समय भंबल दा ने कहा था – “गलत पुरस्कार मैं नहीं लेता दादा ! इसे मेरी ओर से तुम रख लो, खानदान का नाम रौशन करने के लिए।”
प्रश्न 87.
भंबल दा द्वारा पुरस्कार अस्वीकार करने पर अशोक दा ने क्या कहा?
उत्तर :
भंबल दा द्वारा पुरस्कार अस्वीकार करने पर अशोक दा ने गुस्से से भरकर कहा- ‘“ अपनी करनी का पुरस्कार ले जाओ -शर्म काहे की ? खानदान में एक जोकर तो निकला।”
प्रश्न 88.
भंबल दा की साइकिल कैसी थी?
उत्तर :
भंबल दा की साइकिल खटारा थी।
प्रश्न 89.
अगर आप बगल वाली मेरी ट्रैक पर होते तो प्रथम आते …. के जवाब में भंबल दा ने क्या कहा?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति के जवाब में भंबल दा ने कहा कि, “यदि मैं दो साल पहले पैदा हुआ होता तो चीफ पर्सनल मैनेजर होता और दो साल बाद पैदा हुआ होता तो विधवा।”
प्रश्न 90.
जब भंबल दा के लिए पुरस्कार की घोषणा हुई तो लोगों ने क्या सोचा?
उत्तर :
जब भंबल दा के लिए पुरस्कार की घोषणा हुई तो लोगों ने सोचा कि शायद उन्हें बाघा-दौड़ के दूसरे स्थान या तीसरे स्थान का विशेष पुरस्कार दिया जा रहा होगा।
प्रश्न 91.
खानदान में एक जोकर तो निकला – ‘जोकर’ शब्द का प्रयोग यहाँ किसके लिए किया गया है?
उत्तर :
‘जोकर’ शब्द का प्रयोग यहाँ भंबल दा के लिए किया गया है।
प्रश्न 92.
अपने प्रमोशन के बारे में भंबल दा ने अशोक दा से क्या कहा ?
उत्तर :
अपने प्रमोशन के बारे में भंबल दा ने अशोक दा से यह कहा कि मुझे केवल अपनी योग्यता का रिटर्न चाहिए कोई अवाई नहीं।
प्रश्न 93.
पीठ पर तुम्हारा छोड़ा हुआ बोझ था – किसकी पीठ पर किसका छोड़ा हुआ बोझ था?
उत्तर :
भंबल दा की पीठ पर अशोक दा का छोड़ा हुआ बोझ था क्योंकि वे परिवार को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं देते थे।
प्रश्न 94.
ग्लैडियेटर्स किसे कहा जाता था?
उत्तर :
रोमन साम्राज्य में उन गुलामों को ग्लैडियेटर्स कहा जाता था जिन्हें अपनी मुक्ति के लिए हिंसक जानवरों से युद्ध करना होता था। जीत जाने पर उन्हें कैद से मुक्ति तथा हार जाने पर जीवन से मुक्ति मिल जाती थी। रोमन राजा तथा जनता के लिए यह मनोरंजन का एक प्रमुख साधन था।
प्रश्न 95.
अशोक दा स्वस्थ रहने के लिए क्या करते थे?
उत्तर :
अशोक दा स्वस्थ रहने के लिए बुलबर्कर का अभ्यास करते, आसन तथा योगा करते थे।
प्रश्न 96.
भंबल दा किसलिए दौड़ते थे ?
उत्तर :
अपनी प्रकृति से धावक होने के कारण भंबल दा दौड़ते थे ।
प्रश्न 97.
लोग भंबल दा को किस बात पर आश्वस्त थे ?
उत्तर :
लोग भंबल दा की इस बात्तर आश्वस्त थे किस वे दौड़ में अवश्य भाग लेंगे ।
प्रश्न 98.
भंबल दा की पढ़ाई क्यों बाधित हो गयी थी ?
उत्तर :
मैट्रीक्युलेशन में बार बार फेल होने तथा घर-खर्च का बोझ सिर पर आ पड़ने के कारण।
प्रश्न 99.
भंबल दा किसमें भाग लेते थे ?
उत्तर :
दौड़ में ।
प्रश्न 100.
भंबल दा के अनुसार ‘सम्मान’ क्या होता है ?
उत्तर :
परस्सर सौहार्द और समता (बराबरी) का भाव ही सम्मान होता है।
प्रश्न 101.
भंबल दा की साइकिल के बारे में क्या प्रसिद्ध था ?
उत्तर :
उसकी घंटी छोड़कर सबकुछ बजता है ।
प्रश्न 102.
भंबल दा किसके अपवाद थे ?
उत्तर :
भंबल दा अपने भाई अशोक दा के अपवाद थे ।
प्रश्न 103.
भंबल दा किन बातों पर हैसा करते थे?
उत्तर :
भंबल दा, अशोक दा के स्वस्थ रहने के लिए आसन तथा योगाभ्यास करने की बात पर हँसा करते थे
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: ‘धावक’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 2 : ‘धावक’ कहानी में निहित संदेश को लिखें।
अथवा
प्रश्न 3 : ‘धाबक’ कहानी के माध्यम से लेखक ने हमें क्या संदेश देना चाहा है?
अथवा
प्रश्न 4: ‘धावक’ कहानी का मूल भाव लिखते हुए उसके उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न 5 : ‘धावक’ कहानी का मूल भाव लिखते हुए इसके शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न 6 : ‘थावक’ कहानी की समीक्षा करें।
अथवा
प्रश्न 7: ‘धावक कहानी की कथावस्तु को संक्षेप में लिखें।
उत्तर :
‘धावक’ कहानी के रचनाकार संजीव हैं। इनकी कहानियाँ अनुभवों तथा अपने आस-पास के जीते-जागते पात्रों की कहानियाँ हैं न कि किसी कल्पनालोक की उपज। कथाकार संजीव ने ‘धावक’ कहानी में एक ऐसे ही व्यक्ति भंबल दा की स्मृतियों को पिरोया है।
भंबल दा ‘धावक’ कहानी के नायक हैं। वे सच्चे अर्थों में खिलाड़ी है। कंपनी की ओर से आयोजित कोई भी क्रीड़ा प्रतियोगिता भंबल दा के बिना अधूरी है। भले ही भंबल दा किसी प्रतियोगिता में स्थान न बना पाते हों लेकिन वे खेल के नियमों का पूरा-पूरा पालन करते हैं। पुरस्कार पाने के लिए अन्य खिलाड़ियों की तरह उन्होंने कभी बेइमानी का सहारा नहीं लिया। अपनी इमानदारी, समाज-सेवा तथा पारिवारिक बोझ के कारण ही वे जिदगी की दौड़ में भी पिछड गये। लेकिन उन्हें इसका ज़रा-सा भी मलाल नहीं है।
भंबल दा के विपरीत उनके बड़े भाई ने अपने साहब की लड़की से विवाह कर तथा पारिवारिक दायित्वों की उपेक्षा कर जीवन में काफी आगे निकल गए। भंबल दा केवल किरानी बनकर ही रह गए लेकिन अशोक दा चीफ पर्सनल मैनेजर तक पहुँच गए।
कम आय होने के कारण भंबल दा कभी विवाह के लिए राजी नहीं हुए। इस स्थिति में भी उन्होंने बहन को प्रतिमाह रूपये भेजने में कभी कोताही नहीं की।
धीरे – धीरे यह बोझ असहनीय हो गया तथा एक दिन भंबल दा इस दुनिया से उसी तरह चल बसे जिस प्रकार भारत में खिलाड़ी उम्र निकल जाने के बाद गुमनामी के अंधेरे में खो जाते है।
इस प्रकार कथाकार संजीव ने धावक भंबल दा के माध्यम से उन खिलाड़ियों की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहा है जो सुविधा के अभाव में असमय ही जीवन के दौड़ से निकल जाते हैं। ऐसे खिलाड़ियों के प्रति समाज तथा देश की कुछ जिम्मेवारी होनी चाहिए यही संदेश इस कहानी में छिपा है।
जहाँ तक कहानी के शीर्षक की बात है – यह शीर्षक ही भंबल दा के सम्पूर्ण जीवन की कहानी कह देता है। एक ऐसे धावक की कहानी जो बेइमानी, दुनिया की चालाकी और अपने ही बोझ से जीवन में पीछे ही रह गया। सम्पूर्ण कहानी की पृष्ठभूमि में धावक ही छाया हुआ है। इसलिए हम ऐसा कह सकते हैं कि कहानी का शीर्षक अपने-आप में सर्वथा उपयुक्त है।
प्रश्न 8 : ‘धावक’ कहानी के आधार पर भम्बल दा का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 9 : ‘धावक’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 10 : ‘धावक’ कहानी के जिस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है, उसका चरित्न-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 11 : ‘चावक’ पाठ के प्रमुख पात्र की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें।
अथवा
प्रश्न 12 : पठित कहानी के आधार पर भंबल दा का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 13 : “भंबल ऐसे पुरस्कारों के लिए नहीं दौड़ता” – के आधार पर भंबल दा का चरित्रचित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 14 : ‘गलत पुरस्कार मै नहीं लेता दादा” – के आधार पर भंबल दा का चरित्र-चित्रण करें। अथवा
प्रश्न 15 : मगर मुझे खुशी और संतोष है कि मैंने लंगी नहीं मारी, गलत ट्रैक नहीं पकड़ा – के आधार पर भंबल दा का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 16 : जिस जुनून में जिया, उसकी तासीर का एक क्षण भी तुम्हारे तमाम ताम-झाम के सालों से उम्दा है। – के आधार पर भबल दा का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर :
भम्बल दा ‘धावक’ कहानी के मुख्य पात्र हैं। पूरी कहानी में उनके चरित्र का ताना-बाना लेखक संजीव ने कुछ इस तरह से बुना है कि पाठक चाहकर भी उनके व्यक्तित्व से अपने आपको अलग नहीं कर पाता।
भम्बल दा का चरित्र-चित्रण निम्नांकित शीर्षको के अंतर्गत किया जा सकता है –
(क) आदतन खिलाड़ी – भम्बल दा की पहचान धावक के रूप में है। कोई भी दौड़ प्रतियोगिता हो, वह उनके बिना अधूरी लगती है। भले ही वे कभी अव्यल नहीं आ पाते लेकिन प्रतियोगिता में भाग लेना मानो उनकी आदत में शामिल थी। दौड़ में सबसे पीछे रह जाने पर भी वे अपनी दौड़ पूरा करके ही दम लेते। इतना ही नहीं, बाषा दौड़ और साइकिल रेस में भी वे अवश्य भाग लेते थे।
(ख) भावुक एवं माँ से अत्यंत प्रेम करने वाले – भम्बल दा भावुक होने के साथ-साथ माँ से अत्यंत प्रेम करने वाले हैं। एक बार बाधा दौड़ में बेईमानी होने पर किसी ने विश्वास दिलाने के लिए भम्बल दा को माँ की कसम खाने को कहा। जवाब में उन्होने जो कहा, वह उनके मातृप्रेम को दर्शाता है – “तुम्हारी माँ नहीं है शायद वरना तुम इस तुच्छ पुरस्कार के लिए माँ को दाँव पर नहीं लगाते मेरे भाई।”
(ग) समाज-सेवक – आर्थिक स्थिति से विपन्न होने के बावजूद भम्बल दा सबके दुःख-सुख में शरीक होते थे। अगर किसी को अस्पताल पहुँचाना है तो उनके कंधे एंबुलेंस की तरह हाजिर, श्रशान जाना हो तो उनके कंधे अर्थी के लिए हाजिर, कब्बिस्तान जाना हो या फिर किसी के लिए सामान का जुगाड़ करना हो- भम्बल दा हर जगह मौजूद रहते थे।
(घ) पारिवारिक जिम्मेवारियों को उठाने वाले – यद्धपि भम्बल दा की स्वयं की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक है फिर भी वे शक्ति भर पारिवारिक जिम्मेवारियों को निभाने की कोशिश करते हैं। भाई अशोक से किसी प्रकार की सहायता न पाने पर भी वे बहन की शादी करते हैं। जब वह विधवा हो जाती है और उसे बड़े भाई के यहाँ भी शरण नहीं मिलती, तब वे उसे प्रतिमाह पचास रुपये मदद के तौर पर भेजते हैं।
(ङ) स्वाभिमानी : भम्बल दा किसी भी स्थिति में अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करते। यदि वे चाहते तो अपनी भावी पत्नी से आर्थिक सहायता ले सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इतना हीं नहीं, मरने के पहले उन्होने अपने स्वार्थी भाई के लिए एक संदेश भी छोड़ दिया, ” जिस जुनून में जिया, उसकी तासीर का एक क्षण भी तुम्हारे तमाम तामझाम के सालों से उम्दा है। हो सके तो चखकर कभी देखना।” इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि भम्बल दा का चरित्र एक स्वाभिमानी आदमी का चरित्र है जो टूटकर बिखर जाता है लेकिन पंगु व्यवस्था के सामने घुटने नहीं टेकता।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भंबल दा के भाई का क्या नाम था?
