Detailed explanations in West Bengal Board Class 10 Geography Book Solutions Chapter 3 जलमण्डल offer valuable context and analysis.
WBBSE Class 10 Geography Chapter 3 Question Answer – जलमण्डल
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type) : 1 MARK
प्रश्न 1.
सामुद्रिक मछलियों का प्रमुख खाद्य क्या है ?
उत्तर :
प्लैंकटन नामक सूक्ष्म जीवाणु।
प्रश्न 2.
कान्तीय समुद्र में किस प्रकार की धारायें उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर :
गर्म धाराएं।
प्रश्न 3.
अंध महासागर के एक धारा का नाम बताओ।
उत्तर :
गल्फस्ट्रीम, फाकलैंड धारा।
प्रश्न 4.
भूमण्डलीय तापन में किस हरित गृह गैस की भूमिका सर्वोच्च रहती है ?
उत्तर :
कार्बन डाई आक्साइ।
प्रश्न 5.
विभिन्न महासागरीय धराओं के अनुवर्ती प्रवाह के कारण उत्पन्न-जल के चक्रीय गति को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
धारा चक्र।
प्रश्न 6.
जब उष्ण एवं शीतल सागरीय धाराएँ आपस में मिलती हैं तो किस प्रकार की मौसमी दशा विद्यमान रहती है।
उत्तर :
कुहरा छाया रहता है।
प्रश्न 7.
सागरीय लहरों की उत्पत्ति में सागर की उनमुक्तता क्या है ?
उत्तर :
बाह्य कारणों जैसे अत्यधिक वर्षा, वाष्षीकरण, हिम के पिघलने, विशाल नदियों के सागर में मिलने वाली वृद्धि या कमी आदि के कारण सागर के जल तल में उत्पन्न असमानता के कारण सागरीय लहरों की उत्पत्ति को सागर की उन्मुक्तता के कारण लहरों की उत्पत्ति कहते हैं।
प्रश्न 8.
प्राथमिक ज्वार उत्पन्न होने का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर :
चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल।
प्रश्न 9.
दो उच्च ज्वारों के बीच समय का अन्तर कितना रहता है ?
उत्तर :
24 घंटे 52 मिनट।
प्रश्न 10.
एल-निनो का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
क्रिसमस के बच्चे की धारा।
प्रश्न 11.
किस महासागर में बेंगुला धारा पायी जाती है ?
उत्तर :
अटलाण्टिक महासागर में।
प्रश्न 12.
ज्वार-भाटा का मुख्य कारक क्या है ?
उत्तर :
चन्द्रमा का गुरूत्वाकर्षण बल।
प्रश्न 13.
चन्द्रकला के किस चरण में लघु ज्वार उत्पन्न होता है ?
उत्तर :
दोनों पक्षों के अष्टमी के दिन।
प्रश्न 14.
किसी स्थान पर एक दिन में कितने बार ज्वार-भाटा आते हैं ?
उत्तर :
दो बार।
प्रश्न 15.
हुगली नदी के मुहाने पर उत्पन्न होनेवाली ज्वारीय भित्ति का क्या नाम है ?
उत्तर :
बान।
प्रश्न 16.
लहरों से महासागरीय जल में किस प्रकार गति होती है ?
उत्तर :
दोलनात्मक गति (Oscillodory movement)।
प्रश्न 17.
किस गति के कारण सागरीय जल में आवर्ती चढ़ाव तथा उतार होता है ?
उत्तर :
ज्वार-भाटा (Tides)।
प्रश्न 18.
किन हवाओं के प्रभाव से क्यूरोशियो की धारा पूर्व दिशा की ओर मुड़ जाती है ?
उत्तर :
पछुआ हवाओं।
प्रश्न 19.
उत्तरी गोलार्द्ध में महासागरीय धाराएं किस दिशा में चक्र बनाती है ?
उत्तर :
घड़ीवत (Clock-wise)।
प्रश्न 20.
तेज गति से चलनेवाली धाराओं को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
स्रोत या स्ट्रीम (Stream)।
प्रश्न 21.
किस धारा के प्रभाव से कनाडा के पश्चिमी तट पर वर्षा होती है ?
उत्तर :
क्यूरोशियो की शाखा उत्तरी प्रशांत प्रवाह के प्रभाव से।
प्रश्न 22.
किन धाराओं के ऊपर से गुजड़नेवाली हवाएं शुष्क होती हैं ?
उत्तर :
ठण्डी धाराओं के ऊपर से गुजरनेवाली हवाएं।
प्रश्न 23.
न्यूफाउण्डलैण्ड के समीप किन धाराओं के मिलने के कारण कुहरा उत्पत्न होता है ?
उत्तर :
गर्म एवं ठण्डी धाराओं के मिलने से।
प्रश्न 24.
किस धारा के प्रभाव से ब्रिटिश द्वीप समूह के बंदरगाह साल भर खुले रहते हैं ?
उत्तर :
गल्फस्ट्रीम की गर्म धारा के प्रभाव से।
प्रश्न 25.
कम ऊँचे ज्वार की उत्पत्ति किन सागरो में होती है ?
उत्तर :
खुले तथा गहरे सागरों में।
प्रश्न 26.
पृथ्वी के किस भाग पर चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है ?
उत्तर :
जल भाग पर।
प्रश्न 27.
वियुति की स्थिति किस दिन होती है ?
उत्तर :
पूर्णमासी के दिन।
प्रश्न 28.
युति की स्थिति किस दिन रहती है ?
उत्तर :
अमावस्या के दिन।
प्रश्न 29.
किस दिन सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी समकोण की स्थिति में होते हैं ?
उत्तर :
शुक्ल अथवा कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन।
प्रश्न 30.
किस दिन चन्द्रमा का ज्वारोत्पादक बल सबसे कम रहता है ?
उत्तर :
अपभू (Apogeam) की स्थिति या शुक्ल अथवा कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन ।
प्रश्न 31.
महासागर से सम्बन्धित विज्ञान की एक शाखा को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
समुद्री विज्ञान (Oceanograph)।
प्रश्न 32.
पृथ्वी पर जलमण्डल का क्षेत्रफल कितना है ?
उत्तर :
36.1 करोड़ वर्ग कि॰मी० पर जलमण्डल है।
प्रश्न 33.
घरातल के कितने प्रतिशत भाग पर जल का विस्तार है ?
उत्तर :
70.78 % भाग पर।
प्रश्न 34.
पृथ्वी के किस गोलार्द्ध में जलमण्डल का विस्तार अधिक है ?
उत्तर :
दक्षिणी गोलार्द्ध में (60 %)।
प्रश्न 35.
प्रशान्त महासागर का क्षेत्रफल कितना है ?
उत्तर :
16.55 करोड़ वर्ग किमी०।
प्रश्न 36.
अटलांटिक महासागर का क्षेत्रफल कितना है ?
उत्तर :
8.21 करोड़ वर्ग किमी०।
प्रश्न 37.
हिन्द महासागर का क्षेत्रफल कितना है ?
उत्तर :
7.36 करोड़ वर्ग किमी०।
प्रश्न 38.
आर्कटिक महासागर का क्षेत्रफल कितना है ?
उत्तर :
1.40 करोड़ वर्ग किमी०।
प्रश्न 39.
पृथ्वी पर सबसे बड़ा महासागर कौन है ?
उत्तर :
प्रशान्त महासागर।
प्रश्न 40.
धरातल पर स्थित सबसे छोटा महासागर कौन है ?
उत्तर :
आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean)।
प्रश्न 41.
प्रशान्त महासागर में कितने सागर हैं ?
उत्तर :
90 सागर है।
प्रश्न 42.
भारत या हिन्द महासागर में कितने सागर हैं ?
उत्तर :
पाँच सागर है।
प्रश्न 43.
सात सागर किन महासागरो में जाकर मिलते हैं ?
उत्तर :
अटलांटिक तथा आर्कटिक महासागर में।
प्रश्न 44.
विश्व का सबसे गहरा गर्त कौन सा है ?
उत्तर :
मैरियाना खडु (Mariana’s Trench) (11033 मी॰)।
प्रश्न 45.
विश्व का दूसरा सबसे गहरा गर्त कौन सा है ?
उत्तर :
मिंडानाओ गर्भ (Mindano Deep) (10400 मी॰)।
प्रश्न 46.
सागरीय सतह के क्रमिक उतार-चढ़ाव को क्या कहते है ?
उत्तर :
लहर (Waves)।
प्रश्न 47.
किस नियम के अनुसार महासागरीय धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाहिनी ओर एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बायीं ओर बहती है ?
उत्तर :
फेरल के नियमानुसार।
प्रश्न 48.
महासागरों में मन्द गति से चलने वाली धाराओं को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
प्रवाह (Drift) कहते हैं।
प्रश्न 49.
चन्द्रमा तथा पृथ्वी के निकटतम स्थिति को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
अपभू स्थिति (Perigee)।
प्रश्न 50.
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर कौन सी धाराएँ बहती हैं ?
उत्तर :
गर्म धाराएँ (Warm currents)।
प्रश्न 51.
विपरीत भू-मध्य रेखीय धारा की उत्पत्ति किस कारण होती है ?
उत्तर :
भू-परिभ्रमण के कारण।
प्रश्न 52.
किस धारा को हम्बोल्ट धारा कहते है ?
उत्तर :
पीरू की धारा को।
प्रश्न 53.
शीतल दीवार (Cold Wall) किस महासागर में पायी जाती है ?
उत्तर :
अंध महासागर में।
प्रश्न 54.
सारगैसो सागर की स्थिति कहाँ है ?
उत्तर :
सारगैसो सागर की स्थिति 10° N से 45° N के मध्य है।
प्रश्न 55.
किस धारा को पछुआँ प्रवाह (West Wind Drift) कहते हैं ?
उत्तर :
उत्तरी अटलांटिक प्रवाह।
प्रश्न 56.
बेंगुला धारा किस मरूस्थल को कठोरता प्रदान करती है ?
उत्तर :
कालाहारी मरूस्थल को।
प्रश्न 57.
अफ्रीका के सहारा मरूस्थल पर किस धारा का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
कनारी की ठण्डी धारा।
प्रश्न 58.
कालाहारी का मरूस्थल किस धारा के समीप स्थित है ?
उत्तर :
बेंगुला की ठण्डी धारा के समीप।
प्रश्न 59.
पीरू की ठण्डी धारा किस मरूस्थल को प्रभावित करता है ?
उत्तर :
अटकामा का मरूस्थल को।
प्रश्न 60.
किन जल धाराओं के मिलने से जापान के समीप कुहरा उत्पन्न होता है ?
उत्तर :
क्यूरेशियों की गर्म तथा क्यूराईल की ठण्डी धारा के कारण।
प्रश्न 61.
औसत प्रति 1000 कि०ग्रा० समुद्र जल में लवण की मात्रा कितनी पाई जाती है ?
उत्तर :
35 कि०ग्रा०।
प्रश्न 62.
किन प्रदेशो में सागरीय जल में लवणता अधिक पाए जाते हैं ?
उत्तर :
उष्ण प्रदेशो में।
प्रश्न 63.
प्रत्यक्ष ज्वार पर किस शक्ति का प्रभाव अधिक पड़ता है ?
उत्तर :
गुरुत्वाकर्षण शक्ति का।
प्रश्न 64.
अप्रत्यक्ष ज्वार किस बल द्वारा अधिक प्रभावित होता है ?
उत्तर :
केन्द्रापसारी ढाल द्वारा।
प्रश्न 65.
चन्द्रमा कितने दिनों में पृथ्वी की परिक्रमा पूरा करता है ?
उत्तर :
28 दिन में।
प्रश्न 66.
किसी स्थान पर प्रथम ज्वार के कितनी देर बाद दूसरा ज्वार आता है ?
उत्तर :
12 घण्टे 26 मिनट बाद।
प्रश्न 67.
भारत के किस नदी में ज्वारीय भित्ति बनता है ?
उत्तर :
हुगली नदी में।
प्रश्न 68.
विश्व की सबसे बड़ी मीठी जल की झील कौन सा है ?
उत्तर :
सुपीरियर झील (U.S.A.)।
प्रश्न 69.
भारत के मीठी पानी झील का उदाहरण दें।
उत्तर :
उलर और डल आदि।
प्रश्न 70.
मृत सागर और कैस्पियन सागर कैसा झील है ?
उत्तर :
खारे जल वाली झील।
प्रश्न 71.
भारत के खारे पानी की झील कौन सा है ?
उत्तर :
सांभर झील।
प्रश्न 72.
भारत का एक ज्वारीय नदी कौन सी है ?
उत्तर :
हुगली नदी।
प्रश्न 73.
कौन सी गर्म धारा जापान के तटीय भाग को गर्म रखता है ?
उत्तर :
क्यूरेशियो की गर्म धारा।
प्रश्न 74.
लहरों में जल की गति कैसी होती है ?
उत्तर :
लहरो में जल केवल ऊपर-नीचे गिरता है।
प्रश्न 75.
चन्द्रमा तथा पृथ्वी के बीच अधिकतम दूरी की स्थिति को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
अपभू स्थिति (Apogem)।
प्रश्न 76.
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर कौन सी धाराएँ प्रवाहित होती है ?
उत्तर :
गर्म धाराएँ (Warm Current)।
प्रश्न 77.
महासागरों में स्रोत धारा किस कारण से उत्पत्र होते है ?
उत्तर :
तापक्रम एवं घनत्व के कारण।
प्रश्न 78.
प्रवाह की उत्पत्ति के क्या कारण है ?
उत्तर :
प्रचलित पवन द्वारा इसकी उत्पत्ति होती है।
प्रश्न 79.
मानसूनी हवाओं का प्रभाव किस महासागर की धाराओं पर पड़ता है ?
उत्तर :
उत्तरी हिन्द महासागर की धारा पर।
प्रश्न 80.
संसार की अधिकांश धाराएँ किस पवन का अनुसरण करती है ?
उत्तर :
स्थायी पवनों की दिशा का।
प्रश्न 81.
ध्रुवीय प्रदेशों में उत्पत्र होने वाली धाराओं के नाम लिखो।
उत्तर :
लैब्रोडोर तथा क्यूराइली की ठण्डी धारा।
प्रश्न 82.
ध्रुवों के समीप जल का घनत्व कम होने का क्या कारण है ?
उत्तर :
हिम का पिघलना।
प्रश्न 83.
संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट के सहारे कौन सी धारा बहती है ?
उत्तर :
गल्फस्ट्रीम की धारा।
प्रश्न 84.
चीन तट के सहारे कौन सी धारा बहती है ?
उत्तर :
क्यूरोशियो की धारा।
प्रश्न 85.
प्राचीन काल में यूरोप से अमेरिका आने वाले जहाज किस धारा का अनुसरण करते थे ?
उत्तर :
उत्तरी भू-मध्यरेखीय धारा।
प्रश्न 86.
ब्रिटिश द्वीप-समूह एवं नार्वे के बन्दरगाह किस धारा के प्रभाव से वर्ष भर व्यापार के लिए खुले रहते है ?
उत्तर :
गल्फस्ट्रीम की गर्म धारा के प्रभाव से।
प्रश्न 87.
पूर्वी कनाडा के बन्दरगाह किस धारा के प्रभाव से बन्द रहते हैं ?
उत्तर :
लैब्रोडोर की ठण्डी धारा।
प्रश्न 88.
जब किसी खाड़ी में ज्वार-भाटा के फलस्वरूप क्षैतिज धाराएँ उत्पन्न हो जाती है तब इन्हें क्या कहते हैं ?
उत्तर :
ज्वारीय धाराएँ (Tidal Current)।
प्रश्न 89.
ज्वार भाटा के लिए चन्द्रमा की कौन सी शक्तियाँ कार्य करती है ?
उत्तर :
गुरुत्वाकर्षण तथा केन्द्रापसारी शक्ति।
प्रश्न 90.
चन्द्रमा के दूरस्थ भाग में कौन सी शक्ति प्रभावशाली होती है ?
उत्तर :
केन्द्रापसारी शक्ति।
प्रश्न 91.
प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार एवं दो बार भाटा किस कारण से आता है ?
उत्तर :
पृथ्वी के आवर्तन के कारण।
प्रश्न 92.
ज्वार के आने के कितनी देर बाद भाटा आता है ?
उत्तर :
6 घण्टे 13 मिनट के बाद।
प्रश्न 93.
सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी के एक सीधी रेखा में स्थित होने की स्थिति को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
युति-वियुति या सिजिगी (Syzygy)!
प्रश्न 94.
सिजिगी का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
एक ही रेखा में स्थित तीन पिण्ड।
प्रश्न 95.
युति की स्थिति में चन्द्रमा की क्या स्थिति होती है ?
उत्तर :
सूर्य और पृथ्वी के बीच में रहता है।
प्रश्न 96.
युति की स्थिति किस दिन होती है ?
उत्तर :
अमावस्या के दिन।
प्रश्न 97.
खुले तथा गहरे सागरों में ज्वार की ऊँचाई कितनी होती है ?
उत्तर :
60° से 90 सेण्टीमीटर।
प्रश्न 98.
उथले तथा सँकरे समुद्रों में ज्वार की ऊँचाई कितनी होती है ?
उत्तर :
3 से 5 मीटर तक होती है।
प्रश्न 99.
पृथ्वी के परिभ्रमण का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर :
वार्षिक गति!
प्रश्न 100.
ध्रुवीय भागों में वाष्पीकरण कम होता है या अधिक ?
उत्तर :
कम होता है।
प्रश्न 101.
मछली का प्रधान भोजन क्या है ?
उत्तर :
प्लैंकटन।
प्रश्न 102.
महासागरीय जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को क्या कहते हैं ?
