Students should regularly practice West Bengal Board Class 10 Hindi Book Solutions कहानी Chapter 3 चप्पल to reinforce their learning.
WBBSE Class 10 Hindi Solutions Chapter 3 Question Answer – चप्पल
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे?
उत्तर :
रंगय्या के पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
प्रश्न 2.
रंगय्या के मन में गुरुजी के प्रति कैसा भाव प्रकट हुआ ?
उत्तर :
रंगय्या के मन में गुरुजी के प्रति आदर का भाव प्रकट हुआ।
प्रश्न 3.
रंगय्या की बस्ती में क्या दुर्घटना हो गई थी ?
उत्तर :
रंगख्या की बस्ती में दुर्घटना घटी कि न जाने कैसे उसकी पल्ली (बस्ती) में भीषण रूप में आग लग गयी थी।
प्रश्न 4.
रंगय्या ने चप्पल को कैसे बचाया ?
उत्तर :
रंगय्या ने आग में कूद कर मास्टर साहब की चपल को बचाया।
प्रश्न 5.
रंगय्या की सारी आशाएँ किस पर टिकी हुई थीं ?
उत्तर :
रंगय्या की सारी आशाएँ बेटे रमण पर थीं।
प्रश्न 6.
मास्टर साहब का व्यक्तित्व कैसा था ?
उत्तर :
मास्टर साहब का व्यक्तित्व दूसरों को प्रभावित करने वाला था – गोरा शरीर, सिर पर छोटी-सी चोटी, ललाट पर भस्म की रेखाएँ, चंदन का तिलक, धोबी की धुली हुई धोती तथा कंधे पर खादी की दुशाला।
प्रश्न 7.
रंगय्या ने भगवान वेंकटेश्वर से क्या प्रार्थना की?
उत्तर :
“हे भगवान ! मेरे बच्चे का उद्धार करो । उसको खूब पढ़ना-लिखना आ जाए। उसको तुम्हारी शरण में ले आऊंगा । उसके बाल तुम्हें अर्पित करूंगा अपने भी ।”
प्रश्न 8.
रंगय्या के कदम स्कूल की ओर क्यों चल पड़े?
उत्तर :
रंगय्या अपने बेटे रमण को पढ़ते देखना चाहता था तथा मास्टर साहब के दर्शन भी करना चाहता था इसलिए उसके कदम स्कूल की ओर चल पड़े।
प्रश्न 9.
‘चमल’ कहानी के कहानीकार कौन हैं ?
उत्तर :
कावुदूरि वेंकट नारायणराव।
प्रश्न 10.
कावुदूरि वेंकट नारायणराव किस भाषा के रचनाकार हैं ?
उत्तर :
दक्षिण भारतीय भाषाओं के।
प्रश्न 11.
रंग्य्या किस कहानी का पात्र है ?
उत्तर :
‘चण्पल’ कहानी का।
प्रश्न 12.
रंगय्या क्या काम करता था ?
उत्तर :
रंगय्या चफल सिलने तथा मरम्मरत करने का काम करता था।
प्रश्न 13.
रमण किस कहानी का पात्र है ?
उत्तर :
‘चप्पल’ कहानी का।
प्रश्न 14.
रमण किसका पुत्र है ?
उत्तर :
रंगय्या का।
प्रश्न 15.
रंगय्या किसका मन कभी नहीं दुखाता है ?
उत्तर :
रंगय्या अपने बेटे रमण का मन कभी नहीं दुखाता है।
प्रश्न 16.
रंगय्या ने रमण को कितने पैसे दिए?
उत्तर :
पाँच पैसे।
प्रश्न 17.
रंगय्या ने किस गर्व का अनुभव किया ?
उत्तर :
रंगय्या ने इस गर्व का अनुभव किया कि उसके भी एक बेटा है जो दूसरे की समय व्यर्थ न गंवा कर कुछ पढ़ना-लिखना सीख रहा है।
प्रश्न 18.
रंगय्या की सारी आशाएँ किस पर है ?
उत्तर :
बेटे रमण पर।
प्रश्न 19.
रंगय्या बेटे से क्या चाहता है ?
उत्तर :
रंगय्या बेटे से यह चाहता है कि वह खूब पढ़े, बड़ा आदमी बनकर अपने कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
प्रश्न 20.
रमण की खुशनसीबी क्या थी ?
उत्तर :
रमण की खुशनसीबी यह थी कि मास्टर साहब अपने यहाँ उसको खाना देकर पढ़ा-लिखा रहे हैं।
प्रश्न 21.
रंगय्या का हृदय किसके प्रति कृतज्ञता से भर गया ?
उत्तर :
रंगय्या का हुंदय मास्टर साहब के प्रति कृतज्ञता से भर गया।
प्रश्न 22.
मास्टर साहब के चप्पल कैसे थे ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चपल बड़े ही मामूली थे।
प्रश्न23.
रंगय्या को मास्टर साहब के चप्पल कैसे लगे?
उत्तर :
महिमान्वित या एकदम परम पवित्र।
प्रश्न 24.
रंगय्या की जेब में कुल कितने पैसे थे ?
उत्तर :
छ: रुपये बीस पैसे।
प्रश्न 25.
क्या देखकर रंगय्या की खुशी का ठिकाना न रहा ?
उत्तर :
जेब में छ: रुपये बीस पैसे देखकर रंगय्या की खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न 26.
रमण का स्कूल कैसे मकान में था ?
उत्तर :
रमण का स्कूल छोटे-से खपरैली मकान में था।
प्रश्न 27.
रंगय्या किसे बूंढ़ रहा था ?
उत्तर :
रंगय्या रमण के मास्टर साहल को ढूंढ रहा था।
प्रश्न 28.
रमण किस क्लास में पढ़ता था ?
उत्तर :
पहली क्लास में।
प्रश्न 29.
पहली क्लास के बच्चे क्या याद कर रहे थे ?
उत्तर :
बारह खड़ी।
प्रश्न 30.
किसके भाग्य में पढ़ना-लिखना नहीं बदा था ?
उत्तर :
रंगय्या के भाग्य में पढ़ना-लिखना नहीं बदा था।
प्रश्न 31.
स्टूल पर बैठे मास्टर साहब बच्चों से क्या करवा रहे थे ?
उत्तर :
पाठ कंठस्थ करवा रहे थे।
प्रश्न 32.
‘पेद्ध बाल शिक्षा’ क्या है ?
उत्तर :
तेलुगु बच्चो की प्रथम पुस्तक।
प्रश्न 33.
मास्टर साहब को किस बात की उम्मीद नहीं थी ?
उत्तर :
मास्टर साहब को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि रंगय्या इस प्रकार झुककर उनके पाँव छुएगा।
प्रश्न 34.
‘कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा’ – वक्ता कौन है ?
उत्तर :
रमण के मास्टर साहब।
प्रश्न 35.
‘मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ’ – कौन, किसे अपना बच्चा समझता है ?
उत्तर :
मास्टर साहब रंग्या के बेटे रमण को अपना बच्चा समझते हैं।
प्रश्न 36.
रंगय्या को किसकी बातें अमृत के समान लगीं ?
उत्तर :
रंगय्या को मास्टर साहब की बाते अमृत के समान लगीं।
प्रश्न 37.
रंगय्या को कौन-सी जगह स्वर्गधाम-सी लगी ?
उत्तर :
रंगय्या को रमण का स्कूल स्वर्गधाम-सा लगा।
प्रश्न 38.
रंगय्या ने बेटे के बारे में क्या सोचा ?
उत्तर :
रंगय्या ने बेटे के बारे में यह सोचा कि वह बड़ा भाग्यवान है।
प्रश्न 39.
किसके भोलेपन पर अध्यापक को हँसी आ गई ?
उत्तर :
रंगय्या के भोलेपन पर अध्यापक को हैसी आ गई।
प्रश्न 40.
किसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे ?
उत्तर :
रंगय्या के पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
प्रश्न 41.
वह बहुत-कुछ पढ़ लेगा – ‘वह’ से कौन संकेतित है ?
उत्तर :
रंगय्या का बेटा रमण।
प्रश्न 42.
रंगय्या की झोपड़ी कहाँ थी ?
उत्तर :
थियेटर के सामने वाली झोपड़ियों के बीच।
प्रश्न 43.
किसकी झोपड़ी को इमारत जैसा कहा गया है ?
उत्तर :
रंग्या की झोपड़ी को।
प्रश्न 44.
रंगय्या का सिर क्यों चकरा-सा रहा था ?
उत्तर :
धूप में चलने के कारण।
प्रश्न 45.
किसके प्रति रंगय्या की बड़ी भक्ति थी ?
उत्तर :
भगवान वेंकटेश्वर के प्रति रंगय्या की बड़ी भक्ति थी।
प्रश्न 46.
रंगय्या को मामा कहने वाली लड़की का नाम क्या है ?
उत्तर :
पोली।
प्रश्न 47.
पोली की उम्र क्या है ?
उत्तर :
दस साल।
प्रश्न 48.
पोली ने रंगय्या से क्या कहा ?
उत्तर :
आज माँ की तबीयत ठीक नहीं है। आज खाना नहीं बना सकेगी।
प्रश्न 49.
बिल्कुल नया रूप हो गया – किसका रूप बिल्कुल नया हो गया ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चप्पलों का रूप बिल्कुल नया हो गया।
प्रश्न 50.
मास्टर साहब के चप्पलों की मरम्पत में रंगय्या को कितना समय लगा ?
उत्तर :
एक घंटा।
प्रश्न 51.
रंगय्या के बारे में कौन-सी बात सबको मालूम है ?
उत्तर :
रंगय्या नई चण्पलें बनाने का या पुराने को नया बनाने में माहिर हैं।
प्रश्न 52.
गंगा किस कहानी की पात्र है ?
उत्तर :
‘चप्पल’।
प्रश्न 53.
गंगा क्या करती है ?
उत्तर :
प्लेटफार्म पर छोटा-सा होटल चलाती है।
प्रश्न 54.
पल्ली (बस्ती) में आग लगने की सूचना रंगय्या को किसने दी ?
उत्तर :
नारिगा ने।
प्रश्न 55.
क्या सुनकर रंगय्या का दिल एकदम बैठ गया ?
उत्तर :
पल्ली में आग लगने की खबर सुनकर रंगय्या का दिल एकदम बैठ गया।
प्रश्न 56.
रंगब्या की पल्ली में आग कितने बजे लगी ?
उत्तर :
शाम के चार बजे।
प्रश्न 57.
रमण अपने पिता के पास किसके चप्पल मरम्पत के लिए लाया था ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चप्पल।
प्रश्न 58.
जाने वह किस आवेश में था – पंक्ति कस पाठ से ली गई है ?
उत्तर :
‘चपल’ पाठ से।
प्रश्न 59.
दमकलवालों ने सबसे पहले किसके घर की आग बुझाई ?
उत्तर :
रंगय्या के घर की।
प्रश्न 60.
कौन-सी खबर आग की तरह फैल गई ?
उत्तर :
रंगय्या जल गया।
प्रश्न 61.
एकाएक उसका काम रुक गया – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर :
‘चप्पल’ पाठ से।
प्रश्न 62.
रमण को कौन-सी चीजें मुफ्त दी गई थी ?
उत्तर :
तेलगु की पहली पुस्तक, पाटी, पहाड़े आदि चीजें।
प्रश्न 63.
‘बहुत अच्छा ! बहुत अच्छा !!’ – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर :
‘चण्पल!’
प्रश्न 64.
वह उसी की तरफ देख रहा था – कौन, किसकी तरफ देख रहा था ?
उत्तर :
रंगय्या धूल उड़ाकर आगे निकल गई काली मोटर की ओर देख रहा था।
प्रश्न 65.
संसार बहुत कुछ बदल गया – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर :
चफल।
प्रश्न 66.
उसकी आँखों में उतावलापन दिख रहा था – किसकी आँखों में उतावलापन दिख रहा था?
उत्तर :
रमण की आँखों में।
प्रश्न 67.
किसे सारी दुनिया पाँच पैसे के रूप में दिखने लगी ?
उत्तर :
रंगय्या के बेटे रमण को।
प्रश्न 68.