(क) अशोक
(ख) सुरेश
(ग) दिनेश
उत्तर :
(क) अशोक
प्रश्न 2.
माँ किसके साथ रहती थी ?
(क) अशोक दा के साथ
(ख) भंबल दा के साथ
(घ) राकेश
(ग) अपनी बेटी के साथ
उत्तर :
(ख) भंबल दा के साथ
प्रश्न 3.
‘भम्बल दा को मैने काफी करीब से देखा है।’ – यह कौन-सा वाक्य है ?
(क) सरल वाक्य
(ख) मिश्र वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) सरल वावय
प्रश्न 4.
‘धावक’ कहानी के रचनाकार कौन हैं ?
(क) कृष्णा सेबती
(ख) संजीव
(ग) शिवमूर्ति
(घ) चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’
उत्तर :
(ख) संजीव।
प्रश्न 5.
‘तीस साल का सफरनामा’ (कहानी-संग्रह) किसकी रचना है?
(क) गुलेरी की
(ख) प्रेमचंद की
(ग) संजीव की
(घ) शिवमूर्ति की
उत्तर :
(ग) संजीव की।
प्रश्न 6.
‘प्रेतमुक्ति’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) संजीव
(ख) कृष्णा सोबती
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) शिवमूर्ति
उत्तर :
(क) संजीव।
प्रश्न 7.
‘प्रेरणास्रोत और अन्य कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) संजीव
(ग) गुलेरी
(घ) जयशंकर प्रसाद
उत्तर :
(ख) संजीव।
प्रश्न 8.
‘ब्लैकहोल’ (कहानी-संग्रह) के लेखक कौन हैं ?
(क) कृष्णा सोबती
(ख) गुलेरी
(ग) शिवमूर्ति
(घ) संजीव
उत्तर :
(घ) संजीव।
प्रश्न 9.
‘खोज’ (कहानी-संग्रह) किसकी रचना है?
(क) शैल रस्तोगी की
(ख) महादेवी वर्मा की
(ग) संजीव की
(घ) पंत की
उत्तर :
(ग) संजीव की।
प्रश्न 10.
‘दस कहानियाँ’ के रचनाकार कौन हैं ?
(क) संजीव
(ख) निराला
(ग) डॉ० रामकुमार वर्मा
(घ) कृष्णा सोबती
उत्तर :
(क) संजीव।
प्रश्न 11.
‘गति का पहला सिद्धांत’ किसकी कृति है ?
(क) निराला की
(ख) प्रसाद् की
(ग) पंत की
(घ) संजीव की
उत्तर :
(घ) संजीव की।
प्रश्न 12.
‘गुफा का आदमी’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) शिवमूर्ति
(ख) संजीव
(ग) अनामिका
(घ) महादेवी वर्मा
उत्तर :
(ख) संजीव।
प्रश्न 13.
‘आरोहण’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) अनामिका
(ख) संजीव
(ग) कृष्णा सोबती
(घ) शैल रस्तोगी
उत्तर :
(ख) संजीव।
प्रश्न 14.
‘किशनगढ़ के अहेरी’ (उपन्यास) के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रेमचंद
(ख) महादेवी वर्मा
(ग) संजीव
(घ) निराला
उत्तर :
(ग) संजीव।
प्रश्न 15.
‘सावधान! नीचे आग है’ के उपन्यासकार कौन हैं?
(क) प्रेमचंद
(ख) संजीव
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) निराला
उत्तर :
(ख) संजीव।
प्रश्न 16.
‘धार’ (उपन्यास) के लेखक कौन हैं ?
(क) जयशंकर प्रसाद
(ख) (निराला)
(ग) अनामिका
(घ) संजीव
उत्तर :
(घ) संजीव।
प्रश्न 17.
‘रानी की सराय’ (किशोर उपन्यास) किसकी रचना है ?
(क) बंग महिला की
(ख) महादेवी वर्मा की
(ग) संजीव की
(घ) निराला की
उत्तर :
(ग) संजीव की।
प्रश्न 18.
‘डायन और अन्य कहानियाँ’ (बाल-साहित्य) के रचनाकार कौन हैं?
(क) संजीव
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) निराला
(घ) प्रेमचंद
उत्तर :
(क) संजीव।
प्रश्न 19.
निम्नलिखित में से कौन-सा सम्मान कथाकार संजीव को प्राप्त नहीं हुआ है?
(क) प्रथम कथाक्रम सम्मान
(ख) अन्तर्रोश्टीय इन्दु शर्मा सम्मान
(ग) सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार
(घ) भिखारी ठाकुर सम्मान
उत्तर :
(ग) सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित में से कौन-सा सम्मान कथाकार संजीव को प्राप्त नहीं हुआ है ?
(क) भिखारी ठाकुर सम्मान
(ख) अकादमी अवार्ड
(ग) पहला सम्मान
(घ) श्री लाल शुक्ल स्मृति सम्मान
उत्तर :
(ख) अकादमी अवार्ई।
प्रश्न 21.
कथाकार संजीव का जन्म किस प्रदेश में हुआ था?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) मध्य पदेशे
(ग) हिमाचल प्रदेश
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) उत्तर प्रदेश।
प्रश्न 22.
भंबल दा की कमी कहाँ खलती थी?
(क) घर में
(ख) स्पोट्स्स के मैदान में
(ग) आंफिस में
(घ) कवि सम्मेलन में
उत्तर :
(ख) स्पोर्स्स के मैदान में।
प्रश्न 23.
भंबल दा को लोग अन्य किस नाम से पुकारते थे?
(क) गोबर गणेश भैया
(ख) खिलाड़ी भैया
(ग) बम भोले भैया
(घ) धावक भैया
उत्तर :
(ग) बम भोले भैया।
प्रश्न 24.
“अजीब खब्ती आदमी है” – खब्ती किसे कहा गया है ?
(क) अशोक दा को
(ख) भंबल दा को
(ग) लेखक को
(घ) प्रबीण को
उत्तर :
(ख) भंबल दा को।
प्रश्न 25.
भंबल दा कोथाय – का अर्थ है ?
(क) भंबल दा मर गए
(ख) भंबल दा हार गए
(ग) भंबल दा कहाँ हैं
(घ) भंबल दा चले गए ?
उत्तर :
(ग) भंबल दा कहाँ हैं ?
प्रश्न 26.
‘नगणय प्राणी’ किसे कहा गया है ?
(क) भंबल दा को
(ख) प्रवीण को
(ग) लेखक को
(घ) अशोक दा का
उत्तर:
(क) भंबल दा को।
प्रश्न 27.
लेखक भंबल दा को कितने वर्षों से जानते हैं ?
(क) बीस
(ख) पच्चीस
(ग) तीस
(घ) पैंतीस
उत्तर :
(ख) पच्चीस।
प्रश्न 28.
भंबल दा ने निम्नलिखित में से किस खेल में भाग नहीं लिया?
(क) कार-रेस
(ख) लौंग जम्प
(ग) हाई जम्य
(घ) हर्डल्स रेस
उत्तर :
(क) कार रेस।
प्रश्न 29.
भंबल दा ने निम्लिखित में से किस खेल में भाग नहीं लिया ?
(क) डिस्क शो
(ख) साइकिल रेस
(ग) म्यूजिकल चेयर
(घ) मील भर की दौड़
उत्तर :
(ग) म्यूजिकल चेयर।
प्रश्न 30.
मायूसी का भंबल दा पर क्या असर होता था?
(क) गुस्सा हो जाते थे
(ख) रूँआसे हो जाते थे
(ग) चेहरा लाल हो जाता
(घ) चेहरा सूज आता
उत्तर :
(घ) चेहरा सूज आता।
प्रश्न 31.
टका-सा भोथरा जवाब – क्या था?
(क) भाग जाओ
(ख) बाद में आना
(ग) नहीं बोलो
(घ) ठीक है, मत पार्टिसिपेट करो
उत्तर :
(घ) ठीक है, मत पार्टिसिपेट करो।
प्रश्न 32.
भंबल दा क्या नहीं कर सकते?
(क) बेईमानी
(ख) चोरी
(ग) साइकिल चलाना
(घ) सच बोलना
उत्तर :
(क) बेईमानी।
प्रश्न 33.
साइकिल-रेस में भंबल दा की चाल कैसी रहती?
(क) तेज
(ख) बहुत तेज
(ग) भोली
(घ) कम तेज
उत्तर :
(ख) भोली।
प्रश्न 34.
लोगों के अनुसार स्पोट्समैन और बीमा कं० के एजेण्ट की आयु कितनी होती है?
(क) पाँच साल
(ख) सात साल
(ग) दस साल
(घ) पंद्रह साल
उत्तर :
(क) पाँच साल।
प्रश्न 35.
‘आप यहाँ हैं’ (कहानी-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं?
(क) संजीव
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) कृष्णा सोबती
(घ) बंग महिला
उत्तर :
(क) संजीव।
प्रश्न 36.
लेखक ने किसे काफी करीब से देखा है?
(क) अशोक दा को
(ख) भंबल दा की माँ को
(ग) भबल दा को
(घ) जोगन मुण्डा को
उत्तर :
(ग) भंबल दा को।
प्रश्न 37.
अशोक दा भंबल दा से कितने वर्ष बड़े थे?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर :
(ख) दो
प्रश्न 38.
भंबल दा मैट्रीक्युलेशन में कितनी बार फेल हुए?
(क) एक बार
(ख) दो बार
(ग) तीन बार
(घ) चार बार
उत्तर :
(घ) चार बार।
प्रश्न 39.
भंबल दा को कैसी जिंदगी चाहिए थी?
(क) शान की
(ख) गरीबी की
(ग) सम्मान की
(घ) अमीरी की
उत्तर :
(ग) सम्मान की।
प्रश्न 40.
किसने लेखक को बुलाकर कसकर डाँटा था?
(क) यशराज ने
(ख) अशोक दा ने
(ग) माँ ने
(घ) विधवा बहन ने
उत्तर :
(ख) अशोक दा ने।
प्रश्न 41.
भंबल दा की जवान बहन किस पर आश्रित थी?
(क) माँ, पर
(ख) अशोक दा पर
(ग) भंबल दा पर
(घ) किसी पर नहीं
उत्तर :
(ग) भंबल दा पर।
प्रश्न 42.
किसकी शादी से माँ पूरी तरह टूट गई थीं?
(क) अशोक दा की
(ख) बेटी की
(ग) भंबल दा की
(घ) लेखक की
उत्तर :
(क) अशोक दा की।
प्रश्न 43.
“माँ के लिए बेटा-बेटा ही होता है”‘ – गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) नन्हा संगीतकार
(ख) धावक
(ग) चपल
(घ) नमक
उत्तर :
(ख) धावक।
प्रश्न 44.