उत्तर :
प्रवाह।
प्रश्न 103.
पहले दिन की अपेक्षा दूसरे दिन ज्वार-भाटा कितने देर बाद आता है ?
उत्तर :
24 घ० 52 मिनट।
प्रश्न 104.
तापमान में भिन्नता से समुद्री जल-तल पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
महासागरीय धारएँ उत्पन्न होती है।
प्रश्न 105.
जल का खारापन समुद्री जल कैसे प्रभावित करता है ?
उत्तर :
सागरीय लवणता से सागरीय जल का घनत्व प्रभावित होता है। अधिक लवणता वाले भाग में जल का घनत्व अधिक हो जायेगा जिस कारम जल नीचे बैठता है, जबकि कम लवणता वाले भाग में जल का घनत्व अपेक्षाकृत कम होगा जिस कारण कम खारे भाग से जल अधिक खारे भाग की ओर गतिशील होता है।
प्रश्न 106.
अपोजी की स्थिति में चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच क्या सम्बन्ध रहता है ?
उत्तर :
अपोजी (Apogee) उपभू स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है।
प्रश्न 107.
ज्वार-भाटा का मानव जीवन पर दो प्रभावों का नाम लिखो।
उत्तर :
(i) ज्वारीय लहर के साथ मछुए गहरे सागर में मछली पकड़ने चले जाते है और लहर के साथ वापस आ जाते है।
(ii) ज्वारीय लहरों की चपेट में आकर कभी कभी जलयान डूब जाते है, जिससे धन जन का नुकसान होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type) : 2 MARKS
प्रश्न 1.
अपभू स्थिति क्या है ?
उत्तर :
अपभू स्थिति : चन्द्रमा अपनी अण्डाकार कक्ष के सहारे पृथ्वी की परिक्रमा करता है। अतः पृथ्वी व चन्द्रमा के बीच की दूरी सदा समान नहीं रहती है। जब चन्द्रमा पृथ्वी के निकटतम होता है, तो उसे चन्द्रमा कीअपभू स्थिति कहते हैं।
प्रश्न 2.
मत्स्य तट (Fishing Bank) क्या है ?
उत्तर :
मत्स्य तट (Fishing Bank) : स्वच्छ जल एवं प्लेंकटन की उपस्थिति के कारण जिस भाग से मछली पकड़ी जाती है, उस क्षेत्र को मत्स्म तट या क्षेत्र कहा जाता है। जैसे – डोगर बैंक, ग्रैण्ड बैंक।
प्रश्न 3.
कयाल क्या है ?
उत्तर :
क्याल शब्द मल्यालम भाषा से लिया गया है। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित लैगून झील को कयाल कहा जाता है।
प्रश्न 4.
गाइर क्या है ?
उत्तर :
महासागरीय धाराओं के वृहद चक्रीय प्रवाह को गाइर कहते हैं। इसकी उत्पत्ति भूमण्डलीय पवन प्रतिरूप तथा कोरियोलिस बल के कारण होती है। इनकी दिशा उत्तरीय गोलार्द्ध में घड़ीवत तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अघड़ीवत होती है।
प्रश्न 5.
ग्रैण्ड बैंक (Grand Bank) क्या है ?
उत्तर :
ग्रैण्ड बैंक : गर्म और ठण्डी जलधारा के मिलने से ग्रैण्ड बैंक पर प्लैंकटन पायी जाती है। यहां उत्तम बन्दरगाह विकसित है। जंगलों से मत्स्य व्यापार को सहायता मिलती है। साथ ही ठण्डी जलवायु में मछलियाँ लम्बे समय तक संरक्षित रहती हैं। यही कारण है कि प्रैण्ड बैंक मछलियों को पकड़ने के लिए काफी मशहूर है। इस प्रकार समशीतोष्ण जलवायु, उथला समुद्र एवं प्लैंकटन की उपलब्धता से ग्रैण्ड बैंक मुख्य मत्स्यागार है।
प्रश्न 6.
भूमि स्खलन (Land fall) क्या है ?
उत्तर :
भूमि स्खलन (Land Fall) :- चट्टानों के चूर्ण के सामूहिक स्थान्तरण की विधियो में भूमि स्खलन सबसे महत्वपूर्ण विधि है।
प्रश्न 7.
महासागरीय धारा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
समुद्री धारायें (Ocean Currents) : सागरीय जल के एक तल नियमित रूप से निश्चित दिशा में प्रवाहित होने वाली गति को महासागरीय धारा कहते हैं।
प्रश्न 8.
सागरीय लहरों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
लहरें या तंरगें (Waves) : सागरीय जल के क्रमिक उत्थान और पतन के लहर कहते हैं। अथवा महासागरीय सतह की दौलायमान गति को तरंग कहते है।
प्रश्न 9.
भूमध्यरेखीय भाग में सागरीय जल की सतह ध्रुवीय भाग की सतह की अपेक्षा ऊँची क्यों रहती है ?
उत्तर :
भूमध्यरेखीय भाग में अधिक गर्मी पड़ने से वहाँ का जल गर्म होकर फैलता रहता है तथा हल्का होकर ऊपर उठता रहता है। इसके विपरीत धुवीय भाग में अधिक ठण्डक पड़ने के कारण वहाँ का जल ठण्डा होकर सिकुड़ता है तथा भारी होकर नीचे बैठता रहता है। इस प्रकार भूमध्यरेखीय भाग के जल की सतह ध्रुवीय भाग के जल की सतह की अपेक्षा ऊँची हो जाती है।
प्रश्न 10.
स्रोत (Stream) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
स्रोत (Stream) : तेज गति से चलने वाली धाराओं को स्रोत या स्ट्रीम कहते हैं। ये मुख्यतः तापक्रम व घनत्व के अन्तर के कारण उत्पन्न होती है तथा कम चौड़ी होती है। जैसे गल्फस्ट्रीम तथा क्यूरोशियो की गर्म धाराएँ।
प्रश्न 11.
ठण्डी-धाराओं के समीप महादेशीय भाग में मरूस्थल क्यों पाए जाते हैं ?
उत्तर :
ठण्डी धाराओं के ऊपर से जाने वाली वायु ठण्डी हो जाती है जिससे उनमें जलवाष्प ग्रहण करने की शक्ति घट जाती है । इन शुष्क हावाओं के प्रभाव से तटीय भागों में वर्षा नहीं होती और उनके समीप मरूस्थल पाये जाते हैं।
प्रश्न 12.
ज्वार-भाटा से आप क्या समझते है ?
उत्तर :
ज्वार-भाटा (Tide-Ebb) : सूर्य और चन्द्रमा की आकर्षण है । भू-पतल ठोस रहने के कारण आकर्षिक नहीं होता परन्तु समुद्र का जल तरल होने के कारण ऊपर उठ जाता है। समुद्र में जल के ऊपर उठने को ज्वार (Tide) तथा नीचे गिरने को भाटा (Ebb) कहते हैं।
प्रश्न 13.
कोरियोलिस बल क्या है ?
उत्तर :
कोरियोलिस बल (Cariolis force) : पृथ्वी की दैनिक गति के कारण कोरियोलिस फोर्स उत्पन्न होता है। इसके कारण पवनें व समुद्री धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में बाँयी ओर मुड़ जाती हैं।
प्रश्न 14.
डोगर बैंक क्या है ?
उत्तर :
डोगर बैंक : यह उत्तरी सागर में स्थित हैं जो मछली पकड़ने का प्रमुख क्षेत्र है। स्वच्छ जल होने के कारण अत्यधिक मछलियाँ पकड़ी जाती है।
प्रश्न 15.
भाटा से क्या समझते हो ?
उत्तर :
भाटा (Ebb) : ज्वार का जब कोई स्थान चन्द्रमा के सामने से हट जाता है तब समुद्र का जल उतरता है। इसे भाटा (Ebb) कहते हैं।
प्रश्न 16.
लघुज्वार कब होता है ?
उत्तर :
प्रत्येक महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष के सप्तमी या अष्टमी को लघुज्वार (Neap Tide) आता है।
प्रश्न 17.
दीर्घ ज्वार कब होता हैं ?
उत्तर :
प्रत्येक महीना में पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन सूर्य व चन्द्रमा की सम्मिलित शक्ति पृथ्वी पर कार्य करती हैं जिससे ज्वार सामान्य ज्वार से ऊँचा होता है।
प्रश्न 18.
ज्वारीय अंतर क्या हैं ?
उत्तर :
ज्वारीय अंतर (Tidal range) : महासागरों में उच्च ज्वार तथा लघु ज्वार के ऊँचाई के ज्वारीय अन्तर को ज्वारीय अंतर कहते हैं।
प्रश्न 19.
पेरीजियन ज्वार से क्या समझते हो ?
उत्तर :
जब चन्द्रमा भमण पथ पर पृथ्वी से सबसे नजदीक (Perigee) विन्दु पर आ जाता है तो उसकी ज्वार उत्पादक शक्ति वढ़ जाती है। इसके प्रभाव से High Tide से भी 20 % बड़ा ज्वार आता है। इसे ही Perigeon Tides कहते हैं।
प्रश्न 20.
दो मुख्य या दो गौण ज्वारों में कितने समय का अन्तर होता है ?
उत्तर :
दो प्रधान और गौण ज्वारों के बीच 24 घंटे 52 मिनट समय का अन्तर होता है।
प्रश्न 21.
ज्वारीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर :
ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy) : जो ऊर्जा ज्वार-भाटे के कारण जल स्तर के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने से उत्पन्न की जाती है उसको ज्वारीय ऊर्जा कहते हैं। ज्वारीय ऊर्जा के केन्द्र फ्रांस, जापान एवं रूस में स्थापित किये गये हैं।
प्रश्न 22.
ज्वारीय धारा क्या है ?
उत्तर :
जब किसी खाड़ी में ज्वार-भाटा के फलस्वरूप क्षैतिज धाराएँ उत्पन्न हो जाती है तब इन्हें ज्वारीय धाराएँ (Tidal currents) कहते हैं।
प्रश्न 23.
मुख्य ज्वार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
मुख्य ज्वार (Primary tide) : पृथ्वी के उस भाग के समुद्री जल के चढ़ाव को प्रत्यक्ष ज्वार कहते हैं जो चन्द्रमा व सूर्य के समीपस्थ पड़ता है। वहाँ केन्द्रापसारी बल की अपेक्षा गुरुत्वाकर्षण शक्ति अधिक होती है। अतः इस भाग का जल चन्द्रमा की ओर आकर्षित होकर ऊपर उठ जाता है। इस जल चढ़ाव को प्रत्यक्ष ज्वार (Direct tide) या प्रारम्भिक या मुख्य ज्वार (Primary tide) कहते हैं।
प्रश्न 24.
गौण ज्वार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
गौण ज्वार (Indirect Tide) : पृथ्वी का वह भाग जो चन्द्रमा के ठीक विपरीत दूरस्थ भाग पर पड़ता है तो इस भाग में गुरुत्वाकर्षण शक्ति की अपेक्षा केन्द्रापसारी बल अधिक होता है। अत: इस भाग का जल चन्द्रमा से दूर हट कर ऊपर उठ जाता है। इसे अप्रत्यक्ष ज्वार या गौण ज्वार कहते हैं।
प्रश्न 25.
दीर्घ या वृहद् ज्वार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
दीर्घ या वृहद् ज्वार (Spring Tide) : जब सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं तो सूर्य और चन्द्रमा की सम्मिलित शक्ति से समुद्री जल अर्थात ज्वार ऊँचा उठ जाता है। इसे दीर्घ ज्वार कहते है। यह स्थिति महिने में दो बार पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन आती है।
प्रश्न 26.
लघु ज्वार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
लघु ज्वार (Neap Tide) : शुक्ल अथवा कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन चन्द्रमा और सूर्य पृथ्वी के साथ परस्पर समकोण की स्थिति में होते हैं। अतः उनकी ज्वार-उत्पादक शक्तियाँ एक-दूसरे की विपरीत दिशा में कार्य करती हैं जिनसे ज्वार सामान्य ज्वार से कम ऊँचा तथा भाटा सामान्य भाटा से कम नीचा रहते हैं। इसे लघु ज्वार (Neap Tide) कहते हैं।
प्रश्न 27.
पृथ्वी का सबसे गहरा स्थान कौन है ?
उत्तर :
मारियाना खड्ड विश्व का सबसे गहरा बिन्दु है। इसकी गहराई लगभग 28,018.55 मीटर है। यह प्रशान्त महासागर में स्थित है।
प्रश्न 28.
मृत सागर में डूबना सम्भव क्यों नहीं है ?
उत्तर :
मृतसागर में पानी की लवणता अत्यधिक है। इसकी लवणता लगभग 238 % है। अत: अत्यधिक लवणता के कारण मृतसागर का घनत्व बहुत ज्यादा है। अत: इसमें डूबना सम्भव नहीं है।
प्रश्न 29.
सबसे बड़े एवं सबसे छोटे महाद्विपीय मग्न तट कौन है ?
उत्तर :
दक्षिण पूर्वी एशिया का इण्डोनेशिया और द० चीन का सम्मिलित महाद्वीपीय मग्न तट विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीपीय मग्न तट है। इसे सुण्डा मग्न तट कहते हैं। अफ्रीका महाद्वीप में महाद्वीपीय मग्न तटों का सबसे कम विकास हुआ है।
प्रश्न 30.
सह-ज्वारीय रेखा क्या है ?
उत्तर :
सह-ज्वारीय रेखा (Co-tidal line) : जिन स्थानो पर एक ही समय ज्वार-भाटा आता है उनको मिलाने वाले रेखा को सम ज्वारीय रेखा कहते है।
प्रश्न 31.
संसार का सबसे ऊँचा ज्वार कहाँ आता है ?
उत्तर :
उत्तरी अमेरिका के नोवास्कोशिया के निकट फण्डी की खाड़ी में ज्वार की ऊँचाई संसार से सबसे अधिक (21 मीटर) तक ऊँची होती है।
प्रश्न 32.
एगार क्या है ?
उत्तर :
एगर (Agar) : ज्वार का जल जब नदियों के मुहाने में प्रवेश करता है तो ज्वारीय जल की दीवार बन जाती है। इसे ज्वारीय भित्ति या एगर कहते हैं।
प्रश्न 33.
ज्वारीय अन्तर क्या है ?
उत्तर :
ज्वारीय अन्तर (Tidal Range) : समुद्र में आने वाले ऊच्च ज्वार तथा निम्न ज्वार के ऊँचाई के अन्तर को ज्वारीय अन्तर (Tidal Range) कहते हैं।
प्रश्न 34.
फैदम क्या है ?
उत्तर :
फैदम (Fadam) : यह समुद्री जल की गहराई नापने का स्केल है। एक फैदम फीट के बराबार होता है।
प्रश्न 35.
जलमण्डल (Hydrosphere) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
पृथ्वी पर विस्तृत सभी प्राकृतिक जलाशयों जैसे – महासागर, सागर, नदियाँ इत्यादि को सम्मिलित रूप से जलमण्डल (Hydrosphere) कहते हैं।
प्रश्न 36.
सागर (Sea) किसे कहते है ?
उत्तर :
महासागरों का वह सीमावर्ती क्षेत्र जो मुख्य महासागरीय क्षेत्र से पृथक हो, परन्तु जिसका किसी दिशा में महासागर के जल से सम्पर्क हो सागर (Sea) कहलाता है।
प्रश्न 37.
महासागरीय गर्त एवं खड्ड में क्या अन्तर है ?
उत्तर :
महासागरीय गर्त अधिक विस्तृत किन्तु कम गहरे होते हैं जबकि खड्ड कम विस्तृत किन्तु अधिक संकरे एवं गहरे होते हैं।
प्रश्न 38.
खाड़ी (Bay) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
समुद्र का वह भाग जो स्थल में त्रिभुज के आकार में प्रवेश किया है और समुद्र की ओर चौड़ा मुख रहता है उसे खाड़ी (Bay) कहते हैं।
प्रश्न 39.
दीर्घ ज्वार कब आता है ?
उत्तर :
यह स्थिति महिने में दो बार, पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन आती है।
प्रश्न 40.
लघु ज्वार कब आता है ?
उत्तर :
यह ज्वार प्रत्येक महीने में दो बार, शुक्ल व कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन आता है।
प्रश्न 41.
सम ज्वारीय रेखा (Co-tidal line) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सम ज्वारीय रेखा (Co-tidal line) : जिन स्थानो पर एक ही समय ज्वार-भाटा आता है उनको मिलाने वाले रेखा को सम ज्वारीय रेखा कहते हैं। इन रेखाओं से ज्वार की लहरों की प्रगति ज्ञात होती है।
प्रश्न 42.
झील (Lake) किसे कहते हैं ?
उत्तर :
झील (Lake) : स्थल खण्ड से घिरे हुए वृहद प्राकृतिक जलाशय को झील कहते है।
प्रश्न 43.
भारत का एक कृत्रिम झील का उदाहरण दें।
उत्तर :
भारत में भाखरा बाँध का जलाशय गोविन्द सागर एक कृत्रिम झील है।
प्रश्न 44.
लहरों की उत्पत्ति का क्या कारण है ?
उत्तर :
लहरों की उत्पत्ति सागरीय पृष्ठ पर प्रवाहित होने वाले पवन के दबाव तथा घर्षण से होती है।
प्रश्न 45.
धाराओं की उत्पत्ति में किन प्राकृतिक तत्वों का योगदान होता है ?
उत्तर :
धाराओं की उत्पत्ति में तापमान, लवणता, पृथ्वी की घूर्णन तथा प्रचलित पवन आदि विभिन्न कारको का योगदान रहता है।
प्रश्न 46.