उससे रहा नहीं गया – पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर :
‘चपल’ पाठ से।
प्रश्न 69.
रमण की उप्र कितनी थी ?
उत्तर :
आठ वर्ष।
प्रश्न 70.
रंगय्या की दो इच्छाएँ क्या थीं ?
उत्तर :
रंगय्या की पहली इच्छा थी – रमण को पढ़ाने वाले मास्टर साहब को साष्टांग प्रणाम करना, दूसरी इच्छा थी – बेटे रमण की पढ़ाई के बारे में जानना।
प्रश्न 71.
रंगध्या के लिए सबसे बड़ा काम क्या था ?
उत्तर :
रंगय्या के लिए सबसे बड़ा काम यह था कि मास्टर साहब के चपलों की मरम्मत करके बिल्कुल नये जैसे बना देना :
प्रश्न 72.
रेलवे प्लेटफार्म पर होटल कौन चलाती है ?
उत्तर :
गंगी।
प्रश्न 73.
रंगय्या के निकलते हुए प्राणों को किसने देखा होगा ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चण्पलों ने।
प्रश्न 74.
मास्टर साहब ने रंगय्या से रमण के बारे में क्या कहा ?
उत्तर :
मास्टर साहब ने रमण के बारे में रंगय्या से कहा कि” रमण की चिन्ता न करो। वह बहुत बड़ा आदमी बन जाएगा। तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा।”
प्रश्न 75.
रंगय्या को मास्टर साहब की कौन-सी बातें अमृत के समान लगी ?
उत्तर :
मास्टर साहब का यह कहना है कि, ” रमण तुम्हारा बच्चा नहीं, मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ। तुम उसकी चिंता न करो ! उसका सारा भार मुझपर छोड़ दो।”
प्रश्न76.
“उसका सारा भार मुझपर छोड़ दो” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है?
उत्तर :
‘चपल’ कहानी से उद्दत है।
प्रश्न 77.
रंगय्या को किन लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं है ?
उत्तर :
रंगय्या को शराबी तथा गंदे लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं है।
प्रश्न 78.
रंगय्या की झोपड़ी में किसकी तस्वीर लगी हुई थी ?
उत्तर :
भगवान वेकटेश्वर की।
प्रश्न 79.
‘चप्पल’ कहानी का हिंदी अनुवाद किसने किया है ?
उत्तर :
दण्डमूडि महीधर ने।
प्रश्न 80.
रंगय्या के लिए जलती झोपड़ी में सबसे बहुमूल्य वस्तु क्या थी ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चप्पल।
प्रश्न 81.
कौन-सा दृश्य देखकर लोग भय-कम्पित हो गए ?
उत्तर :
जला हुआ रंग्या मुँह के बल गिरा हुआ था।
प्रश्न 82.
रंगय्या ने मास्टर साहब के चप्पलों को आँखों से क्यों लगाया ?
उत्तर :
परम पवित्र मानने के कारण।
प्रश्न 83.
गंगा खाने की कीमत क्यों बढ़ाना चाहती थी?
उत्तर :
चावल की कीमत बढ़ जाने के कारण गंगा खाने की कीमत बढ़ाना चाहती थी।
प्रश्न 84.
रंगय्या की कौन-सी इच्छा बढ़ती जा रही थी ?
उत्तर :
रंगय्या की यह इच्छा बढ़ती जा रही थी कि वह स्कूल जाकर देखे कि उसका बेटा रमण कैसे पढ़ रहा है।
प्रश्न 85.
रंगय्या के किस सवाल पर अध्यापक ने आश्चर्य किया ?
उत्तर :
जब रंगय्या ने अध्यापक से यह पूछा कि, “क्या मैं भी पढ़ सकता हूँ ?” – तो इस पर उन्होने आश्चर्य किया।
प्रश्न 86.
किसके मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे ?
उत्तर :
रंगय्या के मन में तरह-तरह के विचार उठने लगे।
प्रश्न 87.
“क्या हुआ है तेरी माँ को'” ? – वक्ता और श्रोता कौन हैं ?
उत्तर :
वक्ता रंगय्या तथा श्रोता पोली है।
प्रश्न 88.
“यहाँ पर कोई शराब पीता है” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है?
उत्तर :
‘चपल’ कहानी से उद्धत है।
प्रश्न 89.
रंगय्या किन लोगों के बीच रहते हुए भी उनसे अलग था ?
उत्तर :
रंगय्या शराबी और गंदे लोगों के बीच रहते हुए भी उनसे अलग था।
प्रश्न 90.
रंगय्या ने मास्टर साहब के पास कितने रुपये जमा किए थे ?
उत्तर :
दो सौ चार रुपये।
प्रश्न 91.
रंगय्या जलते घर में क्यों कूद गया ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चष्पलों को बचाने के लिए रंगय्या जलते घर में कूद गया।
प्रश्न 92.
रंगय्या को किसकी बातें अमृत के समान लगी ?
उत्तर :
रंगय्या को मास्टर साहब की बातें अमृत के समान लगी।
प्रश्न 93.
रमण अपने पिता के पास किसके चप्पल मरम्पत कराने के लिए लाया था ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चप्पल मरम्मत कराने के लिये लाया था।
प्रश्न 94.
रंगय्या के लिए सबसे बड़ा काम क्या था ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चप्पलों की मरम्मत करना।
प्रश्न 95.
रंगय्या की झोपड़ी के चारों तरफ कैसे लोग रहते थे ?
उत्तर :
निम्न श्रेणी के, गंदे रहनेवाले तथा शराबी।
प्रश्न 96.
रंगय्या के लिए सबसे बड़ा काम क्या था ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चपलों की मरम्मत करना
प्रश्न 97.
रंगय्या का दिल क्यों बैठ गया ?
उत्तर :
पल्ली में आग लगने की बात सुनकर रंगय्या का दिल बैठ गया।
प्रश्न 98.
रंगय्या किसे बड़े गौर से देख रहा था ?
उत्तर :
रंगय्या मास्टर साहब के चपलों को बड़े गौर से देख रहा था।
प्रश्न 99.
‘अटारी’ किसे कहते हैं ?
उत्तर :
दीवार में बने सामान रखने की जगह को अटारी कहते हैं।
प्रश्न 100.
रंगय्या जलती झोपड़ी में क्या निकालने के लिए घुस गया ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चपल निकालने के लिए रंगय्या जलती झोपड़ी में घुस गया।
प्रश्न 101.
“दादा-परदादा के जमाने के दीख रहे है”‘- कौन किसके बारे में कह रहा है ?
उत्तर :
रंगय्या मास्टर साहब के चपलों के बारे में कह रहा है।
प्रश्न 102.
यह उसके लिए दुनिया की सबसे कीमती चीज थी – कौन-सी चीज, किसके लिए कीमती थी?
उत्तर :
मास्टर साहब के चप्पल रंगय्या के लिए सबसे कीमती चीज धी।
प्रश्न 103.
रंगय्या के मन में क्या विचार आया ?
उत्तर :
रंगय्या के मन में यह विचार आया कि एकबार मास्टर साहब के सामने जाकर साप्टांग प्रणाम किया जाय।
प्रश्न 104.
किसका, किसके बजाय किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं है ?
उत्तर :
रंगय्या का चपलें सीने के बजाय किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं है।
प्रश्न 105.
रंगय्या कितने वर्षों से कौन-सा पेशा करता आ रहा है ?
उत्तर :
रंगय्या पचास वर्षों से चप्पलें सीने का पेशा करता आ रहा है।
प्रश्न 106.
कितने बचचों के मर जाने के बाद रमण पैदा हुआ था ?
उत्तर :
पाँच बच्चों के मर जाने के बाद।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1 : ‘चण्मल’ कहानी के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 2 : चणल’ कहानी का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण करें।
अथवा
प्रश्न 3 : चचप्पल’ कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया है? उसकी चारित्रिक विशेषताओं को लिखें।
अथवा
प्रश्न 4 : ‘चपल’ कहानी के आधार पर रंगय्या का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर :
रंगय्या कावुदूरि वेंकट नारायणराव की कहानी ‘चपल’ का प्रमुख पात्र है। उसके चरित्र ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। वह समाज के उस वर्ग से है जिसे अछूत समझा जाता है। इस वर्ग से होने के बावजूद वह शिक्षा के माध्यम से अपने-आपको समाज में प्रतिष्ठित करना चाहता है।
रंगय्या के चरित्र की जिन विशेषताओं ने मुझे प्रभावित किया है, वे निम्नांकित हैं –
(क) सीधी-सादी जिंदगी जीने वाला : रंगय्या पेशे से चर्मकार है। वह पिछले पचास वर्षो से चपलें मरम्मत करने का कार्य करता आ रहा है। यही उसकी दुनिया है तथा दूसरी दुनिया से उसे कोई वास्ता नहीं है। इन पचास वर्षों में दुॉनया इतनी बदल गई लेकन उसके जीवन, पेशे तथा उसकी दुनिया वैसी की वैसी ही चल रही है।
(ख) पुत्र के लिए अपार प्रेम : अपने एकलौते बेटे रमण के लिए उसके दिल में अपार प्रेम है। पाँच बच्चों के मर जाने के बाद यही रमण जीवित रहा। रमण को जन्म देने के बाद उसकी माँ भी चल बसी। अब रंगय्या ही रमण की माँ और बाप-दोनो ही है। रमण ही उसके जीवन का एकमात्र आधार है। इन सब कारणों से बेटे रमण के लिए उसके दिल में अपार प्रेम है।
(ग) शिक्षक के प्रति अपार श्रद्धा : रंगय्या स्वयं तो अनपढ़ है लेकिन शिक्षकों के लिए उसके मन में अपार श्रद्धा है। रमण के मास्टर साहब जाति-पांति का भेदभाव किए रमण को अपने पास रखकर पढ़ा-लिखा तो रहे ही हैं उसके भोजन तथा पुस्तकों का भी ध्यान रखते हैं। रंगय्या इसलिए कबीर की तरह सोचता है कि गुरू का त्रुण किसी भी रूप में नहों चुकाया जा सकता –
राम नाम वे पटंतरै देवै को कछु नाहिं।
क्या लै गुरू संतोखिये हौंस रही मन मांहि।।
(घ) शिक्षा पाने के लिए ललायित : रंगय्या अनपढ़ है। उसकी उम्र पचास वर्षों से अधिक की है फिर भी वह पढ़ना-लिखना चाहता है। इस बारे में वह रमण के स्कूल के एक अध्यापक से बातें भी करता है। इस उप्र में अपने पढ़ाई शुरू करने के बारे में काफी उधेड़बुन के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है –
‘सबको पढ़ना-लिखना चाहिए।
बड़ी उप्र हो गई तो क्या हुआ?”
इतना ही नहीं वह मास्टर साहब के उपकार के बारे में कहता है – “मैं अपना चमड़ा उतारकर चप्पल बना के दूंगा, फिर भी आपका ॠण नहीं चुका सकूँगा साब।”
(ङ) अच्छी जिंदगी जीने की इच्छा : रंगय्या जिस बस्ती में रहता है वहाँ सब निचले तबके के ही लोग रहते हैं तथा अपनी स्थिति को सुधारने के बारे में कभी नहीं सोचते लेकिन रंगय्या ऐसी जिंदगी से बेहतर जिंदगी चाहता है। इसीलिए रंगयय्या को अपनी बस्ती के ऐसे लोगों के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं है।
(च) कुशल कारीगर : रंगय्या की ख्याति एक कुशल कारीगर के रूप में है। पुरानी से पुरानी चप्पलों की भी ऐसी मरम्मत करता है कि वे नई लगने लगती है। मास्टर साहब की टूटी-फूटी चपलो की वह ऐसी मरम्मत करता है कि उसकी सुंदरता पर स्वयं मुग्ध हो जाता है।
(छ) बचत करने वाला : रंगय्या की जो कमाई होती है वह बस्ती के अन्य लोगों की तरह उन पैसों को शराब में नहीं उड़ाता है। वह उन पैसों को रमण के मास्टर साहब के पास जमा करता जाता है ताकि वे पैसे भविष्य में रमण के काम आ सके।
(ज) बेटे के भविष्य के सुनहले स्वप्न देखने वाला :रंगया चाहता है कि उसका बेटा रमण खूब पढ़े-लिखे। बड़ा आदमी बने तथा कुलवालों में अच्छा नाम कमाए। जब मास्टर साहब कहते हैं कि,”वह बहुत बड़ा आदमी बन जाएगा। तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा।” रंगय्या उन दिनों के बारे में पूछता है – ‘क्या वह दिन मैं देख सकूँगा?'”