“अपने दिल के दरवाजे-खिड़कियाँ बंद कर फिर उन्हीं तनहाइयों में डूब जाती” – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) चप्पल
(ख) नन्हा संगीतकार
(ग) धावक
(घ) नमक
उत्तर :
(ग) धावक।
प्रश्न 45.
“बात पानी में फेंके गए मुर्दे की तरह ही उतरा आयी” – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ?
(क) धावक
(ख) चपल
(ग) नन्हा संगीतकार
(घ) नमक
उत्तर :
(क) धावक।
प्रश्न 46.
“तुम्हें दूसरे के काम में दखल नही देना चाहिए” – वक्ता कौन है ?
(क) अशोक दा
(ख) भवस दा
(ग) माँ
(घ) सफिया
उत्तर :
(ख) भंबल दा।
प्रश्न 47.
“क्यों क्या किया है मैने’ = वक्ता कौन है ?
(क) सकिया
(ख) भंबल दा
(ग) अशोक दा
(घ) जेनको
उच्चर :
(ग) अशोक दा।
प्रश्न 48.
“मास्टरनी के सामने पड़ने से तो अब्ष घेरी रुह ही काँपती है” – वक्ता कौन है ?
(क) गाँ
(ख) भंबल दा
(ग) अशोक दा
(घ) लेखक
उत्षर :
(घ) लेखक।
प्रश्न 49.
‘डन्हें औरतों से विरक्ति हो गई” – ‘उन्हें से कौन संकेतित है?
(क) मास्टर साहब
(ख) कस्टम आंकिसर
(ग) भंबल दा
(घ) रंगख्या
उत्तर :
(ग) भंबल दा।
प्रश्न 50.
भंबल दा का वेत्रन कितना था?
(क) दो सौ रुपये
(ख) ढाई सौ रुपये
(ग) तौन सौ रुपये
(घ) सढेतीन सौ रुपये
उत्तर :
(घ) साढे तीन सौ रुषये।
प्रश्न 51.
‘हमारा कलेजा घक-सा रह जाता है”‘- प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
(क) चामल
(ख) नमक
(ग) नन्हा संगीतकार
(घ) धावक
उत्तर :
(घ) घावक।
प्रश्न 52.
“आज सुबह ही वे गुजर गए” – पंक्ति किस पाठ से उद्दृत है ?
(क) जावक
(ब) चमल
(ग) इनमें से कोई नहीं
(घ) नमक
उच्चर :
(क) धावक।
प्रश्न 53.
“कल रात ही उन्हें दूसरा दौरा पड़ा था” – उन्हें से कौन संकेतित है?
(क) रंगख्या
(ख) सिल्ध बीवी
(ग) भंबल दा
(घ) अशोक दा
उत्तर :
(ग) अंबल दा।
प्रश्न 54.
‘आज सुबह ही वे गुज्रा गए'” – ‘वे’ कौन हैं?
(क) रंगख्या
(ख) सक्रिया
(ग) अशोक दा
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(घ) भंबल दा।
प्रश्न 55.
“लड़का लौट आता है”‘ = पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
(क) धावक
(ख) नमक
(ग) वणस
(घ) नन्हा सोगीतकार
उत्तर :
(क) हावक।
प्रश्न 56.
‘”मगर मुझे खुशी और संतोष है” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
(क) धावक
(ख) नमक
(ग) चण्पल
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(क) धावक ।
प्रश्न 57.
‘एक छोटी-सी आयताकार जर्द-सी उठान’ – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है?
(क) चप्पल
(ख) धावक
(ग) उसने कहा था
(घ) नमक
उत्तर :
(ख) धावक।
प्रश्न 58.
“माँ की मौत के समय विदेश में थे'” – यहाँ किसके बारे में कहा गया है?
(क) रंगय्या
(ख) सफिया
(ग) अशोक दा
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(ग) अशोक दा।
प्रश्न 59.
‘”मैं तुम्हारी तरह होता” – ‘मै’ कौन है?
(क) रमण
(ख) सफिया का भाई
(ग) अशोक दा
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(घ) भंबल दा
प्रश्न 60.
“आठ साल ज्यादा जी लोगे यही न?” – वक्ता कौन हैं?
(क) अशोक दा
(ख) लेखक
(ग) भंबल दा
(घ) रंगय्या
उत्तर :
(ग) भंबल दा।
प्रश्न 61.
“हो सके तो चखकर कभी देखना” – वक्ता कौन है ?
(क) सफिया
(ख) मास्टर साहब
(ग) लेखक
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(घ) भंबल दा।
प्रश्न 62.
“रूहें पनाह माँगती फिरेंगी” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चपल
(घ) धावक
उत्तर :
(घ) धावक।
प्रश्न 63.
“फिर गये कहाँ” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) नमक
(ख) चण्पल
(ग) धावक
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(ग) धावक।
प्रश्न 64.
“पता नहीं कितना कुछ हो सकता था”‘ – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) धावक
(ख) उसने कहा था
(ग) नमक
(घ) चप्यल
उत्तर :
(क) धावक।
प्रश्न 65.
“इतना सोचने का भी वक्त नहीं था मेरे लिए?” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
(क) नमक
(ख) धावक
(ग) चप्पल
(घ) नन्ही संगीतकार
उत्तर :
(ध) धावक।
प्रश्न 66.
“मुझे जो भुगतना पड़ा उसे बताना मुनासिब नहीं?” – प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(क) धावक
(ख) नमक
(ग) चपल
(घ) नौबतखाने में इबादत
उत्तर :
(क) धावक।
प्रश्न 67.
“अभी भी माँ को बचाया जा सकता है”‘ – पंक्ति किस पाठ से उद्दुत है ?
(क) नमक
(ख) चपल
(ग) धावक
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(ग) धावक।
प्रश्न 68.
“इस बात को वे भूल न पाते’ – ‘वे’ से कौन संकेतित है?
(क) भंबल दा
(ख) लेखक
(ग) अशोक दा
(घ) बिस्मिल्ला खाँ
उत्तर :
(ग) अशोक दा।
प्रश्न 69.
‘इस बात को वे भूल न पाते” – पंक्ति के रचनाकार कौन हैं?
(क) यतीद्र मिश्र
(ख) संजीव
(ग) प्रसाद
(घ) प्रेमघंद
उत्तर :
(घ) संजीव।
प्रश्न 70.
‘इसका अंजाम अच्छा होगा या बुरा” – पंक्ति किस पाठ से उद्धतत है?
(क) उसने कहा था
(ख) नौबतखाने में इबादत
(ग) धावक
(घ) चपल
उत्तर :
(ग) धावक।
प्रश्न 71.
“गलत पुरस्कार मैं नहीं लेता दादा” – वक्ता कौन है?
(क) लेखक
(ख) रंगय्या
(ग) भंबल दा
(घ) अशोक दा
उत्तर :
(ग) भंबल दा।
प्रश्न 72.
‘गलत पुरस्कार मैं नहीं लेता'” – पंक्ति के रचनाकार कौन हैं?
(क) संजीव
(ख) यतींद्र मिश्र
(ग) गुलेरी
(घ) रजिया सज्जाद जहीर
उत्तर :
(क) संजीव।
प्रश्न 73.
‘तुप्हारी पुरस्कार-लिप्सा तुप्हीं को मुबारक” – ‘तुम्हीं’ से कौन संकेतित है?
(क) लेखक
(ख) भंबल दा
(ग) अशोक दा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ग) अशोक दा।
प्रश्न 74.
“इसे मेरी ओर से तुम रख लो” – वक्ता कौन है?
(क) लहना सिंह
(ख) जेन
(ग) सफिया
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(घ) भंबल दा।
प्रश्न 75.
‘इसे मेरी ओर से तुम रख लो” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
(क) चण्पल
(ख) नमक
(ग) धावक
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(ग) धावक।
प्रश्न 76.
‘कोई बोलता नहीं कुछ’ – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) धावक
(ख) नमक
(ग) चप्पल
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(ग) धावक।
प्रश्न 77.
“मगर हम जैसों का क्या कसूर” -वक्ता कौन है?
(क) सफिया
(ख) लहना सिंह
(ग) रंग्या
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(घ) भंबल दा।
प्रश्न 78.
“वह चुपचाप देखता आया है” = ‘वह’ कौन है?
(क) लेखक
(ख) रंगख्या
(ग) कामुक क्रूर वर्ग
(घ) कस्टम ऑफिसर
उत्तर :
(ग) कामुक क्रूर वर्ग।
प्रश्न 79.
”कुछ दिनों से एक नया रुचि-संस्कार जन्मा है'” – नया रुचि संस्कार क्या है?
(क) साँड़-युद्ध
(ख) ग्लैडियेटर्स-युद्ध
(ग) मुर्गे की लड़ाई
(घ) म्यूजिकल चेयर
उत्तर :
(घ) म्यूजिकल चेयर।
प्रश्न 80.
“हम बच-बचकर निकल रहे थे” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चफल
(घ) धावक
उत्तर :
(घ) धावक।
प्रश्न 81.
“तुम्हें तो शुक्रुजार होना चाहिए” – वक्ता कौन है?
(क) सफिया
(ख) सिख बीबी
(ग) भंबल दा
(घ) लेखक
उत्तर :
(ग) भंबल दा।
प्रश्न 82.
“तुम्हें तो शुक्रगुजार होना चाहिए” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) धावक
(ख) चप्पल
(ग) नमक
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(क) घावक।
प्रश्न 83.
“जिसमें कुछ वर्षो पहले भाभी प्रथम आई थी” = भाभी कौन है ?
(क) सफिया की भाभी
(ख) सिख बीबी
(ग) अशोक दा की पत्नी
(घ) भंबल दा की माँ
उत्तर :
(ग) अशोक दा की पत्नी।
प्रश्न 84.
“शर्म काहे की” – वक्ता कौन है?
(क) सरदारनी
(ख) सफिया
(ग) सिख बीबी
(घ) अशोक दा
उत्तर :
(घ) अशोक दा।
प्रश्न 85.
“चाहे कुछ भी हो, कहीं भी पहुँच जाए” – वक्ता कौन है?
(क) लहना सिंह
(ख) कस्टम ऑफिसर
(ग) भंबल दा की माँ
(घ) लेखक
उत्तर :
(ग) भंबल दा की माँ।
प्रश्न 86.
‘बस एक ही चिंता थी” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) धूमकेतु
(ख) उसने कहा था
(ग) नमक
(घ) धावक
उत्तर :
(घ) धावक।
प्रश्न 87.
”खून हरहरा आया था'” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) उसने कहा था
(ख) नमक
(ग) चणल
(घ) धावक
उत्तर :
(घ) धावक।
प्रश्न 88.
‘मगर वह होती कैसे'” – पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
(क) धावक
(ख) नमक
(ग) चणल
(घ) धूमकेतु
उत्तर :
(ग) भंबल दा।
प्रश्न 89.
संजीव का जन्म हुआ था –
(क) 6 जुलाई 1947
(ख) 6 अगस्त 1950
(ग) 10 जुलाई 1958
(घ) 15 अगस्त 1957
उत्तर :
(क) 6 जुलाई 1947
प्रश्न 90.
संजीव विद्यार्थी थे –
(क) इतिहास के
(ख) साहित्य के
(ग) विज्ञान के
(घ) अंग्रेजी के
उत्तर :
(ग) विज्ञान के ।
प्रश्न 91.
संजीव ने किस रूप में कार्य किया –
(क) प्रोफेसर
(ख) डॉक्टर
(ग) वैज्ञानिक
(घ) रसायनज्ञ
उत्तर :
(घ) रसायनज्ञ।
प्रश्न 92.
संजीव किस प्रदेश में कार्यरत् थे ?
(क) उत्तर प्रदेश में
(ख) पश्चिम बंगाल में
(ग) उड़ीसा में
(घ) महाराष्ट्र में
उत्तर :
(ख) पश्चिम बंगाल में।
प्रश्न 93.
संजीव ने कितने उपन्यासों की रचना की ?