गर्म धारा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
भूमध्यरेखा से धुवों की ओर बहने वाली धाराओं का जल अपने आस-पास के समुद्रों के जल की अपेक्षा गर्म होता है, अतः इन्हें गर्म धाराएँ (Warm Currents) कहते हैं।
प्रश्न 47.
ठण्डी धाराएँ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
धुवों से भूमध्यरेखा की ओर चलने वाली धाराओं को ठण्डी धाराएँ (Cold currents) कहते हैं।
प्रश्न 48.
कोरियोलिस बल का समुद्री धारा पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
पृथ्वी की परिक्रमण गति के कारण उत्पत्न कोरियोलिस बल के कारण धाराओं की दिशा में झुकाव हो जाता है। यह झुकाव उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिने हाथ की ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाएँ हाथ की ओर होता है।
प्रश्न 49.
निम्न अक्षांशों में गर्म एवं शीतल धाराएँ किस ओर चलती है ?
उत्तर :
निम्न अक्षांशों में गर्म धाराएँ पूर्वी तट एवं शीतल धाराएँ पश्चिमी तट की ओर चलती है।
प्रश्न 50.
पूर्वी ग्रीनलैण्ड धारा की उत्पत्ति का क्या कारण है ?
उत्तर :
पूर्वी ग्रीनलैण्ड धारा की उत्पत्ति का कारण हिम के पिघलने से प्राप्त जल के कारण जलस्तर का ऊँचा उठना ही है।
प्रश्न 51.
उत्तरी हिन्द महासागर में चलनेवाली धाराओं पर किसका प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
मानसूनी हवाओं के दिशा परिवर्तन का प्रभाव।
प्रश्न 52.
युति की स्थिति में क्या होता है ?
उत्तर :
युति की स्थिति में सूर्य और पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा स्थित होता है।
प्रश्न 53.
वियुति की स्थिति में क्या होता है ?
उत्तर :
वियुति की स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के बीच में पृथ्वी स्थित रहती है।
प्रश्न 54.
यदि चन्द्रमा स्थिर होता तो क्या होता ?
उत्तर :
यदि चन्द्रमा स्थिर होता तो सागर तल पर प्रत्येक 24 घण्टे में दो बार ज्वार तथा दो बार भाटा आते तथा प्रतिदिन एक निश्चित समय पर ही ज्वार-भाटा आते।
प्रश्न 55.
प्रवाह क्या है ?
उत्तर :
जब पवन वेग से प्रभावित होकर सागर के सतह का जल आगे की ओर अग्रसर होता है तो उसे प्रवाह कहते है।
प्रश्न 56.
विशालधारा किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब सागर का विशाल जलराशी तीव्र गति से निध्चित दिशा में प्रभावित होती है। तो इसे विशाल धारा कहते है।
प्रश्न 57.
ओपोजी किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जब चन्द्रमा पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर रहता है । तो ज्वार उत्पन्न करने की शक्ति कम होती है। इस स्थिति में ज्वार की ऊँचाई सामान्य ज्वार से कम होती है। इसे (Apogee) कहते है।
प्रश्न 58.
एक दीन में कितनी बार पृथ्वी के किसी स्थान पर उच्च और निम्न ज्वार-भाटा दिखाई पड़ता है ?
उत्तर :
एक दीन में दो बार उच्च और दो बार निम्न ज्वार दिखाई पड़ता है।
प्रश्न 59.
उत्तरी गोलार्द्ध में महासागरीय धाराएँ किस दिशा में चक्र बनाती हैं ?
उत्तर :
उत्तरी गोलार्द्ध में महासागरीय धराएँ दाहिने हाथ की ओर चक्र बनाती है।
प्रश्न 60.
किन धाराओं के ऊपर से गुजरनेवाली हवाएँ शुष्क होती हैं ?
उत्तर :
ठण्डी धारओं के ऊपर से गुजरनेवाली हवाएँ शुष्क होती है।
प्रश्न 61.
न्यूफाउण्डसैण्ड के समीप किन धाराओं के मिलने के कारण कुहरा उत्पन्न होती है ?
उत्तर :
न्यूफाउण्डसैण्ड के पास गल्फसट्रीम की गर्म जलधारा तथा लैब्रोडोर की ठण्डी जलधारा मिलती है. जिसके कारण कुहरा उत्पन्न होता है।
प्रश्न 62.
किस धारा के प्रभाव से ब्रिटिश द्वीप समूह के बन्दरगाह साल बर खुले रहते हैं ?
उत्तर :
गलफ्लस्ट्रीम की गर्मधारा के प्रभाव से ब्रिटिश द्वीप समुह का बन्दरगाह साल भर खुले रहते है।
प्रश्न 63.
कम ऊँचे ज्वार की उत्पत्ति कन सागरों में होती है ?
उत्तर :
खुले सागरो मे कम ऊँचे ज्वार उत्पन्न होते है।
प्रश्न 64.
पृथ्वी के किस भाग पर चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है ?
उत्तर :
पृथ्वी के जल भाग पर चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है।
प्रश्न 65.
युति की स्थिति किस दिन रहती है ?
उत्तर :
यह स्थिति प्रत्येक महीने में दो बार, पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन आती है।
प्रश्न 66.
किस दिन सूर्य चन्द्रमा तथा पृथ्वी समकोण की स्थिति में होते हैं ?
उत्तर :
यह स्थिति प्रत्येक महीने में दो बार, शुकल व कृष्ण पक्ष के अष्टमी को होती है।
प्रश्न 67.
किस दिन चन्द्रमा का ज्वारोत्पादक बल सबसे कम रहता है ?
उत्तर :
यह सिस्थिति प्रत्येक महीने में दो बार, शुकल व कृष्ण पक्ष के अष्टमी को होती है।
संक्षिप्त प्रश्नोत्तर (Brief Answer Type) : 3 MARKS
प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार की सागरीय धाराएँ क्या हैं ?
उत्तर :
सागरीय धाराएँ : गति, विस्तार एवं सीमा के आधार पर महासागरीय धाराओं को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है।
(i) ड्रिफ्ट (Drift) : जल की ऊपरी सतह पर मन्द गति से बहनेवाली जलधाराएँ ड्रिफ्ट कहलाती हैं। इनकी गति तथा प्रभाव क्षेत्र निश्चित नहीं होता। उत्तरी अन्ध महासागरीय ड्रिफ्ट इसका उदाहरण है।
(ii) धारा (Current) : इसकी प्रवाह गति तीव्र तथा निश्चित होती है। ये उष्ण तथा शीतल, दोनों प्रकार की होती है। क्यूरोसियो इसका उदाहरण है।
(iii) प्रवाह (Stream) : निश्चित दिशा में तीव्र गति से बहनेवाली जलधाराएँ स्ट्रीम कहलाती हैं। इनकी गति 75 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है। गल्फस्ट्रीम उष्ण जलधारा इसका उदाहरण है।
प्रश्न 2.
ज्वार-भाटा से क्या हानियाँ है ?
उत्तर :
ज्वार-भाटा हित के साथ अनेक प्रकार से अनहित भी करता है। ज्वार-भाटा से निम्नलिखित हानियाँ हाती हैं
(i) ज्वार-भाटा कभी-कभी सागर में बेगवान तरंगों को जन्म देता है जिसे जलयान नष्ट हो जाते हैं जिनसे उन्हें भारी क्षति उठानी पड़ती है।
(ii) ज्वार-भाटा अनेक तटों पर मिट्टी, बालू तथा कूड़ा-कर्कट आदि लाकर एकत्र कर देता है जिससे बन्दरगाहों के विकास में बाधा पड़ती है। सागर तटो को जलयानों के आगमन के लिए स्वच्छ बनाने के लिए भारी व्यय करना पड़ता है।
(iii) ऊँची-ऊँची ज्वारीय तरंगें तथा ज्वार भित्तियाँ नौकओं को पलट कर डुबो देने में सक्षम होती हैं जिसके कारण अपार धन-जन की हानि होती है।
प्रश्न 3.
सारगासो समुद्र का निर्माण कैसे हुआ ?
उत्तर :
सारगैसो सागर की उत्पत्ति : उत्तरी अटलांटिक महासागर के मध्य में धाराओं का एक गोलाकार क्रम उत्पव्न होता जाता है। इसके मध्य में शांत एवं स्थिर जल पाया जाता है। शांत एवं स्थिर जल वाला यह क्षेत्र ‘सारगैसो सागर’ कहलाती है। इस क्षेत्र में कूड़ा-कर्कट तथा घास भी एकत्र हो जाती है। इस क्षेत्र में उच्च तापमान के कारण घास स्वत: ही उग जाती है। पृथ्वी पर अन्यत्र ऐसा विचित्र सागर कही नहीं पाया जाता है।
प्रश्न 4.
महाद्वीपीय मग्न तट क्या है ?
उत्तर :
महाद्वीपीय मग्न तट : महाद्वीपों के सागर तट पर जल में डुबे हुए भाग महाद्वीपीय मग्न तट कहलाते हैं। ये महाद्वीपों के तट पर स्थित उथले जलमग्न मैदान होते हैं। महाद्वीपों के तटों पर जल में डूबी हुई भूमि मग्नतट बन जाती है। महाद्वीपीय मग्न तट सागर के छिछले मैदान होते हैं। जिनकी गहराई 180 मीटर तक होती है। परंतु कहीं-कहीं ये 2,000 मी॰ तक गहरे होते हैं। महाद्वीपीय मग्न तटों की औसत चौड़ाई 50 किमी० होती है। इनका ढाल 3° से अधिक नहीं होती है। विद्वान इनकी उत्पत्ति के सम्बंध में एकमत नहीं है।
प्रश्न 5.
महाद्वीपीय मग्न ढाल क्या है ?
उत्तर :
महाद्वीपीय मग्न ढाल (Continental Slope) : महाद्वीपीय मग्न तट सागरीय नितल का जो ढालू भाग आता है, उसे महाद्वीपीय मग्नढाल कहते हैं। महाद्वीपीय मग्नढाल के प्रारम्भ होते ही समुद्र की गहराई बढ़ जाती है। इनकी गहराई 180 मीटर से 3,600 मीटर तक होती है। महाद्वीपों के बाह्य जलमग्न छोर ही मर्नढाल कहलाते हैं। इनका ढाल 3.5 से 20° तक होता है। महाद्वीपीय मग्नढालों की रचना में भंश क्रियाओं ने विशेष भूमिका निभायी है। मग्नढालों में अनेक गर्त, बीजाकार घाटियाँ, कन्दराएँ तथा खडु पाये जाते हैं। इन पर तलछटों का जमाव देखने को भी नहीं मिलता।
प्रश्न 6.
न्यूफाउण्डलैण्ड तट के पास मत्स्य पालन क्षेत्र क्यों पाये जाते हैं ?
अथवा
जापान एवं न्यूफाउण्डलैण्ड मछली पकड़ने के लिए विश्व प्रसिद्ध क्यों है ?
उत्तर :
न्यूफाउण्डलैण्ड के पास गल्फस्ट्रीम की गर्म जलधारा तथा लैब्रोडोर की ठण्डी जलधारा एक साथ मिलती हैं। अत: गर्म और ठण्डी धाराओं के मिलने से यहाँ पर मछलियों के खाद्य पदार्थ प्लैंकटन नामक काई उत्पन्न होती है।
इसके अलावा तटों पर घने जंगल हैं जो Fish Catch के लिए आवश्यक सामान उपलब्ध कराते हैं। तट के कटे-फटे होने के कारण यहाँ पर उत्तम बन्दरगाहों का विकास हुआ है। उच्च अक्षांशों में स्थित होने के कारण यहाँ की जलवायु ठंडी है जो मछलियों को लम्बे समय तक संरक्षित रखने में मददगार हैं।
प्रश्न 7.
न्यूफाउण्डलैंण्ड तट के पास सदैव कुहासा क्यों छाया रहता है ?
उत्तर :
न्यफाउण्डलैण्ड तट के पास गल्फस्ट्रीम की गर्म जलधारा तथा लैब्रोडोर की ठण्डी जलधारा मिलती है । लैब्रोडोर की धारा अपने साथ विशाल हिम शिलाओं को बहाकर लाती है। इस प्रकार गर्म और ठण्डी जलधाराओं के मिलन स्थल होने के कारण यहां पूरे वर्ष भर घना कुहरा छाया रहता है।
प्रश्न 8.
शीतल दिवाल क्या है ?
उत्तर :
संयुक्त राजय अमेरिका के पूर्वी तट पर शीतल पछुवा हवाओं के प्रभाव से केप हेटरास के पास गल्फ स्ट्रीम की गर्म धारा पूर्व की ओर मुड़कर तट से दूर चली जाती है। गल्फस्ट्रीम की गर्म धारा उच्च तापमान की जलराशि उत्तर की ओर लाती है। उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तट पर न्यूफाउलण्डलेण्ड के पास की ठण्डी जलधारा का जल रहता है जिसका तापमान 8° \mathrm{C} से 11° \mathrm{C} रहता है। दो विभिन्न तापक्रम एवं खारेपन की धाराएँ विपरीत दिशाओं में प्रवाहित होती है, अतः शीतल दीवाल का निर्माण करती है।
प्रश्न 9.
किस समुद्र में ‘शीतल दिवाल’ पायी जाती है ?
उत्तर :
शीतल-दिवाल उत्तरी अंध महासागर में पायी जाती है। उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर लैबोडोर की ठण्डी जलधारा एवं गल्मस्ट्रीम की गर्म जलधाराएँ आपस में मिलती हैं। दो विभिन्न तापक्कम एवं खारेपन की धाराएँ विपरीत दिशाओं में प्रवाहित होती है और शीतल-दिवाल का निर्माण करती है। गर्म एवं ठण्डी धाराओं के प्रभाव से उत्तरी अमेरिका के उत्तरी पूर्वी तट पर पूरे वर्ष कुहरे की पतली घनीपर्त बन जाते हैं। इसी लैब्बोडोर की ठण्डी जलधारा को न्यूयार्क के पास शीतल-दिवाल कहते हैं।
प्रश्न 10.
जापान तट को कौन धारा गर्म रखती है ?
उत्तर :
क्यूरोशियो धारा जापान के पूर्वी तट को गर्म रखती है। उत्तरी तथा दक्षिणी भूमध्यरेखीय धाराओं का जल मिलने के बाद चीन सागर में एक नई जलधारा उत्पन्न होती है जो चीन सागर से होते हुए जापान के शिकाको द्वीप तक पहुँचती है। यह चीन और जापान की तटीय जलवायु को गर्म रखती है।
प्रश्न 11.
अगुलहास की गर्म धारा कैसे पैदा होती है ?
उत्तर :
अगुलहास की गर्म धारा : अफ्रीका के दक्षिण में अगुलहास अन्तरीप से पछुआ पवनों के प्रवाह द्वारा पूर्व की ओर एक धारा चलने लगती है। इसी धारा को अगुलहास की गर्म जल धारा कहते हैं।
प्रश्न 12.
खाड़ी की धारा क्यों पैदा होती है ?
उत्तर :
गल्फस्ट्रीम 8- मैक्सिको की खाड़ी से उत्पन्न होने के कारण इसे खाड़ी की धारा कहा गया है। मैक्सिको की खाड़ी में मिसिसिपि – मिसौरी नदियाँ अपार जलराशि छोड़ती है। यह जल राशि उत्तरी भूमध्यरेखा की धारा के साथ उत्तर की ओर अग्रसर होती है किन्तु पृथ्वी की दैनिक गति के कारण कनाडा के टैलीफैक्स बन्दरगाह के दक्षिण में पूर्व की ओर मुड़ जाती है जिसे पछुआ हवाएँ बहाकर अपने साथ ले जाती है। इसकी उत्पत्ति में पहुआ पवनों का अधिक योगदान है।
प्रश्न 13.
लैब्रोडोर धारा क्यों पैदा होती है ?
उत्तर :
लैब्रोडोर की धारा : आर्कटिक महासागर का जल वेफिन की खाड़ी से उत्तरी-पूर्वी धुवीय पवनों के प्रभाव से लैब्रोडोर तट के सहारे दक्षिण की ओर अप्रसर होता है, इसे लैब्रोडोर की धारा कहते हैं। यह न्यूफाउण्डलैण्ड के पास खाड़ी की गर्मधारा से मिलकर घना कुहरा उत्पन्न करती है।
प्रश्न 14.
खाड़ी की धारा का प्रभाव क्या है ?
उत्तर :
खाड़ी (गल्फस्ट्रीम) की धारा का प्रभाव :
- ब्रिटिश द्वीप समूह, नार्वे, U.S.A. के मध्य-पूर्वी तट का तापमान ऊँचा रखती है।
- अमेरिका के पूर्वी तट पर वर्षा होती है।
- न्यूफाउण्डलैण्ड के पास लैब्रोडोर की ठण्डी धारा से मिलकर कुहासा उत्पन्न करती है।
- पश्चिमी यूरोप के तट पर स्थित बन्दरगाह वर्ष भर व्यापार के लिए खुले रहते हैं।
- जलयान संयुक्त राज्य अमेरिका से इस धारा की सहायता से आसानी से यूरोप पहुँच जाते हैं।
- यह लैब्रोडोर की ठण्डी धारा से मिलकर न्यूफाउण्डलैण्ड तट पर अपार मात्रा में प्लैंकटन उत्पन्न करती है जिससे यहाँ स्थित प्रैण्ड बैंक विश्व प्रसिद्ध मछली पकड़ने का केन्द्र है।
प्रश्न 15.
लैब्रोडोर की धारा का प्रभाव क्या है ?