(झ) वचन निभाने वाला : रंगय्या अपने वचन को निभाना जानता है उसने मास्टर साहब के चपलों की मरम्मत करके शाम तक देने का वचन दिया है। सही समय पर चप्पलों की मरम्मत करके अपनी झोपड़ी में अटारी में रख दी। बस्ती में आग लगने से उसकी झोपड़ी भी आग की चपेट में आ जाती है। अपने वचन को निभाने के लिए वह जलती झापड़ी में चला जाता है। चणलें तो सुरक्षित रह जाती है लेकिन वह इस दुनिया से विदा हो जाता है। इस प्रकार अपने प्राण देकर भी वह वचन की रक्षा करता है।
दरअसल रंगय्या आधुनिक भारत का वह चरित्र है जिसके बारे मेंस्वामी विवेकानंद ने कहा था –
“शुद्र-शक्तियों से नवीन भारत एवं यथार्थ भारतीयता की किरणें फूटेंगी। वे ही भविष्य के ब्वाह्माण, क्षत्रिय हैं। ……… चिरकाल तक लड़कर ब्राह्मण-क्षत्रिय पस्त हो गए हैं ……….. उनका कार्य अब वे जातियाँ करेंगी जो अब तक सेवा करती आयी है।”
प्रश्न 5 : ‘चप्यल’ कहानी में लेखक के व्यक्त विचारों को अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 6 : ‘चष्पल’ कहानी के माध्यम से लेखक ने हमें क्या संदेश देना चाहा है?
अधवा
प्रश्न 7 : ‘चण्पल’ कहानी के उदेश्य पर प्रकाश डालें।
अथवा
प्रश्न 8 : ‘चप्पल’ कहानी के शीर्षक के औचित्य या सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
अथवा:
प्रश्न 9 : ‘चषल’ कहानी का मूल भाव अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 10 : ‘चष्पल’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
अथवा
प्रश्न 11 : ‘चण्मल’ कहानी दिशा-निर्देशक की भांति है – अपने विचार लिखें।
अथवा
प्रश्न 12: ‘चप्पल’ कहानी का उह्देश्य गुरू और शिष्य के रिश्तों की प्रासंगिकता पर आधारित है अपने विचार लिखें।
अधवा
प्रश्न 13 : ‘चण्पल’ कहानी रिश्तों को मजबूत बनाने वाली कहानी है – विवेचना करें।
उत्तर :
‘कावुदूरि वेंकट नारायणराव की कहानी ‘चप्पल’ गुरू तथा शिष्य के संबंधों पर आधारित एक आदर्शवादी कहानी है। यह हमें प्राचीन भारत की गुरू-शिष्य के संबंधों की दुनिया में ले जाती है।
प्रस्तुत कहानी में मास्टर साहब उच्च जाति के हैं लेकिन रमण जाति से चर्मकार है जिसे अछूत माना जाता है। फिर भी मास्टर साहब बिना किसी भेद्भाव के उसे पढ़ाते-लिखाते हैं, उसके भोजन तथा पुस्तकों की भी व्यवस्था करते हैं। वह रमण को अपने पुत्र की तरह ही प्रेम देते हैं। वह रमण के पिता रंग्या जो चप्पलें मरम्मत करने का काम करता है उसे कहते हैं-
“रमण तुम्हारा बच्चा नहीं, मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ। तुम उसकी चिंता न करो। उसका सारा भार मुझ पर छोड़ दो।”
अपने इस उपकार के बदले वे रंगय्या से कुछ लेना भी नहीं चाहते। इतना ही नहीं, वह रंगय्या द्वारा पैर छूने पर उसे इस काम के लिए मना भी करते हैं – “‘तुम यह क्या कर रहे हो रंगय्या? कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा……
रंगय्या को मास्टर साहब पर इतना विश्वास है कि वह अपनी कमाई के बचाए हुए रुपये भी उनके पास जमा करता है।
रंगय्या मास्टर साहब के टूटे चप्पलों को बड़ी हसरत से ठीक करता है, उन्हें फिर से नई बना देता है। वह अपने हाथों से उन्हें पहनाना चाहता है लेकिन वह इस हसरत को लिए हुए ही दुनिया से विदा हो जाता है। झोपड़ी में लगी आग से तो चप्पलो को बचा लेता है लेकिन स्वय झुलस कर मर जाता है। रमण की सारी जिम्मेवारी मास्टर साहब पर आ जाती है।
इस प्रकार हम पाते हैं कि इस कहानी के माध्यम से लेखक ने एक सच्चे गुरू-शिष्य की आर्दशवादी पंरपरा को हमारे सामने रखना चाहा है। वह पररपरा जिसके अंतर्गत – कबीर, तुलसी, चन्द्रगुप्त, स्वामी विवेकानंद जैसी महान विभूतियों को उनके गुरु ने सजाया-संवारा था। गुरू और शिष्य के इस भेद-भाव रहित रिश्ते को दर्शाना ही लेखक का उद्देश्य है। उन्होंने जो संदेश देना चाहा है अगर उसे कबीर के शब्दों में कहें तो –
“कबीर गुर गरवा मिल्या, रलि गया आटैं लूंण।”
अर्थात् मुझे गौरवमय गुरूदेव मिल गए, उन्होंने अपने ज्ञान-स्वरूप में मुझे इसी प्रकार एक कर लयया, अपने मे मिला लिया जैसे आटे मे नमक मिल जाता है। इस कहानी की शुरूआत चप्पलों से होकर चप्पलों पर ही खत्म होती है, इसलिए इसका शीर्षक भी बिल्कुल सार्थक एवं उपयुक्त है।
प्रश्न 14 : ‘चफ्पल’ कहानी के मास्टर साइब का चरित्र-चित्रण करें।
अधवा
प्रश्न 15 : चप्पल’ कहानी के जिस पात्र ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया है उसका चरित्र-चित्रण करें।
अधवा
प्रश्न 16 : ‘चप्य’ कहानी के मास्टर साइब एक आदर्श शिक्षक हैं – अपने विचार लिखें। अथवा अथवा
प्रश्न 18 : ‘चपल’ के मास्टर साहब एक आदर्श शिक्षक के प्रतीक है – अपने विचार लिखें।
उत्तर :
‘चपल’ कहानी में मास्टर साहब का चरित्र एक प्रभावशाली चरित्र हैं। उनमें एक आदर्श शिक्षक के सारे गुण है। यही कारण है कि उनके चरित्र ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। मास्टर साहब की चारित्रिक विशेषताओं को इन शीर्षकों के अंतर्गत रखा जा सकता है –
(क) प्रभावशाली व्यक्तित्व : मास्टर साहब का प्रभावशाली व्यक्तित्व किसी को अपनी और आकष्षित कर सकता है – गोरा-गोरा शरीर, सिर पर एक छोटी-सी चोटी, मस्तक पर भस्म की रेखाएँ, बन्दन का तिलक, धोबी की धुली हुई धोती और कंधे पर खादी की दुशाला।
(ख) जाति-पांति के भेदभाव से ऊपर : मास्टर साहब के वर्णन से प्रतीत होता है कि वे लाह्यण है। उच्च जाति क होने के बावजूद उनमें जाति-पांति के आधार पर भेदभाव की कोई भावना नहीं है। जाति से चर्मकार रमण को वे अपने बेंटे की तरह मानते ही नहीं है, अपनी रसोई में खाना खिलाते व साथ बिठाकर पढ़ाते-लिखाते भी हैं। वे अपना सारा ज्ञान रमण को दे डालना चाहते हैं। ऐसे ही गुरू एवं रमण के जैसे शिष्य के बारे में कबीर ने लिखा है –
गुरू तो ऐसा चाहिए सिख से कछु नहिं लेय।
सिस तो ऐसा चाहिए गुरू को सब वुन्छ देय।।
(ग) कर्त्तव्यनिष्ठा व समर्पण : मास्टर साहब में अपने कर्त्तव्य के प्रति पूरी-पूरी निष्ठा व समर्पण का भाव है। वे वच्चों की शिक्षा के पीछे काफी परिश्रम करते हैं तथा अपने कर्त्तव्य के प्रति पूरी तरह समर्पित है। एक आदर्श शिक्षक की तरह वे अपने छात्रों से मधुर संबंध रखते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करते हैं तथा पिता की तरह स्नेह करते हैं। इस गुण का पता उनके निम्नलिखित कथन से लग जाता है –
”तुम उसकी चिन्ता न करो ! उसका सारा भार मुझ पर छोड़ दो ! वह बहुत बड़ा आदमी बन जाएगा।”
(घ) आदर्श शिक्षक : आशावादी दृष्टिकोण, प्रशासनिक योग्यता, मनोवज्ञान का ज्ञान, समाज की आवश्यकताओं का ज्ञान, विनोदी स्वभाव, दूरदर्शिता, मिलनसार प्रवृत्ति, अपने कार्य के प्रति आस्था, प्रभावशाली व्यक्तित्च आदि एक आदर्श शिक्षक के गुण होते हैं। मास्टर साहब में ये सारे गुण हैं तथा वे आदर्श शिक्षक की श्रेणी में आते हैं।
(ङ) गुरु-शिष्य की प्राचीन परंपरा : प्राचीन काल में गुरु और शिष्य का संबध पिता-पुत्र के सबंध से बढ़कर होता था। आज शिक्षा एक व्यवसाय का रूप लेती जा रही है इसलिए शिक्षकों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। ऐसे परिवर्तन के दौर में भी मास्टर साहब इन सबसे अछूते हैं तथा वे अपनी भूमिका का निर्वाह अच्छी तरह से कर रहे हैं।
विश्व के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था – “विद्यार्थियों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनंद जगाना ही एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है।’ – और इस कथन के आधार पर मास्टर साहब में ये सारे महत्वपूर्ण गुण हैं, इसलिए उनके व्यक्तित्व ने पूरी कहानी में मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रमण कितने बच्चों के बाद पैदा हुआ था ?
(क) दो
(ख) तौन
(ग) पाँच
(घ) सात
उत्तर :
(ग) पाँच
प्रश्न 2.
‘चिल्लर’ का अर्थ क्या है ?
(क) छुटे पैसे
(ख) रुपये
(ग) खोटा सिक्का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) छुट्टे पैसे
प्रश्न 3.
रंगय्या ने चप्पल कहाँ रखी थी ?
(क) अटारी पर
(ख) अलमारी में
(ग) आँगन में
(घ) पेटी पर
उत्तर :
(क) अटारी पर
प्रश्न 4.
रंगय्या किस कहानी का पात्र है ?
(क) उसने कहा था
(ख) चप्पल
(ग) नमक
(घ) धावक
उत्तर :
(ख) चम्पल।
प्रश्न 5.
‘चप्पल’ कहानी के लेखक कौन हैं ?
(क) कृष्ण सोबती
(ख) शिवमूर्ति
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) कावुरूरि वेंकट नारायणराव
उत्तर :
(घ) कावुदूरि वेंकट नारायणराव।
प्रश्न 6.
‘चप्पल’ कहानी के अनुवादक कौन हैं ?
(क) शैल रस्तोगी
(ख) डॉ० रामकुमार वर्मा
(ग) द्णमूडि महीधर
(घ) गुलेरी
उत्तर :
(ग) दण्डमूडि महीधर।
प्रश्न 7.
किसका मुँह एकदम चमक उठा ?
(क) मास्टर साहब का
(ख) रमण का
(ग) पोली का
(घ) रंग्या का
उत्तर :
(घ) रंगय्या का।
प्रश्न 8.
रंगय्या किसे बड़े गौर से देख रहा था ?