(क) चार
(ख) आठ
(ग) बारह
(घ) बीस
उत्तर :
(ख) आठ।
प्रश्न 94.
भंबल दा को लोग क्या कहते थे ?
(क) बड़े भइया
(ख) बमभोले भइया
(ग) मझले भइया
(घ) छोटे भइया
उत्तर :
(ख) बमभोले भइया।
प्रश्न 95.
“खब्ती आदमी” का अर्थ है –
(क) ईमानदारी
(ख) बेइमान
(ग) सनकी
(घ) चालाक
उत्तर :
(ग) सनकी।
प्रश्न 96.
लेखक ने सोचना छोड़कर क्या किया?
(क) खेल शुरू किया
(ख) घोड़ा दबा दिया
(ग) चिल्लाना शुरू किया
(घ) समझाना शुरु किया
उत्तर :
(ख) घोड़ा दबा दिया।
प्रश्न 97.
भंबल दा खेलों से –
(क) सन्यास ले लिए
(ख) बहिष्कृत किये गये
(ग) शामिल किये गये
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) बहिष्कृत किये गये।
प्रश्न 98.
टका-सा भोथरा जवाब किसने दिया ?
(क) लेखक ने
(ख) खेल अधिकारी ने
(ग) भंबल दा ने
(घ) अशोक दा ने
उत्तर :
(ख) खेल अधिकारी ने।
प्रश्न 99.
बिना सारे चक्र पूरा किये कौन नहीं बैठता था ?
(क) अशोक दा
(ख) भंबल दा
(ग) लेखक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) भंबल दा।
प्रश्न 100.
भीड़ क्या कहकर चीख पड़ी ?
(क) बाहर निकालो
(ख) मारो-मारो
(ग) उसे बुलाओ
(घ) आगे बढ़ो
उत्तर :
(ख) मारो-मारो।
प्रश्न 101.
स्पोर्ट्समैन की आयु होती है ?
(क) चार वर्ष की
(ख) पाँच वर्ष की
(ग) तीन वर्ष की
(घ) दस वर्ष की
उत्तर :
(ख) पाँच वर्ष की।
प्रश्न 102.
भंबल दा के प्रति दर्शकों का समर्थन था –
(क) मामूली
(ख) जबर्दस्त
(ग) हल्का
(घ) एकदम नहीं
उत्तर :
(ख) जबर्दस्त।
प्रश्न 103.
भंबल दा को जिन्दगी चाहिए –
(क) शान की
(ख) सम्मान की
(ग) अपमान की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) सम्मान की।
प्रश्न 104.
भंबल दा अशोक से कितने छोटे थे ?
(क) दो वर्ष
(ख) चार वर्ष
(ग) दस वर्ष
(घ) आठ वर्ष
उत्तर :
(क) दो वर्ष।
प्रश्न 105.
‘आदमी को शान से जीना चाहिए’ -किस का कथन है?
(क) अशोक दा का
(ख) भंबल दा का
(ग) लेखक का
(घ) लोगों का
उत्तर :
(क) अशोक दा का।
प्रश्न 106.
‘भूमिका और अन्य कहानियाँ’ किसकी कृति है ?
(क) गुलेरी की
(ख) प्रेमचंद की
(ग) यतीन्द्र मिश्र की
(घ) संजीव की
उत्तर :
(घ) संजीव की।
प्रश्न 107.
भंबल दा ड्यूटी के बाद पार्ट टाइम क्या करते थे ?
(क) समाज सेवा
(ख) मुनीमी
(ग) खेती
(घ) व्यवसाय
उत्तर :
(ख) मुनीमी।
प्रश्न 108.
‘कोल्हू के बैल की तरहे किसे कहा गया है ?
(क) अशोक दा को
(ख) भंबल दा को
(ग) शांति दा को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(ख) भंबल दा को।
प्रश्न 109.
माँ के लिए बेटा होता है ?
(क) पराया ही
(ख) बेटा ही
(ग) अपना ही
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(ख) बेटा ही।
प्रश्न 110.
किसको एक ही चिंता थी ?
(क) लेखक को
(ख) भंबल दा को
(ग) अशोक दा को
(घ) माँ को
उत्तर :
(क) लेखक को।
प्रश्न 111.
लेखक को एक ही चिंता क्या थी?
(क) भंबल को जिताने की
(ख) अशोक दा से मेल की
(ग) माँ को बचाने की
(घ) कुछ भी नही
उत्तर :
(ग) माँ को बचाने की।
प्रश्न 112.
भंबल दा को औरतों से क्या थी ?
(क) अनुरक्ति
(ख) विरक्ति
(ग) टकराव
(घ) इनमें से कुछ नहीं
उत्तर :
(ख) विरक्ति।
प्रश्न 113.
अशोक दा ने भंबल दा को क्या कहा ?
(क) पागल
(ख) जोकर
(ग) मूख
(घ) बेइमान
उत्तर :
(ख) जोकर।
प्रश्न 114.
“आप भंबल दा के भाई हैं” – किसका कथन है ?
(क) लेखक का
(ख) अधिकारी का
(ग) लड़के का
(घ) किसी का नहीं
उत्तर :
(ग) लड़के का।
प्रश्न 115.
भंबल दा का मकान था ?
(क) एक कमरे का
(ख) दो कमरे का
(ग) तीन कमरे का
(घ) चार कमरे का
उत्तर :
(ख) दो कमरे का।
प्रश्न 116.
भंबल दा का मकान था ?
(क) शहर के बीचों-बीच
(ख) स्टेशन के बगल में
(ग) धियेटर के सामने
(घ) नदी किनारे
उत्तर :
(ख) स्टेशन के बगल में।
प्रश्न 117.
“आदमी को शान से जीना चाहिए” – किसका कथन है ?
(क) अशोक दा
(ख) भंबल दा
(ग) लेखक
(घ) लोगों का
उत्तर :
(क) अशोक दा।
प्रश्न 118.
पिछली बार बाधा-दौड़ में कितने प्रतियोगी थे ?
(क) पाँच
(ख) चार
(ग) तीन
(घ) दो
उत्तर :
(ख) चार।
प्रश्न 119.
‘दुनिया की सबसे हसीन औरत’ (कहानी-संग्रह) किसकी रचना है ?
(क) संजीव की
(ख) यतीन्द्र मिश्र की
(ग) महादेवी वर्मा की
(घ) प्रेमचंद की
उत्तर :
(क) संजीव की
प्रश्न 120.
बिना सारे चक्र (चक्कर) पूरा किए कौन नहीं बैठता था
(क) अशोक
(ख) लेखक
(ग) भंबल दा
(घ) रामदास
उत्तर :
(ग) भंबल दा।
प्रश्न 121.
“हम दोनों टग ऑफ वार’ के दोनों ओर आजमाइश करते रहे हैं” – यह किसका कथन है ?
(क) कधाकार संजीव का
(ख) भंबल दा का
(ग) अशोक दा का
(घ) सफ़िया का
उत्तर :
भंबल दा का।
प्रश्न 122.
“गलत पुरस्कार मैं नहीं लेता” – यह किसका कथन है ?
(क) भंबल दा
(ख) संजीव
(ग) रमण
(घ) रंगस्या
उत्तर :
(क) भंबल दा।
प्रश्न 123.
भंबल दा की बहन उनसे कितनी छोटी या बड़ी थी ?
(क) 2 वर्ष छोटी
(ख) 4 वर्ष बड़ी
(ग) 1 वर्ष छोटी
(घ) चार वर्ष बड़ी
उत्तर :
(क) 2 वर्ष छोटी।
प्रश्न 124.
भंबल दा को किससे विरक्ति हो गई थी ?
(क) चाची से
(ख) भाभी से
(ग) नानी से
(घ) मामी से
उत्तर :
(ख) भाभी से।
प्रश्न 125.
‘धावक’ कहानी का मुख्य पात्र कौन है ?
(क) संजीव
(ख) अशोक
(ग) कुणाल
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(घ) भंबल दा।
प्रश्न 126.
भंबल दा थे —
(क) धावक
(ख) गायक
(ग) कलाकार
(घ) साहित्यकार
उत्तर :
(क) धावक।
वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर
1. “आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनियाँ से कूच कर जाना चाहिए”
प्रश्न :
प्रस्तुत कथन का वक्ता कौन है?
उत्तर :
प्रस्तुत कथन का वक्ता भंबल दा के भाई अशोक दा हैं।
प्रश्न :
कथन की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
भंबल दा काफी संघर्ष करके केवल अप्रेष्टिससिप पा सके थे। बड़े ऑफिसार थे और भंबल दा उनकी गरिमा के अनुकूल नहीं थे । यह बात अशोक दा को नागवार गुज़रती थी इसलिए वे अक्सर कहा करते थे कि आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए।
2. ‘इसे मेरी ओर से तुम्हीं रख लो।’
प्रश्न :
प्रस्तुत अंश किस पाठ से उद्युत है ?
उत्तर :
प्रस्तुत अंश ‘धावक’ पाठ से उद्तृत है ।
प्रश्न :
वक्ता का नाम लिखते हुए प्रस्तुत अंश का स्रसंग आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
पच्चीसवीं वर्ष गांठ पर भंबल दा को सर्वश्रेष्ठ धावक का नहीं बल्कि उनको सर्वश्रेष्ठ विदूषक का पुरस्कार दिया जा रहा था। इतना ही नहीं, पुरस्कार देते समय अशोक दा ने व्यंग्य किया – “अपनी करनी का पुरस्कार ले जाओ – शर्म काहे की ? खानदान में एक जोकर तो निकला।” इस अपमान को न सह पाने के कारण भंबल दा ने अशोक दा से कहा कि इसे मेरी ओर से तुम्हीं रख लो।
3. बमभोले भैया कहाँ हैं ?
अथवा
4. सचमुच भंबल दा या बमभोले भैया का कहीं अता-पता नहीं था।
अथवा
5. फिर गये कहाँ?
अथवा
6. अजीब खब्ती आदमी है।
अथवा
7. सूची में तो उनका नाम था।
अथवा
8. आज उन्हीं की कमी यूँ अखर रही थी मानो सारा मैदान सूना है।
प्रश्न :
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
भंबल दा का कहाँ अता-पता नहीं था?
उत्तर :
स्पोट्स मैदान में भंबल का कहीं अता-पता नहीं था।
प्रश्न :
‘अजीब खब्ती आदमी’ किसे कहा गया है?
उत्तर :
भंबल दा को अजीब खब्ती आदमी कहा गया है।
प्रश्न :
किस सूची में किसका नाम था?
उत्तर :
धावकों की सूची में भंबल दा का नाम था।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पप्ट करें।
उत्तर :
भबल दा को उनके भोलेपन के कारण लोग बमभोले भैया भी कहा करते थे। एक बार लेखक स्पोट्स के मैदान में एक मील की दौड़ को शुरू करने वाले थे। सारे घाबक मैदान में आ चुके थे। स्टेडियम में लाउडसीकर से धावकों के नाम पुकारे जा रहे थे, दौड़ से संबंधित सारे निर्देश दुहराये जा रहे थे, लेकिन भंबल दा का कोई अता-पता नहीं था। उनके बगैर मैदान सूना लग रहा था क्योंकि वे लोगों के हीरो थे।
लेखक भी परेशान था क्योंकि धावकों की सूची में उनका नाम तो था लेकिन अभी तक वे मैदान में नजर नहीं आ रहे थे। लेखक घुंझलाहट में उन्हें खब्ती आदमी तक कह डालते हैं। कारण यह है कि उनका कोई ठिकाना नहीं। हो सकता है कि निकले हों स्पोर्स के मैदान के लिए और कहीं समाज-सेवा के काम में लग गए हों। भंबल दा के इस रवैये पर कबीर की यह उक्ति बिल्कुल सटीक बैठती है – “आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास।”
9. धीरे-धीरे अधिकांश खेलों से बहिष्कृत होते गए भंबल दा।
अथवा
10. जब भी ऐसा होता मायूसी में उनका चेहरा और भी सूज आता।
अथवा
11. खेल का एक न्यूनतम मानक होता है।
अथवा
12. क्या सभी खिलाड़ियों-धावकों को समान सुविधा देने का कोई कानून नहीं है।
अथवा
13. साहबों के एक बर्बर मनोरंजन से अधिक इस स्पोट्स का कोई महत्व है?