उत्तर :
लैब्रोडोर की धारा का प्रभाव :
- इस धारा के कारण कनाडा के पूर्वी तट का तापमान हिमांक से नीचे चला जाता है।
- यह धारा गल्फस्ट्रीम के साथ मिलकर न्यूफाउण्डलैण्ड के पास घना कुहरा उत्पन्न करती है।
- इस ठण्डी धारा के प्रभाव से कनाडा से पूर्वी तट के बन्दरगाह शीतकाल में जम जाते हैं।
- इस धारा के विशाल आइसबर्ग बहकर आते हैं जिससे टकराकर कभी-कभी जलयान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
- यह धारा खाड़ी की गर्म धारा से मिलकर मछलियों का खाद्य प्लैंकटन उत्पन्न करती है जिससे न्यूफाउण्डलैण्ड मछली पकड़ने का विश्व का प्रमुख केन्द्र है।
प्रश्न 16.
मूंगे की महान दिवार क्या है ?
उत्तर :
मूंगे की महान दिवार : यह लम्बी और मोटी मूंगी के कीड़ों की अस्थियों द्वारा निर्मित दिवार है जो आस्ट्रेलिया के पूर्व में स्थित है । यह आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के सहारे उत्तर-दक्षिण तक विस्तृत है। यह निरन्तर समुद्र की ओर विस्तृत हो रही है।
प्रश्न 17.
मृत सागर में डुबना सम्भव क्यों नहीं है ?
उत्तर :
मृतसागर के पानी की लवणता अत्यधिक है। इसकी लवणता लगभग 238 \% है। अत्यधिक लवणता के कारण मृत सागर का घनत्व बहुत ज्यादा है। अत: इसमें डूबना सम्भव नहीं है।
प्रश्न 18.
महाद्वीपीय मग्न तट के महत्व का वर्णन करो।
उत्तर :
महाद्वीपीय मग्न तट का महत्व :
- यहाँ पर मत्स्य आखेट उन्नत अवस्था में पाया जाता है।
- महाद्वीपीय मग्न तटों पर पहुँच कर ज्वारीय लहरें ऊँची हो जाती हैं जिससे बड़े जलयान आसानी से बन्दरगाहों तक पहुँच जाते हैं।
- दुनिया के अधिकांश तेल क्षेत्र मग्न तटों पर पाये जाते हैं।
- विश्व प्रसिद्ध मछली पकड़ने के केन्द्र ग्रैण्ड बैंक जलमग्न तटों पर स्थित हैं।
- जलमग्न तटों पर शंख, सीप, मोती तथा अन्य उपयोगी पदार्थ मिलते हैं। अत: ये आर्थिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 19.
गभ्भीर सागरीय मैदान किसे कहते हैं ?
उत्तर :
गम्भीर सागरीय मैदान : महाद्वीपीय मग्नढाल के पश्चात सागर नितल में जो समतल क्षेत्र पाये जाते हैं, उन्हें ग्भोर सागरीय मैदान कहा जाता है। गम्भीर सागरीय मैदान सागर नितल के 76 % भाग पर फैले हुए हैं। ये मैदान ऊँचेनीचे तथा क्रमिक ढाल वाले होते हैं। ये मैदानी क्षेत्र जीव-जन्तुओं के अवशेषों, वनस्पति पदार्थों तथा कॉप मिट्टी से भरे हुए हांते हैं। संसार का सबसे बड़ा तथा चौड़ा सागरीय मैदान कनाडा बेसिन है।
प्रश्न 20.
महासागरीय गर्त किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सागर नितल में यत्र-तत्र पायी जाने वाली सागर द्रोणियाँ महासागरीय गर्त कहलाती हैं। ये गर्त ढालू तथा संकरे होते हैं। महासागरीय गर्त उन सागर तटों के निकट पाये जाते हैं जहाँ भूचालों का प्रकोप अधिक रहता है। इनकी गहराई 19 किलोमीटर तक होती है। संसार का सबसे गहरा महासागरीय गर्त फिलीपाइन के निकट स्क्वायर गर्त है जो 35,400 फुट गहरा है।
प्रश्न 21.
विभिन्न प्रकार की सागरीय धाराएँ क्या हैं ?
उत्तर :
सागरीय धाराएँ : गति, विस्तार एव सीमा के आधार पर महासागरीय धाराओं को निम्न तीन भागों में बाँटा गया है।
- ड्रिफ्ट (Drift): जल की ऊपरी सतह पर मन्द गति से बहनेवाली जलधाराएँ ड्रिफ्ट कहलाती हैं। इनकी गति तथा प्रभाव क्षेत्र निश्चित नहीं होता। उत्तरी अन्ध महासागरीय ड़िफ्ट इसका उदाहरण है।
- धारा (Current) : इनकी प्रवाह गति तीव तथा निश्चित होती है। ये उष्ण तथा शीतल, दोनों प्रकार की होती है। वयूरोसियो इसका उदाहरण है।
- प्रवाह (Stream) : निश्चित दिशा में तीव्र गति से बहनेवाली जलधाराएँ स्ट्रीम कहलाती हैं। इनकी गति 75 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है। गल्फस्ट्रीम उष्ण जलधारा इसका उदाहरण है।
प्रश्न 22.
ज्वार-भाटा क्या है?
उत्तर :
ज्वार-भाटा (Tides) : समुद्र का जल-स्तर सदा एक-सा नहीं रहता। यह नियमित रूप से दिन में दो बार ऊपर उठता है तथा नीचे उतरता है। समुद्री जलस्तर के ऊपर उठने को ज्वार या उच्च ज्वार (High Tide or Flow Tide) तथा नीचे उतरने को भाटा या निम्न ज्वार (Low Tide or Ebb Tide) कहते हैं। समुद्री जल में यह उतार-चढ़ाव सूर्य तथा चन्द्रमा के आकर्षण के कारण होता है।
प्रश्न 23.
युति-वियुति क्या है ?
उत्तर :
युति-वियुति (Syzygy) : पूर्णिमा और अमावस्या को सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी तीनों एक सरल रेखा में होते है, अतः सम्मिलित गुरूत्वाकषर्ण से उच्चतम ज्वार का निर्माण होता है। इन दोनो दिनों ज्वार की ऊँचाई सामान्य दिनों की ऊँचाई से 20 % अधिक होती है। इस स्थिति को सिजियी कहते हैं।
प्रश्न 24.
ज्वारीय-उर्जा की संक्षेप में व्याख्या करो।
उत्तर :
ज्वारीय उर्जा (Tidal Energy) : वर्तमान समय में फ्रांस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिक ज्वारभाटे की शक्ति से जल विद्युत के उत्पादन में सफलता प्राप्त कर चुके हैं। आने वाले समय में जल विद्युत के उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्रांति उत्पन्न हो जायेगी। भारतीय वैज्ञानिक भी इस दिशा में चमत्कारिक सफलता प्राप्त करने में प्रयासरत है।
प्रश्न 25.
लन्दन, न्यूयार्क से गर्म है, क्यों ?
उत्तर :
लन्दन के तटीय भाग से गल्फस्ट्रीम की गर्म जलधारा प्रवाहित होती है, जबकि न्यूयार्क के समीप से लैबोडोर की ठण्डी जलधारा प्रवाहित होती है। यही कारण है लन्दन शहर न्यूयार्क की अपेक्षा भूमध्यरेखा से दूर होने पर भी गर्म है।
प्रश्न 26.
ग्रैण्ड बैंक मत्स्य उद्योग के लिए अनुकूल क्यों है ?
उत्तर :
ग्रैण्ड बैंक और मत्स्य उद्योग : गर्म और ठण्डी जलधारा के मिलने से ग्रैण्ड बैंक पर प्लैंकटन पायी जाती है। यहां उत्तम बन्दरगाह विकसित है। जंगलों से मत्स्य व्यापार को सहायता मिलती है। साथ ही ठण्डी जलवायु में मछलियाँ लम्बे समय तक संरक्षित रहती हैं। यही कारण है कि ग्रैण्ड बैंक मछलियों को पकड़ने के लिए काफी मशहर है। इस प्रकार समशीतोष्ण जलवायु, उथला समुद्र एवं प्लैंकटन की उपलब्धता से ग्रैण्ड बैंक मुख्य मत्स्यागार है।
प्रश्न 27.
क्यूरोशियों को जापान की काली धारा क्यों कहते हैं ?
उत्तर :
क्यूरोशियो की धारा दक्षिणी-पूर्वी एशिया के सहारे दक्षिण से उत्तर बहते हुए जापान तट पर पहुँचती है। यहाँ यह पछुआ पवनों के प्रभाव से पूर्व की ओर मुड़ जाती है। इसका रंग गहरा नीला होने के कारण इसे जापान की काली धारा कहते हैं।
प्रश्न 28.
कनारी की धारा का जल ठण्डा रहता है क्यों ?
उत्तर :
आर्कटिक ड्रिफ्ट सेन के पास दो भागों में विभक्त हो जाता है। इसके दक्षिणी भाग को कनारी की धारा कहते हैं। यह धारा धुवीय प्रदेश से आती है। अत: इसके आस-पास के समुद्रों का जल ठण्डा होता है। यही कारण है कि कनारी की धारा का जल ठण्डा होता है।
प्रश्न 29.
समुद्री धाराओं पर कोरिआलिस बल के प्रभाव को दर्शाओ।
उत्तर :
समुद्री धाराओं पर कोरिआलिस बल का प्रभाव : पृथ्वी की दैनिक गति के कारण कोरियालिस बल उत्पन्न होता है जिसके प्रभाव से समुद्री धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में अपने मार्ग से दायें तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अपने मार्ग से बायें मुड़ जाती हैं।
प्रश्न 30.
खाड़ी क्या है ?
उत्तर :
खाड़ी (Bay): समुद्र का वह भाग जो स्थलीय भाग में त्रिभुज के आकार में प्रवेश किया है और समुद्र की ओर चौड़ा मुख रहता है, उसे खाड़ी कहते हैं।
प्रश्न 31.
समुद्र की लवणता से क्या समझते हो ?
उत्तर :
समुद्र की लवणता (Salinity of Ocean) : नदियों का पानी स्थलीय भाग से होकर समुद्र में जाता रहता है जिससे समुद्र में नमक की मात्रा नदियों द्वारा पहुँचता रहता है। इसी कारण समुद्र की पानी खारा होता है। समुद्र में औसत 1000 gm जल में 35 gm नमक की मात्रा मिलती है। यही समुद्र जल में 35 % खारापन या लवणता है। समुद्र में लवणता का वितरण असमान पाया जाता है।
प्रश्न 32.
डोगर बैंक से क्या समझते हो ?
उत्तर :
डोगर बैंक : यह उत्तरी सागर में स्थित है। यह मछली पकड़ने का मुख्य क्षेत्र है। यहाँ प्लैंकटन की उपलब्धता तथा जल की स्वच्छता के कारण अत्यधिक मछलियाँ पकड़ी जाती है।
प्रश्न 33.
अर्द्ध दैनिक ज्वार क्या है ?
उत्तर :
अर्द्ध दैनिक ज्वार : यह ज्वार साढ़े बारह घण्टे बाद उत्पन्न होता है। अंध महासागए में बिटिश द्वीप समूह के तटीय भागों में यह ज्वार प्रतिदिन दो बार आता है, अत: इसे अर्द्ध-दैनिक ज्वार कहते हैं।
प्रश्न 34.
दैनिक ज्वार क्या है ?
उत्तर :
दैनिक ज्वार (Daily Tide) : इस प्रकार के ज्वार की उत्पत्ति चन्द्रमा की आर्कषण शक्ति के कारण होती है। यह पौने पच्चीस घण्टे के बाद आते हैं। इस प्रकार के ज्वार मैक्सको की खाड़ी और फिलीपाइन द्वीप समूह के आसपास दिन में केवल एक बार आते हैं, अतः इन्हें दैनिक ज्वार कहते हैं।
प्रश्न 35.
मिश्रित ज्वार क्या है ?
उत्तर :
मिश्रित ज्वार : यह ज्वार अर्द्ध-दैनिक और दैनिक ज्वार का मिश्रित रूप होता है। यह दिन में दो बार ऊँचा उठता है और दो बार नीचे गिरता है। दोनों ज्वारों का मिला-जुला रूप होने के कारण यह मिश्रित ज्वार कहलाता है।
प्रश्न 36.
प्रधान एवं गौण ज्वार क्या है ?
अथवा
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष ज्वार क्या है ?
उत्तर :
मुख्य या प्रत्यक्ष ज्वार : चन्द्रमा के समाने धरातल पर अपकेन्द्रीय बल की अपेक्षा चन्द्रमा का आकर्षण अधिक होता है। अत: ज्वार उत्पन्न होता है। पृथ्वी का जो भाग चन्द्रमा या सूर्य के समाने होता है वहाँ जो ज्वार उत्पन्न होता है उसे मुख्य या प्रत्यक्ष ज्वार कहते हैं।
गौण ज्वार या अप्रत्यक्ष ज्वार : धरातल का जो भाग चन्द्रमा के विपरीत दिशा में होता है वहां चन्द्रमा का अपकेन्द्रीय बल अधिक होता है। फलस्वरूप ज्वार की उत्पत्ति होती है। पृथ्वी के जिस भाग में मुख्य ज्वार होता है, उसके ठीक विपरीत वाले भाग में आने वाले ज्वार को गौण अथवा अपत्यक्ष ज्वार कहते हैं।
प्रश्न 37.
ज्वार-भाटा कैसे आते हैं ?
उत्तर :
ज्वार-भाटा आने के कारण :
(i) पृथ्वी की दैनिक गति : पृथ्वी की दैनिक गति से केन्द्रपसारी बल उत्पन्न होता है जिससे समुद्रों का जल केन्द्र से दूर जाने की ओर अग्रसर होता है। परिणामस्वरूप ज्वार आता है।
(ii) सूर्य और चन्द्रमा द्वारा आकर्षण : न्यूटन के नियस के अनुसार बह्माण्ड की सभी वस्तुएँ एक-दूसरे को अपनी ओर खींचती है। अत: चन्द्रमा का आकर्षण बल पृथ्वी पर अत्यधिक पड़ता है। जिसके परिणामस्वरूप ज्वार-भाटा आता है।
प्रश्न 38.
ज्वारीय भित्ति क्या है ?
उत्तर :
ज्वारीय भित्ति : जब समुद्री ज्वार का जल नदी के खुले व चौड़े मुहाने से इसकी संकरी घाटी में तीव्र गति से प्रवेश करता है, इसी के साथ नदी का जल समुद्र की ओर प्रवाहित होता रहता है। दोनों जल आपस में टकराकर एक ऊँची दीवार की तरह ऊँचाई ले लेते हैं। इसे ज्वारीय भित्ति कहते हैं।
प्रश्न 39.
प्रधान ज्वार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
प्रधान ज्वार : पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक सीध में आ जाते हैं। ऐसी स्थिति में पृथ्वी पर चन्द्रमा तथा सूर्य के सम्मिलित गुरूत्वाकर्षण का प्रभाव पड़ता है। फलस्वरूप इन दोनों दिनों में उच्चतम ज्वार का निर्माण होता है जिसे उच्च ज्वार कहते हैं। इन दिनों वृहत् ज्वार की ऊँचाई सामान्य दिवसों की ऊँचाई से 20 प्रतिशत अधिक होती है। इस स्थिति को ‘सिजिभी’ कहते हैं।
प्रश्न 40.
दीर्घ ज्वार और लघु ज्वार में अंतर स्थापित करें ।
उत्तर :
दीर्घ ज्वार और लघु ज्वार में अंतर :
दीर्घ ज्वार (Spring Tide) | लघु ज्वार (Neap Tide) |
1. यह पूर्णिमा एवं अमावस्या के दिन आता है। | 1. यह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में अष्टमी को आता है। |
2. इसमें ज्वार अत्यधिक ऊँचा तथा भाटा अत्यधिक नीचा होता है। | 2. इसमें ज्वार की ऊँचाई समान्य तथा भाटा की नीचाई भी सामान्य होती है। |
3. इसमें सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी तीनों एक रेखा में होते हैं। | 3. इसमें सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी तीनों समकोण में होते हैं। |
4. इसमें सूर्य और चन्द्रमा के सम्मिलित आकर्षण बल से ज्वार आता है। | 4. इसमें सूर्य और चन्द्रमा एक दूसरे के विपरीत आकर्षण बल डालते हैं। |
प्रश्न 41.
मानव जीवन ज्वार से कैसे प्रभावित होता है ?
उत्तर :
ज्वार का मानव जीवन पर प्रभाव :
- ज्वार से छछ ट्ले बंदरगाहों के जल की ऊँचाई बढ़ जाती है।
- भाटा के द्वारा निदयों के मुहाने की सफाई हो जाती है।
- ज्वार द्वारा जल ग्युद्युत का उत्पादन किया जा रहा है।
- ज्वार से शीतोष्ण प्रदेशों में बंदरगाहों के निकट समुद्री जल जमने नहीं पाता।
प्रश्न 42.
हुगली नदी में ज्वारीय भित्ति की उत्पत्ति क्यों होती है ?
उत्तर :
बंगाल की खाड़ी के ज्वार की लहरे हुगली नदी के मुहाने में प्रवेश कर जाती है जबकि दूसरी ओर से नदी की धारा खाड़ी की ओर आती है। इस प्रकार खाड़ी की ज्वारीय लहरों और नदी की धारा के टकराने के कारण ज्वारीय भित्ति की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न 43.
पश्चिमी यूरोप के बन्दरगाह वर्ष भर व्यापार के लिए खुले रहते हैं। क्यों ?