(क) रमण को
(ख) काली कार को
(ग) चप्यलों को
(घ) मास्टर साहब को
उत्तर :
(ग) चप्पलों को।
प्रश्न 9.
किसे किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं ?
(क) रंगय्या को
(ख) रमण को
(ग) पोली को
(घ) मास्टर साहब को
उत्तर :
(क) रंगय्या को।
प्रश्न 10.
रंगय्या कितने सालों से चण्ले मरम्मत करने का काम करता आ रहा है ?
(क) तीस सालों से
(ख) चालीस सालों से
(ग) पचास सालों से
(घ) दस सालो से
उत्तर :
(ग) पचास सालों से।
प्रश्न 11.
किसकी जिंदगी मे किसी तरह का परिवर्तन नहीं आया ?
(क) मास्टर साहब
(ख) लेखक
(ग) अध्यापक
(घ) रंगय्या
उत्तर :
(घ) रंगय्या।
प्रश्न 12.
“मुझे क्या मालूम ?” – वक्ता कौन है ?
(क) रमण
(ख) रंगय्या
(ग) पोली
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
रमण।
प्रश्न 13.
‘झुर्रियों की परतें खुल गयीं’ – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है ?
(क) दादी अम्मा
(ख) चप्यल
(ग) नमक
(घ) धावक
उत्तर :
(ख) चप्पल।
प्रश्न 14.
“अभी चाहिए ____जल्दी” ____ वक्ता कौन है ?
(क) रमण
(ख) मास्टर साहब
(ग) पोली
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) रमण।
प्रश्न 15.
रंगय्या कभी भी किसका मन नहीं दुखाता ?
(क) मास्टर साहब का
(ख) अपने प्राहकों का
(ग) रमण का
(घ) मुहल्लेवालों का
उत्तर :
(ग) रमण का।
प्रश्न 16.
रंगय्या की सारी आशाएँ किस पर हैं ?
(क) मास्टर साहब पर
(ख) रमण पर
(ग) पैसे पर
(घ) पोली पर
उत्तर :
(ख) रमण पर।
प्रश्न 17.
‘चटसार’ का अर्थ है –
(क) ट्चूशन
(ख) संगीत विद्यालय
(ग) पाठशाला
(घ) छोटे बच्चों की पाठशाला
उत्तर :
(घ) छोटे बच्चों की पाठशाला।
प्रश्न 18.
रंगघ्या चाहता है कि रमण –
(क) खूब पढ़े
(ख) उससे भी अच्छी चण्पल बनाए
(ग) खेती करे
(घ) नही पढ़े
उत्तर :
(क) खूब पढ़े।
प्रश्न 19.
“ऐसा करूँगा कि मास्टर साहब याद रखें’ – वक्ता कौन है ?
(क) पोली
(ख) रंगय्या
(ग) रमण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) रंगय्या।
प्रश्न 20.
‘इनको ठीक कर दूँगा” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है ?
(क) चषल
(ख) उसने कहा था
(ग) नन्हूा संगीतकार
(घ) धावक
उत्तर :
(क) चपल।
प्रश्न 21.
“अन्दर आने का साहस नहीं हुआ” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है ?
(क) उसने कहा था
(ख) धावक
(ग) चषल
(घ) नन्हा संगीतकार
उत्तर :
(ग) चप्यल।
प्रश्न 22.
“उसकी जबान लड़खड़ाने लगी” – किसकी जबान लड़खड़ाने लगी ?
(क) लहना सिहु की
(ख) भिम्बल दा की
(ग) रंगय्या की
(घ) जेन की
उत्तर :
(ग) रंगय्या की।
प्रश्न 23.
”उसका लड़का बड़ा खुशनसीब है”‘- ‘उसका’ से कौन संकेतित है ?
(क) जेन की माँ
(ख) रंगय्या
(ग) सूबेदार हजारा सिंह
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) रंगय्या।
प्रश्न 24.
“तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा” – वक्ता कौन है?
(क) रंगय्या
(ख) रमण
(ग) मास्टर साहब
(घ) पोली
उत्तर :
(ग) मास्टर साहब।
प्रश्न 25.
‘उसका सारा भार मुझ पर छोड़ दो’ – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) नौबतखाने में इबादत
(ख) नमक
(ग) धावक
(घ) चष्पल
उत्तर :
(घ) चमल।
प्रश्न 26.
‘क्या वह दिन मैं देख सकूँगा” – वक्ता कौन है ?
(क) लहना सिंह
(ख) बिस्मिल्ला खाँ
(ग) रंगय्या
(घ) जेन
उत्तर :
(ग) रंगय्या।
प्रश्न 27.
‘फूले अंग वह समा नहीं रहा था’ ” का अर्थ है ?
(क) खुश हो रहा था
(ख) शरीर अंग में नहीं समा रहा था
(ग) अंग फूल गया था
(घ) पूरा शरौर फूल गया था
उत्तर :
(क) खुश हो रहा था।
प्रश्न 28.
इसके पहले के दो सौ रुपये हुए'” – वक्ता कौन है ?
(क) गंगा
(ख) पोली
(ग) मास्टर साहब
(घ) रंगख्या
उत्तर :
(ग) मास्टर साहल।
प्रश्न 29.
रंगय्या को रमण का स्कूल कैसा लगा ?
(क) पुराना
(ख) स्वर्ग
(ग) खपरैल
(घ) दूटा-फूटा
उत्तर :
(ख) स्वर्ग।
प्रश्न 30.
“कौन हैं आप ?” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) नमक
(ख धावक
(ग) चप्पल
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(ग) चपल।
प्रश्न 31.
पढ़ना-लिखना उसके भाग्य में नहीं बदा था – ‘उसके’ से कौन संकेतित है?
(क) रमण
(ख) रंगख्या
(ग) पोली
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) रंगय्या।
प्रश्न 32.
“मेरे साथ चलो” – वक्ता कौन है ?
(क) लहना सिंह
(ख) जेन
(ग) भम्बल दा
(घ) मास्टर साहब
उत्तर :
(घ) मास्टर साहब।
प्रश्न 33.
‘बच्चों को भी वह कुछ अजीब-सा लगा'” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है ?
(क) चष्पल
(ख) घावक
(ब) नमक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) चप्पल।
प्रश्न 34.
“कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा”‘ – पंक्ति किस पाठ से उद्धतत है ?
(क) धावक
(ख) उसने कहा था
(ग) चण्पल
(घ) नमक
उत्तर :
(ग) चप्पल।
प्रश्न 35.
“कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा” – वक्ता कौन है ?
(क) लहना सिंह
(ख) मास्टर साहब
(ग) सरदारनी
(घ) पोली
उत्तर :
(ख) मास्टर साहब।
प्रश्न 36.
“तुम उसकी चिंता न करो” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) चप्पल
(ख) उसने कहा था
(ग) नौबतखाने में इबादत
(घ) नमक
उत्तर :
(क) चप्पल।
प्रश्न 37.
“तुम उसकी चिंता न करो” – वक्ता कौन है ?
(क) रंगय्या
(ख) मास्टर साहब
(ग) लहना सिंह
(घ) सरदारनी
उत्तर :
(ख) मास्टर साहुब।
प्रश्न 38.
रंगय्या ने कितने रुपये मास्टर साहब के हाथ में रखे ?
(क) दो सौ चार
(ख) दो सौ
(ग) चार
(घ) चार सौ
उत्तर :
(ग) चार।
प्रश्न 39.
“उसको बड़ी तृप्ति हुई” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) चणल
(ख) नमक
(ग) नन्हा संगौतकार
(घ) धावक
उत्तर :
(क) चपल।
प्रश्न 40.
“यहाँ हर कोई शराब पीता है” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) चप्ल
(ख) उसने कहा था
(ग) धावक
(घ) दोपदान
उत्तर :
(क) चण्पल।
प्रश्न 41.
“बड़ी उम्र हो गई तो क्या हुआ” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चमल
(घ) दीपदान
उत्तर :
(ग) चप्पल।
प्रश्न 42.
‘बड़ी उम्र हो गई तो क्या हुआ’ – वक्ता कौन है ?
(क) रंगय्या
(ख) सरदारनी
(ग) गंगा
(घ) पन्ना धाय
उत्तर :
(क) रंगय्या।
प्रश्न 43.
रंगय्या की झोपड़ी कितने शहतीरों वाली है ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर :
(ग) तीन।
प्रश्न 44.
पोली की उप्र कितने वर्ष है ?
(क) चार
(ख) आठ
(ग) दस
(घ) बारह
उत्तर :
(ग) दस।
प्रश्न 45.
‘बिल्कुल नया रूप हो गया” – पंक्ति किस पाठ से उद्धत है ?
(क) नमक
(ख) नन्हा संगौतकार
(ग) चप्पल
(घ) धावक
उत्तर :
(ग) चप्पल।
प्रश्न 46.
“किसी की आवाज सुनाई दी” – पंक्ति किस पाठ से उद्दुत है ?
(क) चपल
(ख) नमक
(ग) उसने कहा था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) चप्पल।
प्रश्न 47.
“उनकी सुंदरता पर स्वयं मुग्ध हो रहा था” – पंक्ति किस पाठ से उद्दुत है ?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चपल
(घ) धावक
उत्तर :
(ग) चण्पल।
प्रश्न 48.
रंगय्या किस में बड़ा माहिर है ?
(क) बातें बनाने में
(ख) चपलें बनाने में
(ग) घर बनाने में
(घ) रंग करने में
उत्तर :
(ख) चणलें बनाने में।
प्रश्न 49.
“उसको बड़ी भूख लग रही थी'” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) नन्हा संगीतकार
(ख) चम्मल
(ग) नमक
(घ) धावक
उत्तर :
(ख) चपल।
प्रश्न 50.
‘क्यों नहीं। अभी लो!’ – वक्ता कौन है ?
(क) रंग्या
(ख) रमण
(ग) मास्टर साहब
(घ) गंगा
उत्तर :
(घ) गंगा।
प्रश्न 51.
नारिगा किस कहानी का पात्र है ?
(क) नमक
(ख) धावक
(ग) चम्मल
(घ) इनमें से किसी का नहीं
उत्तर :
(ग) चप्पल।
प्रश्न 52.
“हमारी पल्ली में आग लग गई है आग” – वक्ता कौन है ?
(क) रमण
(ख) नारिगा
(ग) रंगय्या
(घ) पोली
उत्तर :
(ख) नारिगा।
प्रश्न 53.
“क्या करूँ” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) नमक
(ख) धावक
(ग) उसने कहा था
(घ) चप्पल
उत्तर :
(घ) चप्पल।
प्रश्न 54.
“शाम को चार बजे का वक्त था” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) धावक
(ख) चष्पल
(ग) नमक
(घ) नन्हा संगीतकार
उत्तर :
(ख) चषल।
प्रश्न 55.
“ज्वालाएँ आसमान को छू रही थीं” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) चणल
(ख) धावक
(ग) नमक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) चप्पल।
प्रश्न 56.
“तुम पागल तो नहीं हो गए” – पंक्ति किस पाठ से उब्द्त है ?
(क) चण्पल
(ख) नन्हा संगीतकार
(ग) धावक
(घ) नमक
उत्तर :
(क) चपल।
प्रश्न 57.
“अब कुछ नहीं हो सकता” – वक्ता कौन है ?
(क) रंगय्या
(ख) युवक
(ग) मास्टर साहब
(घ) रमण
उत्तर :
(ख) युवक।
प्रश्न 58.
‘इस घटना की खबर भी आग की तरह फैल गई” – किस घटना की खबर फैल गई ?
(क) जर्मनों के हमले की
(ख) धिम्बल दा के मरने की
(ग) रंगय्या के जलने की
(घ) लहना सिंह के घायल होने की
उत्तर :
(ग) रंगय्या के जलने की।
प्रश्न 59.
दौड़कर सब-के-सब वहाँ इकट्ठे हो गए” – पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
(क) नमक
(ख) उसने कहा था
(ग) चण्पल
(घ) धावक
उत्तर :
(ग) चप्य।
प्रश्न 60.
‘‘न जाने वह किस आवेश में था” – ‘वह’ से कौन संकेतित है ?