प्रश्न :
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
हरेक खेल के अपने कुछ नियम होते हैं जो उम्म, वजन आदि से जुड़े होते हैं। इन नियमों के अनुसार ही खिलाड़ियों का चयन किया जाता है। उम्र बढ़ते जाने के कारण भंबल दा धीरे-धीरे कई खेलों से बाहर होते जा रहे थे। लेकिन उनका भोला खिलाड़ी मन इन नियमों को मानने से इन्कार कर देता था। उनका यह कहना था कि खिलाड़ीखिलाड़ी में कोई किसी आधार पर कोई भेद-भाव नहीं किया जाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है तो यह केवल साहबों के एक बर्बर मनोरंजन से अधिक कुछ नहीं है।
14. लोग उन्हें ललकार रहे होते।
अथवा
15. चलिए, चलिए जान।
अथवा
16. बढ़े चलिए, बढ़े चलिए।
अथवा
17. कभी-कभी तो हमें भी उनकी वास्तविक स्थिति का भ्रम हो जाता।
अथवा
18. दूसरे भले ही बेईमानी कर बैठें, भंबल दा नहीं कर सकते।
अथवा
19. बिना सारे चक्र पूरे किए वे बैठते कैसे?
अथवा
20. यह स्पोट्समैन के रुतबे के खिलाफ हो जाता न!
प्रश्न :
रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा इसके रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
‘स्पोद्सम्समेन’ किसे कहा गया है?
उत्तर :
भंबल दा को स्योट्समैन कहा गया है।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
हालाँकि भंबल दा अपनी सुस्त चाल से सभी खेलों में अंतिम स्थान पर ही आते थे फिर भी वे लोगों के आकर्षण के केंद्र थे। उनकी कहुआ चाल के बावजूद दर्शंक चिल्ला-चिल्ला उनका हौसला बढ़ाते रहते थे। जब दौड़ समाप्त हो चुकी होती, प्रथम, द्वितीय एवं तीसरे स्थान पर आने वाले के नामों की घोषणा हो रही होती – फिर भी भंबल द अपना चक्र पूरा करने मे लगे रहते थे। दौड़ को पूरा किए ही बीच में छोड़ देना उनके स्पोर्टमैन के रुतबे के खिलाफ था। फिर भी भंबल दा में एक बड़ी खूबी थी कि उन्होंने बेईमानी कर कभी कोई स्थान पाने की कोशिश नहीं की।
21. घंटी छोड़कर उसका सब कुछ बजता है।
प्रश्न :
रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा इसके रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
भंबल दा साइकिल रेस में भाग लेने से नहीं चूकते थे। साइकिल रेस के लिए खिलाड़ी अच्छी-अच्छी तथा कम वजन की साइकिलें लेकर आते थे। लेकिन भंबल दा इस अवसर पर भी अपनी खटारा साइकिल ही लेकर आते थे जिसके बारे में लोगों के बीच में यह प्रसिद्ध था कि उनकी साइकिल का घंटी छोड़कर सबकुछु बजता है। साइकिल रेस के लिए किसी से साइकिल उधार लेना उनके स्वाभिमान के खिलाफ था।
22. कभी अन्य धावकों की तरह रियाज करते नहीं देखा।
अथवा
23. पति-पत्नी दोनों ही ‘योगा’ करते।
अथवा
24. भला किसान-मजदूर को कसरत की क्या जरूरत?
प्रश्न :
रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
पति-पत्नी से कौन संकेतिक है?
उत्तर :
अशोक दा और उनकी पत्नी संकेतित हैं।
प्रश्न :
कौन अपने को किसान-मजदूर कह रहा है?
उत्तर :
भंबल दा अपने को किसान-मजदूर कह रहे हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा खिलाड़ी थे फिर भी वे अन्य खिलाडियों की तरह कोई अभ्यास नहीं करते थे। उनका कहना था कि श्रम करके जीने वाले किसी किसान-मजदूर को कसरत या अभ्यास करने की कोई जरूरत नहीं है। इसके विपरीत उनके भाई अशोक दा का खेल से कोई लेना-देना नहीं था, फिर भी दोनों पति-पत्नी अपने-आपको चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योगा किया करते थे।
25. हम उन्हें चाहकर भी बैठा न पाते।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से उद्धत है?
उत्तर :
प्रस्तु गद्यांश ‘धावक’ पाठ से उद्धृत है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
खेलों में अपनी सुस्त-चाल तथा ट्रैक जाम रखने के कारण भंबल दा को कई बार लोगों के व्यंग्यवाण तथा अफसरों की घुड़कियों को भी सहना पड़ता था। इसके बावजूद उन्होंने न तो कभी खेल के नियमों का उल्लंघन किया, न किसी का विरोध किया और सबसे बड़ी बात यह कि खेलों में भाग लेना भी नहीं छोड़ा। भंबल दा को दर्शकों का इतना जबर्दस्त समर्थन प्राप्त था कि खेल के अधिकारी उन्हें चाहकर भी कभी खेल से बिठाना तो दूर, उसके बारे में सोच भी नहीं पाए।
26. यूँ भंबल दा उसकी मुखरता की तुलना में मौन थे।
अथवा
27. आप माँ की कसम खा लीजिए।
अथवा
28. मैं अपना दावा छोड़ देता हूँ।
अथवा
29. तुम्हारी माँ नहीं है शायद।
अथवा
30. इस तुच्छ पुरस्कार के लिए माँ को दाँव पर नहीं लगाते मेरे भाई।
अथवा
31. तुम्हें शायद मालूम नहीं।
अथवा
32. भंबल ऐसे पुरस्कारों के लिए नहीं दौड़ता।
अथवा
33. मुझे तो सिर्फ अपने को तौलना था।
अथवा
34. और वह मैं कर चुका…..।
प्रश्न :
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
एक बार भंबल दा बाधा दौड़ में दूसरे स्थान पर आए लेकिन दूसरे प्रतियोगी ने उन्हें गलत बताया था। कहा कि वह दूसरे स्थान पर आया है। इतना ही नहीं, उसने कहा कि अगर भंबल दा माँ की कसम खाकर बोलें कि वे दूसरे स्थान पर आए हैं तो वे मान लेंगे। माँ की कसम की बात सुनते ही भंबल दा भावुक हो आए। उन्होने कहा कि शायद तुम्हारी माँ नहीं है वरना इस तुच्छ पुरस्कार के लिए तुम माँ को दाँव पर नही लगाते। इस तुच्छ पुरस्कार का मूल्य माँ से बढ़कर नहीं हो सकता।
35. आज दोनों की उपलब्धियों में वर्षों का नहीं, युगों का फासला था।
प्रश्न :
रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा इसके रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
‘दोनों’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
दोनों से भंबल दा तथा अशोक दा संकेतित हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा तथा अशोक दा सगे भाई थे। लेकिन दोनों की उपलब्धियों में काफी अंतर था। अशोक दा सहीगलत तरीके को अपना कर चीफ पर्सनल आंफिसर के पद तक पहुँच गए थे। जीवन की सारी सुख-सुविधाओं के साथसाथ रुतबा भी था। इसके विपरीत भंबल दा के जीवन की उपलब्धि केवल किरानी के पद तक सिमट कर रह गयी थी। पारिवारिक बोझ्न का वहन करने में ही वे जिंदगी की दौड़ में पीछे रह गए।
36. फिर तो देश-देशान्तर घूमने का एक क्रम ही चल पड़ा।
प्रश्न :
रचना एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना का नाम ‘धावक’ है तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
अशोक दा की शादी बड़े साहब की बेटी से हुई थी। स्कॉलरशिप पाने के कारण वे बड़े साहब को पसंद आ गए थे। शादी होते ही वे बड़े साहब के बंगले में रहने को आ गए थे। फिर बड़े साहब के पैसों से ही उन्होंने देश-विदेश की कई यात्रा भी कर डाली।
37. खैर उस बार फेल नहीं हुए।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘धावक’ पाठ से उद्दुत है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा मैट्रिक की परीक्षा में चार बार फेल हो चुके थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने पाँचवीं बार परीक्षा दी और पास हो गए। अगर पाँचवीं बार भी वे पास नहीं हो पाते तो शायद फिर कभी पास नहीं कर पाते क्योंकि बढ़ते घर-खर्च के कारण वे अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाते।
38. आदमी को शान से जीना चाहिए या तो इस दुनिया से कूच कर जाना चाहिए।
अथवा
39. मेरा भाई मेरी गरिमा के अनुकूल होकर आता है तो उसका स्वागत है।
अथवा
40. उसे यहाँ आने की जरूरत ही क्या है?
अथवा
41. उसे लेकर किसी दूसरे शहर चला जाय।
अथवा
42. उन्हें भी ढाई सौ भेज दिया करूँगा।
प्रश्न :
वक्ता कौन है?
उत्तर :
वक्ता भंबल दा के भाई अशोक दा हैं।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा तथा अशोक दा के पद, प्रतिष्ठा तथा हैसियत में जमीन-आसमान का अंतर था। वे चाहते थे कि उनका भाई भी ऊँचाइयों को छुए क्योंकि भंबल दा को इस फटेहाल में अपना भाई स्वीकार करने में उन्हें लज्जा आती थी। वे साफ-साफ शब्दों में कहते थे कि अगर जिंदगी शानदार न हो तो उससे अच्छा मर जाना है।
मेरा भाई भी अगर मेरी तरह की हैसियत लेकर मेरे पास आए तो मैं उसका स्वागत करूँगा। इस फटेहाली में उसे मेरे पास आने की जरूरत नहीं है। वह माँ को मेरे पास छोड़कर या उसे लेकर दूसरे शहर चला जाय। उसके खाना-खर्ची के लिए मैं उसे ढाई सौ रुपये हरेक महीने भेज दिया करूँगा।
43. भंबल दा को शान की नहीं, सम्मान की जिंदगी चाहिए थी।
अथवा
44. उनके अनुसार शान में दूसरे से अपने को ऊँचा दिखाने की कूरता और खुदगर्जी होती है।
अथवा
45. सम्मान उनके लिए परस्पर सौहार्द और समता का द्योतक था।
प्रश्न :
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
भंबल दा कैसा जीवन जीना चाहते थे?
उत्तर :
भंबल दा सीधे-सरल व्यक्ति थे। वे चाहते थे कि वे शान की नहीं, सम्मान की जिंदगी जिएँ। जो शान की जिंदगी जीते हैं उनमें स्वार्थ की भावना होती है। दूसरों से अपने को ऊँचा दिखाने के लिए वे सही-गलत की परवाह भी नहीं करते हैं। जबकि सम्मान का जीवन इससे बिल्कुल अलग होता है। सम्मान में आपसी प्रेम तथा समानता की भावना होती है – उसमें खुदगर्जी नहीं होती है।
46. बंगाली हो या गैर-बंगाली, हिन्दू या दूसरे मजहबों को मानने वाला भंबल दा या बमभोले भैया सबकी खुशी-गमी में शरीक।
अथवा
47. किसी को अस्पताल पहुँचाना है, तो एंबुलेंस बनकर उनके कंधे हाजिर।
अथवा
48. कब्रिस्तान में जा रही मौन भीड़ में कंधे झुकाए चले जा रहे हैं।
अथवा
49. शादी का सामान जुगाड़ करना है तो कंधे सामान के लिए हाजिर।
अथवा
50. घूम-फिर कर सुस्त कोल्नू के बैल की तरह वहीं रह गए।
प्रश्न :
प्रस्तुत कथन किसके बारे में है?