उत्तर :
पश्चिमी यूरोपीय समुद्र तट उच्च अक्षांशों में स्थित है परन्तु समीप से गल्फ स्ट्रीम की गर्म धारा बहती है। इस धारा के प्रभाव के कारण समुद्र का तापमान ऊँचा हो जाता है । यही कारण है कि पश्चिमी यूरोप के समुद्री बन्दरगाह वर्ष भर खुले रहते हैं जिससे इस क्षेत्र के बन्दरगाहों में वर्ष भर जहाज आते रहते हैं।
प्रश्न 44.
सुयंक्त राज्य अमेरिका का पूर्वी तट पश्चिमी तट की अपेक्षा गर्म रहता है क्यों ?
उत्तर :
संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट के सहारे गल्फ स्ट्रीम की गर्म धारा बहती है जो पूर्वी तट को गर्म कर देती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट के किनारे से कैलिफोर्निया की ठण्डी धारा बहती है, अतः पश्चिमी भाग ठण्डा रहता है।
प्रश्न 45.
कनारी की धारा का जल ठण्डा होता है क्यों ?
उत्तर :
उत्तरी महासागर का प्रवाह स्पेन के पास दो भागों में विभक्त हो जाता है। इसके दक्षिणी भाग को कनारी की धारा कहते हैं। यह धारा उत्तरी धुव से भूमध्य रेखा की ओर आती है। ध्रुवीय प्रदेशों के ठण्डे भाग से आने के कारणइसके आसपास के समुद्रों का जल अपेक्षाकृत ठण्डा होता है। यही कारण है कि कनारी की धारा का जल ठण्डा होता है।
प्रश्न 46.
पूर्वी कनाडा के बन्दरगाह व्यापार के उपयुक्त नहीं है क्यों ?
उत्तर :
पूर्वी कनाडा के पास से लैबोडोर की ठण्डी धारा बहती है। इस ठण्डी धारा के प्रभाव से कनाडा के पूर्वी तटीय भाग का तापक्रम एकदम कम हो जाता है और बन्दरगाह वर्ष के अधिकांश भाग में बर्फ से, जमे रहते हैं, अतः ये व्यापार के योग्य नहीं रहते। लैब्रोडोर की ठण्डी धारा के साथ हिमपण्ड भी आते हैं जिनसे टकराने का भय जहाजों को सदा बना रहता है।
प्रश्न 47.
कोरिओलिस फोर्स से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
पृथ्वी की दैनिक गति के कारण कोरिओलिस फोर्स उत्पन्न होता है, इसके कारण पवनें व समुद्री धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में बाँयी ओर मुड़ जाती है।
प्रश्न 48.
सारगैसो सागर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
उत्तरी अटलांटिक महासागर में उत्तरी भू-मध्यरेखीय गल्फस्ट्रीम, उत्तरी अटलांटिक प्रवाह एवं कनारी धाराओं के चक्राकार प्रवाह से घिरा हुआ यह ऐसा समुद्री क्षेत्र है जिसकी दिशा घड़ीवत (Clock wise) है, जहाँ जल शान्त रहता है। यहाँ एक प्रकार की काई जिसे सारगैसो कहते हैं, तैरती रहती है। इसी से इसे सारगैसो सागर (Sargaso sea) कहते हैं। सारगैसो सागर की स्थिति 10° N से 45° N के मध्य है।
प्रश्न 49.
शीतल दिवाल क्या है ?
उत्तर :
संयुक्त राजय अमेरिका के पूर्वी तट पर शीतल पछुवा हवाओं के प्रभाव से केप हेटरास के पास गल्फ स्ट्रीम की गर्म धारा पूर्व की ओर मुड़कर तट से दूर चली जाती है। गल्फस्ट्रीम की गर्म धारा उच्च तापमान की जलराशि उत्तर की ओर लाती है। उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तट पर न्यूफाउलण्डलैण्ड के पास की ठण्डी जलधारा का जल रहता है जिसका तापमान 8° C से 11° C रहता है। दो विभिन्न तापक्रम एवं खारेपन की धाराएँ विपरीत दिशाओं में प्रवाहित होती है, अत: शीतल दीवाल का निर्माण करती है। गर्म एवं ठण्डी धाराओं के प्रभाव से उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी सीमा पर कुहरे की पतली घनी पर्त बन जाती है। इसी लेब्रोडोर की ठण्डी धारा को न्यूयार्क के पास शीतल दीवार कहते हैं।
प्रश्न 50.
महासागरीय जल में कितने प्रकार की गतियाँ होती हैं? उनका संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर :
महासागरीय जल में तीन प्रमुख गतियाँ होती हैं :- (i) लहरें (ii) ज्वार-भाटा (iii) धाराएँ ।
i. लहरें (Waves) : लहरों की उत्पत्ति सागरीय पृष्ठ पर प्रवाहित होने वाले पवन के दबाव तथा घर्षण से होती है। लहरों में जल का क्षैतिज स्थानान्तरण नहीं होता है बल्कि जल में केवल ऊपर-नीचे उठने एवं गिरने की गति होती है। प्रत्येक लहर में जल ऊपर उठकर पुन: अपने मूल स्थान पर लौट आता है। इस प्रकार लहरों से महासागरीय जल में दोलनात्मक गति होती है।
ii. ज्वार- भाटा (Tides) : ज्वार- भाटा में सागरीय जल में आवर्ती चढ़ाव तथा उतार होता है। यह ऐसी गति है जिसमें महासागर का सम्पूर्ण जल ऊपर से नीचे तक प्रभावित होता है।
iii. धाराएँ (Currents) : सागरीय जल में उत्पन्न होने वाली उपरोक्त दोनों गतियों के विपरीत धाराएँ भूतल पर प्रवाहित होने वाली नदियों के समान एक निश्चित वेग से प्रवाहित होती है। इस प्रकार धाराओं में सागरीय जल का संचालन एक निश्चित दिशा में होता है।
प्रश्न 51.
उपभू तथा अपभू ज्वार से क्या समझते हैं ?
उत्तर :
उपभू तथा अपभू ज्वार : चन्द्रमा अपनी अण्डाकार कक्ष के सहारे पृथ्वी की परिकमा करता है। अतः पृथ्वी व चन्द्रमा के बीच की दूरो सदा समान नहीं रहती है। जब चन्द्रमा पृथ्वी के निकटतम होता है, तो उसे चन्द्रमा की उपभू स्थिति कहते हैं। इस स्थिति में चन्द्रमा की ज्वारोत्पादक शक्ति सबसे अधिक होती है जिससे सामान्य ज्वार से 20 \% तक ऊँचा ज्वार आता है। इसे उपभू-ज्वार कहते हैं। जब कभी दीर्घ ज्वार एवं उपभू ज्वार एक साथ आते हैं, तो ज्वार की ऊँचाई असामान्य हो जाती है। इसके विपरीत जब चन्द्रमा पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है तो उसे अपभू ज्वार कहते हैं। जब कभी लघु ज्वार एवं उपभू ज्वार एक साथ आते हैं, तो ज्वार की ऊँचाई अत्यंत कम हो जाती है।
प्रश्न 52.
समुद्री धाराओं की क्या विशेषता होती हैं ?
उत्तर :
समुद्री धाराओं की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
- महासागरीय धाराएँ उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाहिनी ओर एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बायी ओर बहती है।
- गर्म धाराएँ ठण्डे सागरों की ओर एवं ठण्डी धाराएँ गर्म महासागरों की ओर बढ़ती है।
- समद्री धाराएँ तटीय क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित करती है।
- समुद्री धाराएँ जल मार्गों के निर्धारण में सहायक होती है।
- ठण्डी धाराएँ अपने साथ प्लैंकटन लाती है जिससे मछलियों के खाद्य पदार्थ की पूर्ति होती है।
प्रश्न 53.
दीर्घ ज्वार की तुलना में लघु ज्वार में जल के उठने और गिरने का स्तर कम क्यों होता है?
उत्तर :
लघु ज्वार में चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी परस्पर समकोण की स्थिति में रहते हैं। अत: उनकी ज्वार उत्पादकता शक्तियाँ एक दूसरे की विपरीत दिशा में काम करती है। अत: ज्वार सामान्य या दीर्घ ज्वार से कम ऊँचा तथा भाटा सामान्य भाटा से कम नीचा होता है।
प्रश्न 54.
प्रत्यक्ष ज्वार एवं अप्रत्यक्ष में तुलना कीजिए।
उत्तर :
प्रत्यक्ष ज्वार और अप्रत्यक्ष ज्वार में तुलना :
प्रत्यक्ष ज्वार (Direct Tide) | अप्रत्यक्ष ज्वार (Indirect Tide) |
1. यह पृथ्वी के उस भाग पर आता है जो पृथ्वी के ठीक सामने होता है। | 1. यह पृथ्वी के उस भाग पर आता है जो चन्द्रमा के ठीक विपरीत भागों में होता है। |
2. यह चन्द्रमा की केन्द्रापसारी शक्ति की अपेक्षा गुरूत्वाकर्षण शक्ति की अधिकता के कारण उत्पन्न होता है। | 2. यह चन्द्रमा की गुरूत्वाकर्षण शक्ति की अधिकता के कारण उत्पन्न होता है। |
प्रश्न 55.
ज्वार-भाटा बन्दरगाहों के निर्माण में कैसे सहायक है ?
उत्तर :
बन्दरगाहो के निर्माण में सहायक : ज्वार भाटा उत्तम बन्दरगाहों को जन्म देता है। जिन तटो या मुहानों पर ज्वारभाटा आता है वहाँ उत्तम बन्दरगाह स्थापित होते है। ज्वार-भाटा के कारण सागर तटों पर जल का स्तर बढ़ जाता है। अत: जलयान बन्दरगाहों पर आकर ठहर जाते है।
प्रश्न 56.
ज्वारा-भाटा किस प्रकार समुद्री-जल को जमने से रोकता हैं ?
उत्तर :
जल को जमने से रोकना : ज्वार-भाटा के जल में हलचल पैदा करता रहता है जिसे मीठा और खारा जल आपस में मिलता रहता है और इससे जल जम नहीं पाता। जल न जम पाने के कारण ही सागरीय जल-जन्तु जीवित रहते है तथा सागर में अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ उगती है तथा विकसित होती है।
प्रश्न 57.
पश्चिम यूरोप के बन्दरगाह वर्ष भर व्यापार के लिए क्यों खुले रहते हैं ?
उत्तर :
पश्चिमी यूरोपीय समुद्र तट उच्च अक्षांशो में स्थित है परन्तु समीप से गल्फस्ट्रीम की गर्म धारा बहती है। इस धारा के प्रभाव के कारण समुद्र का तापमान ऊँचा हो जाता है जिससे समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रो में बर्फ नहीं जमती है। यही कारण समुद्र का तापमान ऊँचा हो जाता है पश्चिमी यूरोप के समुद्री बन्दरगाह वर्ष भर खुले रहते है जिससे इस क्षेत्र के बन्दरगाहो में वर्ष भर जहाज आते रहते है।
प्रश्न 58.
ठण्डी धाराओं के समीप महादेशीय भाग में मरूस्थल क्यों पाए जाते हैं ?
उत्तर :
ठण्डी धाराओ के ऊपर से जाने वाली वायु ठण्डी हो जाती है जिससे उनमें जलवाष्प ग्रहण करने की शक्ति घट जाती है। इन शुष्क हवाओ के प्रभाव से तटीय भागों में वर्षा नहीं होती और उनके समीप मरुस्थल पाये जाते है। उदाहरण के लिए कनारी की ठण्डी धारा के समीप उत्तरी अफ्रीका का सहारा मरुस्थल, बेगुला की ठण्डी धारा के समीप कालाहारी का मरुस्थल, पीरू की ठण्डी धारा के समीप अठकामा का मरुस्थल, कैलीफोर्निया की ठण्डी धारा के समीप कोलोरेडो एवं अरीजोना के मरुस्थल तथा पश्चिमी आस्ट्रेलिया की ठण्डी धारा के समीप पश्चिमी आस्ट्रेलिया का महान मरुस्थल स्थित है।
प्रश्न 59.
ग्रैण्ड बैंक क्या है और इसका निर्माण क्यों हुआ है ?
उत्तर :
ग्रैंण्ड बैंक : यह न्यूफाउण्डलैण्ड (उत्तरी अमेरिका का पूर्वी तट) तट पर स्थित है। यह मत्स्य उद्योग का प्रमुख क्षेत्र है। यहाँ लैबोडोर की ठण्डी जलधारा एवं गल्फस्ट्रीम की गर्म जलधारा के मिलने से मछलियों का भोजन प्लैंकटन ख़ब मिलता है। साथ ही यहां मछलियाँ अण्डे भी खूब देती हैं। ठण्डी जलवायु लम्बे समय तक मछालयों के संरक्षण में सहायक है। अतः प्रेण्ड बैक विश्व के मछली पकड़ने का एक प्रसिद्ध क्षेत्र है। शीतोष्ण जलवायु के कारण वहां की मछलिया काफी स्वादिष्ट होती है।
प्रश्न 60.
उच्च ज्वार और निम्न ज्वार के बीच समय के अन्तर के कारण की व्याख्या करो।
उत्तर :
उच्च ज्वार और निम्न ज्वार के बीच समय का अन्तर : पृथ्वी अपनी धुरी पर 24 घण्टे में एक बार पूरी तरह घूम जाती है। अत: इस अवधि में प्रत्येक देशान्तर पर दो बार ज्वार उत्पन्न होना चाहिए। एक बार चन्द्रमा के सामने आने पर और दूसरी बार इसके विपरीत दिशा में चले जाने पर, किन्तु जिस समय पृथ्वी अपनी धूरी पर पूरा चक्कर लगाती है।
उस समय चन्द्रमा भी पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए कुछ आगे बढ़ जाता है। चन्द्रमा के सामने पृथ्वी के दुबारा आने मे 24 घण्टे का तीसवाँ भाग ( 52 मिनट) अधिक समय लग जाता है, अर्थात् 24 घण्टे 52 मिनट के बाद वह भाग चन्द्रमा के सामने आयेगा और तभी वहा ज्वार उत्पन्न होगा। अतः प्रत्येक देशान्तर पर ज्वार 12 घण्टे 26 मिनट बाद उत्पन्न हुआ करता है। ऐसी अवस्था सूर्य के साथ नहीं उपस्थित होती और उसके द्वारा ठीक 12 घण्टे बाद ज्वार उत्पन्न होता है।
दीर्घउत्तरीय प्रश्नोत्तर (Descriptive Type) : 5 MARKS
प्रश्न 1.
महासागरीय धाराओं की उत्तपत्ति के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
धाराओं की उत्पत्ति के कारण : समुद्री धाराओं की उत्पत्ति के निम्नलिखित कारण हैं –
तापमान में विभिन्नता :- भू-मध्य रेखीय प्रदेशों में सूर्य की किरणें सदैव लम्बवत चमकती है जिससे इन प्रदेशों में तापमान सदैव अधिक रहता है। जैसे-जैसे ध्रुवों की तरफ बढ़ते हैं, तापमान में कमी आने लगती है। अतः अधिक तापमान के कारण भूमध्य रेखीय सागरों के जल की ऊपरी सतह गर्म हो जाती है। इसलिए गर्म हल्का जल ध्रुवों की ओर बहने लगता है। इसके विपरीत ध्रुवीय प्रदेशों का ठण्डा भारी समुद्री जल नीचे बैठता है तथा भू-मध्य रेखा की ओर बहता है। इस प्रकार तापमान की भिन्नता के कारण सनयन धाराएं उत्पन्न हो जाती है।
खारेपन की भिन्नता :- समुद्र का जल खारा होता है, परंतु कई कारणों से (वाष्भीकरण, वर्षा, नदियां आदि) खारापन का वितरण असमान है। अतः अधिक खारेपन वाला समुद्री जल अधिक घनत्व के कारण नीचे बैठ जाता है और निकटवर्ती समुद्रों का कम खारा जल उसका स्थान भरने के लिए प्रवाहित होने लगता है। इससे भी धाराओं का जन्म होता है।
प्रचलित पवन :- धरातल पर निरंतर एक ही दिशा में स्थायी पवन के चलने से धाराओं की उत्पत्ति होती है। अटलांटिक महासागरों में उत्तरी और दक्षिणी भू-मध्यरेखीय धाराएं व्यापारिक हवाओं के प्रभाव से गल्फस्ट्रीम तथा उत्तरी अटलांटिक प्रवाह की उत्पत्ति पछुआ हवाओं के प्रभाव से होती है। भारत महासागर में मानसून ड्रिफ्ट की दिशा मानसून की दिशा के साथ बदलती रहती है।
तटों की आकृति :- धाराओं की दिशा पर महाद्वीपीय तटों की आकृति का प्रभाव पड़ता है। अटलांटिक महासागर में उत्तरी और दक्षिणी भूमध्य रेखीय धाराएं ब्ञाजील के सेनरॉक अंतरीप से टकराकर उत्तर तथा दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है। उत्तरी धारा को गल्फस्ट्रीम तथा दक्षिणी धारा को बाजोल धारा कहते हैं।
पृथ्वी की दैनिक गति :- पृथ्वी अपनी कीली पर पश्चिम से पूरब जो घूर्णन करती है उसके प्रभाव के कारण भी धाराओं की गति का निर्धारण होता है। अटलांटिक महासागर में विपरीत भू-मध्य रेखीय धारा की उत्पत्ति पर पृथ्वी की दैनिक गति का ही प्रभाव है। फेरल के नियमानुसार धाराएं उत्तरी गोलार्द्ध में दायी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बांयी ओर मुड़ जाती है।
प्रश्न 2.
महासागरीय धाराओं के जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
ज्वार भाटा से जलवायु पर क्या प्रभाव पड़ता है?