(क) लहना सिंह
(ख) जेन
(ग) रमण
(घ) रंगय्या
उत्तर :
(घ) रंगय्या।
प्रश्न 61.
रंगय्या को पल्ली में आग लगने का पता कितने बजे चला ?
(क) बारह बजे
(ख) चार बजे शाम
(ग) सात बजे
(घ) आठ बजे सुबह
उत्तर :
(ख) चार बजे शाम।
प्रश्न 62.
रंगय्या की भक्ति किसके प्रति थी ?
(क) भगवान के प्रति
(ख) गुरु के प्रति
(ग) माँ के प्रति
(घ) पिता के प्रति
उत्तर :
(क) भगवान के प्रति।
प्रश्न 63.
रंगय्या की झोपड़ी में किसकी तस्वीर लगी हुई थी ?
(क) राम की
(ख) कृष्ण की
(ग) वेकटेश्वर की
(घ) महात्मा गाँधी की
उत्तर :
(ग) वेंकटेश्वर की।
प्रश्न 64.
‘चण्पल’ किस विधा की रचना है ?
(क) निबंध
(ख) कहानी
(ग) रेखाचित्र
(घ) संस्मरण
उत्तर :
(ख) कहानी।
प्रश्न 65.
जलती हुई झोपड़ी में रंगय्या के लिए सबसे कीमती वस्तु क्या थी ?
(क) रुपये-पैसे
(ख) घर के सामान
(ग) मास्टर साहब के चप्पल
(घ) शहतीर
उत्तर :
(ग) मास्टर साहब के चपल।
प्रश्न 66.
रमण कितने वर्ष की आयु में स्कूल में दाखिल हुआ था ?
(क) छ:
(ख) सात
(ग) आठ
(घ) नौ
उत्तर :
(ग) आठ।
प्रश्न 67.
नारिगा और पोली किस कहानी के पात्र हैं ?
(क) नमक
(ख) च्पावक
(ग) चप्पल
(घ) उसने कहा था
उत्तर :
(ग) यप्पल।
प्रश्न 68.
पोली और रंगय्या में क्या संबंध था ?
(क) बाप-बेटी
(ख) मामा-भगिनी
(ग) चाचा-भतीजी
(घ) भाई-बहन
उत्तर :
(ख) मामा-भगिनी।
प्रश्न 69.
रंगय्या थैली से सामान निकालकर मास्टर साहब का क्या ठीक करने लगा ?
(क) कलम
(ख) चण्पल
(ग) छाता
(घ) जूते
उत्तर :
(ख) चपल।
प्रश्न 70.
रंगय्या को रमण का स्कूल कैसा लगा ?
(क) पुराना
(ख) स्वर्ग
(ग) खपरैल
(घ) टूटा-फूटा
उत्तर :
(ख) स्वर्ग।
प्रश्न 71.
किसे दूसरी दुनिया से वास्ता नहीं ?
(क) कर्ण को
(ख) रमण को
(ग) रंगय्या को
(घ) पोली को
उत्तर :
(ग) रंगय्या को।
प्रश्न 72.
चप्पल कहानी में किस विषय को प्रमुखता के साथ उभारा गया है ?
(क) ढहती मानवीयता
(ख) गुरू-शिष्य संबंध
(ग) शिक्षा-व्यवस्था
(घ) लघु रोजगार
उत्तर :
(ख) गुरू-शिष्य संबंध।
प्रश्न 73.
रंगय्या का सिर चकरा-सा गया था –
(क) भूख के कारण
(ख) धूप के कारण
(ग) चिंता के कारण
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) धूप के कारण।
प्रश्न 74.
रंगय्या के कितने बच्चों की मृत्यु हो गई थी ?
(क) तौन
(ख) पाँच
(ग) चार
(घ) छ:
उत्तर :
(ख) पाँच।
प्रश्न 75.
रमण के बस्ते में किस भाषा की पुस्तक थी ?
(क) संस्कृत
(ख) तेलगू
(ग) अंग्रेजी
(घ) तमिल
उत्तर :
(ख) तेलगू।
प्रश्न 76.
रमण की उम्र कितनी है ?
(क) सात
(ख) आठ
(ग) नौ
(घ) दस
उत्तर :
(ख) आठ।
प्रश्न 77.
रमण जमीन पर किससे गोल-गोल आकार बना रहा था ?
(क) अंगुली से
(ख) लकड़ी से
(ग) लोहे से
(घ) कलम से
उवर :
(क) अंगुली से।
प्रश्न 78.
मास्टर साहब के हाथ में किस भाषा की पुस्तक थी ?
(क) तमिल
(ख) हिन्दी
(ग) तेलगू
(घ) बंगला
उत्तर :
(ग) तेलगू।
प्रश्न 79.
न जाने वह किस आवेश में था – ‘वह’ से कौन संकेतित है ?
(क) लहना सिंह
(ख) मास्टर साहब
(ग) रंगय्या
(घ) भंबल दा
उत्तर :
(ग) रंगय्या।
प्रश्न 80.
रंगय्या के लड़के का नाम क्या है ?
(क) रजत
(ख) राजन
(ग) रमण
(घ) राम
उत्तर :
(ग) रमण।
प्रश्न 81.
रंगय्या को मामा पुकारनेवाली लड़की का नाम क्या है ?
(क) पोली
(क) गंगा
(ग) नारिगा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) पोली।
प्रश्न 82.
यह धंधा कैसा चल रहा है – कथन किसका है ?
(क) नारिगा
(ख) मास्टर साहब
(ग) पोली
(घ) रंगय्या
उत्तर :
(घ) रंगय्या।
प्रश्न 83.
उठो दादा ! उठो जल्दी !- ‘दादा’ किसे कहा गया है ?
(क) रंगय्या को
(ख) नारिगा को
(ग) मास्टर साहब को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(क) रंगय्या को।
प्रश्न 84.
‘पल्ली’ का अर्थ है ?
(क) पीली वाली
(ख) पाँच सेर
(ग) बस्ती
(घ) घर
उत्तर :
(ग) बस्ती।
प्रश्न 85.
गंगा ने खाने में क्या बनाया था ?
(क) भात-दाल
(ख) रोटी-सब्जी
(ग) बैंगन का सांम्बर और चटनी
(घ) मसाला-दोसा
उत्तर :
(ग) बैंगन का सांम्बर और बटनी।
प्रश्न 86.
रमण के कंबे पर क्या लटक रहा था ?
(क) चपलों का थैला
(ख) किताबों का बस्ता
(ग) सब्जी का थैला
(घ) मास्टरजी की चप्पलें
उत्तर :
(ख) किताबों का बस्ता।
वस्तुनिष्ठ सह व्याख्यामूलक प्रश्नोत्तर
1. “चलता हैं बेटे।”
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता रंगय्या है।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
जब रंगय्या अपने बेटे रमण के स्कूल में गया था वहाँ मास्टर साहब के द्वारा अपने बेटे की प्रशंसा को सुनकर वह अत्यन्त खुश हुआ और वह अपनेटे से कहा कि चलता हूँ बेटे ।
2. “आप इसको खूब पढ़ाइए साब”‘
प्रश्न :
प्रस्तुत वाक्य किसने किससे कहा ?
उत्तर :
प्रस्तुत वाक्य रंगय्या ने मास्टर साहब से कहा ।
प्रश्न :
प्रस्तुत वाक्य का रचनाकार कौन है ?
उत्तर :
प्रस्तुत वाक्य का रचनाकार कावुदूरि वेंकट नारायणराव हैं।
3. ‘क्या वह दिन मैं देख सकूँगा ?’
प्रश्न :
प्रस्तुत अंश के रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर :
इसके रचनाकार कावुदूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
अंश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
रंगय्या बेटे रमण के मास्टर साहब से मिलता है तो उनके पैर खूकर प्रणाम करता है। इस पर मास्टर साहब कहते हैं कि रमण पढ़-लिखकर एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनेगा और तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा। मास्टर साहब की इस बात पर वह मास्टर साहब से सवाल करता है कि क्या वह सचमुघ वह दिन देख सकेगा ? ऐसा होना तो उसके लिए एक सपना ही है ।
4. उनका ॠण किसी भी रुप में चुकाया नहीं जा सकता।
प्रश्न :
अंश किस पाठ से उद्धुत है?
उत्तर :
प्रस्तुत अंश ‘चपल’ पाठ से उद्धृत है।
प्रश्न :
अंश में कौन-से ऋण की बात कही गई है ? उसे क्यों नहीं चुकाया जा सकता ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
यहाँ गुरू के क्रण की बात कही गई है । रंगय्या के बेटे रमण के जीवन में मास्टर साहब का प्रवेश वैसे ही हुआ था जैसे चंद्रगुप्त के जीवन में चाणक्य का तथा विवेकानंद के जीवन में रामकृष्ण परमहंस का। मास्टर साहब उच्च जाति के होते हुए भी रमण को खाना देकर अपने यहाँ पढ़ा-लिखा रहे थे । उनकी इस कृपा के लिए रंगय्या के मन में मास्टर साहब के प्रति कृतजता का भाव भरा हुआ था। यह ऐसा क्रण था जिसे रंगय्या किसी भी रुप में नहीं चुका सकता था।
5. ठीक कराकर जल्दी लाने को कहा है।
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता रगय्या का बेटा रमण है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रमण अपने मास्टर साहब के चपलों को ठीक कराने के लिए अपने मोची पिता रंगय्या के पास लाया था। मास्टर साहब के पास चपलों की दूसरी जोड़ी नहीं थी इसलिए उन्होने चपलों को जल्दी से ठीक कराकर लाने को कहा था।
6. रंगय्या का मुँह एकदम चमक उठा।
अथवा
7. झुर्रियों की परतें खुल गई।
प्रश्न :
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचाकार कावुदूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
जब रंगय्या को यह पता चला की रमण जिन चपलों को मरम्मत कराने के लिए लाया है – वह उसके मास्टर साहब के हैं तो उसका चेहरा खुशी के मारे दमकने लगा। उसे लगा कि इसी बहाने वह मास्टर साहब की कुछ सेवा कर पाएगा।
8. उसे किसी दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं।
अथवा
9. संसार बहुत कुछ बदल गया, मगर उसकी जिंदगी में किसी तरह का परिवर्तन नहीं आया।
प्रश्न :
यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ?
उत्तर :
यहाँ रंगय्या के बारे में कहा जा रहा है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या को केवल अपने काम से मतलब था। दूसरी दुनिया से उसे कोई लेना-देना नहीं था। दुनिया तेजी से बदल रही थी। लेकिन उसकी जिंदगी पुराने ढरें पर चल रही थी। वह पचास वर्षो से चप्पल मरम्मत करने का वही पेशा करता आ रहा है।
10. अब इतनी जल्दी नहीं हो सकता है।
अथवा
11. शाम तक ….. जो कुछ होगा, मैं कर दूँगा।
प्रश्न :
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘चपल’ है तथा इसके रचनाकार कावुदूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रमन अपने पिता रंगय्या के पास मास्टर साहब के पुराने चप्पल मरम्मत कराने के लिए लाया था। चप्पलों की हालत बहुत ही बुरी थी। उसके और गत्ते बाहर निकल गए थे तथा सारी सिलाई भी टूट-फूट गई थी। ऐसे चप्पलों की मरम्मत तुरंत नहीं हो सकती थी इसलिए रंगय्या ने कहा कि यह काम इतनी जल्दी नहीं हो सकता है । हो सकता है। वह शाम तक कर देने की कोशिश करेगा।
12. आज के जमाने में हर किसी को पैसे की जरूरत होती है।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘चप्पल’ पाठ से उद्दृत हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या को चण्पलें देकर रमण लौटा नहीं बल्कि वहीं खड़ा रहा। रंगय्या को यह समझतेदेर नहीं लगी कि रमण क्या चाहता है। वह अपनी जेब खर्च के लिए कुछ पैसे चाह रहा था। रंगय्या ने मन ही मन सोचा- यह ठीक ही है तो है। आज के जमाने में हर किसी को पैसे की जरुरत होती है।
13. रंग्य्या कभी भी उसका मन नहीं दुखाता।
प्रश्न :
रंग्या कौन है ?