उत्तर :
प्रस्तुत कथन ‘धावक’ कहानी के भंबल दा के बारे में है
प्रश्न :
संदर्भित व्यक्ति की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर :
भंबल दा में मानवता तथा भाइचारे की भावना कूट-कूट कर भरी थी। वे जाति, धर्म या भाषा के आधार पर किसी के साथ भेद्भाव नहीं करते थे। वे सबकी खुशी, सबके गम में शामिल होते थे। किसी को अस्पताल पहुँचाना हो तो एंबुलेंस का इतजार न कर अपने कंधे हाजिर कर देते थे।
किसी मुसलमान भाई की मौत पर उन्हें कंधे झुकाए जनाजे मे शामिल देखा जा सकता था। अगर किसी के घर में शादी हो तो सामानों की व्यवस्था का जिम्मा स्वयं ले लेते थे मानो उनके अपने सगे की शादी हो। उनका जीवन ऐसा था कि वे सबके लिए थे और सब उनके लिए थे।
51. माँ के लिए बेटा-बेटा ही होता है।
अथवा
52. यह चीज बुरी तरह सालती कि उनका एक बेटा उनकी छाया तक से बचता चलता है।
अथवा
53. चाहे कुछ भी हो, कहीं भी पहुँच जाए, कहायेगा तो मेरा बेटा और तेरा भाई ही न!
अथवा
54. थ्रोड़ी देर बाद उनकी नाक ही माँ की बातों का उत्तर देने के लिए बची रहती।
अथवा
55. अपने दिल के दरवाजे-खिड़कियाँ बंद कर फिर उन्हीं तनहाइयों में डूब जातीं।
प्रश्न :
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
शादी के बाद अशोक दा ने परिवार की परवाह करना विल्कुल छोड़ दी थी। यहाँ तक कि वे माँ का भी ख्याल नहीं रखते थे। माँ को भी यह दर्द हमेशा टीसता रहता था कि उनका ही एक बेटा उनकी छाया से भी दूर भागता फिरता है। फिर भी उन्होंने कभी भी अशोक दा की निंदा नहीं की। उल्टे अपने मन तथा भंबल दा को दिलासा देने के लिए वह उसकी तारीफ ही करती थी।
चाहे कुछ भी हो वह तो उनका बेटा ही है और भंबल के लिए उसका बड़ा भाई। भंबल दा भी वास्तविकता जानते थे इसलिए वे माँ की हाँ में हाँ मिलाते हुए सो जाते। माँ की बातों का उत्तर केवल उनकी वजती नाक ही देती थी। भंबल दा को सोया जानकर माँ फिर अपने अकेलेपन में डूब जाती थी।
56. इसका अंजाम अच्छा होगा या बुरा, इतना सोचने का भी वक्त नहीं था मेरे लिए।
अथवा
57. बात पानी में फेंके गए मुरदे की तरह उतरा आई।
अथवा
58. तुम्हें दूसरे के काम में दखल नहीं देना चाहिए।
अथवा
59. क्यो क्या किया है मैने?
अथवा
60. मुझे जो भुगतना पड़ा। उसे बताना मुनासिब नहीं।
अथवा
61. मैने उनके मामले में रुचि लेना छोड़ देने में ही अपनी भलाई समझी।
प्रश्न :
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति का अशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
लेखक ने सोचा कि किसी तरह भंबल दा का प्रमोशन कराकर ऑफिस सुपरिटेंडेंट बना दिया जाय। चाहे इसके लिए अच्छा या बुरा जो भी क्षेलना पड़े। लेकिन यह छिपी नहीं रह गई और उसी तरह उजागर हो गई जैसे मुर्दा पानी में उतरा जाता है। भबल ने इसके बारे में अशोक दा को फटकारते हुए कहा कि जैसे वे दूसरों के काम में दखल नहीं देते उसी प्रकार उन्हें भी नहीं देना चाहिए। इन सबके कारण लेखक को काफी कुछ भुगतना पड़ा वयोंकि यह सोच उन्हीं की थी। इतना सब कुछ भुगत लेने के बाद लेखक ने मन ही मन यह तय कर लिया कि अब वे कभी भंबल दा के किसी मामले में टांग नहीं अड़ाएँगे।
60. मुझे आशा की नयी किरण दिखने लगी।
अथवा
61. उप्र उस दौर में पहुँच रही थी जहाँ वांछित लड़कियाँ नहीं मिल सकती थीं।
अथवा
62. हमने बूँढ़-ढाँढ़ कर एक मास्टरनी को राजी कर ही लिया।
अथवा
63. मास्टरनी के सामने पड़ने से अब मेरी तो रुह की काँपती है।
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता लेखक हैं।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर :
एक बार भंबल दा की भाँ ने लेखक को बुलाकर उनकी शादी के बारे में कोशिश करने को कहा। लेखक को लगा कि यदि ऐसा हो पाया तो भंबल दा की जिंदगी दरे पर आ जाएगी। लेकिन ऐसा होना आसान नहीं था क्योंकि भंबल उम की उस सीमा को छू रहे थे जहाँ मनचाही लड़की नहीं मिल सकती थी।
आखिरकार लेखक ने शादी के लिए एक मास्टरनी को राजी कर ही लिया। लेकिन किसी कारणवश यह शादी भी नहीं हो पाई। इसका खामियाजा भी लेखक को भुगतना पड़ा तथा वे उस मास्टरनी को अपना मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रह गए। वे उसका सामना करने से कतराने लगे।
64. हमें तो लगा उनकी जवानी आयी ही नहीं और वे बुढ़ा भी गये।
अथवा
65. वे वहीं के वहीं ठहरे पड़े रहे।
अथवा
66. वक्त उनके कदमों के तले-तले तेजी से सरकता गया।
अथवा
67. उनका किशोर मन पच्चीस सालों से लगातार दौड़ता ही रहा।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किसके बारे में कही गई है?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति भंबल दा के बारे में कही गई है।
प्रश्न :
कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा के जौवन के वर्ष इतनी तेजी से सरकते गए कि लगा किशोरावस्था के बाद सीधे बुढ़ापा ही आ गया। वे अपनी जगह पर ही बने रहे और समय कब उनके कदमों से नीचे सरक गया- यह पता ही न चला। कहने का भाव यह है कि बड़े भाई की उपेक्षा, घर-परिवार की जिम्मेवारियों के बोझ के नीचे उनका जीवन इस तरह गुजर गया कि जवानी के आने-जाने का पता ही न चला।
66. यदि मैं दो साल पहले पैदा हुआ होता तो चीफ पर्सनल पैदा हुआ होता।
अथवा
69. दो साल बाद पैदा होता तो विधवा।
प्रश्न :
वक्ता का नाम लिखें।
उत्तर :
वक्ता ‘धावक’ कहानी के नायक भंबल दा हैं।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का उद्देश्य लिखें।
उत्तर :
भंबल दा नियतिवादी थे। वे भाग्य में लिखे पर विश्षास करते थे। इसलिए प्रथम आने वाले धावक के यह कहने पर कि यदि वे उसके ट्रैक पर रहते तो प्रथम आ जाते । इसी के जवाब में उन्होंने कहा कि किस्मत से ज्यादा कुछ मिलने वाला नहीं है। यदि वे दो साल पहले जन्म लेते तो भाई की जगह पर्सनल ऑंकिसर होते और अगर दो वर्ष बाद पैदा होते तो अपनी बहन की तरह विधवा। उनका जन्म ही गलत समय में हुआ अन्यथा उन्हें यह सब क्यों भोगना पड़ता।
70. क्यों न रजत-जयंती मना भी ली जाये आपकी?
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता लेखक हैं।
प्रश्न :
किसकी रजत जयंती मनाने की बात कही जा रही है?
उत्तर :
भंबल दा की रजत जयंती मनाने की बात कही जा रही है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
पच्चीस वर्षो तक लगातार खेलों में हिस्सा लेने के कारण एक बार लेखक ने कहा कि क्यों न पच्चीस वर्ष बीत जाने के उपलक्ष में आपकी रजत जयंती मना ली जाय। अब जाकर भंबल दा को पच्चीस वर्ष बीत जाने का अहसास हुआ। जब उन्होंने आइने में अपना चेहरा देखा तो चेहरों की झाइयाँ तथा अधपके बाल उनके उम्र की चुगली कर रहे थे।
71. मानो सबकुछ एकाएक उसी दिन हो गया था।
प्रश्न :
रचना का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना का नाम ‘धावक’ है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
लेखक के यह याद दिलाने पर कि भंबल का खिलाड़ी-जीवन पच्चीस वर्षों का हो गया है- उन्हे अपनी उम्म के बीत जाने का अहसास हुआ। आइने में चेहरा देखने पर उन्हें लगा कि आज अचाजक ही चेहरों पर झाइयाँ आ गई हैं, बाल पकने शुरू हो गए हैं। आज तक उन्होंने इस ओर कभी ध्यान न दिया था कि इतनी उम बीत चुकी है और उसका असर चेहरे पर दिखाई पड़ने लगा है।
72. भंबल दा अचकचाकर बढ़े मंच की ओर।
प्रश्न :
रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर :
रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
भंबल दा अचकचाकर मंच की ओर क्यों बढ़े?
उत्तर :
एक बार भंबल दा का नाम पुरस्कार के लिए घोषित किया गया तो अचानक उन्हें विश्धास नहीं हुआ। आज तक ऐसा नहीं हुआ था। अपना नाम सुनते ही वे अचकचाकर मंच की ओर बढ़े क्योंक घोषणा में केवल उनका नाम ही पुरस्कार के लिए पुकारा गया था। यह पुरस्कार किसके लिए दिया जा रहा है इसकी घोषणा नहीं की गयी थी।
73. अपनी करनी का पुरस्कार ले जाओ।
अथवा
72. शर्म काहे की?
अथवा
75. खानदान में एक जोकर तो निकला।
प्रश्न :
वक्ता तथा श्रोता का नाम लिखें।
उत्तर :
वक्ता अशोक दा तथा श्रोता भंबल दा हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा कभी किसी प्रतियोगिता में पुरस्कार नहीं पा सके। खेल के आयोजकों ने उन्हें विशेष पुरस्कार देने के बारे में सोचा क्योंकि उन्होंने कम से कम लोगों का मनोरंजन तो किया था। पुरस्कार देने का भार भंबल दा के बड़े भाई अशोक दा को सौंपा। जब भंबल दा ने पुरस्कार लेने से इनकार किया तो अशोक दा का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने भंबल दा पर व्यंग्य करते हुए कहा- ‘ अपनी करनी का पुरस्कार ले जाओ-शर्म काहे की? खानदान में एक जोकर तो निकला।”
76. गलत पुरस्कार मैं नहीं लेता दादा !
अथवा
77. तुम्हारी पुरस्कार-लिप्सा तुम्हीं को मुबारक!
अथवा
78. इसे मेरी ओर से तुम रख लो, खानदान का नाम रोशन करने के लिए।
अथवा
79. सारी कड़वाहट मवाद की तकरह शिष्ट लहजे में बह निकली थी।
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता भबल दा हैं।
प्रश्न :
वक्ता और श्रोता में क्या संबंध है?
उत्तर :
वक्ता और श्रोता में भाई का संबंध है।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर :
जब विदूषक के लिए भंबल दा को पुरस्कार देने की घोषणा की गई तो उन्होने लेने से इनकार कर दिया। यह उनके स्वाभिमान को चोट पहुँचाने वाली बात थी। उन्होंने साफ शब्दों में अशोक दा से कहा कि वे गलत पुरस्कार लेने वालों में से नहीं हैं।
पुरस्कार पाने की चाहत उन्हें नहीं है, इसिलए यह पुरस्कार तुम्हीं रख लो ताकि इस पुरस्कार से खानदान का नाम रोशन हो सके। कहने का भाव यह है कि अशोक दा ने जो कुछ किया वह न केवल उनके लिए या भंबल दा के लिए बल्कि पूरे खानदान के लिए कलंक की बात थी।
80. उस रात पहला स्ट्रोक हुआ था उन्हें।
प्रश्न :
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
किस रात किसे स्ट्रोक हुआ और क्यों?