अथवा
समुद्री धाराओं के धरातल पर प्रभाव का वर्णन करो।
उत्तर :
जलवायु का प्रभाव :
तापमान पर प्रभाव :- गर्म धाराएं जिन तटों से गुजरती है, वहाँ का तापमान ऊँचा कर देती है, इसके विपरीत ठण्डी धाराएं समीपवर्ती भागों का तापक्रम कम कर देती है। ऊँचे अंक्षाशों वाले तटीय भागों में गर्म धाराएं तापमान को हिमांक से नीचे नहीं आने देता उदाहरणार्थ संयुक्त राज्य अमेरिका का पूर्वी तट गल्फ स्ट्रीम की धारा के कारण गर्म रहता है जबकि पश्चिमी तट कैलिफोर्निया की ठण्डी धारा के प्रभाव से ठण्डा रहता है।
वर्षा पर प्रभाव :- गर्म धाराओं के ऊपर बहने वाली वायु गर्म हो जाने के कारण महासागरों के जल से पर्याप्त मात्रा में जलवाष्प ग्रहण करती है। ये वाघपूर्ण हवाएं निकटतम भागो में जाकर पर्वतों से टकराकर पर्याप्त वर्षा करती है। उदाहरणार्थ गल्फस्ट्रीम की शाखा उत्तरी अटलांटिक डिपट के प्रभाव से पश्चिमी तट पर अधिक वर्षा होती है। इसके विपरीत ठण्डी धारओं के ऊपर से बहने वाले पवनों में जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है। अतः तटीय भागों में वर्षा नहीं होती। उदाहरणार्थ कनारी की ठण्डी धारा के समीप उत्तरी अफ्रीका का सहारा का मरूस्थल, बेंगुला की ठण्डी धारा के समीप कालाहरी का मरूस्थल, पीरू की ठण्डी धारा के समीप आटाकामा का मरूस्थल, कैलिफोर्निया की ठण्डी धारा के समीप कोलोरेडो एवं अरीजोना का मरूस्थल स्थित है।
कुहरा की उत्पत्ति :- जहाँ ठण्डी एवं गर्म धारायें मिलती है वहाँ घना कुहरा मिलता है । न्यू फाउण्डलेण्ड के समीय गल्फस्ट्रीम की गर्म एवं लैबोडोर की ठण्डी धारा मिलने के कारण तथा जापान के समीप क्यूरेशियो की गर्म तथा क्यूराईल की ठण्डी धारा मिलने से कुहरा उत्पन्न होता है।
प्रश्न 3.
महासागरीय धाराओं का मानव जीवन पर या व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
व्यापार पर प्रभाव :
जलयानो की गति पर प्रभाव :- धाराओं के अनुकूल जहाजों को यात्रा करने में सुविधा होती है तथा विपरीत दिशा में जाने पर असुविधा होती है। यही कारण है कि प्राचीनकाल में यूरोप से अमेरिका जाने वाले जहाज उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा के अनुरूप चलते थे तथा गल्फस्ट्रीम एवं उत्तरी अटलंटिक प्रवाह के साथ यूरोप लौट आते थे।
बंदरगाहो का खुला रहना :- गर्म धाराओं के प्रभाव से उच्च अक्षांशों पर स्थित बंद्रगाह बर्फ न जमने के कारण वर्ष भर खुले रहते हैं, इसके विपरीत धुवों से आने वाली ठण्डी धाराओं के समीप के बंदरगाहों पर बर्फ जम जाती है। अत: वर्ष के अधिकांश समय ये बेकार हो जाते है। गल्फस्ट्रीम की गर्मधारा के प्रभाव से बिटिश द्वीप समूह एवं नार्वे के बंदरगाहों से वर्ष भर व्यापार होता है जबकि लैबोडोर की ठण्डी धारा के प्रभाव से पूर्वी कनाडा के बंदरगाह अधिकाश समय बंद्रहते हैं।
हिमपिण्डों का प्रभाव :- ठण्डी धाराओं के साथ विशाल हिमपिण्ड बनते है जिनका \(\frac{1010}{10}\) भाग जल के अंदर रहता है जो जहाज चालकों को कभी-कभी कुहरे के कारण दिखाई नहीं पड़ता। अत: दुर्घटना हो जाती है।
प्रश्न 4.
मुख्य ज्वार एवं गौण ज्वार के उत्पति के कारण क्या है ?
उत्तर :
मुख्य ज्वार (Primary tide) : पृथ्वी के उस भाग के समुद्री जल के चढ़ाव को प्रत्यक्ष ज्वार कहते है जो चन्द्रमा व सूर्य के समीपस्थ पड़ता है। वहाँ केन्द्रापसारी बल की अपेक्षा गुरुत्वाकर्षण शक्ति अधिक होती है। अतः इस भाग का जल चन्द्रमा की ओर आकर्षित होकर ऊपर उठ जाता है। इस जल चढ़ाव को प्रत्यक्ष ज्वार (Direct tide) या प्रारम्भिक या मुख्य ज्वार (Primary tide) कहते हैं।
गौण ज्वार (Indirect Tide) : पृथ्वी का वह भाग जो चन्द्रमा के ठीक विपरीत दूरस्थ भाग पर पड़ता है तो इस भाग में गुरुत्वाकर्षण शक्ति की अपेक्षा केन्द्रापसारी बल अधिक होता है। अत: इस भाग का जल चन्द्रमा से दूर हृट कर उपर उठ जाता है। इसे अप्रत्यक्ष ज्वार या गौण ज्वार कहते हैं।
प्रश्न 5.
ओजन परत की सृष्टि कैसे होती है ? ओजोन परत क्षरण के प्रमुख गैस की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ओजोन छिद्र का पता सर्वप्रथम 1985 में अंटार्कटिका के ऊपर फारमान द्वारा लगाया गया, उसके बाद ओजोन छिद्र का पता आकर्टिक एवं उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में भी लगाया गया।
समताप मंडल में 20 से 35 कि॰मी॰ के बीच ओजोन गैस की परत पाई जाती है। ओजोन की यह परत सूर्य की किरणों से विकरित पाराबैगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। जब विभिन्न स्रोतों से उत्सर्जित क्लोरिन गैस ऊपर उठती है तो वह (ओजन) से प्रतिक्रिया करके क्लोरीन मोनो आक्साइड एवं आक्सीजन का निर्माण होता है। क्लोरीन का एक अणु ओजोन के अनेक अणुओं का विनाश करने में सक्षम होता है, चूकि ध्रुवों के निकट ओजोन मण्डल की उुचाई कम होती है। अत: यहाँ ओजोन क्षरण की समस्या सर्वाधिक गम्भीर है।
ओजोन क्षरण का मुख्य कारण (CFCs) है । उस गैस का प्रयोग प्रशीतक, प्रणोदक, इलेक्ट्रानिक वस्तुओं की सफाई तथा आग वाली प्लास्टिक के निर्माण आदि कार्यो में होता है। इसके अलावा काबर्न-डाई-आक्साइड मिथेन आदि गैस है। ये गैसे पृथ्वी के चारों ओर प्रवाहित होकर एक घना आवरण बन देती है। जिससे पृथ्वी पर सौर विकिरण तो आ जाता है परन्तु ये गैस इन्हें वापस आंतरिक्ष में नहीं जाने देती है। उसके फलस्वरूप किरण के तापमान में वृद्धि हो जाती है।
प्रश्न 6.
महासागरीय धारा किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
समुद्री धाराएं : सागरीय जल के एक भाग से दूसरे भाग तक नियमित रूप से निश्चित दिशा में धारा के रूप में प्रवाहित होने वाली गति को महासागरीय धारा कहते हैं। धाराएँ विशाल जल राशि को एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर पहुँचाती है।
धाराएं दो प्रकार की होती हैं –
गर्म धाराएं :- भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर बहने वाली धाराओं को गर्म धारा कहते हैं क्योंकि ये धाराएं गर्म भाग से ठण्डे भाग की ओर बहती है। इन धाराओं का जल अपने आस-पास के समूह के जल से गर्म होता है। गल्फस्ट्रीम, क्यूरोशियों, ब्राजील आदि गर्म धाराएं हैं।
ठण्डी धाराएं :- ठण्डी समुद्रों से गर्म समुद्रों की ओर चलने वाली धारा को ठण्डी धारा कहते हैं। ये धाराएं धुवीय प्रदेश से भुमध्य रेखीय भाग की ओर चलती हैं। जैसे लैब्रोडोर, क्यूराएल तथा कनारी आदि ठण्डी धाराएं हैं।
समुद्री धाराओं की निम्नलिखित विशेषताएं हैं –
- महासागरीय धाराएं, उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दाहिनी ओर एवं दक्षिणी गोलार्द्ध में अपनी बांयी ओर बहती है। ऐसा फेरल के नियमानुसार होता है।
- गर्म धाराएं, ठण्डे सागरों की ओर तथा ठण्डी धाराएं गर्म महासागरों की ओर बहती है।
- समुद्री धाराएं तटीय क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित करती है।
- समुद्री धाराएं जल मार्गो के निर्धारण में सहायक होती है।
- ठण्डी धाराएं अपने साथ प्लैकटन लाती है जिससे मछलियों के खाद्य पदार्थ की पूर्ति होती है।
प्रश्न 7.
गर्मधाराओं और ठण्डी धाराओं की तुलना किजिए।
उत्तर :
गर्मधाराओं और ठण्डी धाराओं की तुलना :
गम्म धाराएं | ठण्डी धाराएं |
i. गर्म धाराओं का जल सैदव गर्म होता है। | i. इन धाराओं का जल सदैव ठण्डा रहता है। |
ii. ये धाराएं भू-मध्य रेखीय प्रदेशों से ध्रुवीय प्रदेशों की ओर चलती है, जैसे – गल्फस्ट्रीम की धारा गर्म धारा है। | ii. प्राय: ये धाराएं ध्रुवीय प्रदेशों से भू-मध्य रेखीय प्रदेशों की ओर चलती है। जैसे लैब्रोडोर की ठण्डी धारा। |
iii. ये तटवर्ती क्षेत्रों के तापमान को बढ़ा देती है, जैसे गल्फस्ट्रीम की धारा नार्वे के तटवर्ती भाग में तापमान बढ़ा देती है। | iii. ये धाराएं तटवर्ती क्षेत्रों के तापमान को गिरा देती है। जैसे कनारी की ठण्डी धारा। |
iv. इन धाराओं की सहायता से समीपस्थ भाग में वर्षा होती है। | iv. इन धाराओं से समीपस्थ भाग में वर्षा नहीं होती है। |
v. ये धाराएं भू-मध्य रेखा के इर्द-गिर्द या सामानान्तर बहती हैं। | v. कुछ धाराएं धुव प्रदेशों के इर्द-गिर्द बहती हैं। |
प्रश्न 8.
लहरें एवं धाराओं में क्या अन्तर है ?
उत्तर :
लहरें एवं धाराओं में अन्तर :
लहरें | धाराएं |
i. सागरीय सतह के क्रमिक उतार-चढ़ाव को लहर कहते हैं। | i. इसमें सागरीय सतह क्रमिक उतार-चढ़ाव नहीं करता। |
ii. लहरों का जल अपना स्थान छोड़कर आगे नहीं बढ़ता। | ii. इनमें जल निरंतर आगे बढ़ता रहता है। |
iii. लहरें अस्थाई है तथा बनती बिगड़ती है। | iii. धाराएं स्थाई होती हैं। |
iv. लहरें प्राय: संचार से प्रभावित होकर उत्पन्न होती है। | iv. धाराओं के उत्पन्न करने में पवन, तापमान, खारापन तथा आकृति का हाथ रहता है। |
v. लहरों की गहराई बहुत कम होती है। | v. धाराएं काफी गहराई तक चला करती है। सतह पर चलने वाली धाराओं के नीचे विपरीत धाराये भी चलती है। |
प्रश्न 9.
महासागरीय धाराएं किस प्रकार मत्स्य उद्योग को प्रभावित करती है ?
उत्तर :
मत्स्य उद्योग पर प्रभाव :
(i) ठण्डी धाराओं के साथ ठण्डे क्षेत्र की उत्तम मछ्छलयां बहकर गर्म प्रदेशों में पहुँच जाती है। जैसे लैब्रोडर की ठण्डी धारा के साथ आने वाली मछलियों को न्यूफाउण्डलैण्ड के पास कनाडा में पकड़ लिया जाता है।
(ii) मछलियों का सर्वप्रथम भोजन प्लैंक्टन नाम सूक्ष्म जीवाणु एवं वनस्पतियां हैं, जहाँ ठण्डी एवं गर्म धाराएं मिलती है वहां प्लैंक्टन की उत्पत्ति होती है। ऐसे स्थान पर मछालयां अण्डे भी अधिक देती है, अतः ठण्डी तथा गर्म धाराओं का मिलन स्थल मछली उत्पादन की आदर्श परिस्थियां उत्पत्र करता है।
प्रश्न 10.
सागरीय जल में ज्वार-भाटा उत्पत्र होने के क्या कारण है ?
उत्तर :
ज्वार-भाटा उत्पत्र होने के कारण ज्वार भाटा उत्पन्न होने में चन्द्रमा की दो शक्तियां पृथ्वी पर एक साथ काम करती है :
गुरूत्वाकर्षण शक्ति :- न्यूटन के अनुसार बह्माण्ड का प्रत्येक पिण्ड एक दूसरे को आकर्षित करता है। इस आकर्षित करने की शक्ति का नाम गुरुत्वाकर्षण शक्ति है। दोनों प्रतिरोधी पिण्डों का आकार जितना ही बड़ा होगा गुरुत्वाकर्षण उतना ही अधिक होगा। साथ ही दोनों पिण्डों के मध्य दूरी जितनी ही अधिक होगी गुरुत्वाकर्षण उतना ही कम होगा, अर्थात् दूरी जितनी कम होगी गुरुत्वाकर्षण उतना ही अधिक होगा। चन्द्रमा से पृथ्वी के सभी स्थानों की दूरी में अंतर होने के कारण गरुत्वाकर्षण भी असमान होता है। भू पटल ठोस होने के कारण आकर्षित नहीं होता पर जल तरल है, अतः गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव जल पर अधिक पड़ता है।
केन्द्रपसारी बल :- गुरुत्वाकर्षण शक्ति की प्रतिक्रिया उसी के बराबर केन्द्रपसारी बल कार्य करता है जो पृथ्वी को बन्द्रमा से दूर ले जाता है। यह बल पृथ्वी के सभी भागों पर समान होता है।
इस प्रकार पृथ्वी के केन्द्र पर चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण तथा केन्द्रपसारी दोनों शक्तियां समान होती है। पृथ्वी के चन्द्रमा के समीस्थ भाग पर चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति अपसारी शक्ति की अपेक्षा अधिक होती है, अत: वहाँ का जल चन्द्रमा की ओर आकर्षित होकर उधर उठ जाता है, इसे प्रत्यक्ष ज्वार कहते हैं।
इस प्रकार एक ही समय पृथ्वी के दो व्यासीय विपरीत स्थानों पर ज्वार उत्पन्न होती है।
प्रश्न 11.
ज्वार-भाटा के समय में अंतर क्यों रहता है ?
उत्तर :
ज्वार-भाटा के समय में अंतर :- ज्वार-भाटा प्रतिदिन एक निश्चित समय पर नहीं आता है। यदि चन्द्रमा स्थिर होता तो पृथ्वी की परिभ्रमण के कारण प्रत्येक स्थान पर 24 घण्टे में निश्चित समय पर ही ज्वार-भाटा आता। परन्तु पृथ्वी और चन्द्रमा की सापेक्षिक स्थिति तथा चन्द्रमा के पृथ्वी की परिक्रमा करने के कारण ऐसा नहीं होता। प्रतिदिन ज़्वार भाटा का समय आगे बढ़ता जाता है। चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर उसी दिशा से परिक्रमा कर रहा है, जिस दिशा में पृथ्वी परिभ्भमण कर रही है। चन्द्रमा पृथ्वी की 28 दिन में परिक्रमा पूरा करता है। अत: 24 घंटे में पृथ्वी का कोई स्थान जब अपनी पहली अवस्था में आता है तब चन्द्रमा अपनी परिक्रमण गति के कारण अपने परिक्रमा मार्ग से 1 / 28 भाग बढ़ जाता है।
इसलिए पृथ्वी के उस स्थान को चन्द्रमा के ठीक सामने आने के लिए अपनी कीली पर 1 / 28 पर आगे घूमना होगा। इस दूरी को तय करके चन्द्रमा के ठीक सामने करने के लिए पृथ्वी को 52 मिनट अधिक समय लगेगा। इसलिए हर स्थान पर 24 घण्टे पश्चात् आने वाला ज्वार भाटा 24 घण्टे 52 मिनट पश्चात आता है। अतः प्रत्येक स्थान पर पहले ज्वार के ठीक 12 घण्टे 26 मिनट पश्चात् दूसरा ज्वार आता है। यही कारण है कि प्रतिदिन एक ही समय पर ज्वार-भाटा नहीं आता है बल्कि पहले दिन की अपेक्षा 52 मिनट देर से ज्वार भाटा दूसरे दिन आता है
प्रश्न 12.