उत्तर :
रंग्या ‘चप्पल’ कहानी का प्रमुख पात्र है।
प्रश्न :
वह कभी किसका मन नहीं दुखाता और क्यों ?
उत्तर :
रंग्या कभी भी अपने बेटे रमण का दिल नहीं दुखाता। पाँच संतान की मृत्यु के बाद उसके जीवन में रमण आया था। इतना ही नहीं जन्म देने के बाद उसकी माँ भी चल बसी थी। यही रमण उसके जीवन का एक मात्र आधार था इसीलिए वह कभी भी उसका दिल नहीं दुखाता है।
14. उसका मन एकद्म पिघल गया।
प्रश्न :
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का ‘चमल’ है।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पैसे लेकर जब रमण चला गया तो रंगय्या उसी के बारे में सोचने लगा। उसे इस बात का गर्व महसूस हो रहा था कि रमण पल्ली के अन्य बच्चों की तरह आवारागर्दी न करके पढ़ना-लिखना सीख रहा है। यह सोचकर ही बेटे के प्रति प्रेम के भाव से उसका मन एकदम पिघल गया।
15. बड़ा आदमी बन जाए और कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता ‘चपल’ कहानी का प्रमुख पात्र रंख्या है।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
रमण रंगख्या के जीवन का एकमात्र सहारा था। उसकी पली भी रमण को जन्म देकर चल बसी थी। वह दिन रात मेहनत करके एक-एक पैसे जोड़ रहा था तथा रमण के मास्टर साहव के पास जमा कर रहा था ताकि उसकी पढ़ाई में कोई रुकावट न आए। उसका भविष्य संवर जाए। उसकी एकमात्र आकांक्षा थी कि रमण पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने तथा अपने कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
16. उसकी आँखों में उतावलापन दीख रहा था।
अथवा
17. सारी दुनिया उसको पाँच पेसे के रुप में दीखने लगी।
अथवा
18. जाने वह किस लोक में पहुँच जाता है।
प्रश्न :
यहाँ किसके बारे में कहा जा रहा है ?
उत्तर :
यहाँ रंग्या के बेटे रमण के बारे में कहा जा रहा है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या ने रमण को देने के लिए चिल्लरों से पाँच पैसे निकाले। उस पाँच पैसे के सिक्के को वह बड़े ही उतावलेपन से देख रहा था कि कब वह उसके हाथ में आए। इन पाँच पैसों में ही उसे सारी दुनिया नजर आ रही थी। बच्चे का स्वभाव ही ऐसा होता है कि बह थोड़े ही पैसों में अपनी कल्पना लोक में पहुँच जाते हैं। रमण की इस दशा की तुलना ‘ईदगाह’ कहानी के हामिद से की जा सकंती है।
19. ये दोनों इच्छाएँ पूरी हो जाएँगी।
प्रश्न :
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘चमल’ है।
प्रश्न :
इस कथन का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रमण के जाने के बाद रंख्या के मन में यह भाव आया कि वह रमण को पढ़ाने वाले मास्टर साहब को उनकी कृपा के लिए साष्टांग प्रणाम करें। वह स्कूल में रमण को देखे कि वह किस प्रकर पढ़ रहा है। उसने सोचा कि यदि वह स्कूल चला जाए तो उसकी ये दोनों ही इच्छाएँ पूरी हो जाएगी।
20. उनमें कोई खासियत नहीं थी।
अथवा
21. रंगघ्या को बड़े महिमान्वित से लगे।
अथवा
22. एकद्म परम पवित्र।
अथवा
23. उन्हें आँखों से लगाया।
अथवा
24. रंग्या ने सोचा।
अथवा
25. हाँ, इनको ठीक कर दूँगा।
अथवा
26. ऐसा करुँगा कि मास्टर साहब याद रखें।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति के रचनाकार कावुट्रूरी वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
किसमें कोई खासियत नहीं थी ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चणलों में कोई खासियत नहीं थी।
प्रश्न :
रंगय्या को कौन महिमान्वित-से लगे ?
उत्तर :
रंगय्या को मास्टर साहब के चप्पल महिमान्वित से लगे।
प्रश्न :
रंगख्या ने क्या सोचा?
उत्तर :
रंगय्या ने सोचा कि इन चम्पलों को ठीक करना मुश्किल है।
प्रश्न :
वक्ता किसे ठीक करने की बात कर रहा है ?
उत्तर :
वक्ता मास्टर साहब के चप्यलों को ठीक करने की बात कह रहा है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रमण मास्टर साहब के जिन चपलों को मरम्मत के लिए अपने पिता के पास लाया था उनकी हालत खस्ता थी। उनमें कोई विशेषता भी नहीं थी फिर भी वे उन्हें महिमा से भरे तथा परम पवित्र लगे। बड़े ही भक्ति-भाव से उसने उन चपलों को अपनी आँखों से लगाया। उसने मन ही मन तय किया की इन चप्पलों की मरम्मत करके ऐसा नया बना दूँगा कि मास्टर साहब भी याद रखेंगे।
27. चिल्लर ही चिल्लर हाथ लगा।
अथवा
28. उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न :
किसके हाथ चिल्लर ही चिल्लर लगा ?
उत्तर :
रंगय्या के हाथ चिल्लर ही चिल्लर लगा।
प्रश्न :
किसकी खुशी का ठिकाना न रहा ?
उत्तर :
रंगय्या की खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या ने रमण को देखने के लिए स्कूल जाने के पहले अपनी जेब को टटोला तो उसमें से केवल चिल्लर ही चिल्लर निकले। ये चिल्लर भीउसकी उम्मीद से ज्यादा निकले। पिछले दिन उसने जितना परिश्रम किया था यह उसी का नतीजा था। यह देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा कि कुल मिलाकर छ: रू० बीस पैसे थे।
29. अंदर जाने का साहस नहीं रहा।
प्रश्न :
इस पंक्ति के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :
इस पंक्ति के लेखक कावुद्रूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
मास्टर साहब को साष्टांग प्रणाम करने तथा बेटे रमण को पढ़ता हुआ देखने की इब्छा से रग्या स्कूल तक पहुँच गया। वहाँ का वातावरण देखकर कुछ समय के लिए तो वह जैसे अपने-आप को ही भूल गया। जब उसकी तंद्रा भंग हुई तब उसने अंदर जाने की सोची लेकिन उसे अंदर जाने का साहस नहीं हो रहा था।
30. कहीं वह ऐसा काम तो नहीं कर रहा है, जो उसे नहीं करना चाहिए?
अथवा
31. उसकी जबान लड़खड़ाने लगी।
प्रश्न :
‘वह’ कौन है ?
उत्तर :
‘वहं’ रंग्या है।
प्रश्न :
किसकी जबान लड़खड़ाने लगी।
उत्तर :
रंग्या की जबान लड़खड़ाने लगी।
प्रश्न :
प्रस्तुत पद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
रमण के स्कूल जाकर रंख्या को ऐसा लगा कि वह अनपढ़ है तथा पढ़े-लिखे लोगों के बीच कम से कम इस समय तो नहीं आना चाहिए। एक अध्यापक द्वारा आने का मकसद पूछ लिए जाने के बाद वह निरूत्तर ही हो गया कि वह यहाँ क्यों आया है। उसे मन ही मन इस बात का भय होने लगा कि उसने यहाँ आकर गलती की है। वह कहीं ऐसा काम तो नहीं करने जा रहा जो उसे नहीं करना चाहिए।
32 : रंग्या की खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न :
पाठ के रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ के रचनाकार कावुदूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
रंग्या की खुशी का ठिकाना क्यों न रहा ?
उत्तर :
एक अध्यापक के कहने पर जब वह रमण को देखने विद्यालय के अंदर गया तो यह देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा कि उसका बेटा भी अन्य बच्चों के साथ बैठकर कुछ याद कर रहा था । मास्टर साहब अपने हाथ में तेलगु की प्रथम पुस्तक लेकर बच्चों से उसे कठठस्थ करवा रहे थे। भले ही उसकी किस्मत में पढ़ना-लिखना नहीं हो लेकिन उसका बेटा तो पढ़-लिख रहा है। यह सब देख व सोचकर ही रंग्या को खुशी का ठिकाना न रहा।
33. मास्टर साहब ने वह किताब दिखा दी।
अथवा
34. क्या यह सच है मास्टर साहब ?
अथवा
35. मैं भी यही चाहता हूँ साब।
प्रश्न :
रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचाकार कावुदूरि वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत पद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
मास्टर साहब ने रंगय्या को रमण की पढ़ाई के बारे में बताते हुए यह कहा कि अब तो रमण ‘बाल-शिक्षा’ भी पढ़ने लगा है। विश्वास दिलाने के लिए उन्होंने अपने हाथ की वह किताब भी रंगय्या को दिखा दी। लेकिन रंगय्या को अपनी आँखों व अपने कार्यों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उसने फिर मास्टर सहल से कहा कि वह भी यही चाहता है कि उसका रमण पढ़-लिख कर बड़ा आदमी बने।
36. मास्टर साहब को इस बात की उम्मीद नहीं थी।
अथवा
37. बच्चों को भी वह कुछ अजीब-सा लगा।
अथवा
38. कोई देखेगा तो अच्छा नहीं होगा।
प्रश्न :
रचना तथा रचाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘चणल’ है तथा इसके रचनाकार कावुदूरी वेंकट नारायण राव हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का आशाय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रमण के स्कूल में मास्टर साहब से मिलने के बाद कृतज्ञा-धाव से रंग्या ने उनके पाँव पकड़ लिए। यह सब इतना अचानक हुआ कि मास्टर साहब भी कुछ नहीं समझ पाए। यह सब देखकर कुछ अजीब-सा लग रहा था। वे माजरे को समझ नहीं पा रहे थे । तभी मास्टर साहब ने रंग्या को टोकते हुए कहा कि अगर कोई रंगय्या को इस तरह पांवों पर गिरते देखेगा तो लोग इसे अच्छा नहीं समझेंगे।
39. मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ।
अथवा
40. तुम उसकी चिंता न करो।
अथवा
41. उसका सारा भार मुझपर छोड़ दो।
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता रमण के मास्टर साहब हैं।
प्रश्न :
वक्ता का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या की बातों से मास्टर साहब को ऐसा लगा कि वह अपने बेटे रमण की पढ़ाई-लिखाई के बारे में चिंतित है। इसीलिए मास्टर साहब ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि रमण को अयने बच्चे की तरह मानते हैं। उसका सारा भार उनके ऊपर है। रंगख्या को उसकी चिंता करने की आवश्यता नहीं है।
42. इसके पहले के दो सौ रुपए हुए ।
अथवा
43 : इस कमाई का क्या करोगे आखिर ?
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता रमण के मास्टर साहब हैं।
प्रश्न :
प्रस्तुत कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या का बेटा रमण मास्टर साहब के पास रहकर ही पढ़ता-लिखता था। वे उसे पुत्र की तरह मानते थे। रंगय्या अपनो कमाई से जो कुछ भी बचा पाता था, वह मास्टर साहब के पास जमा कर देता था ताकि वह रंगय्या की पढ़ाई-लिखाई तथा उसके भविष्य के काम आ सके।
44. जो आप उचित समझें, कीजिएगा !
अथवा
45. मैं क्या जानूँ साहब।
प्रश्न : वक्ता कौन है ?
उत्तर : वक्ता रंगय्या है।
प्रश्न :
कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या अपनी कमाई का बचा हिस्सा रमण के मास्टर साहब के पास जमा कर देता था ताकि वह उसकी पढ़ाई-लिखाई में काम आ सके। थोड़ा-थोड़ा बचत करते हुए उसने मास्टर साहब के पास दो सौ चार रुपये जमा कर लिए थे। समय के हिसाब से यह रकम भी थोड़ी नहीं थी। जब मास्टर साहब ने पूछ्छा कि इतने पैसे जमा करके वह क्या करेगा तो रंगय्या ने सीधेपन से जबाव दिया कि वे इन पैसों को जो उचित समझें करें। वह पढ़ा-लिखा न होने के कारण पैसों के उपयोग के बारे में नहीं बता सकता।
46. फूले अंग वह समा नहीं रहा था।
प्रश्न :
पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
उतर :
यह पंक्ति ‘चप्मल’ पाठ से उद्धित है।
प्रश्न :
कौन फूले अंग नहीं समा रहा था और क्यों?