उत्तर :
विदूषक के लिए अपने ही भाई अशोक दा से पुरस्कार दिए जाने की बात से भंबल दा को गहरा मानसिक आयात लगा। वे सोच भी नहीं पा रहे थे कि क्या एक भाई अपने सगे भाई के साथ ऐसी दिल्लगी भी कर सकता है। इसी सोच तथा मानसिक आघात के कारण उसी रात को उन्हे पहला स्ट्रोक हुआ।
81. हवा में पुराने दिनों की ठहरी हुई गन्ध है।
अथवा
82. मकड़ी के जाले रह-रहकर कपड़ों और चेहरों पर लिपट रहे थे।
अथवा
83. कैलेण्डर पर पिछले तीन माह से तारीख बदली ही नहीं गयी थी।
अथवा
84. माँ के निधन के बाद समय जहाँ का तहाँ ठहरा पड़ा था।
अथवा
85. घर के इस कोटर में उनके पंखों की उदास फड़फड़ाहट इन दीवारों में ही घुटकर रह गयी होगी।
प्रश्न :
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा रनाचाकर संजीव हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश में निहित भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
माँ की मृत्यु के काफी दिनों बाद अशोक दा और लेखक भंबल दा के कमरे में गए। उस कमरे की हवा में मानों ठहरे हुए समय की गंध भी घुलमिल गई थी। साफ-सफाई न होने के कारण मकड़े के जाले चारों और लटक रहे थे जो कपड़ों तथा चेहरों पर लिपट रहे थे।
पिछले तीन महीने से कैलेण्डर का पन्ना नहीं बदला गया था। ऐसा लग रहा था कि माँ की मृत्यु के बाद उस कमरे का समय ठहर-सा गया हो। कमरे के माहौल को देखकर यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं था कि कैसे माँ की सोच के उदास पंख फड़फड़ाकर इस कमरे की दीवारों में भी घुटकर रह गयी होगी। बाहर किसी ने उसकी आवाज न सुनी होगी।
86. दूर-दूर खड़े लोग, औरतें, बच्चे हमें अजूबा-से देख रहे हैं।
अथवा
87. कोई बोलता नहीं कुछ।
अथवा
88. हम बच-बचकर निकल रहे थे।
अथवा
89. कम्बख्त लड़का भी हमें छोड़कर जाने कहाँ भाग गया है?
अथवा
90. लड़का लौट आता है।
अथवा
91. श्मशान घाट से आ रहे हैं न?
अथवा
92. हमारा कलेजा धक से रह जाता है।
अथवा
93. नहीं, क्यों क्या हुआ?
अथवा
94. आपको नहीं मालूम …. ?
अथवा
95. आज सुबह ही वे गुजर गए।
प्रश्न :
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘धावक’ है तथा रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पप्र करें।
उत्तर :
शायद भंबल दा की खराब तबीयत के बारे में सुनकर ही अशोक दा लेखक को साथ लेकर भंबल दा के घर पहुँचे। घर के आसपास के लोगों में एक घुप्पी-सी छायी थी। केवल सब उन्हें अजीब-सी नजरों से देख रहे थे। जिस लड़के ने उन दोनों को भंबल दा के घर तक पहुँचाया था, वह भी न जाने कहाँ चला गया था। थोड़ी देर बाद जब लड़का लौटकर आता है तथा इन दोनो से यह सवाल करता है कि शमशान घाट से आ रहे हैं? तो दोनों का कलेजा धक से रह जाता है।
भंबल तो सुबह ही गुजर गए थे तथा मुहल्ले वाले उनका दाह-संस्कार करने श्मशान ले गए थे। इन्हे भरोसा नहीं हो रहा था कि इतनी जल्दी भंबल दा इन्हें छोड़कर चले जाएँगे। और तो और मुहल्लेवालों ने भी अशोक दा को खवर देने की जरूरत नहीं समझी थी। इन सारी परिस्थितियों के कारण दोनों वहाँ के वातावरण में अपने-आपको उपेक्षित-सा महसूस कर रहे थे।
96. यह कागज छोड़ गए हैं भैया के नाम।
अथवा
97. ‘दौड़ में जीत उसी की होती है जो सबसे आगे निकल जाता है, चाहे लंगी मारकर हो या गलत ट्रैक हथिया कर।”
अथवा
98. पुरस्कार पाने का जुनून ही सवार रहता है उस समय।
अथवा
99. मुझे खुशी और संतोष है कि मैंने लंगी नहीं मारी, गलत ट्रैक नहीं पकड़ा।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से उद्धुत है?
उत्तर :
प्रस्तुत गद्यांश ‘धावक’ पाठ से उद्दृत है।
प्रश्न :
गद्यांश का अभिप्राय संदर्भ सहित स्पष्ट करें।
उत्तर :
वह लड़का जो लेखक तथा अशोक दा को भंबल दा के घर तक छोड़ आया था उसने एक चिट्री दी। यह चिट्ठी भंबल दा ने अशोक दा के लिए लिखी थी। चिट्ठी में भंबल दा ने लिखा था कि आजकल दौड़ में वही जीत पाता है जो सही-गलत की परवाह किए बिना आगे निकल जाता है। जब पुरस्कार पाने का जुनून सिर पर सवार हो तो फिर सहीगलत की किसे परवाह रह जाती है। लेकिन उनके लिए यह बात खुशी और संतोष की है कि उन्होंने पुरस्कार जीतने या दौड़ में आगे निकलने के लिए कभी गलत नहीं किया। न कभी किसी को लंगी मारी और न ही कभी गलत ट्रैक पकड़ा। लेकिन यही सब करने वाले व्यक्ति आज सफल माने जाते हैं।
100. पीठ पर तुम्हारा छोड़ा हुआ बोझ था।
अथवा
101. उसे लेकर पूरी दौड़ दौड़नी थी मुझे।
अथवा
102. इनका हिसाब-किताब नहीं हुआ करता दौड़ के इतिहास में।
अथवा
103. तुम्हारे जैसे तेज-तर्रार लोग हम जैसों को ट्रैकों पर रेंगते हुए देखकर गुस्से से भर जाते हैं।
अथवा
104. मगर हम जैसों का क्या कसूर?
अथवा
105. तुम्हें तो शुकगुजार होना चाहिए।
अथवा
106.
तुम जैसे अव्घल आने वालों की विजय-लिप्सा हमारे पिछड़ने से तृप्त हो सकती है।
अथवा
107. यही कूर तृप्ति धीरे-धीरे तुम्हें उस दलदल में लिए चली जाती है, जो यह दौड़ दौड़ता नहीं।
प्रश्न :
प्रस्तुत कथन किसका अंश है?
उत्तर :
प्रस्तुत कथन भंबल दा द्वारा अशोक दा को लिखे गए पत्र का अंश है।
प्रश्न :
प्रस्तुत कथन का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा ने चिट्री में लिखा था कि अगर उनकी पीठ पर परिवार का बोझ नहीं होता तो वे भी जिंदगी की दौड़ में आगे निकल सकते थे। खैर, दौड़ में इन सब बातों को कोई अहमियत नहीं देता है। जो तेज दौड़ने वाले हैं वे धीमी चाल वालों को ट्रैक पर देखकर ही गुस्से तथा घृणा से भर जाते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि इन्हीं फिसड्डी लोगों के कारण वे विजयी होते हैं। जो सही तरीके को अपना कर दौड़नेवाले नहीं हैं – वे भला इसकी कीमत क्या समझ पाएँगे।
108. वह चुपचाप देखता आया है साँड़-युद्ध को।
अथवा
109. तप्त चटखारे ले-लेकर देखता आया है।
अथवा
110. आज वही दल म्यूजिकल चेयर जैसे खेल रचाता है।
अथवा
111. इसके नए-नए संस्करण करता है।
अथवा
112. कामुक कूर वर्ग उनका रस लेते हुए आघाता नहीं।
अथवा
113. पिछले कई सालों से मैं भी रस ले-लेकर इसी वर्ग की मानसिकता को देखता रहा हूँ।
प्रश्न :
वक्ता कौन हैं ?
उत्तर :
वक्ता लेखक हैं।
प्रश्न :
‘वह’ कौन है?
उत्तर :
वह कामुक क्रूर वर्ग है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गय्यांश का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर :
लेखक ने यह अनुभव किया है कि समाज का एक वर्ग ऐसा भी है जो सुख-सुविधाओं से पूर्ण है। उसकी कामुकता ही साँड़-युद्ध, ग्लैडियेटर्स से लेकर म्यूजिकल चेयर जैसे खेलों को जन्म देता है। वे खुद खेलों में शामिल नहीं होते बल्कि खेलों से अपनी कामुकता को शांत करते हैं। लेखक भी मजे लेकर कई सालों से कामुक-कूर वर्ग की इस मानसिकता को देखता आ रहा है।
114. कह नहीं सकता, तुम आओगे या नहीं।
अथवा
115. इस छोटे-से मकान पर हक मत जतलाना।
अथवा
116. हम दोनों ‘टग ऑफ वार’ के दोनों ओर शक्ति आजमाइश करते रहे हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत कथन किसका है?
उत्तर :
प्रस्तुत कथन भंबल दा का है।
प्रश्न :
‘हम दोनों’ से कौन संकेतित हैं?
उत्तर :
हम दोनों से भंबल दा और अशोक दा संकेतित हैं।
प्रश्न :
‘टग ऑफ वार’ क्या है ?
उत्तर :
‘टग ऑफ वार’ रस्साकशी (अपनी-अपनी ओर रस्सी खींचना) का खेल है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
जब माँ की मृत्यु हुई तो उस समय भी अशोक दा विदेश में थे। भंबल दा इसलिए अपने पत्र में कहते हैं कि न जाने उसकी मृत्यु के समय भी आ पाएँगे या नहीं। अगर आ भी जाएँ तो छोटे-से मकान पर अपना हक नहीं जमाने को कहते हैं। शायद यह मकान भंबल दा जैसे किसी व्यक्ति के काम आ जाए।
जीवन भर दोनों रस्साकशी का खेल खेलते रहे- इस खेल में भी भंबल दा हार गए। आगे वे कहते हैं कि यदि वे भी तेज-तर्रार होते, गलत-सही की परवाह किए बिना दौड़ जीतने में लगे रहते तो उनकी भी उम लंबी होती। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इस रस्साकशी के खेल में भी भंबल दा अशोक दा से हार गए।
117. निश्चय ही मेरी सम्बद्धता अपने दल के साथ है।
प्रश्न :
वक्ता कौन है?
उत्तर :
वक्ता भंबल दा हैं।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा ने मृत्यु से पहले लिखे गए पत्र में लिखा था कि वे हमेशा उन लोगों के साथ हैं जो भले ही दौड़ में नहीं जीत पाए हों लेकिन कभी बेईमानी नहीं की, किसी को लंगी नहीं मारी और न ही कभी गलत ट्रैक पकड़।। वे इन लोगों के साथ हैं जो शान नहीं, सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं।
118. मैं भी तुम्हारी तरह होता तो तुम्हारे जैसा दीर्घायु होता।
अथवा
119. आठ साल ज्यादा जी लोगे यही न?
अथवा
120. जिस जुनून में जिया, उसकी तासीर का एक क्षण भी तुम्हारे वर्षों के तमाम ताम-झाम के सालों से उम्दा है।
अथवा
121. हो सके तो चखककर कभी देखना।
प्रश्न :
रचता का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना का नाम ‘धावक है।’
प्रश्न :
‘मैं’ और ‘तुम्हारी’ से कौन संकेतित हैं?
उत्तर :
‘मै’ से भंबल दा और ‘तुम्हारी’ से अशोक दा संकेतित हैं।
प्रश्न :
वक्ता इस बात को किस माध्यम से कहता है?