ज्वार-भाटा के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
ज्वार-भाटा का मानव जीवन पर प्रभावों का वर्णन करो।
उत्तर :
ज्वार-भाटे का प्रभाव :
लाभ :
- ज्वार-भाटा आने से बंदरगाह पर पड़ा हुआ कूड़ा बहकर चला जाता है। अत: सफाई में व्यय कम हो जाता है तथा समय की बचत होती है।
- ज्वार जब आता है जल की गहराई बढ़ जाती है। अत: बड़े-बड़े जलयान बंदरगाह तक आ जाते हैं और भाटे के साथ वापस चले जाते हैं। इस प्रकार व्यापार में मदद मिलती है।
- ज्यारीय लहर के साथ गहरे सागर से मछलियां तट तक आ जाती हैं।
- ज्वारीय लहर के साथ मछुए गहरे सागर में मछली पकड़ने चले जाते हैं और लहर के साथ वापस आ जाते हैं।
- ज्वार-भाटा के कारण समुद्री जल में खलबली मची रहती है, जिसमें बंदरगाह के पास समुद्र नहीं जमते और जहाजों का आना-जाना बना रहता है।
- ज्वारीय लहर में अधिक शक्ति होती है। अत: इससे जल विद्युत उत्पादन की सम्भांवना होती है।
- ज्वार-भाटा के आने से तट पर बनी क्यारियों में जल भर जाता है जिसको सुखाकार नमक प्राप्त किया जाता है।
- समुद्र तट के समीप मोती, सीपी, घोंघे आदि अधिक मात्रा में पाये हो जाते हैं, जिनको निकाल कर कुछ लोग अपनी जीविका कमाते है।
हानियां :
- ज्वार-भाटे के आने से नदियों में जल ऊपर उठता है जिसे बोरे कहते हैं। इससे नौकाओं के डूबने की आशंका रहती है.।
- ज्वारीय लहरों की चपेट में आकार कभी-कभी जलयान डूब जाते हैं, जिससे धन-जन का नुकसान होता है।
- ज्वार भाटे कभी-कभी बंदरगाह पर तथा नदियों के मुहाने पर रेत, मिट्टी आदि जमा कर देती है जिसको साफ करने में अत्यधिक व्यय होता है।
- ये सफाई के स्थान पर कभी-कभी अधिक मात्रा में गंदगी छोड़ जाते हैं।
प्रश्न 13.
ज्वार भाटा के प्रकारों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें।
अथवा
ज्वारभाटा की उत्पत्ति का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ज्वार-भाटा के प्रकार :
दीर्घ ज्वार :- जब सूर्य, चन्द्रमा तथा पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं तो सूर्य और चन्द्रमा की सम्मिलित शक्ति से समुद्री जल अर्थात् ज्वार ऊँचा उठ जाता है जो सामान्य ज्वार से 20% ऊँचा होता है। यह स्थिति महीने में दो बार, पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन आती है।
लघु ज्वार :- जब सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी से समकोण की स्थिति में होते हैं तो इनके ज्वार उत्पादन शक्तियां एक दूसरे के विपरीत दिशा में कार्य करती है। यह ज्वार सामान्य ज्वार से कम ऊँचा तथा भाटा सामान्य भाटा से कम नीचा रहता है। यह स्थिति प्रत्येक महीने में दो बार, शुक्ल व कृष्ण पक्ष के अष्टमी को होती है।
पृथ्वी पर चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण एवं केन्द्रापसारी शक्तियों की प्रतिक्रिया से पृथ्वी के दो व्यासीय विपरीत स्थानों पर एक साथ ही दो ज्वार उत्पन्न होते हैं। एक को प्रत्यक्ष ज्वार तथा दूसरे को अप्रत्यक्ष ज्वार कहते हैं।
प्रत्यक्ष ज्वार :- पृथ्वी के उस भाग के समुद्री जल के चढ़ाव को प्रत्यक्ष ज्वार कहते है जो चन्द्रमा व सूर्य के समीपस्थ पड़ता है। वहाँ केन्द्रापसारी बल की अपेक्षा गुरुत्वाकर्षण शक्ति अधिक होती है। अतः इस भाग का जल चन्द्रमा की ओर आकर्षित होकर ऊपर उठ जाता है। इस जल चढ़ाव को प्रत्यक्ष ज्वार कहते हैं।
अप्रत्यक्ष ज्वार :- पृथ्वी का वह भाग जो चन्द्रमा के ठीक विपरीत दूरस्थ भाग पर पड़ता है तो इस भाग में गुरुत्वाकर्षण शक्ति की अपेक्षा केन्द्रापसारी बल अधिक होता है। अत: इस भाग का जल चन्द्रमा से दूर हट कर ऊपर उठ जाता है। इसे अप्रत्यक्ष ज्वार कहते हैं।
प्रश्न 14.
महासागर नितल से आप क्या समझते हैं ? महासागर के नितल को कितने भागों में बांटा गया है ?
उत्तर :
महासागरीय तली का स्वरूप :- स्थल की तरह सागर और महासागरों के भी तल पाये जाते हैं जिन्हें सागर और महासागर का नितल कहते हैं। सागर और महासागर का नितल भी सब जगह समान नहीं है। इनमें कहीं ऊँचे चबुतरे, कहीं टीले और कहीं गहरी खाई या गर्त भी मिलते हैं। महासागरों की औसत गहराई महाद्वीपों की औसत ऊँचाई से अधिक है। आकार व गहराई के अनुसार महासागरीय नितल को भी प्रमुख चार भागों में बाटा जा सकता है-
महाद्वीपीय निम्न तट :- स्थल और समुद्र के मिलन स्थल से लेकर लगभग 70 कि०मी० – 100 कि०मी० की चौड़ाई में जलमग्न धरातल को महाद्वीपीय निमग्न तट कहते हैं। यह महाद्वीपीय ढाल तथा स्थल के मध्य का भाग है। नदियों तथा हिमानियों के द्वारा लाया गया अवसाद एवं हिमोढ़ के समुद्र तल में जमा होने से इसका निर्माण होता है। इसके निचले तल तक सूर्य की रोशनी प्रवेश कर जाती है । अतएव इस भाग में वनस्पति एवं समुद्री जीव-जन्तु भी मिलतेहैं। विश्व के प्रमुख मछलीगाह इसी भाग में मिलते हैं। समस्त महासागर का 5 \% भाग महाद्वीपीय निमग्न तट के अंतर्गत पड़ता है।
महाद्वीपीय ढाल :- महाद्वीपीय निमग्न तट भूमि के ठीक बाद ढाल का विस्तार शुरू होता है। इस ढालू भूमि को ही महाद्वीपीय ढाल कहते हैं। यहाँ समुद्र की गहराई 200 कि०मी० – 400 कि०मी० तक होती है। यहाँ तक नदियों द्वारा लाये गये अत्यंत सूक्ष्म कण ही पहुँच पाते हैं। इस भाग के बाद वास्तविक महासागर शूरू होता है। इस भाग में अनेक कैनियन अच्छी तरह विकसित हैं।
महासागरीय मैदान :- जब महाद्वीपीय ढाल समाप्त हो जाता है तत्पश्चात समुद्र के अंदर समतल भूमि मिलती है। इस भाग को महासागरीय मैदान कहत हैं। इसकी औसत गहराई 3000 मी० -6000 मी० तक होती है। इसका ढाल मंद होता है। समुद्र तट से दूर होने के कारण यहाँ तक नदियो द्वारा लाया गया अवसाद नहीं पहुँच पाता है। ये मैदान निक्षेप, सूक्ष्म पंक और सागर तल पर रहने वाले और मरे हुए जीव-जन्तुओं के अस्थियों से बने होते हैं। इस भाग में लाल मिट्टी पाई जाती है जो सम्भवतः ज्वालामुखी उदगार के कारण है।
महासागरीय गर्त :- गहरे समुद्री मैदानों में यत्र-तत्र गठ्ठे पाये जाते है जो लम्बे और गहरे होते हैं। परंतु चौड़े नहीं होते । ये अधिकतर उन समुद्रों में पाये जाते हैं, जहाँ पर्वत श्रेणियों का विस्तार हो अथवा ज्वालामुखी क्रिया हुई हो। ये सागरों के मध्य नहीं पाये जाते हैं बल्कि स्थल खण्डों के समीप मिलते हैं। प्रशांत महासागर में ऐस 56 गर्त हैं जिसमें मिंड़ानाओ गर्त विश्व का सबसे गहरा गर्त है जिसकी गहराई 10400 मी० है। नवीन खोजों के अनुसार मैरियाना खड्ड सबसे गहरा खड्ड है जिसकी गहराई 11033 मी॰ बताई जाती है।
प्रश्न 15.
अंघमहासागर की जलधाराओं का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर :
अंधमहासागर की धाराएँ :- अंध महासागर में अधिकतर तीव्र धाराएं चलती हैं। कुछ मंद धराएं भी हैं जो निम्न हैं –
उत्तरी भू-मध्य रेखीय धारा :- यह भूमध्य रेखा के उत्तर-पुरब से पश्चिम बहती है। यह गर्मधारा है जो दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तट के सहारे बहती है। इस धारा की उत्पत्ति में पूर्वी व्यापारिक पवनों का प्रभाव होता है।
दक्षिणी भू-मध्य रेखीय धारा :- यह भू-मध्य रेखा के दक्षिण में बहने वाली गर्म धारा है। यह पश्चिमी अफ्रीका से बाजील के सेनराक अंतरीप की ओर बहती है। इसकी उत्पत्ति में दक्षिणी पूर्वी व्यापारिक पवनो की भूमिका होती है।
विपरीत भू-मध्य रेखीय धारा :- उत्तरी व दक्षिणी भू-मध्य रेखीय धाराओं का जल बहकर पश्चिम से पूरब भूमध्य रेखा की ओर बहने लगता है। इसका प्रवाह भूमध्य रेखीय धाराओं के विपरीत होता है। इसकी उत्पत्ति व दिशा पर भू-परिभ्रमण का प्रभाव होता है।
गल्फस्ट्रीम :- उत्तरी भूमध्य रेखीय धारा का जल जब दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी तट से टकराता है तो इसका कुछ भाग मैविसको की खाड़ी से होकर उत्तर की ओर बहने लगता है। इसे गल्फस्ट्रीम कहते हैं। यह एक गर्म धारा है जिसकी उत्पत्ति में पछुआ हवाओं का योगदान होता है।
लैब्रोड़ोर की ठण्डी धारा :- यह एक ठण्डी धारा है जो उत्तरी कनाडा के तटवर्ती भागो पर उत्तर से दक्षिण को बहती है। यह लेबोडोर तट के सहारे बहती हुई न्यूफाउण्डलैण्ड तक पहुँचती है। अत में यह गल्फस्ट्रीम से मिल जाती है। इन धाराओं के संगम पर सदैव कुहरा छाया रहता है जो मछलियों के खाद्य प्लैंक्टन की उत्पत्ति में सहायक होता है।
कनारी की ठण्डी धारा :- यह पुर्तगाल तट के समीप से दक्षिण की ओर अफ्रीका के कनारी द्वीपों तक बहने वाली एक ठण्डी धारा है। यह सहारा की जलवायु को शुष्कता और कठोरता प्रदान करने में सहायक है। इसकी उत्पत्ति तथा दिशा में उत्तरा-पूर्वी व्यापारिक पवनों का प्रभाव होता है।
ब्राजील धारा :- दक्षिणी भू-मध्य रेखीय धारा का जल बाजिल के सेनराक अंतरीप से टकराकर ब्राजील तट से बहने लगता है। यह गर्म धारा है।
उत्तरी आंटलटिक प्रवाह :- गल्फस्ट्रीम तथा लैब्रोडोर की धाराओं का जल टकराने के पश्चात उत्तर-पूर्व की ओर बहता हुआ उत्तरी यूरोप तक पहुँचता है। इस पर पछुआ पवनों का प्रभाव रहता है। इसे पछुआ प्रवाह भी कहते हैं। यह एक गर्म धारा है। अत: उत्तरा-पश्चिमी यूरोपीय देशों को उष्मता प्रदान करता है।
फाकलैण्ड धारा :- यह एक ठण्डी धारा है जो दक्षिण अमेरिका के सुदूर दक्षिणी भाग में फाकलैण्ड द्वीप के सहारे दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।
बेंगुला धारा :- यह ठण्डी धारा है जो पश्चिमी अफ्रीका तट के सहारे दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है। यह कालाहारी मरूस्थल की जलवायु को कठोरता प्रदान करती है।
प्रश्न 16.
प्रशांत महासागर की मुख्य जलधाराओं का वर्णन करो।
उत्तर :
प्रशांत महासागर की धाराएं :- प्रशान्त महासागर में प्रवाहित होने वाली धाराएँ निम्नलिखित हैं –
उत्तरी भू-मध्यरेखीय धाराएँ :- यह गर्म धारा दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनों से प्रभावित होती है जो भू-मध्य रेखा के दक्षिण में अमेरिका के पश्चिमी तट से टकराकर आगे जाकर यह आस्ट्रेलिया के उत्तरी-पूर्वी भाग तक पहुँचती है।
विपरीत भू-मध्यरेखीय धारा :- यह एक गर्म धारा है जो उत्तरी और दक्षिणी भू-मध्य रेखीय धाराओं के विपरीत दिशा में पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इस धारा की उत्पत्ति का कारण भू-परिभमण है।
क्यूरेशियो धारा :- यह गर्म धारा है। उत्तरी तथा दक्षिणी भू-मध्य रेखोय धाराओं के जल मिलने से चीन सागर में एक नई धारा उत्पन्न होती है जो चीन सागर से होते हुए जापान के शिशोक द्वीप तक पहुँचती है जहाँ इसकी दो शाखाएँ हो जाती है । भीतरी शाखा जापान सागर में प्रवेश करती है तथा बाहरी शाखा जापान के प्रशान्त तट से बहती हुई मध्य होन्शू तक बहती है, चीन और जापान को जलवायु का यह धारा उष्णता तथा वर्षा प्रदान करती है।
क्यूराइल धारा :- यह ठण्डी धारा है। यह उत्तरी धुव के समीप से चलकर बैरिंग जलडमरू मध्य होती हुई साइबेरिया तट के सहारे उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है। क्यूराइल द्वीपों के समीप बहने के कारण इसे क्यूराइल की धारा कहते हैं। अंत में जापान के समीप क्यूरोसियो की गर्म धारा से मिल जाती है।
अलास्का धारा :- उत्तरी महासागर के आर-पार प्रवाहित होने वाली पश्चिमी धारा उत्तरी अमेरिका के प्रशांत महासागर तट पर पहुंच कर बैकुवर टापू के समीप टकराकर अलास्का तट की ओर बहने लगती है। यह एक गर्म धारा है जो अलास्का तट की जलवायु को उष्णता प्रदान करती है।
कैलिफोर्निया धारा :- यह कैलिफोर्निया तट के सहारे उत्तर से दक्षिण की ओर बहने वाली एक ठण्डी धारा है जो समीपवर्ती प्रदेश की जलवायु को कठोर तथा शुष्क बना देती है।
पीरू या हम्बोल्ट धारा :- यह ठण्डी धारा दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित पीरू के समीप बहती है। अंत में यह दक्षिणी भू-भाग रेखीय धारा में मिल जाती है। इस धारा की खोज सर्वप्रथम हमबोल्ट ने किया। अत: यह Humbolt Currents भी कहलाती है। यह पीरूभूम की उष्णता को कम कर देती है।
अण्टांक्कटिक धारा :- यह ठण्डी धारा है, जो दक्षिणी प्रशांत महासागर में पूरब से पश्चिम की ओर बहती है। अण्टार्कटिक महाद्वीप के समीप मंद गति से बहती है। इस धारा की उत्पत्ति भू-परिभ्रमण के कारण होती है।
आस्ट्रेलिया धारा :- यह आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट के सहारे उत्तर से दक्षिण की ओर बहने वाली एक गर्म धारा है। दक्षिणी भूमध्य सागरीय धारा जब न्यूगिनी तट से टकराती है, तब पहुआ पवनों के सहारे इसका जल आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट से होकर बहने लगता है। यह धारा अपनी समीपवर्ती प्रदेशों की जलवायु को उष्ण व नम बनाती है।
प्रश्न 17.
हिन्द महासागर की मुख्य जलधाराओं का वर्णन करो।
उत्तर :
हिन्द महासागर की धाराएँ :- हिन्द महासागर उत्तर में भारत, पश्चिम में अफ़ीका तथा पूर्व में आस्ट्रेलिया से घिरा हुआ है। हिन्द महासागर की धाराओं की अपनी एक विशेषता है। विषुकत् रेखा के उत्तर में इस महासागर का विस्तार कम तथा दक्षिण में अधिक है। अतः उत्तरी भाग में सामयिक पवनों का प्रभाव मिलता है। इस भाग में सामयिक धाराएँ चलती रहती है ये धाराएँ मानासून के प्रभाव से समय-समय पर अपनी दिशाएं बदलती रहती है, अत: ये मानसून ड्रीफ्ट भी कहलाती है। भूमध्य रेखा के दक्षिणी भाग में स्थायी धाराएँ वर्ष भर सामान रूप से चलती है। इस महासागर की प्रमुख धाराएँ निम्न हैं –
ग्रीष्म मानसून ड्रीफ्ट :- यह एक गर्म धारा है जो उत्तरी हिन्द महासागर में ग्रीष्म मानसून से प्रभावित होकर अफ्रीका के पूर्वी तट के सहारे बहती हुई अरब सागर में प्रवेश करती है। यह अरब सागर के तट तथा भारत के पश्चिमी तट के सहारे बहती हुई बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती है तथा दक्षिण में पूर्वी एशिया के सुमात्रा तट तक चलती जाती है। यह मई से अक्टुबर तक बहती है। यह एक मंद समुद्री धारा है।
शिशिर मानसूनी धारा :- शिशिर ऋतु आते ही मानसून पवनों के क्रम में परिवर्तन हो जाता है तथा उत्तरी-पूर्वी पवने चलने लगती है। अतः नवम्बर से अपैल तक यह धारा सुमाता तट से बंगाल की खाड़ी, अरब सागर होते हुए पूर्वी तट तक बहती है।
दिक्षणी भूमध्य रेखीय धारा :- यह एक गर्म धारा है। यह विषुवत् रेखा के दक्षिण में दक्षिणा-पूर्वी व्यापारिक पवनों से प्रभावित होकर पूर्व-पश्चिम की ओर बहती है।
मोजम्बिक धारा :- अफ्रीका महाद्वीप के पूर्वी तट पर मुख्य स्थल मागागासी द्वीप के बीच एक संकरा समुद्री भाग है, जिसे मोजाम्बिक चैनल (Mozamblique Channel) कहते हैं। यहाँ एक गर्म समुद्री जल धारा उत्पन्न होती है जो दक्षिणी भू-मध्य रेखीय धारा का ग्रहण करके दक्षिण की ओर बहती है। यही मोजाम्बिक धारा कहलाती है।
पश्चिमी आस्ट्रेलिया धारा :- यह आस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट के सहारे दक्षिण से पश्चिमी की ओर बहती है तथा दक्षिण भूमध्य रेखीय धाराओं में मिल जाती है। यह ठण्डी धारा आस्ट्रेलिया की मरुस्थलीय जलवायु को शुष्क तथा कठोर बना देती हैं।
अगुलहास की धारा :- यह दक्षिणी हिन्द महासागर पर बहने वाली एक गर्म धारा है जो अफ़ीका के दक्षिण में अगुलहास के निकट पछुआ पवनों से प्रेरित होकर पश्चिम से पूरब की ओर चलने लगती है
अण्टार्कटिक डिफ्ट :- हिन्द महासागर के दक्षिण भाग में पछुआ पवनों के प्रभाव से पश्चिम से पूर्व की ओर चलने वाली ठण्डी धारा को अण्टार्कटिक ड्रिफ्ट कहते हैं।
प्रश्न 18.