उत्तर :
रंगय्या फूले अग नहीं समा रहा था क्योंकि उसकी दोनो इच्छाएँ पूरी हो गयी थी। पहली इच्छा यह कि वह मास्टर साहब को साष्टांग प्रणाम करे तथा दूसरी यह कि वह रमण के स्कूल जाकर उसे पढ़ता हुआ देखे। इन दोनों इच्छाओं की पूर्ति हो जाने से उसकी खुशी छलक रही थी।
47. उसे वह एक स्वर्गधाम-सा लगा।
प्रश्न :
‘उसे’ तथा ‘वह’ से कौन संकेतित है?
उत्तर :
‘उसे’ से रंग्या तथा ‘वह’ से रमण का स्कूल संकेतित है।
प्रश्न :
पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या अपने बेटे रमण को पढ़ते देख तथा मास्टर साहब को साष्टांग प्रणाम कर बाहर आया। बाहर आकर वह कुछ देर तक खड़ा होकर स्कूल को निहारता रहा। उसे लगा कि ऐसे पवित्र स्थान में स्थान पाना बड़े ही भाग्य की ज्यात है। विद्यालय उसे स्वर्ग के समान भव्य-सा लग रहा था।
48. उसका बेटा बड़ा भाग्यवान है।
अथवा
49. उसको बड़ी तृप्ति हुई।
प्रश्न :
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘घपल’ है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का भावार्थ लिखिए।
उत्तर :
जब रंग्या ने स्कूल जाकर वहाँ के वातावरण को देखा, बच्चों के बीच अपने बेटे रमण को भी पढ़ते देखा नब उसे लगा कि उसका रमण बड़ा ही भाग्यशाली है जो उसे इतना अच्छा शिक्षा का माहौौल तथा उसे पढ़ानेवाले ऐसे मास्टर साहल मिले। यह सब देखकर उसके मन को बड़ी ही तृप्ति महसूस हुई।
50. क्या मैं भी पढ़ सकता हूँ?
अथवा
51. तो क्या मैं कल से पाटी लाकर यहाँ बैठ सकता हूँ?
अथवा
52. उसके भोलेपन पर अध्यापक को हैंसी आ गई।
प्रश्न :
रचना तथा रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रथना ‘चण्मल’ है तथा इसके रचनाकार कावुद्रूरि वेंकट नारायणराव हैं।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रमण के स्कूल पहुँचने पर रंगय्या के मन में एक जिझासा हुई कि कितना अच्छा होता अगर वह भी स्कूल में पढ़ पाता। यह बात उसने वहाँ के एक अध्यापक से पूछ्छी। उसके भोले सवाल पर अध्यापक को हंसी आ गई। उसने कहा कि हाँ वह क्यों नहीं पढ़ सकता।
53. आप जैसे लोगों के पढ़ने-लिखने के लिए वयस्कों की रात्रि-पाठशालाएँ हैं।
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता रमण के स्कूल के एक अध्यापक हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
जब रंगय्या ने स्कृल में अपने पढ़ने के बारे में पूछा तो अध्यापक ने बताया कि उसके जैसे लोगों के लिए सरकार ने रात्रि-पाठशालाएँ खोली है। अगर आप चाहे तो रात में वहाँ जाकर पढ़ सकते हैं। आप कल शाम में मेरे पास आएंगे तो मैं खुद आपके साथ चलकर आपका दाखिला रात्रि-पाठशाला में करा दूँगा।
54. उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।
प्रश्न :
यह पंक्ति किस पाठ से उद्ध्त है?
उत्तर :
यह पंक्ति ‘चणल’ पाठ से उद्दृत है।
प्रश्न :
संदर्भित पात्र की मनोदशा का वर्णन करें।
उत्तर :
रंगय्या जब रमण के स्कूल से वापस लौट रहा था तब वह काफी खुश था। उसे लग रहा था कि उसके जौवन की सबसे बड़ी इच्छा पूरी होने वाली है। अब वह भी रमण की तरह पढ़-लिख सकेगा तथा अनपढ़ नहीं रही जाएगा।
55. लेकिन इस उम्र में पढ़कर क्या करेगा ?
अथवा
56. सबको पढ़ना-लिखना चाहिए।
अथवा
57. बड़ी उप्र हो गई तो क्या हुआ ?
अथवा
58. तरह-तरह के विचार मन में उठने लगे।
प्रश्न :
यह पंक्ति किस पाठ से उद्धात है ?
उत्तर :
यह पंक्ति ‘चफल’ पाठ से उद्दृत है।
प्रश्न :
वक्ता के कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रंगय्या ने अध्यापक से रात्रि-पाठशाला के बारे में जानकर यह तो मन बना लिया कि वह भी रात्रि-पाठशाला में पढ़ेगा। लेकिन इस निश्चय के साथ ही तरह-तरह के सवाल भी उसके मन में उठ रहे थे। अंत में वह इस निष्कर्ष पर पहुँघता है कि उम्र के साथ पढ़ाई-लिखाई का कोई संबंध नहीं है। हरेक व्यक्ति को पढ़ना-लिखना चाहिए तभी तो सरकार भी इस दिशा में कार्य कर रही है।
59. यहाँ हर कोई शराब पीता है और गंदा रहता है।
अथवा
60. रंगय्या उन्हीं लोगों में से एक है।
अथवा
61. उनके साथ उठना-बैठना उसको बिल्कुल पसंद् नहीं।
प्रश्न :
पाठ एवं रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘चाल’ है तथा इसके रचनाकार कावुटरि वेकट नारायणराव हैं।
प्रश्न :
कहाँ हर कोई शराब पीता है और गंदा रहता है।
उत्तर :
रंगय्या की पल्ली (बस्ती) में हर कोई शराब पीता है और गदा रहता है।
प्रश्न :
रंगय्या किन लोगों में से एक है।
उत्तर :
रंगख्या बस्ती के लोगों मे से एक है।
प्रश्न :
किन लोगों के साथ किसे उठना-बैठना बिल्कुल पसंदी नहीं है?
उत्तर :
शराबी तथा गंदे लोगों के साथ रंगय्या को उठना-बैठना बिल्कुल पसंद नहीं है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या जिस पल्ली (बस्ती) में रहता था वहाँ सब निचले तबके के लोग रहते थे। गरोब की जिंदगी जीते हुए भी वे उससे निकलने की नहीं सोचते थे। उस पल्ली के लोग गंदे थे तथा शराब के नशे में चूर रहते थे। हलांकि रंगय्या भी उसी पल्ली में रहता था फिर भी उसे वे लोग पसंद नहीं थे तथा वह उन लोगो के साथ उठना-बैठना पसंद नहीं करता था। ऐसा इसलिए था कि वह अपनी तथा अपने बेटे की जिंदगी को बेहतर बनाना चाहता था।
62. एक ही आकांक्षा उसके शरीर को चलाए जा रही है।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘चपल’ पाठ से उद्धृत है।
प्रश्न :
कौन-सी आकांक्षा किसके शरीर को चलाए जा रही है?
उत्तर :
रंगय्या की उम्म जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, उसकी शारीरिक शक्ति भी क्षीण होती जा रही है। जीवन में उसकी एक ही आकांक्षा है कि उसका बेटा रमण पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बने। सारी बिरादरी में उसका नाम हो। यही आकांक्षा उसके शरीर को चलाए रखने की शक्ति प्रदान करती है।
63. मेरे बच्चे का उद्धार करो।
अथवा
64. उसको खूब पढ़ना-लिखना आ जाए।
अथवा
65. उसको तुम्हारी शरण में ले आऊँगा।
अथवा
66. उसके बाल तुमको अर्पित करूँगा…….. अपने भी।
प्रश्न :
वक्ता कौन है?
उत्तर :
वक्ता रंगय्या है।
प्रश्न :
कौन, किसे, किसकी शरण में ले जाएगा?
उत्तर :
रंग्या अपने बेटे रमण को भगवान वेंकटेश्वर की शरण में ले जाएगा।
प्रश्न :
कौन, किसके बाल किसे अर्पित करेगा? पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगया अपने तथा अपने बेटे रमण के बाल भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित करेगा।
भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर दक्षिण भारत में है। लोग उनके मंदिर में अपनी आवश्यकतानुसर मनौतियाँ मानते हैं। वहाँ की यह परंपरा है कि मनौती पूरी होने के बाद भगवान वेंकटेश्वर के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए अपने बाल उन्हें अर्पित करते हैं। रंगय्या की भी जब इच्छा पूरी हो जाएगी तब वह तथा अपने बेटे के बाल भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित करेगा।
67. बच्चे उसी पानी में डुबकी लगा-लगाकर नहा रहे थे।
अथवा
68. औरतें उसी में कपड़े धो रही थीं।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘चण्पल’ पाठ से उद्दृत है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश की व्याख्या करें।
उत्तर :
रंगय्या जिस बस्ती में रहता था उसमें गरीब तथा निचले तबके के लोग रहते थे। गरीबी तथा अशिक्षा के कारण चारों ओर गंदगी ही गंदगी फैली रहती थी। वहाँ पानी की भी सुविधा नहीं थी। एक गंदा नाला बहता था तथा बच्चे उसी में डुबकियाँ लगाकर नहाते-घोते थे। औरतों को भी अपने कपड़े उसी गंदे नाले के पानी से धोना पड़ता था।
69. वह बच्ची चली गई।
प्रश्न :
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘चणल’ है।
प्रश्न :
‘वह बच्ची’ कौन है ?
उत्तर :
रंगय्या की पत्नी रमण के जन्म के साथ ही चल बसी थी। रमण मास्टर साहब के यहाँ रहकर ही पढ़ाई करता था। घर में खाना बनानेवाला कोई न था। पड़ोस की एक मुँहबोली बहन उसका खाना बना दिया करती थी। लेकिन उसबी तबीयत भी खराब हो गई थी। इसलिए उसकी बेटी पोली ने रंगय्या से यह कहा कि ” आज मॉं की तबीयत ठीक नहीं है। आज खाना नहीं बना सकेगी।” — इतना कहकर वह चली गई।
70. बिल्कुल नया रूप हो गया।
अथवा
71. यह सब करने में एक घंटा लगा।
अथवा
72. उनकी सुन्दरता पर स्वयं मुग्ध हो रहा था।
अथवा
73. यह बात उस गाँव में सबको मालूम है।
प्रश्न :
किसका रूप बिल्कुल नया हो गया ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चप्पलों का रूप बिल्कुल नया हो गया।
प्रश्न :
क्या सब करने में एक घंटा लगा ?
उत्तर :
मास्टर साहब के चपलों को ठीक करने में एक घंटा लगा।
प्रश्न :
मास्टर साहब के चप्पलों की सुंदरता पर कौन मुग्घ हो रहा था?
उत्तर :
मास्टर साहब के चपलों की सुंदरता पर रंग्या मुग्ध हो रहा था।
प्रश्न :
कौन-सी बात गाँव में सबको मालूम है?
उत्तर :
पुराने चफलों की मरम्मत करके उन्हें नया बना देने में रंग्या माहिर है – यह बात गाँव में सबकां मालूम है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रमण ने मास्टर साहब की चप्पलें पिता रंगय्या को मरम्मत करने के लिए दी थी। चपलों की हालत बहुत बुरी थी। रंगय्या ने श्रद्धा-भाव से मास्टर साहब के चापलों की इतनी अच्छो मरम्मत की कि उसका रूप-रंग ही बदल गया। ऐसा लग रहा था मानों वे चप्पलें बिल्कुल नई हो। पुरानी चप्पलों को नया बना देने में रंगय्या का कोई मुकाबला न था और उसकी यह खासियत उसकी पल्ली में सबको मालूम थी।
74. यह थंधा कैसा चल रहा है?