उत्तर :
वक्ता इस बात को पत्र के माध्यम से कहता है।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
भंबल दा ने मृत्यु से पहले लिखे पत्र में अशोक दा को लिखा कि अगर वे भी गलत ट्रैक पकड़ते तो वे भी दीर्घायु होते। लेकिन गलत ट्र्क पकड़ने पर भी इससे बड़ी उपलब्धि क्या होगी कि आठ वर्ष ज्यादा जी लेंगे। उन्होने जितना भी जीवन जिया सम्मान के साथ जिया। उन्होंने जिस जुनून के साथ जिंदगी को जिया, उसमें जो संतुष्टि मिली, उसका एक क्षण भी तुम्हारे लिए दुर्लभ है। अगर अपनी ताम-झाम वाली जिंदगी से कभी फुरसत मिले तो उसे चखकर देखना- तब तुम्हें दोनों की जिंदगी के अंतर का पता चलेगा।
122. मगर इस बार भंबल दा इससे पहले ही आगे बढ़ गए हैं।
अथवा
123. लगता नहीं है कि भंबल दा नहीं रहे।
अथवा
124. लगता है दौड़ते हुए दृप्टि सीमा के पार चले गए हैं।
प्रश्न :
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचनाकार संजीव हैं।
प्रश्न :
कौन दृप्टिसीमा के पार चले गए हैं?
उत्तर :
भंबल दा दृश्शिसीमा के पार चले गए हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पप्ट करें।
उत्तर :
जीवन में भंबल दा कभी प्रतियोगिता नहीं जीत पाए लेकिन इस बार की दौड़ में वे आशोक दा से आगे निकल गए। जन्म में भले ही वे दो वर्ष पीछे रह गए हों पर मृत्यु की दौड़ में उन्होंने अशोक दा को कम से कम आठ वर्ष पीछे छोड़ दिया। भंबल दा इस दुनिया से गुजर गए लेकिन लगता नहीं है कि वे नहीं रहे। ऐसा लगता है कि दौड़ दौड़ते हुए इतनी दूरी तक पहुँच गए हैं जो हमारी देखने की सीमा से परे है। इस बार वे सबसे आगे निकल गए हैं।
WBBSE Class 10 Hindi धावक Summary
लेखक – परिचय
कथाकार संजीव का जन्म 6 जुलाई सन् 1947, सुत्लानपुर (उत्तर प्रदेश) के बाँगरकलाँ गाँव में हुआ था।
इनकी शिक्षा-दीक्षा पध्चिम बगाल में हुई थी जहाँ से उन्होंने रसायन-शास में स्नातकोत्तर के समकक्ष डिग्री हासिल की। सेन्ट्रल ग्रोथ वर्क्स (इस्का) कुल्टी (पश्चिम बंगाल) में वर्षों रसायनज्ञ के रूप में कार्य करने के बाद फिलहाल स्वतन्न्र लेखन के कार्य से जुड़े हुए हैं। समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य के जाने-माने कथाकार हैं। वे अपने शोधपरक लेखन और वर्जित विषयों के अवगाहन के लिए विख्यात हैं। उनके आठ उपन्यास और सौ से अधिक कहानियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त विविध विषयों और विविध विधाओं में वे लगातार लेखनरत हैं।
प्रमुख रचनाएँ – तीस साल का सफरनामा, आप यहाँ हैं, भूमिका और अन्य कहानियाँ, दुनिया की सबसे हसीन औरत, प्रेतमुक्ति, प्रेरणास्तोत और अन्य कहानियाँ, ब्लैक होल, खोज, दस कहानियाँ, गति का पहला सिद्धान्त, गुफा का आदमी, आरोहण (कहानी-संग्रह), किशनगढ़ के अहेरी, सर्कस, सावधान! नीचे आग है, धार, पाँव तले की दूब, जंगल जहाँ शुरू होता है, सूत्रधार (उपन्यास), रानी की सराय (किशोर उपन्यास), डायन और अन्य कहानियाँ (बालसाहित्य)
सम्मान – प्रथम कथाक्रम सम्मान (1997), अन्तर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा सम्मान (2001) (लन्दन), भिखारी ठाकुर सम्पान (2004), पहला सम्मान (2005) । उन्हें श्रीलाल शुक्ल स्पृति सम्मान (2013) से सम्मानित किया गया है।
शब्दार्थ
पृष्ठ संख्या – 133
- ध्वज = झंडे।
- चूर्ण = पाउडर ।
- अल्पना = जमीन पर चूने से बनाई गई कलाकृति।
- अलंकृत = सजा हुआ।
- उथलाथी = उमड़ती।
- तमाम = अनेक।
- चीफ गेस्ट = मुख्य अतिथि।
- अगवानी = आगे बढ़कर स्वागत करना। रिसीव-लेने।
- इंटरनेट = मनोरंजन।
- चौकन्ना = सावधान।
- बाबूक्लास = अधिकारी वर्ग।
- हधिया = अधिकार।
- नगण्य = सामान्य।
- कोथाय = कहाँ हैं ?
- धावक = दौड़ने वाले।
- ऐन वक्त = सही समय।
- खब्ती = सनकी, पागल।
- अनचाहे = बिना चाहे।
- अखर = महसूस।
पृष्ठ संख्या – 134
- लौंग जम्प = लम्बी कूद ।
- हाई जम्प = ऊँची कूद।
- जेबलिन थो = भाला फेंकना।
- डिस्क थ्रो = पहिया फेंकना।
- बहिष्कृत = बाहर।
- मायूसी = निराशा।
- न्यूनतम मानक = कम से कम नियम ।
- पार्टीसिपेट = भाग लेना, हिस्सा लेना।
- ललकार = चिल्ला कर पुकारना, हौसला बढ़ाना।
- क्लांति = पकावट ।
- आश्वस्त = निध्रिंत।
- आक्रोश = गुस्सा।
- बेकाबू = नियंत्रण से बाहर।
- वी. आई. पी. = अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति।
- ट्रैक = वह रास्ता जिस पर धावक दौड़ते हैं।
- रूतबे = शान।
- खिलाफ = विरुद्ध।
- खटराग = पुरानी बातें।
- रियाज = अभ्यास।
- समग्रवत = पूरे तौर पर।
- कस्बे = गाँव।
पृष्ठ संख्या – 135
- बुलवर्कर = कसरत करने का यंत्र।
- चरितार्थ = सही।
- अपवाद = नियम के विरुद्ध।
- घुड़कियाँ = धमकी।
- फब्तियाँ = व्यंग्य।
- प्रतिवाद = विरोध।
- महज = केवल।
- अतिक्रमण = पार करना।
- शिनाख्त = पहचान।
- मुखरता = वाचालपन, अधिक बोलना।
- हुलिया = हालत, दशा।
- तुच्छ = छोटे।
- फासला = दूरी।
- चौकियाँ = छलाँग।
- अदनी = छोटी।
- देशान्तर = देश के बाहर, विदेश।
- क्रम = सिलसिला।
- गृहत्याग = घर छोड़कर ।
- जुगाड़ = व्यवस्था।
- पापड़ें बेलना = कष्ट सहना।
- गाहे-बेगाहे = जब-तब।
- कूच = विदा।
- गरिमा = प्रतिष्ठा।
- खैरात = दान।
पृष्ठ संख्या – 136
- क्रूरता = कठोरता।
- खुदर्गी = स्वार्थी ।
- परस्सर = आपस में।
- समता = बराबरी।
- द्योतक = प्रतीक ।
- सेलेक्शन = चुनाव।
- सहकर्मियों = साथ काम करने वाले।
- प्रत्यक्ष = सामने।
- परोक्ष = पीछे।
- ग्रेजुएसी = बी. ए. ।
- पोस्ट ग्रेजुएसी = एम.ए.।
- आश्रिता = निर्भर।
- कदर = तरह ।
- मज़हब = धर्म ।
- शरीक = शामिल, सम्मिलित।
- कसर = कोशिश।
- मरखप कर = कठिनाई से।
- सालती = लगती।
- वार्ताएँ = बातचीत।
- तनहाइयों = अकेलपना।
- निरंतर = लगातार।
- शुभचिन्तक = भला चाहने वाला।
- लिहाज= कारण।
- आत्मसात = अपनाना।
- समकक्षप्राय = बराबरी का होना।
- अंजाम = परिणाम।
पृष्ठ संख्या – 137
- उतरा = ऊपर आ जाना।
- जायज = सही।
- नाजायज = गलत।
- रिटर्न = बदले में।
- एवार्ड = पुरस्कार।
- अवाक् = आश्चर्यचकित।
- संदर्भ = कौन-सी बात, किसके बारे मे कही जा रही है।
- शीर्ष = ऊँचाई।
- खटारा खड़काते = टूटी-फूटी साइकिल की आवाज के साथ।
- रूचि = इच्छा।
- बाँछित = मनचाही।
- राजी = तैयार।
- रूह = आत्मा।
- आचरण = व्यवहार ।
- विरक्ति = नफरत।
- वहन = उठाना।
- भावी = होने वाली ।
- हल = समाधान, सुलझा।
- अहसानमंद = उपकार को मानना।
- कुबूल करना = मंजूर।
- आशंका = बुरे होने का भय।
- सांघातिक = बड़ी।
- जोखिम् = खतरे।
- निष्कृति = निकलने।
- राह = रास्ता ।
- तलाश = खोज।
- प्रकरण = विषय।
- तले = नीचे ।
- सरकता = खिसकता।
- नियतिवादी = भाग्यवादी, किस्मत को मानने वाला।
पृष्ठ संख्या – 138
- लहजे = तरीके
- झांइयों = झुर्रियों।
- जायजा = निरीक्षण।
- अचकचाकर = हड़बड़ा कर
- ग्रहण = लेने ।
- विदूषक = जोकर, लोगों को हँसानेवाला।
- खिसिया-सी = गुस्से की तरह।
- तेवर = भुकुटि, भौंगों पर बल /लकीर पड़ जाना।
- विद्रूण = कोध भरा चेहरा।
- पुरस्कार-लिप्सा = पुरस्कार पाने का लालच।
- मुबारक = बधाई।
- मवाद = घाव से निकलने वाली पीव।
- शिष्ट = सभ्य।
- हतबुद्धि = बुद्धि का काम न करना।
- दीर्घा = कतार।
- स्ट्रोक = हंदय का आघात (हार्ट अटैक)।
पृष्ठ संख्या – 139
- छहर = फैल।
- गुम = गायब।
- जर्द-सी = पीले रंग की।
- निधन = मृत्यु।
- स्मृतियों = यादों।
- कोटर = वृक्ष के तने का खोखला भाग जिसमें पक्षी अपना घोंसला बना लेते हैं।
- घुटकर = दबकर। पूर्व = पहले।
- अजूबा-सा = अजीब-सी चीज।
- वजूद = अस्तित्व।
- शिनाख्त = पहचान।
- गुजर गए = मगर गए।
- जुनून = पागलपन।
- अवान्तर = विषय से अलग।
- शुक्रगुजार = अहसानमंद।
- अव्वल = प्रथम।
- विजय-लिप्सा = जीतने का लालच।
- तृप्त = संतुष्ट।
- रस = आनंद।
- तप्त = गर्म।
- आगात नहीं = संतुष्ट नहीं होता।
- होड़ = प्रतियोगिता।
- एक – दूजे = एक-दूसरे।
- विभेद = अंतर।
- छद्म = छल।
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- अस्वस्थ = बीमार ।
- पनाह = आसरा ।
- हक = अधिकार ।
- आजमाइश = आजमाना।
- अभिजात = उच्च वर्ग ।
- दीर्घायु = लंबी उम्रवाला।
- तासीर = असर।
- तमाम = अनेक ।
- उम्दा = अच्छा।
- प्रतिवाद = विरोध।
- परिदृश्य = दृश्य, नज़ारा।
- दृष्टि सीमा = जहाँ तक दिखाई पड़े।