ग्रैण्ड बैंक मत्स्य उद्योग के लिए अनुकूल क्यों है ?
उत्तर :
ग्रैण्ड बैंक :- अटलांटिक महासागर में न्यूफाउण्डलैण्ड के दक्षिण पूर्व में महाद्वीपीय चबूतरा है। इसका विस्तार 37000 वर्ग मील है। यही समुद्री क्षेत्र मछली पकड़ने के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ मत्स्य उद्योग की उन्नति के कारण हैं –
(i) समशीतोष्ण जलवायु :- समशीतोष्ण जलवायु के कारण यहाँ मछलियों का भोजन प्लैकटन अधिक मिलता है, अत: यहाँ मछलियाँ अधिक पायी जाती है।
(ii) उथला समुद्र :- यह एक जलमग्न द्वीप है, अतः उथला है जिसमें सूर्य की किरणें आसानी से प्रवेश कर पाती है। प्लैंकटन की उपज के लिए सूर्य की किरणें आवश्यक हैं, अतः इस प्लैंकटन के कारण यहाँ अधिक मछलिया मिलती है।
(iii) गर्म एवं ठण्डी धाराओं का मिलन स्थल :- यहाँ पर गल्फ स्ट्रीम की गर्म एवं लेब्रोडोर की ठण्डी धाराये मिलती है। गर्म एवं ठण्डी धाराओं के मिलन स्थल पर मछालियों का भोजन जल्दी तैयार होता है तथा मछलियाँ भी ठीक से बढ़ती है। मछलियां विपरीत धाराओं में तेजी से बढ़ती है।
प्रश्न 19.
उत्पत्ति के आधार पर धरातल पर पाए जाने वाले झीलों का वर्गीकरण किजिए।
उत्तर :
उत्पत्ति के आधार पर झीलों को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है –
(A) विवर्तनिक झीलें (Tectonic Lakes) :- पृथ्वी के गर्भ में आन्तरिक हलचलें होती है। धरातल के स्वरूप में परिवर्तन होता रहता है। इन हलचलों से मुख्य रूप से दो प्रकार की झीले बनती है।
भ्रंश झीलें (Fault Lakes) :- वितर्तनिक हलचलों के कारण धरातल पर भृंश के एक ओर का भाग नीचे धँस जाता है तो धंसा भाग जल से भरकर झील का रूप धारण करता है। इसे भ्रश झोल कहते हैं। U.S.A. की सात एण्डीज झील भंश झीले ही है।
विभ्रंश झीले (Rift Valley Lakes) :- विवर्तनिक हलचलों के कारण धरातल पर समानान्तर दरारें पड़ जाती है। जब इन दरारें के बीच का भाग धंस जाता है तो इसे दरार घाटी कहते हैं। वर्षा आदि का जल भर जाने से झील का निर्माण होता है, जैसे साइबेरिया की बैकाल झील, अफ्रीका में तागानिका की न्यासा, अलबर्ट्र इत्यादि झील।
(B) ज्वालामुखी झीलें :
क्रेटर झील (Crater Lakes) :- जिस दरार से होकर लावा बाहर निकलता है उसे ज्वालामुखी का मुख(Crater) कहते हैं। जब ज्वालामुखी का उदगार बन्द हो जाता है और मृतप्राय हो जाता है तब यह वर्षा आदि का जल भर जाने से झील के रूप में बदल जाता है IU.S.A. के क्रेटर झील तथा अफ्रीका की विक्टोरिया झील इस प्रकार की झीले हैं।
लावा बाँध से बनी झीलें (Lavadom Lakes) :- ज्वालामुखी के मुख से निकलने वाला लावा कभी-कभी नदी के प्रवाह को रोक देते हैं और इस प्रकार की झील का निर्माण हो जाता है। कैलिफोर्निया की ताहो झील (Tahoe Lakes) तथा अबीसीनिया को ताना झील (Tana Lakes) इसी प्रकार की झीलें है।
लावा क्षेत्र की झीले (Lava Region Lakes) :- ज्वालामुखी के लावा का निक्षेपन समान नहीं होता है। कहीं तुषार तथा कहीं नियान बन जाते हैं। नियान के क्षेत्र में जल भरने से झील का निर्माण हो जाता है।
(C) निक्षेपण मूलक झीले (Deposional Lakes) :-
पर्वतीय झीलें (Mountain Lakes) :- पर्वतीय भाग को पार कर नदी जब मैदानी भागों में प्रवेश करती है तो ढाल की कमी के कारण नदी की धारा का वेग कम हो जाता है। इसके द्वारा बहाकर लाये गये मलवा, बजरे, रोड़े आदि का एकाएक निक्षेप होने लगता है। इससे धीरे-धीरे नदी का मार्ग अवरुद्ध होने लगता है। कालान्तर में इस प्रकार एक झोल बन जाती है। पर्वत के पाद प्रदेश में स्थित होने के कारण इन झीलों को गिरिपद झीलें (Piedmont Lakes) कहते हैं। कैलिफोर्निया की तुलारे झील इसी प्रकार की झील है।
बाढ़ मैदानी की झीलें (Flood Plain Lakes) :- वर्षा काल में जल भर जाने के कारण बाढ़ के मैदानों में जमाव का कार्य होता है। परन्तु यह जमाव अनियमित होता है। अतः कहीं-कहीं पर गड्ड़ रह जाते हैं जो झीलों का रूप धारण कर लेते हैं। बह्मपुत्र की घाटी तथा अफ्रीका की श्वेत नील के मार्ग में ऐसी झीलें मिलती है।
डेल्टाई झील (Delta Lakes) :- नदी के डेल्टा प्रदेश में शाखाओं के बीच रेत के अनियमित जमाव से बने हुए गड्दे पानी से भर कर झील का रूप धारण कर लेते हैं। गंगा के डेल्टा में इस प्रकार की झीलें बील कहलाती है।
(D) हिमनद के जमाव से बनी झीलें :- स्थिति के विचार से इस प्रकार की झीलों के निम्न उपविभाग हैं –
हिम बांध झीलें :- जब हिमनद किसी नदी की घाटी के आर-पार बहती है तो नदी के प्रवाह का जल रुक जाता है। स्वीटरलेण्ड में स्थित ‘आरजेलिन सी’ नामक झील प्रकार की है।
हिमोढ़ द्वारा बनी झीलें :- जब महाद्विपीय हिमनद पिघलने लगता है तो उसके द्वारा छोड़े गये हिमोढ़ विषम रूप से एकत्र होते हैं और मध्य में एकत्र हुए बर्फ के दुकड़े पिघल जाते हैं तथा वे झिल का रूप धारण कर लेते हैं।
(E) वायु निक्षेपण से बनी झीलें :- मरुस्थलीय प्रदेशों में पवन के द्वारा उड़ाकर ले जाने वाले रेत कणों के अनियमित जमाव से यत्र-तत्र गड्दे बन जाते हैं जिनमें जल भर जाता है और झील की रचना होती है।
(F) अपरदन मूलक झीलें :- नदी, हिमनद तथा वायु के अपरदन द्वारा अनेक झीलें बनती हैं जो निम्न हैं –
गोखुर या झाड़न झील :- मैदानी भाग में नदी की गति मंद होने से मोड़ बन जाते हैं। बाढ़ के समय नदी अपना मोड़दार मार्ग छोड़ कर सीधा बहने लगती हैं। इस प्रकार मोड़ में जल भर जाता है। मोड़ धनुष के आकार का होने के कारण इसे धनुषाकार झील भी कहते हैं। मिसीसिपी तथा गंगा के मैदानी भाग में ऐसी झीलें मिलती हैं।
गर्त झील :- चूना प्रदेश में जल निर्मित गर्तो का आकार बड़ा हो जाने से छत से गिर जाता है। वहाँ एक झील की रचना होती है। जैसे नैनीताल की झीलें इसी प्रकार की है।
टार्न झील :- हिमनद अपने रास्ते में कोमल चट्टानों का अधिक कटाव करता हुआ चलता है जिससे मार्ग में अनेक गढ़ु बन जाते हैं, जिनमें जल भर जाने से झील की रचना होती है। ऐसी झीले टार्न झील कहलाती है, जैसे – U.S.A. की Boss Lakes इसी प्रकार की झील है।
लैगून झील :- समुद्री लहरों तथा धाराओं के कंकड़, बालू और मिट्टी का लगातार जमाव होता रहता है। यह मलवा खाड़ी के मुहाने को अवरुद्ध कर देता है और झील की रचना होती है, जैसे भारत की चिल्का झील इसी प्रकार की झील है।
(G) मानवकृत झीले :- मानव जगत का सबसे विकासित प्राणी है। उसने बुद्धि बल से बड़े आश्चर्यक कार्य किये हैं। नदियों और पहाड़ी नदीं पर बाँध बनाकर उसने कृत्रिम झीलों का निर्माण किया है। इसमें जल-विद्युत का विकास किया जाता है और सिंचाई के लिये नहरें निकाली जाती है। इस प्रकार की झील को कृत्रिम झील कहते हैं। जैसे गोविन्द सागर एक कृत्रिम झील है।
प्रश्न 20.
महाद्वीपीय मग्नतट और महाद्वीपीय ढाल में क्या अंतर है ?
उत्तर :
महाद्वीपीय मग्नतट | महाद्वीपीय ढाल |
i. यह समुद्र तट और महाद्वीपीय ढाल के मध्य स्थित होता है। | i. यह महाद्वीपीय मग्न तथा महासागरीय नितल के मध्य स्थित होता है। |
ii. इसका ढाल बहुत मंद होता है। | ii. इसका ढाल तीव्र होता है। |
iii. इस पर केनियन और गर्त बहुत कम पाये जाते हैं। | iii. इस पर कैनियन गर्त अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। |
iv. यह छिछला सागरीय प्रदेश है। इसकी गहरा 150 मी० -200 मी० तक होती है। | iv. इसकी गहराई में विषमता पायी जाती है। यह 200 मी० – 2000 मी० तक गहरा पाया जाता है। |
v. इस पर बजरी, बालू आदि अवसाद का निक्षेप मिलता है | v. इस पर अवसाद निक्षेप बहुत ही कम मिलता है। |
प्रश्न 21.
लैब्लोडोर धारा की उत्पत्ति का क्या कारण है ? इस धारा के क्या प्रभाव हैं ?
उत्तर :
लैब्रोडोर की धारा की उत्पत्ति :- उत्तरी धुव के समीप बर्फ के पिघलने से स्वच्छ जल की पूर्ति होती है। इस स्वच्छ जल से जल का खारापन तथा घनत्व कम हो जाता है। जल हल्का होकर ऊपर उठता है जिससे जल स्तर ऊँचा हो जाता है। अत: कनाडा एवं ग्रीन लैण्ड में स्थित बेफिन की खाड़ी से एक जल धारा निकलकर लेब्रोडोर के पठार के सहारे उत्तर से दक्षिण बहती हुई न्यूफाउण्डलेण्ड के पास गल्फस्ट्रीम की धारा से मिल जाती है।
प्रभाव (A)
(i) तापमान पर प्रभाव :- इस धारा के प्रभाव से कनाडा के पूर्वी तट का तापक्रम हिमांक से नीचे चला जाता है।
(ii) वर्षा पर प्रभाव :- इस धारा के प्रभाव से कनाडा के पूर्वी तट पर कम वर्षा होती है।
(iii) कुहरा का प्रभाव :- लैबोडोर की ठण्डी धारा गल्फस्ट्रीम की गर्म धारा से मिलकर न्यूफाउण्डलैण्ड के पास कुहरा उत्पन्न करती है।
(B) वर्षा का प्रभाव :- इस धारा के साथ विशाल हिम पिण्ड बहकर आते हैं। हिमपिण्डों का 9 / 10 भाग जल के भीतर रहता है। 1 / 10 भाग ही ऊपर रहता है जो कुहरे के कारण कभी-कभी दिखायी नहीं देता ; अत: जहाज इन हिमपिण्डों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्थ हो जाते हैं।
(C) मत्स्य उद्योग पर प्रभाव :-
(i) इस धारा की उत्पत्ति उत्तरी ध्रुव के पास वर्फ के पिघलने से होती है। अत: धारा के साथ धुव प्रदेश की मछलियाँ बहकर न्यूफाउण्डलेण्ड तक पहुँच जाती है; अत: कनाडा में मछली पकड़ने का काम उन्नति पर है।
(ii) न्यूफाउण्डलैण्ड के समीप यह ठण्डी-धारा गल्फस्ट्रीम की गर्मधारा से मिलती है ; अत: मछलियों का भोजन प्लैंकटन पैदा होता है ; अतः यहाँ मत्स्य व्यवसाय उन्नति पर है।
प्रश्न 22.
गल्फस्ट्रीम की धारा की उत्पत्ति का क्या कारण है ? इस धारा का क्या प्रभाव है ?
उत्तर :
गल्फस्ट्रीम धारा की उत्पत्ति : यह अटलांटिक महासागर के मैक्सको की खाड़ी से पैदा होती है । भूमध्यरेखीय क्षेत्र में वर्ष भर तापमान ऊँचा रहता है जिसे अत्यधिक तापमान के कारण जल गर्म होकर फैलता है तथा हल्का होकर ऊपर उठता है। अत: भूमध्यरेखीय क्षेत्र में अटलांटिक महासागरीय जलस्तर उठ जाता है। साथ ही दोनों भूमध्य रेखीय धाराओं का जल मिलकर कैरेबियन सागर से होता हुआ मैक्सिको की खाड़ी में जाता है। अत: खाड़ी का जल स्तर उठ जाता है।
यह गर्म जलधारा फ्लोरिडा जल डमरू मध्य होते हुए U.S.A. के पूर्वी तट के सहारे बहती हुई गल्फस्ट्रीम की धारा कहलाती हैं। न्यूफाउण्डलेण्ड के पास यह तीन शाखाओं में बँट जाती है। इसकी एक शाखा पहुवा पवनों के सम्पर्क में आकर पूरब की ओर बहने लगती है एवं ग्रेट-बिटेन और नार्वे के पश्चिमी तट पर बहती है। इसे उत्तरी अटलांटिक ड्प्ट्ट कहते है। दूसरी शाखा विस्के की खाड़ी से प्रवाहित होती है। तीसरी शाख़ा सारगैसो सागर में बहती है जिसे वेस्ट विण्ड ड्रिपट कहते हैं। नार्वे के तटवर्ती भागों ने इसे नार्वे की धारा कहते हैं।
A. जलवायु पर प्रभाव :
1. तापक्रम पर प्रभाव :- गल्फस्ट्रीम की धारा संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वीनटट पर ब्रिटिश द्वीप समूह, नार्वे आदि देशो के ताप को बढ़ा देती है। इसी अंक्षांश पर स्थित कनाडा के पूर्वी तट पर ठण्डक पड़ती है।
2. कुहरा पर प्रभाव :- गल्फस्ट्रीम को गर्मधारा लैब्बोडोर की ठण्डी धारा से मिलकर न्यूफाउण्डलैण्ड के समीय कुहरा उत्पन्न करती है।
B. व्यापार पर प्रभाव :-
1. बन्दरगाहों का खुला रहना :- इस गर्मधारा के प्रभाव से पश्चिमी युरोप के तट पर वर्फ नहीं जमता जिससे बन्दरगाह वर्ष भर खुले रहते हैं।
2. जलयानों के वेग पर प्रभाव :- इस धारा के प्रभाव से अमेरिका के जहाजों को यूरोप पहुँचने में आसानी होती है।
3. मत्स्य व्यवसाय पर प्रभाव :- यह न्यूफाउण्डलैणड के समीप लैब्रोडोर की ठण्डी धारा से मिलती है जिससे मत्स्य उद्योग के लिए अनुकुल दशाएँ मिलती हैं। इस क्षेत्र में प्लैकटन नामक समुद्री घास की अधिकता मिलती है। यही कारण है कि न्यूफाउण्डलैण्ड में मछलियां पर्याप्त मात्रा में पकड़ी जाती है।