प्रश्न :
रचना व रचनाकार का नाम लिखें।
उत्तर :
रचना ‘चण्पल’ है तथा रचनाकार कावुटूरि वेंकट नारायणराव हैं।
प्रश्न :
पंक्ति का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
जब कभी रंगय्या की मुँहबोली बहन उसके लिए खाना नहीं बना पाती थी तब वह रेलबे प्लेटफार्म वाले होटल में चला जाता था। उस होटल को गंगा नामक औरत चलाती थी। खाना खाने के दौरान रंग्या उसके व्यवसाय के बारे में पूछता है कि उसका धंधा कैसा चल रहा है।
75. रंगय्या का दिल एकदम बैठ गया।
प्रश्न :
पंक्ति के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर :
पंक्ति के लेखक कावुदूरि वेंकट नारायणराव हैं।
प्रश्न :
रंगय्या का दिल एकदम क्यों बैठ गया?
उत्तर :
रंगय्या रेलवे प्लेटफार्म वाले होटल में खाना खाकर थका होने के कारण वहीं पीपल के पेड़ के नीचे बेठकर सुस्ताने लगा। थकावट के कारण वह कब सो गया उसे पता ही न चला। उसकी नींद तब खुली जब पल्ली के नारगा नाम के एक आदमी ने उसे झकझोड़ कर उठाया। “उठो दादा! उठो जल्दी! हमारी पल्ली में आग लग गई है आग!” कहकर तेजी से भाग गया। यह सुनते ही मानो रंगय्या का दिल एकदम बैठ गया।
76. तुम जितना पैसा मॉगोगे दे दूँगा।
अथवा
77. तुम पागल तो नहीं हो गए?
अथवा
78. नहीं-नहीं! अब कुछ नहीं हो सकता!
अथवा
79. जाने वह किस आवेश में था।
प्रश्न :
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘चपल’ है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर :
पल्ली में आग लगने की खबर पाकर जब रंगय्या वहाँ पहुँचा तो उसने देखा कि उसकी झोपड़ी चू-धू करके जल रही है। मास्टर साह्य के चयलों की बड़ी मेहनत से उसने मरम्मत की थी। झोपड़ी के अंदर डायरी पर ही उसने उन चषलों को रखा था। अभी झोपड़ी में उसके लिए सबसे मूल्यवान वही वस्तु थी। पास खड़े युवक से उसने उन चपलों को ला देने के बदले में पैसे देने की बात कही। लेकिन युक्क ने इन्कार कर दिया क्योंक आग बहुत तेजी से कैल चुकी थी तथा अब कुछ भी नहीं किया जा सकता था। लेकिन रंग्या था कि किसी भी कीमत पर उन चषलों को बचा लेना चाहता था।
80. वहाँ का दृश्य देखकर भय-कम्पित से हो गए।
प्रश्न :
पाठ का नाम लिखें।
उत्तर :
पाठ का नाम ‘चपल’ है।
प्रश्न :
कहाँ का, कौन-सा दृश्य देखकर कौन भय-कम्पित हो गए?
उत्तर :
जलती झोपड़ी से मास्टर साहब के चपलों को निकाल लाने के लिए रंगय्या ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी। वह झोषड़ी में प्रवेश कर गया। दमकलवालों के आग बुझाने के बाद जब लोग उसकी झोपड़ी में घुसे तो वे भय से कांप उठे। अंदर का दृश्य दिल दहला देने वाला था । रंग्या का जला हुआ शरीर मुँह के बल जमीन पर पड़ा हुआ था। उसके शरीर का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह जल गया था।
81. इस घटना की खबर भी आग की तरह फैल गई।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धुत है ?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘चमल’ पाठ से उद्धुत है।
प्रश्न :
किस घटना की खबर आग की तरह फैल गई ?
उत्तर :
रंगय्या मास्टर साहब के चपलों को बचाने की कोशिश में बुरी तरह जल गया था। उसके प्राणपखेरू उड़ चुके थ। रंगय्या के आग मे द्ञुलसकर मर जाने को खबर आग की तरह कैल गयी क्योंकि रंगय्या को सब उसके हुनर के कारण जानते-पहचानते थे।
82. तीनेक क्षण बीत गए।
अथवा
83. समय क्षण-क्षण कर जैसे बीतता जा रहा था?
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से ली गई है ?
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘चपल’ पाठ से ली गई है।
प्रश्न :
प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
रंगय्या रमण के स्कूल तो पहुँच गया लेकिन अंदर जा पाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। रमण को पढ़ते हुए देखने की इच्छा क्षण-प्रति-क्षण बढ़ती जा रही थी लेकिन उसके पैर मानो एक एक ही जगह चिपक गए थे। बहुत कोशिश करने के बाद भी वह अंदर जाने का साहस नहीं जुटा था रहा था।
84. एकाएक उसका काम रुक गया।
प्रश्न :
प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति ‘चणल’ पाठ से उद्दुत है।
प्रश्न :
किसका काम क्यों रूक गया ?
उत्तर :
रंगय्या सिर घुकाकर चण्पल सी रहा था। तभी उसके सामने ‘धड़ाम’ की आवाज के साथ पुराने चण्पल गिरे। इसी से रंग्या का ध्यान भंग हुआ तथा काम करते उसके हाथ रुक गए। देखा तो सामने उसका बेटा रमण था। वही उन चप्पलों को लाया था।
85. ये सब चीजें उसे मुफ्त में दी गई थीं।
प्रश्न :
‘उसे’ से कौन संकेतित है?
उत्तर :
‘उसे’ से रंगय्या का बेटा रमण संकेतित है।
प्रश्न :
उसे कौन-सी चीजें मुफ्त में दी गई थीं और क्यों ?
उत्तर :
रंगय्या के बेटे को तेलुगु की पहली पुस्तक, पाटी, पहाड़े की किताब आदि चीजें मुफ्त दी गई थीं। उसे ये सारी चीजे सर्वशिक्षा अभियान के तहत सरकार की ओर से दी गई थी। इस सर्वशिक्षा अभियान का उंदे्य उन बच्चो को भी स्कूली शिक्षा देना है जो गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा सकते।
86. मैं अपना चमड़ा उतार कर चप्यल बना के दूँगा।
अथवा
87. आपका क्रण नहीं चुका सकूँगा साब।
प्रश्न :
वक्ता कौन है ?
उत्तर :
वक्ता ‘चषल’ कहानी का प्रमुख पात्र रंगय्या है।
प्रश्न :
आशय स्पष्ट करें।
उत्तर :
मास्टर साहब रमण को जितना स्नेह देकर तथा उसकी देखभाल करके पढ़ा रहे थे वह रगय्या के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। मास्टर साहब के उपकार का बदला किसी भी रुप में नही चुका सकता था। वह कोई एक मौका चाहता था। जिससे मास्टर साहब का कोई काम करके उनके उपकार का बदला दे सके। चाहे इसके लिए उसे कितना ही बड़ा त्याग क्यों न करना पड़े । इसलिए उसने कहा कि यदि वह अपना चमड़ा उतरवा कर भी उनका चपल बना दे तो भी उनके उपकार का बदला नहीं चुका पाएगा।
WBBSE Class 10 Hindi चप्पल Summary
लेखक – परिचय
कावुदूरि वेकट नारायणराव दक्षिण भारतीय भाषाओं एवं साहित्य के प्रमुख लेखकों में से एक हैं। इन्होने अपने साहित्य में उन लोगों को अपना विषय बनाया है जो समाज के निम्न तबके के हैं लेकिन शिक्षा के सहारे समाज में अपना एक स्थान बनाना चाहते है।
इनके पात्र जातिवाद, वर्गवाद तथा स्वार्थ से ऊपर उठकर एक उच्च आदर्श की स्थापना करते हैं। ‘चपल’ कहानी भी एक ऐसी ही कहानी है जो शिक्षक के आदर्श, शिष्य की कर्ताव्यपरायणता तथा मानवीयता व सहानुभूति-प्रेम की नीव पर खड़ी है। अपनी इन्हीं साहित्यिक विशेषताओं के कारण नारायणराव आज दक्षिण भारतीय भाषाओं के रचनाकारों में एक उज्ज्वल नक्षत्र की भाँति चमक रहे हैं।
शब्दार्थ
पृष्ठ संख्या – 115
- धड़ाम = गिरने की आवाज।
- घूरते = गौर से देखते।
- बस्ता = बैग।
- पाटी = स्लेट।
- पहाड़े-किताब = गिनती सिखानेवाली किताब।
- हुर्रियों = बुढ़ापे के कारण चेहरे पर पड़ी लकीरें।
- परदादा = दादा के पिता।
- मर्जी = इच्छा।
- वास्ता = मतलब, संबंध।
- पेशा = रोजगार।
पृष्ठ संख्या – 116
- सन्देह = शक ।
- खींजते = गुस्साते, झल्लाते ।
- हामी = स्वीकृति।
पृष्ठ संख्या – 117
- लोक = दुनिया।
- कुलवालों = परिवारों, खानदानों।
- नाम कमाए = प्रसिद्ध हो जाए।
- खुशनसीबी = अच्छी किस्मत।
- ॠण = कर्ज।
- कृतझ्ञता = उपकार, भलाई की भावना।
- चटसार = छोटे बच्चों की पाठशाला।
- साष्टांग = लेटकर।
- बाजू = बगल।
- सीलोन = श्रीलंका।
- नाल = अंग्रेजी यू के आकार का लोहा जिसे जूते के नीचे लगाया जाता था ताकि जूते का निचला हिस्सा कम घिसे।
- मामूली = साधारण।
- खासियत = विशेषता।
- महिमान्वित = खूबियों से भरे ।
पृष्ठ संख्या – 118
- चिल्लर = खुले पैसे ।
- खपरैली = खपड़े से बनी।
- चबूतरे = बरामदे।
- सम्मिलित = मिला हुआ।
- तमत्रा = इच्छा।
- कंठस्वर = गले की आवाज।
- तत्काल = तुरंत।
- दर्जे = क्लास, वर्ग।
- बराँडे = बरामदे।
- बदा = लिखा, तय।
- कंठस्थ = याद।
पृष्ठ संख्या – 119
- ॠण = कर्ज।
- फूले अंग = खुशी के मारे।
- स्वर्गधाम = स्वर्गलोग।
- भाग्यवान = भाग्यवाला, किस्मतवाला।
पृष्ठ संख्या – 120
- तृष्ति = संतुष्टि ।
- रात्रि-पाठशाला = वह पाठशाला जहाँ दिन में काम करने वाले व्यक्ति को रात में पढ़ाया जाता है।
- दाखिल = प्रवेश, नाम लिखवाना।
- पाँव जमीन पर नहीं पड़ना (मुहावरा) = अत्यंत खुश होना।
- बिरादरी वाले = जातिवाले।
- अचरज = आश्चर्य।
- धिएटर = सिनेमा।
पृष्ठ संख्या – 121
- शहतीर = मोटा तना जो खपरैल मकान में ऊपर छपर के सहारे के लिए लगाया जाता है।
- इमारत = बड़ा मकान।
- क्षीण = कमजोर, कम।
- आकांक्षा = इच्छा।
- मनौती = मन्नत, कबुला।
- उद्धार = कल्याण।
- बाजू = बगल।
- मुग्ध = खुश, मोहित।
पृष्ठ संख्या – 122
- माहिर = कुशल।
- अटारी = आला, दीवार में बनी जगह जिसे कोई छोटा सामान रखने के लिए बनाया जाता है।
- हाँडी = खाना बनाने का बर्तन।
- साम्बर = एक प्रकार की रसदार सब्जी, जिसे दक्षिण भारत में बड़े चाव से खाया जाता है।
- चारेक = चार।
पृष्ठ संख्या – 123
- बनियान = गंजी।
- पल्ली = झोपड़पट्टी।
- दिल बैठ जाना = अत्यंत दु:ख होना।
- ज्वालाएँ = आग की लपटें।
- आँच = गर्मी।
पृष्ठ संख्या – 124
- बहुमूल्य = कीमती।
- बेहतर = अच्छा।
- दमकल = पानी के टंकीवाली गाड़ी जिससे आग बुझायी जाती है।
- भय-कम्पित = भय से कांप जाना।